08 अगस्त 2020
भारत मे पहले सनातन हिन्दू धर्म ही था। जब से भारत मे विदेशी आक्रमणकारी आये तब से उन्होंने अपने धर्म मे लाने के लिए बहुत प्रयत्न किये, उसमे सबसे ज्यादा मुगलों ने क्रूरता दिखाई, उन्होंने यही बोला या तो मुसलमान बन जाओ अथवा मरने के लिए तैयार हो जाओ और उन्होंने किया भी ऐसा ही चारो तरफ मार काट शुरू कर दी। कुछ लोग डर के मुस्लिम समुदाय में चले गए और काफी लोगो ने धर्मपरिवर्तन नही किया, उसमे से काफी हिंदुओं की क्रूरता से हत्या कर दी। कुछ ने भय के कारण मुस्लिम समुदाय अपनाया था उसमे से काफी लोगों ने घर वापसी भी कर ली है।
अभी राजस्थान में एक ओर मामला सामने आया है उन्होंने भी सनातन हिंदू धर्म की महिमा समझकर घर वापसी कर दी।
अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हो रहा था तो राजस्थान के करीब 50 मुस्लिम परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी की। मामला बाड़मेर जिले के पायला कल्ला पंचायत के मोतीसारा गाँव की है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन परिवारों के करीब 250 लोगों ने बुधवार को हवन-पूजन किया। पुरुषों ने जनेऊ धारण कर हिंदू धर्म अपनाया। इन लोगों ने कहा है कि ऐसा करने के लिए उन पर किसी ने दबाव नहीं बनाया था।
हिंदू धर्म अपनाने वाले मुस्लिम परिवार के बुजुर्गों का कहना है कि उनके पूर्वज हिंदू थे। उन्हें जैसे ही इतिहास का ज्ञान हुआ इसके बाद उन्होंने यह फैसला लिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय स्वेच्छा से लिया गया है।
हिंदू धर्म स्वीकार करने वाले सुभनराम ने मीडिया वालों से बात करते हुए इस बारे में जानकारी दी। सुभनराम ने कहा मुग़ल शासन में मुस्लिमों ने हमारे पूर्वजों (हिंदुओं) को डरा धमका कर उनका धर्म परिवर्तन करा लिया था।
सुभनराम ने कहा सच यही है कि हम हिंदू धर्म से संबंध रखते थे। शायद इसलिए मुस्लिम हमसे दूरी बना कर रखते हैं। हमने अपने इतिहास के बारे में जानना शुरू किया और तब हमें पता चला कि हम असल में हिंदू हैं। हमें आभास हुआ कि अभी तक हम कितने भ्रम में जी रहे थे। नतीजतन हमें अपने धर्म में वापस लौट आना चाहिए। इतना कुछ पता चलने और समझ आने के बाद हमने अपने धर्म में वापस आने का फैसला लिया।
इसके बाद उन लोगों के घर पर हवन हुआ और परिवार के लगभग 250 सदस्यों ने हिंदू धर्म अपना लिया। हरजीराम ने बताया कि ये परिवार कंचन ढाढ़ी जाति से संबंध रखते हैं। इन परिवारों के सदस्य पिछले कई सालों से हिंदू धर्म के रीति-रिवाज़ों का पालन कर रहे थे।
विंजाराम के मुताबिक़ परिवार का कोई भी व्यक्ति मुस्लिम रीति रिवाज़ों का पालन कभी नहीं करता था। राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में भी हम सभी ने पूजा-पाठ का आयोजन कराया था और हमने पूरी स्वेच्छा से हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया।
गाँव में लगभग 50 परिवार ढाढ़ी जाति के हैं जिसमें से लगभग एक दर्जन घरों के आस-पास मंदिर बने हुए हैं। इतना ही नहीं परिवारों में ज़्यादातर लोगों के नाम भी हिंदू धर्म से ही प्रेरित हैं। परिवार के बुजुर्गों का दावा है कि औरंगज़ेब के दौर में उनके पूर्वज हिंदू थे। उन्होंने मुग़ल शासक के डर से हिंदू धर्म अपनाया। लेकिन अब उनके परिवार के शिक्षित लोगों को इस बात का ज्ञान हुआ, जिसके बाद उन्होंने वापस हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया।
कोरोना महामारी के चलते परिवार वालों ने राम मंदिर शिलान्यास के मौके पर सरपंच को सूचित करके खुद हवन करवाया। हरुराम ने बताया कि राम मंदिर के शिलान्यास पर उन्हें बहुत खुशी हुई। इसके लिए उन्होंने अपने घर में दीपक जला कर हवन भी करवाया।
वहीं गाँव के पूर्व सरपंच प्रभुराम कलबी ने कहा कि ढाढ़ी जाति के सदस्यों पर ऐसा करने के लिए किसी ने दबाव नहीं बनाया। उन्होंने यह सब अपनी मर्ज़ी से किया है। संविधान भी यही कहता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ धर्म अपना सकता है और इन परिवारों ने वही किया। उनके इस निर्णय से किसी को कोई आपत्ति नहीं है। गाँव का हर व्यक्ति उनके इस फैसले का सम्मान करता है।
प्राणिमात्र में ईश्वरत्व के दर्शन कर, सर्वोत्कृष्ट ज्ञान प्राप्त कर जीव में से शिवत्व को प्रगट करने की क्षमता अगर किसी संस्कृति में है तो वो है सनातन हिन्दू संस्कृति।
अगर सनातन संस्कृति नही बचेगी तो दुनिया में इंसानियत ही नही बचेगी क्योंकि हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम्" का वाक्य चरितार्थ करके दिखाया है।
सनातन संस्कृति की महानता समझकर आज विदेश के भी काफी लोग हिंदू धर्म अपना रहे हैं।
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