03 September 2018
जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए श्रीमद्भगवदगीता ग्रंथ अद्भुत है । विश्व की 578 भाषाओं में भगवद्गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों और भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, और आगे भी होती रहेंगी । क्योंकि इस ग्रन्थ में सब देशों, जातियों, पंथों के तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है । अतः हम सबको गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए । भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करने वाला यह गीता ग्रन्थ, विश्व में अद्वितिय है । यह बात स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज ने बताई थी ।
Researcher: Srimadbhavadgita lessons can be cured by terrible diseases |
अमेरिकन महात्मा थॉरो ने बताया था कि
प्राचीन युग की सर्व रमणीय वस्तुओं में गीता से श्रेष्ठ कोई वस्तु नहीं है । गीता में ऐसा उत्तम और सर्वव्यापी ज्ञान है कि उसके रचयिता देवता को असंख्य वर्ष हो गये फिर भी ऐसा दूसरा एक भी ग्रन्थ नहीं लिखा गया है ।
श्रीमद्भगवदगीता की कितनी ही महिमा गाओ कम है । आज के शोधार्थियों ने सिद्ध कर दिया कि श्रीमद्भगवदगीता से डायबिटीज जैसी अनेक बीमारियां भी ठीक हो सकती हैं ।
भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शोधार्थियों के एक दल ने डायबिटीज को ठीक करने का आध्यात्मिक तरीका खोज निकाला है । इसकी खोज श्रीमद्भगवत गीता से की गई है । शोधार्थियों का कहना है कि, भगवद्गीता में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच जो संवाद हुआ है, उसका उपयोग विशेष रूप से पुरानी बीमारियां जैसे डायबिटीज को दूर करने के लिए किया जा सकता है । वे भगवद्गीता के उन श्लोकों के बारे में बता रहे हैं, जो जिंदगी की विभिन्न स्थितियों का वर्णन करता है ।
टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शोधार्थियों ने कहा कि,"गीता नकारात्मक अवस्था को चिन्हित करता है और भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा इस अवस्था से निपटने के लिए सकारात्मक सलाह इस ग्रंथ में दिए गए हैं । अर्जुन उन्हें लागू करते हैं । डायबिटीज भी खराब जीवन शैली की वजह से होने वाली बीमारी है, जो पूरी तरह खाना और व्यायाम जैसी बुनियादी आदतों में बदलाव की वजह से हाेता है । भगवद्गीता में बताई गई बातों का उपयोग कर इससे निपटा जा सकता है।”
इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म में प्रकाशित रिसर्च को डॉक्टरों व शोधकर्ताओं ने देश के भीतर और बाहर कई अस्पतालों और शोध संस्थानों में अध्ययन कर तैयार किया था । इसमें विदेशी विशेषज्ञ "ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और मिटफोर्ड अस्पताल, ढाका, बांग्लादेश" और "आगा खान विश्वविद्यालय अस्पताल, कराची, पाकिस्तान" से थे ।
शोधकर्ताओं ने कहा कि “भगवद्गीता एक धार्मिक या दार्शनिक पाठ से कहीं अधिक है । इसके 700 से अधिक छंद जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालते हैं । ये व्यक्ति को नाकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाते हैं । ये श्लोक व्यक्ति के जीवन में पूरी तरह से बदलाव ला सकते हैं ।
मधुमेह के शिकार व्यक्ति को, अपनी कई चीजों में बदलाव करना पड़ता है, जो पहले उन्हें काफी पसंद होता है । गीता के अध्ययन से उन्हें संयम का प्रयोग करने, जीवनशैली बदलने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए प्रेरणा मिलती। इसे पढकर और उसमें बताई गई बातों को अपने जीवन में लागू कर मरीज डायबिटीज जैसी बीमारियों से निदान पा सकते हैं। साथ ही कई बीमारियों और परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।” स्त्रोत : जनसत्ता
इंग्लैन्ड के एफ.एच.मोलेम लिखते हैं कि
"बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है, उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ क्योंकि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाए हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके, ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है ।"
श्रीमद्भगवद्गीता जैसे ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रबंधन #संस्थानों ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।
अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन #हॉ यूनिवर्सिटी में, गीता को #अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।
रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं ।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान, आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है ।
श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा विदेशी लोग जानकर उसका फायदा उठा रहे हैं, फिर भारतवासीयों को उससे वंचित नहीं रहना चाहिए ।
भारत के मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में बाइबल, तो सभी स्कूलों-कॉलेजों श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ानी चाहिए ।
अब समय आ गया है कि पश्चिमी #संस्कृति के #नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जाए और अपनी भारतीय #संस्कृति को अपनाया जाए । #हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाना "भगवाकरण" नहीं है, अपितु उसमें मानवमात्र का कल्याण और उन्नति छुपी है ।
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