01 अप्रैल 2021
azaadbharat.org
दिल्ली सरकार ने शराब पीने की आयु आधिकारिक रूप से घटाकर 25 से 21 करने का निर्णय लिया है। देश के किसी भी प्रान्त में चाहे किसी की भी सरकार हो। शराब पीने को प्रोत्साहन देना गलत है। सरकार के लिए यह आय का प्रमुख साधन है परन्तु निष्पक्षता से अगर सोचा जाये तो यह आय नहीं बर्बादी का साधन है। कुछ लोग कुतर्क करेंगे कि थोड़ी सी पीने में क्या हानि है। लेकिन आज जो थोड़ी सी पी रहा है। वही कल दिन-रात पीने वाला शराबी बनेगा। आरम्भ में चोर छोटी चोरी ही करता है, अपराधी छोटा अपराध ही करता है, अधिकारी छोटी रिश्वत ही लेता है। क्या इन सभी को आप प्रोत्साहन देते हैं? नहीं। तो फिर एक युवा को शराबी बनाने के लिए प्रोत्साहित क्यों किया जा रहा है?
शराब पीने से कितनी हानि?
1★ स्वास्थ्य हानि - शराब पीने से होने शारीरिक हानियों के विषय में सब परिचित है। अनेक लोग अपने जवानी में अस्पतालों के चक्कर शराब पीने से लीवर ख़राब होने के कारण लगाते देखे जाते हैं। अगर शराब जैसा नशा नहीं होता तो इन शराबियों के परिवार कितने सुखी होते।
2★ सामाजिक हानि- जिस परिवार में शराबी आदमी होता है। उस परिवार का नाश हो जाता है। उसकी पत्नी अपना सम्मान खो देती है। उसकी संतान अनपढ़ या अशिक्षित रह जाती है। घरेलू हिंसा, शारीरिक शोषण आदि आम बात है। शराबी खुद तो बर्बाद होता ही है। उसकी संतान भी बर्बाद हो जाती है। इससे समाज की कितनी हानि होती है। अपराध कितने बढ़ते हैं। राष्ट्र के लिए उत्तम नागरिक बनने के स्थान पर अपराधी जन्म लेते हैं। इस पर कोई चिंतन नहीं होता। शासक के लिए प्रजा संतान के समान होती है। क्या कोई अपनी संतान को ऐसे गर्त में केवल टैक्स के लिए धकेलता है?
3★ सरकार की आय बढ़ाने का दावा सदा खोखला दिखता है। यह कुछ ऐसा है आप पहले गड्डा खोदते है। फिर उसमें लोगों को गिरने देते है। फिर उसे बचाने के लिए रस्सी, सीढ़ी और क्रेन खरीदते है। ताकि निकाल सके। शराबी व्यक्ति के कारण अपराध बढ़ते हैं। उसके लिए आपको पुलिस, कोर्ट, जेल आदि को विस्तार देना पड़ता है। स्वास्थ्य सेवाओं की अतिरिक्त आवश्यकता पढ़ती है। उसके लिए आपको अस्पताल, डॉक्टर आदि रखने पड़ते है। सड़कों पर दुर्घटना अधिक होती है। उससे हानि होती है वो अलग। इस सबसे क्या सरकार की आय बढ़ती हैं? नहीं अपितु खर्च बढ़ता है। यह साधारण सा तर्क किसी को क्यों समझ नहीं आता।
4★ भ्रष्टाचार को बढ़ावा। इस पर टिप्पणी करने की आवश्यकता ही नहीं है। सरकारी या गैर सरकारी क्षेत्र में यह प्रचलित हो चला है कि जो काम विनती से नहीं बनता। वह बोतल से बन जाता है। यह गिरावट का लक्षण है। क्या पहले शराबी बनाने और फिर भ्रष्टाचारी बनाने में परोक्ष रूप से यह सरकार का समर्थन नहीं हैं।
5★ धार्मिक कारण। धर्म सदाचार रूपी आचरण का नाम है। शराबी आदमी सदाचारी नहीं अपितु दुराचारी हो जाता है। इसीलिए वेदों में किसी के नशे का निषेध है।
वद मन्त्रों के उदाहरण देखिये-
1★ ऋग्वेद 10/5/6 के अनुसार वेद में मनुष्य को सात प्रकार की मर्यादा का पालन करने का निर्देश दिया गया हैं। यह सात अमर्यादा हैं- चोरी, व्यभिचार, ब्रह्म हत्या, गर्भपात, असत्य भाषण, बार बार बुरा कर्म करना और शराब पीना।
2★ ऋग्वेद 8/2/12 सुरापान से दुर्मद उत्पन्न होते हैं। सुरापान बल नाशक तथा बुद्धि कुण्ठित करने वाला है।
3★ ऋग्वेद 7/86/6 के अनुसार सुरा और जुए से व्यक्ति अधर्म में प्रवृत होता है।
4★ अथर्ववेद 6/70/1 के अनुसार मांस, शराब और जुआ ये तीनों निंदनीय और वर्जित हैं।
5★ मनुस्मृति का सन्दर्भ देकर स्वामी दयानंद किसी भी प्रकार के नशे से बुद्धि का नाश होना लिखते हैं।
वर्जयेन्मधु मानसं च – मनु जैसे अनेक प्रकार के मद्य, गांजा, भांग, अफीम आदि – बुद्धिं लुम्पति यद् द्रव्यम मद्कारी तदुच्यते।। जो-जो बुद्धि का नाश करने वाले पदार्थ हैं। उनका सेवन कभी न करें।
इस विषय में बहुत विस्तार से न लिखकर यही है कि शराब पर रोक की तुरंत आवश्यकता है। शराबबंदी पूरे देश में लागु होनी चाहिये। ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य बचाया जा सके। -डॉ. विवेक आर्य
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