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भारत के देशवासियों के साथ बड़ा अन्याय हो रहा है, देश के #लुटेरे #मुगल और #अंग्रेज तो चले गये लेकिन उनके गुलामी के दिमाग वालों ने आज भी शिक्षा में #गलत #इतिहास #पढ़ाया जाता है, पुस्तकों में आक्रमणकारियों और लुटेरों की महिमा मंडन किया गया है और वास्तविक इतिहास #वीर शिवाजी, #महाराणा प्रताप, #रानी लक्ष्मीबाई आदि महान हस्तियों के इतिहास नही पढ़ाया जाता है ।
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Veer Shivaji killed Afzal Khan in 1659 |
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आइये आज आपको वीर शिवाजी का एक प्रसंग बताते है जिससे आप भी अपने को गौरान्वित महसूस करेंगे कि हमारे वीर शिवाजी ने लुटेरे मुगल बादशाह को कैसे धूल चटा दी और लाखों मुगलों को कैसे गाजर-मूली की तरह काटकर भगा दिया था ।
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सन
1659 में आज ही के दिन 10 नबंवर में शिवाजी महाराज ने #आदिलशाह के सेनापति #अफजल खान को चीर दिया था, साथ ही दश हजार हिन्दू सैनिको ने एक लाख की उसकी सेना को भी गाजर मूली की तरह काट दिया था।
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अफजल गुरु विदेशी आक्रांता था, वो काफी लम्बा चौड़ा और ताकतवर था, वो आदिलशाह का सेनापति था, आदिलशाह जब युद्ध में किसी से डरता था, हारने लगता था तो वो अफजल खान की सेना को लड़ाई के लिए भेजता था ।
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अफजल खान एक बहुत ही बड़ा मक्कार और धोखेेबाज शख्स था, वो हजारों बार कुरान की झूठी कसम खा चुका था, कई सारे हिन्दू राजाओं को उसने छल से मौत के घाट उतारा था, वो हिन्दू राजाओं से शांति वार्ता के लिए मिलता था, कुरान की कसम खाकर उन्हें भरोसे में लेता था, और उनका कत्ल कर देता था, ये अफजल खान की बड़ी रणनीति थी ।
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अफजल खान तो लम्बा चौड़ा और शारीरिक तौर पर मजबूत, पर मानसिकता से वो बहुत बड़ा कायर था, और इसी कारण हिन्दू राजाओं से छल करने की उसने रणनीति बना रखी थी, और 10 से ज्यादा हिन्दू राजाओं का वो क़त्ल कर चुका था, आदिलशाह जब शिवाजी महाराज से हारने लगा, तो आदिलशाह ने अफजल खान के नेतृत्व में 1 लाख जिहादियों की सेना भेजी, और उसने आदेश दिया कि शिवाजी का सर लेकर आओ ।
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अफजल खान ने शिवाजी महाराज को भी अन्य हिन्दू राजाओं की तरह समझा और सीधा युद्ध न लड़कर शांति वार्ता के लिए राजी हो गया, और एक पहाड़ी पर अफजल खान और शिवाजी महाराज ने मिलने का निश्चय किया, दोनों तरफ के कुछ अंगरक्षकों के अलावा उस स्थान पर किसी को आने की इजाजत नहीं थी, दोनों तरफ की सेनाएं पहाड़ी के नीचे इंतजार करने लगी, अफजल खान की सेना 1 लाख की थी, शिवाजी महाराज की सेना 10 हजार की थी ।
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अफजल खान ने सोचा कि शिवाजी महाराज को भी अन्य हिन्दू राजाओं की तरह मौत के घाट उतार देगा और फिर शिवाजी की सेना में खलबली मच जाएगी, और उसकी सेना शिवाजी की सेना को काट देगी, इसी रणनीति के तहत अफजल खान ने शिवाजी महाराज से मुलाकात की ।
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वीर शिवाजी महाराज न अन्य हिन्दू राजाओं की तरह सेक्युलर थे और न ही मूर्ख थे, जो अफजलों पर इसलिए भरोसा कर लें कि वो तो कुरान की कसम खाकर आये है, शिवाजी महाराज ने अपने वस्त्र के अंदर मजबूत जाली वाला जैकेट पहना हुआ था, वो जानते थे की कायर अफजल पीठ पर वार करेगा, साथ ही शिवाजी महाराज ने अपने वस्त्र में एक चाकूनुमा हथियार भी छुपाया हुआ था ।
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अफजल खान ने बिलकुल वैसा ही किया, शिवाजी महाराज जैसे ही गले लगने को मिले, अफजल खान ने अपने वस्त्र में छुपाये हुए चाक़ू को निकाला और शिवाजी महाराज की पीठ पर वार किया, पर शिवाजी महाराज पहले से कायर अफजल को जानते थे, उनकी पीठ पर उसके चाक़ू से नुक्सान नहीं हुआ, यहाँ शिवाजी महाराज ने अपना चाक़ू निकाला और अफजल खान के सीने को चीर दिया ।
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उसके बाद अफजल की सेना में उसके वध की खबर चली गयी तो खलबली उसकी सेना में मच गयी, यहाँ शिवाजी महाराज की सेना ने इसी का फायदा उठाया और अफजल खान की सेना को गाजर मूली की तरह काट दिया।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिवाजी महाराज ने अफजल खान का सर भी काट लिया और अपनी माता जीजाबाई के पैरों में रख दिया, और आदिलशाह की सल्तनत भी कुछ समय बाद खत्म हो गयी ।
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शिवाजी महाराज ने हमें सीख दी कि गद्दार अफजलों पर भरोसा नहीं करना है, जिन हिन्दू राजाओं ने अफजल पर भरोसा किया उनको मौत मिली और उनके राज्य में भी कत्लेआम किया गया, पर शिवाजी महाराज ने सेकुलरिज्म से नहीं बल्कि बुद्धि से काम लिया, और अफजल खान का सर धड़ से अलग हुआ ।
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स्कूलों, कॉलेजों में आज सच्चा इतिहास पढ़ाया जाये तो सही जानकारी मिलने से अगली पीढ़ी भी सावधान रहें, आज सर्व धर्म समान चल पड़ा है लेकिन जैसे गंगा जल और गटर के जल की एक जैसे तुलना करना मूर्खता है वैसे ही हिन्दू धर्म की किसी भी महजब , पंथ या सम्प्रदाय से तुलना करना मूर्खता है हिन्दू धर्म सनातन धर्म है और उसको तोड़ने के लिए दुष्ट प्रकृति के लोग आज भी कार्य कर रहे है अतः हिन्दुस्तानी इन षड़यंत्रकारियों से सावधान रहें ।
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जय हिन्द
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