15 मार्च 2021
azaadbharat.org
दश में कानून की आड़ लेकर पैसे ऐठने, बदला लेने की भावना अथवा षडयंत्र के तहत झूठे केस दर्ज किए जाते हैं। यहां तक कि निचली अदालत से उनको सजा भी हो जाती है फिर सालों बाद ऊपरी न्यायालय से निर्दोष रिहा किया जाता है लेकिन तबतक उसका आधा जीवन चला जाता है, उसका घर परिवार उजड़ जाता है, समय पैसे और इज्जत चली जाती है उसका एक ताजा उदाहरण है 20 साल के बाद निर्दोष बरी हुए विष्णु तिवारी...।
दहेज, बलात्कार और SC/ST आदि कानूनों में झूठे केस के तहत निर्दोषों को जेल भेजा जाता है, सालों बाद रिहा होते है लेकिन न उनको मुआवजा मिलता है और नही झूठे केस करने वालो पर कोई कार्यवाही होती है उसकी अभी एक अच्छी पहल की है जनहित याचिका में।
आपको बता दे कि विष्णु तिवारी के मामले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। याचिका में SC/ST एक्ट के तहत झूठी शिकायतें करने वालों पर कार्रवाई और पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजे के लिए सिस्टम बनाने की अपील की गई है। याचिका भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर की है। 20 साल जेल में बिताने के बाद बरी किए गए विष्णु तिवारी के लिए भी पर्याप्त मुआवजे की माँग की गई है।
याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह आपराधिक मामलों में झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और इस तरह के गलत आरोप लगाए जाने पर पीड़ितों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए।
कपिल मिश्रा ने याचिका में विष्णु तिवारी का उल्लेख किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले दिनों विष्णु तिवारी को निर्दोष करार दिया था। तिवारी को SC/ST (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत अत्याचार और बलात्कार के मामले में 16 सितंबर, 2000 को गिरफ्तार किया गया था।
याचिका में गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने और झूठे मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के कारण तिवारी को मुआवजा दिए जाने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है, “झूठी और दुर्भावनापूर्ण शिकायतें दर्ज करके कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह फर्जी शिकायत करने वालों के खिलाफ अभियोग चलाने और कड़ी कार्रवाई करने के लिए एक सिस्टम बनाने और गलत तरीके से चलाए गए मुकदमों के पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए दिशा-निर्देश बनाए। गलत तरीके से मुकदमा चलने पर विधि आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश लागू करे।”
याचिका में यह भी कहा गया है कि विशेष अधिनियमों के तहत झूठी शिकायत करने पर यानी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 व यौन उत्पीड़न के मामलों में झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ भी कोई मुकदमा नहीं चल पाता है। झूठे मुकदमों के पीड़ितों को भी आर्थिक मुआवजा नहीं मिलता।
BJP नेता ने इस याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और विधि आयोग को पक्षकार बनाया है। याचिका में विशेष कानूनों के तहत आरोपित बनाए गए विचाराधीन कैदियों के मामलों के जल्द निपटारे के लिए एक सिस्टम बनाए जाने और निश्चित समय के भीतर विचाराधीन कैदियों के मामलों पर फैसला किए जाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाने का अनुरोध किया गया है।
गौरतलब है कि विष्णु तिवारी के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लेते हुए विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी। संस्था ने उत्तर प्रदेश के DGP और और मुख्य सचिव को जवाब देने को कहा था। NHRC ने पूछा कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? साथ ही पीड़ित विष्णु तिवारी को राहत और उनके पुनर्वास के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं, NHRC ने इसका भी विस्तृत विवरण माँगा था। स्त्रोत: ऑप इंडिया
अनेकों निर्दोषों की झूठे केस में जिंदगी बर्बाद हो जाती है जनता की मांग है कि ऐसे कानूनों में बदलाव होना चाहिए और झूठे केस करने वालो पर कड़क कार्यवाही होनी चाहिए।
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