पूरी वैदिक रीति और विधि से रक्षा-सूत्र बांधने से होंगे कई फायदे....
राखी बांधने के मुर्हूत का भी अवश्य ध्यान रखें.....
29 August 2023
http://azaadbharat.org
🚩रक्षाबंधन पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुम्ब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है, सामूहिक संकल्पशक्ति साकार होने लगती है।
🚩वैदिक राखी का महत्व :
🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में वर्णित है , कि सावन की पूर्णिमा पर यदि रक्षा-सूत्र को संकल्प सहित कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षा-सूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :
🚩दुर्वा, चावल, केसर ( कुमकुम) , चंदन (हल्दी ) और सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।
🚩नोट: यह वैदिक राखी आप ऑनलाइन इस निम्नलिखित वेबसाइट से भी ख़रीद सकते हैैं।
https://www.ashramestore.com/Vedic_Rakshasutra_(Pack_of_12)-2261
🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे’- ऐसा एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करना चाहिए।
🚩रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भईया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करें कि , ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्षमय , प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आए , ज्ञान आए । मेरे भईया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहे ।’
🚩बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बाँधें कि ‘हमारे भाई धर्म प्रेमी, भगवत्प्रेमी बनें।’ और भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, धर्मप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।’ अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा संकल्प दृढ़ करें । आप दूसरे के लिए भला सोचते हो , तो निःसंदेह आपका भी भला प्रकृति द्वारा हो ही जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। अतः इस दिन विशेषकर आप ऐसा संकल्प करें , कि हमारा आत्मस्वभाव प्रकटे ।
🚩भविष्य पुराण में एक श्लोक है...
सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।
सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।
अर्थात्
‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षा-सूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।’
🚩रक्षा-सूत्र बांधते हुए निम्नलिखित मंत्र बोलें...
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
अर्थात्
"जिस पतले रक्षा-सूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसी से मैं आपको बाँधती हूँ। आपकी रक्षा हो। यह धागा टूटे नहीं और आप सुरक्षित रहें।"
यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे। शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहें ।
🚩उपाकर्म संस्कार : इस दिन गृहस्थ ब्राह्मण व ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र को मिलाकर पंचगव्य बनाते हैं और उसे शरीर पर छिड़कते, मर्दन करते व पान करते हैं, फिर जनेऊ बदलकर शास्त्रोक्त विधि से हवन करते हैं। इसे उपाकर्म कहा जाता है। पूर्वकाल में गुरुकुलों में इसी दिन ऋषि उपाकर्म कराकर शिष्य को विद्याध्ययन कराना आरम्भ करते थे।
🚩उत्सर्जन क्रिया : श्रावणी पूर्णिमा को सूर्य को जल अर्पित कर सूर्य की स्तुति तथा अरुंधती सहित सप्तर्षियों की पूजा की जाती है और दही-सत्तू की आहुतियाँ दी जाती हैं। इस क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।
( स्रॊत: संत आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद एवं लोक कल्याण सेतु से संकलित )
🚩30 अगस्त को सुबह से रात्रि के 09:02 तक भद्रा काल है, इस समय राखी नहीं बाधें।
🚩रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त -
🚩30 अगस्त रात्रि 9:02 से 11:13 बजे तक - शुभ अमृत चौघड़िया
🚩31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 - ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया
🚩31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक - शुभ चौघड़िया
🚩इस समय के बीच अपने अनुकूल समयानुसार आप राखी बांध सकते हैं।
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