Monday, March 20, 2023

नवरात्रि व्रत पूजा करने के होंगे इतने ढेर सारे लाभ

20  March 2023

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🚩नवरात्रि के नौ दिनों में देवीतत्त्व अन्य दिनों की तुलना में 1000 गुणा अधिक सक्रिय रहता है । इस कालावधि में देवीतत्त्व की अतिसूक्ष्म तरंगें धीरे-धीरे क्रियाशील होती हैं और पूरे ब्रह्मांड में संचारित होती हैं । उस समय ब्रह्मांड में शक्ति के स्तर पर विद्यमान अनिष्ट शक्तियां नष्ट होती हैं और ब्रह्मांड की शुद्धि होने लगती है । देवीतत्त्व की शक्ति का स्तर प्रथम तीन दिनों में सगुण-निर्गुण होता है । उसके उपरांत उसमें निर्गुण तत्त्वकी मात्रा बढ़ती है और नवरात्रि के अंतिम दिन इस निर्गुण तत्त्वकी मात्रा सर्वाधिक होती है । निर्गुण स्तर की शक्ति के साथ सूक्ष्म स्तर पर युद्ध करने के लिए छठे एवं सातवें पाताल की बलवान आसुरी शक्तियों को अर्थात मांत्रिकों को इस युद्ध में प्रत्यक्ष सहभागी होना पड़ता है । उस समय ये शक्तियां उनके पूरे सामर्थ्य के साथ युद्ध करती हैं ।



🚩इस वर्ष चैत्री नवरात्रि 22 मार्च से 30 मार्च तक हैं।


🚩नवरात्रि की कालावधि में महाबलशाली दैत्यों का वध कर देवी दुर्गा महाशक्ति बनी । देवताओं ने उनकी स्तुति की । उस समय देवीमां ने सर्व देवताओं एवं मानवों को अभय का आशीर्वाद देते हुए वचन दिया कि


इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति ।

तदा तदाऽवतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम् ।।

– मार्कंडेयपुराण 91.51

इसका अर्थ है, जब-जब दानवोंद्वारा जगत्को बाधा पहुचेगी, तब-तब मैं अवतार धारण कर शत्रुओं का नाश करूंगी ।


🚩नवरात्र का उत्सव श्रद्धा और सबुरी के रंग में सराबाेर होता है। नवरात्र के दिनों में भक्त देवी माँ के प्रति विशेष उपासना प्रकट करते हैं। नवरात्र के दिनों में लोग कई तरह से माँ की उपासना करते हैं। माता के इस पावन पर्व हर कोई उनकी अनुकंपा पाना चाहता है। नवरात्र का यह पावन त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। इसका भी एक खास महत्व है। वैसे तो माँ दुर्गा की उपासना के लिए सभी समय एक जैसे हैं और दोनों नवरात्रि का प्रताप भी एक जैसा है। साथ ही दोनों नवरात्र में माँ की पूजा करने वाले भक्तों को उनकी विशेष अनुकंपा भी प्राप्त होती है।


🚩 1 वर्ष में कितनी बार पड़ती हैं नवरात्रि


🚩कम लोगों को ज्ञात होगा कि 1 साल में नवरात्र के 4 बार पड़ते हैं। साल के प्रथम मास चैत्र में पहली नवरात्र होती है, फिर चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्र पड़ती है। इसके बाद अश्विन माह में में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है। साल के अंत में माघ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं। इन सभी नवरात्रों का जिक्र देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। हिंदी कैलेंडर के हिसाब से चैत्र माह से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, और इसी दिन से नवरात्र भी शुरू होते हैं, लेकिन सर्वविदित है कि चारों में चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रमुख माने जाते हैं। एक साल में यह दो नवरात्र मनाए जाने के पीछे की वजह भी अलग-अलग तरह की है। आइए हम आपको नवरात्र का उत्सव साल में दो बार मनाने के पीछे आध्यात्मिक, प्राकृतिक और पौराणिक कारणों के बारे में बताते हैं।


🚩क्या है प्राकृतिक कारण


🚩नवरात्रि का पर्व दो बार मनाने के पीछे अगर प्राकृतिक कारणों की बात की जाए तो हम पाएंगे कि दोनों नवरात्र के समय ही ऋतु परिवर्तन होता है। गर्मी और शीत के मौसम के प्रारंभ से पूर्व प्रकृति में एक बड़ा परिवर्तन होता है। माना जाता है कि प्रकृति माता की इसी शक्ति के उत्सव को आधार मानते हुए नवरात्रि का पर्व हर्ष, आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति स्वयं ही इन दोनों समय काल पर ही नवरात्रि के उत्सव के लिए तैयार रहती है तभी तो उस समय न मौसम अधिक गर्म न अधिक ठंडा होता है। खुशनुमा मौसम इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाता है।


🚩ये है भौगोलिक तथ्य


🚩अगर भौगोलिक आधार पर गौर किया जाए तो मार्च और अप्रैल के जैसे ही, सितंबर और अक्टूबर के बीच भी दिन और रात की लंबाई के समान होती है। तो इस भौगोलिक समानता की वजह से भी एक साल में इन दोनों नवरात्रि को मनाया जाता है। प्रकृति में आए इन बदलाव के चलते मन तो मन हमारे दिमाग में भी परिवर्तन होते हैं। इस प्रकार नवरात्र के दौरान व्रत रखकर शक्ति की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।


🚩यह है पौराणिक मान्यता


🚩नवरात्रि का त्योहार साल में दो बार मनाए जाने के पीछे प्राचीन कथाओं का उल्लेख भी पुराणों में मिलता है। माना जाता है कि पहले नवरात्रि सिर्फ चैत्र नवरात्र होते थे जो कि ग्रीष्मकाल के प्रारंभ से पहले मनाए जाते थे, लेकिन जब श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और उनकी विजय हुई। विजयी होने के बाद वो माँ का आशीर्वाद लेने के लिए नवरात्रि की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक विशाल दुर्गा पूजा आयोजित की थी। इसके बाद से नवरात्रि का पर्व दो बार मनाते हैं।

🚩अध्यात्म कहता है


🚩अगर एक साल में दो नवरात्र मनाने के पीछे के आध्यात्मिक पहलू पर प्रकाश डालें तो जहाँ एक नवरात्रि चैत्र मास में गर्मी की शुरुआत में आती है तो वहीं दूसरी सर्दी के प्रारंभ में आती है। गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में आने वाली सौर-ऊर्जा से हम सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि यह फसल पकने की अवधि होती है। मनुष्य को वर्षा, जल, और ठंड से राहत मिलती है। ऐसे जीवनोपयोगी कार्य पूरे होने के कारण दैवीय शक्तियों की आराधना करने के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है।


🚩रामनवमी से है संबंध


🚩मान्यता है कि रावण से युद्ध से पहले भगवान श्रीराम ने माता शक्ति की पूजा रखवाई थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रीराम ने रावण के साथ युद्ध पर जाने से पूर्व अपनी विजय की मनोकामना मानते हुए माँ के आशीर्वाद लेने के लिए विशाल पूजा का आयोजन करवाया था। कहा जाता है कि राम देवी के आर्शीवाद के लिए इतना इतंजार नहीं करना चाहते थे और तब से ही प्रतिवर्ष दो बार नवरात्रि का आयोजन होता है। जहाँ शारदीय नवरात्र में यह सत्य की असत्य पर व धर्म की अधर्म पर जीत का स्वरूप माना जाता है, वहीं चैत्रीय नवरात्र में इसे भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव या रामनवमी के नाम से जानते हैं।


🚩नवरात्रि का व्रत धन-धान्य प्रदान करनेवाला, आयु एवं आरोग्यवर्धक है। शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करनेवाला है ।


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Sunday, March 19, 2023

अपने घर 22 मार्च को ध्वजा फहराने से मिलेगा यश, कीर्ति और विजय

19 March 2023

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🚩चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं । इसी दिन से काल गणना शुरू हुई थी ।


🚩भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।



🚩इस दिन भूलोक के वातावरण में रजकणों का प्रभाव अधिक मात्रा में होता है, इस कारण पृथ्वी के जीवों का क्षात्रभाव भी जागृत रहता है । इस दिन वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों का प्रभाव भी कम रहता है ।


🚩नूतनवर्षारंभ पर ध्वजा खड़ी करने का शास्त्रीय महत्व…


🚩देवासुर संग्राम में भगवान श्री विष्णु ने देव सैनिकों को युद्ध के प्रत्येक स्तर पर लाभान्वित करने के लिए युद्ध में जाने से पूर्व, युद्ध के समय एवं युद्ध समाप्ति पर विविध प्रकार की ध्वजा ले जाने की सलाह दी । देवताओं के विजयी होने पर देव सैनिकों ने सोने की लाठी पर रेशमी वस्त्र लगाकर उस पर सोने का कलश रखा । इस प्रकार ध्वजा खड़ी करने से ध्वजा द्वारा संपूर्ण वातावरण में चैतन्य प्रक्षेपित होता है । इस चैतन्य का उस वातावरण में विद्यमान जीवों पर भी प्रभाव पड़ता है । स्वर्ग लोक का वातावरण सात्त्विक एवं चैतन्यमय होता है । इस कारण धर्मध्वजा पर केवल वस्त्र लगाने से ही धर्मध्वजा में उच्च लोकों से प्रक्षेपित तरंगें आकृष्ट होती हैं । इनसे देवताओं को लाभ होता है । धर्मध्वजा में विद्यमान देवतातत्त्व का सम्मान करने के लिए कभी-कभी उसे पुष्पमाला अर्पण करते हैं ।


🚩पृथ्वी का वातावरण रज-तमात्मक होता है । साथ ही पृथ्वीवासियों में ईश्वर के प्रति भाव भी अल्प होता है । उन्हें धर्मध्वजा का लाभ मिले, इसलिए धर्मध्वजा को नीम के पत्ते एवं शक्कर के पदकों की माला लगाई जाती हैं । स्वर्गलोक की धर्मध्वजा में पृथ्वी की गुड़ी की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक मात्रा में चैतन्य ग्रहण होता है । उसके प्रक्षेपण की मात्रा भी 10 से 15 प्रतिशत अधिक होती है ।


🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद भी अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वों को बड़ी विशालता से जरूर मनाएं ।


🚩घर के ऊपर झंडा या ध्वज पताका अवश्य लगाएं:


🚩हमारे शास्त्रों में झंडा या पताका लगाने का विधान है । पताका यश, कीर्ति, विजय , घर में सुख समृद्धि , शान्ति एवं पराक्रम का प्रतीक है । जिस जगह पताका या झंडा फहरता है उसके वेग से नकारात्मक उर्जा दूर चली जाती है ।


🚩हिन्दू समाज में अगर सभी घरों में चैत्री नूतनवर्ष के दिन भगवा स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा फहरेगा तो हिन्दू समाज का यश, कीर्ति, विजय एवं पराक्रम दूर दूर तक फैलेगा ।


🚩पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में विजय प्राप्त होती थी तो ध्वजा फहराई जाती थी। ध्वजा का जहां सनातन धर्म में विशेष महत्व एवं आस्था रही है वहीं ध्वज की छत्र छाया में हो रहे पर्यावरण की शुद्धिकरण से सभी को लाभ मिलेगा ।


🚩शास्त्रों में भी ध्वजारोहण का विशेष महत्व बताया गया है झंडे या पताका आयताकार या त्रिकोना होता है । जो भवनों, मंदिरों, आदि पर फहराया जाता है ।


🚩घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश तो होता ही है साथ ही घर को बुरी नजर से भी बचाव होता है। घर पर किसी भी प्रकार की बाहरी हवा नहीं लगती है। घर में भूत, प्रेत आदि का प्रवेश नहीं होता । ध्वजा पर हनुमान जी का स्थान होता है, स्वयं हनुमान जी सम्पूर्ण प्रकार से घर की, घर के सम्पूर्ण सदस्यों की रक्षा करते हैं । सभी प्रकार के अनिष्टों से बचा जा सकता है ।


🚩सभी हिन्दू घरों में वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम दिशा में झंडा या ध्वजा जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है। ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।


🚩सभी हिन्दू अपने घरों में पीले, सिंदूरी, लाल या केसरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा अवश्य लगाएं। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति मंदिर के ऊपर लहराता हुआ झंडा देखे तो कई प्रकार के रोग का शमन हो जाता है ।


🚩अतः भारतीय नववर्ष 22 मार्च बुधवार को अपने घर पर ध्वज पताका अवश्य लगाए ।


🚩‘नववर्षारंभ’ त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाये और अपनी संस्कृति की रक्षा करेंगे ऐसा प्रण करें।


🚩आप सभी भारतवासी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.!!


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Saturday, March 18, 2023

सुब्रमण्यम स्वामी का खुलासा : आशाराम बापू को किसने ने जेल भेजा है ? वे अभी तक क्यों जेल में है ?

18  March 2023

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🚩तत्कालीन सरकार के समय हिंदू धर्म के बारे में बड़े बड़े कथाकार भी बोलने में हिच खिचाते थे,उस समय बापू आशारामजी हिंदू धर्म का खुलकर प्रचार करते थे,करोड़ों लोगों में हिंदू धर्म की लो जगाई लाखों लोगों की घर वापसी करवाई ,धर्मान्तरण कराने वाले मिशनरियों की दुकानें बंद होने लगी,उस समय हवाई जहाज में यात्रा के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी की मुलाकात आशाराम बापू से हुई।


स्वामी ने कहा कि बापू आप धर्मान्तरण के विरोध में जो कार्य कर रहे है,उससे वेटिकन सिटी आपसे नाराज है,आपको जेल भेजने का प्लान कर रही है, उस समय बापू आशारामजी बोले की मैं हिन्दू धर्म और संस्कृती की सेवा कर रहा हु, बाकी जो भगवान की मर्जी होगी, उसमे हम राजी है, बाद में आखिरकार यही हुआ, उनके ऊपर रेप के झूठे आरोप लगाकर , मिडिया ट्रायल करवाकर उनको जेल भिजवा दिया, आज वे संत 10 साल से जेल में है, 1 दिन भी रिहा नही किया गया, उस पर सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि

Asaram Bapu has suffered this bogus case because of three highly placed politicians: Two from Gujarat and one from Italy. ( तीन उच्च पदस्थ राजनेताओं के कारण आसाराम बापू को इस झूठे मामले का सामना करना पड़ा है: दो गुजरात से और एक इटली से।)

https://twitter.com/Swamy39/status/1636565106266984450?t=oHCe-pVuKSYeryDpT1UB5w&s=19


🚩इससे पहले भी ट्वीट करके बताया था की

मोदी और अमित शाह नही चाहते कि हिन्दू संत आशाराम बापू कभी बाहर आये।

https://twitter.com/Swamy39/status/1555755795283087361?t=ji6HZotTjp7IdwNMtzNxuA&s=19


🚩स्वामी ने न्याय पालिका पर सवाल उठाते हुए बताया कि आशाराम बापू का केस बोगस है, उनकी जमानत लगातार खारिज करना न्यायपालिका की 21वीं सदी की सबसे बड़ी चूक है।

https://twitter.com/Swamy39/status/766258483054321664?s=19


🚩स्वामी पहले भी कई बार मीडिया में बता चुके है की मैंने आशाराम बापू का केस पढ़ा है, केस बोगस है, आरोप लगाने वाली लड़की कुटिया में गई ही नही है , मेडिकल रिपोर्ट में भी साफ लिखा है की लड़की को टच भी नही किया है और लड़की के कॉल डिटेल से साफ पता चलता है की जिस समय पर तथाकथित छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय तो लड़की अपने मित्र से बात कर रही थी और आशाराम बापू उस समय एक कार्यक्रम में व्यस्त थे उसके 50-60 गवाह भी है फिर भी उनको जेल में रखना अन्याय की पराकाष्ठा  है।


🚩आशाराम बापू ने इन कार्यों को किया,इसलिए तो उनको जेल नही भेजा गया है ?


🚩1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया।


🚩2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।


🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।


🚩4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।


🚩5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया ।


🚩6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया।


🚩7). वैलेंटाइन डे की जगह “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का प्रारम्भ करवाया।


🚩8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।


🚩9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया ।


🚩10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया।


🚩11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए ।


🚩12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ के “शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी” बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया ।


🚩13). योग,प्राणायाम ,ध्यान, भारतीय संस्कृति की शिक्षा के लिए 19000 बाल संस्कार केंद्र खोले।


🚩ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये है जो यहाँ विस्तार से नही बता पा रहे है।


🚩हिंदू संत आशाराम बापू पर जिस तरह से षड्यंत्र हुआ है और उनके जो समाज उत्थान के सेवाकार्य को देखते हुए और उनकी उम्र को ध्यान रखते हुए जनता की मांग है कि न्यायालय ओर सरकार उनको शीघ्र रिहा करें ।


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Friday, March 17, 2023

जिस संत ने देश की स्वतंत्रता के लिए और विभाजन के समय अथाह कार्य किए उनको ही हम भूल गए

17  March 2023

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🚩संत-महात्माओं के शुभ संकल्पों क्रांतिकारियों के बलिदान

एवं भारतवासियों के पुरुषार्थ से, भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ। देशभक्तों का स्वप्न साकार हुआ। देश में चारों ओर प्रसन्नता की लहर छा गयी…. परन्तु दूसरी ओर इसी के साथ दुःखद घटना भी बनी।


🚩भारत छोड़ते समय अंग्रेज भारत एवं पाकिस्तान ये दो भाग करके, देश के टुकड़े करके भारत के लिए अशांति, दुःख एवं मुसीबतों की आग जलाते गये। मलिन वृत्ति वाले मुसलमान हिन्दुओं पर खूब जुल्म ढाने लगे। वे लोग हिन्दू एवं सिक्खों को लूटते, बेईज्जती करते, मारपीट करते, खून-खराबा करते, बच्चियों एवं स्त्रियों की इज्जत लूटते, उन्हें उठा ले जाते।



🚩हिन्दुओं की माल-मिल्कियत, इज्जत एवं धर्म की रक्षा का कोई उपाय न रहा। ऐसी खराब हालत में हिन्दुओं को पाकिस्तान छोड़कर भारत में आना पड़ा। पूर्व बंगाल के हिन्दू लोगों ने पश्चिम बंगाल एवं पश्चिम पंजाब के हिन्दुओं ने पूर्व पंजाब में आकर फिर से नयी जिंदगी शुरू की। उत्तर एवं दक्षिण की सीमा में रहने वाले लोग भी पूर्व पंजाब एवं दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में आकर रहने लगे। खास करके बलूचिस्तान एवं सिंध के हिन्दुओं को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। पूर्व पंजाब, बिहार एवं दूसरे शहरों में से मुसलमानों ने सिंध एवं बलूचिस्तान पर चढ़ाई करके हिन्दुओं की जमीन-जायदाद पर कब्जा कर लिया। इसलिए विवश होकर ये लोग भी निराश्रित बन कर भारत में आश्रय लेने के लिए आये।


🚩इन लोगों के रहने के लिए भारत सरकार ने अलग-अलग जगहों पर केम्प बना दिये जिससे वे निश्चिंतता की साँस ले सकें। अपनी जान बचाने के लिये, डर के मारे एक ही कुटुंब के व्यक्ति अलग-अलग जगह बँटकर दूर हो गये। अनजान भारत में भागकर आये हुए हिन्दुओं के पास रहने के लिए मकान नहीं, खाने के लिए अन्न का दाना नहीं, कमाने के लिए नौकरी-धंधा नहीं…. ऐसी स्थिति में इन लोगों को प्रेम, स्नेह, हमदर्दी एवं सहारे की सख्त जरूरत थी।


🚩ऐसी विकट परिस्थिति में पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज उन लोगों के रक्षणहार, तारणहार एवं दिव्य प्रकाश के स्तंभरूप बने। पूज्यश्री लीलाशाहजी महाराज उन लोगों को समझाते कि ‘दुःख एवं मुसीबत कसौटी करने के लिए ही आते हैं। ऐसे समय में धैर्य एवं शान्ति से काम लेना चाहिए।’


🚩लोगों की दया जनक स्थिति देखकर, उन्होंने रात-दिन देखे बिना तत्परता से लोकसेवा शुरू कर दी। कभी दिल्ली, जयपुर, अलवर, खेड़थल, जोधपुर तो कभी अजमेर, अमदावाद, मुंबई, बड़ौदा, पाटण वगैरह स्थलों पर जाकर वे निःसहाय, दुःखी लोगों के मददगार बने। दुःखियों के दुःख दूर करने, उन्हें नये सिरे से जिंदगी शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने एवं उन्हें जीवनोपयोगी वस्तुएँ दिलाने में उन्होंने अपनी जरा भी परवाह नहीं की।


🚩गाँधीजी, जवाहरलाल नेहरू, राजस्थान के राजाओं एवं काँग्रेस के आगेवानों के साथ उनका खूब अच्छा संबंध था। पहले से ही पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज उन लोगों के पूज्यनीय एवं आदरणीय बन गये थे अतः वे लोग भी सिंध से आये हुए हिन्दुओं के लिए सहायक बने। पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज राजस्थान, गुजरात, उत्तर भारत एवं जहाँ-जहाँ सिंध तथा बलूचिस्तान के हिन्दू सिक्ख बसे थे वहाँ-वहाँ जाकर उन लोगों के साथ बैठकर सारी जानकारी लेते थे एवं जरूरत के मुताबिक उन लोगों को मकान, कपड़े, पैसे, नौकरी एवं अन्य जीवनोपयोगी वस्तओं की व्यवस्था करवा देते थे।


🚩शायद सिंधी अपना धर्म न भूल बैठें एवं अपनी संस्कृति को न छोड़ दें, इसलिए पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज बारंबार धर्म के अनुसार जीवन जीने का उपदेश देते। आलस्य छोड़कर, पुरुषार्थी बनने का, अपनी अक्ल-होशियारी से स्वावलंबी बनने का एवं उन्नत जीवन बनाने का मार्गदर्शन देते। भीख माँगकर रहने या सरकार के भरोसे रहने की जगह पर स्वाश्रयी बनकर लोगों को नौकरी-धंधा करने की सलाह देते। किसी को नौकरी, किसी को खेती-बाड़ी तो किसी को धंधा करने का प्रोत्साहन देते। कई जगहों पर बच्चों के लिए स्कूल भी बनवा देते। लोगों के जीवन को उन्नत बनाने के लिए केवल सत्संग की भाषा ही नहीं, वरन् वीरता, सदाचार, संयम, निर्भयता जैसे सदगुणों को बढ़ाने का भी संकेत करते। इस विषय की धार्मिक पुस्तकें सिंधी लोगों में बाँटते। उस समय उन्होंने स्वामी श्री रामतीर्थ के प्रमुख शिष्य नारायण स्वामी की लिखी हुई पुस्तक ‘उन्नति के लिए दुःख की जरूरत’ को सिंधी भाषा में छपवाकर, उसे सिंधी लोगों में बाँटकर लोगों के मनोबल एवं आत्मबल को जागृत करते।

🚩इस प्रकार पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज के अथक परिश्रम एवं करूणा-कृपा के फलस्वरूप सिंधी लोग पुरुषार्थी बनकर, अपने पैरों पर खड़े रहकर, प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए, इज्जत एवं स्वाभिमान से रहने लगे। आज सिंधी लोग भारत एवं विदेशों के कोने-कोने में रहकर मान-प्रतिष्ठा एवं समाज में उच्च स्थान रखते हैं। यह पूरा शानदार गौरव, प्रेम एवं करूणा की साक्षात् प्रतिमास्वरूप पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज को जाता है ऐसा कहने में जरा भी अतिशयोक्ति नहीं है।


🚩पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज को हमेशा यही फिक्र रहती कि अपने देशवासियों को किस प्रकार सुखी एवं उन्नत बनाऊँ ? इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत करके मकानों के साथ स्कूलें, रात्रि पाठशालाएँ, पुस्तकालय एवं व्यायामशालाएँ स्थापित करवायीं। जहाँ-जहाँ वे जाते वहाँ-वहाँ कसरत सिखाते। शरीर स्वस्थ रखने के लिए यौगिक क्रियाओं के साथ प्राकृतिक उपचार बताते। यदि कोई बीमार व्यक्ति उनके पास जाता तो उसे दवा तो नाममात्र की देते, बाकी तो उनके आशीर्वाद से ही सब अच्छे हो जाते। जब राह भूले नवयुवान अपने यौवन का नाश करके उनके पास मदद माँगते तब वे उन्हें सत्संग सुनाते, प्राचीन भक्तों एवं वीर पुरुषों का वार्ताएँ कहते। उन लोगों को कसरत एवं यौगिक क्रियाओं के साथ प्राकृतिक इलाज बताते। सदाचारी बनने के लिए पुस्तकें भी देते। उन्होंने ऐसे हजारों नवयुवानों का जीवन स्नेह की छाया एवं उच्च मार्गदर्शन देकर सुधारा था।


🚩सिंध से अपना घर-बार, जमीन-जागीर खोकर जो लोग भारत में स्थायी हुए थे उनके लिए पूज्य श्री लीलाशाहजी महाराज का उद्देश्य था उन लोगों के धर्म, संस्कृति, संस्कार एवं इज्जत की रक्षा करें।


🚩आपको ये भी बता दें कि ऐसे महान संत के शिष्य संत आशारामजी बापू थे, पूज्य लीलाशाहजी महाराज ने बापूजी को  देश, धर्म व संस्कृति और समाज उत्थान के कार्य करने के लिए आज्ञा दी और बापूजी उसी अनुसार राष्ट्र हित का पुरजोर से कार्य कर रहे थे पर राष्ट्र विरोधी ताकते ने उनको झूठे केस में फंसाकर जेल भेज दिया, अब देखते हैं उनको न्याय कब मिलता हैं।


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Thursday, March 16, 2023

हिंदुओं का नूतन वर्ष इसलिए महान है, इतिहास पढ़ लीजिए जानकर दंग रह जाएंगे

16  March 2023

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🚩चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है । ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है । इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।


🚩चैत्रमास की शुक्ल प्रतिपदा


को ही सृष्टि की उत्पति हुई थी और इस दिन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।


🚩आइये आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी कुछ घटनाएं बताते हैं…।


🚩इतिहास में इस प्रकार वर्णित है चैत्री वर्ष प्रतिपदा…


🚩1. भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का सर्जन…


🚩2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक…


🚩3. माँ दुर्गा के नवरात्र व्रत का शुभारम्भ…


🚩4. प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..


🚩5. उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..


🚩6. शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ…


🚩7. महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..


🚩8. भगवान झूलेलाल का अवतरण दिन..


🚩9. मत्स्यावतार दिवस..


🚩10 – डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन ।


🚩नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं…!!! इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं ।


🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक…दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी ।


🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में गुड़ीपड़वा की गिनती होती है । इसी दिन भगवान श्री राम ने बालि के अत्याचारी शासन से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी ।


🚩नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों…???


🚩भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।


🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है ।


🚩विक्रमी संवत किसी की संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है ।


🚩भारतीय गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है ।


🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।


🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं । यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है । प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है ।


🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से उज्जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा ।


🚩महाराज विक्रमादित्य ने चैत्री प्रतिपदा के दिन से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की । साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी ।


🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक के रूप में मनाया गया ।


🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया ।

🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है । यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है । हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं ।


🚩कैसे मनाएं नूतन वर्ष…???


🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फहराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩अब से सभी भारतीय संकल्प लें कि अंग्रेजों द्वारा चलाया गया नववर्ष(1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष) न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष ( इस साल 22 मार्च ) को मनाएंगे ।


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Wednesday, March 15, 2023

पॉप फ्रांसिस ने पहले पादरियों के दुष्कर्मों पर मांगी माफी, अब देंगे छूट

15  March 2023

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🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।



🚩उसके बाद पॉप फ्रांसिस ने भी हजारों पादरियों ने बच्चों और ननो का यौन शौषण किया था उस पर मांगी माफी मांगी थी। अब पॉप ने पादरियों के लिए बनाए गए नियम ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ को अस्थाई बताया है।


🚩ईसाइयों के पॉप फ्रांसिस के मुताबिक चर्च के पादरियों को शादी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पोप ने कहा कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी। 86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल शोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।


🚩चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है ।


🚩बता दे की अमेरिका के इलिनोइस राज्य में 700 पादरियों पर बच्चों के साथ चर्च में यौन शोषण का मामला सामने आया है । अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की आलोचना की गई है ।


🚩अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की आलोचना की गई है । 


🚩न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में अनुसार अमेरिका में पेनसिलवेनिया में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।


🚩अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है । अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त हो चुका है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे । 


🚩बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’ 


🚩नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें से सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।


🚩जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।


🚩बता दे की केरल के एक नन ने अपनी आत्मकथा में आरोप लगाया था कि एक पादरी अपने कक्ष में ननों को बुला कर ‘सुरक्षित सेक्स’ का प्रैक्टिकल क्लास लगाता था। इस दौरान वह ननों के साथ यौन सम्बन्ध बनाता था। उसके ख़िलाफ़ लाख शिकायतें करने के बावजूद उसका कुछ नहीं बिगड़ा। उसके हाथों ननों पर अत्याचार का सिलसिला तभी थमा, जब वह रिटायर हुआ। सिस्टर लूसी ने लिखा था कि उनके कई साथी ननों ने अपने साथ हुई अलग-अलग घटनाओं का जिक्र किया और वो सभी भयावह हैं। ऐसे तो हजारों पादरियों पर अपराध साबित हो चुके है कि ये लोग बच्चों एवं ननों का यौन शोषण करते हैं।


🚩किसी पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?


🚩यदि किसी साधु-संत पर साजिस के तहत झूठे आरोप भी कोई लगा दे तो मीडिया डिबेट बैठाती है और सेकुलर भी छाती पीटने लगते हैं, लेकिन जब हजारों छोटे-छोटे बच्चे पीड़ित हो रहे हैं तो सबके सब दुबक कर बैठ गये हैं इसपर कुछ भी किसीकी को बोलने की हिम्मत नहीं हो पा रही है ।


🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।

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Tuesday, March 14, 2023

अगर आप कोल्ड ड्रिंक पीते हैं तो हो जाए सावधान, भयंकर बीमारियां हो सकती हैं

14  March 2023

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🚩अमेरिका की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में किये गए अध्ययन के अनुसार कोल्ड ड्रिंक की लत से होने वाले रोग जैसे डायबिटीज से हर साल 1.33 लाख जानें जाती हैं, #हृदयरोग से लगभग 45,000 और कैंसर से 6,500 लोग मौत के शिकार होते हैं। यानी कुल 1.84 लाख मौतों के लिए कोल्ड ड्रिंक जिम्मेदार है ।


🚩पिछले साल पुर्तगाल के स्टार फुटबॉलर व कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो का एक विडियो सोशल मिडिया में खूब वायरल हुआ था,  एक प्रेस कांफ्रेंस में रोनाल्डो ने कांफ्रेंस टेबल पर रखी हुई दो कोक की बोतलों को अपने सामने से हटा दिया और कहा- ‘कोक नहीं, पानी पियो।’

 


🚩उनके ऐसा करने से कंपनी को करीब 4 बिलियन डॉलर यानि 293 अरब रुपये का नुकसान हो गया। वैसे, नुकसान से याद आया कि कोल्ड ड्रिंक के पीने के बाद क्या होता है- आप जानते हैं?

 

🚩नहीं ?? तो फिर ये देख लीजिए –

 

🚩कोल्ड ड्रिंक पीने के महज़ 10 मिनट बाद आपके शरीर में 10 चम्मच शुगर चली जाती है। 20 मिनट बाद शरीर में इंसुलिन का फ्लो बढ़ने लगता है जिसे कंट्रोल करने के लिए आपका लिवर एक्स्ट्रा शुगर को फैट में बदल देता है। 

 

🚩40 मिनट में कोल्ड ड्रिंक में मौजूद कैफिन आपके शरीर में घुलने लगता है, ब्लड़ प्रेशर बढ़ने लगता है, 45 मिनट बाद शरीर में डोपामाईन केमिकल बढ़ जाता है।


🚩ये केमिकल ड्रग्स की तरह दिमाग पर असर करता है और 60 मिनट बाद कोल्ड ड्रिंक में मौजूद फॉस्फोरिक एसिड अपना असर दिखाता है, शरीर में पानी की कमी होने लगती है।

 

🚩रुकिए…!! और सुनिए…

 

🚩हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की स्टडी से पता चला है- ‘सॉफ्ट ड्रिंक से फैट तो बढ़ता ही है साथ ही ये आपके लिए जानी दुश्मन होती है।’

 

🚩कोल्ड ड्रिंक पीने से हर साल दुनिया में 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है।

लोग डायबिटीज के शिकार भी होते हैं।

लगभग 6 हज़ार लोग कैंसर का शिकार होते हैं और लगभग 44 हज़ार लोग दिल की बीमारियों का शिकार होकर मर जाते हैं।

 

🚩हावर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक कोल्ड ड्रिंक (पेप्सी, कोकाकोला) या डिब्बाबंद जूस और हेल्थ ड्रिंक पीने से न सिर्फ ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है बल्कि इंसुलिन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होने लगती है। इससे व्यक्ति धीरे-धीरे डायबिटीज और हृदयरोगों (हार्टअटैक) की चपेट में आने लगता है।

 

🚩ये तो आप समझ ही गए होंगे कि सॉफ्ट ड्रिंक पीने से आपकी बॉडी पर क्या असर पड़ता है तो उसकी जगह नारियल पानी, ताजे फलों का जूस, गुलाब शरबत, नींबू शरबत, पलाश शरबत पियें और पिलाइये जिससे आप और मेहमान भी स्वस्थ रहें और आपका पैसा भी कम खर्च होगा तथा पैसा विदेश में न जाकर देश में ही रहेगा।

 

🚩भारतवासियों ! घर के बनाये पेय पदार्थों का सेवन कर खुद भी स्वस्थ रहें और अपनी मेहनत से कमाए पैसे का भी सही और उचित जगह उपयोग करके देश को समृद्ध बनायें।


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