3 August 2023
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🚩उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है , कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मंदिर को मस्जिद कहना गलत है। उन्होंने कहा कि इसमें त्रिशूल सहित हिंदू धर्म के अन्य निशान हैं। साथ ही कहा है कि इस ‘ऐतिहासिक भूल’ के समाधान के लिए मुस्लिम समाज की ओर से प्रस्ताव आना चाहिए।
🚩हालाँकि, देशभर में ऐसे कई अवैध निर्माण हैं। वर्ष 1990 में इतिहासकार सीता राम गोयल ने अन्य लेखकों अरुण शौरी, हर्ष नारायण, जय दुबाशी और राम स्वरूप के साथ मिलकर ‘हिंदू टेम्पल्स : व्हाट हैपन्ड टू देम’ (Hindu Temples: What Happened To Them) नामक दो खंडों की किताब प्रकाशित की थी। उसमें गोयल ने मुस्लिमों द्वारा बनाई गई 1800 से अधिक इमारतों, मस्जिदों और विवादित ढाँचों का पता लगाया था, जो मौजूदा मंदिरों/या नष्ट किए गए मंदिरों की सामग्री का इस्तेमाल करके बनाए गए थे। कुतुब मीनार से लेकर बाबरी मस्जिद, ज्ञानवापी विवादित ढाँचे, पिंजौर गार्डन और अन्य कई का उल्लेख इस किताब में मिलता है।
🚩लेखकों द्वारा उपयोग की जाने वाली पद्धति
पुस्तक के कुछ अध्याय में लेखकों के समाचार पत्रों में पहले प्रकाशित लेखों का भी एक संग्रह है। अध्याय छह में, ‘Historians Versus History’ अर्थात ‘इतिहासकार बनाम इतिहास’ में राम स्वरूप ने उल्लेख किया है , कि हिंदू मंदिरों को कैसे ध्वस्त किया गया और इससे जुड़ी अन्य जानकारियों के बारे में ब्रिटिश और मुस्लिम दोनों इतिहासकारों ने अपने-अपने तरीके से कैसे लिखा है। बात करें ब्रिटिश इतिहासकारों की तो उन्होंने स्वयं द्वारा भारत को गुलाम बनाने और यहाँ राज करने को सही ठहराते हुए मुगलों द्वारा की गई क्रूरता और बर्बरता को गलत करार दिया है। इसके विपरीत, मुस्लिम इतिहासकारों ने इस्लाम और उनके तत्कालीन संरक्षकों का महिमामंडन करते हुए विस्तार से बताया कि कैसे उन शासकों (मुस्लिम आक्रांताओं ) ने मंदिरों को तोड़ा और उसके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण किया,करवाया ।
🚩देशभर में मौजूद मस्जिदों और कई ऐतिहासिक इमारतों में उपलब्ध शिलालेखों में अल्लाह, पैगंबर और कुरान को कोट करके लिखा हुआ है। इन अभिलेखों से पता चलता है कि इन इमारतों का निर्माण किसके द्वारा, कैसे और कब किया गया था। पुस्तक में कहा गया है, “शिलालेखों को विद्वान मुस्लिम एपिग्राफिस्टों द्वारा उनके ऐतिहासिक संदर्भ से जोड़ा गया है। वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अपने एपिग्राफिया इंडिका अरबी और फारसी में प्रकाशित किए गए हैं। पहली बार 1907-08 में एपिग्राफिया इंडो-मोस्लेमिका के रूप में प्रकाशित हुआ था।”
🚩5 फरवरी, 1989 को अरुण शौरी (Arun Shourie) का एक लेख प्रकाशित हुआ था। उसमें उन्होंने एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति मौलाना हकीम सैयद अब्दुल हाई (Maulana Hakim Sayid Abdul Hai) का जिक्र किया था। शौरी ने बताया था कि उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से एक किताब ‘हिंदुस्तान की मस्जिदें’ है, जिसमें 17 पन्नों का अध्याय था। उस अध्याय के बारे में बात करते हुए शौरी ने कहा था, उसमें मस्जिदों का संक्षिप्त विवरण लिखा गया था, जिसमें मौलाना हाई ने बताया था कि कैसे मस्जिदों के निर्माण के लिए हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था।
🚩उदाहरण के लिए बाबरी मस्जिद, जिसके बारे में हमने पढ़ा है, “अयोध्या, जो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। वहाँ पर प्रथम मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस जगह को लेकर एक प्रसिद्ध कहानी है। कहा जाता है कि यहाँ श्रीराम चंद्र भगवान की पत्नी सीता का एक मंदिर था, जिसमें सीता माता का रसोईघर था ,जहां वो स्वयं अपने परिवार के लिए भोजन बनाती थीं । ” उसी स्थान पर बाबर ने एच. 963 में इस मस्जिद का निर्माण किया था।” यहाँ एच 963 का अर्थ हिजरी कैलेंडर वर्ष 963 से है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष 1555-1556 के बीच होता है।
🚩इस्लामिक जगहों की राज्यवार सूची
इसके अलावा किताब में विभिन्न राज्यों के 1800 से अधिक स्थानों का उल्लेख है। हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए समर्पित संगठन, ‘रिक्लेम टेंपल’ ने सीता राम गोयल द्वारा पुस्तक में दी गई सूचियों पर बखूबी काम किया है।
🚩आंध्र प्रदेश
सीता राम गोयल और अन्य लेखकों ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद उसकी सामग्री का इस्तेमाल मस्जिदों, दरगाहों, प्रवेश द्वार और किलों के निर्माण में किया गया था। अकेले आंध्र प्रदेश को लेकर इन लेखकों ने 142 जगहों की पुष्टि की है, जिनमें कदिरी में जामी मस्जिद, पेनुकोंडा में अनंतपुर शेर खान मस्जिद, बाबया दरगाह पेनुकोंडा, जो इवारा मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। तदपत्री में ईदगाह, गुंडलाकुंटा में दतगिरी दरगाह,दतगिरी दरगाह को जनलापल्ले में जंगम मंदिर के ऊपर बनाया गया है।
🚩वहीं, हैदराबाद के अलियाबाद में मुमिन चुप की दरगाह है, जिसे 1322 में एक मंदिर की जगह पर बनाया गया था। इसी तरह, राजामुंदरी में जामी मस्जिद का निर्माण 1324 में वेणुगोपालस्वामी मंदिर को नष्ट करके किया गया था। आंध्र प्रदेश में मंदिरों का विनाश सदियों से जारी है। 1729 में बनाई गई गचिनाला मस्जिद (Gachinala Masjid,) को राज्य की सबसे नई मस्जिद के रूप में जाना जाता था। यह भी एक मंदिर की जगह पर बनाई गई है।
🚩असम
किताब में असम के दो मंदिरों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें तोड़कर मस्जिद और मजार में परिवर्तित कर दिया गया था। इनके नाम हैं, पोआ मस्जिद (Poa Mosque) और सुल्तान गयासुद्दीन बलबन (Ghiyasuddin Balban) की मजार। ये दोनों कामरूप जिले के हाजो के मंदिरों की जगह पर आज भी मौजदू हैं।
🚩पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में 102 जगहों पर मस्जिदें, किले और दरगाह हैं, जिन्हें मुस्लिम शासकों ने मंदिरों को नष्ट करके बनाया था। उन्होंने मंदिरों को नष्ट करने के बाद इकट्ठा हुए मलबे का इस्तेमाल करके इसे बनाया था। इन संरचनाओं में लोकपुरा की गाजी इस्माइल मजार भी शामिल है, जो वेणुगोपाल मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। बीरभूम सियान (1221) Birbhum Siyan (1221) में मखदूम शाह दरगाह को बनाने के लिए मंदिर की सामग्री का उपयोग किया गया था। सुता में सैय्यद शाह शाहिद महमूद बहमनी दरगाह को बौद्ध मंदिर की सामग्री से बनाया गया था। बनिया पुकुर में 1342 में बनाई गई अलाउद-दीन अलौल हक़ मस्जिद (Alaud-Din Alaul Haqq Masjid) को भी मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया गया था।
🚩बारहवीं शताब्दी ईस्वी के अंत में मुस्लिमों ने एक हिंदू राजधानी लक्ष्मण नवती को नष्ट कर उसकी सामग्री उपयोग करके गौर में एक मुस्लिम शहर बनाया था। छोटी सोना मस्जिद, तांतीपारा मस्जिद, लटन मस्जिद, मखदुम अखी सिराज चिश्ती दरगाह, चमकट्टी मस्जिद, चाँदीपुर दरवाजा और अन्य संरचनाओं सहित कई मुस्लिम संरचनाएँ शहर में मंदिर की सामग्री का उपयोग करके दो शताब्दियों के अंदर बनाई गई थीं।
🚩बिहार
बिहार में कुल 77 जगहों पर मंदिर को नष्ट करके और फिर उसकी सामग्री का उपयोग करके मस्जिदों, मुस्लिम संरचनाओं, किलों आदि को बनाया गया था। भागलपुर में, हजरत शाहबाज की दरगाह 1502 में एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। इसी तरह चंपानगर में जैन मंदिरों को नष्ट कर कई मजारों का निर्माण कराया गया था। मुंगेर जिले के अमोलझोरी में मुस्लिम कब्रिस्तान एक विष्णु मंदिर की जगह पर बनाया गया था। गया के नादरगंज में शाही मस्जिद 1617 में एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।
🚩नालंदा जिले में और बिहारशरीफ में भी मंदिरों को नष्ट किया गया था। 1380 में मखदुमुल मुल्क शरीफुद्दीन की दरगाह, बड़ा दरगाह, छोटा दरगाह और अन्य शामिल हैं। पटना में शाह जुम्मन मदारिया की दरगाह एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। शाह मुर मंसूर की दरगाह, शाह अरज़ानी की दरगाह, पीर दमरिया की दरगाह भी बौद्ध स्थलों पर बनाई गई थीं।
🚩दिल्ली
किताब में दिल्ली का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि यहाँ कुल 72 जगहों की पहचान की गई है, जहाँ पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सात शहरों का निर्माण करने के लिए इंद्रप्रस्थ और ढिलिका को नष्ट कर दिया था। मंदिर की सामग्री का उपयोग कई स्मारकों, मस्जिदों, मजारों और अन्य संरचनाओं में उनका उपयोग किया गया था। जिनमें कुतुब मीनार, कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद (1198), शम्सूद-दीन इल्तुतमिश का मकबरा, जहाज़ महल, अलल दरवाजा, अलल मीनार, मदरसा और अलाउद-दीन खिलजी का मकबरा और माधी मस्जिद शामिल हैं।
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