Wednesday, December 25, 2024

तुलसी पूजन दिवस: भारतीय संस्कृति का महोत्सव प्रणेता: संत श्री आशारामजी बापू

 25 December 2024

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🚩तुलसी पूजन दिवस: भारतीय संस्कृति का महोत्सव

प्रणेता: संत श्री आशारामजी बापू

🚩भारतीय संस्कृति अपनी प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। लेकिन वर्तमान समय में पाश्चात्य प्रभाव के कारण हमारी सांस्कृतिक जड़ें कमजोर हो रही हैं। पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण में हमारे त्योहारों और परंपराओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसी प्रवृत्ति को रोकने और भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए संत श्री आशारामजी बापू ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने की प्रेरणा दी। उनका उद्देश्य था कि इस दिन को पाश्चात्य त्योहार क्रिसमस के स्थान पर भारतीय परंपराओं के सम्मान के रूप में मनाया जाए।


🚩पश्चिमी प्रभाव और भारतीय संस्कृति का क्षरण


आज के समय में 25 दिसंबर का दिन केवल क्रिसमस के उत्सव के रूप में देखा जाता है, जिसमें विदेशी संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट है। बड़ी संख्या में लोग इस दिन पाश्चात्य रीति-रिवाजों को अपनाते हैं और भारतीय परंपराओं को भूल जाते हैं।


🔸यह प्रवृत्ति हमें हमारी जड़ों से काट रही है।


🔸नई पीढ़ी में भारतीय त्योहारों और परंपराओं के प्रति जागरूकता कम हो रही है।


🔸भारतीय धर्म और संस्कृति को नजरअंदाज करके बाहरी प्रभाव को स्वीकार करना हमारे समाज में संस्कारों की कमी का कारण बन रहा है।


🚩तुलसी पूजन दिवस: पाश्चात्य प्रभाव का समाधान


संत श्री आशारामजी बापू ने बताया कि भारतीय समाज को अपने मूल्यों और परंपराओं से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की ताकि यह दिन पाश्चात्य त्योहारों के बजाय भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बने।


🔸 तुलसी पूजन दिवस न केवल भारतीय परंपराओं का सम्मान करता है, बल्कि हमारी पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है।


🔸 यह हमें पाश्चात्य अंधानुकरण से बचाने का एक सशक्त माध्यम है।


🔸तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पूजनीय है, और इसका पूजन हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता को समृद्ध करता है।


🚩तुलसी पूजन दिवस का महत्व


धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से


🔸 तुलसी पूजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और पुनर्जीवित करने का माध्यम है।


🔸 यह दिन हमें भारतीय धर्म और परंपराओं की महानता का स्मरण कराता है।


🚩पर्यावरणीय दृष्टि से


🔸 तुलसी वायु को शुद्ध करती है और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक है।


🔸 तुलसी पूजन दिवस के माध्यम से लाखों लोग तुलसी के पौधे लगाते हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण में योगदान होता है।


🚩स्वास्थ्य के लिए लाभकारी


🔸 तुलसी के औषधीय गुण आधुनिक विज्ञान द्वारा प्रमाणित हैं।


🔸तुलसी का सेवन हमें बीमारियों से बचाता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।


🚩तुलसी पूजन दिवस का आयोजन


🔸तुलसी का पूजन:


  🌿 तुलसी के पौधे को गंगाजल से स्नान कराकर दीपक जलाया जाता है।


🌿तुलसी मंत्र “ॐ तुलस्यै नमः” का जप किया जाता है।


🔸सामूहिक उत्सव:


🌿संत श्री आशारामजी बापू के अनुयायी इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं।


🌿 तुलसी पूजन के लिए सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


🔸तुलसी वितरण और पौधारोपण:


🌿तुलसी के पौधों का वितरण कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जाता है।


तुलसी पूजन दिवस: हमारी सांस्कृतिक पहचान


संत श्री आशारामजी बापू का संदेश है कि हमें पश्चिमी त्योहारों का अंधानुकरण छोड़कर अपनी संस्कृति और परंपराओं को अपनाना चाहिए। 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाकर हम भारतीय मूल्यों को सुदृढ़ कर सकते हैं। यह न केवल हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है, बल्कि हमारी नई पीढ़ी को भी भारतीयता का पाठ पढ़ाता है।


🚩निष्कर्ष


तुलसी पूजन दिवस भारतीय संस्कृति, धर्म, और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और पश्चिमी प्रभाव को रोकने का सशक्त माध्यम है।

आइए, इस 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाएं और अपनी संस्कृति का सम्मान करें।

तुलसी पूजें, भारतीय परंपराओं को अपनाएं और जीवन में सकारात्मकता का संचार करें।


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