3 मई 2021
azaadbharat.org
आशाराम बापू जोधपुर जेल में करीब 8 साल से बंद हैं। देशभर में काफी महिलाओं ने राष्ट्रपति को उनके नाम पर ज्ञापन दिया। जानिए उस ज्ञापन में क्या लिखा था?
माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदय,
भारत सरकार, नई दिल्ली
मा.जिलाधीश महोदय,
मान्यवर, जय हिन्द... वन्दे मातरम् ...
हमारी भारतीय संस्कृति की महानता को पूरे विश्व के मनीषियों ने स्वीकार किया है और इस संस्कृति के आधारस्तम्भ हैं- ब्रह्मज्ञानी संत-महापुरुष ।
ब्रह्मज्ञानी संत कबीरजी ने ठीक ही कहा है :
आग लगी आकाश में झर-झर गिरे अंगार।
संत न होते जगत में तो जल मरता संसार।।
चराचर जगत में व्याप्त परात्पर ब्रह्म परमात्मा को आत्मरुप में जाननेवाले संत ब्रह्मज्ञानी कहलाते हैं। ऐसे महापुरुषों के द्वारा ही प्राणी मात्र का वास्तविक कल्याण होता है। धर्म का अभ्युदय करने, अलौकिक ईश्वरीय ज्ञान, आनंद और शांति का प्रसाद बाँटने के लिए ऐसे ब्रह्मज्ञानी संतों का धरती पर अवतरण होता है। जात-पात-मजहब-देश की संकीर्णता से ऊपर उठाकर मानवमात्र को एकसूत्र में बाँधने का सामर्थ्य ऐसे ब्रह्मज्ञानी संतों में होता है। ब्रह्मज्ञानी संत श्री आशारामजी बापू से जुड़े हुए करोड़ों लोगों का अनुभव इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
पिछले 55 वर्षों से इन दूरदर्शी महापुरुष ने देश में करोड़ों की संख्या में संयम-सदाचार प्रेरक सत्साहित्य पहुँचाया, देश की जनता को ओजस्वी-तेजस्वी, बहुप्रतिभा-सम्पन्न बनाने हेतु योग व ब्रह्मविद्या का प्रशिक्षण दिया, मानवता, परदुःखकातरता, ईश्वरीय शांति व निर्विकारी सुख की गंगा बहायी, हजारों “बाल संस्कार केन्द्रों” और “युवा सेवा संघों” के माध्यम से बाल और युवा पीढ़ी में सच्चरित्रता व नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना कर राष्ट्र की रीढ़ मजबूत की, ‘महिला उत्थान मंडल’ की स्थापना की एवं महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न प्रकल्प चलाये, अनगिनत लोगों को ईश्वर-भक्ति व जनसेवा के रास्ते लगाकर आध्यात्मिक क्रांति का उद्घोष किया; इनके मार्गदर्शन से कई सामाजिक व राष्ट्रीय समस्याओं का असरकारक समाधान मिला है; इनके उपदेशों व समाजोत्थान के सेवाकार्यों से विभिन्न मत-पंथ-सम्प्रदायों के देश-विदेश के करोड़ों लोग लाभान्वित हुए हैं; इन्होंने देशवासियों के हृदय में देश व संस्कृति के प्रति निष्ठा सुदृढ़ की है, देश की एकता और अखंडता को मजबूत किया है, लोगों में प्राणिमात्र के लिए सद्भाव जगाया है, नशामुक्ति अभियान चलाकर एवं समाज से कुरीतियाँ दूर करके आपसी सौहार्द व भाईचारे को बढ़ावा देते हुए स्वस्थ व सुंदर समाज का निर्माण किया है; इन्होंने कर्तव्यपालन, ईमानदारी, मितव्ययिता की बहुमूल्य शिक्षा देकर, पर्यावरण सुरक्षा, आयुर्वेदिक, प्राकृतिक आदि स्वदेशी चिकित्सा-पद्धतियों को बढ़ावा देकर तथा स्वदेशी उत्पादों व गौ संरक्षण-संवर्धन की ओर लोगों को मोड़कर देश के अर्थतंत्र को मजबूती दी है।
यह हमारा बड़ा दुर्भाग्य है कि जिन ब्रह्मज्ञानी संतों ने देश के सभी धर्मों, मतों, पंथों व संप्रदायों के बीच प्रेम, शांति, सद्भाव एवं अध्यात्म-ज्ञान का संचार किया, उन्हें राष्ट्र व मानवता विरोधी ताकतों द्वारा षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है। भारत के जिस ब्रह्मज्ञानी संत ने निःस्वार्थ भाव से अपना पूरा जीवन विश्व मानवता को ऊँचा उठाने में समर्पित कर दिया, आज उनको ही झूठे आरोप लगाकर कानूनी जटिलताओं एवं त्रुटियों का दुरुपयोग कर जेल में डाल दिया गया है। ऐसे भारतीय संस्कृति के संरक्षक व निष्काम कर्मयोग के प्रेरणापुंज ब्रह्मनिष्ठ पूज्य संत श्री आशारामजी बापू पिछले 7.5 वर्षों से कारावास में हैं।
जब समाज-विघातक कार्य करनेवालों, आतंकवादियों के भी मानवाधिकारों का ख्याल हमारे देश में व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रखा जाता है तो 85 वर्षीय ऐसे महान ब्रह्मज्ञानी संत, जिन्होंने स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद सन् 1993 में शिकागो की ‘विश्व धर्म संसद’ में सनातन धर्म का सुसफल एवं बहुप्रशंसित प्रतिनिधित्व करके अपने देश-धर्म की शान बुलंद की तथा समाज में मानवीय संवेदना, परोपकार, संस्कृति-प्रेम, अनेकता में एकता के सुसंस्कारों का सिंचन किया और समाजहितकारी सत्प्रवृत्तियों में अथकरूप से लगकर अपने जीवन की होली करके भी जरूरतमंदों को जीवनोपयोगी चीज-वस्तुएँ एवं सभीको भगवद्भक्ति, ज्ञान, शांति का प्रसाद बाँटकर उनके जीवन में दिवाली कर दी, उन लोकमांगल्यकारी महान विभूति के मानवाधिकारों का ख्याल तो अवश्य ही रखा जाना चाहिए।
नारियों की सुरक्षा के लिए बनाये गये सख्त कानूनों के बड़े स्तर पर हो रहे दुरुपयोग से आज वे नारियों के लिए ही कष्टप्रद बन रहे हैं। आज राष्ट्र व समाज विरोधी ताकतें स्त्रियों को मोहरा बनाकर समाजहित में लगे प्रतिष्ठित लोगों के खिलाफ इन कानूनों का दुरुपयोग
रही हैं। जब किसी स्त्री द्वारा मिथ्या आरोप लगाया जाता है तो इससे न सिर्फ एक पुरुष प्रताड़ित होता है बल्कि उस पुरुष से जुड़ी उसकी माँ, बहन, बेटी आदि कई महिलाएँ भी उसका शिकार बन जाती हैं। उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन तहस-नहस हो जाता है। पूज्य बापूजी को जेल में रखे जाने से पूज्य बापूजी से जुड़ी लाखों-लाखों महिलाएँ भी व्यथित हैं, पीड़ित हैं।
आदरणीय भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल विहारी वाजपेयीजी ने पूज्य बापूजी के बारे में लखनऊ के सत्संग कार्यक्रम में कहा था, “देशभर की परिक्रमा करते हुए जन-जन के मन में अच्छे संस्कार जगाना, यह एक ऐसा परम राष्ट्रीय कर्तव्य है, जिसने हमारे देश को आज तक जीवित रखा है और इसके बल पर हम उज्ज्वल भविष्य का सपना देख रहे हैं। उस सपने को साकार करने की शक्ति-भक्ति एकत्र कर रहे हैं। पूज्य बापूजी सारे देश में भ्रमण करके जागरण का शंखनाद कर रहे हैं, सर्वधर्म-समभाव की शिक्षा दे रहे हैं, संस्कार दे रहे हैं तथा अच्छे और बुरे में भेद करना सिखा रहे हैं। हमारी जो प्राचीन धरोहर थी और हम जिसे लगभग भूलने का पाप कर बैठे थे, बापूजी हमारी आँखों में ज्ञान का अंजन लगाकर उसको फिर से हमारे सामने रख रहे हैं।"
इसके अलावा अनेक धर्माचार्यों, संतों-महंतों, केन्द्र-राज्य सरकारों, धार्मिक-राष्ट्रीय संगठनों, उच्च पदस्थ लोकप्रिय जनप्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, समाजसेवकों आदि ने भी राष्ट्र निर्माण में पूज्य बापूजी के अमूल्य योगदान की बहुत सराहना की है। ऐसे महान ब्रह्मज्ञानी संत की रिहाई की मांग सब ओर से उठ रही है।
राष्ट्रोत्थान चाहनेवाले आप जैसे महानुभाव निश्चय ही इस बात पर गौर करेंगे कि राष्ट्र के गरीब, आदिवासी, पिछड़े एवं सुदूर क्षेत्रों के उपेक्षित जातियों के लोगों में भी जात-पात-धर्म-सम्प्रदाय किसी भी भेद को देखे बगैर सबमें छुपी एक आत्मचेतना का दर्शन करते हुए उन सबका हित चाहने व सक्रिय रूप से करनेवाले इन महापुरुष का समाज में होना राष्ट्रोत्थान में कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। उनका जेल में होना समाजहित के कार्यों में एक बड़ी भारी क्षति है।
आज पूरा विश्व जिन आपदाओं का सामना कर रहा है उससे विश्वमानव की रक्षा करने का सामर्थ्य ब्रह्मज्ञानी संत श्री आशारामजी बापू में है। इतिहास साक्षी है कि समाज ब्रह्मज्ञानी संत-महापुरुषों की महानता को उनके जीवन काल में समझ नहीं पाता और जब उनका साकार श्रीविग्रह नहीं रहता तब पश्चाताप करता है। पर ऐसे महापुरुषों के सान्निध्य लाभ से वंचित रहने से समाज को हुए गंभीर नुकसान की क्षतिपूर्ति कोई नहीं कर पाता। आज पूज्य बापूजी के 85 वें अवतरण दिन चैत्र वद 6 (गुजरात-महाराष्ट्र के अनुसार) तदनुसार 2 मई के अवसर पर ऐसे महान ब्रह्मज्ञानी संत के प्रत्यक्ष सांन्निध्य लाभ से वंचित करोडों हृदयों की वेदना आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ।
यह मुद्दा देश के लाखों-करोड़ों नागरिकों के जीवन से, हितों से जुड़ा है, अतः श्री योग वेदांत सेवा समिति के माध्यम से सभी नागरिक महामहिमजी से करबद्ध प्रार्थना करते हैं कि ऐसी आपातकालीन परिस्थितियों में आप संविधान प्रदत्त अपने विशेषाधिकारों का सदुपयोग करके राष्ट्रहित में ब्रह्मज्ञानी संत श्री आशारामजी बापू की रिहाई हेतु शीघ्रातिशीघ्र उचित कार्यवाही करवायें।
जय हिन्द... भारत माता की जय... धन्यवाद...
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