27 अप्रैल 2021
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भारत में एक कालखंड में आयुर्वेद के साथ ही भारतीय ज्ञान-परंपरा की बहुत उपेक्षा की गई; परंतु भारतीय समाज में आज भी धर्माचरण से जुड़ीं कुछ पारंपरिक आदतें और पद्धतियां देखने को मिलती हैं। यदि सनातन हिन्दू धर्म द्वारा निर्देशित पद्धतियों के अनुसार तनिक भी आचरण करने से लाभ मिलता हो, तो संपूर्ण जीवनशैली को ही धर्माधिष्ठित बनाने का प्रयास किया जाए, तो उससे कितना लाभ मिलेगा?
हिन्दू धर्म में वातावरण शुद्धि हेतु अग्निहोत्र बताया गया है। इस अग्निहोत्र में परमाणु विकिरण के संकट को भी टालने का सामर्थ्य है। हिन्दू धर्म द्वारा बताई गई सभी बातें अनुभवजन्य हैं। उनका श्रद्धापूर्वक आचरण करनेवालों को उसका फल तो मिलता ही है। आजतक करोड़ों लोगों ने इसकी अनुभूति की है। भारतीय संस्कृति का प्रसार करने की, साथ ही विश्व को उसका महत्त्व विशद करने का यह एक अवसर भर है। कोरोना को एक हितकारी संकट मानकर भारत को इसका लाभ उठाना चाहिए।
विकट स्थिति में क्या करें?
ऐसी स्थिति में साधना ही तारणहार
अनेक भविष्यदृष्टा संतों ने आगामी काल में अनेक प्राकृतिक, साथ ही मनुष्यनिर्मित आपत्तियों का पहाड़ टूटने की भविष्यवाणी की है। ‘कोरोना’ का संक्रमण इसीकी एक झलक है। इस संकटकाल का आरंभ होते ही सभी उपलब्ध तंत्रों के वेंटिलेटर पर जाने की स्थिति बनी है। इसलिए आगे भी जब इससे अधिक संकट आएंगे, तब क्या स्थिति होगी- इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। किसे स्वीकार हो अथवा न हो; परंतु इस संकटकाल से पार होने हेतु केवल साधना ही तारणहार सिद्ध होगी, यह निश्चित है ! आजकल समाज में दिखाई देनेवाले संक्रामक रोग, महंगाई, युद्धजन्य स्थिति, बढ़ता अपराधीकरण- इनके तात्कालिक कारण प्रत्येक बार मिलेंगे ही; परंतु ‘कालचक्र’ ही इन सभी समस्याओं का वास्तविक मूल और उत्तर भी है ! स्थिर रहकर स्थिति का सामना करना संभव कर पाने हेतु, साथ ही मन की स्थिरता को अखंडित बनाए रखने हेतु साधना ही महत्त्वपूर्ण होती है। साधना का बल हो, तो उससे व्यक्ति का आत्मिक बल तो बढ़ता ही है; किंतु उसके साथ-साथ ईश्वर अथवा गुरु के प्रति श्रद्धा किसी भी संकट का सामना करने का बल प्रदान कर व्यक्ति को निर्भय बनाती है। हिन्दुओं के पुराणों में दी गई कथाएं भी यही संदेश देती हैं। हिरण्यकशिपु द्वारा भक्त प्रह्लाद को बिना किसी कारण उबलते तेल में डाला जाना, ऊंची पहाड़ी से फेंका जाना तो प्रह्लाद के लिए भयावह स्थिति ही थी; परंतु भक्त प्रह्लाद के ईश्वरस्मरण में संलिप्त रहने से उन्हें इस संकट का दंश नहीं झेलना पड़ा। अतः इसी प्रकार से हमारे लिए भी ईश्वरभक्ति बढ़ाना ही सभी समस्याओं का समाधान है।
कोरोना काल में अपनी इम्युनिटी कैसे स्ट्रॉंग करें?
1. साइट्रिक एसिड का लेवल maintain रखें। इसके लिए मौसमी, संतरा, नींबू, आंवला, कच्चे टमाटर का सेवन प्रतिदिन करें। प्वॉइंट 2 ग्राम साइट्रिक एसिड आपके शरीर में प्रतिदिन जाना चाहिए।
2.) घर से बाहर जाने से पहले और घर पर वापिस आने के बाद गर्म पानी में हल्दी, अजवाइन डालकर 8 से 10 मिनट तक भाप (स्टीम) लें।
3.) बाजारू ठंडे पेय पदार्थों का सेवन न करें। फ्रिज का पानी न पिएं। room temperature के अनुकूल पानी पियें। गर्म पानी में नींबू, अदरक व कच्ची हल्दी कूटकर डालें (अगर कच्ची हल्दी न हो तो आधा चम्मच हल्दी पाउडर लें)- ये पानी दिन में 2 बार सुबह-शाम पियें।
4.) दो से तीन दिन तक 2 कली लहसुन, छोटा अदरक का टुकड़ा दिन में 2 बार चबाचबा कर उसका रस लें।
5.) कच्ची हल्दी का टुकड़ा दिन में दो बार चबाचबा कर खाएं।
6.) दिन में एक बार नींबू का रस नाक में 4 से 5 बूंद जरूर डालें।
7.) अगर साँस लेने में दिक्कत आ रही है तो हल्दी, अजवाइन और कपूर गर्म पानी में डालकर दिन में 1 से सवा घण्टे के अंतराल से भाप (स्टीम) लेते रहें।
आयुर्वेद अपनाएं स्वस्थ रहें...
देशी गाय के गोबर के कंडे पर घी, कपूर आदि डालकर धूप करें जिससे वातावरण की शुद्धि होगी और हानिकारक बैक्टीरिया पनप नहीं पाएंगे।
तुलसी, नीम और गिलोय आदि का काढा भी जरूर पियें जिससे रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी और कोरोना जैसे वायरस आप पर जल्दी से हमला नहीं कर पाएंगे।
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