Thursday, February 24, 2022

सक्युलरिज्म क्या है? संक्षेप में समझिये, फिर सेक्युलरिज्म का नशा उतर जाएगा !

15 जुलाई 2021

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अमेरिका के NASA में एक प्रशिक्षु बेटी ने चित्र सार्वजनिक किया जिसमें वह अपनी मान्यताओं के साथ है. उससे सेक्युलरों की भावनाएँ आहत हो गईं।



सक्षेप में सेक्युलरिज्म क्या है?


1. दीपक जलाने का विरोध और घर दुकान जलाने पर चुप्पी।


2. निर्दोष साधुओं के भीड़ द्वारा बेरहमी से मारने पर 33 सेकंड और चोर तबरेज के पुलिस कस्टडी में मरने पर 33 घण्टे चैनल कवरेज।


3. थाली बजाना गलत, पर डॉक्टर और पुलिस के सिर पर पत्थर बजाने पर चुप.


4. बंगाल और राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी. नक्सलियों और आतंकवादियों द्वारा रक्षकों को मार देने पर चुप्पी. केरल में 3% जनसंख्या और 33% कोरोना रोगियों पर चुप्पी. परन्तु उत्तरप्रदेश पर शोर. 


5. लव जेहाद में बेटियों के मारे जाने पर चुप्पी परन्तु कानून बनाने पर शोर.  


कछ साल पहले उत्तरप्रदेश के एक हिन्दू विधायक की नवयुवती बेटी ने अपने से दोगुनी उम्र के दलित के साथ विवाह किया. इस विवाह के लिए उसने अपने पिता को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया. चैनलवाले बेटी की भावनाएँ ही दिखा रहे थे. मेरा प्रश्न है कि क्या भावनाएँ केवल बेटी की हैं जो 18 साल की हो गई? क्या 40 साल की माँ और 45 साल के पिता की भावनाएँ नहीं होतीं?


मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी उसकी सन्तान है। एक महीने का बच्चा बीमार हो जाए तो वह सब कुछ लुटा देता है। वही सन्तान जब बड़ी होकर विपरीत हो जाए तो उससे बड़ा दुःख कुछ नहीं होता। कई वृद्धों को देखा जिनकी सन्तान वृद्धावस्था में झटककर अलग हो गई। पैसा है परन्तु जीवन का एक एक पल भारी लगता है। चैनल वाले TRP के चक्कर में देश और समाज में कांटे बो रहे हैं। 


कई साल पहले कई सेक्युलर मित्रों ने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों में वर्षों से भाईचारा है। कभी कभी गलतफहमी हो जाती है। भटके हुए युवा गुस्से में बम विस्फोट भी कर देते हैं या आग लगा देते हैं. उसे तुम्हारे जैसे साम्प्रदायिक दंगे का नाम देते हैं।


दसरों ने बताया कि औरंगजेब ने किसी की मजहब में दखलअंदाजी नहीं की। किसान नायक गोकुला जाट का झगड़ा तो केवल लगान का था।


एक भाई को गुस्सा था कि राज्य में उनकी जाति 25% है परन्तु मुख्यमंत्री और प्रधानमन्त्री उनकी जाति का नहीं है. जब मैंने पूछा कि तुगलक, खिलजी, ऐबक, अकबर, औरंगजेब किस जाति के थे. ब्रिटिश वायसराय किस जाति के थे तो गुस्से से बेकाबू हो गया.  


एक भाई ने कहा कि गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर के बलिदान की बात पुरानी हो चुकी है। आज हम पढे लिखे हैं। इन बातों को भूल कर सेक्युलरिज़्म को आगे बढ़ाना चाहिए।


एक ने बताया कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35A के कारण 2 लाख से अधिक वाल्मीकि पिछले 66 साल से वोट नहीं दे सकते तो इसके लिए हरियाणा या दिल्ली में शोर नहीं करना चाहिए।


याद है ना आपको जब अमेरिका ने पाकिस्तान में घर में घुसकर आतंकी ओसामा बिन लादेन का खात्मा कर दिया था और उसको गहरे समंदर में पानी में फेंक दिया था, तो इस देश के एक बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था,

"ओसामाजी को इस्लामिक परंपराओं के अनुरूप दफनाया जाना चाहिए था." विदेशी आतंकी, इस्लामिक जेहादी के लिए  इतनी सहानुभूति और उत्तराखंड केदारनाथ आपदा में मारे गए तीर्थयात्रियों को उस समय की सरकार कचरे की तरह फूंक रही थी, उन्हें मलबे में सड़ने के लिए छोड़ दिया था, उनके शवों पर पेट्रोल डाल कर उन्हें जलाया जा रहा था. तब किसी सेक्युलर को समस्या नहीं थी. यही है सेक्युलरिज्म।


बगलुरु के दंगे का पता चला और मैंने इसमें भीम-मीम भाईचारा खोजने की कोशिश की। भाईचारा मिल भी गया. 

पूर्वी बेंगलुरु के पुल्केशी नगर के दलित कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर की ओर 1000 से भी अधिक की अल्पसंख्यक भीड़ ने हमलाकर आगजनी, पत्थरबाजी और दंगे किए, जिसके बाद इलाक़े में कर्फ्यू लगा दिया गया। केजी हल्ली थाना क्षेत्र में हुई इस घटना के मामले में ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)’ के नेता मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार किया गया। बताया जा रहा है कि वो इन दंगों का मास्टरमाइंड था। पुलिस को पता चला है कि पाशा दंगाइयों के बीच रुपए बाँट रहा था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई। सीसीटीवी फुटेज से ये भी पता चला है कि पुलिस पर किए गए हमले की साजिश पहले ही अच्छी तरह से रच ली गई थी। सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए पहले ही दंगाइयों को पूरी साजिश के बारे में बता दिया गया था और वो व्यवस्थित तरीके से वहाँ आए थे। पाशा ने BBMP का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वो हार गया था।

वहीं एक अन्य आरोपित खलील स्थानीय कॉर्पोरेटर का पति है। दलित विधायक के भानजे के सिर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व सपा नेता शहजेब ने 51 लाख रूपए इनाम रख दिया।


कया आपको टीना डाबी याद है?

2016 बैच की IAS प्रथम। 2018ें उसने दूसरे स्थान पर आए कश्मीरी अतहर आमिर-उल-शफी खान से निकाह/ शादी/ Marriage की। तब लिबरल जेहादी अम्बडेकरवादी और सेक्युलर लॉबी की ईद और क्रिसमस एक साथ हो गई थी। यहाँ सब इसे बहुत बड़ी घटना बता रहे थे।

सितंबर 2018 में अतहर खान से शादी के बाद टीना ने Instagram पर बायो में खान शब्द जोड़ते हुए खुद को Delhiite, Kashmiri Bahu, IAS, in that order लिखा (अपना परिचय कश्मीरी बहू और नाम टीना डाबी खान लिखा था)

वैसे निकाह के लगभग 1 साल बाद ही अतहर आमिर-उल-शफी खान और टीना में अनबन की खबरें आने लगी थीं। जून 2019 में टीना डाबी खान ने अपने मेहंदी लगे हाथों का वीडियो अपलोड किया तो सेक्युलरों को परेशानी हुई, पर चुप रहे। अचानक फरवरी/ मार्च 2020 में इन्स्टाग्राम पर अपनी बायो में "खान" सरनेम और "कश्मीरी बहू" का टैग हटा लिया। एक इंस्टा स्टोरी में हनुमान चालीसा की चौपाई का एक हिस्सा साझा करते हुए उन्होंने जयश्री राम का नारा भी लगाया। इंस्टा स्टोरी में टीना ने लिखा, "सबसुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना। जयश्री राम।"

सेक्युलर भीम-मीम वाले इस झटके से बाहर आते उससे पहले ही उनके अरमानों पर बिजली गिर गई। 22 जुलाई को राजस्थान श्रीगंगानगर जिला परिषद में पदभार ग्रहण करते हुए पूजा की। अंबेडरवादियों के लिए 440 वॉल्ट का झटका लगा।


सक्युलरिज्म की महिमा अपरम्पार है. यह तो सेक्युलरिज्म की एक छोटी सी झलक है. 

सेक्युलरिज्म अनन्त, सेक्युलरिज्म कथा अनन्ता. हिंदुओं अपनी आँखों से सेक्युलरिज्म की पट्टी हटाओ तब बच पाओगे।


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अंडे खाते हैं तो हो जाइए सावधान, हो सकती हैं ये भयंकर बीमारियां

14 जुलाई 2021

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भारतीय संस्कृति और भारतीयों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने का यह एक विराट षड्यंत्र है । अंडे के भ्रामक प्रचार के कारण ऐसे परिवार जो अंडे का छिलका तक देखना पसंद नहीं करते थे, आज बेझिझक अंडा खाते हैं । अंडे का प्रचार करके उसे जितना फायदेमंद बताया जाता है वह अपने अवगुणों के कारण उतना ही नुकसानप्रद होता है, अंडे में कई विषैले तत्व भी होते हैं, जो आपके स्वस्थ शरीर में जहर घोलने का काम करते हैं ।



अंडा शाकाहारी नहीं होता है, लेकिन क्रूर व्यावसायिकता के कारण एवं ऊलजलूल तर्क देकर उसे शाकाहारी सिद्ध किया जा रहा है । मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पक्के तौर पर साबित कर दिया है कि दुनिया में कोई भी अंडा चाहे वह सेया हुआ हो या बिना सेया हुआ हो, निर्जीव नहीं होता । अफलित अंडे की सतह पर प्राप्त ‘इलेक्ट्रिक एक्टिविटी’ कोपोलीग्राफ पर अंकित कर वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि अफलित अंडा भी सजीव होता है । अंडा शाकाहार नहीं, बल्कि मुर्गी का वैनिक (रज) स्राव है ।


यह सरासर गलत व झूठ है कि अंडे में प्रोटीन, खनिज, विटामिन और शरीर के लिए जरूरी सभी एमिनो एसिड्स भरपूर हैं और बीमारों के लिए पचने में आसान है । अब आप कहेंगे कि डॉक्टर्स भी तो अंडा खाने की सलाह देते हैं, तो यहां एक ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि भारत में पढ़ी जाने वाली चिकित्सा की पढ़ाई MBBS यूरोप से ली गयी है और यूरोप एक ऐसा देश है जहाँ हरी सब्जियों की तुलना में मांस एवं अंडे अधिक पाए जाते हैं ।


अब आप ही बताइये एक ऐसा देश जहाँ प्रोटीन का कोई और स्रोत न हो वहाँ तो किताबों में अंडे और मांस को ही एकमात्र स्त्रोत माना ही जाएगा, लेकिन भारत में तो भरपूर मात्रा में हरी सब्जियां उपलब्ध है ।


शरीर की रचना और स्नायुओं के निर्माण के लिए जितने प्रोटीन की जरूरत होती है । उसकी रोजाना आवश्यकता प्रति किलोग्राम वजन पर 1 ग्राम होती है यानी 60 किलोग्राम वजन वाले व्यक्ति को प्रतिदिन 60 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है जो 100 ग्राम अंडे में से मात्र 13.3 ग्राम ही मिलता है ।इसकी तुलना में प्रति 100 ग्राम सोयाबीन से 43.2 ग्राम, मूँगफली से 31.5 ग्राम, मूँग और उड़द से 24, 24 ग्राम तथा मसूर से 25.1 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता है । शाकाहार में अंडे व मांसाहार से  कहीं  अधिक  प्रोटीन होता  है  इस  बात  को अनेक  पाश्चात्य  वैज्ञानिकों  ने प्रमाणित किया है ।


कलीफोर्निया के डियरपार्क में ‘सेंटहेलेना’ अस्पताल के ‘लाईफ एण्डस्टाइल एण्डन्यूट्रिशनप्रोग्राम’ के निर्देशक डॉ. जोन ए. मेक्डूगलकादावा है कि शाकाहार में जरूरत से भी ज्यादा प्रोटीन है ।


1972 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ही डॉ. एफ. स्टेर ने प्रोटीन के बारे में अध्ययन करतेहुए प्रतिपादित किया कि शाकाहारी मनुष्यों में से अधिकांशको हर रोज की जरूरत से दुगना प्रोटीन अपने आहार से मिल जाता है । 200 अंडे खाने से जितना विटामिन ‘सी’ मिलता है उतना विटामिन ‘सी’ एक नारंगी (संतरा) खाने से मिल जाता है । जितना प्रोटीन तथा कैल्शियम अंडे में है उसकी अपेक्षा चने, मूँग, मटर में ज्यादा है ।


बरिटिश हेल्थ मिनिस्टर मिसेज एडवीनाक्यूरी ने चेतावनी दी कि अंडों से मौत संभावित है क्योंकि अंडों में सालमोनेला विष होता है जो स्वास्थ्य की हानि करता है । अंडों से हार्ट अटैक की बीमारी होने की चेतावनी नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन डॉ. ब्राऊन व डॉ. गोल्डस्टीन ने दी है क्योंकि अंडों में कोलेस्ट्राल भी बहुत पाया जाता है । साथ ही अंडे से पेट के कई रोग होते हैं ।


डॉ. पी.सी.सेन, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतसरकार ने भी चेतावनीदी है कि अंडों से कैंसर होता है क्योंकि अंडों में भोजन तंतु नहीं पाये जाते हैं तथा इनमें डी.डी.टी. विष पाया जाता है ।


जानलेवा रोगों की जड़ है : अंडा


अंडे व दूसरे मांसाहारी खुराक में अत्यंत जरूरी रेशातत्त्व (फाईबर्स) जरा-भी नहीं होते हैं । जबकि हरीसाग-सब्जी, गेहूँ, बाजरा, मकई, जौ, मूँग, चना, मटर, तिल, सोयाबीन, मूँगफली वगैरह में ये काफी मात्रा में होते हैं । अमेरिका के डॉ. राबर्ट ग्रास की मान्यता के अनुसार अंडे से टी.बी. और पेचिश की बीमारी भी हो जाती है । इसी तरह डॉ. जे.एम. विनकीन्स कहते हैं कि अंडे से अल्सर होता है ।


मर्गी के अंडों का उत्पादन बढ़े इसके लिए उसे जो हार्मोन्स दिये जाते हैं उनमें स्टील बेस्टेरोलनामक दवा महत्त्वपूर्ण है । इसदवावाली मुर्गी के अंडे खाने से स्त्रियों को स्तनका कैंसर, हाई ब्लडप्रेशर, पीलिया जैसे रोग होने की सम्भावना रहती है । यह दवापुरुष के पौरुषत्व को एक निश्चित अंश में नष्ट करती है ।


वज्ञानिक ग्रास के निष्कर्ष के अनुसार अंडे से खुजली जैसे त्वचा के लाइलाजरोग और लकवा होने की भी संभावना होती है ।


अडे के अवगुण का इतना सारा पढ़ने के बाद बुद्धिमानोें को उचित है कि स्वयं भी इस विष का सेवन न करें एवं जो इसके नुकसान से वाकिफ नहीं हैं उन्हें इस विष के सेवन से बचाने का प्रयत्न करें । उन्हें भ्रामक प्रचार से बचायें ।


सतुलित शाकाहारी भोजन लेने वाले को अंडा या अन्य मांसाहारी आहार लेने की कोई जरूरत नहीं है ।शाकाहारी भोजनसस्ता, पचने में आसान और आरोग्य की दृष्टि से दोषरहित होता है । कुछ दशक पहले जब भोजन में अंडे का कोई स्थान नहीं था, तब भी हमारे बुजुर्ग तंदुरुस्त रहकर लम्बी उम्र तक जीते थे । अतः अंडे के उत्पादकों और भ्रामक प्रचार की चपेट में न आकर हमें उक्त तथ्यों को ध्यान में रख कर ही अपनी इस शाकाहारी आहार संस्कृति की रक्षा करनी होगी ।


आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः ।


1971 में ‘जामा’ पत्रिका में एक खबर छपी थी । उसमें कहा गया था कि ‘शाकाहारी भोजन 60 से 67 प्रतिशत तक हृदयरोग को रोक सकता है ।उसका कारण यह है कि अंडे और दूसरे मांसाहारी भोजन में चर्बी (कोलेस्ट्राल) की मात्रा बहुत ज्यादा होती है ।’

केलिफोर्निया की डॉ. केथरिन निम्मो ने अपनी पुस्तक ‘हाऊ हेल्दीयरआर एग्ज’ में भी अंडे के दुष्प्रभाव का वर्णन किया है ।


वज्ञानिकों की इन रिपोर्टों से सिद्ध होता है कि अंडे के द्वारा हम जहर का ही सेवन कर रहे हैं । अतः हमें अपने-आपको स्वस्थ रखने व फैल रही जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए ऐसेआहार से दूर रहने का संकल्प करना चाहिए व दूसरों को भी इससे बचाना चाहिए ।


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हिंदू ग्रंथ महान हैं, पढ़ने से मिलती है शांति : अमेरिका की स्वर्ण पदक विजेता मिसी

13 जुलाई 2021

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हिंदू धर्म सनातन धर्म है जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ है तबसे यह धर्म चला आ रहा है, बाकी ईसाई धर्म 2021 और मुस्लिम धर्म करीब 1500 साल पुराना है। बड़ी बात तो ये है कि ईसाई धर्म की स्थापना यीशु ने तथा मुस्लिम धर्म की स्थापना मोहम्मद पैंगबर ने की, लेकिन हिन्दू धर्म की स्थापना किसी ने नहीं की अनादि काल से चली आ रही है और हिन्दू धर्म में ही भगवान व ऋषि-मुनियों के अवतार हुए हैं किसी अन्य धर्म में नहीं हुए हैं। जब-जब अधर्म बढ़ जाता है तब समाज को मार्गदर्शन देने के लिए स्वयं भगवान ही धरा पर अवतार लेते हैं।



सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझकर विदेशी लोग भी हिंदू धर्म के अनुसार आचरण करने लगे हैं।


हिन्दू धर्म की महानता भले ही भारतीय या हिन्दू न समझें परंतु ऐसे कई विदेशी लोग हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म की महानता को न केवल समझा अपितु अनुभव भी किया है।


बता दें कि लंदन ओलंपिक में पांच स्वर्ण पदक जीतने वालीं करिश्माई तैराक मिसी फ्रेंकलिन ने कहा कि "उन्हें हिन्दू ग्रंथों को पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है।" अमेरिका की 23 वर्षीय तैराक ने पिछले वर्ष दिसंबर में संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। कंधे के दर्द से परेशान इस तैराक ने संन्यास के बाद मनोरंजन के लिए योग करना शुरू किया।


हिन्दू धर्म के बारे में जानने के बाद उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ। वह जार्जिया विश्वविद्यालय में धर्म में पढ़ाई कर रही हैं। फ्रेंकलिन ने लॉरेस विश्व खेल पुरस्कार से इतर कहा कि "मैं पिछले एक साल से धर्म की पढ़ाई कर रही हूं। यह काफी आकर्षक और आंखें खोलने वाला है। मुझे विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और उनकी धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ना पसंद है। मेरा अपना धर्म ईसाई है लेकिन मेरी दिलचस्पी हिन्दू धर्म में ज्यादा है।"


य ऐसा धर्म हैं जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था, लेकिन उसके बारे में पढ़ने के बाद लगा कि ये शानदार है। तैराकी में सफल फ्रेंकलिन पढ़ाई में भी काफी अच्छी हैं। वह हिन्दू धर्म के बारे में काफी कुछ जानती हैं । वह रामायण और महाभारत की ओर आकर्षित हैं और अपरिचित नामों के बाद भी दोनों महाग्रंथों को पढ़ रही हैं।


उन्होंने कहा कि मुझे उसके मिथक और कहानियां अविश्वसनीय लगती हैं । उनके भगवान के बारे में जानना भी शानदार है । महाभारत और रामायण पढ़ने का अनुभव कमाल का है। महाभारत में परिवारों के नाम से मैं भ्रमित हो जाती हूं, लेकिन रामायण में राम और सीता के बारे में जो पढ़ा वह मुझे याद है ।

स्त्रोत : अमर उजाला


पहले भी कई विदेशी विद्वान और अन्य हस्तियां हिन्दू धर्म को महान बता चुके हैं और बाद में हिन्दू धर्म भी अपना लिया है।


हिन्दुत्व एक व्यवस्था है मानव से महामानव और महामानव से महेश्वर बनाने की । यह द्विपादपशु सदृश उच्छृंखल व्यक्ति को देवता बनाने वाली एक महान परम्परा है । 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का उद्घोष केवल इसी संस्कृति के द्वारा किया गया है..


विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता भारत में ही मिली है । संसार का सबसे पुराना इतिहास भी यहीं पर उपलब्ध है । हमारे ऋषियों ने उच्छृंखल यूरोपियों के जंगली पूर्वजों को मनुष्यत्व एवं सामाजिक परिवेश प्रदान किया, इस बात के लाखों ऐतिहासिक प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।


यनान के प्राचीन इतिहास का दावा है कि भारतवासी वहाँ जाकर बसे तथा वहाँ उन्होंने विद्या का खूब प्रचार किया । यूनान के विश्वप्रसिद्ध दर्शनशास्त्र का मूल भारतीय वेदान्त दर्शन ही हैं।


समुअल जानसन के अनुसारः 'हिन्दू लोग धार्मिक, प्रसन्नचित्त, न्यायप्रिय, सत्यभाषी, दयालु, कृतज्ञ, ईश्वरभक्त तथा भावनाशील होते हैं । ये विशेषताएँ उन्हें सांस्कृतिक विरासत के रूप में मिली हैं।


हिंदू संस्कृति के प्रति विश्वभर के महान विद्वानों की अगाध श्रद्धा अकारण नहीं हो सकती। इस संस्कृति की उस आदर्श आचार संहिता ने समस्त वसुधा को आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।


🚩विद्वान अल्दू हक्सले बताया है कि "हिन्दुत्व सदा बहने वाला (बारहमासी) दर्शन है जो कि सभी धर्मों का केन्द्र है।"


डॉ. एनी बेसेन्ट ने कहा है कि मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है।


जो इस महान हिन्दू धर्म को नहीं समझ पाया वे मनुष्य कहलाने के लायक भी नहीं है । हिन्दू धर्म ही वास्तव में मनुष्य से महेश्वर तक पहुँचा सकती है, जीव से शिव बना सकती है । अतः इसकी महिमा समझें पालन करें, प्रचार करें और रक्षण करें।


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कम्युनिस्टों का केरल मॉडल: लव जिहाद, चर्च में शोषण, महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक

12 जुलाई 2021

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दश में वामपंथियों का बचा एकमात्र गढ़ केरल, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते खतरे को लेकर चर्चा में है। ट्विटर पर #JusticeforKeralagirls ट्रेंड कर रहा है। लोग एक 6 साल की बच्ची के साथ हुई बर्बरता से आहत हैं और वे अपनी बच्चियों को, घर की महिलाओं को वामपंथ के घोले जहर और इस्लामी कट्टरता से बचाना चाहते हैं।



पिछले दिनों वेंदीपेरियार में एक 6 साल की मासूम की रेप के बाद हत्या कर दी गई। मामला खुला तो वर्तमान विधायक उसकी पोस्टमॉर्टम का विरोध करने लगे। तमाम अवरोध के बाद जब जाँच आगे बढ़ी तो पता चला घिनौने काम को अंजाम देनेवाला कोई और नहीं, बल्कि माकपा का ही कार्यकर्ता था जिसने बच्ची का शोषण किया और बाद में उसे नारकीय प्रताड़ना देते हुए मारा। आज उसी बच्ची के साथ हुई निर्ममता का गुस्सा था कि ग्रामीणों ने पुलिस से भिड़कर आरोपित को पीटा।


यह हालिया घटना केवल एक मामला नहीं है जिसके आधार पर लोग वामपंथ के केरल मॉडल को कोस रहे हैं। इंटरनेट पर यदि सर्च करने जाएँ तो ऐसे तमाम मामले हैं जिनसे स्पष्ट है कि राज्य में महिलाएँ कई तरह के खतरों से जूझ रही हैं। केरल पुलिस की आधिकारिक साईट के अनुसार मई 2021 तक राज्य में 886 रेप के मामले, 1437 मोलेस्टेशन के केस, किडनैपिंग के 75, छेड़छाड़ के 149, घरेलू हिंसा के 1159, और अन्य अपराधों की सूची में 1502 मामले दर्ज हुए थे। कुल मिलाकर केवल 2021 के शुरुआती 5 महीनों में दर्ज हुए अपराधों की संख्या 5208 है। पिछले साल केरल में महिलाओं के ख़़िलाफ़ हुए अपराधों के 12,659 मामले प्रकाश में आए थे।


भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है, “सीपीआईएम के केरल मॉडल ने महिलाओं और लड़कियों के लिए राज्य को असुरक्षित कर दिया है। संख्या आप को चौंका देगी।” उनके अनुसार वामपंथ के केरल मॉडल में दलित महिलाओं को निशाना बनाना आसान है।


बता दें कि 6 वर्ष की बच्ची के साथ हुआ दुष्कर्म पहला ऐसा मामला नहीं है जहाँ माकपा के कार्यकर्ता आरोपित मिले हों। अभी पिछले महीने ही केरल के कोझीकोड जिले में पुलिस ने सीपीएम के दो नेताओं के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। आरोप लगानेवाली महिला पार्टी की ब्रांच कमिटी मेंबर थी। इस मामले में पहले आरोपित की पहचान पुलुल्ला परमबथ बाबुराज, सीपीएम मुल्लियेरी ब्रांच के सचिव के तौर पर हुई थी, जबकि दूसरा आरोपित टीपी लिजीश पार्टी के यूथ विंग डीवाईएफआई (DYFI) का पथियाराक्कारा क्षेत्र का सचिव था। 

इसके अलावा साल 2019 में सत्तारूढ़ मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा/CPM) नेता कोदियेरी बालाकृष्णन के बड़े बेटे बिनॉय कोदियेरी के खिलाफ मुंबई की एक महिला ने बलात्कार का मामला दर्ज किया था। इसी तरह उसी साल एक 20 साल की लड़की ने बताया था कि केरल के पलक्कड़ जिले में माकपा के क्षेत्रीय समिति कार्यालय में उसके साथ बलात्कार किया गया था।


केरल से रिपोर्ट होनेवाले ऐसे रेप, शोषण और अत्याचार के मामलों की सूची बहुत लंबी है। सिर्फ सीपीएम सदस्य ही नहीं बल्कि केरल से चर्च में महिलाओं के साथ शोषण के मामले लगातार आते रहे हैं। लव जिहाद की घटनाएं भी धड़ल्ले से हो रही हैं। केरल के पूर्व कॉन्ग्रेसी नेता पीसी जॉर्ज का दावा है कि अकेले उनके निर्वाचन क्षेत्र में 47 लड़कियाँ लव जिहाद की शिकार हुईं थीं। वलसाड जिले के भाजपा उपाध्यक्ष विवेक राय का कहना है कि केरल में 5 माह में 1513 रेप की घटनाएँ हुई हैं और 15 बच्चों ने अपनी जान गँवाई है।

https://twitter.com/OpIndia_in/status/1414519371926491136?s=19


दनियाभर में कम्युनिस्ट राज-सत्ताएं तानाशाही, असहिष्णुता और हिंसा का पर्याय रही हैं। पर भारतीय वामपंथी आज भी उसी व्यवस्था के लिए आहें भरते हैं, जिसने रूस, चीन, पूर्वी यूरोप के अनेक देशों को तबाह किया। साथ ही, हर कहीं आर्थिक जर्जरता भी लाई। उन्हीं नीतियों की नकल में यहां भी नेहरूवादी-वामपंथी नीतियों ने अर्थव्यवस्था, राज्यतंत्र और शिक्षा को बेहिसाब नुकसान पहुंचाया है। यह अब भी जारी है। भारत को भी सबसे ज्यादा खतरा इन वामपंथियों से है, सभी देशवासी इनसे सावधान रहें।


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अमेरिकी लैब : आयोडीन नमक से कैंसर होता है ! सेंधा नमक के है अद्भुत फायदे

11 जुलाई 2021

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भारत में 1930 से पहले कोई भी व्यक्ति समुद्री नमक नहीं खाता था सिर्फ सेंधा नमक ही खाते थे, लेकिन विदेशी कंपनियां अपने फायदे के लिए भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई है। उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी शासन द्वारा भारत की भोली जनता को आयोडीन मिलाकर समुद्री नमक खिलाना शुरू किया ।



विदेशी कंपनियों को नमक बेचकर बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 1 से 2 रूपये किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 10 रूपये प्रति किलो और आज तो 20-30 रूपये को भी पार कर गया है।


सत्रों के अनुसार दुनिया के 56 देशों ने आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बेन कर दिया है। डेन्मार्क की सरकार ने तो 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया। उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक लोगो को खिलाया !(1940 से 1956 तक ) पर अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब भारत देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो देश के स्वार्थी नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । पर कुछ समय पूर्व कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।


अमेरिकी लैब का खुलासा-


भारत में बिकने वाले ‘आयोडीन नमक’ पर अमेरिका स्थित एक लैब ने चौंकाने वाला खुलासा किया है । लैब ने अपनी जांच में पाया है कि भारत में बिकने वाले टॉप ब्रैंड्स के आयोडीन नमक में कार्सिनोजेनिक घटक मौजूद है । अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया।


रिपोर्ट में सांभर रिफाइंड नमक, टाटा नमक, टाटा नमक लाइट जैसे उत्पादों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है । गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स के चेयरमैन शिव शंकर गुप्ता ने इस रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए नमक बनाने वाली कंपनियों और सरकार को आड़े हाथों लिया है । उन्होंने कहा ‘भारत में बिक रहे आयोडीन नमक में पोटैशियम फेरोसायनाइड भारी मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसर का एक मुख्य कारण है।’


सेंधा नमक की उतप्ति-


एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ हैं, सुरंगे हैं । वहाँ से ये नमक आता है । ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यह नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिन्धु नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के कोहाट ज़िले से आया करता था जो अब पाकिस्तान में हैं । पश्चिमोत्तरी पंजाब में नमक कोह (यानि नमक पर्वत) नाम की मशहूर पहाड़ी श्रृंखला है जहाँ से यह नमक मिलता है । आजकल पीसा हुआ भी नमक मिलने लगा है ।


सेंधा नमक के फ़ायदे-


सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय (alkaline) है । क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल(उदासीन) हो जाता है और रक्त से अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।


य नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते हैं तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??


सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है । सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।


यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।


समुद्री नमक के भयंकर नुकसान-


ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है क्योंकि इसमें पहले से ही आयोडीन होता है । अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमें कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डालकर पूरे देश को बेच रही हैं । जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियों का प्रवेश हमारे शरीर में हो रहा है । ये नमक मानव द्वारा फैक्ट्रीयों में निर्मित है।


आम तौर में उपयोग में लाये जाने वाले समुद्री नमक उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनते हैं । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ़ने से ये सब 48 रोग आते हैं । ये नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता, हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंततः किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।


य नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते हैं लेकिन बीमारियां निश्चित रूप से साथ मे मिल जाती हैं !


रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नहीं है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लॉकेज होने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गंठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक के कारण पानी की जरुरत ज्यादा होती है । 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है । यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।


पराचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।


आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है । बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। आयोडीन लद्दाख को छोड़ कर भारत के सभी स्थानों के जल में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है । अतः स्वास्थ्य के लिए आज से सेंधा नमक खाना शुरू करें।


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पादरी को ही आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू, अब सनातन का प्रचार कर रहे हैं...

पादरी को ही आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू, अब सनातन का प्रचार कर रहे हैं...

https://youtu.be/grA34VRIIt4


10 जुलाई 2021

azaadbharat.org


जहाँ जहाँ ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करवा रही थीं, खास करके आदिवासी क्षेत्रों में वहाँ-वहाँ हिंदू संत आशाराम बापू ने जाकर लोगों को सनातन हिंदू धर्म की महिमा समझाई, उनको मकान, जीवन जरूरियात सामग्री, नकद राशि देना शुरू कर दिया और ईसाई मिशनरियों के षड़यंत्र से अवगत करवाया जिसके कारण लाखों हिंदुओं ने घरवापसी की और जो धर्मपरिवर्तन करनेवाले थे वे रुक गए। करोड़ों अरबों रुपये लगाकर ईसाई मिशनरियों के NGO's कार्य कर रहे थे उनके पैसे बर्बाद होने लगे क्योंकि आदिवासी समाज अपने हिंदू धर्म की महिमा समझ चुके थे इसलिए वे धर्मपरिवर्तन नहीं कर रहे थे। यहाँ तक कि धर्मपरिवर्तन करानेवाले पादरी ने भी आशारामजी बापू से हिंदू धर्म की महिमा सुनकर हिंदू धर्म अपना लिया।

https://youtu.be/zn2M6lJHTSU

https://youtu.be/4UxPuzV50Vg



ऐसे ही एक इंडोनेशिया के पादरी रॉबर्ट सोलोमन थे। वो चर्च के अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत धर्मपरिवर्तन करवाने का कार्य कर रहे थे लेकिन उन्होंने झारखंड में बापू आशारामजी का प्रवचन सुना और बाद में उन्होंने हिंदू धर्म का अध्ययन किया फिर उनको हिंदू धर्म की महिमा समझ में आई और उन्होंने बापू आशारामजी के कार्यक्रम में जाकर हिंदू धर्म अपना लिया और पादरी रॉबर्ट सोलोमन से बन गए डॉ. सुमन कुमार और आज वे खुद धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण देने को भी तैयार हुए हैं।

https://youtu.be/grA34VRIIt4


डॉ. सुमन ने क्या कहा अपने वक्तव्य में?


डॉ सुमन कुमार ने कहा कि मेरा पूर्व नाम रॉबर्ट सोलोमन था, वर्तमान नाम सुमन कुमार है। मैं मूल रूप से इंडोनेशिया (जकार्ता) का रहनेवाला था। पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से करने के बाद 1987 तक चर्च के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मैं काम कर रहा था। देश एवं विदेशों में मिशनरीज के कार्य में संलग्न था। भारतीय परंपरा, भारतीय दर्शन को ना मैं जानता था, ना मैं मानता था और ना ही सनातनी परंपरा को देखने-समझने का अवसर प्राप्त हुआ था। जाने अनजाने में जो हमसे बहुत बड़ी भूल हुई थी उस भूल को सुधारने के लिए पूजनीय बापूजी के श्री चरणों में आकर प्रायश्चित स्वरूप मैं सोलोमन से सुमन कुमार बनके हिंदू हित, हिंदू समाज, हिंदू दर्शन और हिंदू चिंतन को स्वीकार कर रहा हूं।


दशभक्ति ली लहर दौड़ रही है सुमन कुमार के भीतर


सुमन कुमार ने आह्वान किया- 

ओ भारत के वीर जवानों, मां का कर्ज चुका देना।

कटे-फटे इस मानचित्र को, अब भी ठीक बना देना।

पटना साहब से मिलने, ननकाना बेचैन खड़ा।

और अब के तिरंगा घुसकर, रावलपिंडी में फहरा देना।

अटक कटक से सिंधु नदी, सब कुछ हमको प्यारा है।

कश्मीर मत मांगो, पाकिस्तान हमारा है।

कोई चलता पद चिन्हों पर, कोई पद चिन्ह बनाता है।

है वही सूरमा इस जग में, दुनिया में पूजा जाता है।

ऐसे हमारे प्रातः स्मरणीय पूजनीय आसाराम बापूजी यहां विराजमान हैं। व्यक्ति को विचारों से, आचारों से, व्यवहारों से और संस्कारों से ढालने का प्रयत्न उनके माध्यम से करोड़ों लोगों तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है।

मैं नहीं तू ही तू ही जाकर, मौन तपस्वी साधक बनकर।।

हिमगिरि जैसे चुपचाप चले।।


आज़ादी के लिए क्या कहा?


मित्रों बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।

बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।

इसे हम खोने नहीं देंगे और देश में रह रहे गद्दारों को हम चैन से जीने नहीं देंगे।

हम चैन से जीने नहीं देंगे।

भारत हमारी मां है, भारत हमारी मां है।

माता का रूप है प्यारा।

करना इसकी रक्षा, यही कर्तव्य है हमारा।


आगे कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है, प्रायश्चित स्वरूप पूजनीय आसाराम बापूजी के श्री चरणों में आने का मौका मिला। हम जानते हैं कि बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी। आज जो आजादी हम को प्राप्त हुई है उस आजादी को हमें पूरा बनाए रखना है, बचाए रखना है, बरकरार रखना है और यही संस्कार पूजनीय बापूजी हमें देते हैं। दिस इज माय होली मदर लैंड। मैं तो कहता हूँ कि यह हमारे लिए पूजनीय वंदनीय प्रातः स्मरणीय भूमि है। हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए। छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विनायक सावरकर ने यह जो मार्ग हमको दर्शाए थे आज उन्हीं मार्गों को पुनः स्मरण करने की हमें आवश्यकता है। तो मित्रों मैं तो कहूंगा व्यक्ति को विचार, आचार, संस्कार से ढालने का जो पूजनीय बापूजी ने कार्य किया है, वो पूरी हिंदू सोसायटी के लिए किया है। इन हिन्दू सोसाइटी देअर आर मेनी स्कूल ऑफ आर्ट्स बट ओनली वन स्कूल ऑफ हार्ट। पूज्य बापूजी में वह ताकत है जो पूरे समाज को, पूरे विश्व को दिशा देने के लिए है और मैं तो कहता हूं कि भारतीय परंपरा और भारतीय चिंतन अब विश्व को मार्गदर्शन देने की स्थिति में है और इसलिए सनातनी परंपरां जो सनातनी सच है उस सच को हम समझें।


डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने बयान में कई बार बताया कि मेरे को एक बार फ्लाइट में आसाराम बापू मिले। उनसे मैंने बातचीत करते समय बताया कि आप जो धर्मांतरण रोकने का कार्य पुरजोश से कर रहे हैं इससे आपके ऊपर वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे लोग सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भिजवाने की तैयारी में लगे हैं लेकिन बापू आशारामजी निश्चिंत थे। उन्होंने बोला कि भगवान जो करेगा अच्छा ही होगा। ये बात आसाराम बापू को जेल भेजने से पहले की है।

https://youtu.be/rwOJIG3YHEI


आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है जब उनका केस पढ़ते हैं तो वह पूरी तरह बोगस साबित होता है।

जिस समय आरोप लगानेवाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है वो उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी जिसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोंच तक नहीं आने की बात स्पष्ट लिखी है तथा एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं है केवल छेड़छाड़ का आरोप है।

https://www.youtube.com/playlist?list=PLukTS7SXG2Yc5ubazrsi-uwmf6giCDFyB


आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फैक्स भी आया था उसमें साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नहीं तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

https://twitter.com/SanganiUday/status/1053870700585377792?s=19


बता दें कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शूरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ों लोगो को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं।

https://youtu.be/wmswegtRqus

https://youtu.be/jZBu4ZSu-tE

https://youtu.be/LO7MWmLPz7w

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हाईकोर्ट ने भी माना कि देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है...

09 जुलाई 2021

azaadbharat.org


दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) की आवश्यकता का समर्थन किया है और केंद्र सरकार से इस मामले में जरूरी कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि आधुनिक भारतीय समाज धीरे-धीरे 'सजातीय' हो रहा है; धर्म, समुदाय और जाति की पारंपरिक बाधाएं खत्म हो रही हैं और इन बदलावों के मद्देनजर समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है।



समान नागरिक संहिता क्या है?


समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है! दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है! यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है! देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून! यानी, ये एक तरह का निष्‍पक्ष कानून होगा! जब ये कानून बन जाएगा तो हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को एक ही कानून का पालन करना होगा! यानी, मुस्लिम चार शादियां भी नहीं कर सकेंगे!


दर्भाग्यवश अधिकांश लोगों को इसकी चेतना नहीं। हालिया समय में संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 की हिंदू-विरोधी व्याख्या स्थापित कर दी गई है। कई शैक्षिक, सांस्कृतिक, सामाजिक अधिकारों पर केवल गैर-हिंदुओं यानी अल्पसंख्यकों का एकाधिकार बना दिया गया है।


सरकार हिंदू शिक्षा संस्थानों और मंदिरों पर मनचाहा हस्तक्षेप करती है और अपनी शर्तें लादती है। वह ऐसा गैर-हिंदू संस्थाओं पर नहीं करती। इसी तरह अल्पसंख्यकों को संवैधानिक उपचार पाने का दोहरा अधिकार है, जो हिंदुओं को नहीं है। हिंदू केवल नागरिक रूप में न्यायालय से कुछ मांग सकते हैं, जबकि अन्य, नागरिक और अल्पसंख्यक, दोनों रूपों में संवैधानिक अधिकार रखते हैं। ऐसा अंधेर दुनिया के किसी लोकतंत्र में नहीं कि अल्पसंख्यक को ऐसे विशेषाधिकार हों जो बहुसंख्यक को न मिलें। यह हमारे संविधान निर्माताओं की कल्पना न थी।


1970 के आसपास कांग्रेस-कम्युनिस्ट दुरभिसंधि और हिंदू संगठनों के निद्रामग्न होने से संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 को मनमाना अर्थ दिया जाने लगा। संविधान की उद्देशिका में जबरन "सेक्युलर" शब्द जोड़ने से लेकर दिनों-दिन विविध अल्पसंख्यक संस्थान, आयोग, मंत्रालय आदि बना-बना कर अधिकाधिक सरकारी संसाधन मोड़ने जैसे अन्यायपूर्ण कार्य होते गए। विडंबना यह कि इनमें कुछ कार्य स्वयं हिंदूवादी कहलानेवाले नेताओं ने किए। वे केवल सत्ता कार्यालय, भवन, कुर्सी आदि की चाह में रहे।


हिंदुओं को दूसरों के समान संवैधानिक अधिकार दिलाने की लड़ाई जरूरी है। इसमें दूसरे का कुछ नहीं छिनेगा। केवल हिंदुओं को भी वह मिलेगा, जो मुसलमानों, ईसाइयों को हासिल है। "संविधान दिवस" मनाने की अपील तो ठीक है, लेकिन यह समझा जाना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 को देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू करना आवश्यक है। यह न केवल संविधान की मूल भावना के अनुरूप, बल्कि सहज न्याय है। हिंदुओं के हित की कुंजी अन्य धर्मावलंबियों जैसे समान अधिकार में है। स्वतंत्र भारत में हिंदू समाज का मान-सम्मान, क्षेत्र संकुचित होता गया है और यह प्रक्रिया चालू है।


भारत देश में मुस्लिमों के लिए अलग कानून है, हिन्दुओं के लिए अलग, ईसाईयों के लिए अलग कानून है। फिर देश में शांति और समन्वय कैसे कायम रह सकता है, जब अलग-अलग धर्म के लोग अपने अधिकारों में अंतर पाएंगे? ये तो देश की एकता के लिए भी खतरा है।


उदाहरण के लिए, मुस्लिम एक समय में 4 शादी कर सकता है पर दूसरे धर्मों के लोग केवल एक, ऐसा क्यों? मेहर कानूनी रूप से वैध है, दहेज कानूनी रूप से अवैध है, ईसाइयों में Gift के नाम पर सब चलता है, ऐसा क्यों? ये सभी कानूनन अवैध क्यों नहीं? हिन्दू मंदिरों की सम्पत्ति सरकार कानून बनाकर ले लेती है पर दूसरे धर्मों के स्थलों पर सरकार अपना हक कभी पेश नहीं करती। दूसरे धर्मवाले मदरसों, कॉन्वेंट स्कूलों में अपने धर्म की शिक्षा दे सकते है पर हिन्दू अपनी स्कूलों में अपने धर्म की शिक्षा नहीं दे सकते, ऐसा क्यों?


यही कारण है कि देश में लोगों के बीच भेदभाव बढ़ रहा है, लोगों में असंतोष बढ़ रहा है जो लोकतंत्र में किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं।


सबसे ज्यादा अन्याय अगर इस भिन्नता के कारण किसी के साथ हो रहा है तो वो है हिंदुओं के साथ। अल्पसंख्यक लोगों को धर्म के नाम पर विशेष छूट दी जाती है, लेकिन हिंदुओं के साथ सदैव अन्याय होता है। अगर हिन्दू अपनी धर्म के प्रति निष्ठा जाहिर करे तो उसे कट्टरता का नाम देते हैं, जबकि दूसरे धर्मवालों को धर्मनिष्ठ कहते हैं। यदि दो गुटों के बीच बहस हो रही हो तो सदैव हिन्दू को दोषी ठहराया जाता है। यहीं से आप समझ सकते हैं कि कानून में भिन्नता के कारण भी हिंदुओं केथ कितना अन्याय हो रहा है।


जब चीन में Uniform Civil Code लागू हो सकता है तो भारत मे क्यों नहीं ? भारत में Uniform Civil Code को मौलिक अधिकार बनाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने और उचित कानून बनाने की आवश्यकता है।


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