02 जून 2021
azaadbharat.org
वर्ष 1947 में विभाजन के उपरांत देश स्वतंत्र हुआ। तदुपरांत वर्ष 1950 में संविधान लागू हुआ। उस समय कहा गया कि सभी को समान न्याय मिलेगा। इस कारण सब अत्याचार भूलकर हिन्दू उसे स्वीकारने के लिए तैयार हो गए परंतु प्रत्यक्ष में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अल्पसंख्यकों को सुविधा देकर हिंदुओं का दमन किया जा रहा है। आज मुसलमान अपने धर्म के लिए ‘फिदायीन’ बनकर समय पड़ने पर अपने प्राण देने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे समय हम हिन्दू अधिवक्ताओं को भी कानून का अध्ययन कर, न्यायालय में ‘फिदायीन’ बनकर हिन्दू को न्याय दिलाने के लिए निःस्वार्थ वृत्ति के साथ प्राणपण से प्रयास करने चाहिए । देश में बडी संख्या में हिन्दुओं का धर्मांतरण हो रहा है, इसे रोकना आवश्यक है। इस पृष्ठभूमि पर धर्मांतरण-विरोधी कानून बनाने के लिए अधिवक्ता प्रयास करें। हमें अपना भविष्य सुरक्षित करना है तो हिन्दूराष्ट्र स्थापना के प्रयास करने चाहिए- ऐसा प्रतिपादन लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने किया।
अधिवक्ता हरि शंकर जैन द्वारा प्रस्तुत किए गए कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र . . .
1. 'हिन्दुओं के विरोध में निर्णय हो जाए, तो न्याय और निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में हो जाए तो वह अन्याय’, ऐसी चिंताजनक स्थिति आज निर्मित हो गई है ।
अब ‘हिन्दू प्रथम’ (Hindu First) यह नारा देना चाहिए । जो कानून हिन्दुओं को न्याय नहीं दे सकता उसे बदलने की आज आवश्यकता है।
2. ‘हिन्दू अप्रसन्न (नाराज) हुए, तो सत्ता नहीं मिलेगी’, ऐसी कड़ी चेतावनी राजनीतिक दलों को देने की आवश्यकता है।
3. ‘धर्मनिरपेक्षता’- यह देश में स्थित एक राक्षस है। इसे गाड़ देना चाहिए!
4. सच्चर आयोग के अनुसार यदि मुसलमान गरीब हैं तो गली-गली में मस्जिद बनवाने के लिए पैसा कहां से आता है?
5. धर्मरक्षा के लिए सक्रिय होने पर कोई हिन्दुओं को सांप्रदायिक कहे तो अभिमान से कहें, हां ! हिन्दू सांप्रदायिक हैं !
6. आजकल सभी जगह मुसलमानी मानसिकता देखने को मिलती है। उसमें परिवर्तन लाकर हमें ‘हिन्दू विचार’ सामने रखने हैं।
7. हिन्दुओं का धर्मशास्त्र छोटे बच्चों तक पहुंचाना चाहिए। अंग्रेजी में कविता सुनाने पर माता-पिता अपने छोटे बच्चों की प्रशंसा करते हैं परंतु अपने बच्चों को गायत्रीमंत्र, हनुमानचालिसा का भी पठन करना चाहिए- ऐसा माता-पिता को लगता है?
8. कैराना (उत्तरप्रदेश) में हुए लोकसभा चुनाव के निर्णय के उपरांत ‘अल्लाह जीत गया, राम हार गया’, ऐसे नारे दिए गए। यदि ऐसे नारे नहीं सुनना चाहते हो तो हिन्दूराष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करना आवश्यक है।
हिन्दूराष्ट्र के लिए आवश्यकता पड़ने पर बलिदान देंगे! – अधिवक्ता हरि शंकर जैन
दश, धर्म और संस्कृति बचाने के लिए हिन्दूराष्ट्र की आवश्यकता है। हिन्दूराष्ट्र के लिए आवश्यकता पड़ने पर बलिदान भी देंगे परंतु हिन्दूराष्ट्र की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। स्रोत : हिन्दू जन जागृति समिति
दनिया में ईसाइयों के 157 देश हैं और मुसलमानों के 57 देश हैं जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दू ही सनातन धर्म है जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ तब से है फिर भी एक भी हिन्दू देश नहीं है।
बता दें कि ईसाई धर्म की स्थापना 2000 साल पहले और मुसलमान धर्म की स्थापना 1400 साल पहले हुई फिर भी उनके इतने देश हो गये और सनातन हिन्दू धर्म सिमटता गया बड़ी दुःखद बात है। अब एक भारत ऐसा देश है जिसमें 80 प्रतिशत हिन्दू हैं लेकिन उन हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवाया जा रहा है, जातियों में बांटकर लड़वाया जा रहा है, हिन्दूनिष्ठों व हिन्दू धर्मगुरुओं को झूठे केस में जेल में भिजवाया जा रहा है इससे साफ पता चलता है कि भारत में भी हिन्दू अपना अस्तित्व खो देंगे।
अब हिन्दुओं को जागना होगा और किसी भी हिन्दू पर अत्याचार हुआ हो तो उसके लिए एक होकर लड़ना होगा और भारत को हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए पुरजोश से प्रयत्न करना होगा तभी हिन्दू बच पायेगें नहीं तो खुद का धर्म भी खो देंगे।
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