17 मई 2021
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दूध सम्पूर्ण आहार है पर आजकल की चकाचौंध वाली दुनिया में जीने वाले कुछ बच्चे दूध पीने में अरुचि रखते हैं तो कुछ बच्चों को उनके मां-बाप दूध की महिमा जानकर, दूध पिलाते हैं । दूध छोटे, बड़े, बुजुर्ग, महिलाएं सभी को पीना चाहिए क्योंकि दूध पीने से अधिकतर रोग पास में फटकते भी नहीं है पर हमें जानना जरूरी है कि कौनसा दूध पीना चाहिए और कौनसा नहीं ।
बाजार में जो दूध मिलता है वे अधिकतर या तो जर्सी गाय या भैंस या पाउडर का मिलता है जो हमारी सेहत के लिए इतना अनुकूल नहीं है । देशी गाय का ही दूध पीना चाहिए, वही पृथ्वी पर का अमृत है ।
जर्सी गाय के दूध का नुकसान-
जर्सी गाय का दूध पीनेवालों में आँतों का कैंसर अधिक पाया गया है । वैज्ञानिक डॉ. कीथ वुडफोर्ड ने अपनी पुस्तक ‘द डेविल इन द मिल्क’ में लिखा है कि ‘विदेशी गायों का दूध मानव-शरीर में ‘बीटा केसोमॉर्फीन-7’ नामक विषाक्त तत्त्व छोड़ता है । इसके कारण मधुमेह, धमनियों में खून जमना, दिल का दौरा, ऑटिज्म और स्किजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग) जैसी घातक बीमारियाँ होती हैं ।’
पाउडर का अथवा सार तत्त्व निकाला हुआ या गाढ़ा माना जानेवाला भैंस का दूध पीने का फैशन चल पड़ा है इसलिए लोगों की बुद्धि भी भैंसबुद्धि बनती जा रही है और बच्चों का विकास इतना नहीं हो पाता है, जर्सी गाय से भैंस का दूध थोड़ा ठीक माना जाता है ।
देशी गाय का दूध-
शास्त्रों ने व वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है कि देशी गाय का दूध अमृत के समान है व अनेक रोगों का स्वतः सिद्ध उपचार है । देशी गाय का दूध सेवन करने से किशोर-किशोरियों की शरीर की लम्बाई व पुष्टता उचित मात्रा में विकसित होती है, हड्डियाँ भी मजबूत बनती हैं एवं बुद्धि का विलक्षण विकास होता है ।
भारतीय नस्ल की देशी गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है। जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तब यह नाड़ी सूर्य किरणों से सुवर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती है । इसलिए देशी गाय के दूध-मक्खन तथा घी में पीलापन रहता है । यह पीलापन शरीर में उपस्थित विष को समाप्त अथवा बेअसर करने में लाभदायी सिद्ध होता है । रासायनिक खादों, प्रदूषण आदि के कारण हवा, पानी एवं आहार के द्वारा शरीर में जो विष एकत्रित होता है उसको नष्ट करने की शक्ति देशी गाय के दूध में है । अंग्रेजी दवाओं के सेवन से शरीर में उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों (साईड इफेक्टस) का भी शमन करता है।
देशी गोदुग्ध में प्रोटीन की 'अमीनो एसिड' की प्रचुर मात्रा होने से यह सुपाच्य तथा चर्बी की मात्रा कम होने से कोलेस्ट्रोल रहित होता है।
देशी गाय के दूध में उपस्थित 'सेरीब्रोसाइडस' मस्तिष्क को ताजा रखने एवं बौद्धिक क्षमता बढ़ाने से लिए उत्तम टॉनिक का निर्माण करते हैं ।
कारनेल विश्वविद्यालय में पशुविज्ञान विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे के अनुसार देशी गाय के दूध में उपस्थित MDGI प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं को कैंसरयुक्त होने से बचती है ।
देशी गौदुग्ध पर अनेक देशों में और भी नये-नये परीक्षण हो रहे हैं तथा सभी परीक्षणों से इसकी नवीन विशेषताएँ प्रकट हो रही हैं । धीरे-धीरे वैज्ञानिकों की समझ में आ रहा है कि भारतीय ऋषियों ने गाय को माता, अवध्य तथा पूजनीय क्यों कहा है ।
देशी गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है । उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है । मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला देशी गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है ।
केवल देशी गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं ।
देशी गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है।
प्रतिदिन देशी गाय के दूध के सेवन से तमाम प्रकार के रोग एवं वृद्धावस्था नष्ट होती है। उससे शरीर में तत्काल वीर्य उत्पन्न होता है।
देशी गाय के दूध से बनी मिठाइयों की अपेक्षा अन्य पशुओं के दूध से बनी मिठाइयाँ जल्दी बिगड़ जाती हैं।
देशी गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है ।
देशी गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है । देशी गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण, उस दूध का सेवन करने वाला व्यक्ति प्रतिभासम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है । ओज-तेज बढ़ता है । इस दूध में विद्यमान 'सेरीब्रोसाडस' तत्वदिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है ।
कवल देशी गाय के दूध में ही Stronitan तत्व है जो कि अणुविकिरणों का प्रतिरोधक है । रशियन वैज्ञानिक देशी गाय के घी-दूध को एटम बम के अणु कणों के विष का शमन करने वाला मानते हैं और उसमें रासायनिक तत्व नहीं के बराबर होने के कारण उसके अधिक मात्रा में पीने से भी कोई 'साइड इफेक्ट' या नुकसान नहीं होता ।
रस के वैज्ञानिक देशी गाय के दूध को आण्विक विस्फोट से उत्पन्न विकिरण के शरीर पर पड़े दुष्प्रभाव को शमन करने वाला मानते हैं ।
कारनेल विश्वविद्यालय के पशुविज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे कहते हैं कि "देशी गाय के दूध से प्राप्त होने वाले MDGI प्रोटीन के कारण शरीर की कोशिकाएं कैंसरयुक्त होने से बचती हैं ।"
देशी गाय के दूध से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है । इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है ।
देशी गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है ।
दशी गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम, चिकनाई से युक्त, मधुर, शीतल, रूचिकर, बुद्धिवर्धक,बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक,वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है ।
अतः आज से संकल्प ले कि जर्सी गाय, भैंस अथवा पाउडर का दूध नही पिएंगे केवल देशी गाय का ही दूध पियेंगे । कुछ पाठकों के प्रश्न होंगे कि देशी गाय का दूध कहा मिलेगा तो आसपास के लोग मिलकर अपने आजूबाजू में गौशालायें चालू करवाइए जिससे आपको देशी गाय दूध मिलेगा, गौहत्या रुकेगी और आप स्वस्थ्य रहेंगे ।
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