November 16, 2017
फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा, बल्कि मुसीबतें और बढ़ती ही जा रही हैं। चारों तरफ पुरजोर विरोध हो रहा है।
सभी हिन्दुत्वनिष्ठों ने पद्मावती फिल्म पर आपत्ति जताई है । सेंसर बोर्ड सदस्य के सदस्य अर्जुन गुप्ता ने तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर संजय लीला भंसाली पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने की अपील की है। अर्जुन गुप्ता ने आरोप लगाया है कि भंसाली ने इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है जिससे राष्ट्रीय भावनाएं आहत हुई हैं।
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने फिल्म 'पद्मावती' को लेकर कहा कि 'पद्मावती' को बनाने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है और इसकी फंडिंग दुबई से की गई है। इस मामले में उन्होंने बाकायदा भंसाली की जांच की भी मांग की थी।
दीपिका पादुकोण बड़ा खुलासा डॉ स्वामी ने किया, स्वामी ने कहा कि दीपिका पादुकण भारतीय नहीं है, वो एक डच नागरिक है, पर पैसा कमाने के मकसद से मुंबई में रहती है, हिंदी फिल्मों के जरिये भारतीयों से पैसा कमाने के लिए यहाँ रहती है।
यूनियन मिनिस्टर गिरिराज सिंह ने कहा कि क्या संजय लीला भंसाली या किसी और में भी इतनी हिम्मत है कि वे दूसरे धर्मों पर फिल्म बनाएं या उन पर कोई टिप्पणी करें???
ये लोग सिर्फ हिंदू गुरु, भगवान और योद्धाओं पर फिल्में बनाते हैं। जिसे हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उमा भारती ने एक खुला खत लिखकर कहा था कि ये कलाकार अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इतिहास के साथ खेल रहे हैं वो गलत है।
बीजीपी सांसद साक्षी महाराज कहते हैं, 'जिस तरह पद्मावती, महारानी, मां, हिंदू और किसानों का मजाक बनाया जा रहा है, सरकार और प्रशासन को पता होना चाहिए कि यह गलत हो रहा है और फिल्म पद्मावती को पूरी तरह बैन किया जाना चाहिए।'
इसके आगे वो कहते हैं, 'फिल्म इंडस्ट्री को अस्मिता और राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सिर्फ पैसा चाहिए। वह इसके लिए नंगे होने के साथ-साथ कुछ भी कर सकते हैं।'
योगी सरकार ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव को एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है 'पद्मावती फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किये जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शान्ति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। विभिन्न संगठन फिल्म के प्रदर्शित होने पर सिनेमाघरों में तोड़फोड़, आगजनी की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में मंत्रालय से अनुरोध है कि वह इस बारे में सेंसर बोर्ड को बताए, जिससे फिल्म के प्रमाणन पर निर्णय लेते समय बोर्ड के सदस्य जनभावनाओं को जानते हुए विधि अनुसार निर्णय ले सकें।'
राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादा नशीन दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फिल्म ‘पद्मावती’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग भी की। खान ने कहा कि फिल्म के विरोध में देश के मुसलमानों को राजपूतों का समर्थन करना चाहिए।
करनी सेना ने कहा कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो वो दीपिका की नाक काट लेंगे और जो संजय भंसाली के सिर को काट कर लाएगा उसे 5 करोड़ का ईनाम दिया जाएगा।
एक कवि ने तो कविता भी लिख दी..
कवि ने लिखा कि रजपूती गाथा से कुंठित,जिसकी नीयत ही काली है,
बॉलीवुड का पाखंड लिए,संजय लीला भंसाली है,
ज्वाला मुखियों का अग्निताप,माचिस की तीली आंकेगी ?
सूरज के आंगन में, अब जुगनू की औलादें झाकेंगी ?
परदे पर होगी मनमानी, जो चाहेंगे ,दिखलायेंगे?
बेशर्म इरादे,मर्यादा के शयनकक्ष तक जाएंगे?
क्या सोच रहा था भंसाली?तू जो चाहेगा कह लेगा?
मेवाड़ धरा का स्वाभिमान,चुपचाप सभी कुछ सह लेगा?
अब नहीं,नहीं जी,और नही,यह साजिश पलने देना है,
जो बलिदानों को गाली दे,वो फिल्म न बनने देना है,
संजय तूने शायद अफीम पीली झूठे इतिहासों की,
अभिव्यक्ति तुम्हारी है गुलाम शायद वहशी अहसासों की,
रानी पद्मावत नाम नही,भारत की शौर्य कहानी है,
रानी पद्मावत रजपूती गाथा की अमर निशानी है,
रानी पद्मावत नाम नही,चित्तौड़ किले की काया है,
वो मर्यादा का दीपक थी,वो परम्परा की छाया है,
खल कामी खिलजी का चरित्र तुमको रूमानी लगता है,
वो क्रूर दरिंदा भी तुमको अब प्रेम निशानी लगता है,
जो खिलजी रानी रूप देख हमला करने को आया था,
रानी का रोम तलक भी जिसने कभी नही छू पाया था,
जिस खिलजी के प्रतिउत्तर में,रजपूत वीर कुर्बान हुए,
आंगन की तुलसी बची रहे,इस चाहत में बलिदान हुए,
खिलजी के गंदे हाथ छुएं,उससे पहले प्रतिकार किया,
रानी अभिमानी ने आखिर जलकर मरना स्वीकार किया,
रे मूरख संजय देख जरा,जो अग्नि चिता पर लेटी थी,
वो सुल्तानों की लूट नही,सच्चे हिन्दू की बेटी थी,
वो रानी पावनता प्रतीक,वो स्वाभिमानी की मानी थी,
वो रानी रजपूताने की,वो रानी हिंदुस्तानी थी,
उस रानी की गाथा,बाजारी राहों में दिखलाओगे?
तुम रानी के तन को खिलजी की बाँहों में दिखलाओगे?
हो फिल्मकार तो फिल्म बनाओ, बुरके के हालातों पर,
10 बच्चे पैदा करने पर, इस्लामी तीन तलाकों पर,
अभिव्यक्ति-दुहाई देते हो,पर अक्सर ही बेहोश रहे,
तुम इस्लामी आतंकों पर, बहरे होकर खामोश रहे,
रानी पद्मावत के बेटों के थप्पड़ जब दो पड़ते हैं,
तुमको हिन्दू के बेटों में आतंकी दिखने लगते हैं?
तुम सम्मुख धर्म सनातन के,कीचड बरसाते जाओगे?
भारत की बहन बेटियों को नीलाम कराते जाओगे?
ना रानी का जौहर देखा,ना बलिदानी अरमान दिखा?
रानी का जिस्म तुम्हे केवल अय्याशी का सामान दिखा?
बॉलीवुड के भांडों सुन लो,दुःस्वप्न नही पलने देंगे,
चलचित्र बनाओ खूब मगर,छलचित्र नही चलने देंगे,
सभी हिन्दुत्वनिष्ठों की बातों से सिद्ध होता है कि हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए पद्मावती, रईस आदि फिल्में बनाई जाती हैं जिसमें हिन्दुओं को नीचा और अन्य धर्मों का महिमा मंडन किया जाता है यह एक धीमा जहर है जो हिन्दुस्तानियों को अपनी संस्कृति से विमुख करने का भयंकर षड्यंत्र है, इसको रोकने के लिए सभी आगे आये और सरकार को प्रार्थना है कि सेंसर बोर्ड में जो ऐसी फिल्म रिलीज होने की सहमति दे रहे है उनको बाहर करें और भारतीय संस्कृति पर सही इतिहास वाली फिल्म ही पास की जाये और बॉलीवुड में भी हिन्दुविरोधियों का बहिष्कार करना चाहिए। जनता भी सभी फिल्मों का त्याग करें तभी साजिशकर्ताओं का होश ठिकाने आएगा ।
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