Wednesday, July 31, 2024

धर्मांतरण रोकने की सजा? माँ-बाप-बहन सब मर गए, पर 24 साल से दारा सिंह को नहीं मिली पेरोल

1  August 2024

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🚩साल 1999 में ओडिशा के मनोहरपुर में स्थानीय लोगों को ईसाईयत में धर्मान्तरण कराने के आरोप में ऑस्ट्रेलियाई पादरी ग्राहम स्टेंस की हत्या उनकी 2 बेटों के साथ कर दी गई थी। इस मामले में दारा सिंह का नाम चर्चा में आया था। साल 2000 में ओडिशा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दारा सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से दारा सिंह को एक दिन का भी परोल नहीं मिला है।


🚩दारा सिंह की गिरफ्तारी के 24 साल गुजर गए है। इन 24 वर्षों में दारा सिंह के परिवार में कई बदलाव हुए है। परिवार कई बार ख़ुशी और गम के मौकों से गुजरा है। इन सभी अवसरों पर तमाम प्रयासों के बावजूद दारा सिंह को परोल नहीं मिला। ऑपइंडिया ने दारा सिंह के परिवार से मुलाकात करके इस मामले की शुरुआत से अब तक के हालातों की जानकारी जुटाई है।


🚩ओडिशा में दारा सिंह ने क्योंझर जिले में प्राइवेट तौर पर बच्चों को पढ़ाने की नौकरी कर ली। वे बच्चों को हिंदी भाषा पढ़ाते थे और साथ ही उन्हें हिन्दू धर्म की अच्छी अच्छी बातें बताते थे। यहाँ बताना जरूरी है कि दारा सिंह का असली नाम रवींद्र कुमार पाल है और वे मूलत: उत्तर प्रदेश के औरैया के रहनेवाले थे। हालाँकि, अब उन्होंने ओडिशा को अपनी कर्मभूमि बना लिया था।


🚩वो स्कूल से समय मिलने के बाद जनजातीय समुदाय की बस्तियों में घूमने लगे और उन्हें हिन्दू धर्म के बारे में जागरूक करने लगे। 


🚩जब दारा सिंह ने बजरंग दल पदाधिकारी के तौर पर कार्यभार सँभाला तब ओडिशा ईसाई धर्मान्तरण से बुरी तरह से प्रभावित था। उनका कहना है कि गाँव के गाँव कन्वर्ट हो रहे थे। कन्वर्जन के इस रैकेट का मुखिया ग्राहम स्टेंस को माना जा रहा था। ग्राहम स्टेंस ऑस्ट्रेलिया का रहने वाला एक पादरी था।


🚩बताते है कि ग्राहम स्टेंस 25 साल पहले लोगों को प्रभावित करने के लिए खूब पैसे उड़ाता है। वह उस समय वैसे ही जीप में चला करता था, जिस तरह की गाड़ी में उस समय सांसद-विधायक चला करते थे। बकौल अरविन्द, उनके भाई ने धर्मान्तरण के खिलाफ लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। इसी वजह से वो कई साजिशकर्ताओं के निशाने पर भी आ चुके थे।


🚩दारा सिंह के भाई अरविन्द कुमार बताते है कि क्योंझर के साथ कटक व एक अन्य जेल में दारा सिंह की अदला-बदली की गई। कटक जेल में दारा सिंह पर विवाद की एक FIR अलग से भी दर्ज की गई थी। पिछले 24 वर्षों में उनके पिता, माँ और फिर एक बहन की अकाल मौत हो गई। ये सभी दारा सिंह के लिए हमेशा परेशान रहते थे।


🚩इन सभी की इच्छा मौत से पहले एक बार दारा सिंह से मिलने की थी। हालाँकि, इन सभी की इच्छा अधूरी ही रह गई। दारा सिंह ने अपने पिता, माता और बहन आदि की मौत के बाद पेरोल की अर्जी डाली पर उनको जेल से बाहर नहीं निकलने दिया गया। किसी न किसी स्तर पर दारा सिंह की अर्जी पर अड़ंगा डाला गया।


🚩अरविंद कुमार का कहना है कि उनके परिवार को अभी भी उम्मीद है कि दारा सिंह अपने जीवन के अंतिम समय को अपने घर और परिवार के साथ ही बिताएँगे। फिलहाल, अगस्त2024 में दारा सिंह की रिहाई वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।


🚩दारा सिंह जैसा ही मामला आशाराम बापू का है।


🚩हिन्दू संत आशाराम बापू ने देशभर के आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उनको अनाज, पैसे, जीवन उपयोगी सामग्री, मकान बनाकर दिए और सनातन हिन्दू धर्म की महिमा समझाई, लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक किया, इस कारण से मिशनरियों की दुकान बंद होने लगी उसके बाद विदेशी कंपनियों, ईसाई मिशनरियों और स्वार्थी नेताओं ने मिलकर उनको एक षड्यंत्र के तहत बिकाऊ मीडिया द्वारा बदनाम करवाया और फर्जी केस बनाकर 2013 में जेल भिजवाया गया।आज 88 वर्ष की उम्र है,12 साल में 1 बार भी जमानत नहीं मिली, सोचो कितनी बड़ी साजिश रची है?


🚩क्या समाज, राष्ट्र और संस्कृती की सेवा करना गुनाह है?


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Tuesday, July 30, 2024

ये है वे सात ऋषि जिन्होंने इतना कुछ दे डाला कि वर्णन करना भी मुश्किल हो गया....

 

31  July 2024

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🚩ऋग्वेद में लगभग एक हजार सूक्त है, याने लगभग दस हजार मन्त्र है। चारों वेदों में करीब बीस हजार से ज्यादा मंत्र है और इन मन्त्रों के रचयिता कवियों को हम ऋषि कहते है। 


🚩बाकी तीन वेदों के मन्त्रों की तरह ऋग्वेद के मन्त्रों की रचना में भी अनेकानेक ऋषियों का योगदान रहा है। पर इनमें भी सात ऋषि ऐसे है जिनके कुलों में मन्त्र रचयिता ऋषियों की एक लम्बी परम्परा रही। ये कुल परंपरा ऋग्वेद के सूक्त दस मंडलों में संग्रहित है और इनमें दो से सात यानी छह मंडल ऐसे है जिन्हें हम परम्परा से वंशमंडल कहते है क्योंकि इन में छह ऋषिकुलों के ऋषियों के मन्त्र इकट्ठा कर दिए गए है।


🚩आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान सात संतों के नाम पर ही रखे गए है। वेदों में 🕉उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा मिलती है। प्रत्येक मनवंतर में अगल अगल सप्त‍ऋषि हुए है। यहां प्रस्तुत है वैवस्वत मनु के काल के सप्तऋषियों का परिचय।


🚩1. सप्तऋषि के पहले ऋषि जिनके पास थी कामधेनु गाय। 


🚩वशिष्ठ :- राजा दशरथ के कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ को कौन नहीं जानता। ये दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था।

कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था। वशिष्ठ ने राजसत्ता पर अंकुश का विचार दिया तो उन्हीं के कुल के मैत्रावरूण वशिष्ठ ने सरस्वती नदी के किनारे सौ सूक्त एक साथ रचकर नया इतिहास बनाया।


🚩2. दूसरे महान ऋषि मंत्र शक्ति के ज्ञाता और स्वर्ग निर्माता, 


🚩विश्वामित्र:- ऋषि होने के पूर्व विश्वामित्र राजा थे और ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को हड़पने के लिए उन्होंने युद्ध किया था, लेकिन वे हार गए। इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया। विश्वामित्र की तपस्या और मेनका द्वारा उनकी तपस्या भंग करने की कथा जगत प्रसिद्ध है। विश्वामित्र ने अपनी तपस्या के बल पर त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया था बनाने की विद्या दी और गायत्री मन्त्र की रचना की जो भारत के हृदय में और जिह्ना पर हजारों सालों से आज तक अनवरत निवास कर रहा है।


🚩3. तीसरे महान ऋषि ने बताया ज्ञान विज्ञान तथा अनिष्ट निवारण का मार्ग, 


🚩कण्व:- माना जाता है इस देश के सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ सोमयज्ञ को कण्वों ने व्यवस्थित किया। कण्व वैदिक काल के ऋषि थे। इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था।


🚩103 सूक्तवाले ऋग्वेद के आठवें मण्डल के अधिकांश मन्त्र महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट है। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि है, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा ऋषि कहे गए है। इनमें लौकिक ज्ञान विज्ञान तथा अनिष्ट निवारण सम्बन्धी उपयोगी मन्त्र है।


🚩सोनभद्र में जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर कैमूर श्रृंखला के शीर्ष स्थल पर स्थित कण्व ऋषि की तपस्थली है जो कंडाकोट नाम से जानी जाती है।


🚩4. चौथे महान ऋषि जिन्होंने दुनियां को बताया विमान उड़ाना, 


🚩भारद्वाज:- वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थी। भारद्वाज ऋषि राम के पूर्व हुए थे, लेकिन एक उल्लेख अनुसार उनकी लंबी आयु का पता चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता द्वापर का सन्धिकाल था। माना जाता है कि भरद्वाजों में से एक भारद्वाज विदथ ने दुष्यन्त पुत्र भरत का उत्तराधिकारी बन राजकाज करते हुए मन्त्र रचना जारी रखी।


🚩ऋषि भारद्वाज के पुत्रों में 10 ऋषि ऋग्वेद के मन्त्रदृष्टा है और एक पुत्री जिसका नाम 'रात्रि' था, वह भी रात्रि सूक्त की मन्त्रदृष्टा मानी गई है। ॠग्वेद के छठे मण्डल के द्रष्टा भारद्वाज ऋषि है। इस मण्डल में भारद्वाज के 765 मन्त्र है। अथर्ववेद में भी भारद्वाज के 23 मन्त्र मिलते है। 'भारद्वाज स्मृति' एवं 'भारद्वाज संहिता' के रचनाकार भी ऋषि भारद्वाज ही थे।


🚩ऋषि भारद्वाज ने 'यन्त्र-सर्वस्व' नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ का कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने 'विमान शास्त्र' के नाम से प्रकाशित कराया है। इस ग्रन्थ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरने वाले विमानों के लिए विविध धातुओं के निर्माण का वर्णन मिलता है।


🚩5. पांचवें महान ऋषि पारसी धर्म संस्थापक कुलके और जिन्होंने बताया खेती करना, 


🚩अत्रि:- ऋग्वेद के पंचम मण्डल के द्रष्टा महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और कर्दम प्रजापति व देवहूति की पुत्री अनुसूया के पति थे। अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव अनसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा माँगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे, तब अनुसूया ने अपने सतित्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत का उपदेश दिया था।


🚩अत्रि ऋषि ने इस देश में  (आज का ईरान) चले गए थे, जहाँ उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया। अत्रियों के कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ।


🚩अत्रि ऋषि का आश्रम चित्रकूट में था। मान्यता है कि अत्रि दम्पति की तपस्या और उसके त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में जन्मे। ऋषि अत्रि पर अश्विनीकुमारों की भी कृपा थी।


🚩6. छठवें ऋषि शास्त्रीय संगीत के रचनाकार 


🚩वामदेव:- वामदेव ने इस देश को सामगान (अर्थात् संगीत) दिया। वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा जन्मत्रयी के तत्ववेत्ता माने जाते है। भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र सामवेद से ही प्रेरित है। हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए सामवेद में संगीत और वाद्य यंत्रों की संपूर्ण जानकारी मिलती है।


🚩वामदेव जब मां के गर्भ में थे तभी से उन्हें अपने पूर्वजन्म आदि का ज्ञान हो गया था। उन्होंने सोचा, मां की योनि से तो सभी जन्म लेते है और यह कष्टकर है, अत: मां का पेट फाड़ कर बाहर निकलना चाहिए। वामदेव की मां को इसका आभास हो गया। 

अत: उसने अपने जीवन को संकट में पड़ा जानकर देवी अदिति से रक्षा की कामना की। तब वामदेव ने इंद्र को अपने समस्त ज्ञान का परिचय देकर योग से श्येन पक्षी का रूप धारण किया तथा अपनी माता के उदर से बिना कष्ट दिए बाहर निकल आए।


🚩7. सातवें ऋषि गुरुकुल परंपरा के अग्रज 


🚩शौनक:- शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। वैदिक आचार्य और ऋषि जो शुनक ऋषि के पुत्र थे।


🚩फिर से बताएं तो वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भरद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक; ये है वे सात ऋषि जिन्होंने इस देश को इतना कुछ दे डाला कि कृतज्ञ देश ने इन्हें आकाश के तारामंडल में बिठाकर एक ऐसा अमरत्व दे दिया कि सप्तर्षि शब्द सुनते ही हमारी कल्पना आकाश के तारामंडलों पर टिक जाती है।


🚩इसके अलावा मान्यता हैं कि अगस्त्य, कष्यप, अष्टावक्र, याज्ञवल्क्य, कात्यायन, ऐतरेय, कपिल, जेमिनी, गौतम आदि सभी ऋषि उक्त सात ऋषियों के कुल के होने के कारण इन्हें भी वही दर्जा प्राप्त है।


🚩अंत में पढ़ें कुछ खास तथ्य की बातें...


🚩वेदों का अध्ययन करने पर जिन सात ऋषियों या ऋषि कुल के नामों का पता चलता है वे नाम क्रमश: इस प्रकार है:- 

1. वशिष्ठ, 

2. विश्वामित्र, 

3. कण्व, 

4. भारद्वाज, 

5. अत्रि, 

6. वामदेव और 

7. शौनक।


🚩पुराणों में सप्त ऋषि के नाम पर भिन्न भिन्न नामावली मिलती है। विष्णु पुराण अनुसार इस मन्वन्तर के सप्तऋषि इस प्रकार है:-


🚩वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत। 

विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।


🚩अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार है:- 

वशिष्ठ, 

कश्यप, 

अत्रि, 

जमदग्नि, 

गौतम, 

विश्वामित्र और भारद्वाज।


🚩इसके अलावा पुराणों की अन्य नामावली इस प्रकार है:- ये क्रमशः 

केतु, 

पुलह, 

पुलस्त्य, 

अत्रि, 

अंगिरा, 

वशिष्ट तथा मारीचि है।


🚩महाभारत में सप्तर्षियों की दो नामावलियां मिलती है। 


🚩एक नामावली में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ के नाम आते है तो 


🚩दूसरी नामावली में पांच नाम बदल जाते है। कश्यप और वशिष्ठ वहीं रहते है पर बाकी के बदले मरीचि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह और क्रतु नाम आ जाते है। 


🚩कुछ पुराणों में कश्यप और मरीचि को एक माना गया है तो कहीं कश्यप और कण्व को पर्यायवाची माना गया है। यहां प्रस्तुत है वैदिक नामावली अनुसार सप्तऋषियों का परिचय।


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Monday, July 29, 2024

कांग्रेस सरकार ने गोविंद देवजी मंदिर के चढ़ावे में से 9 करोड़ 82 लाख दिए ईदगाह को

 

30  July 2024

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🚩राजस्थान विधानसभा में बुधवार को देवस्थान विभाग की अनुदान मांगों पर बोलते हुए सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि तत्कालीन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गोविंददेवजी मंदिर के 9 करोड़ 82 लाख रुपए बिना किसी परियोजना व रिपोर्ट के ईदगाह के लिए दे दिए गए। कांग्रेस, देवस्थान का पैसा ईदगाह को कैसे दे सकती है?


🚩मंदिरों से लिए गए दो करोड 45 लाख 50 हजार रुपए ईदगाह के लिए दिए। एक करोड़ 90 लाख रुपए खर्च भी हो गए। गोविंददेवजी मंदिर के लिए होल्ड और ईदगाह को समर्पण यह कौन सा न्याय है? दरगाह चार दरवाजा को मंदिरों का 95 लाख, दरगाह सांभर को 70 लाख रुपए, जामा मस्जिद जौहरी बाजार को 1 करोड़ 62 लाख रुपए दिए। जब मस्जिदों से पैसा आता नहीं तो मंदिरों में भक्ति भाव से किया गया चढ़ावा मस्जिदों के लिए खर्च करना कहां का न्याय है?


🚩उन्होंने कहा कि रफीक जी आपका

आखिरी कार्यकाल है। मुझे पता था तकलीफ 

होगी। मुझे दुःख इस बात का है कि पैसा खर्च करते समय पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कोई सर्वेक्षण भी नहीं करवाया। इधर से आओ और उधर से ले जाओ। मंदिर माफी की जिन जमीनों को कांग्रेस राज में बेचा नहीं जा सका उनको गैर कानूनी तरीके से समर्पित करवाया गया। जलमहल के पास मंदिर माफी की जमीन पर होटल बनवाया। सरकार ने जमीन अलॉट कर दी। आज भी विधानसभा के पास मंदिर माफी की जमीन थी उनको आज तक मुआवजा नहीं मिला। 

https://youtu.be/zCBm6gNSE9w?si=Pd_JWEWbrjYeYqE5


🚩विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि आज हालात ये हैं कि पुजारियों के पास भगवान को भोग लगाने के लिए भी पैसे नहीं है। मेरी सरकार से मांग है कि एक कमेटी बनाकर पुजारियों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।


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Sunday, July 28, 2024

कौनसे षडयंत्र के कारण भारत ही नहीं दुनियां को हुआ बड़ा नुकसान ?

 


29  July 2024

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🚩मनुष्य के लिए सबसे मूल्यवान चीज है, उसके संस्कार। क्योंकि,किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके संस्कार से ही होती है और संस्कार से ही विचारधार बनती है।उसी विचारधारा से ही व्यक्ति की पहचान बनती है और उसके आसपास उसकी विचारधारा से मिलते जुलते मित्र मंडल बनते है।


🚩व्यक्ति के अंदर सुसंस्कार निर्माण हो पाए तो, उसकी विचारधारा से स्वयं व्यक्ति, समाज और देश उन्नत होंगे , उदाहरण ले तो वीर शिवाजी,  गुरु गोविंद सिंह , स्वामी विवेकानंद , बप्पा रावल जैसे अनेक महपुरुष हुए उनके कारण समाज, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा हुई और लोग सुखी,स्वस्थ और सम्मानित जीवन जी पाए।


🚩वही अगर व्यक्ति के अंदर कुसंस्कार पनप गए फिर उसकी विचार धारा से स्वयं व्यक्ति, समाज और देश को नुकसान पहुंचता है। जैसे की राजा धनानंद, दुर्योधन,मानसिंह जैसे लोग समाज, राष्ट्र और संस्कृति के लिए नुकसान दायक साबित हुए।


🚩इनसे सार बात यहीं निकलती है की व्यक्ति पर सुसंस्कार करना बहुत जरूरी है और सुसंस्कार करने का दैवी कार्य माता-पिता और गुरुजन ही कर सकते है।


🚩भारत देश में आज सुसंस्कार का निर्माण करनेवालों  की संख्या कम हो रही है और कुसंस्कार का निर्माण करनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके कारण समाज और राष्ट्र को नुकसान हो रहा है। 


🚩भारत में 21वी सदी में अगर सबसे ज्यादा लोगों में सुसंस्कार निर्माण करने का कार्य किया हो तो वह है हिंदू संत,आशाराम बापू।कांग्रेस की सरकार के समय जब कोई सनातन संस्कृति के बारे में बोलता नहीं था उस समय संत आशाराम बापू ने करोड़ों लोगों में सनातन संस्कृति के संस्कार निर्माण करने का कार्य किया था।


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जानेवाले बापू आसारामजी का ह्रदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूंझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशीसभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर भारतवासियों को मिली सहीं राह।

🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस और 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अंग्रेजी न्यू-ईयर की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान मनाना प्रारंभ किया । कई आदिवासी क्षेत्र, जिन तक सरकार भी नहीं पहुंच पाती है उन्हें समय-समय पर सहारा दिया और धर्म परिवर्तन से बचाया । हिंदुओं के पर्व पर विदेशी असर न हो इसलिए होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।


🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया है बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा के लिए लोक-हित के लिए,अपने मूल मंत्र “सबका मंगल सबका भला”के साथ।


🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में है तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और कई देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई, कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापू के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश सेवा और मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए, उन्हें देश और समाज से दूर कर दिया। 


🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते है कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर है। अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते है और जो सत्य के प्रतीक है वे सर्वव्याप्त है । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि के आयोजन रुकने के बजाए और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी।इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच तक नहीं आई । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के लिए प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा ।


🚩भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई है । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनियां का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा । 


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Saturday, July 27, 2024

सुप्रीम कोर्ट के नेम प्लेट के आदेश के बाद कांवड़िए बोले – हमारा तो धर्म भ्रष्ट हो गया

28  July 2024

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🚩उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस प्रशासन ने आदेश जारी किया था कि काँवड़ यात्रा मार्ग पर लगने वाली सभी दुकानों, ठेलों, होटलों, रेहड़ियों पर दुकानकार अपना और अपने कर्मचारियों के नाम साफ शब्दों में लिखे। इसका असर ये हुआ कि संगम शुद्ध शाकाहारी होटल का नाम अब सलीम शुद्ध शाकाहारी होटल हो गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दिया। इस आदेश के बाद काँवड़ियों की भी प्रक्रिया सामने आई है, जिसमें लोगों ने मुजफ्फरनगर प्रशासन के फैसले की तारीफ की है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है।


🚩यूपी तक से बातचीत में कई काँवड़ियों ने अपने मन की पीड़ा व्यक्त की। एक कावँड़िए ने कहा कि अगर नेम-प्लेट होता तो कम से कम ये तो साफ हो जाता कि जो भोजन वो कर रहे है, वो शाकाहारी है या मांसाहारी। काँवड़ यात्रा पर निकले एक व्यक्ति ने अपना दु:ख कुछ इस तरह से जाहिर किया, “जो भोलेनाथ के लिए जल लेकर जाते है, वो नॉनवेज छुएँगे तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन ऐसे होटलों में जिन बर्तनों में मांसाहारी भोजन बनाया गया, उसमें पलटकर हमें शाकाहारी भोजन दे दिया। हमारा तो धर्म भ्रष्ट हो गया न…।”


🚩सुप्रीम कोर्ट की रोक पर बोलते हुए एक काँवड़िया ने कहा, “योगी जी ने तो बहुत अच्छा किया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हम क्या ही कहें।”


🚩एक काँवड़िए ने कहा, “अगर मुस्लिम ढाबा चला रहा है, तो वेज खाना देगा या नॉन-वेज, इसका कैसे पता चलेगा।” उन्होंने आगे कहा, “भगवान शिव के लिए हम पवित्र जल लेकर जा रहे है,अगर हम किसी ऐसे होटल में खाना खा रहे है, जहाँ नॉनवेज भी मिलता हो, तो हमारा तो पूरा व्रत ही खराब हो गया। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सही फैसला लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाकर गलत किया है।”


🚩एक कावँडिए ने कहा कि अब हम कहीं भी खाना खाते समय पूरी तरह से परेशान रहेंगे कि हम सही शुद्ध शाकाहारी खाना खा रहे है, साफ सुथरे बर्तन में या नहीं, ये तो धर्म संकट वाली बात हो गई।

https://x.com/UPTakOfficial/status/1815375535142224155?t=EbWJtmwEoMWawc4ZunAwQA&s=19


🚩बता दें कि मुजफ्फरनगर पुलिस ने जब नेम-प्लेट का आदेश जारी किया, तो राजनीतिक रूप से बहुत हल्ला मचाया गया। ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया, जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालाँकि इस मामले में अभी आखिरी फैसला नहीं आया है। लेकिन पुलिस के आदेश के बाद कई सारी चौंकाने वाली बातें सामने आई। मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून नेशनल हाइवे-58 पर स्थित जो दुकान कुछ दिन पहले ‘चाय लवर पॉइंट’ के नाम से हुआ करती थी, अब वह ‘वकील अहमद टी स्टॉल’ हो गया है। पुलिस के आदेश के बाद दुकान को चलाने वाले फहीम ने अपनी दुकान का नाम बदल दिया है। फहीम ने बताया कि इस निर्देश के बाद काँवड़ यात्रा के दौरान उनके काम पर बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है।


🚩इसी हाइवे पर पिछले ‘संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ नाम का एक ढाबा कुछ दिन पहले तक होता था। अब इस ढाबे का नाम बदल गया। संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय की जगह यह ‘सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय’ है। सलीम ने खाद्य सुरक्षा विभाग में इसी नाम से इसका रजिस्‍ट्रेशन भी करवा दिया है। इस दुकान को सलीम पिछले 25 सालों से चला रहा था।


🚩अब जनता की मांग है कि जैसा योगी जी ने कावँडिए के यात्रा पर नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया था वैसा आदेश देशभर में लागू होना चाहिए जिससे शाकाहारी को शुद्ध भोजन मिल सके। 


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Friday, July 26, 2024

मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने कहा ‘कागज़ पर नहीं, UCC को जमीन पर उतारिए’

26 July 2024 
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🚩मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) को कागजों की जगह अब जमीन पर उतारने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा है कि इससे ही रूढ़िवादी प्रथाओं पर लगाम लग सकती है। कोर्ट ने यह टिप्पणी तीन तलाक के एक मामले को सुनते हुए की है।

🚩मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल वर्मा ने कहा, “समाज में कई निंदनीय, कट्टरपंथी, अंधविश्वासी और अति-रूढ़िवादी प्रथाएँ प्रचलित है, जिन्हें आस्था और विश्वास के नाम पर दबाया जाता रहा है। हालाँकि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का समर्थन किया गया है, लेकिन इसे केवल कागज़ों पर नहीं बल्कि असलियत में बदलने की जरूरत है। एक सही तरह से ड्राफ्ट की गई संहिता ऐसी अंधविश्वासी और बुरी प्रथाओं पर लगाम लगा सकती है।” 

 🚩कोर्ट ने कहा कि 2019 में तीन तलाक को अवैध घोषित करते हुए 2019 में भारत की संसद ने कानून पास किया था जो अच्छा कदम था लेकिन फिर भी हमारे जनप्रतिनिधियों को इतने वर्ष यह जानने में लग गए कि तीन तलाक असंवैधानिक और समाज के लिए बुरा है।” 

 🚩कोर्ट ने कहा कि हमें बहुत जल्द ही देश में UCC की आवश्यकता समझने की जरूरत है। कोर्ट ने यह सारी टिप्पणियाँ तीन तलाक के एक मामले को सुनते हुए की। कोर्ट में दो महिलाओं ने राहत की माँग करते हुए अपील लगाई थी। इन महिलाओं पर घर की बहू ने दहेज़ माँगने, मारपीट और प्रताड़ना देने का आरोप लगाया था। 

 🚩मुस्लिम महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी नंनद और सास ने उसे निकाह के बाद प्रताड़ित किया और दहेज़ को लेकर मारपीट की। महिला ने आरोप लगाया था कि उसके शौहर ने भी उसको प्रताड़नाएँ दी। जब महिला ने प्रताडनाओं का विरोध किया था तो उसके शौहर ने उसे तीन बार तलाक बोल कर घर से बाहर भगा दिया। 

 🚩मुस्लिम महिला ने इस मामले में शौहर के साथ ही उसके घरवालों पर तीन तलाक क़ानून के तहत मामला चलाने की अपील की थी। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि यह कानून शौहर के तीन तलाक देने पर ही बनता है, कोर्ट ने इस मामले में उसकी सास और नंनद को राहत दे दी। 

 🚩गौरतलब है कि बीते कुछ समय से देश भर में UCC का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। कई भाजपा शासित राज्य इसे लागू करने की तैयारी में है। उत्तराखंड में धामी सरकार इसे लागू भी कर चुकी है और इसके क्रियान्वन पर काम चल रहा है। भाजपा ने भी लगातार UCC को व्यापक तरीके से लागू किए जाने की वकालत की है। 

 🚩क्या है समान नागरिक संहिता  ?
🚩समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी। हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिस में शादी, तलाक और संपत्तियों के लिए अपने-अपने कानून है। UCC के लागू होने से सभी धर्मों में रहनेवालें लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे। UCC का अर्थ शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को सुव्यवस्थित करना होगा। 

 🚩इस्लामिक देशों में भी लागू है UCC -
 🚩मुस्लिम देशों में पारंपरिक रूप से शरिया कानून लागू है, जो धार्मिक शिक्षाओं, प्रथाओं और परंपराओं से लिया गया है। न्यायविदों द्वारा आस्था के आधार पर इन कानून की व्याख्या की गई है। हालांकि, आधुनिक समय में इस तरह के कानून में यूरोपीय मॉडल के मुताबिक कुछ संशोधन किया जा रहा है। दुनियां के इस्लामिक देशों में आमतौर पर पारंपरिक शरिया कानून पर आधारित नागरिक कानून लागू है। इन देशों में सऊदी अरब, तुर्की, सऊदी अगर, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देश शामिल है। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए समान कानून है। किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए अलग-अलग कानून नहीं है। 

 🚩इनके अलावा इस्राइल, जापान, फ्रांस और रूस में समान नागरिक संहिता या कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून है। यूरोपीय देशों और अमेरिका के पास एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। रोम में सबसे पहले नागरिक कानून के सिद्धांत बनाए गए थे। रोम के लोगों ने एक कोड विकसित करने के लिए सिद्धांतों का इस्तेमाल किया, जो निर्धारित करता था कि कानूनी मुद्दों का फैसला कैसे किया जाएगा। फ्रांस में दुनियां में सबसे प्रसिद्ध नागरिक संहिताएं है। अमेरिका में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, जबकि भारत की तरह यहां भी बहुत विविधता है। यहां कानून की कई लेयर्स है, जो देश, राज्य और काऊंटी, एजेंसियों और शहरों में अलग-अलग लागू होती है। इन सबके बाद भी ये सामान्य सिद्धांत नागरिक कानूनों को राज्यों में इस तरह से नियंत्रित करते है जो पूरे देश में लागू होते है। 

 🚩भारत में जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहिए ऐसी जनता की मांग है।  

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Thursday, July 25, 2024

जिन गौरक्षक से अंग्रेज़ भी थर थर कांपते थे आज हम भूल गए हैं


26  July 2024
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                                                                                🚩टोहाना में मुस्लिम राँघड़ो का एक गाय काटने का एक कसाईखाना था। वहां की 52 गांवों की नैन खाप ने इसका कई बार विरोध किया। कई बार हमला भी किया जिसमें नैन खाप के कई नौजवान शहीद हुए व कुछ कसाइ भी मारे गए।लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई।क्योंकि ब्रिटिश सरकार मुस्लिमों के साथ थी और खाप के पास हथियार भी नहीं थे। 

🚩तब नैन खाप ने वीर हरफूल को बुलाया व अपनी समस्या सुनाई। हिन्दू वीर हरफूल भी गौहत्या की बात सुनकर लाल पीले हो गए और फिर नैन खाप के लिए हथियारों का प्रबंध किया। हरफूल ने युक्ति बनाकर दिमाग से काम लिया। उन्होंने एक औरत का रूप धरकर कसाईखाने के मुस्लिम सैनिको और कसाइयों का ध्यान बांट दिया। फिर नौजवान अंदर घुस गए उसके बाद हरफूल ने ऐसी तबाही मचाई के बड़े बड़े कसाई उनके नाम से ही कांपने लगे।उन्होंने कसाइयों पर कोई रहम नहीं खाया। अनेकों को मौत के घाट उतार दिया और गऊओ को मुक्त करवाया। अंग्रेजों के समय बूचड़खाने तोड़ने की यह प्रथम घटना थी। यह घटना 23 जुलाई 1930 को हुई थी ।


🚩इस महान साहसिक कार्य के लिए नैन खाप ने उन्हें सवा शेर की उपाधि दी व पगड़ी भेंट की।


🚩उसके बाद तो हरफूल ने ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी जहां उन्हें पता चला कि कसाईखाना है वहीं जाकर धावा बोल देते थे।

उन्होंने जींद, नरवाना, गौहाना, रोहतक आदि में 17 गौहत्थे तोड़े। ऊनका नाम पूरे उत्तर भारत में फैल गया। कसाई उनके नाम से ही थर्राने लगे ।उनके आने की खबर सुनकर ही कसाई सब छोड़कर भाग जाते थे। मुसलमान और अंग्रेजों का कसाइवाड़े का धंधा चौपट हो गया।

इसलिए अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लग गयी। मगर हरफूल कभी हाथ न आये। कोई अग्रेजो को उनका पता बताने को तैयार नहीं हुआ।


🚩गरीबों का मसीहा-

वीर हरफूल उस समय चलती फिरती कोर्ट के नाम से भी मशहूर थे। जहाँ भी गरीब या औरत के साथ अन्याय होता था वे वहीं उसे न्याय दिलाने पहुंच जाते थे। उनके न्याय के भी बहुत से किस्से प्रचलित हैं।


🚩हरफूल की गिरफ्तारी व बलिदान


🚩अंग्रेजों ने हरफूल के ऊपर इनाम रख दिया और उन्हें पकड़ने की कवायद शुरू कर दी।  हरफूल अपनी एक ब्राह्मण धर्म बहन के पास झुंझनु (रजस्थान) के पंचेरी कलां पहुंच गए। इस ब्राह्मण बहन की शादी भी हरफूल ने ही करवाई थी। यहां का एक ठाकुर भी उनका दोस्त था। वह इनाम के लालच में आ गया व उसने अंग्रेजों के हाथों अपना जमीर बेचकर दोस्त व धर्म से गद्दारी की।


🚩अंग्रेजों ने हरफूल को सोते हुए गिरफ्तार कर लिया ।कुछ दिन जींद जेल में रखा लेकिन उन्हें छुड़वाने के लिये  जेल में सुरंग बनाकर सेंध लगाने की कोशिश की और विद्रोह कर दिया। इसलिये अंग्रेजों ने उन्हें चुपके से फिरोजपुर जेल में  ट्रांसफर कर दिया।

बाद में 27 जुलाई 1936 को चुपके से पंजाब की फिरोजपुर जेल में अंग्रेजों ने उन्हें रात को फांसी दे दी। उन्होंने विद्रोह के डर से इस बात को लोगो के सामने स्पष्ट नहीं किया। उनके पार्थिव शरीर को भी हिन्दुओ को नहीं दिया गया। उनके शरीर को सतलुज नदी में बहा दिया गया।


🚩इस तरह देश के सबसे बड़े गौरक्षक, गरीबो के मसीहा, उत्तर भारत के रॉबिनहुड कहे जाने वाले वीर हरफूल सिंह ने अपना सर्वस्व गौमाता की सेवा में कुर्बान कर दिया।


🚩वीर हरफूल का जन्म 1892 ई० में भिवानी जिले के लोहारू तहसील के गांव बारवास में एक जाट क्षत्रिय परिवार में हुआ था।उनके पिता एक किसान थे।

बारवास गांव के इन्द्रायण पाने में उनके पिता चौधरी चतरू राम सिंह रहते थे।उनके दादा का नाम चौधरी किताराम सिंह था। 1899 में हरफूल के पिताजी की प्लेग के कारण मृत्यु हो गयी। इसी बीच ऊनका परिवार जुलानी(जींद) गांव में आ गया।यहीं के नाम से उन्हें वीर हरफूल जाट जुलानी वाला कहा जाता है।


🚩सेना में 10 साल

उसके बाद हरफूल सेना में भर्ती हो गए।उन्होंने 10 साल सेना में काम किया।उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में भी भाग लिया। उस दौरान ब्रिटिश आर्मी के किसी अफसर के बच्चों व औरत को दुश्मन ने घेर लिया। तब हरफूल ने बड़ी वीरता दिखलाई व बच्चों की रक्षा की। अकेले ही दुश्मनों को मार भगाया। फिर हरफूल ने सेना छोड़ दी। जब सेना छोड़ी तो उस अफसर ने उन्हें गिफ्ट मांगने को कहा गया तो उन्होंने फोल्डिंग गन मांगी। फिर वह बंदूक अफसर ने उन्हें दी।

उसने अपना बाद का जीवन गौरक्षा व गरीबों की सहायता में बिताया। मगर कितने शर्म की बात है कि बहुत कम लोग आज उनके बारे में जानते हैं।

https://youtu.be/rZAdKBmTyCc?si=ks0kXy9n8B6_ag5C


🚩ऐसे महान गौरक्षक को मैं नमन । आज कुछ ऐसे गौरक्षक भारत में हो जाए तो सरकार को गौ हत्या बंद करनी पड़ेगी।


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Wednesday, July 24, 2024

कांवड़ियों के रास्ते पर नेमप्लेट लगना क्यों जरूरी है? इस लेख में आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी......

 25 July 2024

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🚩हम कई बार इस बात को देख चुके है कि काँवड़ यात्रा के दौरान मजहबी भीड़ काँवड़ियों के ऊपर हमले भी करते है, उनके रास्ते में मांस भी फेंकते है और यही नहीं, भगवान शिव और उनके पूरे परिवार का मजाक भी बनाते है। इन्हीं सबके मद्देनज़र इस प्रकार के सांप्रदायिक दंगों और झगड़ों से निपटने के लिए मुजफ्फरनगर प्रशासन ने एक नियम बनाया कि रास्ते में जितने भी ठेले और ढाबे आदि होंगे वो सब अपने सही और असली नाम के साथ ही दुकान लगाएँगे ताकि किसी भी प्रकार से भक्तों को असुविधा ना हो।


🚩और, यह नियम किसी एक मजहब के लिए नहीं बल्कि प्रत्येक दुकानदार के लिए है। क्योंकि, कई बार इस बात को देखा गया है कि तीर्थयात्री काँवड़िए वहाँ पर जाकर भोजन तो कर लेते है लेकिन बाद में पता लगता है कि यह तो कोई ‘थूक नान’ स्पेशलिस्ट वालों का ढाबा था। मुजफ्फरनगर प्रशासन के इसी नियम पर बहुत सारे ऐसे सवाल उठ रहे है जिनका जवाब देना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि मुस्लिम लोगों द्वारा अपने ढाबों पर बनाए जाने वाले खानों में थूकने के कई वीडियो सामने आए है।


🚩हमने रोटियों पर थूकते हुए कई वीडियो देखे है। आम पर पेशाब करते हुए मुहम्मदिनों को कौन नहीं जानता है? खीरों को थूक में लपेटकर पॉलिथीन में भरने वाली वीडियो अभी हमारी आँखों के सामने आ जाती है तो मन में घृणा पैदा हो जाती है। बर्तनों को चाटने वाले वीडियो, सब्जियों को नाली में धोने वाले वीडियो, हिंदू बहुल क्षेत्र में गौमांस के समोसे खिलाने वाले दीनी व्यक्ति के वीडियो। दूध में थूकने वाले दीन के पक्के दूधिए का वीडियो। होटल में काम करने वाले मुस्लिम लड़कों द्वारा भोजन पर थूकने वाले वीडियो। दिल्ली का वह वीडियो जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति पानी की बोतलों में थूक रहा है।


🚩एक बूढ़े बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति द्वारा सेबों पर थूकने वाला वीडियो या फिर इसी प्रकार कपड़ों पर इस्त्री करने वाले बुजुर्ग का वह वीडियो जिसमें वह मुँह में पानी भरकर कपड़ों पर थूक रहा है। या फिर ड्राई फ्रूट्स के ऊपर ऐसे ही मुँह में पानी भरकर छिड़काव करता अधेड़ नमाजी हो। या वह छोटे बच्चों का वीडियो जिसमें वह लोग उज्जैन महाकाल की यात्रा के ऊपर थूक रहे है। ऐसे तमाम वीडियो हमें बताते ह कि किस प्रकार हिंदुओं को अपना जूठा खिलाने की सड़ी हुई घिनौनी मानसिकता इस रेगिस्तानी कैंसर रूपी कल्ट के दिमाग में पनपती रहती है।


🚩इसके अलावा काँवड़ियों पर हमला करना, उनके ऊपर थूकना, भगवान शिव के पूरे परिवार पर आपत्तिजनक फब्तियाँ कसना, काँवड़ियों के रास्ते में मांस के लोथडे फेंकना – यह सब घटनाएँ बहुत आम है। हम अभी रियासी की घटना भूले नहीं जिस में 6000 रुपए के लिए 9 देवी भक्तों की जान लेने वाला इसी कैंसर रूपी मजहब का व्यक्ति था। गद्दार पुलिस अधिकारी DSP शेख आदिल मुस्ताक जो भारत की सुरक्षा की शपथ लेकर आतंकवादियों को हमारी सेना की सभी जानकारियां देता रहता था और किस प्रकार कानून के हाथों से बचना चाहिए वह सब हथकंडे भी आतंकवादियों को बताता था।


🚩आज उसी के कारण हमारे सेना के अधिकारी और जवान बलिदान हुए। और यह लोग सोचते है कि हम फिर भी इन्हें अपना भाई माने और उनके थूक नान खाएँ, गौंमांस मिश्रित समोसे खाएँ और जब यह हमारी बहन बेटियों को छेड़े, हमारे भाइयों पर हमला करें तो हम चुपचाप अपने घर के ऊपर यह लिखकर भाग जाएँ कि यह मकान बिकाऊ है। अब थोड़ी विवेचना उन ढाबों पर भी करते हैं जहाँ यह लोग हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट करने का पूरा षड्यंत्र चलाते होंगे अन्यथा अगर किसी को उनके ढाबे या होटल में खाना है तो वह वैसे भी चला जाएगा लेकिन नाम बदलकर ठीक उसी प्रकार से धोखा दिया जाता है जिस प्रकार ‘लव जिहाद’ करने वाला अब्दुल हिंदू बहन बेटियों को धोखे में रखकर उनका मजहब परिवर्तित करता है।


🚩अभी कुछ दिन पहले ही लखनऊ के एक व्यापारी के साथ घटी दुर्घटना सामने आई थी जिस में हिंदू व्यापारी ने एक मुस्लिम व्यक्ति को अपने यहाँ नौकर रखा था और इस नौकर ने व्यापारी की इकलौती बेटी के बाथरूम में कैमरा लगाकर उसके वीडियो बनाए और फिर उसे काफी लंबे समय तक ब्लैकमेल करता रहा था। अभी उसे घटना को बीते ज्यादा समय नहीं हुआ एक और घटना हमारे सामने है बिहार के VIP पार्टी के संस्थापक व पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी का केस नया ताजा ही है।


🚩जीतन ने ताउम्र हिंदू-मुस्लिम एकता की बात की, उन्होंने हिंदुओं को भले ही पीछे धकेल दिया लेकिन मुस्लिमों को हमेशा प्रायोरिटी पर रखा, इसी के चलते जीतन ने एक नौकर रखा हुआ था जिसका नाम था काजिम अंसारी। पिछले दिनों काजिम ने जतन से डेढ़ लाख रूपए उधार लिए थे समय से न लौटाने पर जीतन ने उसे बीच-बीच में कई बार पैसे वापस करने के लिए टोका जिससे काजिम को गुस्सा आ गया और वह अपने साथियों को लेकर एक रात जीतन के घर में घुस गया और उसके साथ वही हश्र किया जैसा काजिम हर बकरा ईद पर एक बकरे के साथ किया करता है।


🚩अर्थात, तुम लोग उन्हें भाई मानकर गरीब मानकर मजलूम मानकर नौकरी पर तो रखते हो लेकिन उनकी नजर या तो तुम्हारी बेटियों पर होती है या फिर तुम्हारे धन ऐश्वर्य और पैसे पर होती है। फिर ऐसे में सामान्य लोग जो यह खबरें सुनते और पढ़ते है या अपने आस पड़ोस में ऐसी घटनाओं को होते हुए देखते है क्या वह उनके हाथ का पानी भी पीना मंजूर करेंगे ऐसे में इन लोगों ने कैसे सोच लिया कि शिव भक्त और भोजन में पवित्रता रखने वाले लोग उनके हाथ का थूका हुआ खाना खाएँगे या फिर मांस मिश्रित पकवान ग्रहण करेंगे?


🚩उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ‘जनता वैष्णो ढाबा’ चलता है। लोग सोचते है कि यह कोई शाकाहारी ढाबा है जिसका मालिक कोई हिंदू होगा। लेकिन 15 साल से चल रहे इस ढाबे का मालिक मोहम्मद अनस सिद्की है। आगरा मथुरा रोड पर ‘श्री खाटू श्याम ढाबा’ वर्षों से चल रहा है। लोग धोखे में यहां पर शुद्ध शाकाहारी भोजन खोजते हुए पहुँच जाते है जबकि इसके मालिक का नाम मोहम्मद इरशाद है। बरेली में ‘चौधरी स्वीट्स’ के मालिक का नाम अहमदमियाँ है।


🚩अब तो ‘अग्रवाल स्वीट्स’ के मालिक भी मुस्लिम बने बैठे है, जहाँ से हिंदू बड़े चाव से अपने मनपसंद व्यंजन खरीदते है जबकि उन्हें पता ही नहीं की इस में कितने मोमिनो का थूक मिला हुआ है। बिहार में चलने वाली एक दुकान जिसका नाम ‘अर्जुन सिंह’ था यहाँ पर इसका मालिक मोहम्मद उजियार आलम निकला जो हिंदू बनकर अपनी दुकान पर हिंदू लड़कियों से छेड़छाड़ किया करता था। हरिद्वार रोड पर ‘न्यू गणपति टूरिस्ट ढाबा’ चलता है जिसका मालिक मोहम्मद वसीम है।


🚩मुजफ्फरनगर के हाईवे NH 58 पर स्थित ‘ओम शिव वैष्णव ढाबा’ चलता है जिसका मालिक मोहम्मद आदिल है। खुलासा होने के बाद आजकल इसने अपने ढाबे का नाम बदलकर ‘वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा’ कर दिया है। हर की पैड़ी पर बहुत सारे भोजनालय चलते है जबकि उनके मालिक भी मुस्लिम है। इसी प्रकार एक आरोपी को जब पकड़ा गया तो उसने अपना नाम चुन्नू बताया लेकिन आधार कार्ड पर देखने के बाद पता लगता है कि इसके अब्बा का नाम मोहम्मद मुनीर था, जबकि नगर निगम के उपनियमों के अनुसार हर की पैड़ी क्षेत्र में गैर हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है।


🚩खतौली में ‘शिव पंजाबी ढाबा’ चलता है जिसका मालिक भी मुस्लिम ही निकला। दिल्ली के किशनगंज बाजार में एक मुस्लिम युवक द्वारा राम मीट शॉप खोली गई बाद में खुलासा होने पर यह भी विक्टिम कार्ड खेलने लगा। उत्तर प्रदेश में ही राज मेहंदी स्टोर के नाम से बहुत सी दुकान चलती हैं जो हिंदू बहुलक क्षेत्र में जानबूझकर खोली जाती हैं और हिंदू लड़कियों को मेहंदी लगाने के नाम पर खुल्लम-खुल्ला ‘लव जिहाद’ को प्रमोट करते है।


🚩मथुरा में ताजमहल नाम से एक होटल चलता है जिसका मालिक जमील अहमद है जबकि मथुरा के मंदिर एरिया में नॉनवेज की बिक्री प्रतिबंधित है। लेकिन नाम बदलकर यह लोग नॉनवेज का धंधा भी चलाते हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ‘श्री लक्ष्मी शुद्ध फैमिली ढाबा’ दिखाई दे रहा था जबकि इसका मालिक मोहम्मद शमशेर था। धार मध्य प्रदेश में हिंदू देवता साँवड़िया के नाम से मोहम्मद इलियास दुकान चलता था।


🚩अब एक बात सोचिए कि जब एक मुस्लिम झटके का मीट नहीं खा सकता, जब एक मौलाना अपनी भीड़ को यह कह रहा है कि तुम हिंदुओं की पूजा पाठ का प्रसाद मत खाओ यह हमारे दीन में हराम है पाप है। जब वह लोग टूथपेस्ट से लेकर चड्डी-बनियान, भोजन और साबुन-शैंपू व कपड़े, यहाँ तक की टूरिज्म भी हलाल सर्टिफाइड ही इस्तेमाल करते है ताकि इनकी इस्लामी अर्थव्यवस्था मजबूत हो और ये लोग यहाँ पर पूरी तरह कब्जा कर सके।


🚩ये लोग जो भी हमसे कमाते है उससे ही तो इनकी आर्थिक व्यवस्था और स्थिति मजबूत होती है, उसी का इस्तेमाल ये हमारे खिलाफ करते है तो फिर हिंदू क्यों मजबूर हो कि वह उनके हाथ का खाए। ईद के दौरान मुस्लिम घूम-घूमकर अपनी कम्युनिटी में कहते है कि वो सिर्फ मुस्लिमों की दुकानों से ही सामान खरीदे, हिंदुओं की दुकान से सामान ना खरीदे। जब उस पर किसी को कोई एतराज नहीं है तो फिर इन चीजों पर क्यों ऐतराज़ है? जिनके कारण अब तक काँवड़ यात्रा के दौरान काफी सारे सांप्रदायिक झगड़े पनप चुके हैं क्योंकि काँवड़िया यह सोचकर किसी भोजनालय में प्रवेश करता है कि यह किसी हिंदू का होगा लेकिन जैसे कि मैंने वीडियो की शुरुआत में ही बताया कि हमारे पास कई ऐसे उदाहरण है कि यह लोग हमारे धर्म के खिलाफ काम करते है, हमारे लोगों को जूठा खिलाते है, हमारे लोगों को पूज्य गाय माता का मांस खिलाते है हमारी बहन-बेटियों को झूठा नाम बताकर ‘लव जिहाद’ करते है, और उनको इस्लाम में कन्वर्ट करते है।


🚩यही लोग हिंदुओं के घरों में पहले नौकरी करते है और फिर उनकी बहन बेटियों के बाथरूम में कैमरा लगाकर वीडियो बनाते है उन्हें ब्लैकमेल करते है तो फिर जब एक शिव भक्त को पता लगेगा कि इसका असली मालिक एक मुस्लिम है तो क्या वह प्रतिक्रिया नहीं देगा। झूठ बोलकर व्यापार क्यों करना है हिंदुओं के साथ? इस बात पर कोई बात नहीं कर रहा है। इसी कारण फिर झगड़ा होते है और फिर यही अब्दुल जो वैष्णो देवी के नाम से ढाबा खोल कर बैठा है यही फिर विलाप करता है। किसी ने सोशल मीडिया पर मुजफ्फरनगर पुलिस के इस आदेश की मुखालफत करते हुए कहा कि हमारे मुस्लिम देशों में भी हिंदू जाते है वहाँ पर वह लोग व्यापार करते है लेकिन उनके साथ तो ऐसा नहीं होता लेकिन सवाल यह है कि क्या हिंदू लोग मक्का-मदीना या हिजरत के रास्ते में ढाबे खोलकर बैठे हुए है क्या उन्होंने हाजियों को कभी धोखा हुआ खिलाया क्या उन्होंने कभी हजरत करने वालों को थूक कर पानी पिलाया?


🚩अरे यह सब तो छोड़िए, हिंदू जिनको कि मुस्लिम की किताबों में काफिर प्रजाति बताया गया है वह लोग तो उसे रास्ते पर भी कम नहीं रख सकते, मक्का मदीना की तो बात ही छोड़ दो और यही नहीं भारत के मुस्लिम भी इस बात का पक्ष लेते है कि जब हिंदू इस्लाम को मानते नहीं या फिर उनकी आस्था हमारे मजहब में नहीं है तो फिर वह उसे स्थान पर जाएँ ही क्यों? वही भारतीय मुस्लिम आज दोगलेपन की सीमाएं पार करके हल्ला मचा रहे है?


🚩क्या यह लोग कभी खुद को आईने में नहीं देखते? क्या जो हिंदू मुस्लिम देशों में अपने होटल या ढाबे चला रहे है वो वहाँ के मुस्लिमों को झटके का मीट चोरी छिपे खिलाते है? क्या उनके भोजन में थूकते है? या फिर इस्लाम में अभक्ष्य जानवर के गोश्त के समोसे उनको खिलाते है? इन बातों का जवाब किसी के पास नहीं होता। ये लोग सिर्फ विरोध करने के लिए पैदा हुए है। ये लोग सिर्फ हिंदुओं के देवी-देवताओं को गाली देने के लिए पैदा हुए है।


🚩और अगर कोई इनको इन्हीं की दवाई चखा दे तो फिर इनका रोना स्टार्ट हो जाता है। संविधान से पहले कुरान बताने वाले देश से पहले इस्लाम बताने वाले आज सही सुनता और भाईचारा पर बड़े-बड़े भाषण दे रहे है तो ऐसा लगता है जैसे इनकी फूफी मियाँ खलीफा ब्रह्मचर्य पर तकरीर कर रही हो। मेरा तो बस इसे इतना ही कहना है कि तुमको हिन्दू नामों से, भगवानों से इतना ही प्यार है तो क्यों नहीं तुम हिन्दू ही बन जाते हो घर-वापसी करके? सारा झगड़ा ही खतम हो जाएगा।


🚩हर साल ‘शिव ढाबे’ वाला सलमान भी काँवड़ लेकर जाए, ‘शिव शक्ति ढाबे’ वाला शाहरूख घर में जगराता करवाए और वैष्णो ढाबे वाला जफरूल अपने घर हवन करवाए। जगह-जगह पर काँवड़ियों के लिए जल के प्याऊ लगवाए जैसे हिंदू उनके लिए निशुल्क भंडारे और छोटे-छोटे चिकित्सालय खुलवाते है। उससे भी अधिक पवित्रता के साथ भोजन परोसने का इंतजाम करवाए तो कितना अच्छा भाईचारे का माहौल बने और हिंदू चाहकर भी इनके ढाबों का विरोध ना कर पाए।


🚩या फिर यह भाईचारा केवल तभी बनता है जब कोई पुजारी अपने मंदिर में इफ्तारी पार्टी करवाता है या फिर हिंदू जालीदार टोपी पहनकर ईद की मुबारक बात देता घूमता है या फिर एंबुलेंस और स्कूल बसें एक साइड रोककर इनकी नमाज के लिए सड़क पर जगह देता है। हिंदू समाज आज उसे दोगलेपन को जानना चाहता है जिसके तहत हमारी आस्था का मजाक बनाना और फिर हमसे ही पैसा कमाना… सिर्फ यही उन्हें अच्छा लगता है। और या फिर तब तुमको किताब की आयतें याद आ जाती हैं? “काफिरों को अपना दोस्त ना बनाओ..”- (5:51), तुम कीचड़ में डूब क्यों नहीं मरते?


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Friday, July 19, 2024

मुहर्रम पर ताजिए का जुलूस ही नहीं निकला, देशभर के कई इलाकों में हुई हिंसा

मुहर्रम पर ताजिए का जुलूस ही नहीं निकला, देशभर के कई इलाकों में हुई हिंसा 20 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩मुहर्रम के मौके पर देश के अलग-अलग इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आई है। कहीं ताजिया निकालने के रूट को लेकर विवाद में लाठी डंडे चले तो कहीं हिन्दुओं को घर में घुसकर पीटा गया। इसके अलावा डीजे बजाने को लेकर भी बवाल और पथराव हुआ। देश के अलग-अलग हिस्सों में फिलिस्तीन का झंडा लहराया गया, इसको लेकर भी बवाल हुआ। पुलिस को मुहर्रम जुलूस के दौरान शान्ति व्यवस्था बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। 🚩प्रयागराज: ताजिया निकालने वालों ने घर में घुसकर हिन्दुओं को पीटा 🚩प्रयागराज के लालापुर इलाके के अमिलिया गाँव में बुधवार (17 जुलाई, 2024) को मुहर्रम का जुलूस निकाला जा रहा था। यह लोग ताजिया लेकर जुलूस निकाल रहे थे। जब यह जुलूस गाँव में ही रहने वाले अधिवक्ता अवधेश कुमार के घर के पास पहुँचा तो जुलूस में शामिल युवकों ने हुल्लड़ मचाना चालू कर दिया। यह युवक अवधेश कुमार की दीवाल पर चढ़ गए। 🚩जब उनको ऐसा करने से मना किया गया तो उन्होंने अवधेश कुमार के परिवार पर हमला बोला दिया। अवधेश कुमार के साथ ही उनके बेटे और बेटी पर तलवार और कट्टों से हमला किया गया। बीच बचाव करने आए आस पडोस के लोगों पर भी मुहर्रम निकाल रहे लोगों ने हमला किया। इस हमले में अवधेश कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। 🚩इलाके में तनाव कम करने के लिए भारी पुलिस और PAC बल को तैनात किया गया है। मामले में FIR भी दर्ज कर ली गई है और 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अवधेश कुमार ने घर से ₹3 लाख के गहने लूटने का आरोप भी इमरान, मिराज, सरताज समेत 10-12 लड़कों पर लगाया है। 🚩बरेली: डीजे बजाने को लेकर विवाद, पुलिस पर भी हमला 🚩उत्तर प्रदेश के बरेली में भी मुहर्रम पर जम कर हिंसा हुई। बरेली के अलीगंज इलाके में डीजे बजाने को लेकर काफी बवाल हुआ। जानकारी के अनुसार, बरेली के अलीगंज इलाके में मुहर्रम के मौके पर निकाले जानेवाले जुलूस को लेकर पहले सहमति बनी थी की मुस्लिम बड़ा डीजे नहीं लाएँगे। हालाँकि, उन्होंने यह बाद में नहीं माना और बुधवार को दो बड़े डीजे बाहर से मँगा लिए। इसको लेकर हिन्दू संगठनों ने विरोध किया। इसके बाद शाम को थाने और पुलिस की गाड़ी पर भी पथराव हो गया। बाद में पुलिस बल लगाकर मामला शांत करवाया गया। 🚩भीलवाड़ा: भगवा झंडे को लातों तले रौंदा भीलवाड़ा के कोटड़ी कस्बे में मुस्लिमों ने मुहर्रम जुलूस के दौरान भगवा झंडा हटाया और उसे रौंदा, यह आरोप हिन्दू संगठनों ने लगाया। हिन्दू संगठनों ने इस मामले में कारवाई की माँग की है। हिन्दू व्यापारियों ने इसके विरोध में बाजार भी बंद कर दिया। हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस में शामिल लोगों ने जानबूझकर हिन्दू पताकाओं का अपमान किया है। 🚩जालौन: दो गुटों में पथराव, लाठी डंडे चले उत्तर प्रदेश के जालौन में भी मुहर्रम को लेकर बवाल हुआ। यहाँ डकोर कोतवाली क्षेत्र के मुहम्मदाबाद गाँव में मुस्लिमों के दो गुट आपस में ही भिड गए। बताया गया कि गाँव में दो ताजी के जुलूस निकल रहे थे। यह दोनों ही आपस में पहले ताजिया निकालने को लेकर आपस में भिड़े। इसके बाद पथराव और लाठी डंडे चले। इसमें कई लोग घायल हो गए। इसके बाद से इलाके में तनाव बना हुआ है और पुलिस बल को तैनात किया गया है। 🚩हजारीबाग: दो पक्षों के बीच बवाल, पथराव झारखंड के हजारीबाग के बड़कागाँव थाना क्षेत्र के नयाटांड में भी दो पक्षों के बीच हिंसा हो गई। दरअसल, इस इलाके रामनवमी और मुहर्रम के जुलूस को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद है। इसी को लेकर दो युवक धरने पर बैठे हुए थे। उनको गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद जब इसी रूट पर मुहर्रम का जुलूस निकला तो बवाल हो गया। इसके बाद स्थिति बिगड़ गई और पथराव होने लगा। इस पथराव में कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। अब इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल भेजा गया है। 🚩धनबाद: बदल दिया मुहर्रम का रूट, पथराव धनबाद के पांडरपाला इलाके में मुहर्रम जुलूस का रूट बदलने को लेकर हिंसा हुई। बताया गया कि पांडरपाला इलाके में मुहर्रम का जुलूस कुम्हार टोला में पहुँचा तो रास्ते को लेकर दूसरे पक्ष ने प्रश्न उठाए। इसके बाद बवाल चालू हुआ। यहाँ थोड़ी देर में ही पथराव होने लगा। बताया गया कि इसके बाद घरों पर पत्थर फेंके गए। बताया गया कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे के घरों पर लाठी डंडों से भी हमला किया। पुलिस ने यहाँ बल प्रयोग किया। झारखंड में ही बिहार झारखंड सीमा पर भी बड़ा बवाल हुआ और पथराव किया गया। 🚩मोतिहारी: आपस में ही भिड़े मुस्लिम, चली लाठी-गोली 🚩बिहार के मोतिहारी में मुहर्रम के मौके पर मुस्लिमों के दो पक्ष ही पास में भिड गए। बताया गया कि यहाँ भी रूट को लेकर विवाद हुआ। यहाँ के नकरदेई गाँव में एक जुलूस निकल रहा था। इस दौरान दूसरे मुस्लिम पक्ष के लोग बवाल करने लगे। दोनों पक्ष के बीच पथराव भी होने लगा। इसके बाद जुलूस निकाल रहे लोगो ने नईम खान के घर पर फायरिंग कर दी और लाठियों से हमला कर दिया। बाद में पुलिस ने पहुँच कर मामला शांत करवाया। 🚩संथाल परगना में दिखाया फिलिस्तीन का झंडा झारखंड के दुमका में मुहर्रम के जुलूस के दौरान फिलिस्तीन का झंडा लहराया गया। बताया गया कि दुधानी इलाके में मुहर्रम का जुलूस निकालने के दौरान कुछ युवक फिलिस्तीन का झंडा लहराने लगे। इसके बाद एक बस पर चढ़कर करतब दिखाया गया। यह फोटो फेसबुक पर भी वायरल की गईं। 🚩झारखंड के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “संथाल परगना में आदिवासी समाज को भगाकर अब घुसपैठियों का मन इतना बढ़ गया है कि झारखंड की उप राजधानी दुमका जो हेमंत सोरेन जी का कर्म क्षेत्र है वहाँ आज मुहर्रम के जुलूस में फ़िलिस्तीन का झंडा लहराया गया । गृह मंत्रालय को जाँच कर देशद्रोही तालिबानी समर्थकों को फाँसी दिलाना चाहिए।” https://x.com/OpIndia_in/status/1813904306829176855?t=ByuyqkOHD-EPtcz2cqncXQ&s=19 🚩श्रीनगर में भी लहराया फिलिस्तीन का झंडा श्रीनगर में मुहर्रम के जुलूस के दौरान फिलस्तीन के झंडे लहराए गए। इसकी कई फोटो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने कारवाई करते हुए कई युवकों को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। 🚩राहुल गांधी बोल रहा था की हिंदू हिंसा करते है, किसी भी हिन्दू त्यौहार पर हिंसा नहीं हुई, मुस्लिम के हर त्योहार पर हिंसा होती है ऐसा क्यों? अभी भी राहुल गांधी को कोई प्रमाण चाहिए की केवल झूठ ही फैलाते रहेंगे? 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, July 18, 2024

सर तन से जुदा’ की नारेबाजी वाले हो गए बरी, यह ‘न्याय’ आपको कचोटता नहीं?

‘सर तन से जुदा’ की नारेबाजी वाले हो गए बरी, यह ‘न्याय’ आपको कचोटता नहीं? 18 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩राजस्थान में जून की भयानक मोगर्मी थी। इस बीच नूपुर शर्मा द्वारा इस्लाम के मोहम्मद पैगंबर पर दिए गए बयान को मुद्दा बनाकर देश को झुलसाने की कोशिश की जा रही थी। 17 जून 2022 का दिन था। नूपुर शर्मा के बयान के विरोध में अजमेर में मौन जुलूस निकाला जा रहा था। लगभग 3000 लोगों वाली जुलूस जब अजमेर शरीफ दरगाह के पास पहुँचा तो वहां मजमा लगा दिया गया। 🚩रिक्शे पर लाउडस्पीकर लगाकर भड़काऊ भाषण दिया जाने लगा। इस्लाम और रसूल की निंदा करने पर मौत की सजा की बात कही जाने लगी। इस दौरान लाउडस्पीकर से ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए गए। भीड़ भी उन्माद में आकर ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाने लगी। इस पूरे जुलूस का नेतृत्व कर रहा था अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती। 🚩चिश्ती ने मौन जुलूस के नाम पर परमिशन लिया था। प्रशासन ने उसे समझाया भी था कि जुलूस में किसी तरह की भड़काऊ बयानबाजी या नारे नहीं लगने चाहिए। हालाँकि, गौहर चिश्ती ने इस चेतावनी को अपने पैरों की जूती पर लिया। जुलूस में जमकर भड़काऊ नारे लगाए गए। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल जयनारायण जाट ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया था। 🚩इसको लेकर वायरल वीडियो में दरगाह के बाहर गौहर ने कहा था, “हम अपने हुजूर की शान में गुस्ताखी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। गुस्ताख-ए-रसूल की एक सज़ा… सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। अपने आका की इज्जत के लिए हम सर कटाने को तैयार हैं। नूपुर ने हमारे आका की शान में गुस्ताखी की है इसलिए उसे जीने का हक नहीं है। नूपुर शर्मा मुर्दाबाद।” 🚩इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज करके गौहर चिश्ती सहित 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। हालाँकि, स्थानीय कोर्ट ने मंगलवार (16 जुलाई 2024) को इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया। वहीं, एक अन्य आरोपित फरार है। उसे जमानत पर रिहा किया था,लेकिन वह फरार हो गया। उसको लेकर कोर्ट ने अभी कोई निर्णय नहीं दिया है। 🚩इस तरह के छोटी-छोटी रैलियाँ और जुलूस देश के अलग-अलग हिस्से में हो रहे थे और देश में माहौल को गर्म रखने की कोशिश जारी थी। समय गुजरता जा रहा था, लेकिन इसका असर दिखता रहा। दिन था 28 जून 2022 का उदयपुर में कन्हैयालाल नाम का एक दर्जी की गला काटकर सार्वजनिक रूप से हत्या कर दी गई थी। 🚩इस दौरान आरोपित मोहम्मद रियाज़ अंसारी और मोहम्मद गौस ने गला काटने का वीडियो भी बनाया था। कन्हैयालाल की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन करते हुए अपने व्हाट्सऐप स्टेटस पर एक पोस्ट लगा दिया। हालाँकि, यह पोस्ट कन्हैया लाल के लड़के ने लगाया था। इसके बावजूद रियाज और गौस ने कन्हैयालाल की गला काटकर हत्या कर दी। 🚩कन्हैयालाल की हत्या के तार गौहर चिश्ती से भी जुड़े यह सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि कन्हैयालाल की हत्या के बाद रियाज और गौस भागकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती के पास अजमेर ही आ रहे थे। हालाँकि, शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह नाम के दो युवकों ने इन दोनों आरोपितों को दौड़कर पकड़ लिया था और पुलिस के हवाले कर दिया था। 🚩रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि गौहर चिश्ती 17 जून 2022 को उदयपुर भी गया था। वहाँ उसने ‘सर कलम करने’ के नारे लगवाए थे। वहाँ उसकी मोहम्मद रियाज से मुलाकात की बात भी कही गई थी। बताया जा रहा है कि गौहर चिश्ती ने ही रियाज और गौस को कन्हैयालाल के कत्ल का वीडियो बनाने को भी कहा था। हालाँकि, रास्ते में ये दोनों पकड़े गए थे। 🚩गौहर चिश्ती के इन कारनामों के दो साल बाद आखिरकार कोर्ट ने उसे सारे आरोपों से मुक्त कर दिया। इतना ही नहीं, गौहर चिश्ती के साथ ही उसके पाँच अन्य आरोपितों को भी रिहा कर दिया गया। इस मामले में अदालत का पूरा निर्णय अभी सामने नहीं आया है लेकिन दोनों पक्ष के वकीलों की बातों से साफ लगता है कि मामला साक्ष्य की कमजोरी का है। 🚩 आरोपियों की ओर से कोर्ट में पेश वकील अजय वर्मा का कहना है कि भड़काऊ नारे वाले जो भी वीडियो सामने आए थे, उनका सत्यापन नहीं हो पाया है। पुलिस ने मौके का नक्शा नहीं बनाया और जो पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे, वे भी अपनी मौजूदगी के दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। वकील ने कहा कि कोर्ट ने इस संबंध में पर्याप्त साक्ष्य नहीं पाया और सभी आरोपितों को बरी कर दिया। 🚩इससे साफ लगता है कि पुलिस ने इस मामले की पैरवी ढंग नहीं कर पाई। जो वीडियो वायरल हुआ, उसका सत्यापन नहीं करा पाना भी एक बड़ी नाकामी है। जिस पुलिसकर्मी जयनारायण जाट ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वे घटना के दिन ड्यूटी निजाम गेट पर थी। इस बात को भी जाट एवं अन्य पुलिसकर्मी पेश नहीं कर पाए। 🚩इस मामले में दो साल पूरा होते ही इन आरोपियों के मामले में फैसला हो गया और वे दोषमुक्त होकर बाहर आ गए। हालाँकि, सरकार इस फैसले को आगे हाई कोर्ट में चुनौती देती है तो वो अलग बात है। हालाँकि, कन्हैयालाल के परिजन आज भी न्याय की आस में बैठे है। कन्हैयालाल के बेटे ने ऐलान किया है कि जब तक उसके पिता को न्याय नहीं मिलता, तब तक वह नंगे पैर रहेगा। 🚩इतना ही नहीं, मृत कन्हैयालाल की हत्या के दो साल बाद भी उनकी अस्थि कलश विसर्जन की बाट जोह रही है। उनके हत्यारों को सजा हो तो परिवार उनकी अस्थि को पवित्र नदियों के जल में प्रवाहित करे। हालाँकि, नजदीकी भविष्य में इसकी गुंजाइश कम दिखती है। उधर, मामला सामने आने के बाद अजमेर दरगाह पर लोगों की आवाजाही कम हो गई थी, लेकिन फिर से वहाँ चहल-पहल बढ़ गई है। - ओप इंडिया 🚩जिस गली में कन्हैयालाल की दुकान थी और जहाँ उनका घर है, वहाँ आज भी दहशत का माहौल है। हर तरफ एक भयानक खामोशी फैली हुई थी। उस गली से गुजरने की आज भी कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता है। वहाँ के हालात आज भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। अगर कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा मिल भी जाए और उनकी अस्थियों को प्रवाहित कर भी दी जाए तो गलियों का डर दशकों तक कंपकंपी पैदा करती रहेगी। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, July 17, 2024

ASI सर्वे: भोजशाला में ब्रह्मा-गणेश-नरसिंह-भैरव की मिली प्रतिमाएं

ASI सर्वे: भोजशाला में ब्रह्मा-गणेश-नरसिंह-भैरव की मिली प्रतिमाएं 18 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की सर्वे रिपोर्ट को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जमा कर दिया गया है। इस रिपोर्ट में सर्वे में मिली सभी संरचनाओं की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में सर्वे के दौरान मिली मूर्तियों, सिक्कों और चिन्हों के विषय में जानकारी दी गई है। 🚩आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सर्वे के दौरान चाँदी, तांबे, एल्युमिनियम और स्टील के 31 सिक्के पाए गए है। यह सिक्के अलग-अलग ऐतिहासिक समय के है। इसमें दिल्ली के सल्तनत काल, मुग़ल काल और अलग-अलग समय के हैं। सिक्कों के अलावा 94 वास्तुशिल्प भी मिले है। इनमें मूर्तियाँ, मूर्तियों के खंडित हिस्से और पत्थरों पर उकेरी प्रतिमाएं शामिल है। 🚩इस सर्वे में यह भी पाया गया है कि यहाँ के स्तम्भों पर मूर्तियां उकेरी गई थी। इन पर बने हुए देवता सशस्त्र थे। बताया गया कि इन छवियों में ब्रम्हा, गणेश, नरसिंह और भैरव के साथ ही पशुओं की आकृतियाँ भी है। इनमें कुछ मानव आकृतियाँ भी है। 🚩इसके अलावा इस परिसर के एक हिस्से में भित्तिचित्रों में मानव औए सिंह समेत कई पशुओं के मुख वाली आकृतियाँ भी है। एक हिस्से में यह विकृत की गई थी जबकि कुछ जगह यह सुरक्षित थी। यहाँ कई शिलालेख भी मिले है। इनमें कई रचनाएँ लिखी हुई है। इन रचनाओं से भोजशाला के रूप में जानकारी मिलती है। 🚩बताया गया है कि सर्वे में मिले एक शिलालेख में यहां परमार वंश के राजा नरवर्मन का शासन था। इससे इंगित होता है कि यहां मुस्लिमों के शान करने से पहले हिन्दू शासक, शासन कर रहे थे। रिपोर्ट में यहाँ से मिले अन्य कई शिलालेख और चिन्ह को रिपोर्ट में जगह दी गई है। यह रिपोर्ट 2000 पेज की है। 🚩इस मामले में हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने ऑपइंडिया को बताया, “हिन्दू पक्ष की याचिका पर हाई कोर्ट ने यहाँ सर्वे का आदेश ASI को दिया था। यहाँ 98 दिन तक सर्वे चला। इस सर्वे में 1700 से अधिक अवशेष मिले है। इनमें 39 से अधिक मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ है। इनमें गदा, पद्म, कमल और स्तम्भ के टुकड़े है। अब इस विषय में 22 जुलाई, 2024 को कोर्ट में सुनवाई है। हम इस मामले में कोर्ट से रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अपील करेंगे।” 🚩मालूम हो कि इस संबंध में हिंदू पक्ष ने याचिका डाली हुई है कि भोजशाला उनकी माँ वाग्देवी का मंदिर है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपना मजहबी स्थल बताकर सर्वे के खिलाफ बोल रहे है। इस मामले में 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे की अनमुति दी थी। 22 मार्च से सर्वे शुरू हुआ, 1 अप्रैल को मुस्लिम पक्ष इसे रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, 29 अप्रैल को एएसआई के आवेदन पर सर्वे की समयसीमा और बढ़ाई गई, अब इस मामले में ASI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। 🚩वाग्देवी मंदिर कैसे बना कमालुद्दीन मस्जिद 🚩गौरतलब है कि भोजशाला विवाद बहुत पुराना विवाद है। हिंदू पक्ष का मत है कि ये माता सरस्वती का मंदिर है जिसकी स्थापना राजा भोज ने सन् 1000-1055 के मध्य कराई थी। सदियों पहले मुसलमान आक्रांताओं ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहाँ मौलाना कमालुद्दीन (जिस पर तमाम हिंदुओं को छल-कपट से मुस्लिम बनाने के आरोप है) की मजार बना दी थी जिसके बाद यहाँ मुस्लिमों का आना जाना शुरू हो गया और अब इसे नमाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालाँकि हिंदू पक्ष का कहना है कि ये उनका मंदिर ही है क्योंकि आज भी इसके खंभों पर देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे साफ दिखते हैं। इसके अलावा दीवारों पर ऐसी नक्काशी है जिसमें भगवान विष्णु के कूर्मावतार के बारे में दो श्लोक हैं। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, July 16, 2024

ईसाइयत से भी पुराना गुजरात का शहर मांस-मछली से हुआ मुक्त

ईसाइयत से भी पुराना गुजरात का शहर मांस-मछली से हुआ मुक्त 17 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩गुजरात के भावनगर में स्थित पालिताना शहर में मांसाहारी भोजन और मांस की बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। पालिताना शहर जैन धर्म के सबसे पवित्र नगरों में से एक है। इसी के साथ पालिताना दुनियां का पहला ऐसा शहर बन गया है, जहां मांसाहारी भोजन पर संपूर्ण प्रतिबंध लग गया है। 🚩भावनगर जिले में स्थित पालिताना में 250 से अधिक मांस बिक्री केंद्र चल रहे थे, जिसका विरोध जैन धर्म के साधु-संत लगातार कर रहे थे। जैन साधुओं ने कहा कि अहिंसा जैन धर्म का मुख्य सिद्धांत है। ये जगह जैन धर्म के लिए पवित्र है, खासकर शत्रुंजय पहाड़ियों का क्षेत्र,इसलिए यहाँ मांसाहार,पशु वध पर पूरी तरह से बैन लगना चाहिए। प्रशासन ने उनकी माँगों को सुना और पालिताना में मांस पर संपूर्ण बैन का आदेश जारी कर दिया। पालिताना शहर में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का भी समर्थन मिला है। 🚩पालिताना जैनियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है और यह स्थान, जो शत्रुंजय पहाड़ियों में स्थित है, इसको जैन मंदिर शहर के रूप में भी जाना जाता है। पालिताना शहर में 800 जैन मंदिर हैं। शहर में सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिर आदिनाथ मंदिर है,जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। पालिताना न केवल पर्यटन के लिए बल्कि अपने धार्मिक महत्व के कारण भी ऐतिहासिक शहरों में से एक है। यह मंदिर,इस क्षेत्र के अन्य मंदिरों के समूह के साथ, जैनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक रहा है और यह 5वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है। 🚩जैन धर्मियों के लिए पालिताना का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए राम जन्मभूमि, ईसाइयों के लिए येरुशलम और मुस्लिमों के लिए मक्का का है। जैन, पालिताना को पवित्र मानते हैं क्योंकि यह शत्रुंजय पहाड़ियों का उद्गम स्थल है, जिसे ‘शाश्वत भूमि’ कहा जाता है जो समय के उतार-चढ़ाव से बच जाएगी और आने वाले समय में अरबों आत्माओं के लिए धार्मिकता और मोक्ष का प्रतीक बनी रहेगी। 🚩जैन धर्म के अनुसार, अनगिनत आत्माओं ने पवित्र शत्रुंजय तीर्थ के माध्यम से मोक्ष या ‘निर्वाण’ प्राप्त किया है। जिसमें वर्तमान चक्र के पहले तीर्थंकर,भगवान आदिनाथ, इक्ष्वाकु वंश के संस्थापक शामिल हैं – यह नाम एक घटना से लिया गया है जिसमें एक जैन श्रावक ने भगवान आदिनाथ की 400 दिनों से अधिक की कठोर तपस्या को तोड़ने के लिए इक्षु रस (गन्ने का रस) चढ़ाया था, जिसे जैन भाषा में ‘वर्षिप्तप’ के रूप में जाना जाता है। जैनियों के अनुसार, यह धार्मिक तीर्थस्थल अरबों साल पुराना है और आने वाले समय तक अनंत काल तक सुरक्षित रहेगा। 🚩जैन धर्म के मूल में अहिंसा, सिर्फ इंसान ही नहीं जानवरों के लिए भी नियम मान्य है। शत्रुंजय पहाड़ियों की यह पवित्रता और शीर्ष पर स्थित धार्मिक मंदिर, साथ ही जैन धर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा है जो पालिताना में मांस की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने की मांग का आधार बनता है। अहिंसा जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो इसकी नैतिकता की आधारशिला है। इसका अर्थ है, पूरी तरह से हानिरहित होना, न केवल अपने प्रति बल्कि दूसरों के प्रति भी, जिसमें जीवन के सभी रूप शामिल हैं, सबसे विकसित जीवों से लेकर पृथ्वी पर के सबसे छोटे सूक्ष्मजीवों तक। 🚩जैन धर्म सभी जीवित प्राणियों के लिए समान अधिकारों का दावा करता है, चाहे उनका आकार, रूप या आध्यात्मिक विकास कुछ भी हो। किसी भी जीवित प्राणी को किसी अन्य जीवित प्राणी को नुकसान पहुँचाने, घायल करने या मारने का अधिकार नहीं है, चाहे वह जानवर, कीड़े या पौधे क्यों न हों। सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि प्रत्येक जीवित प्राणी का जीवन पवित्र है। - जतिन जैन 🚩आपको बता दे की पशु-प्रेमी संस्थाओं ने मिलकर एनिमल किल क्लॉक नाम की वेबसाइट तैयार की, जो अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के साथ मिलकर काम करती है। रोज कितने जानवर मारे जा रहे हैं, यहां उसका डेटा और लाइव अपडेट भी रहता है। फिलहाल इसका बड़ा हिस्सा अमेरिका में एनिमल किलिंग पर फोकस करता है लेकिन इसमें दुनियां में मारे जाने वाले जानवरों के आंकड़े भी दिए जाते हैं। एनिमल किल क्लॉक के अनुसार रोज 20 करोड़ जानवरों की (हमारी प्लेट में आ सकें) इसलिए हत्या हो रही है। ये आंकड़े केवल ऑफिशियल है बाकी तो कितने जानवर कट जाते है उसकी कोई गिनती नहीं है। सनातन संस्कृति और मानवी संवेदना के अनुसार जीव हत्या करना गुनाह और बड़ा पाप है, इसलिए केवल शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करे। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, July 15, 2024

हिन्दू सभ्यता को बचाए रखने के लिए आखिर हम क्या कर सकते है ?

हिन्दू सभ्यता को बचाए रखने के लिए आखिर हम क्या कर सकते है ? 16 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩सदियों से ब्रिटिश शासकों एवं इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा आक्रमण और दमन का दौर झेलने के बाद कुछ दशक पहले ही हिन्दू सभ्यता ने राजनैतिक स्वतंत्रता हासिल करके दोबारा साँस भरनी शुरू की थी,लेकिन अब लगता है शायद फिर से यह अंधकार की ओर जाने की कगार पर है। 🚩इस पीढ़ी के अधिकांश लोगों के लिए उस संघर्ष,कठिनाई और उत्पीड़न की कल्पना भी कर पाना असंभव है जो हमारे पूर्वजों ने असहिष्णु और शत्रुतायुक्त राजनीतिक शासन के अधीन रहकर झेला है। यह एक विडम्बना है कि हमारी वर्तमान ‘सेक्युलर’ शिक्षा न केवल हमारे सच्चे इतिहास पर लीपापोती कर बनी है,बल्कि वास्तविक अतीत तक जाने में भी हमारे सामने सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़ी है। अगर,ऐसा नहीं होता तो आज हम सामाजिक, राजनैतिक और सभ्यागत मोर्चों पर इस्लामिक प्रभुत्व के फिर से उभरने के संकेतों को स्पष्टरुप से देख पाते। खुद सोचिए, हमारे मंदिर पूर्व काल में भी तोड़े जाते थे और आज भी तोड़े जा रहें हैं; हमारी स्त्रियां तब भी अत्याचार का शिकार होती थी और आज भी हो रहीं है; हिन्दू तब भी संकट में थे और आज भी हैं। उस समय भी हमारे पूर्वज जजिया कर देते थे, वह भी दूसरे-तीसरे दर्जे के नागरिक बनकर जीने के लिए और अब भी देश की बहुसंख्यक आबादी जजिया-2.0 के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के लिए विशिष्ट स्कीमों को वित्तपोषित करती है। आज हिन्दूओं के खिलाफ, छोटे स्तर पर होने वाली जिहाद की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। हाल ही में हिंदुस्तान के ‘दिल’ नई दिल्ली में दुर्गा मंदिर पर हुए हमले,इस बात का पुख्ता सबूत है कि हमलावर दिन-ब-दिन कितने बेख़ौफ़ होते जा रहे हैं। 🚩इन सीधे-सीधे हमलों में अगर ईसाईयों द्वारा अपने पंथ का आक्रामक प्रचार,आदिवासी इलाकों का तेजी से ईसाइकरण, भारत को तोड़ने और हिन्दूवादी ताकतों को उखाड़ने के लिए हिंदुओं की सभ्यता और संस्कृति पर हुए हमलों को जोड़ दिया जाए तो पता चलेगा कि सनातन सभ्यता के दोबारा अंधकार में जाने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है- अगर, हिन्दू अपनी सभ्यता पर मँडराते इस खतरे को भांपकर, इसके खिलाफ उचित कदम नहीं उठाते हैं तो! 🚩मुझ से अक्सर पूछा जाता है कि हम हिंदू व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति के बारे में क्या कर सकते हैं? हम सबके पास अपनी नौकरी की चिंता है, अपना परिवार है। इसके अलावा हमारे पास एकता नहीं है, न ही धन है, और न ही कुछ करने की राजनीतिक शक्ति है। 🚩हालाँकि, यह सच है कि व्यक्तिगत रूप में हमारे साधन सीमित हैं और यह भी सच है कि इन ज्वलंत मुद्दों को दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है जो दुर्भाग्य से वर्तमान सरकार हिन्दू जनादेश पर सत्ता में आने के बावजूद कर नहीं रही है बल्कि उसकी जगह ‘सबका साथ सबका विश्वास’ के नाम पर तुष्टिकरण की नीतियों की घोषणा कर उसे कार्यन्वित कर रही है। मगर उतना ही सत्य ‘यथा राजा तथा प्रजा’ का लोकतांत्रिक उलट ‘यथा प्रजा, तथा राजा’ है। इसलिए इस महान हिन्दू सभ्यता के व्यक्तिगत उत्तराधिकारियों के रूप में हमारी हर एक व्यक्ती की जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने-अपने स्तर पर सनातन संस्कृति का उत्कर्ष करें। 🚩‘कौरवों’ की पहचान किसी भी काम को करने में पहला कदम उसमें निहित चुनौतियों को पहचानना है। इन चुनौतियों को हम भिन्न-भिन्न प्रकार के ‘कौरवों’ के रूप में सोच सकते हैं। हिन्दू संरचना में हम जीवन और समाज को समझने के लिए धर्म-अधर्म की श्रेणियों का प्रयोग करते हैं। महाभारत में हम ऐसे चित्रणों को पाएँगे जिन में कई प्रकार की अधर्मी ताकतें स्पष्ट होती है। 🚩सबसे पहले दुर्योधन, जो अधर्म का अवतार था- धर्मराज युद्धिष्ठिर का प्रतिद्वंद्वी। दूसरा कर्ण, जो दुर्योधन (अधर्म) की कुचालों में सक्रिय रूप से सहायक था; तीसरे भीष्म, जो न चाहते हुए भी दुर्योधन की तरफ से लड़कर अधर्म का साथ दे रहे थे; चौथे धृतराष्ट्र, जो बिना कुछ किए आँख बंद करके निष्क्रिय रूप से दुर्योधन के साथ खड़े होकर अधर्म के साथी थे। 🚩हम इन सभी प्रकार के अधर्मियों को आज के समाज में देख सकते हैं। आज इस्लाम और ईसाईकरण जैसी धर्म-विरोधी ताकतें भारत और हिंदुत्व/हिन्दू-धर्म को तोड़ना चाहतीं हैं। मीडिया, एनजीओ, नौकरशाहों का गठजोड़ इन अधार्मिक ताकतों के लिए सक्रिय सहयोगियों का काम कर रहे हैं। फिर कुछ अनचाहे सहयोगी हैं, जिन्हें बल,धोखाधड़ी और अन्य साधनों का प्रयोग करके सहयोग करने के लिए ब्लैकमेल किया जाता है।अंत में हमारे पास बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जो खुद को धोखे में रखकर, ‘धिम्मी, बने रहकर ‘सर्वधर्म समभाव’ का प्रपोगंडा आगे बढ़ाते हैं और अंततः धृतराष्ट्र की भाँति अधर्म का प्रतिरोध न कर उसके सहयोगी ही बन जाते हैं। 🚩संक्षेप में कहूँ तो ‘कुछ नहीं करना’ बहुत लंबे समय तक विकल्प नहीं रहने वाला है। क्योंकि, कुछ नहीं करना आपको हिंदू सभ्यता के विरोधियों का अप्रत्यक्ष रूप से सहयोगी बनाता है। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, July 14, 2024

ब्रिटेन में शिवानी राजा ने हाथ में श्रीमद्भगवद्गीता लेकर ली शपथ

ब्रिटेन में शिवानी राजा ने हाथ में श्रीमद्भगवद्गीता लेकर ली शपथ 15 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩भारत में कुछ नेता अपनी भारतीय संस्कृति की महिमा को समझ नहीं पा रहे है और ज्ञानहीन,अनुभव रहित नेता, तो भरी संसद में हिंदुओं को हिसंक बता रहें है। जबकि,ब्रिटेन की संसद में शिवानी राजा हाथ में श्रीमद्भगवद्गीता लेकर शपथ ग्रहण करती है। इनसे,भारतीय नेताओं को सिख लेकर समझना चाहिए की भारतीय संस्कृति कितनी महान है जो समस्त मानवजाति को स्वस्थ,सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाती है और मानव से महेश्वर बनाने तक का ज्ञान प्रदान करती है। 🚩आपको बता दे की ब्रिटेन के आम चुनावों में लीसेस्टेर ईस्ट से जीती,भारतीय मूल की शिवानी राजा ने संसद में शपथ ली तो सब देखते रह गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शिवानी राजा ने शपथ लेते वक्त श्रीमद्भगवद्गीता को हाथ में पकड़ा हुआ था। उनके हाथ में भगवत गीता देख संसद में बैठे सारे लोग हैरान थे। शिवानी ने इसी माहौल में अपनी सांसद पद की शपथ ली। उन्होंने कहा - “मुझे गीता पर हाथ रखकर महामहिम राजा चार्ल्स के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ लेने पर गर्व है।” https://x.com/ShivaniRaja_LE/status/1811047130535977148?t=eUZS_BSMxDGzxmk3t8nfqw&s=19 🚩बता दें कि खुद को गर्व से हिंदू कहने वाली शिवानी राजा ने ब्रिटेन के लीसेस्टर ईस्ट से जीत हासिल की है। उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से जीत हासिल करके लेबर पार्टी के उम्मीदवार राजेश अग्रवाल को हराया। शिवानी राजा को इस चुनाव में 14,526 वोट मिले और लेबर पार्टी के राजेश अग्रवाल को मात्र 10,100 वोट मिले। इसके अलावा लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के ज़ुफ्फर हक़ केवल 6329 वोट हासिलकर पाए। 🚩उल्लेखनीय है कि शिवानी राजा के साथ ही कंजर्वेटिव पार्टी के लिए भी यह बड़ी जीत है। कंजर्वेटिव पार्टी को यह जीत 37 साल बाद हासिल हुई है। इस सीट पर लगातार लेबर पार्टी कब्जा कर रही थी। शिवानी राजा लीसेस्टर में जन्मी पहली पीढ़ी की ब्रिटिश नागरिक हैं और एक कट्टर हिंदू है। 🚩शिवानी राजा की वेबसाइट के अनुसार, शिवानी राजा के माता-पिता 70 के दशक के अंत में केनिया और भारत से लीसेस्टर चले गए थे। शिवानी ने डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की है। उन्होंने फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक साइंस में ग्रेजुएशन किया है और बाद में इंग्लैंड में कुछ बड़े कॉस्मेटिक्स ब्रांड के साथ काम भी किया है। पिछले महीने की शुरुआत में वह लीसेस्टर पूर्व में हिन्दू कथावाचक गिरिबापू के ‘शिव कथा’ कार्यक्रम में शामिल हुईं थी। 🚩29 साल की शिवानी ने लीसेस्टर में जीत ऐसे माहौल में हासिल की है जहाँ 2022 में भारत बनाम पाकिस्तान टी20 एशिया कप मैच के बाद इस्लामी कट्टरपंथियों ने जमकर हिंसा की थी और हिंदुओं को निशाना बनाया था। ऐसे में शिवानी का इस जगह से जीता जाना एक न केवल कन्जर्वेटिव पार्टी की जीत मानी जा रही बल्कि हिंदुओं की जीत से भी इसे जोड़ा जा रहा है। शिवानी के अलावा यूके के आम चुनाव में 27 अन्य भारतीय मूल के सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए हैं। 🚩इंग्लैंड के एफ.एच.मोलेम ने कहा है की भगवदगीता ऐसे दिव्य ज्ञान से भरपूर है कि उसके अमृतपान से मनुष्य के जीवन में साहस, हिम्मत, समता, सहजता, स्नेह, शान्ति और धर्म आदि दैवी गुण विकसित हो उठते हैं। साथ ही,अधर्म और शोषण का मुकाबला करने का सामर्थ्य भी आ जाता है। अतः प्रत्येक युवक-युवती को गीता के श्लोक कण्ठस्थ करने चाहिए और उनके अर्थ में गोता लगाकर अपने जीवन को तेजस्वी बनाना चाहिए। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, July 13, 2024

जातिवाद को मिटाने के हमारे पूर्वजों का एक विस्मृत प्रयास , आज हमें भी करना चाहिए

जातिवाद को मिटाने के हमारे पूर्वजों का एक विस्मृत प्रयास , आज हमें भी करना चाहिए 14 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩1926 में पंजाब में आद धर्म के नाम से अछूत समाज में एक मुहिम चली। इसे चलाने वाले मंगू राम, स्वामी शूद्रानन्द आदि थे। ये सभी दलित समाज से थे। स्वामी शूद्रानन्द का पूर्व नाम शिव चरन था। उनके पिता ने फगवाड़ा से जालंधर आकर जूते बनाने का कारखाना लगाया था। उन्होंने आर्यसमाज द्वारा संचालित आर्य हाई स्कूल में 1914 तक शिक्षा प्राप्त की थी। बाद में आर्यसमाज से अलग हो गये। इनका उद्देश्य दलित समाज को यह सन्देश देना था कि वो हिन्दू धर्म त्याग कर चाहे सिख बने, चाहे मुसलमान और चाहे ईसाई। पर हिन्दू न रहे। सत्य यह है जातिवाद एक अभिशाप है जिसका समाधान धर्म परिवर्तन से नहीं होता। उस काल में संयुक्त पंजाब के दलित स्यालकोट, गुरुदासपुर में ईसाई या सिख बन गये और रावलपिंडी, लाहौर और मुलतान में मुसलमान बन गए। पर इससे जातिवाद की समस्या का समाधान नहीं निकलता था। सिख बनने पर उसे मज़हबी कहा जाने लगा, ईसाई बनने पर मसीही और मुसलमान बनने पर मुसली। अपने आपको उच्च मानने वाले गैर हिन्दू अभी भी उसके साथ रोटी-बेटी का सम्बन्ध नहीं रखते थे। सिखों के हिन्दू समाज का पंथ के रूप में सम्मान था पर जो दलित हिन्दू जैसे रहतियें, रविदासिए, रामगढिये आदि थे उनके साथ उच्च समझने वाले सिखों का व्यवहार भी छुआछूत के समान था। आर्यसमाज ने ऐसी विकट परिस्थिति में अछूतोद्धार का कार्य प्रारम्भ किया। अछूतों के लिए आर्यों ने सार्वजनिक कुएँ खोले तो उनके बच्चों को पढ़ाने के लिए पाठशालाएँ और शिल्प केंद्र। पंडित अमीचंद शर्मा ब्राह्मण परिवार में जन्में थे। आपके ऊपर अछूतोद्धार की प्रेरणा ऐसी हुई कि आपने वाल्मीकि समाज में कार्य करना प्रारम्भ किया। आपने वाल्मीकि प्रकाश के नाम से पुस्तक भी लिखी थीं। इस पुस्तक में वाल्मीकि समाज को उनके प्राचीन गौरव के विषय में परिचित करवाया गया था। 🚩आद धर्म सामाजिक सुधार से अधिक राजनीतिक महत्वाकांक्षा की ओर केंद्रित गया। 1931 की जनगणना में आद धर्म को जनगणना में हिन्दुओं से अलग लिखवाने की कवायद चलाई गई। इसके लिए अछूत समाज में जनसभायें आयोजित की जाने लगी। आर्यों ने इस स्थिति को भांप लिया। उन्हें कई दशक से अछूतोद्धार और विधर्मी बन गए अछूतों को वापिस शुद्ध कर सहधर्मी बनाने का अनुभव था। ऐसी ही एक जनसभा में शूद्रानन्द भावनाओं को भड़काने का कार्य कर रहा था। वो कहता था कि मुसलमान बन जाओ पर हिन्दू न रहो। आर्यों को उनकी सुचना मिली। आर्यसमाज के दीवाने पंडित केदारनाथ दीक्षित (स्वामी विद्यानंद के पिता) और ठाकुर अमर सिंह जी ( महात्मा अमर स्वामी) उस सभा में जा पहुंचे। कुछ देर सभा को देखकर दोनों खड़े हो गये। फिर ऊँची आवाज़ में बोले- 'मैं बिजनौर का रहने वाला जन्म का ब्राह्मण हूँ, और ये अरनिया जिला बुलंदशहर के रहने वाले राजपुर क्षत्रिय हैं। स्वामी शूद्रानन्द कहते हैं कि हम तुम से घृणा करते हैं। तुम लोगों में से कोई दो गिलास पानी ले आये। पानी आ गया। एक गिलास पंडित जी ने पिया हुए एक अमर सिंह जी ने। दो मिनट में शूद्रानन्द का बना बनाया खेल बिगड़ गया। और हज़ारों लोग मुसलमान बनने से बच गये। पंडित केदारनाथ स्वामी दर्शनानन्द के उपदेशों को सुनकर आर्य बने थे। उस काल में जब अछूत के घर का कोई पानी पीना तक पाप मानता था ,तब आर्यों के उपदेशकों ने जमीनी स्तर कर अछूतोद्धार का कार्य किया था। उनका लक्ष्य राजनीतिक महत्वाकांशा को पूरा करना नहीं था अपितु मानव मात्र के साथ बंधु और सखा के समान व्यवहार करना था। आजकल के दलितोद्धार के नाम से दुकान चलाने वाले क्या शूद्रानन्द के राह पर नहीं चल रहे। - डॉ विवेक आर्य 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, July 12, 2024

अदालतें कह रहीं धर्मांतरण रोको ? बहुसंख्यकों के अल्पसंख्यक होने का खतरा कितना बड़ा ?

अदालतें कह रहीं धर्मांतरण रोको ? बहुसंख्यकों के अल्पसंख्यक होने का खतरा कितना बड़ा ? 13 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩हाल में इलाहाबाद की अदालत ने भारत में बहुसंख्यक हिंदुओ के अल्पसंख्यक होने की आशंका जताते हुए धर्मांतरण को रोकने के मामले में टिप्पणी की थी। वहीं झारखंड की हाई कोर्ट ने तो कहा था कि भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशियों को चिह्नित करके वापस से भेजना चाहिए क्योंकि वो यहाँ आकर जनजातीय लड़कियों को अपने जाल में फँसाते हैं और धर्मांतरण कराते हैं। 🚩इलाहाबाद हाई कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने भले ही ये बातें अलग-अलग मामलों में की हो, लेकिन इनके मायने समझेंगे तो पता चलेगा कि मामला कितना गंभीर है। एक तरफ अदालत मान रहा है कि अगर धर्मांतरण का खेल चलता रहा तो बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हो जाएँगे और दूसरी ओर दिख भी रहा है कि कैसे घुसपैठ के बाद एसटी महिलाओं को फँसाते हुए उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है, फिर वहीं रहते हुए नए मदरसे खुल रहे हैं और आबादी में परिवर्तन का खेल चल रहा है। 🚩अदालतों की ये बातें निराधार बात नहीं है। भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल हो गए हैं। इतने समय से मुस्लिमों को अल्पसंख्यक श्रेणी में रखा जाता है, मगर जिस हिसाब से इनकी रफ्तार बढ़ रही है उसे देख ऐसा लगता है कि ओडिशा हाई कोर्ट की चिंता जायज है। 🚩1951 और 2011 में हुई जनगणना 1951 में हुई जनगणना के अनुसार, भारत में हिंदुओं की आबादी 30.5 करोड़ (84.1%), सिखों की 60 लाख 86 हजार (1.9%), ईसाइयों की 80 लाख के आसपास और मुसलमानों की जनसंख्या 3.54 करोड़ (9.8%) थी। वहीं 2011 की जनगणना में यदि देखें तो कुल 121.09 करोड़ की जनसंख्या में हिंदू 96.63 करोड़ यानी 79.8% हो गए। वहीं मुस्लिम की संख्या बढ़कर 17.22 करोड़ (14.2%) हो गई; ईसाई 2.78 करोड़ (2.3%); सिख 2.08 करोड़ (1.7%)। 🚩अब इन दोनों जनगणनाओं की यदि तुलना करें तो पता चलेगा कि हर धर्म के लोगों की जनसंख्या में बढ़ते समय के साथ गिरावट आई है जबकि सिर्फ मुस्लिम ऐसे हैं जो इतने सालों में निरंतर बढ़े हैं। 1951 में ये 9.8% थे जो कि अब बढ़कर 14.2% हो गए हैं। 🚩हिंदुओं की घटी हिस्सेदारी इसके अलावा अभी हाल में भी ये चिंताजनक आँकड़े प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की साइट पर उपलब्ध अध्य्यन से ही उजागर हुए थे। इसमें बताया गया था कि कैसे बीते सालों में हिंदुओं की हिस्सेदारी घटी है। रिपोर्ट में बताया गया था कि 1950 से लेकर 2015 के बीच, भारत में बहुसंख्यक आबादी में 7.82% की उलेखनीय गिरावट आई। पहले हिंदू 84.68 फीसदी थे और अब सिर्फ 78.06 रह गए हैं। जबकि इसी अवधि के दौरान अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी में वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार 1950 में मुस्लिम आबादी का हिस्सा 9.84 प्रतिशत था और 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया। 🚩इस रिपोर्ट पड़ोसी मुल्कों से जुड़े आँकड़े भी दिए गए थे जिनको देखने पर साफ हुआ था कि ये भारत ही है जहाँ अल्पसंख्यकों की संख्या में बढ़त देखने को मिली और बहुसंख्यक कम होते गए। वरना बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान इन तीनों मुल्कों में बहुसंख्यक आबादी यानी मुस्लिम सिर्फ बढ़े ही बढ़े हैं। कम हुए हैं तो हिंदू धर्म के लोग। 🚩इसलिए ये कहना कि समय के साथ जनसंख्या में ऐसे परिवर्तन देखना आम है एकदम गलत तथ्य है। अगर ऐसा होता तो बाकी मुल्कों में भी संख्या बढ़ी-घटी होती। सारे देशों की तुलना में अगर कुछ समान चीज को खोजें तो पाएँगे सिर्फ और सिर्फ मुस्लिमों को हर जगह बढ़ना ही एक कॉमन चीज है। इसके अलावा अगर मीडिया रिपोर्ट्स आदि पढ़कर समझेंगे तो पता चलेगा कि जिन जगहों पर मुस्लिमों की ऐसी वृद्धि हुई है वहाँ पहले से बसे हिंदू या अन्य वर्ग के लोग अपने आप कम हुए हैं और इस बदलाव ने कई जगह की डेमोग्राफी भी बदली है। 🚩डेमोग्राफी बदलना सामान्य नहीं डेमोग्राफी का बदलना कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं होती, वो भी तब जब धीरे-धीरे दिखने वाले इस बदलाव के साथ उस क्षेत्र के तौर-तरीकों और रहन-सहन में बदलाव दिखने लगे। सोचिए, 1930 में कराची की तस्वीर में महाशिवरात्रि के मेले की भीड़ दिखती थी क्योंकि वहाँ का इलाका हिंदू बहुल था मगर भारत से अलग होने के बाद वो जगह मुस्लिम बहुल हुई और आज कोई हिंदू वैसे उत्सव की कल्पना भी कराची में नहीं कर सकता। हाँ! अगर कल्पना कर सकता है तो धर्मांतरण की जैसा कि पाकिस्तान से आने वाली रिपोर्ट्स बताती हैं। 🚩पता रहे कि आज के समय में भारत में डेमोग्राफी बदलाव काफी चिंता का विषय है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, असम जैसे राज्यों के कई सीमा से सटे क्षेत्र में 10 सालों में अप्रत्याशित परिवर्तन देखने को मिला है। 2022 की खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश और असम बॉर्डर वाले इलाकों में अचानक से 32% फीसदी बढ़ने की जानकारी आई थी जबकि पूरे राज्य में मिलाकर ये दर 10-15 फीसद बढ़ी बताई गई थी। इसी तरह उत्तराखंड में भी 11 साल में मुस्लिम आबादी में हुई बढ़ोतरी की खबरें 2022 में सामने आई थी। 🚩ये दुर्भाग्य है कि हमने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा क्योंकि डेमोग्राफी में होने वाले बदलाव तो कोई अभी की बात नहीं है। इनपर चिंता तो तभी से होने चाहिए थी जब इस्लाम के नाम पर भारत का 8 लाख वर्ग किलोमीटर उठाकर पाकिस्तान को दे दिया गया। आज उसी क्षेत्र में देख लीजिए हिंदुओं के हालात क्या है। आए दिन वहाँ से अल्पसंख्यको के साथ धर्मांतरण, रेप की खबरें आती हैं। इसके बाद यही बांग्लादेश में भी हुआ। भारत का करीबन डेढ़ लाख वर्ग किलोमीटर उनको दे दिया गया। वहाँ भी आज के समय में पाकिस्तान जैसा ही अल्पसंख्यकों को हाल है। अगर कोई धर्मांतरण के खेल से बच जाए तो उस पर ईशनिंदा के आरोप लगाकर अत्याचार किए जाने लगते हैं। इसी तरह अफगानिस्तान, एक समय में ये भी भारत का हिस्सा था, मगर अब वहाँ 6 लाख वर्ग किलोमीटर में इस्लाम का बोल बाला हो गया है। 🚩हिंदुओं को सतर्क होना क्यों जरूरी अनुपम सिंह अपनी रिपोर्ट में कहते हैं कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तो इस्लामी कट्टरवाद की बस 33 फीसद सफलता है, बाकी की जीत तो उनकी ‘गजवा-ए-हिंदुस्तान’ के सपने के साथ पूरी होगी। ‘गजवा-ए-हिंद’ यानी पूरे भारत पर इस्लाम का राज…। आज धीरे-धीरे हो रहा डेमोग्राफी बदलाव इसी मकसद को पूरा करने के लिए उठाए गए कदम हैं जिसके लिए इस्लामी कट्टरपंथी तरह-तरह से लगे हैं। उन्हें कम आँकने वालों को समझना होगा कि राज्यों में होने वाले डेमोग्राफी सामान्य नहीं हैं। न ही ये कोई हवा-हवाई बातों से उठी चिंचा है। अतीत में इसके दुष्परिणाम भारत झेल चुका है और अगर अब भी वो नहीं सतर्क हुए तो हाल बुरे हो सकते हैं। शायद अगला कराची भारत का कोई इलाका हो जहाँ हिंदुओं को अपने पर्वों का उत्साह धीरे-धीरे भूलना पड़े और आदत लग जाए इस्लामी तौर-तरीकों के हिसाब से जीने की। आप समझ भी नहीं पाएँगे कब ये समस्या दूसरे के क्षेत्र से उठकर आपके क्षेत्र में पहुँच जाएगी और आपको उस क्षेत्र से निकलने पर मजबूर कर देगी। वर्तमान में कई मामले आ चुके हैं जहाँ मुस्लिम संख्या बढ़ने पर उसे मुस्लिम इलाका अपने आप घोषित कर दिया जाता है। - जयन्ती मिश्रा 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, July 11, 2024

वैदिक संस्कार क्यों किये जाते हैं ?

वैदिक संस्कार क्यों किये जाते हैं ? 11 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩1. गर्भाधान संस्कार - युवा स्त्री-पुरुष उत्तम सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे। 🚩2. पुंसवन संस्कार - जब गर्भ की स्थिति का ज्ञान हो जाए, तब दुसरे या तीसरे महिने में गर्भ की रक्षा के लिए स्त्री व पुरुष प्रतिज्ञा लेते है कि हम आज ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे गर्भ गिरने का भय हो। 🚩3. सीमन्तोन्नयन संस्कार - यह संस्कार गर्भ के चौथे मास में शिशु की मानसिक शक्तियों की वृद्धि के लिए किया जाता है इसमें ऐसे साधन प्रस्तुत किये जाते है जिससे स्त्री प्रसन्न रहें। 🚩4. जातकर्म संस्कार - यह संस्कार शिशु के जन्म लेने पर होता है। इसमें पिता सलाई द्वारा घी या शहद से जिह्वा पर ओ३म् लिखते हैं और कान में 'वेदोऽसि' कहते है। 🚩5. नामकरण संस्कार- जन्म से ग्यारहवें या एक सौ एक या दूसरे वर्ष के आरम्भ में शिशु का नाम प्रिय व सार्थक रखा जाता है। 🚩6. निष्क्रमण संस्कार - यह संस्कार जन्म के चौथे माह में उसी तिथि पर जिसमें बालक का जन्म हुआ हो किया जाता है। इसका उद्देश्य शिशु को उद्यान की शुद्ध वायु का सेवन और सृष्टि के अवलोकन का प्रथम शिक्षण है। 🚩7. अन्नप्राशन संस्कार - छठे व आठवें माह में जब शिशु की शक्ति अन्न पचाने की हो जाए तो यह संस्कार होता है। 🚩8. चूडाकर्म (मुंडन) संस्कार - पहले या तीसरे वर्ष में शिशु के बाल कटवाने के लिये किया जाता है। 🚩9. कर्णवेध संस्कार - कई रोगों को दूर करने के लिए शिशु के कान बींधे जाते है। 🚩10. उपनयन संस्कार - जन्म से आठवें वर्ष में इस संस्कार द्वारा लड़के व लड़की को यज्ञोपवीत (जनेऊ) पहनाया जाता है। 🚩11. वेदारम्भ संस्कार - उपनयन संस्कार के दिन या एक वर्ष के अन्दर ही गुरुकुल में वेदों के अध्ययन का आरम्भ किया जाता है। 🚩12. समावर्तन संस्कार - जब ब्रह्मचारी व्रत की समाप्ति कर वेद-शास्त्रों के पढ़ने के पश्चात गुरुकुल से घर आता है तब यह संस्कार होता है। 🚩13. विवाह संस्कार - विद्या प्राप्ति के पश्चात जब लड़का-लड़की भली भांति पूर्ण योग्य बनकर घर जाते है तब दोनों का विवाह गुण-कर्म-स्वभाव देखकर किया जाता है। 🚩14. वानप्रस्थ संस्कार - जब घर में पुत्र का पुत्र हो जाए, तब गृहस्थ के धन्धे को छोड़ कर वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश किया जाता है। 🚩15. सन्यास संस्कार - वानप्रस्थी वन में रह कर जब सब इन्द्रियों को जीत ले, किसी में मोह व शोक न रहे तब संन्यास आश्रम में प्रवेश किया जाता है। 🚩16. अन्त्येष्टि संस्कार - मनुष्य शरीर का यह अन्तिम संस्कार है जो मृत्यु के पश्चात शरीर को जलाकर किया जाता है। 🚩यह संक्षेप में 16 वैदिक संस्कारों का प्रयोजन संक्षेप में बताया है। इन सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता और महानता को विस्तार में जानने के लिए पुस्तक #संस्कार_विधि पढ़ें। -साभार 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, July 9, 2024

हमेशा स्वस्थ्य रहने के लिए करें ये घरेलु उपाय....

हमेशा स्वस्थ्य रहने के लिए करें ये घरेलु उपाय.... 10 July 2024 https://azaadbharat.org
🚩पश्चिमी सभ्यता के कारण आजकल की जीवन शैली काफी बदल गई है इसके कारण शरीर में बीमारियां जल्दी से आ जाति हैं। प्राचीन ऋषि मुनियों के अनुसार जीवन जीने से काफी बीमारियां से बच सकते है इसके कुछ उपाय आपको बता रहे हैं। 🚩1. आंवला :- किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा। 🚩2. मेथी :- मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी और जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा 🚩3. नेत्र स्नान :- मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये। ऐसा दिन में तीन बार करे। जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये। मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले। मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे। भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व कानो तक मले। इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं। 🚩4. शौच :- ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे। और सिर ढककर रखें इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा। 🚩5. छाछ :- तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह  के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं। 🚩6. सरसों तेल :- सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे। 🚩7. निद्रा :- दिन में जब भी विश्राम करे तो दाहिनी करवट ले कर सोएं। और रात में बायीं करवट ले कर सोये। दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर अर्थात सूर्य स्वर चलेगा। इससे आरोग्य बढ़ता रहेगा। 🚩8.ताम्बे का पानी :- रात को ताम्बे के बर्तन में रखा पानी सुबह पिए, निरंतर ऐसा करने से आप कई रोगो से बचे रहेंगे। ताम्बे के बर्तन में रखा जल गंगा जल से भी अधिक शक्तिशाली माना गया हैं। 🚩9. सौंठ :- सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात को सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये। 🚩10.टाइफाइड :- चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से टाइफाईड नहीं होता। 🚩11. ध्यान :- हर रोज़ कम से कम 15 से 20 मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे। 🚩12. नाक :- रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये।  प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी। 🚩13. मालिश :-  रात को सोने से पहले पैर के तलवो, नाभि, कान के पीछे और गर्दन पर सरसों के तेल की मालिश कर के सोएं। निद्रा अच्छी आएगी, मानसिक तनाव दूर होगा। त्वचा मुलायम रहेगी। सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में मालिश ज़रूर करे। 🚩14.योग और प्राणायाम :- नित्य कम से कम आधा घंटा योग और प्राणायाम का अभ्यास ज़रूर करे। 🚩15. हरड़ :- हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे। 🚩16. सुबह की सैर :- सुबह सूर्य निकलने से पहले पार्क या हरियाली वाली जगह पर सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। इस समय हवा में प्राणवायु का बहुत  संचार रहता हैं। जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर रोग मुक्त रहता हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं। 🚩17. रिफाइंड तेल , शक्कर और समुद्री नमकर की जगह तिल, सरसो, सिंगतेल बिना रिफाइंड का उपयोग करें और गुड़ व सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए। 🚩18. सुबह का भोजन 9 से 11 और रात्रि का भोजन शाम 5 से 7 के बीच में करने से हमेशा स्वथ्य रहेंगे। 🚩घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी, दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी। 🚩तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय, मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय ।। 🔺 Follow on 🔺 Facebook https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/ 🔺Instagram: http://instagram.com/AzaadBharatOrg 🔺 Twitter: twitter.com/AzaadBharatOrg 🔺 Telegram: https://t.me/ojasvihindustan 🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg 🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ