Friday, March 27, 2020

8 मार्च को ही विश्व महिला दिवस क्यों मनाया जाता है ?

06 मार्च 2020
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*🚩अंतराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं की उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है ।*
*🚩अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) 28 फरवरी 1909 को पहली बार अमेरिका में सेलिब्रेट किया गया था । सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया ताकि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध और मांग दर्ज करवा सकें ।*

*🚩1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया । उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था ।*
*🚩1913-14 में महिला दिवस युद्ध का विरोध करने का प्रतीक बन कर उभरा । रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस फरवरी माह के आखिरी दिन पर मनाया और पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया । यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं ।*
*🚩1917 में रूस की महिलाओं ने, 8 मार्च महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया । यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी । जार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया । उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर । इन दोनो की तारीखों में कुछ अन्तर है । जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी इतवार 23 फरवरी को था जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी । इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है । इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।*
*🚩1975 में यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च का दिन सेलिब्रेट करना शुरू किया । 1975 वह पहला साल था जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया ।*
*🚩2011 में अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने 8 मार्च को महिलाओं का ऐतिहासिक मास कहकर पुकारा । उन्होंने यह महीना पूरी तरह से महिलाओं की मेहनत, उनके सम्मान और देश के इतिहास को महत्वपूर्ण आकार प्रकार देने के लिए उनके प्रति समर्पित किया ।*
*🚩 महिला उत्थान मंडल द्वारा देशभर में सौंपें जायेंगें ज्ञापन:-*
*🚩महिला उत्थान मंडल महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा प्रदान किया गया है ।*
*🚩“यस्य  नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता”*
*अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहां पर ईश्वर स्वयं निवास करते हैं ।*
*🚩एक समय था जब हमारे देश में भारतीय नारी को देवी और लक्ष्मी का रूप मानकर देश की महिलाओं को पूजा जाता था, लेकिन पश्चात्य संस्कृति का अंधानुसरण करके टीवी, फिल्मों, मीडिया, अश्लील उपन्यास आदि के कारण इन्सान अपने चरित्र से इस कदर नीचे गिर गया है कि उसके लिए स्त्री एक पूजनीय और देवी का रूप न होकर केवल उपभोग की वस्तु समझी जाने लगी है ।*
*🚩उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को लेकर अनेक प्रकार की कुरीतियों का भी जन्म हुआ है जैसे दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, उपभोग की वस्तु समझना ऐसी तमाम बुराईयाँ जन्म ले चुकी हैं, इसे रोकने के लिए हिंदू संत आशारामजी बापू ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किये हैं । कॉल सेंटरों, ऑफिसों में हो रहे महिला शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की तथा महिलाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास, साहस, संयम-सदाचार के गुणों को विकसित करने के लिए महिला उत्थान मंडलों का गठन किया है जिससे जुड़कर कई महिलाएँ उन्नत हो रही हैं ।*
*🚩उन्होंने आगे कहा कि बापू आशारामजी द्वारा बनाये गए महिला उत्थान मंडल द्वारा महिलाओं के लिए महिला सर्वांगीण विकास शिविर व सेवा-साधना शिविरों का आयोजन, गर्भपात रोको अभियान, तेजस्विनी अभियान, युवती एवं महिला संस्कार सभाएं, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, मुफ्त चिकित्सा सेवा, मातृ-पितृ पूजन दिवस, कैदी उत्थान कार्यक्रम, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, गौ रक्षा  अभियान व दरिद्रनारायण सेवा आदि समाजोत्थान के कार्य किये जाते हैं । बापूजी ने नारियों का आत्मबल जगाकर उनका वास्तविक उत्थान किया है । उनकी अनुपस्थिति के कारण उपरोक्त विश्वव्यापी सेवाकार्यों में अपूर्णीय क्षति हो रही है । उन्होंने महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए भोगवादी सभ्यता से लोहा लिया एवं अथकरूप से अनेक प्रयास किये, इसलिए उन्हें शीघ्र रिहा किया जाये ।*
*🚩महिला जागृति, नारी सशक्तिकरण व महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में महिला उत्थान मंडलों का गठन किया गया है, जिनके अंतर्गत नारी उत्थान के अनेक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं ।*
*🚩उन्होंने कहा कि #महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का दुरूपयोग हो रहा है । #कानून की आड़ में कई निर्दोष पुरुषों को फँसाया जा रहा है जिसके कारण उस पूरे परिवार को सजा भुगतनी पड़ती है । इसका विरोध करना बहुत जरूरी है ।*
*🚩विश्व की 4 प्राचीन संस्कृतियों में से केवल भारतीय संस्कृति ही अब तक जीवित रह पायी है और इसका मूल कारण है कि संस्कृति के आधारस्तम्भ संत-महापुरुष समय-समय पर भारत-भूमि पर अवतरित होते रहे हैं, लेकिन आज निर्दोष संस्कृति रक्षक संतों को अंधे कानूनों के तहत फँसाया जा रहा है ।* 
*🚩निर्दोष संतों पर हो रहे षड्यंत्र की भर्त्सना करते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि ' बापू आशारामजी ने संस्कृति-रक्षा एवं संयम-सदाचार के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया । मातृ-पितृ पूजन दिवस व वसुधैव कुटुम्बकम् की लुप्त हो रही परम्पराओं की पुनः शुरूआत कर भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को पुनर्जीवित किया है । दो महिलाओं के बेबुनियाद आरोपों को मुद्दा बनाकर ऐसे महान संत को सालो से जेल में रखा गया है, क्या यही न्याय है ? हम करोड़ो बहनें जो उनके समर्थन में खड़ी हैं हमारी आवाज को क्यों नहीं सुना जा रहा है ?*
*🚩मंडल की सदस्याओं का कहना है कि बढ़ रहे पाश्चात्य कल्चर के अंधानुकरण के कारण आज महिला वर्ग के जीवन में संस्काररूपी जड़ें खोखली होती नजर आ रही हैं । ऐसे में अब हमें पुनः अपने मूल की ओर लौटने की आवश्यकता है । इतिहास साक्षी है कि यह कार्य सदा संतों-महापुरुषों के द्वारा ही सम्पन्न होता रहा है । अपनी ही संस्कृति एवं देश के हित के लिए, बालकों, महिलाओं एवं युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए, समस्त देशवासियों की भलाई के लिए अपना जीवन होम देनेवाले पूज्य संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा 8 मार्च विश्व महिला दिवस के निमित मंडल के महत्वपूर्ण मुदों पर ध्यान केंद्रित करने व बापू आशारामजी की रिहाई की मांग करते हुए और महिलाओं की पवित्रता के लिए देशभर में मुख्य मंत्री , राज्यपाल ,कलेक्टर या अन्य उच्च अधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा ।*
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भारतवासी भूल गए खुद का नववर्ष,आ रहा है 25 मार्च को, ऐसे करें तैयारी

11 मार्च 2020
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*🚩हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते । पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने प को धन्य समझते हैं । 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं ।*
*🚩अंग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2020 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 खर्व 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड़ 8 लाख 53 सहस्र 122 वां वर्ष रंभ हो रहा है ।*
*(टिप्पणी : 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड़ या वर्ष)*
*और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड़ वर्ष)*
*🚩नव संवत्सर 2077 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 25 मार्च 2020 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं ।*
*🚩चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक ती हैं ।*
🚩 *भारतीय नववर्ष की विशेषता*   -

*🚩पुराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी 1 रविवार था ।*
*🚩चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का रंभ हु था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूत इसी दिन से होती है ।*
*🚩पेड़-पौधों में फूल, मंजरी ,कली इसी समय ना शुरू होते हैं , वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को ह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति स्था बढ़ जाती है । इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था । भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हु था। नवरात्र की शुरुत इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूत करते हैं।*
*🚩परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब ता है तो सदा चैत्र में ही ता है । इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है । वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है । चैत्र का ध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया ।*
*🚩न शीत न ग्रीष्म । पूरा पावन काल । ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं  श्रीराम रूप धारण कर उतर ए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हु था । र्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी । यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है । संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है ।*
*🚩कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-समान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता । पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूत मानी होगी ।*
*🚩चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास । मधु मास अर्थात नंद बांटता वसंत का मास । यह वसंत  तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में । सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, म की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में ।*
*🚩चारों ओर पकी फसल का दर्शन ,  त्मबल और उत्साह को जन्म देता है । खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती वाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के भा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या या मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।*
*🚩नई फसल घर में ने का समय भी यही है । इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन  जाता है । लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि नंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं । गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है । चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है ,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है ।*
*🚩सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्प लें | इस वर्ष 25 मार्च 2020 बुधवार को हिन्दू नववर्ष  रहा है । सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दें ।*
*🚩ज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया दि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें ।*
*🚩 संस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें ।*
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स्तनधारी जीवों को खाना टाइम बम के समान : रिसर्च

27 मार्च 2020

*🚩मांसाहारी खाने वाले लोग शाकाहारी की तुलना में गंभीर बिमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं। इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं।*

*🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है।*

*🚩वुहान कोरोना वायरस दुनिया भर के लिए आज एक भयानक खतरे और महामारी के रूप में उपस्थित है। दुनिया भर के देश आज इस वायरस से बचने को भागे-भागे घूम रहे, इसके खिलाफ लड़ाई के लिए सारे संसाधन झोंकने को तैयार दिख रहे। कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन के हालात हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था औंधे मुँह गिरी पड़ी है।*
*COVID-19 या SARS-CoV-2, के नाम से जाना जा रहा यह वायरस अत्यंत संक्रामक है और एक बड़ी आबादी को बेहद कम समय में अपनी गिरफ्त में ले सकता है, उस स्थान के स्वास्थ्य ढाँचे को तबाह कर सकता है। इस नोबल वायरस से किस हद तक भयावह स्थिति पैदा हो सकती है, इसका ठीक-ठीक अनुमान हमें इटली जैसे देश के मौजूदा हालातों से लग सकता है, जहाँ इस घातक वायरस के कारण त्राहिमाम की स्थिति है।*

*🚩वैज्ञानिक इस वायरस से भी ज्यादा खतरनाक वायरस से पैदा संक्रमण पर बहुत पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। ये zoonotic वायरस हैं, यानी जो गैर मानवों से मानवों में फैलता है। SARS-CoV-2 वायरस चमगादड़ कोरोना वायरस से निकटता रखता है। ऐसा संदेह जताया जा रहा है कि यह मानवों में किसी मध्यस्थ पशु जैसे पैंगोलिन के जरिए ट्रांसमिट हुआ है। जिसका कारण इंसानों की फूड हैबिट यानी खाने की आदतें हैं।*

*🚩वैज्ञानिकों ने एक साइंस पेपर के जरिए इस तरह के वायरसों के उद्भव के संबंध में कई साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। चेंग वीसी, लाऊ एसके, वू पीसी और युएन केवाई ने 2007 में एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया था। उसमें इस बात का अंदेशा व्यक्त किया गया था कि दक्षिण चीन में लोगों की खाने की आदतें, जो विदेशज किस्म के स्तनपायी जीवों को खाने के लिए विख्यात हैं, असल में एक टाइम बम हैं। याद रहे कि कोरोना भी वुहान शहर के एनिमल मार्केट से ही फैलना शुरू हुआ।*

*🚩उपरोक्त रिसर्च पेपर में यह चेतावनी भी दी गई थी कि इस तरह के वायरस जेनेटिक बदलावों के जरिए और संश्लेषण से नए वायरस संक्रमणों में बदल सकते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान दिलाया गया था कि SARS-CoV जैसे वायरसों के लिए हॉर्स शू चमगादड़ (चमगादड़ की ही एक प्रजाति) नैसर्गिक रूप से निवास स्थान का काम करते हैं। जिस कारण एनिमल मार्केट इस तरह के वायरस संक्रमण के फैलाव का केंद्र हो सकती है। इसे रोकने के लिए वहाँ बायो सेफ्टी का उचित ध्यान रखने की जरूरत है।*
*पेपर में आगे कहा गया है कि दक्षिण चीन में हुए रैपिड विकास के कारण वहाँ एनिमल प्रोटीन की माँग बहुत बढ़ चुकी है, जिसमें रात्रिचर स्तनपाई civet (छोटे-पतले आकार के स्तनपाई) जैसे विदेशज जानवर भी शामिल हैं। इन्हें पिंजड़ों में ठूँस-ठूँस कर भर दिया जाता है और बायो सेफ्टी के बावत कतई उदासीनता बरती जाती है। इस कारण ये एनिमल मार्केट पशुओं से मानवों तक वायरसों के आसान ट्रांसमिशन का जरिया हो जाते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात की भी संभावना जताई गई है कि यदि सार्स के लिए अनुकूल स्थितियाँ पैदा हो गईं तो वह एक घातक संक्रामक महामारी के रूप में वापस लौट सकता है।*

*🚩इस तरह यह लगभग निश्चित हो चुका है कि पशुओं को खाने की आदत का SARS-CoV-2 नामक इस महामारी के फैलने में बड़ा रोल है। फूड हैबिट की वजह से यह पशुओं से मानवों में ट्रांसमिट हुई।* *जाहिर है कि इस महामारी से मिले अनुभव भविष्य में दुनिया पर कई तरह के दीर्घकालिक और अल्पकालिक प्रभाव डालने वाले होंगे। यह शायद हमारी खाने-पीने की आदतों में भी आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले साबित हो सकते हैं, जिससे हम आगे इन वायरसों के संक्रमण से मानव सभ्यता को बचा सकें।*
*संदर्भ : OpIndia*

*🚩मांसाहार का सेवन करना हिंदू संस्कृति में वर्जित है क्योंकि यह मनुष्य का नहीं राक्षसी भोजन है। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।*

*🚩सरकार को भी चाहिए कि मांसाहार पर प्रतिबंध लगा दे, कत्लखाने बंद करवा दे।*
*जबतक सरकार प्रतिबंध नही लगायें तबतक हमें ही मांसाहार त्याग देना चाहिए और शाकाहार अपनाना चाहिए।*

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