25 अप्रैल 2021
azaadbharat.org
पिछले 8 साल से 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। आजतक उनको 1 दिन की भी जमानत नहीं दी गई, जबकि बड़े बड़े अपराधियों व आतंकवादियों को भी जमानत मिल जाती है; फिर आशारामजी बापू को क्यों नहीं मिली- आज आपको सच्चाई बताते हैं।
आइये सबसे पहले नजर डालते हैं- उन सेवाकार्यों पर जिनकी शुरूआत आशारामजी बापू द्वारा हुई:
1.) स्वदेशी अभियान आंदोलन-
इसके अंतर्गत आशारामजी बापू आयुर्वेद विज्ञान को लोगों की जीवनशैली में वापस लाए और उन्होंने गरीबों को उच्च गुणवत्तावाली और सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाई।
2.) 50 से भी ज्यादा सनातन धर्म शैली के गुरुकुलों की शुरूआत की जिससे छोटी उम्र में ही बच्चे वैदिक संस्कृति से जुड़ने लगे। इनके गुरुकुल इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि सभी स्थानीय कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश में गिरावट आने लगी ।
3.) 10,000 से ज्यादा गायों को कत्लखाने जाने से बचाकर स्व-निर्भर गौशालाओं की शुरूआत की, जो बिना किसी बाहरी दान के चलाये जाते हैं; जहाँ गौ सेवा अंतरराष्ट्रीय मानकों पर की जा रही है। इनके गौमूत्र से बने अर्क, गौवटी और गोधूप इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि अन्य बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे 100 से ज्यादा स्थानीय आदिवासी परिवारों को रोजगार मिलने लगा।
4.) जो लोग उनके सत्संग को सुनते और उनके संपर्क में आने लगे, वे गर्व से कहने लगे कि हिंदू होने पर वे अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानते हैं।
5.) आशारामजी बापू ने कई संस्थाओं का मार्गदर्शक बनकर उन्हें भी प्रेरित किया और खुद भी जनजातीय क्षेत्रों में बहुत-से सेवा और रोजगार के अवसरों का नेतृत्व किया और सनातन धर्म के मार्ग को खोनेवाले लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं की घरवापसी करवाई ।
6.) आशारामजी बापू के प्रत्येक आश्रम (कुल 450 आश्रम) को एक आत्मनिर्भर ईकाई के रूप में बनाया गया ताकि उन्हें किसीके सामने धनराशि के लिए प्रार्थना न करनी पड़े और वे आसानी से व्यसनमुक्ति अभियान, मातृपितृ पूजन दिवस, संस्कार सिंचन अभियान, वैदिक मंत्र विज्ञान प्रचार, संस्कृति रक्षक सम्मेलन, संकीर्तन यात्राएं और सत्संग जैसे सेवाकार्यों द्वारा समाज में जागृति लायें।
7.) किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी युवा होते हैं। आशारामजी बापू ने युवाधन सुरक्षा अभियान (दिव्य प्रेरणा प्रकाश) द्वारा युवाओं को संयमित जीवन का महत्व समझाया। आज आशारामजी बापू के कारण आधुनिक अश्लीलता भरे वातावरण में भी करोड़ों युवा ब्रह्मचर्य का महत्व समझ रहे हैं और अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करने लगे हैं।
8.) आशारामजी बापू ने देश विदेश में 17,000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र शुरू करवाये जहां बच्चों को अपने माता-पिता का आदर करने, स्मृति क्षमता में वृद्धि करने और जीवन को ऊर्जावान बनाये जाने की शिक्षा दी जाने लगी; उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति, पराक्रम जैसे सद्गुणों से बच्चे विद्यार्थी जीवन से ही उन्नत, विचारवान और संस्कृति प्रेमी बनने लगे।
9.) हमारी खोई हुई गरिमा और संस्कृति की महिमा को जनमानस के हृदय में पुनः स्थापित करने के लिए समाज में वैश्विक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया गया, जैसे- 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को "मातृपितृ पूजन दिवस" और 25 दिसंबर क्रिसमस डे को "तुलसी पूजन दिवस"।
आपको बता दें कि आशारामजी बापू द्वारा 50 सालों से समाज उत्थान के कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने सत्संग के द्वारा देश व समाज को तोड़नेवाली ताकतों से देशवासियों को बचाया। लाखों लोगों को धर्मान्तरण से बचाया व लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं को अपने धर्म में वापसी कराई। गरीब आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ खाने की सुविधा तक नहीं थी वहाँ "भोजन करो, भजन करो, दक्षिणा पाओ" अभियान चलाया जाता है; गरीबों में राशन कार्ड के द्वारा अनाज का वितरण, कपड़े, बर्तन व जीवनोपयोगी सामग्री एवं मकान आदि का वितरण किया जाता है।
पराकृतिक आपदाओं में जहाँ प्रशासन भी नहीं पहुँच सका वहाँ आशारामजी बापू के शिष्यों द्वारा कई सेवाकार्य (निःशुल्क भोजन भंडार, कम्बल, कपड़े का वितरण व स्वास्थ्य शिविर के आयोजन) होते हैं। इसके अलावा आशारामजी बापू ने महिला सुरक्षा (WOMEN SAFETY & EMPOWERMENT) के कई अभियान चलाए, नारी जाति के सम्मान व उनमें पूज्यभाव के लिए सबको प्रोत्साहित किया, बड़ी कंपनियों में काम कर रही महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, महिला संगठन बनाया।
World's Religions' Parliament, शिकागो अमेरिका में 1993 में स्वामी विवेकानन्दजी के बाद यदि कोई दूसरे संत ने प्रतिनिधित्व किया है तो वे आशारामजी बापू हैं, जिन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर सनातन संस्कृति का परचम लहराया।
इन सेवाकार्यों से देश-विदेश के करोड़ों लोग किसी भी तरह के धर्म- जाति - पंथ -सम्प्रदाय-राज्य व लिंग के हो भेदभाव के बिना लाभान्वित हो रहे हैं ।
इन सभी गतिविधियों को आम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा शुरू नहीं किया जा सकता है। यह केवल महान संत द्वारा किया जा सकता है जो आत्मनिर्भर और दिव्य हैं। ऐसे संतों से लाभान्वित होना, न होना- ये समाज पर निर्भर करता है। विकल्प आपका है क्योंकि आत्मरामी संतों को आपसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है और न ही उनको कोई घाटा है पर उनकी उपेक्षा करने से समाज को आनेवाले समय में बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
तो अब सवाल यह है कि पिछले पचास सालों से देश और संस्कृति की सेवा करनेवाले आशारामजी बापू को जेल क्यों भेजा गया?
सब जानते हैं कि भारत को 1947 में आजादी मिली पर पर्दे के पीछे का सत्य कोई नहीं जानता। केजीबी जासूस के मुताबिक़ अंतर्राष्ट्रीय मिशनरियों के पास भारत की संस्कृति को ध्वस्त करने का लक्ष्य है। असल में वे दुनिया पर शासन करना चाहते हैं पर किसी भी देश को नष्ट करने के लिए सबसे पहले उस देश की संस्कृति को नष्ट करना होता है और इसलिए वे उस देश की संस्कृति को नष्ट करने के लिए देश के प्रति वफादार नेताओं और संतों पर हमला करते हैं।
जसे सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव दीक्षित और संत लक्ष्मणानंदजी आदि-आदि की कैसे मृत्यु हुई, आजतक पता नहीं चला।
अब यह स्पष्ट होना चाहिए कि आशारामजी बापू अभी भी जेल में क्यों हैं?
कुछ लोग कहते हैं- कांग्रेस (विशेष रूप से सोनिया गांधी का षड्यंत्र) आशारामजी बापू पर बनाये गये मामले के पीछे छिपी हुई है लेकिन अब जब मोदी सत्ता में हैं, तब भी आशारामजी बापू जेल में हैं।
वास्तविक सत्य यह है: यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश है। बड़े शक्तिशाली लोग जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों और मिशनरियों से जुड़े हुए हैं, उन्होंने पूरी भारतीय मीडिया को खरीद रखा है। यहां भारतीय मीडिया पूरी तरह से दूषित है और खरीदने में मुश्किल नहीं है, वे भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता को खरीदते हैं। वे हमेशा किसी भी चेहरे के पीछे काम करते हैं, जैसे उन्होंने सोनिया गांधी के चेहरे के पीछे किया था। भारतीय लोगों को मीडिया द्वारा आसानी से बेवकूफ़ बना दिया जाता है और बाकि भ्रष्ट राजनेता और अधिकारी केस को लंबा बनाते हैं।
जब हम आशारामजी बापू पर की गई FIR पढ़ते हैं तो सबकुछ स्पष्ट होता है।
5 दिन पहले जोधपुर मामले की दिल्ली में FIR !
और लडकी शाहजहांपुर (यूपी ) से है। बाकि FIR में कोई बलात्कार का जिक्र नहीं है, लेकिन मीडिया ब्रेकिंग न्यूज 24X7 में "रेप" शब्द बोलता है। क्यूं ???
अगर देश को बचाना चाहते हैं तो भारतीयों को एकजुट होना चाहिए। निर्दोष संत की रिहाई के लिए आगे आना चाहिए।
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