November 27, 2017
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने कहा कि, भारत को राष्ट्रवादियों से नहीं बल्कि ईसाई मिशनरियों और पादरियों से खतरा है, जो भारत को धर्मांतरित कर बर्बाद करने के मुहीम पर हैं, सुरेश चव्हाणके ने बताया कि देश का कोई ऐसा जिला नहीं है जहाँ पर ईसाई मिशनरियों के खिलाफ धर्मांतरण के केस दर्ज नहीं हो।
India is threatened by Christian missionaries and clerics: Suresh Chavanke |
सुरेश चव्हाणके ने बताया कि उत्तर पूर्व के राज्यों जैसे नागालैंड, मणिपुर इत्यादि में ईसाई मिशनरियां आतंकियों का भी समर्थन करती है, केरल के मिशनरियों में यौन शोषण के केस रोजाना दर्ज किये जाते हैं ।
उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी इलाकों में लोगों का धर्मांतरण करने के लिए ये लोग पैसों का इस्तेमाल तो करते ही है साथ ही ये लोग पैसों के बल पर गुंडे भी रखते हैं, जिससे धर्मांतरण का विरोध करने वालों का कत्ल तक कर दिया जाता है।
सुरेश चव्हाणके ने यह भी बताया कि राष्ट्रवादी लोग तो भारत की बात करते हैं, भारत की संस्कृति की बात करते हैं, वहीं ईसाई मिशनरियां और पादरी भारत से भारतीय संस्कृति खत्म कर रोम की संस्कृति स्थापित करना चाहते हैं, देश को खतरा राष्ट्रवादियों से नहीं बल्कि पादरियों और ईसाई मिशनरियों से है।
जो लोग राष्ट्र के पक्ष में बोलते हैं, भारतीय सेना के पक्ष में बोलते हैं, भारतीय संस्कृति के पक्ष में बोलते हैं, उन्हें ही राष्ट्रवादी यानि नेशनलिस्ट कहते हैं, जो देश के पक्ष में होते हैं वही राष्ट्रवादी होते हैं।
गुजरात का एक पादरी कहता है कि देश को राष्ट्रवादियों से बचाओ, समझना मुश्किल है कि राष्ट्रवादियों को हटाकर ईसाई पादरी और चर्च गुजरात किसे देना चाहते हैं?
राष्ट्रवाद नहीं तो क्या आतंकवाद..??
गौरतलब है कि हाल ही में गुजरात के ईसाई धर्मगुरु पादरी आर्चबिशप थॉमस मैकवान ने एक पत्र जारी करके लिखा है कि राष्ट्रवादी पार्टी को हरा दो, इस पर प्रहार करते हुए सुरेश चव्हाणके ने ये सब कहा है ।
इसपर मीडिया ने हिन्दू संत आसारामजी बापू का मंतव्य जानना चाहा तो उन्होंने भी कहा कि राष्ट्रहित करने वालो को हराना माने अपने पैर पर कुहाडा मारना हुआ, हम तो चाहते हैं देश का विश्व में जो नाम करते हैं और भारत को विश्वगुरु बनाते हैं भगवान उनके साथ हैं ।
उन्होंने आगे कहा कि जो पार्टी राष्ट्र का मंगल चाहती है, विश्वगुरु बनाना चाहती हैं उनका मंगल ही मंगल होगा देखते रहो ।
हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र
अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था कि
‘‘भारत में ईसाई पादरियों का धर्म-प्रचार हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है, जो कि एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है ।"
हिन्दुओं का तो यह धार्मिक कर्तव्य है कि वे ईसाइयों के षड्यंत्र से आत्मरक्षा में अपना तन-मन-धन लगा दें और आज जो हिन्दुओं को लपेटती हुई ईसाईयत की लपट परोक्ष रूप से उनकी ओर बढ़ रही है, उसे यहीं पर बुझा दें ।
ऐसा करने से ही भारत में धर्म-निरपेक्षता, धार्मिक बंधुत्व तथा सच्चे लोकतंत्र की रक्षा हो सकेगी अन्यथा आजादी को पुनः खतरे की सम्भावना हो सकती है ।’’(संदर्भ : ‘अखंड ज्योति’ पत्रिका, जनवरी 1967)
फिलॉसफर नित्शे ने कहा कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।
गांधीजी ने धर्मान्तरण पर कठोर बातें कही थी
"हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दु परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा,रिति रिवाज के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे कानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।"
जय हिंद!!
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