अकबर ने संत तुलसीदास जी को भेज दिया था जेल, दूसरे दिन डर से माफी मांगकर किया रिहा....
24 August 2023
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🚩बात 1600 ईस्वी की है, यह काल अकबर और तुलसीदासजी के समय का काल था। एक बार तुलसीदासजी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदासजी आगरा में पधारे हैं। यह सुनकर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता चली तो उसने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं।
🚩तब बीरबल ने बताया- इन्होंने ही रामचरित मानस की रचना की है, यह रामभक्त तुलसीदासजी हैं, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा- मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।
🚩बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी तुलसीदासजी के पास भेजा जिसने तुलसीदासजी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। यह पैगाम सुनकर तुलसीदासजी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, बादशाह और लालकिले से मुझे क्या लेना-देना और लालकिले जाने से साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो उसे बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया और उसने तुलसीदासजी को जंज़ीरों से जकड़वा कर लालकिला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदासजी जंजीरों से जकड़े लालकिला पहुंचे तो अकबर ने कहा कि आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसीदास ने कहा- मैं तो सिर्फ भगवान श्रीरामजी का भक्त हूँ, कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आगबबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।
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