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Friday, October 16, 2020

लव जिहाद ने खड़ी की बेटियों के लिए पहाड़ जैसी बड़ी समस्या - असम मंत्री

16 अक्टूबर 2020


लव जिहाद के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में कई सरकारें इसे रोकने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं और इसके खिलाफ़ मुखर होकर एक्शन भी ले रही हैं। आज इसी कड़ी में असम के मंत्री (वित्त, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण) व भाजपा विधायक हिमंत बिस्वा सरमा ने भी अपना बयान दिया है।




उन्होंने लव जिहाद की ओर इशारा करते हुए बताया कि जो मुस्लिम लड़के झूठा नाम रख कर हिंदू लड़कियों से निकाह करते हैं, वह कोई सच्ची शादी नहीं होती बल्कि विश्वासघात होता है।

समाचार एजेंसी से बात करते हुए असम मंत्री हिमंत बिस्वा ने कहा, “कई मुस्लिम लड़के हिंदू नाम से फेसबुक अकॉउंट बनाते हैं और मंदिर में जाकर अपनी तस्वीर डालते हैं और जब एक बार लड़की ऐसे लड़कों से शादी कर लेती है तो उसे लड़के का असली नाम पता चलता है। इसे असली विवाह नहीं बल्कि विश्वासघात कहा जाता है।”

बता दें कि इससे पहले असम मंत्री हिमंत ने मदरसों पर भी अपना बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि उनके राज्य में नवंबर में सभी मदरसों को बंद करने के बारे में एक अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 100 संस्कृत स्कूल भी बंद किए जाएँगे।

बिस्वा ने एएनआई को बताया था, “मेरी राय में, कुरान का शिक्षण सरकारी धन पर नहीं हो सकता है। अगर हमें ऐसा करना है तो हमें बाइबल और भगवद गीता दोनों को भी पढ़ाना चाहिए। इसलिए, हम एकरूपता लाना चाहते हैं और इस प्रथा को रोकना चाहते हैं।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों लव जिहाद के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब लड़की को हिंदू नाम बताकर फँसा लिया गया और बाद में उसे नारकीय जीवन जीने पर या तो मजबूर किया गया या फिर मार कर कहीं फेंक दिया गया। पिछले दिनों भी इसी संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमंत बिस्वा ने असम चुनावों के मद्देनजर आह्वान किया था कि यदि उनकी सरकार आई तो इस लव जिहाद के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी।

उन्होंने कहा था, ‘‘हमें असम की जमीन पर लव जिहाद के खिलाफ एक नई और कड़ी लड़ाई शुरू करनी होगी। अगर भाजपा दुबारा सत्ता में आती है तो हम यह निर्णय लेंगे कि अगर कोई भी लड़का धार्मिक पहचान छुपाता है और असम की बेटियों और महिलाओं पर कुछ भी नकारात्मक टिप्पणी करता है तो उसे कड़ी सजा मिले।”

हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा था, ‘‘लव जिहाद ने असम की बेटियों के लिए पहाड़ जैसी बड़ी समस्या खड़ी की है। कई लड़कियों की तो तलाक की नौबत आ गई क्योंकि उन्हें गलत नाम बताकर लड़कों ने धोखा दिया।”

हिंदू युवतियों को अपने माँ-बाप धर्म के संस्कार नहीं देते हैं जिससे हिंदू युवतियां सेक्युलर बन जाती हैं और स्कूलों में भी शिक्षा सेक्युलरिज्म की दी जा रही है। ऊपर से वेब सीरीज, सीरियलों एवं फिल्मों द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा दिया जाता है जिसके कारण हिंदू युवती लव जिहाद में आसानी से फंस जाती है और उनका आखरी अंत बड़ा दर्दनाक होता है।

लव जिहाद से हिंदू युवतियों की जिंदगी बर्बाद हो गई है ऐसी एक-दो नहीं हजारों-लाखों घटनाएं होंगी पर उसकी खबरें इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया नहीं बताती है जिसके कारण ऐसी खबरें जनता तक पहुँच नहीं पाती हैं जिसके कारण दूसरी हिंदू युवतियां भी लव जिहाद में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं।

माँ-बाप पहले सनातन धर्म का संस्कार जरूर दें और लव जिहाद में फंसने वाली जिन लड़कियों का जीवन बर्बाद हो गया है उनका भी उदाहरण दें जिसके कारण आपकी बेटियां इनके चंगुल से बच सकें।

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Saturday, September 26, 2020

मुस्लिम मंत्री ने खुद स्वीकार किया - "साजिश के तहत बढ़ रहे हैं लव जिहाद"

 

25 अप्रैल 2019


लव जिहाद देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है, साल में हजारों हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवाश करके लव जिहाद में फंसाया जाता है, कुछ हिन्दू लड़कियों से जबरन शादी कर लेते हैं, इसके पीछे मुस्लिम देश की भारी फंडिग आती है। कई जगह तो मुस्लिम लड़के अपना असली नाम छुपाकर हिन्दू नाम रख लेते हैं और स्कूल, कॉलेजों के बाहर, हिन्दू इलाकों के आसपास बाइक लेकर घूमते हैं और किसी हिन्दू लड़की से मीठी-मीठी बात करके उसको फंसाकर उससे शादी कर लेते हैं उसके बाद उसको भयंकर प्रताड़ित किया जाता है, यहाँ तक कई हिन्दू लड़कियों ने लव जिहाद में फंसकर शादी के बाद आत्महत्या तक कर ली है।




ये दावा हिंदू संगठन व सुदर्शन न्यूज़ ने सबसे पहले किया और प्रमुखता से कई बिंदास बोल में इसको उठाया भी जिसके बाद देश के तमाम वामपंथी तत्वों और कट्टरपंथी तत्वों ने इसका ठीक वैसे ही विरोध किया था जैसे आज एक खास मुद्दे को ले कर हो रहा है।

ध्यान देने योग्य है कि जिहाद का सबसे खुफिया रूप अगर किसी को माना जा सकता है तो वो लव जिहाद है जिस पर अब उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल के एक मुस्लिम मंत्री की मुहर लग गई है। उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने प्रदेश में बढ़ते लव जिहाद के मामलों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 'राज्य में साजिश के तहत लव जिहाद के मामले बढ़ रहे हैं।'

रजा का आरोप है कि 'एक साजिश के तहत इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे रोकने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो सरकार कानून लाएगी। इसकी की तैयारी हो रही है।' बाकायदा इसके पीछे के गुनाहगारों को बेनकाब करते हुए मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदेश में लव जिहाद और धर्मातरण के लगातार बढ़ते मामलों पर मोहसिन रजा ने कहा कि 'सिमी और पीएफआई जैसे संगठन भी इसके पीछे हैं।'

आगे बोलते हुए मंत्री मोहसिन रज़ा ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां पड़ताल में लगी हैं। लव जिहाद और धर्मातरण की काफी शिकायतें आ रही हैं। इनको हमारे देश में तुष्टिकरण की राजनीति के तहत राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल गया। इस साजिश का खुलासा होना चाहिए और ये बेहद जरूरी है। यह एक साजिश के तहत यह काम किया जा रहा है। भोली-भाली लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनके साथ शादी करना, फिर उनका धर्मातरण किया जा रहा है।


लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं, बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती हैं क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है, धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, उसकी अनेक पत्नियां होती हैं, गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।

लव जिहाद होने की नौबत तब आती है जब अपनी बेटियों को धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती है और उनको सनातन संस्कृति की महानता नहीं बताई जाती है उस अनुसार उनको कार्य करने को प्रेरित न करने के कारण आज हिन्दू बेटियां लव जिहाद में फंस रही हैं उसके लिए जिम्मेदार उनके माता-पिता भी ही हैं, माता-पिता का प्रथम कर्तव्य है कि अपने बच्चों को सनातन धर्म की महिमा से अवगत जरूर कराएं।

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Tuesday, September 8, 2020

जानिए लव जिहाद में हिंदू लड़कियां फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कैसे कर देती हैं।

 

08 सितंबर 2020

हिंदू युवतियों को अपने माँ-बाप धर्म के संस्कार नहीं देते हैं जिससे हिंदू युवतियां सेक्युलर बन जाती हैं और स्कूलों में भी शिक्षा सेक्युलरिज्म की दी जा रही है। ऊपर से वेब सीरीज, सीरियलों एवं फिल्मों द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा दिया जाता है जिसके कारण हिंदू युवती लव जिहाद में आसानी से फस जाती है और उनका आखरी अंत बड़ा दर्दनाक होता है।




लव जिहाद से हिंदू युवतियों की जिंदगी बर्बाद हो गई है ऐसी एक-दो नहीं हजारों-लाखों घटनाएं होंगी पर उसकी खबरें इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया नहीं बताती है जिसके कारण ऐसी खबरें जनता तक पहुँच नही पाती है जिसके कारण दूसरी हिंदू युवतियां भी लव जिहाद में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं।

आपको यहाँ दो ताजा खबरें दिख रहे है लव जिहाद में फंसकर कैसे हिंदू युवतियां अपनी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं।

अहमदाबाद में लव जिहाद

अहमदाबाद पुलिस ने मोइन कुरैशी नाम के युवक के खिलाफ उसी की पत्नी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की है। पत्नी ने अपने शौहर के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। कुरैशी की पत्नी नयना (बदला हुआ नाम) जन्म से हिंदू है। उसने बताया कि उसके पति ने शादी से पहले उससे वादा किया कि वह कभी भी उसे हिंदू धर्म छोड़ने और इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर नहीं करेगा। लेकिन बाद में मोईन कुरैशी ने कथित तौर पर उस पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और नयना पर इस्लाम धर्म कबूलने का दबाव डाला।

नयना कहती है कि शादी से पहले कुरैशी ने उससे अहमदाबाद के पॉश इलाके शाहीबाग में रहने का दावा किया था। लेकिन बाद में यह सामने आया कि कुरैशी दुधेश्वर नामक सामान्य इलाके में रहता हैं।

हिंदू लड़की नयना ने कहा कि फरवरी 2017 में उसने मोइन से साथ कोर्ट मैरिज की थी। कुरैशी ने 2018 में रमज़ान के दौरान उस पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डालना शुरू किया। इसके अलावा छोटी-छोटी बातों पर उसने झगड़े शुरू कर दिए और वो कुछ कमाता नही था और नयना खुद जॉब करके करीब 6.5 लाख रुपये कमा लेती थी उससे मोइन मौज मस्ती करता था।

वहीं 16 जनवरी, 2020 को उसके बेटे का जन्म हुआ तो कुरैशी ने नयना को अपने बेटे का हिंदू नाम रखने से मना कर दिया। नयना ने  बताया कि बच्चे के जन्म के बाद उनका रिश्ता और अधिक तनावपूर्ण हो गया था। जब उसने अपनी समस्याओं के बारे में अपनी माँ से बात की तो उसे समझौता करने के लिए कहा गया। 23 जुलाई, 2020 को कुरैशी ने नयना और अपने बेटे को उसके माता-पिता के घर ले गया और उन्हें वहाँ छोड़ दिया। तब से नयना, अपने बेटे के साथ अपने माता-पिता के साथ रह रही है। नयना ने अपने पति पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए न्याय माँगा है।

कानपुर लव जिहाद की पीड़िता मुस्कान

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर में जाजमऊ निवासी आसिफ शाह उर्फ नफीज को गिरफ्तार किया है। आसिफ ने गोविंद नगर की 18 वर्षीय मुस्कान को अपने प्रेम जाल में फँसाया और ब्रेनवॉश कर जबरन उसको इस्लाम कबूलने पर मजबूर किया।

🚩मुस्कान के परिवार ने कानपुर के गोविंद नगर में स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आसिफ शाह उर्फ नफीज नाम के एक युवक पर उनकी बेटी पर जादू-टोना करके ब्रेनवॉश करने, शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार करने और जबरन इस्लाम कबूल कर शादी करने के लिए धमकाने का आरोप लगाया।

आरोपित की गिरफ्तारी के बारे में बात करते हुए, मुस्कान की माँ ने कहा कि आसिफ शादीशुदा और दो बच्चों का पिता है। वह 35 साल का है, जबकि मुस्कान केवल 18 साल की थी। उसने अपनी पिछली शादी के बारे में मुस्कान से झूठ बोला था। जब वह मुस्कान को अपने घर ले गया, तो उसने कथित तौर पर अपनी पत्नी को अपनी बड़ी बहन के रूप में उससे मिलवाया था।

युवती ने बताया था कि उस पर जबरन इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया जा रहा था। इतना ही नहीं वे लोग जादू-टोना, झाड़-फूँक से उसके धर्मांतरण की कोशिश कर रहे थे। उसने यह भी कहा कि आसिफ के साथ उसका निकाह हो गया है।

सभी ने पुष्टि की थी कि कानपुर में अन्य मामलों की तरह यह भी लव जिहाद का मामला था, जहाँ आरोपित के परिवार ने योजनाबद्ध तरीके से एक हिंदू लड़की को निशाना बनाया और फँसाया था।

लव जिहाद की यहाँ केवल 2 ही घटनाओ का ही उल्लेख किया है बाकी ऐसी लाखों घटनाएं है जिसमे हिंदू युवतियों ने लव जिहाद में फंसकर अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लिया है, कई हिंदू युवतियों का तो पता भी नही चल पा रहा है कि वे कहां गई, विदेश में बेच दिया, हत्या कर दी या खुद आत्महत्या कर ली? अब हिंदुओं को जागरूक होने की अत्यंत आवश्यकता है सबसे पहले अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा दें, अच्छे संस्कार दें, टीवी सिनेमा से दूर रखें, उनका मोबाइल चेक करते रहें जिससे बच्चे अपनी जिंदगी बर्बाद न कर लें नही तो यही बच्चे बड़े होकर आपको ही गालियां देंगे, बच्चों का भी कर्तव्य है कि अपने माँ-बाप की बात माने नही तो आगे पछताना पड़ेगा।

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Tuesday, July 14, 2020

लव जिहाद की इस सच्चाई को जान लिया तो कोई भी लड़की लव जिहाद में नहीं फसेगी।

13 जुलाई 2020

🚩मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने से पहले शर्मिला टैगोर ने इस्लाम कबूल किया था, जिसके बाद शर्मिला का नाम रखा गया आएशा बेगम! प्यार सच्चा था तो इस्लाम कबूल करवाने की जिद किसलिए? और अगर इस्लाम कुबूल कर ही लिया है तो खुद को शर्मिला टैगोर कहने की जिद किसलिए? अक्सर हिन्दुओं और बाकी विश्व को मूर्ख बनाने के लिये मुस्लिम और सेकुलर विद्वान यह प्रचार करते हैं कि कम पढ़े-लिखे तबके में ही इस प्रकार की तलाक की घटनाएं होती हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। क्या इमरान खान या नवाब पटौदी कम पढ़े-लिखे हैं? तो फ़िर नवाब पटौदी, रविन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से रिश्ता रखने वाली शर्मिला से शादी करने के लिये इस्लाम छोड़कर हिन्दू क्यों नहीं बन गये? सैफ़ अली खान को अमृता सिंह से इतना ही प्यार था तो सैफ़ हिन्दू क्यों नहीं बन गया? अब अमृता सिंह को बेसहारा छोड़कर करीना कपूर से विवाह किया और बेटे का नाम रखा तैमूर। इससे अनुमान लगा लें इनका आदर्श वही खुनी तैमूर लंग है जिसने भारत में कत्लेआम मचाया था।

🚩आँख बंद कर लेने से रात नहीं होती:-

🚩प्रेम अन्धा होता है, सभी धर्म समान हैं, शादी ब्याह में धर्म नहीं दिल देखा जाता है, मुसलमान भी तो इंसान हैं, यह कहने वाले एक बार विचार करें, जो हिन्दू लड़कियां सोचती हैं कि लव जेहाद जैसा कुछ नहीं होता तो उन्हें सोचना चाहिए की क्या कोई मुस्लिम लड़की लव मैरिज करके हिन्दू लड़के की पत्नी बन सकती है? इस्लाम के तथाकथित विद्वान ज़ाकिर नाइक खुद फ़रमा चुके हैं कि इस्लाम “वन-वे ट्रेफ़िक” है, कोई इसमें आ तो सकता है, लेकिन इसमें से जा नहीं सकता… क्या दोनो एक ही घर में अपने-अपने धर्म का पालन नहीं कर सकते? मुस्लिम बनना क्यों जरूरी है? और यही बात उनकी नीयत पर शक पैदा करती है।

🚩अंकित सक्सेना का सडक पर उसे माँ बाप के सामने क़त्ल कर दिया गया क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से शादी करने वाला था। उस लड़की के माँ बाप और चाचा ने सडक पर अंकित सक्सेना का गला काट कर हत्या कर दी।

🚩जेमिमा मार्सेल गोल्डस्मिथ और इमरान खान – ब्रिटेन के अरबपति सर जेम्स गोल्डस्मिथ की पुत्री (21), पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान (42) के प्रेमजाल में फ़ँसी, उससे 1995 में शादी की, इस्लाम अपनाया (नाम हाइका खान), उर्दू सीखी, पाकिस्तान गई, वहाँ की तहज़ीब के अनुसार ढलने की कोशिश की, दो बच्चे (सुलेमान और कासिम) पैदा किये… नतीजा क्या रहा… तलाक-तलाक-तलाक। वापस ब्रिटेन। फ़िर वही सवाल – क्या इमरान खान कम पढ़े-लिखे थे? या आधुनिक नहीं थे?

🚩24 परगना (पश्चिम बंगाल) के निवासी नागेश्वर दास की पुत्री सरस्वती (21) ने 1997 में अपने से उम्र में काफ़ी बड़े मोहम्मद मेराजुद्दीन से निकाह किया, इस्लाम अपनाया (नाम साबरा बेगम)। सिर्फ़ 6 साल का वैवाहिक जीवन और चार बच्चों के बाद मेराजुद्दीन ने उसे मौखिक तलाक दे दिया और अगले ही दिन कोलकाता हाइकोर्ट के तलाकनामे (No. 786/475/2003 दिनांक 2.12.03) को तलाक भी हो गया। अब पाठक खुद ही अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि चार बच्चों के साथ घर से निकाली गई सरस्वती उर्फ़ साबरा बेगम का क्या हुआ होगा, न तो वह अपने पिता के घर जा सकती थी, न ही आत्महत्या कर सकती थी…

🚩प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम, हुमायूं कबीर (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) ने भी हिन्दू लड़कियों से शादी की, क्या इनमें से कोई भी हिन्दू बना? अज़हरुद्दीन भी अपनी मुस्लिम बीबी नौरीन को चार बच्चे पैदा करके छोड़ चुके। बाद में संगीता बिजलानी से निकाह कर लिया, कुछ साल बाद उसे भी तलाक दे दिया। उन्हें कोई अफ़सोस नहीं, कोई शिकन नहीं। ऊपर दिये गये उदाहरणों में अपनी बीवियों और बच्चों को छोड़कर दूसरी शादियाँ करने वालों में से कितने लोग अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं? तब इसमें शिक्षा-दीक्षा का कोई रोल कहाँ रहा? यह तो विशुद्ध लव-जेहाद है।

🚩वहीदा रहमान ने कमलजीत से शादी की, वह मुस्लिम बने, अरुण गोविल के भाई ने तबस्सुम से शादी की, मुस्लिम बने, डॉ ज़ाकिर हुसैन (पूर्व राष्ट्रपति) की लड़की ने एक हिन्दू से शादी की, वह भी मुस्लिम बना, एक अल्पख्यात अभिनेत्री किरण वैराले ने दिलीप कुमार के एक रिश्तेदार से शादी की और गायब हो गई।

🚩इस कड़ी में सबसे आश्चर्यजनक नाम है भाकपा के वरिष्ठ नेता इन्द्रजीत गुप्त का। मेदिनीपुर से 37 वर्षों तक सांसद रहने वाले कम्युनिस्ट (जो धर्म को अफ़ीम मानते हैं), जिनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज दिल्ली तथा किंग्स कॉलेज केम्ब्रिज में हुई, 62 वर्ष की आयु में एक मुस्लिम महिला सुरैया से शादी करने के लिये मुसलमान (इफ़्तियार गनी) बन गये। सुरैया से इन्द्रजीत गुप्त काफ़ी लम्बे समय से प्रेम करते थे और उन्होंने उसके पति अहमद अली (सामाजिक कार्यकर्ता नफ़ीसा अली के पिता) से उसके तलाक होने तक उसका इन्तज़ार किया। लेकिन इस समर्पणयुक्त प्यार का नतीजा वही रहा जो हमेशा होता है, जी हाँ, “वन-वे-ट्रेफ़िक”। सुरैया तो हिन्दू नहीं बनीं, उलटे धर्म को सतत कोसने वाले एक कम्युनिस्ट इन्द्रजीत गुप्त “इफ़्तियार गनी” जरूर बन गये।

🚩इसी प्रकार अच्छे खासे पढ़े-लिखे अहमद खान (एडवोकेट) ने अपने निकाह के 50 साल बाद अपनी पत्नी “शाहबानो” को 62 वर्ष की उम्र में तलाक दिया, जो 5 बच्चों की माँ थी… यहाँ भी वजह थी उनसे आयु में काफ़ी छोटी 20 वर्षीय लड़की (शायद कम आयु की लड़कियाँ भी एक कमजोरी हैं)। इस केस ने समूचे भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अच्छी-खासी बहस छेड़ी थी। शाहबानो को गुज़ारा भत्ता देने के लिये सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को राजीव गाँधी ने अपने असाधारण बहुमत के जरिये “वोटबैंक राजनीति” के चलते पलट दिया, मुल्लाओं को वरीयता तथा आरिफ़ मोहम्मद खान जैसे उदारवादी मुस्लिम को दरकिनार किया गया… तात्पर्य यही कि शिक्षा-दीक्षा या अधिक पढ़े-लिखे होने से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता, शरीयत और कुर-आन इनके लिये सर्वोपरि है, देश-समाज आदि सब बाद में…।

🚩शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फ़ारुख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की, ज़ाहिर है कि उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करने के बाद, यदि वाकई ये लोग सेकुलर होते तो खुद ईसाई धर्म अपना लेते और अंग्रेज बन जाते…? और तो और आधुनिक जमाने में पैदा हुए इनके पोते यानी कि जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की “पायल” से शादी की, लेकिन खुद हिन्दू नहीं बने, उसे मुसलमान बनाया, तात्पर्य यह कि “सेकुलरिज़्म” और “इस्लाम” का दूर-दूर तक आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है और जो हमें दिखाया जाता है वह सिर्फ़ ढोंग-ढकोसला है।

🚩एक बात और है कि धर्म परिवर्तन के लिये आसान निशाना हमेशा होते हैं “हिन्दू”, जबकि ईसाईयों के मामले में ऐसा नहीं होता, एक उदाहरण और देखिये –

🚩पश्चिम बंगाल के एक गवर्नर थे ए एल डायस (अगस्त 1971 से नवम्बर 1979), उनकी लड़की लैला डायस, एक लव जेहादी ज़ाहिद अली के प्रेमपाश में फ़ँस गई, लैला डायस ने जाहिद से शादी करने की इच्छा जताई। गवर्नर साहब डायस ने लव जेहादी को राजभवन बुलाकर 16 मई 1974 को उसे इस्लाम छोड़कर ईसाई बनने को राजी कर लिया। यह सारी कार्रवाई तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय की देखरेख में हुई। ईसाई बनने के तीन सप्ताह बाद लैला डायस की शादी कोलकाता के मिडलटन स्थित सेंट थॉमस चर्च में ईसाई बन चुके जाहिद अली के साथ सम्पन्न हुई। इस उदाहरण का तात्पर्य यह है कि पश्चिमी माहौल में पढ़े-लिखे और उच्च वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले डायस साहब भी, एक मुस्लिम लव जेहादी की “नीयत” समझकर उसे ईसाई बनाने पर तुल गये। लेकिन हिन्दू माँ-बाप अब भी “सहिष्णुता” और “सेकुलरिज़्म” का राग अलापते रहते हैं, और यदि कोई इस “नीयत” की पोल खोलना चाहता है तो उसे “साम्प्रदायिक” कहते हैं। यहाँ तक कि कई लड़कियाँ भी अपनी धोखा खाई हुई सहेलियों से सीखने को तैयार नहीं, हिन्दू लड़के की सौ कमियाँ निकाल लेंगी, लेकिन दो कौड़ी की औकात रखने वाले मुस्लिम जेहादी के बारे में पूछताछ करना उन्हें “साम्प्रदायिकता” लगती है…

🚩ऐसी हज़ारों दास्तानों में से एक है सिरोंज के महेश्वरी समाज की दास्तान। सिरोंज यह स्थान विदिशा से ५० मील की दूरी पर एक तहसील है। 200 साल पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। अब किया क्या जाये? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कुटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दिया गया कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर महेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया। आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।

🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरे खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे। तो कोई हिन्दू लड़को कभी लव जिहाद का शिकार न बने।

🚩सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये कैसा प्रेम है? यदि वाकई “प्रेम” ही है तो यह वन-वे ट्रैफ़िक क्यों है? इसीलिये सभी सेकुलरों, प्यार-मुहब्बत-भाईचारे, धर्म की दीवारों से ऊपर उठने आदि की हवाई-किताबी बातें करने वालों से मेरा सिर्फ़ एक ही सवाल है, “कितनी मुस्लिम लड़कियों (अथवा लड़कों) ने “प्रेम” की खातिर हिन्दू बनना स्वीकार किया है?”

🚩मां-बाप का भी कर्तव्य है कि अपने बेटी-बेटियों को धर्म की शिक्षा जरूर दे जिससे वे लव जिहाद में न फसे सेक्युलर बनकर अपने धर्म की हानि न करे और एक बात ध्यान रखना धर्म है तभी सबकुछ ठीक है नही तो पाकिस्तान में जाकर देखो हिंदुओं का क्या हाल हैं।

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