20 अगस्त 2020
हिंदुस्तान में सदियों से हिंदुओं पर अनगिनत अत्याचार हुए है फिर भी हिंदू प्रगाढ़ निद्रा में है इसके कारण आज भी सनातन धर्म विरोधी अपनी गतिविधियों द्वारा हिंदुओं पर हुए अत्याचार को मिटाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं और हिंदुओं के खिलाफ़ धृणा पैदा करने वाली अनेक इतिहास लिखा जा चुका है और लिख रहे हैं और उसके ऊपर फिल्में बनाकर हिंदू धर्म को नीचा दिखाने व मिटाने की कोशिशें कर रहे हैं।
आपको बता दे कि साल 1921 में केरल में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji ) की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनने वाली है। इस फिल्म को बनाने वाले का नाम आशिक अबु है। हाजी का किरदार निभाने वाले एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन हैं। और, फिल्म का टाइटल वरियमकुन्नन (Vaariyamkunnan) हैं। ये सब सूचना स्वयं अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने फेसबुक पर दी है।
उन्होंने अपनी नई फिल्म का ऐलान करते हुए हाजी को ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ लड़ने वाली शख्सियत बताया है। साथ ही हाजी को न केवल एक नेता के तौर पर दर्शाया, बल्कि उसे एक फौजी और राष्ट्रवादी भी कहा।
इसके अलावा मालाबार में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को पृथ्वीराज ने मालाबार क्रांति का पहला चेहरा लिखा और जानकारी दी कि इसकी फिल्मिंग हाजी की 100वीं बरसी पर शुरू करेंगे।
यहाँ बता दें, इस जानकारी के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया। लोग पूछने लगे कि आखिर हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हीरो कैसे हो सकता है? या ये समझें कि ये फिल्म फिर से समुदाय विशेष के कुकर्मों को धोने का एक प्रयास है, जिसके जरिए सच्चाई को छिपाते हुए नया इतिहास समझाने की कोशिश हो रही है।
क्यों है विवाद?
दरअसल, साल 2021 में रिलीज होने वाली यह फिल्म मोपला समुदाय के उस मुस्लिम नेता की जिंदगी पर आधारित है, जिसे साल 1921 में मालाबार में हजारों हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताया जाता है।
कौन था वरियम कुन्नथु हाजी कुंजाहम्मद हाजी?
वरियमकुन्नथु या चक्कीपरांबन वरियामकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान जहाँ सैंकड़ों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ। जहाँ इस्लामिक ताकतों ने मिलकर लूटपाट की और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह की आड़ में हिंदुओं का रक्तपात किया। मगर, फिर भी, उन आतताइयों के उस चेहरे को छिपाने के लिए इतिहास के पन्नों में उन्हें मोपला के विद्रोहियों का नाम दिया गया।
बता दें, मोपला में हिंदुओं का नरसंहार वही घटना है, जब हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने न केवल हमला बोला। बल्कि आगे चलकर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के लिए उस बर्बरता को इतिहास के पन्नों से ही गुम कर दिया या फिर काट-छाँटकर इसपर जानकारी दी गई।
केरल के मालाबार में हिंदुओं पर अत्याचार के उन 4 महीनों ने सैंकड़ों हिंदुओं की जिंदगी तबाह की। बताया जाता है कि मालाबार में ये सब स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर शुरू हुआ। लेकिन जब खत्म होने को आया तो उसका उद्देश्य साफ पता चला कि वरियमकुन्नथु जैसे लोग केवल उत्तरी केरल से हिंदुओं की जनसंख्या कम करना चाहते थे।
खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया। इस दौरान हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया। जबरन धर्मांतरण हुए और कई प्रकार के ऐसे अत्याचार हिंदुओं पर किए गए, जिन्हें शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन है।
बाबा साहेब अंबेडकर अपनी किताब में इस नरसंहार का जिक्र करते हैं। वे पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया नाम की अपनी किताब में लिखते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे के अत्याचार अवर्णनीय थे। दक्षिणी भारत में हर जगह हिंदुओं के ख़िलाफ़ लहर थी। जिसे खिलाफत नेताओं ने भड़काया था।
इसके अलावा एनी बेसेंट ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में करते हुए बताया कि कैसे धर्म न त्यागने पर हिंदुओं पर अत्याचार हुए। उन्हें मारा-पीटा गया । उनके घरों में लूटपाट हुई। एनी बेंसेंट ने अपनी किताब में बताया कि करीब लाख से ज्यादा हिंदू लोगों को उस दौरान अपने घरों को तन पर बाकी एक जोड़ी कपड़े के साथ छोड़ना पड़ा था। उन्होंने लिखा, “मालाबार ने हमें सिखाया है कि इस्लामिक शासन का क्या मतलब है, और हम भारत में खिलाफत राज का एक और नमूना नहीं देखना चाहते हैं।”
आज मलयालम फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले अधिकतर लोग मालाबार मुसलमान हैं। जिन्हें लगता है शायद इस तरह के प्रयासों से वह हिंदुओं पर हुई बर्बरता को लोगों की नजरों में धुँधला कर देंगे और अपनी कोशिशों से एक नया इतिहास नई पीढ़ी के सामने पेश करेंगे।
लेकिन, आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब हाजी के आतताई चेहरे को नायक में तब्दील करने की कोशिश हुई। इससे पहले भी जामिया प्रदर्शन के समय सुर्खियों में आई बरखा दत्त की शीरो लदीदा ने हाजी का महिमामंडन किया था।
मोपला मुसलमानों के एक अलीम ने यह घोषणा कर दी कि उसे जन्नत के दरवाजे खुले नजर आ रहे हैं । जो आज के दिन, दीन की खिदमत में शहीद होगा वह सीधा जन्नत जाएगा । जो काफ़िर को हलाक करेगा वह गाज़ी कहलाएगा । एक गाज़ी को कभी दोज़ख का मुख नहीं देखना पड़ेगा । उसके आहवान पर मोपला भूखे भेड़ियों के समान हिन्दुओं की बस्तियों पर टूट पड़े । टीपू सुल्तान के समय किये गए अत्याचार फिर से दोहराए गए । अनेक मंदिरों को भ्रष्ट किया गया । हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनाया गया, उनकी चोटियां काट दी गई । उनकी सुन्नत कर दी गई । मुस्लिम पोशाक पहना कर उन्हें कलमा जबरन पढ़वाया गया । जिसने इंकार किया उसकी गर्दन उतार दी गई । ध्यान दीजिये कि इस अत्याचार को इतिहासकारों ने अंग्रेजी राज के प्रति रोष के रूप में चित्रित किया हैं जबकि यह मज़हबी दंगा था । 2021 में इस दंगे के 100 वर्ष पूरे होंगे।
हिंदुओं का नर संहार करने वाले लोगों को आज हीरो बनाया जा रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि रोल करने वाला भी हिंदू ही हैं, और देखने वाले भी अधिकतर हिंदू ही है, आज बॉलीवुड में अधिकतर फिल्में भी हिन्दू विरोधी ही बन रही है अभी "आश्रम" नाम की फ़िल्म बनाकर हिंदू धर्म को बदनाम ही किया जा रहा है। हिंदुओं को अब जागरूक होना चाहिए ऐसी फिल्मों का पुरजोर से विरोध करना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को ये लोग गुमराह करके हिंदू धर्म को खत्म न कर सकें।
Official Links:🏻
🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan
🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ
No comments:
Post a Comment