29 अगस्त 2020
सुदर्शन न्यूज़ पर सुरेश चव्हाणके का कार्यक्रम ‘बिंदास बोल' होने वाला था उसमें उन्होंने दावा किया था कि इस कार्यक्रम के जरिए वो ‘UPSC जिहाद’ की पोल खोलते हुए बताएँगे कि कैसे सिविल सेवाओं में मुस्लिमों को एक एजेंडे के तहत घुसाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम से कुछ लीबरल डर गए और तुरन्त ही सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर शाम को प्रसारित होने वाले शो ‘बिंदास बोल’ पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अदालत को विचारों के किसी प्रकाशन या प्रसारण सम्बन्धी चीजों पर रोक लगाने से पहले सतर्क रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस स्तर पर हम 49 सेकंड के अपुष्ट ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर कार्यक्रम के प्रसारण से पहले उसे प्रतिबंधित किए जाने का फैसला देने से बच रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि विचारों के प्रकाशन या प्रसारण के सम्बन्ध में रोक लगाने वाला निर्णय देने से पहले कोर्ट को सतर्कता बरतनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय हाई कोर्ट द्वारा कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने के कुछ ही घंटों पहले आया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ के उक्त एपिसोड पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला देते समय समाजिक समरसता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बनाए रखने की जिम्मेदारी की बात की। सुप्रीम कोर्ट में फिरोज इक़बाल खान ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस शो से समाज में विभाजन होगा और इसमें एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है।
वहीं हाई कोर्ट में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने याचिका दायर की थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और ‘सुदर्शन न्यूज़’ को नोटिस भी भेजा। जामिया वालों ने इस कार्यक्रम पर मुस्लिमों के प्रति घृणा फैलाने का आरोप लगाया था। सुरेश चव्हाणके ने ‘ब्यूरोक्रेसी जिहाद’ के खिलाफ अभियान शुरू किया है, जिसमें कई सबूतों के आधार पर सच दिखाने का दावा किया जा रहा है।
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने सूचित किया था कि चैनल विश्लेषण कर रहा है कि दूसरों की तुलना में प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं में विभिन्न पदों पर चयनित मुसलमानों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। उन्होंने अपने वीडियो में चेतावनी दी थी कि, सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?
पत्रकारिता की हत्या न्यायपालिका को अंधेरे में रख कर!
सुदर्शन न्यूज़ में UPSC जिहाद पर खुलासे को लेकर लाइव प्रसारण पर रोक लगाने पर अफजल प्रेमी गैंग और जेहादी गैंग ने मिलकर ‘दिल्ली उच्च न्यालय’ से कार्यक्रम का प्रसारण रोकने को लेकर स्टे आर्डर पास करा लिया। सबसे चौकाने वाली बात ये है कि अफजल प्रेमी गैंग और जेहादी गैंग इस खुलासे को रोकने के लिए पहले सर्वोच्च न्यायालय गये थे। मगर सर्वोच्च न्यालय ने कार्यक्रम रोकने से मना कर दिया। इस बात को दिल्ली उच्च को नहीं बताया गया और कोर्ट को अंधेरे में रख कर स्टे आर्डर पास करा लिया गया। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या ये न्यायपालिका की हत्या नहीं है ? क्या ये सदी की सबसे बड़ी न्यायिक त्रासदी नहीं है ? आखिर खुलासे से पहले ही क्यों डर गया जिहादी गैंग ? प्रसारण से पहले ही हिल गये वामपंथी ? सेक्युलर जमात को क्यों चुभ रहा है बिंदास बोल ? क्या देश में मीडिया की आजादी खतरे में है ? कहाँ हैं लोकतंत्र की दुहाई देने वाले अवार्ड वापसी गैंग ? क्या अब पत्रकारिता की धारा अफजल प्रेमी गैंग तय करेगी ? क्या मीडिया अब आजाद नहीं रहा ? इन सभी सवालों का जवाब आज पूरा देश पूछ रहा है। सेक्युलर जमात को इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा।
कुछ तो बड़ा षड्यंत्र चल रहा होगा और उस पर बड़ा खुलासा होने वाला होगा इसलिए वे लोग डर गए होंगे लेकिन इस पर खुलासा होना बहुत जरूरी है ऐसी देशवासियों की मांग हैं।
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