Friday, April 7, 2023

तात्या टोपे के जीते जी कभी चैन से नहीं बैठ पाए थे अंग्रेज

7 Apirl 2023

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🚩भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी का जन्म महाराष्ट्र राज्य के एक छोटे से गांव येवला में हुआ था। ये गांव नासिक के निकट पटौदा जिले में स्थित है। वहीं इनका असली नाम ‘रामचंद्र पांडुरंग येवलकर’ था और ये एक ब्राह्मण परिवार से थे,इनके पिता का नाम पाण्डुरंग त्र्यम्बक भट्ट बताया जाता है। जो कि महान राजा पेशवा बाजीराव द्वितीय के यहां पर कार्य करते थे। इतिहास के अनुसार उनके पिता बाजीराव द्वितीय के गृह-सभा के कार्यों को संभालते थे। भट्ट पेशवा बाजीराव द्वितीय के काफी खास लोगों में से एक थे। वहीं तात्या की माता का नाम रुक्मिणी बाई था और वो एक गृहणी थी। 


🚩अंग्रेजों ने भारत में अपना साम्राज्य फैलाने के मकसद से उस समय के कई राजाओं से उनके राज्य छीन लिए थे। अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय से भी उनका राज्य छीनने की कोशिश की। लेकिन पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने की जगह उनसे युद्ध लड़ना उचित समझा। लेकिन इस युद्ध में पेशवा की हार हुई और अंग्रेंजों ने उनसे उनका राज्य छीन लिया। इतना ही नहीं अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को उनके राज्य से निकाल दिया और उन्हें कानपुर के बिठूर गांव में भेज दिया। वहीं तात्या के पिता भी अपने पूरे परिवार सहित बाजीराव द्वितीय के साथ बिठूर में जाकर रहने लगे। जिस वक्त तात्या के पिता उनको बिठूर लेकर गए थे, उस वक्त तात्या की आयु मात्र 4 वर्ष की थी।



🚩बिठूर गांव में ही तात्या टोपे ने युद्ध करने का प्रशिक्षण ग्रहण किया था, तात्या के संबंध बाजीराव द्वितीय के गोद लिए पुत्र नाना साहब के साथ काफी अच्छे थे और इन दोनों ने एक साथ शिक्षा भी ग्रहण की थी।


🚩साल 1857 के विद्रोह में तात्या टोपे की भूमिका 


🚩अंग्रेजों द्वारा हर साल पेशवा को 8 लाख रुपये पेंशन के रूप में दिए जाते थे। लेकिन जब उनकी मृत्यु हो गई तो अंग्रेजों ने उनके परिवार को ये पेंशन देना बंद कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उनके गोद लिए पुत्र नाना साहब को उनका उत्तराधिकारी मानने से भी इंकार कर दिया। वहीं अंग्रेजों द्वारा लिए गए इस निर्णय से नाना साहब और तात्या काफी नाराज थे और यहां से ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाना शुरू कर दिया। वहीं साल 1857 में जब देश में स्वतंत्रता संग्राम शुरू होने लगा तो इन दोनों ने इस संग्राम में हिस्सा लिया। नाना साहब ने तात्या टोपे को अपनी सेना की जिम्मेदारी देते हुए उनको अपनी सेना का सलाहकार मानोनित किया। वहीं अंग्रेजों ने साल 1857 में कानुपर पर हमला कर दिया और ये हमला ब्रिगेडियर जनरल हैवलॉक की अगुवाई में किया गया था। नाना ज्यादा समय तक अंग्रेजों से सामना नहीं कर पाए और उनकी हार हो गई। हालांकि इस हमले के बाद भी नाना साहब और अंग्रेजों की बीच और कई युद्ध हुए। लेकिन उन सभी युद्ध में नाना की हार ही हुई। वहीं नाना ने कुछ समय बाद कानपुर को छोड़ दिया और वो अपने परिवार के साथ नेपाल जाकर रहने लगे। कहा जाता है कि नेपाल में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी।


🚩वहीं अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में पराजय मिलने के बाद भी तात्या टोपे ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपनी खुद की एक सेना का गठन किया। तात्या ने अपनी सेना की मदद से कानपुर को अंग्रेजों के कब्जे से छुड़ाने के लिए रणनीति तैयार की थी। लेकिन हैवलॉक ने बिठूर पर भी अपनी सेना की मदद से धावा बोल दिया और इस जगह पर ही तात्या अपनी सेना के साथ थे। इस हमले में एक बार फिर तात्या की हार हुई थी। लेकिन तात्या अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे और वहां से भागने में कामयाब हुए।


🚩तात्या और रानी लक्ष्मी बाई


🚩जिस तरह से अंग्रेजों ने नाना साहब को बाजीराव पेशवा का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था। वैसे ही अंग्रेजों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के गोद दिए पुत्र को भी उनकी संपत्ति का वारिस नहीं माना। वहीं अंग्रेजों के इस निर्णय से तात्या काफी गुस्से में थे और उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की मदद करने का फैसला किया। कहा जाता है कि तात्या पहले से ही रानी लक्ष्मीबाई को जानते थे और ये दोनों मित्र थे।


🚩साल 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई ने भी बढ़-चढ कर हिस्सा लिया था और ब्रिटिश इस विद्रोह से जुड़े हर व्यक्ति को चुप करवाना चाहते थे । साल 1857 में सर ह्यूरोज की आगुवाई में ब्रिटिश सेना ने झांसी पर हमला कर दिया था। वहीं जब तात्या टोपे को इस बात का पता चला तो उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की मदद करने का फैसला लिया। तात्या ने अपनी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश सेना का मुकाबला किया और लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों के शिकंजे से बचा लिया। इस युद्ध पर विजय प्राप्त करने के बाद रानी और तात्या टोपे कालपी चले गए। जहां पर जाकर इन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपने आगे की रणनीति तैयार की।

तात्या जानते थे, की अंग्रेजों को हराने के लिए उनको अपनी सेना को और मजबूत करना होगा। अंग्रेजों का सामना करने के लिए तात्या ने एक नई रणनीति बनाते हुए महाराजा जयाजी राव सिंधिया के साथ हाथ मिला लिया। जिसके बाद इन दोनों ने साथ मिलकर ग्वालियर के प्रसिद्ध किले पर अपना आधिकार कायम कर लिया। तात्या के इस कदम से अंग्रेजों को काफी धक्का लगा और उन्होंने तात्या को पकड़ने की अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया। वहीं 18 जून, 1858 में ग्वालियर में हुए अंग्रेजों के खिलाफ एक युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई हार गई और उन्होंने अंग्रेजों से बचने के लिए खुद को आग के हवाले कर दिया।


🚩तात्या टोपे का संघर्ष


🚩अंग्रेजों ने अपने खिलाफ शुरू हुए हर विद्रोह को लगभग खत्म कर दिया था। लेकिन अंग्रेजों के हाथ तात्या टोपे अभी तक नहीं लगे थे। ब्रिटिश इंडिया तात्या को पकड़ने की काफी कोशिशें करती रही, लेकिन तात्या अपना ठिकाना समय-समय पर बदलते रहे।


🚩तात्या टोपे की मृत्यु


🚩कहा जाता है कि तात्या कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे थे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस गुजरात राज्य में साल 1909 में ली थी। तात्या ने राजा मानसिंह के साथ मिलकर एक रणनीति तैयार की थी जिसके चलते अंग्रेजों ने किसी दूसरे व्यक्ति को तात्या समझकर पकड़ लिया था और उसको फांसी दे दी थी। तात्या के जिंदा होने के सबूत समय-समय पर मिलते रहे हैं और तात्या टोपे के भतीजे ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि तात्या को कभी भी फांसी नहीं दी गई थी।


🚩तात्या टोपे से जुड़ी अन्य जानकारी-


🚩तात्या टोपे ने अंग्रेजों के खिलाफ लगभग 150 युद्ध लड़े हैं, जिसके चलते अंग्रेजों को काफी नुकसान हुए था और उनके करीब 10 ,000 सैनिकों की मृत्यु इन युद्धों के दौरान हुई थी।


🚩तात्या टोपे ने कानपुर को ब्रिटिश सेना से छुड़वाने के लिए कई युद्ध किए। लेकिन उनको कामयाबी मई, 1857 में मिली और उन्होंने कानपूर पर कब्जा कर लिया। हालांकि ये जीत कुछ दिनों तक ही थी और अंग्रेजों ने वापस से कानपुर पर कब्जा कर लिया था।


🚩भारत सरकार द्वारा दिया गया सम्मान

तात्या टोपे द्वारा किए गए संघर्ष को भारत सरकार द्वारा भी याद रखा गया और उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया था। इस डाक टिकट के ऊपर तात्या टोपे की फोटो बनाई गई थी। इसके अलावा मध्य प्रेदश में तात्या टोपे मेमोरियल पार्क भी बनवाया गया है। जहां पर इनकी एक मूर्ती लगाई गई है। ताकि हमारे देश की आने वाले पीढ़ी को इनका बलिदान   याद रहे।


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Thursday, April 6, 2023

इटली में इंग्लिश बोलने पर लगेगा 89 लाख तक का जुर्माना, भारत में इंग्लिश पर कब लगेगा बेन ?

6  Apirl 2023

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🚩भारतीयों को आजादी मिले 75 साल हो गए लेकिन आभितक मानसिक गुलामी नही गई है। जापानी जब अमेरिका में जाते हैं तो वहाँ भी अपनी मातृभाषा में ही बातें करते हैं और भारतवासी! भारत में रहते हैं फिर भी अपनी हिन्दी, गुजराती, मराठी आदि राष्ट्र व मातृ भाषाओं में अंग्रेजी के शब्द बोलने लगते हैं । 


🚩राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है। इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है । यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है। इटली की सरकार की साहस सरहानीय है जो अपनी राष्ट्रीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए विदेशी भाषा को बेन करने जा रही हैं।



🚩इटली में English पर बैन को लेकर कानून पेश


🚩प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की पार्टी द्वारा पेश किए गए इस बिल पर संसद में बहस होनी है, अगर यह वहां से पारित हो जाता है तो इटली में अंग्रेजी सहित अन्य विदेशी भाषाओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लग जाएगा।


🚩इटली की सरकार ने विदेशी भाषा को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। इसके लिए उसने देश में एक अलग कानून पेश किया है. इसके तहत इटली के लोग अपने देश में इंग्लिश व किसी अन्य भाषा का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. ऐसा करने पर उन्हें भारी जुर्माना लगेगा. बता दें कि इस कानून को प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने पेश किया है।



🚩सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई भी इतालवी नागरिक अपने ऑफिशियल कम्युनिकेशन के दौरान अंग्रेजी या किसी अन्य विदेशी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी द्वारा पेश किए गए नए कानून के तहत 100,000 यूरो (89,33,458 लाख रुपये) का जुर्माना देना होगा.


🚩बैन के पीछे दिया गया ये तर्क

इस कानून को इटालियन चैंबर ऑफ डेप्युटीज (लोअर हाउस) में फैबियो रामपेली ने कानून पेश किया था. प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने इसका समर्थन किया था. कानून पेश करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी विदेश भाषा खासकर ‘एंग्लोमेनिया’ या अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल पर आधारित है, जो इटालियन भाषा को अपमानित महसूस कराता है. उन्होंने कहा कि यह और भी बुरा है क्योंकि ब्रिटेन अब यूरोपीय यूनियन का हिस्सा नहीं है।


🚩संसद में बिल पर बहस होना बाकी


🚩हालांकि, इस बिल को लेकर अभी इटली की संसद में बहस होगी। समर्थन मिलने के बाद इसके बाद इसको पारित किया जाएगा. इस बिल में ऑफिशियल डॉक्यूमेंट अंग्रेजी के इस्तेमाल पर बैन लगाने की बात की गई है. कानून के मसौदे के मुताबिक, विदेशी संस्थाओं के पास सभी आंतरिक नियमों और रोजगार अनुबंधों के इतालवी भाषा संस्करण होने चाहिए।


🚩इटली सरकार से भारत की सरकार को सिख लेनी चाहिए और भारत में भी विदेशी भाषा पर बेन लगा देना चाहिए।


🚩लोकमान्य तिलकजी ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया ।

वे कहते थे : ‘‘अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है । जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते । ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है । ऐसी शिक्षा-प्रणाली किसी भी सभ्य देश में नहीं पायी जाती ।’’


🚩जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसीको तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है ।


🚩हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए ।


🚩एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है । हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए ।


🚩राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतराष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए ।


🚩जब कमाल पाशा अरब देश में तुर्की भाषा को लागू करने के लिए अधिकारियों की कुछ दिन की मोहलत ठुकराकर रातोंरात परिवर्तन कर सकते हैं तो हमारे लिए क्या यह असम्भव है  ?


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Wednesday, April 5, 2023

कौन से भगवान हनुमानजी के रूप में अवतार लिए थे ? और कितनी सिद्धियां थीं ?

5 Apirl 2023

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🚩हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा की पावन तिथि पर हुआ । तब से हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है । इस दिन हनुमान जी का तारक एवं मारक तत्त्व अत्याधिक मात्रा में अर्थात अन्य दिनों की तुलना में 1 सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है । इससे वातावरण की सात्त्विकता बढती है एवं रज-तम कणों का विघटन होता है । विघटन का अर्थ है, ‘रज-तम की मात्रा अल्प होना।’ इस दिन हनुमान जी की उपासना करने वाले भक्तों को हनुमान जी के तत्त्व का अधिक लाभ होता है।



🚩ज्योतिषियों की गणना अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था । हनुमान जी भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान हैं।


🚩हनुमान जी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी तथा माता अंजना हैं । हनुमान जी को पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पवन देवता ने हनुमान जी को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


🚩हनुमानजी को बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि हनुमान जी का शरीर वज्र की तरह है।


🚩पृथ्वी पर सात मनीषियों को अमरत्व (चिरंजीवी) का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं । हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं।


🚩हनुमानजी को एक दिन अंजनी माता फल लाने के लिये आश्रम में छोड़कर चली गई। जब शिशु हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे । उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया । जिस समय हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था । हनुमान जी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया । उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की “देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे । आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।”


🚩राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े । राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे । राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्र से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई।


🚩हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया । उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दी । जिससे संसार का कोई भी प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे । तब सारे सुर,असुर, यक्ष,  किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये । ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये । वे मूर्छित हनुमान जी को गोद में लिये उदास बैठे थे । जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की । फिर ब्रह्माजी ने उन्हें वरदान दिया कि कोई भी शस्त्र इनके अंग को हानि नहीं कर सकता । इन्द्र ने भी वरदान दिया कि इनका  शरीर वज्र से भी कठोर होगा । सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा कि मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा । यमदेव ने अवध्य और  निरोग रहने का आशीर्वाद दिया । यक्षराज कुबेर,विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये।


🚩इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत मे हनु) टूट गई थी । इसलिये उनको “हनुमान” नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, बालाजी महाराज आदि । इस प्रकार हनुमान जी के 108 नाम हैं और हर नाम का मतलब उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है।


🚩एक बार माता सीता ने प्रेम वश हनुमान जी को एक बहुत ही कीमती सोने का हार भेंट में देने की सोची लेकिन हनुमान जी ने इसे लेने से मना कर दिया । इस बात से माता सीता गुस्सा हो गई तब हनुमानजी ने अपनी छाती चीर का उन्हें उसे बसी उनकी प्रभु राम की छव‍ि दिखाई और कहा क‍ि उनके लिए इससे ज्यादा कुछ अनमोल नहीं।


🚩हनुमानजी के पराक्रम अवर्णनीय है । आज के आधुनिक युग में ईसाई मिशनरियां अपने स्कूलों में पढ़ाती है कि हनुमानजी भगवान नही थे एक बंदर थे । बन्दर कहने वाले पहले अपनी बुद्धि का इलाज कराओ। हनुुमान जी शिवजी का अवतार हैं। भगवान श्री राम के कार्य में साथ देने (राक्षसों का नाश और धर्म की स्थापना करने ) के लिए भगवान शिवजी ने हनुमानजी का अवतार धारण किया था।


🚩मनोजवं मारुततुल्य वेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।

वातात्मजं वानरयूथ मुख्य, श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।

🚩‘मन और वायु के समान जिनकी गति है, जो जितेन्द्रिय है, बुद्धिमानों में जो अग्रगण्य हैं, पवनपुत्र हैं, वानरों के नायक हैं, ऐसे श्रीराम भक्त हनुमान की शरण में मैं हूँ।


🚩जिसको घर में कलह, क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटानी हो, वह नीचे की चौपाई की पुनरावृत्ति किया करे..।

 

🚩बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन - कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई–अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन्ह जानकी माता।।


🚩यह हनुमान चालीसा की एक चौपाई जिसमें तुलसीदास जी लिखते हैं कि हनुमानजी अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं ऐसा सीता माता ने उन्हें वरदान दिया। यह अष्ट सिद्धियां बड़ी ही चमत्कारिक होती है जिसकी बदौलत हनुमान जी ने असंभव से लगने वाले काम आसानी से सम्पन किये थे। आइये अब हम आपको इन अष्ट सिद्धियों, नौ निधियों और भगवत पुराण में वर्णित दस गौण सिद्धियों के बारे में विस्तार से बताते हैं।


🚩आठ सिद्धयाँ :

हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-


🚩1.अणिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।


🚩इस सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने तब किया जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। हनुमानजी ने अणिमा सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी लंका का निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं चला।


🚩2. महिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।


🚩जब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमानजी ने स्वयं का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था।

इसके अलावा माता सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।


🚩3. गरिमा:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।


🚩गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध वानर रूप धारक करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक वानर की पूंछ रास्ते में पड़ी हुई है, तब भीम ने वृद्ध वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि मैं वृद्धावस्था के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर की पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया। पवनपुत्र हनुमान के भाई थे भीम क्योंक‍ि वह भी पवनपुत्र के बेटे थे ।


🚩4. लघिमा:  इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।


🚩जब हनुमानजी अशोक वाटिका में पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे ही सीता माता को अपना परिचय दिया था।


🚩5. प्राप्ति:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।


🚩रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से चर्चा की थी। माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।


🚩6. प्राकाम्य:  इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को प्राप्त कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।


🚩इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल तक प्राप्त कर लिया है।


🚩7. ईशित्व:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।

ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।


🚩8. वशित्व:  इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।

🚩वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं।


🚩नौ निधियां  :

हनुमान जी प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार हैं :-


🚩1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।


🚩2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।


🚩3. नील निधि : नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।


🚩4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।


🚩5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है।


🚩6. मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है।


🚩7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।


🚩8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।


🚩9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं ।


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Tuesday, April 4, 2023

अमेरिका में पहली बार हिन्दू घृणा के खिलाफ प्रस्ताव पारित, कहा - हिन्दू धर्म विश्व के सबसे पुराना धर्म

4 Apirl 2023

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🚩अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत में हिन्दूफोबिया के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है। ये प्रस्ताव वहाँ की एसेंबली में पारित किया गया। अमरीका में पहली बार ऐसा हुआ है। हिन्दुओं के खिलाफ घृणा की निंदा करते हुए जॉर्जिया एसेंबली ने कहा कि हिन्दू धर्म विश्व के सबसे पुराने और बड़े धर्मों में से एक है, जिसके दुनिया भर में 120 करोड़ से भी अधिक मानने वाले हैं। 100 से भी अधिक देशों में हिन्दू धर्म के लोग फैले हुए हैं। हिन्दू संगठनों ने इसका स्वागत किया है।


🚩जॉर्जिया की एसेंबली ने इस प्रस्ताव में हिन्दू धर्म की तारीफ करते हुए कहा कि विविधताएँ भरी कई संस्कृतियाँ इसका हिस्सा हैं। अलग-अलग दर्शन/विचार को मानने वाले लोग हिन्दू धर्म का हिस्सा हैं। साथ ही हिन्दू धर्म को स्वीकार्यता, आपसी सम्मान और शांति का धर्म भी बताया गया। रिप्रेजेन्टेटिव लॉरेन मैकडोनाल्ड और टेड जोन्स ये प्रस्ताव लेकर आए। ये एटलांटा के सबअर्ब्स फोरसिथ का प्रतिनिधित्व करते हैं। जॉर्जिया की सबसे बड़ी हिन्दू जनसंख्या यहीं रहती है।



🚩अमेरिका में हिन्दू समुदाय के योगदानों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य, विज्ञान और इंजीनियरिंग के अलावा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटैलिटी, वित्त, एकेडमी, निर्माण कार्य, एनर्जी, व्यापार और रिटेल में वो अच्छा कार्य कर रहे हैं। योग, आयुर्वेद, ध्यान, भोजन, संगीत और कला के क्षेत्र में हिन्दुओं के योगदान की सराहना करते हुए कहा गया कि इससे अमेरिका के लाखों लोगों को फायदा मिला है, यहाँ की संस्कृति समृद्ध हुई है।


🚩एसेंबली ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में हिन्दुओं के खिलाफ घृणा और अपराध में बढ़ोतरी हुई है। बुद्धिजीवी वर्ग के एक हिस्से का भी इसे समर्थन प्राप्त है। ऐसे लोग पवित्र साहित्य पर हिंसा और अत्याचार का आरोप लगाते हैं। 22 मार्च को जॉर्जिया में ‘हिन्दू एडवोकेसी डे’ इन्हीं घटनाओं के विरोध में मनाया गया था। Rutgers यूनिवर्सिटी ने भी ऐसी घटनाओं के बढ़ने की बात एक रिसर्च में कही है। अकादमिक जगत के ऐसे लोगों की भी निंदा की गई, जो हिन्दू धर्म को निशाना बनाते हैं।


🚩आपको बता दे की हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। कुछ लोग इसे मूर्तिपूजकों, प्रकृति पूजकों या हजारों देवी-देवताओं के पूजकों का धर्म मानकर इसकी आलोचना करते हैं, कुछ लोग इसको जातिवादी धारणा को पोषित करने वाला धर्म मानते हैं, लेकिन यह उनकी सतही सोच या नफरत का ही परिणाम है।


🚩हिन्दू धर्म मानता है कि जीवन ही है प्रभु। जीवन की खोज करो। जीवन को सुंदर से सुंदर बनाओ। इसमें सत्यता, शुभता, सुंदरता, खुशियां, प्रेम, उत्सव, सकारात्मकता और ऐश्‍वर्यता को भर दो। लेकिन इन सभी के लिए जरूरी नियमों की भी जरूरत होती है अन्यथा यही सब अनैतिकता में बदल जाते हैं।

कृण्वन्तो विश्वमार्यम’अर्थात सारी दुनिया को श्रेष्ठ, सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाएंगे।


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Monday, April 3, 2023

महावीर जयंती विशेष : स्वामी जी को निंदकों ने ऐसा कष्ट दिया था

3 Apirl 2023

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🚩जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन है,जो सम्पूर्ण विश्व में बहुत धूमधाम से मनाया जाएगा।


🚩भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए, जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। ये सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।



🚩जैसे हर संत के जीवन में देखा जाता है,वैसे महावीर स्वामी के समय भी देखा गया…… जहाँ उनसे लाभान्वित होनेवाले लोग थे, वहीं समाजकंटक निंदक भी थे ।


🚩उनमें से पुरंदर नाम का निंदक बड़े ही क्रूर स्वभाव का था । वह तो महावीर जी के मानो पीछे ही पड़ गया था । उसने कई बार महावीर स्वामी को सताया, उनका अपमान किया पर संत ने माफ कर दिया ।


🚩एक दिन महावीर स्वामी (Mahavir Swami) पेड़ के नीचे ध्यानस्थ बैठे थे । तभी घूमते हुए पुरंदर भी वहाँ पहुँच गया । वह महावीर जी को ध्यानस्थ देख आग-बबूला होकर बड़बड़ाने लगा ,अभी इनका ढोंग उतारता हूँ,अभी मजा चखाता हूँ….।

और आवेश में आकर उसने एक लकड़ी ली और उनके कान में खोंप दी । कान से रक्त की धार बह चली लेकिन महावीर जी के चेहरे पर पीड़ा का कोई चिह्न न देखकर वह और चिढ़ गया और कष्ट देने लगा ।


🚩इतना सब होने पर भी महावीरजी किसी प्रकार की कोई पीड़ा को व्यक्त किये बिना शांत ही बैठे रहे । परंतु कुछ समय बाद अचानक उनका ध्यान टूटा, उन्होंने आँख खोलकर देखा तो सामने पुरंदर खड़ा है । उनकी आँखों से आँसू झरने लगे ।


🚩पुरंदर ने पूछा : क्या पीड़ा के कारण रो रहे हो ?

महावीर स्वामी : नहीं, शरीर की पीड़ा के कारण नहीं,

पुरंदर : तो किस कारण रो रहे हो ?


🚩“मेरे मन में यह व्यथा हो रही है कि मैं निर्दोष हूँ फिर भी तुमने मुझे सताया है तो तुम्हें कितना कष्ट सहना पड़ेगा ! कैसी भयंकर पीड़ा सहनी पड़ेगी ! तुम्हारी उस पीड़ा की कल्पना, करके मुझे दुःख हो रहा है ।”


🚩यह सुन पुरंदर मूक हो गया और पीड़ा की कल्पना से सिहर उठा ।


🚩पुरंदर की नाई गोशालक नामक एक कृतघ्न गद्दार ने भी महावीर स्वामी (Mahavir Swami) को बहुत सताया था ।


🚩महावीर जी के 500 शिष्यों को उनके खिलाफ खड़ा करने का उसका षड्यंत्र भी सफल हो गया था । उस दुष्ट ने महावीर स्वामी जी को जान से मारने तक का प्रयत्न किया लेकिन जो जैसा बोता है उसे वैसा ही मिलता है । धोखेबाज लोगों की जो गति होती है, गोशालक का भी वही हाल हुआ ।


🚩 सच्चे संतों के निंदको व कुप्रचारको ! अब भी समय है, कर्म करने में सावधान हो जाओ । अन्यथा जब प्रकृति तुम्हारे कुकर्मों की तुम्हें सजा देगी उस समय तुम्हारी वेदना पर रोनेवाला भी कोई न मिलेगा ।


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Sunday, April 2, 2023

आयोडीन नमक खाना स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है ?

2 Apirl 2023

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🚩नमक (सोडियम क्लोराइड) का प्रचलन भोजन में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। चटपटे और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन नित्य-नियमितरूप से बढ़ता जा रहा है। शक्कर की तरह नमक भी हमारे शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक है। यह शरीर के लिए अनिवार्य है, लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक लवण की मात्रा तो हमें प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थों द्वारा ही मिल जाती है। हमारे द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली हरी सब्जियों से, अंकुरित बीजों आदि से हमारे शरीर में लवण की पूर्ति स्वतः ही हो जाती है।



🚩कुछ वर्षों पूर्व ही एक ख्यातिप्राप्त समाचार पत्र ने अपने आलेख में प्रकाशित कर इस कथन की पुष्टि की थी कि नमक शरीर के लिए जहर से भी अधिक खतरनाक होता है। चिकित्सा विज्ञान के शोधकर्ताओं ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि रक्तचाप के रोगों का प्रमुख कारण ही नमक है, इसलिए हाई ब्लडप्रेशरवाले रोगियों को भोजन में नमक पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है। नमक छोड़नेवाले इस रोग से मुक्त हो जाते हैं और जो नहीं छोड़ते वे इससे त्रस्त रहते हैं।


🚩एक सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि सुदूर वन्य एवं पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले अनेक आदिवासियों के आहारक्रम में नमक का कोई स्थान नहीं है। आधुनिक सुविधाओं से वंचित् वे लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से आज भी हमसे अधिक हृष्ट-पुष्ट एवं स्वस्थ हैं। शक्कर व नमक की पूर्ति वे खाद्य पदार्थों से ही कर लेते हैं।


🚩नमक और शक्कर के अधिक सेवन से शरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता का ह्रास होता है तथा उसे अनेक रोगों से जूझना पड़ता है।


🚩अमेरिकी लैब का खुलासा-


🚩भारत में बिकने वाले ‘आयोडीन नमक’ पर अमेरिका स्थित एक लैब ने चौंकाने वाला खुलासा किया है । लैब ने अपनी जांच में पाया है कि भारत में बिकने वाले टॉप ब्रैंड्स के आयोडीन नमक में कार्सिनोजेनिक घटक मौजूद है । अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया।


🚩रिपोर्ट में सांभर रिफाइंड नमक, टाटा नमक, टाटा नमक लाइट जैसे उत्पादों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है । गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स के चेयरमैन शिव शंकर गुप्ता ने इस रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए नमक बनाने वाली कंपनियों और सरकार को आड़े हाथों लिया है । उन्होंने कहा ‘भारत में बिक रहे आयोडीन नमक में पोटैशियम फेरोसायनाइड भारी मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसर का एक मुख्य कारण है।’


🚩सूत्रों के अनुसार दुनिया के 56 देशों ने आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बेन कर दिया है। डेन्मार्क की सरकार ने तो 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया। उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक लोगो को खिलाया !(1940 से 1956 तक ) पर अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब भारत देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो देश के स्वार्थी नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । पर कुछ समय पूर्व कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।


🚩आयोडीन की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें


🚩एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ हैं, सुरंगे हैं । वहाँ से ये नमक आता है । 


🚩सेंधा नमक के फ़ायदे-


🚩सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय (alkaline) है । क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल(उदासीन) हो जाता है और रक्त से अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।


🚩ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते हैं तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??


🚩सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है । सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।

🚩यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।


🚩अतः जिन्हें दीर्घायु होना है, सदैव स्वस्थ व प्रसन्न बने रहना है, ऐसे लोग शक्कर की जगह गुड, मिश्री और 

आयोडीन नमक की जगह सेंधा नमक और बिना रिफाइंड तेल का उपयोग करना चाहिए।


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Saturday, April 1, 2023

अपने देश में अपना त्योहार मनाने पर पत्थर खाना उचित है ?

1  April 2023

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🚩हिन्दू नववर्ष , भगवान झूलेलाल जयंती, रामनवमी, हनुमानजी जयंती, परशुराम जयंती, अमरनाथ यात्रा या जो भी हिन्दू पर्व आते हैं,उन पर्व के दिनों में नमाज के बहाने नमाज के बाद  नमाजियों द्वारा हिन्दूओ पर पत्थर बरसाए जाते है ऐसा क्यो ? नमाज के बहाने दिन में 5 बार जोर शोर से लाउड स्पीकर चलाया जाता है लेकिन हिंदू ने आजतक कोई पत्थर नही फेंका आखिर हिंदु सहिष्णु है तो उनके त्यौहार पर पत्थर बरसाना क्या ये सही है और वो भी हिंदु बाहुल्य देश में ऐसी घटना घटनी उचित नही हैं।



🚩आपको बता दे की रामनवमी के अवसर पर देश के कई शहरों में जुलूस पर पत्थरबाजी और हिंसा की खबरें सामने आईं। हिंसक घटनाओं में पश्चिम बंगाल में एक और महाराष्ट्र में एक शख्स की मौत हो गई। इसके अलावा गुजरात और उत्तर प्रदेश से भी रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव की खबरें सामने आई हैं।


🚩पश्चिम बंगाल में उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर शहर के दालखोला इलाके में रामनवमी के जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई। मुस्लिम बहुल इलाके में हुई झड़प में एक शख्स की मौत हो गई जबकि 5-6 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। बंगाल पुलिस युवक के मौत की वजह हार्ट अटैक बता रही है।


🚩हावड़ा में असामाजिक तत्वों ने रामनवमी के जुलूस पर पत्थरबाजी की और हिंसा भड़कने पर फिर कई वाहनों में आग लगा दी। घटना हावड़ा के शिबपुर की है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग छतों से जुलूस पर पथराव करते नजर आ रहे हैं।


🚩महाराष्ट्र के संभाजीनगर (औरंगाबाद) और जलगाँव में रामनवमी के अवसर पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। संभाजीनगर के किराड़पुर में एक मंदिर के आगे मामूली सी बात से शुरू हुए झगड़े ने हिंसा का रूप ले लिया। रिपोर्टों के मुताबिक गोली लगने से जख्मी एक शख्स की अस्पताल में मौत हो गई।


🚩संभाजीनगर में हिंसा के दौरान न सिर्फ पत्थरबाजी की गई बल्कि बम भी फेंके गए। हालात को संभालने पहुँची पुलिस के वाहनों को भीड़ ने जला दिया और आस-पास खड़े वाहनों को भी नुकसान पहुँचाया। बताया जा रहा है कि घटना में 14 पुलिसकर्मी जख्मी हैं। असमाजिक तत्वों ने पुलिस को 13 गाड़ियों को फूँक दिया।


🚩महाराष्ट्र के ही जलगाँव में मस्जिद के आगे से निकल रहे हिन्दुओं के जुलूस में डीजे (DJ) की आवाज को लेकर हुए विवाद ने देखते-देखते हिंसक रूप ले लिया। मामले में 2 FIR दर्ज हुए हैं, जिसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों को आरोपित किया गया है। अब तक कुल 45 आरोपितों की गिरफ्तारी की खबर है। यह घटना मंगलवार (28 मार्च 2023) की है।


🚩गुजरात के वडोदरा में भी 2 स्थानों पर कट्टरपंथी भीड़ ने रामनवमी के जुलूस को निशाना बनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक फतेहपुरा गराना पुलिस चौकी क्षेत्र का है। गुरुवार को हिन्दुओं द्वारा यहाँ से रामनवमी की शोभा यात्रा निकाली गई थी। जैसे ही यात्रा इलाके की एक मस्जिद के पास पहुँची, किसी बात को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। देखते-देखते मस्जिद के पास से जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। कुंभारवाडा इलाके में भी रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव की घटना सामने आई।


🚩उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी मस्जिद के सामने शोभायात्रा पर पत्थरबाजी की घटना सामने आई। इस विवाद में शामिल एक गाड़ी में तोड़फोड़ की गई। पीड़ित पक्ष ने मुस्लिम महिलाओं द्वारा पत्थर फेंके जाने का आरोप लगाया है।


🚩कब तक सहन करेंगे ?


🚩हिन्दू है तो मुसलमान के पत्थर सहन नही करेंगे, जिन मुगलों ने महाराणा प्रताप,पृथ्वीराज चौहान,छत्रपति शिवाजी महाराज ,महावीर सम्भाजी महाराज आदि भारत के महान वीर महापुरुषों को जीवन भर कष्ट दिए है।


🚩आज भी उनके वंशज मुस्लिम , हिन्दुओ को कष्ट दे रहे है,फिर चाहें वो हिन्दू नववर्ष हो या फिर रामनवमी या फिर हनुमान जयंती या फिर अमरनाथ यात्रा हो किसी भी हिन्दू पर्व या हिन्दू यात्राओं पर पत्थर फेंकने वाले मुसलमान ।


🚩निर्दोष हिन्दू कारसेवकों को बड़ी बेरहमी से मारा था उनको गोलियों से भुनने वाली सरकार पर आज सारा हिन्दू ज़माज थूकता है। आज भी 1992 का इतिहास कोई भी हिन्दू भुला नही है।


🚩भारत में हिन्दुओ के 40 हजार मंदिरो के ऊपर मस्जिद ओर मजार मुसलमानों ने बनाये। आज जब जांचों में मन्दिरों के अवशेष मिल रहे है तो मुस्लिम क्यों तिलमिला रहें है।


🚩सरकार को पत्थरबाजों

पर कड़क कार्यवाही करनी चाहिए यही जनता की मांग हैं।


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