ऑस्ट्रेलिया की लड़की ने संत आशाराम बापू के बारे में कही बड़ी बात...
https://youtu.be/YwELDddpR44
01 जुलाई 2021
azaadbharat.org
हिन्दू धर्मगुरु आशाराम बापू की उम्र 85 वर्ष की है, 8 साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। कुछ समय पहले वे कोरोना संक्रमित हुए थे, एलोपैथी दवाई दी गई जिसका उनपर प्रतिकूल असर हुआ और उनका हीमोग्लोबिन 3.7 चला गया था। काफी समय इलाज चला, उसके बाद वापिस उनको जेल भेज दिया गया। उनकी शारीरिक स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।
इस विषय को लेकर ऑस्ट्रेलिया की लड़की ग्रेलोरे सैनी ने कहा "सारी दुनिया कोरोना वायरस पैंडेमिक के प्रकोप से जूझ रही है। मैंने सुना है कि भारत देश के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है कि भारतीय जेलों में जो कैदी हैं उनको बेल या पैरोल पर छोड़ दिए जाए। क्योंकि जेलों में बहुत भीड़ है। कोरोना काल में इतनी भीड़ में साफ़ सफाई रखना मुश्किल होगा इसलिए जेलों की भीड़ कम करने के लिए जिससे कि कोरोना के रोकथाम में मदद हो, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश जारी किया है।"
आगे कहा कि आसाराम बापूजी, जो कि एक वृद्ध 85 साल के व्यक्ति हैं, वो कोरोना पॉजिटिव हो गए थे कुछ समय पहले। वो अब भी जेल में हैं और उनको बेल या पैरोल अब तक नहीं दी गई है।
हम जानते हैं कि कोरोना वायरस वयस्क अथवा वृद्ध लोगों के लिए ज़्यादा खतरनाक है। जब आसारामजी बापू 85 साल के हैं और कोविड19 पॉजिटिव हो गए थे तो उनको अब तक बेल पे छोड़ा क्यों नहीं गया?
वो एक अति वृद्ध व्यक्ति हैं जिनको जेल जैसी भीड़ भरी जगह में रखा गया है। अन्य बहुत सारे अपराध करनेवाले कैदियों को छोड़ा गया है तो आसाराम बापूजी को क्यों नहीं छोड़ा?
मेरी प्रशासन से विनती है कि आप प्लीज आसाराम बापूजी को बेल अथवा पैरोल पे छोड़ दें। धन्यवाद!
आपको स्पष्ट बता देते हैं कि जिस समय लड़की ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय तो वो अपने मित्र से कॉल पर बात कर रही थी और बापू आशारामजी किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे, वहाँ पर 50-60 लोग भी थे, उन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है, लड़की का कॉल डिटेल भी दिया गया है फिर भी उनको जेल में रखना कहां तक उचित है?
https://youtu.be/V0sr9yHj1Go
उनको साजिश के तहत फंसाना और बाहर नहीं आने देना- उसके मुख्य कारण ये हैं:-
1). लाखों धर्मांतरित ईसाइयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर धर्म के संस्कार, मकान, जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करानेवालों का धंधा चौपट हो गया।
2). कत्लखाने जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।
3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।
4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाइयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया।
5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी-तेजस्वी बनाया।
6). इंग्लैंड, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया।
7). वैलेंटाइन डे का कुप्रभाव रोकने हेतु "मातृ-पितृ पूजन दिवस" का प्रारम्भ करवाया।
8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।
9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया।
10). नशामुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसनमुक्त कराया।
11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए।
12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के "शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी", बाबा रामदेव, मोरारी बापू, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया।
13. बच्चों के लिए "बाल संस्कार केंद्र", युवाओं के लिए "युवा सेवा संघ", महिलाओं के लिए "महिला उत्थान मंडल" खोलकर उनका जीवन धर्ममय व उन्नत बनाया।
ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं।
हिंदू संत आशाराम बापू पर जिस तरह से षड्यंत्र हुआ है उसको देखते हुए और उनके द्वारा किए गये राष्ट्र-संस्कृति व समाज उत्थान के सेवाकार्य तथा उनकी उम्र का ध्यान रखते हुए न्यायालय और सरकार को उन्हें शीघ्र रिहा करना चाहिए।
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