अक्टूबर 7,2017
आय से अधिक संपत्ति के मामले में अदालत का फैसला आने में 19 साल का वक्त लगा, 19 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने वी .के. शशिकला को दोषी करार दिया और चार साल की सजा सुनाई है ।
कर्नाटक जेल में बंद शशिकला को अपने बीमार पति से मिलने के लिए शुक्रवार को पांच दिन का पैरोल मिल गया है।
पर जनता सवाल कर रही है कि ओडिसा के ओझर जेल में दारा सिंह(बजरंगदल) पिछले 18 सालों से सजा काट रहे हैं जिन्हे अपने परिजनों से मिलने के लिए एक भी पैरोल नहीं मिली है और वहीं दूसरी तरफ वो शशिकला हैं जिन्हें जेल में अभी 6 महीने हुए हैं उसको पैरोल दे दी गयी।
दूसरा मामला हिन्दू संत आसारामजी बापू का है वे चार साल से अधिक समय से जोधपुर जेल में बंद हैं, उन पर अभी तक एक भी #आरोप #सिद्ध #नहीं #हुआ है, केवल #ट्रायल चल रहा है , उनकी उम्र 81 वर्ष है , उनका स्वास्थ्य भी काफी खराब रहता है लेकिन उनको इलाज कराने के लिए कुछ दिन के लिए भी #जमानत #नहीं मिल रही है, जबकि भारत के कानून के अनुसार जब तक दोष सिद्ध नहीं होता है तब तक उनको जमानत मिलती है लेकिन उनको जमानत नहीं मिल रही है ऐसी दोहरी नीति क्यों ?
जबकि बापू #आसारामजी को #फंसाने के कई #सबूत भी मिले हैं और लड़की की #मेडिकल रिपोर्ट में एक खरोंच भी नहीं पाई गई, मेडिकल में भी #क्लीन चिट मिल चुकी है, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने केस पढ़कर बताया कि लड़की के #कॉल डिटल्स से पता चला कि जिस समय छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है उस समय तो वहाँ थी ही नहीं, वो अपने मित्र से बात कर रही थी और बापू आसारामजी भी दूसरे कार्यक्रम में थे तो केस बनता ही नहीं है ।
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने तो यहाँ तक कह दिया है कि मैंने तो #आशाराम बापू के जेल जाने से पहले ही उनको बता दिया था कि आप जो #हिन्दू #धर्मपरिवर्तन कर चुके लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवा रहे हो और धर्मपरिवर्तन पर #रोक #लगाई है इससे #वेटिकन सिटी बहुत नाराज है , #सोनिया गांधी से मिलकर आपको #जेल भेजने का #प्लान बना रहे हैं ।
और आखिर यही हुआ झूठा केस दर्ज करवाकर #मीडिया द्वारा #बदनाम करवाकर जेल भिजवाया गया ।
#दारा सिंह(बजरंगदल) ने भी #धर्मपरिवर्तन का खूब #विरोध किया था वे ईसाई #मिशनरियों को धर्मपरिवर्तन करने नहीं दे रहे थे उसके फल स्वरूप जेल जाना पड़ा ।
शशिकला जेल में लक्जिरियस जिंदगी जी रही हैं उसके कई खुलासे भी हुए हैं लेकिन इन हिन्दू समर्थकों को जेल में भी कोई विशेष सुविधा नहीं मिल रही है न ही पैरोल या जमानत ही दी जा रही है ।
आखिर ये किस तरह की दोहरी नीति है, जहां #भ्रष्टाचारी नेता की पैरोल की मांग उचित समझी जाती है और हिन्दू समर्थकों व हिंदुत्व के हक की लड़ाई लड़ने वालों को कानून द्वारा प्राप्त अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है।
#संजय दत्त को भी #दोषी सिद्ध होने पर भी बार-बार पैरोल पर छोड़ा जाता था, #लालूप्रसाद यादव भी बाहर घूम रहे हैं, पत्रकार तरुण #तेजपाल पर #आरोप #सिद्ध होने पर भी बाहर हैं, 9000 करोड़ लेकर भाग जाने वाला विजय माल्या को गिरफ्तार करने के बाद 3 घण्टे में जमानत मिल जाती है इससे सिद्ध होता है कि #नेता, #अभिनेता, #पत्रकार और #अमीरों को तुरंत #जमानत हासिल हो सकती है लेकिन हिंदुत्वनिष्ठों को न जमानत मिलती है न ही कोई विशेष सुविधा ।
सालों से हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक #हिंदुत्वनिष्ठों को #टारगेट किया जा रहा है और हिन्दू मूक दर्शक बन तमाशा देख रहा हैलल
। पर अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक समय ऐसा आएगा जब हिंदुओं के पक्ष में बोलने वाला कोई नहीं रहेगा ।
अभी भी समय है चेत सकें तो चेत !!
एक कवि ने लिखा है :-
आज उठ रही हर ऊँगली #न्याय व्यवस्था पर,
जहाँ #भ्रष्टाचार का बोलबाला है,
निर्दोष सालों से बैठे जेल में न्याय की आस लगाये
और दोषी पा रहे पैरोल व बेल, वाह री न्याय व्यवस्था,अजब तेरा खेल !!
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