Sunday, October 29, 2023

रत्नाकर से बने महर्षि वाल्मीकि ने कैसे लिख दिया रामायण ? जानिए

29 October 2023

http://azaadbharat.org


भारतीय संस्कृति के साधु-संतों और भगवान के नाम की कितनी ताकत है वे दुनिया के किसी भी पलडु से तोल नही सकते है। हम लोग जो आज घरो में रामायण देख रहे है और उसको देखकर हमारा जीवन उन्नत कर रहे है लेकिन ये रामायण कैसे लिखी गई है और लिखने वाले एक साधारण व्यक्ति से महान कैसे बन गए वे भी आप जनोगों तो सनातन हिंदू संस्कृति पर आपको गर्व होने लगेगा और दुनिया मे इसके जैसे कोई श्रेष्ठ धर्म आपको नही दिखाई देगा।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि जी का परिचय

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की कहानी बडी अर्थपूर्ण है । सत्पुरुषों की संगति में आकर लोगोंकी उन्नति कैसे होती है, महर्षि वाल्मीकि इसका एक महान उदाहरण हैं । नारदमुनि के संपर्क में आकर वे एक महान ऋषि, ब्रम्हर्षि बने, तथा उन्होंने ‘रामायण’ की रचना की, जिसे संपूर्ण विश्व कभी भूल नहीं सकता । पूरे विश्वके महाकाव्यों में से वह एक है । दूसरे देशों के लोग उसे अपनी-अपनी भाषाओं में पढते हैं । रामायण के चिंतन से हमारा जीवन सुधर सकता है । हमें यह महाकाव्य देनेवाले महर्षि वाल्मीकि को हम कभी भूल नहीं सकते । इस महान ऋषि एवं चारण को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषाका पहला काव्य है, अत: उसे ‘आदि-काव्य’ अथवा ‘पहला काव्य’ कहा जाता है तथा महर्षि वाल्मीकिको `आदि कवि’ अथवा ‘पहला कवि’ कहा जाता है ।

 

🚩जिस कवि ने ‘रामायण’ लिखी तथा लव एवं कुशको यह गाना तथा कहानी सिखाई, वे एक महान ऋषि, महर्षि वाल्मीकि थे । यह व्यक्ति महर्षि तथा गायक कवि कैसे बने यह बडी बोधप्रद कहानी है । महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषा में है तथा बहुत सुंदर काव्य है ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण गायी जा सकती है । कोयल की आवाज की तरह वह कानों को भी बडी मीठी (कर्णप्रिय) लगता है । महर्षि वाल्मीकि को काव्य के पेड पर बैठी तथा मीठा गानेवाली कोयल कहा गया है । जो भी रामायण पढते हैं, प्रथम महर्षि वाल्मीकि को प्रणाम कर तदुपरांत महाकाव्य की ओर बढते हैं ।

 

🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद की कथा

 

🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद को लेकर एक पौराण‍िक कथा है। वाल्‍मीक‍ि बनने से पूर्व उनका नाम रत्‍नाकर था और वह परिवार के भरण पोषण के लिए लोगों को लूटा करते थे। एक बार उनकी मुलाकात नारद जी से हो गई। जब वह उन्‍हें लूटने लगे तो नारदजी ने प्रश्न क‍िया क‍ि, जिन परिवार के लिए वह ये काम कर रहे हैं, क्‍या वह उनके पापा में भागीदार बनेगे ?

 

🚩जब रत्‍नाकर ने यह सुना तो वह अचरज में पड गए और तुरंत अपने पर‍िवार के पास जाकर ये प्रश्न क‍िया। उनको यह जानकर झटका लगा क‍ि कोई भी उनका अपना उनके पाप में हिस्‍सेदार नहीं बनना चाहता है। इसके बाद उन्‍होंने नारद जी से क्षमा मांगी और साथ ही राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया। किंतु वाल्‍मीक‍ि जी राम नाम नहीं बोल पा रहे थे जिस पर उन्‍होंने उनका ‘मरा मरा’ जपने की सीख दी। यही जाप उनका राम नाम हो गया और वह एक लुटेरे से महर्ष‍ि वाल्मीकि हो गए।

 

बता दें क‍ि ये जब श्री राम ने जनता की बातें सुनकर माता सीता को त्‍याग द‍िया था, तब वह महर्ष‍ि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं। उनके पुत्रों लव-कुश के गुरु भी महर्ष‍ि वाल्मीकि ही थे।

 

🚩महाकाव्य रामायणकी रचना

 

🚩नारदमुनिके जानेके पश्चात महर्षि वाल्मीकि गंगा नदी पर स्नान करने गए । भारद्वाज नाम का शिष्य उनके वस्त्र संभाल रहा था । चलते-चलते वे एक निर्झरके पास आए । निर्झर का पानी बिल्कुल स्वच्छ था । वाल्मीकि ने अपने शिष्यसे कहा, `देखो, कितना स्वच्छ पानी है, जैसे किसी अच्छे मानवका स्वच्छ मन! आज मैं यहीं स्नान करूंगा।’

 

🚩महर्षि वाल्मीकि पानी में पांव रखने हेतु उचित स्थान देख रहे थे, तभी उन्हें पंछियों की मीठी आवाज सुनाई दी । ऊपर देखने पर उन्हें दो पंछी एक साथ उडते हुए दिखे । उन पंछियों की प्रसन्नता देख कर महर्षि वाल्मीकि अति प्रसन्न हुए । तभी तीर लगने से एक पंछी नीचे गिर गया । वह एक नर पक्षी था । उसकी घायल हालत देखकर उसकी साथी दुखसे चिल्लाने लगी । यह ह्रदयविदारक दृश्य देखकर महर्षि वाल्मीकि का ह्रदय पिघल गया । पंछीपर किसने तीर चलाया यह देखने हेतु उन्होंने इधर-उधर देखा । तीर-कमान के साथ एक आखेटक निकट ही दिखाई दिया । आखेटक ने (शिकारीने) खाने हेतु पंछीपर तीर चलाया था । महर्षि वाल्मीकि बडे क्रोधित हुए । उनका मुंह खुला, और ये शब्द निकल गए : `तुमने एक प्रेमी जोडे में से एककी हत्या की है, तुम खुद अधिक दिनोंतक जीवित नहीं रहोगे !’ दुखमें उनके मुंह से एक श्लोक निकल गया । जिसका अर्थ था, तुम अनंत काल के लंबे साल तक शांति से न रह सकोगे । तुमने एक प्रणयरत पंछी की हत्या की है ।

 

🚩पंछी का दुख देखकर महर्षि वाल्मीकि ने बडे दुखी होकर आखेटक को (शिकारी को) शाप दिया; किंतु किसीको शाप देने से वे भी दुखी हो गए । उनके साथ चलने वाले भारद्वाज मुनि के पास उन्होंने अपना दुख प्रकट किया । महर्षि वाल्मीकि के मुंहसे श्लोक निकल जाने के कारण उन्हें भी आश्चर्य हुआ था । उनके आश्रम वापिस आने पर तथा उसके पश्चात भी वे श्लोक के विषय में ही सोचते रहे ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि का मन अभी भी उनके मुंह से निकले श्लोक का ही विचार कर रहा था, कि सृष्टि के देवता भगवान ब्रह्मा स्वयं उनके सामने प्रकट हुए । उन्होंने महर्षि वाल्मीकि से कहा, `हे महान ऋषि, आपके मुंह से जो श्लोक निकला, उसे मैंने ही प्रेरित किया था । अब आप श्लोकों के रूपमें ‘रामायण’ लिखेंगे । नारद मुनिने तुम्हें रामायण की कथा सुनाई है । तुम अपनी आंखों से सब देखोगे । तुम जो भी कहोगे, सच होगा । तुम्हारे शब्द सत्य होंगे । जबतक इस दुनिया में नदियां तथा पर्वत हैं, लोग ‘रामायण’ पढेंगे । ’ भगवान ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा आशीर्वाद दिया और वे अदृश्य हो गए ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि ने ‘रामायण’ लिखी । सर्वप्रथम उन्होंने श्रीराम के सुपुत्र लव एवं कुश को श्लोक सिखाए । उनका जन्म महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ तथा वहीं पर वे बडे हुए।

 

🚩आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति अपनी आजीविका चलाने के लोए लुटमार करते है और एक साधु देवर्षि नारद मिलते है और भगवान के नाम की दीक्षा लेते है और उस मार्गदर्शन के अनुसार रत्नाकर अपना जीवन बना देते है और महान हो जाते है और आज भी उनकी महर्षि वाल्मीकि बनकर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दे रहे है, धन्य भारतीय संस्कृति और साधु संत।


*🔺 Follow on*


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, October 27, 2023

चंद्रग्रहण में क्या करें?क्या न करें ? एवं खीर कब खाए जानिए.....

28 October 2023


http://azaadbharat.org


🚩28 अक्टूबर 2023 शनिवार शरद पूर्णिमा को खंडग्रास चन्द्रग्रहण (भारत में दिखेगा, नियम पालनीय।


*🚩चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि में 2 बजकर 22 मिनट तक ग्रहण रहेगा ।*


*🚩भारतीय समय अनुसार चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की शाम 04 बजकर 06 मिनट से सूतक काल लग जाएगा ।*


*🚩बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और रोगी के लिए सूतक प्रारम्भ समय रात्रि 08:36 से ।*


*🚩दक्षिण पूर्वी भाग ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर विश्व के सभी देशों में जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, चीन, ईरान, कज़ाख़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, स्वीडन, मलेशिया, अमेरिका एवं अन्य देशों में दिखाई देगा ।*


 *🚩चंद्रग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (09 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।*


*🚩 ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है ।*


*🚩 सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें । ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं ।*


*🚩 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।*


*🚩 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है ।*


*🚩 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।*


*🚩 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं ।*


*🚩 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।*


*🚩खीर प्रसादी कब बनानी है और कब सेवन करना है ?*

*रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।*


*🚩सूतक काल में बाहर भ्रमण कर सकते हैं या नहीं ?*


*🚩अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।*


*🚩पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं तो ग्रहण के दिन देना है या नहीं ?*


*🚩क्योंकि सूतक काल शाम 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।*


*🚩सूतक काल में चंद्रमा की किरणों में बैठकर लाभ ले सकते हैं या नहीं ?*

*ले सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के समय लैट्रिन बाथरूम जा सकते हैं ?*

*नहीं, ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।*


*🚩ग्रहण के समय सोना चाहिए या नहीं ?*

*नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है ।*


*🚩ग्रहण के समय खा सकते है ?* 

*चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है ।*


*🚩सूतक में स्नान, पेशाब & शौच कर सकते हैं या नहीं ?*

*कर सकते हैं ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान अध्ययन कर सकते हैं क्या ?*


*🚩बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’*


*🚩सूतक काल में खाने का त्याग करना है तो पानी पी सकते हैं या नहीं ?*

*🚩इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।*


*🚩ग्रहणकाल में धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर जला सकते हैं या नहीं ?*

*जला सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के समय घर में पूजा कर सकते है ?*

*हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप करना चाहिए ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं ?*

*ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है ।*


*🚩चंद्र ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ?*

*ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।*

*आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।*


*🚩भोजन कब तक करना है ?*

*सूतक लगने ( शाम 04:06) से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें ।*


*🚩ग्रहणकाल में तुलसी के पत्तों का उपयोग किस प्रकार करना है ?*

*सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु), ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता ।*

*नोट : पूर्णिमा के दिन तुलसी नहीं तोड़ सकते हैं शुक्रवार के दिन दोपहर पहले तोड़ के रख सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के सूतक काल में सोना चाहिए या नहीं ?*

*सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।*


*🚩ग्रहण देख सकते है ?*

*नहीं, ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें ।*


*🚩 ग्रहणकाल में गर्भवती महिलायें क्या करें, क्या ना करें ?*


*🚩गर्भिणी के लिए ग्रहण के कुछ नियम विशेष पालनीय होते हैं । इन्हें कपोलकल्पित बातें अथवा अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, इनके पीछे शास्त्रोक्त कारण हैं ।*


*🚩ग्रहण के प्रभाव से वातावरण, पशु-पक्षियों के आचरण आदि में परिवर्तन दिखाई देते हैं इससे स्पष्ट है कि मानवीय शरीर तथा मन के क्रिया-कलापों में भी परिवर्तन होते हैं ।*


*🚩ग्रहणकाल में कुछ कार्य करने से आशातीत लाभ होते हैं और कुछ से अत्याधिक हानि । सभी उन्हें न भी समझ सकें परंतु उनका पालन करना अति आवश्यक है इसलिए हमारे हितैषी ऋषि-मुनियों के द्वारा इन कार्यों का नियम के रूप में समाज में प्रचलन किया गया है । ध्यान रहे, इन नियमों से गर्भवती को भलीभाँति अवगत करायें परंतु भयभीत नहीं करें । भय का गर्भ पर विपरीत असर पड़ता है ।*


*🚩ग्रहण के दौरान गर्भिणी को लोहे से बनी वस्तुओं से दूर रहना चाहिए । वह अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल के दौरान निकाल देना चाहिए ।*


*🚩बालों पर लगी पिन या शरीर पर धारण किये हुए नुकीली गहने भी उतार दें । चाकू, कैंची, पेन, पेंसिल, सुई जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग कदापि न करें । किसी भी लोहे की वस्तु, बर्तन, दरवाजे की कुंडी, ताला आदि को स्पर्श न करें ।*


*🚩 ग्रहण काल में भोजन बनाना, साफ-सफाई आदि घरेलू काम, पढ़ाई-लिखाई, कम्प्यूटर वर्क, नौकरी या बिजनेस आदि से संबंधित कोई भी काम नहीं करने चाहिए क्योंकि इस समय काम करने से शारीरिक और बौद्धिक क्षमता क्षीण होती है ।*


*🚩 ग्रहणकाल में घर से बाहर निकलना, यात्रा करना, चन्द्र अथवा सूर्य के दर्शन करना निषिद्ध है ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान पानी पीना, भोजन करना, लघुशंका अथवा शौच जाना, सोना या स्नान करना, वज्रासन में बैठना भी निषिद्ध है । ग्रहणकाल से 4 घंटे पूर्व इस प्रकार अन्न-पान करें कि ग्रहण के दौरान शौचादि के लिए जाना न पड़े ।*


*🚩 ग्रहण के दौरान सेल्युलर फोन (मोबाइल) से निकले रेडिएशन्स से शिशु में स्थायी विकृति या मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है अत: इस समय मातायें फोन से दूर रहें ।*


*🚩 सूर्यग्रहण में 4 प्रहर (12 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है । जो गर्भवती माताएँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (4 से 4.30 घंटे) पहले तक खा-पी लें तो चल सकता है ।*


*🚩 गर्भवती ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला व चोटी में कुश धारण कर लें ।*


*🚩ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर पेट पर गोलाई से लेप करें । देशी गाय का गोबर उपलब्ध न हो तो गेरु मिट्टी अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें, इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है ।*


*🚩 कश्यप ऋषि कहते हैं – चन्द्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण का ज्ञान होने पर गर्भिणी को गर्भवेश्म अर्थात घर के भीतरी भाग (अंत: पुर) में जाकर शान्ति होम आदि कार्यों में लगकर चन्द्र तथा सूर्य की ग्रह द्वारा मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ।*


*🚩 गर्भिणी सम्पूर्ण ग्रहण काल में कमरे में बैठकर यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ भगवन्नाम जप रूपी यज्ञ करें । ॐ कार का दीर्घ उच्चारण करें । अगर लम्बे समय तक नहीं बैठ पाये तो लेटकर भी जप कर सकती है । जप करते समय गंगाजल पास में रखें । ग्रहण पूर्ण होने पर माला को गंगाजल से पवित्र करे व स्वयं वस्त्रों सहित सिर से स्नान कर लें ।*


*🔺 Follow on*


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

मिडिया की बातो पर भरोसा करते है तो सावधान ! न्यू यॉर्क टाइम्स ने गलत खबर की मांगी माफी.....

27 October 2023

http://azaadbharat.org



🚩टीआरपी की जद्दोजहतों के बीच खबरें शायद बिल्कुल गुम सी हो गई हैं। तड़कते भड़कते ग्राफ़िक्स को लेकर बनाया गया प्रोमो, एंकर-एंकराओं के बदलते हाव भाव, और उन सबके बीच ख़बरों के एक राई जितने छोटे हिस्से को आज के ज़माने में कुछ तथाकथित पढ़े लिखे न्यूज़ चैनल “खबर” कहते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया सामने आया है आज…


🚩हुजूर आते आते बहुत देर कर दी… तवायफ फिल्म का यह गाना ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ पर सही बैठ रहा है। पहले पूरी दुनिया में सैकड़ों लोगों की मौत की झूठी खबर फैलाई, अब कई दिनों के बाद ‘पत्रकारिता के आदर्श’ बाँच एक संपादकीय नोट जारी कर दिया।


🚩‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने सोमवार (23 अक्टूबर,2023) को एक नोट प्रकाशित कर ये स्वीकार किया है कि गाजा के अस्पताल पर हुए हमले पर उनकी शुरुआती कवरेज हमास के दावों पर अधिक केंद्रित थी। उन्होंने माना (हालाँकि शब्द चयन ऐसा है, जिससे लग रहा कि आधे-अधूरे मन से माना) कि इसका कवरेज पत्रकारीय मानकों पर खरा होना चाहिए था।


🚩गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के दौरान 17 अक्टूबर 2023 को 


🚩गाजा के अस्पताल पर रॉकेट से हमला हुआ था। इसमें 500 लोगों के मारे गए थे । इसको लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने बार-बार छापा था कि अस्पताल में हुआ विस्फोट इजरायली हवाई हमले की वजह से हुआ। 


🚩अब न्यूयॉर्क टाइम्स ने माफी मांगी की की गलती से झूठी खबर छप गई थी।


🚩पूरी दुनिया में आम लोगों के साथ प्रसिद्ध हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों का भी भरोसा मीडिया से उठ रहा है, जिस तरह से मीडिया टीआरपी और पैसे की अंधी दौड़ में झूठी, मनगढ़ंत खबरें दिखा रही है इससे जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है ।


🚩इस तरह की रिपोर्ट तब प्रकाशित की जा रही थी, जब इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) बार-बार सबूतों सहित कहती रही कि ये हमला फिलिस्तीन के इस्लामी आतंकियों के इजरायल की तरफ फेंके गए रॉकेट के मिसफायर होने से हुआ।


🚩द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक हफ्ते तक 500 लोगों की मौत की फेक न्यूज फैला कर अब माना कि 17 अक्टूबर को प्रकाशित खबर में संपादकीय गड़बड़ी हुई थी। ऐसा शायद इसलिए करना पड़ा होगा न्यूयॉर्क टाइम्स को क्योंकि अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों ने कहा है कि सबूत बताते हैं कि रॉकेट फिलिस्तीनी लड़ाकू ठिकानों से आया था।


🚩न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि 17 अक्टूबर 2023 को हुए विस्फोट की उसकी शुरुआती कवरेज और उसके साथ हेडलाइन्स, न्यूज अलर्ट और सोशल पोस्ट हमास के दावों पर बहुत अधिक निर्भर थे। उन्होंने माना कि इस रिपोर्ट ने पाठकों को इस हमले की जानकारी को लेकर गलत धारणा दी।


🚩वेबसाइट के संपादकों ने माना कि संघर्ष के दौरान खबर की संवेदनशील प्रकृति और इसे मिले अहम प्रचार को देखते हुए टाइम्स संपादकों को शुरुआती न्यूज देने में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। इसके साथ ही इस बारे में अधिक सतर्क और साफ होना चाहिए था कि किस जानकारी को सत्यापित किया जा सकता है।


🚩आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान दिया है कि, ‘मीडिया के लोग धरती पर मानव जाति में सबसे बेईमान हैं ।’ 


🚩पूरी दुनिया में आम लोगों के साथ बड़ी-बड़ी प्रसिद्ध हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों का भी भरोसा मीडिया से उठ रहा है, जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया टीआरपी और पैसे की अंधी दौड़ में झूठी, मनगढ़ंत खबरें दिखा रही है इससे जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, October 25, 2023

इजरायल तो केवल झांकी मात्र है, पूरी दुनिया को बनाना चाहते है,इस्लामिक स्टेट .....

26 October 2023

http://azaadbharat.org



🚩इस्लामी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल में जो बर्बरता दिखाई है उससे पूरी दुनिया सन्न है। लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो से पता चलता है कि इजरायल केवल पहला निशाना है। हमास का प्लान पूरी दुनिया में ऐसी ही बर्बरता अंजाम देने की है। वह पूरी दुनिया पर अपना निजाम चाहता है।


🚩वायरल वीडियो हमास के कमांडर महमूद अल जहर का है। इसमें वह बता रहा है कि पूरी दुनिया पर राज उनका लक्ष्य है। कोई यहूदी, कोई ईसाई गद्दार नहीं बचेगा। यह वीडियो ‘मेमरी टीवी’ ने दिसंबर 2022 में प्रकाशित किया था। ताजा हमलों के बाद यह इंटरनेट पर फिर से वायरल हो रहा है।


🚩78 साल का महमूद अल जहर (Hamas Commander Mahmoud Al Zahar) 2004 से हमास का सरगना है। वह इस आतंकी संगठन का संस्थापक सदस्य भी है। 2006 में वह फिलिस्तीन की सरकार में विदेश मंत्री भी बना था।


🚩करीब एक मिनट के वायरल वीडियो में महमूद कह रहा है, “इजरायल केवल पहला लक्ष्य है। पूरी पृथ्वी का 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र एक ऐसे निजाम के अधीन आएगा जहाँ कोई अन्याय नहीं होगा। कोई उत्पीड़न नहीं होगा। वे जुल्म और अपराध नहीं होंगे जो सभी अरब देश, लेबनान, सीरिया और फिलिस्तीन के लोग झेल रहे हैं।”

https://twitter.com/AmyMek/status/1711988348544491909?t=EWtlYY0ukuUgDupvXIHreA&s=19


🚩यह बयान बताता है कि हमास का मिशन वह नहीं है जो लिबरल-सेकुलर बुद्धिजीवी बताते हैं। उसका मिशन अन्य इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों की तरह ही पूरी दुनिया में इस्लामी निजाम कायम करना है। इजरायल में महिलाओं के साथ रेप, उनकी शवों के नग्न परेड, बच्चों के सिर काटने से लेकर लोगों को जिंदा जलाने तक की घटनाओं को अंजाम देकर भी उसने यही साबित किया है।


🚩खुद महमूद अल जहर भी इजरायल के भीतर बच्चों की हत्या की बात पहले कर चुका है। उसने 2009 में इजरायल पर फिलिस्तीनी बच्चों की हत्या का आरोप लगते हुए कहा था कि इससे अब इजरायल में बच्चों की हत्याएँ जायज हो गई हैं।


🚩आपको बता दे की इस्लामिक जिहादी बर्बरता के कुछ साल पहले के आंकड़े हैं, वो न सिर्फ हैरान करने वाले हैं, बल्कि काफी भयावह भी हैं। इस्लामिक जिहादी बर्बरता का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है कि 2017 में दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवादियों ने 84 हजार से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, हजारों अव्यवस्क लड़कियों की इज्जत लूटी हैं, हजारों अव्यस्क लड़कियों को सेक्स स्लेव यानी गुलाम बना कर रखा, कोई एक नहीं बल्कि 66 देशों में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिंसा की खतरनाक साजिश रची है और हिंसा को साजिशपूर्ण ढंग से अंजाम देने का कार्य भी किया है ।


🚩इस्लामिक जिहादी बर्बरता के यह आकंडे और यह निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इस्टीट्यूट फॉर ग्लोबर चेज’ ने दिए हैं । ये आंकडे कोई हवा-हवाई नहीं हैं. बल्कि ये आकंडे चाकचौबंद हैं, यह निष्कर्ष भी चाकचौबंद हैं ।


🚩इस्लामिक बर्बरता के आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, दुनिया को चिंता में डाल दिया है, दुनिया को फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं, अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नकाफी साबित हुए हैं, बेअसर साबित हुए हैं । इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े घृणा और हिंसा का दायरा दिनों-दिन बढ़ता ही चला जा रहा है, सिर्फ बर्बर सामाजिक व्यवस्था वाले देशों की ही बात नहीं है बल्कि सभ्यताशील और विकसित सामाजिक व्यवस्था वाले देशों में भी इस्लामिक घृणा और इस्लामिक हिंसा ने अपने पैर पसारे हैं ।


🚩अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस्लामिक बर्बरता के इन घृणित आंकडों से भी दुनिया कोई सबक लेगी और इस्लामिक बर्बरता के खिलाफ कोई चाकचौबंद अभियान चलेगा ?


🚩इन आंकड़ों में बताया गया है कि 121 देशों में इस्लामिक आतंकवादी सक्रिय हैं जहां पर उनका नेटवर्क गंभीर रूप से सक्रिय हैं और इस नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां भी समाप्त करने में विफल रही हैं । सर्वाधिक खतरा उन देशों से पर बढ़ा है जहां पर इस्लामिक राज नहीं है पर इस्लामिक राज के लिए किसी न किसी प्रकार का मजहबी हिंसक अभियान जारी है, इस्लामिक आतंकवादी सरेआम कहते हैं कि दुनिया को कुरान का शासन मानना ही होगा अन्यथा हिंसा का शिकार होना होगा, हम तलवार के बल पर पूरी दुनिया में कुरान का शासन लागू करेंगे।


🚩दुनिया में एक मात्र आईएस ही खूंखार, हिंसक या फिर मानवता को शर्मसार करने वाला आतंकवादी संगठन नहीं है, बल्कि दुनिया में दो सौ से अधिक मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं जो सीधे तौर पर इस्लाम की मान्यताओं को लेकर जेहादी हैं । सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर दुनिया में हजारों और लाखों मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं ।


🚩स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी कम खतरनाक नहीं होता है । स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन बड़े आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करता है, आतंकवादी मानसिकताओं का प्रचार-प्रसार करता है, आतंकवाद का बीजारोपण करता है। बड़े आतंकवादी संगठन पर कार्यवाही तो आसान होता है पर स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर कार्यवाही बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनकी पहचान अति गोपनीय होती है और मुस्लिम समुदाय ऐसे संगठनों की पहचान जाहिर करना इस्लाम विरोधी मान लेते हैं।


🚩ये सारे आंकड़े इस बात का साफ़ संकेत हैं कि आपको आतंक को धर्म से नहीं जोड़ना है तो मत जोड़िए, लेकिन इस्लामिक जिहाद के नाम पर हो रही बर्बरता, नरसंहार के खिलाफ दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना ही होगा अन्यथा, आगे की स्थिति काफी भयावह होने वाली है ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, October 24, 2023

जय श्री राम का नारा भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में लगाया जाएगा ❓

25 October 2023

http://azaadbharat.org


🚩भारत में और वह भी उत्तर प्रदेश में जहाँ पर एक योगी मुख्यमंत्री का शासन है, क्या वहाँ पर भी यह हो सकता है कि जय श्रीराम के नारे लगाने पर बच्चों के विरुद्ध कार्यवाही हो जाए ? क्या जय श्री राम का नारा लगाने पर बच्चों को कॉलेज के किसी प्रोग्राम में स्टेज से उतारा जा सकता है ? क्या जय श्रीराम का नारा लगाने को लेकर कॉलेज के प्रोफेसर द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी भी की जा सकती है ? और क्या अगर ऐसा कहीं हुआ भी है, तो फिर उसे ठीक भी ठहराया जा सकता है❓


🚩यदि यह कहा जाए कि यह सब हुआ और उत्तर प्रदेश में हुआ, तो सहज में विश्वास नहीं होगा क्योंकि यह हमारी अपेक्षा से परे है। लेकिन सच्चाई यही है कि यह हुआ है गाज़ियाबाद के एबीईएस कॉलेज में। यहाँ पर एक बच्चे ने मंच पर चढ़कर साथियों का अभिवादन करते हुए जय श्रीराम कह दिया और उसके ऐसा करते ही उसे एक शिक्षिका द्वारा मंच से नीचे उतार दिया गया।


🚩जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर शोर मचा, वैसे ही लोगों ने विरोध करना आरम्भ कर दिया। प्रश्न जायज भी है कि आखिर क्यों प्रभु श्रीराम का नारा लगाने पर विरोध हो ? और ऐसा क्या गलत कह या कर दिया था उस बच्चे ने ?


🚩लोगों ने शोर मचाया और उसके बदले में आरोपी शिक्षिका ममता गौतम ने वीडियो जारी करके अपनी सफाई दी। यह सफाई कम और उस विद्यार्थी पर आक्षेप अधिक थी। इसमें उन्होंने कहा कि चूँकि वह सनातनी परम्परा को मानने वाली हैं और शारदीय नवरात्रि में वह विधि - विधान से पूजा करती हैं, अत: प्रभु श्रीराम को लेकर न ही उन्हें कोई समस्या है और न ही होगी। ये तो उन्होंने कह दिया पर वास्तव में उन्हें कोई समस्या नही थी तो बच्चे के साथ ऐसा दुर्व्यवहार उन्होंने क्यों किया और तत्काल उसे मंच से उतारा क्यों ? ये ध्यान देने वाली बात है।


🚩परन्तु यह सफाई क्या उस पीड़ा को कम कर सकती है, जो लाखों हिन्दू लोगों को हुई कि लड़के को जय श्रीराम बोलने को लेकर मंच से नीचे उतार दिया गया ? हालाँकि जब मामला बढ़ा तो कॉलेज की ओर से जाँच की गई और जाँच के बाद 2 शिक्षिकाओं को निलंबित कर दिया गया।


🚩बात सिर्फ एबीईएस कॉलेज तक सीमित नहीं है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने तो यहाँ तक कह दिया कि वो भगवान राम और भगवान कृष्ण यदि अभी होते तो दोनों को जेल भेज देते। अब ऐसे में प्रश्न कई उठते हैं। सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कुछ प्रश्न हैं:


🚩क्या कथित पढ़ाई का झंडा उठाने वाले लोग हिन्दू जड़ों से कटे हुए लोग होते हैं ?


🚩क्या जैसे-जैसे इंसान किताबें पढ़ता जाता है, वह अपनी हिन्दू पहचान से विमुख होता जाता है ?


🚩क्या आज की शिक्षा व्यवस्था में ही दोष है, जो धर्म से विमुख कर रहा है जिसे अब बदलना अनिवार्य हो गया है ?


🚩यदि ऐसा नहीं है तो क्या कारण है कि स्कूल और कॉलेज जैसे शिक्षा के संस्थानों में बहुसंख्यक हिन्दू धर्म को निरंतर अपमानित किया जाता है ?


🚩आखिर क्यों ऐसी घटनाएँ होती हैं, जिनके चलते हिंदुस्तान में हिन्दू समाज को न्याय के लिए शोर मचाना पड़ता है ?


🚩एक और प्रश्न: जय श्रीराम का नारा भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में लगाया जाएगा ❓


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, October 23, 2023

इजराइल पर हमास के ये हमले आतंकवाद हैं या युद्ध ?

24 October 2023

http://azaadbharat.org


🚩(इजराइल में हुए हमास के हमले की पीछे की मानसिकता को समझने के लिए यह डॉ शंकर शरण जी का पूर्व लिखित लेख अत्यंत लाभदायक है)


🚩एक बार प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी ने पूछा था, ''जिस मजहबी विश्वास में मुसलमानों की इतनी श्रद्धा है, उसमें ऐसा क्या है जो सब जगह इतनी बड़ी संख्या में हिंसक प्रवृत्तियों को पैदा कर रही है?'' दुर्भाग्य से अभी तक इस पर विचार नहीं हुआ। जबकि पिछले दशकों में अल्जीरिया से लेकर अफगानिस्तान और लंदन से लेकर श्रीनगर, बाली, गोधरा, ढाका तक जितने आतंकी कारनामे हुए, उनको अंजाम देने वाले इस्लामी विश्वास से ही चालित रहे हैं। अधिकांश ने कुरान और शरीयत का नाम ले-लेकर अपनी करनी को फख्र से दुहराया है। इस पर ध्यान न देना राजनीतिक-बौद्धिक भगोड़ापन ही है।


🚩कानून और न्याय-दर्शन की दृष्टि से भी यह अनुचित है। सभ्य दुनिया की न्याय-प्रणाली किसी अपराधी, हत्यारे के अपने बयान को महत्व देती है। उसकी जांच भी होती है। मगर उसे उपेक्षित कभी नहीं किया जाता, क्योंकि उससे हत्या की प्रेरणा (मोटिव) का पता चलता है। अत: जब अनगिनत जिहादी, बार-बार अपने कारनामों का कारण कुरान का आदेश बता रहे हों, तब इससे नजर चुराना आतंकवाद को प्रकारान्तर से बढ़ावा देना ही हुआ। इससे नए-नए जिहादी बनने कैसे रुकेंगे? आखिर, दुनियाभर में मुसलमान अपने को आत्मघाती मानव-बम में कैसे बदलते रहते हैं, किस प्रेरणा से?

विचित्र बात है कि जिहादियों द्वारा हमले की घटनाओं को “आतंकवाद” कहा जाता रहा है, जबकि खुद हमला करने वाले अपने काम को युद्ध, 'होली वार' कहते रहे हैं। लेकिन इसे नजरअंदाज कर, उनसे पीडि़त लोग उसे “आतंक” कहते हैं! यह तो निमोनिया को मौसमी बुखार कहने जैसी बुनियादी भूल है। रोग की पहचान में ही गलती, बल्कि जानबूझकर की गई गलती। तब इलाज हो... तो कैसे?


🚩एक गलती दूसरी गलती की ओर ले गई। हमला करने वाले सामान्य लोग हैं, मानवीय रूप से उनमें कोई विशेषता या गड़बड़ी नहीं पाई गई है। मारे गए जिहादी हों या पकड़े गए या अपने सुरक्षित अड्डों से बयान जारी करने वाले, पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करने वाले, मदरसे चलाने वाले, जिहादी प्रशिक्षण देने वाले, साथ ही मौका मिलने पर आई.एस.आई. और सी.आई.ए. से संवाद और समझौते करने वाले... ये सभी मुसलमान बिल्कुल सामान्य तरीके से सोचने-समझने, लिखने-बोलने वाले पाए गए हैं। लेकिन जब देखो, उन्हें 'पागल', 'सिरफिरा' कहा जाता है, जबकि अपनी ओर से वे अपने को सैनिक, 'कमांडर', 'चीफ', 'शेख', 'खलीफा' आदि कहते, कहलाते हैं।


🚩ध्यान दें, उनके समर्थक भी दुनियाभर के लाखों, करोड़ों सामान्य मुसलमान ही हैं। ओसामा बिन लादेन, जवाहिरी, मुल्ला उमर या उमर अल शाशनी के प्रशंसक भी वैसे ही आम मुसलमान रहे हैं। बिन लादेन की फोटो वाले खिलौने, पोस्टर, टीशर्ट आदि पाकिस्तान में बरसों लोकप्रिय रहे। उसे सामान्य मुसलमान बनाते, बेचते और खरीदते थे। याद रहे, पाकिस्तान सरकार और सामान्य स्थानीय अधिकारियों को भी उसमें कुछ गलत नहीं दिखता था। (अभी अगर खलीफा बगदादी की फोटो वाले खिलौने, टीशर्ट आदि पाकिस्तान या अरब के बाजारों में नहीं हैं, तो कारण मात्र यह है कि बगदादी ने सारे मुस्लिम शासकों को भी “काफिर” करार देकर उन्हें भी हटाने, मारने का नारा दे रखा है। इसलिए मुस्लिम सत्ताधारी बगदादी के प्रति उत्साही नहीं, और उसके प्रति वही उदारता नहीं है जो बिन लादेन के लिए थी।)


🚩वही स्थिति कश्मीर में हुर्रियत, लश्कर, हिज्बुल आदि गुटों के नेताओं, समर्थकों, कार्यकर्ताओं की है। जब भी, जो भी इनसे मिला, सबने पाया है कि वे बड़े सलीकेदार, सामान्य लोग हैं। वैसे ही व्यवहार करते हैं जैसे कोई और। सिमी, इंडियन मुजाहिदीन के लोग और समर्थक भी इसी तरह सामान्य लोग रहे हैं। अभी जाकिर नाइक को लेकर कुछ बावेला हो रहा है, मगर केवल इसलिए क्योंकि बंगलादेश के जिहादी उसके प्रशंसक थे। लेकिन बरसों से जाकिर के लाखों मुसलमान प्रशंसक रहे हैं। जबकि 2006 में मुंबई में ही सीरियल आतंकी हमलों में जाकिर का नाम प्रमुखता से आ चुका था। उसकी संस्था आई.आर.एफ. में ही बैठकर आतंकियों ने योजनाएं बनाईं और अंजाम दिया। वैसे भी जाकिर बिन लादेन का खुला समर्थक है और सारे मुसलमानों को आतंकी बनने की जरूरत बता चुका है। यानी, जाकिर भी सामान्य व्यक्ति है, बल्कि इस्लाम का जाना-माना विद्वान है। अभी उसके समर्थन में कितने ही भारतीय मुस्लिम नेता, संगठन और आलिम सामने आ चुके हैं।


🚩यानी, इनमें कोई भी पागल या सिरफिरा नहीं है। फिर भी, हर आतंकी घटना के बाद हमलावरों, उनके प्रशिक्षकों, सरपरस्तों आदि को थोक भाव में ‘पागल’ या 'भटके हुए' आदि कहा जाता है। मजा यह कि ओसामा या उमर का बचाव करने वाले भी आतंकी हमलों के बाद हमलावरों को 'सिरफिरे' कह देते हैं। यानी, जिहादियों को सिरफिरे कहना केवल कूटनीति है - दोतरफा कूट। जिहाद का निशाना बनने वाले और जिहादियों के समर्थक, दोनों समय-समय पर उन्हें ‘सिरफिरे’ कहते हैं, ताकि असली बात का बचाव हो। असली बात इतनी सीधी है कि उसे न पहचानना और तदनुरूप उपाय न करना एक अर्थ में आश्चर्यजनक है। जिहादियों की अपनी घोषणाओं, नारों, दस्तावेजों में, उन्हें प्रेरित करने वाली किताबों में, हर जगह मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है कि उनका उद्देश्य ‘काफिरों’ के विरुद्ध मजहबी युद्ध चलाना है - तब तक 'जब तक की सारी धरती अल्लाह की न हो जाए।' जब तक 'निजामे-मुस्तफा’ पूरी दुनिया में कायम न हो जाए। इसकी प्रेरणा, बल्कि आदेश उन्हें खुद 'प्रोफेट मुहम्मद ने स्थायी रूप से दे रखा है कि 'जो मुसलमान इसे भूल गए हैं, वे खुद काफिर और मौत के भागी हैं।' इसीलिए, पाकिस्तानी तालिबान से लेकर इस्लामी स्टेट तक, कई जिहादी संगठनों ने मुस्लिम शासकों को भी निशाना बनाया।

जिहाद राजनीतिक युद्ध है, इसकी पुष्टि बड़ी सरलता से संपूर्ण इस्लामी इतिहास और मूल किताबों से होती है। इस में समझने के लिए ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए विशेष संस्थान या शिक्षक के पास जाना पड़े। कम से कम बुनियादी बातों पर कहीं, कोई असहमति नहीं। जैसे, 'इस्लाम ही एक मात्र सत्य है’, ‘प्रोफेट मुहम्मद सब से मुकम्मिल प्रोफेट थे और उनकी अवज्ञा या अपमान का दंड मौत है’, ‘मुहम्मद द्वारा किया गया व्यवहार हर मुसलमान के लिए अनुकरणीय और कानून है’, ‘कुरान अल्लाह के शब्द हैं; जो इस पर संदेह करे उसे मौत के घाट उतारो’, ‘मूर्तिपूजक और देवी-देवताओं को मानने वाले लोग सब से गंदे, घृणित होते हैं’, ‘सारी दुनिया को इस्लाम के झण्डे तले लाना है, मगर किसी के द्वारा इस्लाम छोड़ने की सजा मौत है’, ‘जिहाद लड़ना मुसलमानों का सबसे पवित्र कर्तव्य है’, ‘जिहाद की राह में मरने वाला उसी क्षण जन्नत पहुंचता है, जहां सारी नियामतें उस की खातिर में तैयार रहती हैं।’ इन बुनियादी बातों पर मुस्लिम आलिमों में कभी कहीं कोई मतभेद नहीं रहा। जो व्याख्यात्मक मतभेद हैं, वे इसके बाद। इन इस्लामी आदेशों, उदाहरणों को कैसे, कहां, कितना, लागू करें आदि।


🚩सौभाग्य की बात है कि उपर्युक्त बातों को सिद्धांतत: मानते हुए भी अधिकांश मुसलमान व्यवहार में उसे अक्षरश: लागू करने की चाह नहीं रखते। रोजी-रोटी, बाल-बच्चे, हंसी-खुशी, मेहनत-मशक्कत आदि ही उनका पूरा ध्यान या समय खा जाती हैं, लेकिन जो भी मुसलमान उन बातों को दिल से लगा ले, उसके लिए अल कायदा या इस्लामी स्टेट बिल्कुल सही और जरूरी लगने लगते हैं। किशोर और युवा सहज आदर्शवादी होते हैं, इसलिए जिसे वे बातें छू जाएं वह इस्लामी स्टेट का रास्ता पकड़ता है या उसकी मदद करने लगता है।


🚩इस स्पष्ट स्थिति को जान-बूझकर न पहचानना ही पिछले तीन दशकों से हाल बिगड़ते जाने की वजह रही है। कुछ मुसलमानों ने गैर-मुसलमानों के खिलाफ और कुरान का शासन सारी दुनिया पर लागू करने के लिए युद्ध छेड़ा हुआ है। इसे लड़ने वाले संगठन, कमांडर, कार्यकर्ता बदलते रहते हैं। मगर युद्ध की घोषणा, उसका लक्ष्य, तरीके आदि नहीं बदलते। यदि पूरे घटनाक्रम को या बीमारी को इसी स्पष्टता से पहचान कर उपाय सोचा जाता तो उत्तर, इलाज बिल्कुल आसान था।


🚩किसी ने युद्ध छेड़ा है तो उससे लड़िए।

आक्रमणकारी और उसके बाहरी-भीतरी समर्थकों को शत्रु मानकर उपाय कीजिए। उसके द्वारा किए जा रहे बहाने, ध्यान भटकाने, संधि या विराम के नाटक, शर्तबंदी, आदि-आदि की सही पहचान कीजिए कि उसमें असली-नकली क्या है और जीतने का उपाय कीजिए। याद रहे, युद्ध में जीतने के सिवा कोई लक्ष्य नहीं होता। इसके सिवा कोई और लक्ष्य रखना अपने को नष्ट करने की तैयारी है।


इस युद्ध का चरित्र मुख्यत: मानसिक है। सारे जिहादी नेताओं ने वैचारिक जमीन पर अपने कार्यकर्ता एकत्र किए हैं। सब की किताब एक है; दूसरे कारण गौण हैं। अत: उस जमीन को खिसकाए बिना उन्हें कमजोर नहीं किया जा सकता। इसीलिए बड़े-बड़े जिहादी संगठनों, सरदारों के खत्म होने के बाद दूसरे उभरते रहे हैं। बम, बंदूक, जहाज, विस्फोटक भरी गाडि़यां आदि उनके साधन हैं। ये सब अपने आप में समस्या नहीं हैं। आतंकवाद मूल समस्या नहीं है। आतंक एक साधन मात्र है इस्लाम का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए। यानी, आतंकवाद एक रणनीतिक, कार्यनीति मात्र है, मूल शत्रु नहीं। जैसे दो देशों के बीच युद्ध में मिसाइलें, बमवर्षक जहाज या पनडुब्बी किसी के साधन होते हैं, उसी तरह आतंक भी इस्लामवाद नामक पक्ष की ओर से एक साधन मात्र है। यह गैर-मुस्लिम विश्व और मुसलमानों में भी तटस्थ को अपनी इच्छा के प्रति झुकाने का एक हथियार है। उसके दूसरे हथियार भी हैं जो उसी उद्देश्य से प्रयोग होते रहे हैं। तरह-तरह के फतवे, खुमैनी और तालिबान जैसे राज्य, हर कहीं शरीयत कानून की जिद, मदरसों के पाठ्यक्रम और उनमें सचेत बदलाव, तसलीमा विरोध, यहूदी विरोध, जनसांख्यिकी दबाव, 'इस्लामोफोबिया' पर प्रस्ताव, इस्लामिक बैंकिंग, अप्रवासन नीति आदि भी उसी उद्देश्य के अन्य हथियार हैं। बड़ी सरलता से दिखता है कि यह सब करने, मांगने वाले जिहादियों के प्रति भी सद्भाव रखते हैं या कभी बिना किन्तु-परंतु उनकी भर्त्सना नहीं करते।


🚩अत: मूलत: सारी लड़ाई इस्लामी विश्वासों की है। लड़ना उसी से होगा। कि कुरान की बातें, प्रोफेट के वे काम, उनके आदेश, उदाहरण, कानून और जन्नत आदि सब मानवीय कल्पनाएं हैं। यह बात और बहस बार-बार उठती रही है। कुरान की बातों की हैसियत तब भी यही थी जब वह पहली बार बताई गई थीं। उसे अरबों ने भी, एक भी जगह, स्वेच्छा से नहीं माना था। मुहम्मद के प्रोफेट होने पर संदेह, उनकी बातों को ‘पागल’ या ‘कवि’ की कल्पना, यह खुद मुहम्मद के समकालीनों ने कहा था। कुरान में ही इसके अनेक उल्लेख हैं, पर किसी को विचारों, तथ्यों से कायल करने की बजाए, तलवार से सबका काम तमाम कर ही प्रोफेट की जीत हुई थी।



🚩इस प्रकार, सातवीं सदी में भी इस्लामी सिद्धांतों को किसी ने सही मानकर स्वीकार नहीं किया था, यह प्रोफेट की सारी आधिकारिक जीवनी और पूरा इतिहास खुद बताता है।

तब ऐसी विचारधारा, मतवाद और उद्देश्य को आज गलत कहने में क्या गलत है? कुछ भी नहीं।

'भावनाओं' के नाम पर चुप्पी भी निरी मूर्खता रही है। यह तो युद्ध छेड़ने वाले की चाल में फंसना हुआ! वैसे भी, जो दूसरे मत-पंथों, विश्वासों, देवी-देवताओं को झूठा कहता है, उसके मजहब को झूठा कहने में अनुचित क्या है? वह भी तब जब कि इस्लाम की किसी भी बात के लिए कोई प्रमाण न सातवीं सदी में था, न आज है। तब भी तलवार, छल, दमन और युद्ध से काम निकाला गया था, आज भी तलवार और धमकी ही हर बात का उत्तर होती है। गैर-मुस्लिम ही नहीं, मुसलमानों को भी उनके हरेक प्रश्न का उत्तर केवल मारने की कोशिश या धमकी से दिया जाता है। रुशदी से लेकर वफा, अय्यान, तारिक, तसलीमा आदि सब के संदेह का एक ही उत्तर है: “मार डालो!”


🚩इस विचारधारा की सनक खत्म करना, या कम करना, सब से जरूरी और सब से आसान उपाय भी है। बात का जवाब बात से दो, मौत की धमकी से नहीं। अपनी 'भावना' की बात करने से पहले मूल इस्लामी किताबों में यहूदियों, ईसाइयों, हिन्दुओं, बौद्धों की भावनाओं को रौंदने वाली सारी बातों को खुल कर, इश्तहार देकर खारिज करो। विभिन्न मतों का सह-अस्तित्व लाचारी में नहीं, सिद्धांत रूप में घोषित करो। इस बात की खुली मांग, प्रचार, तथा इस्लामी मान्यताओं को कल्पनाएं बताना जरूरी है। 


🚩वस्तुत: ऐसा मानने वाले मुसलमान भी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन उन्हें सामने आने की छूट नहीं है। उन्हें इस्लाम से बाहर आने की खुली छूट घोषित करवाना भी जरूरी है। इस तानाशाही को दो-टूक ठुकराना होगा कि कोई इस्लाम में आ तो सकता है, इस से बाहर नहीं जा सकता। सातवीं सदी की जिद इक्कीसवीं सदी में चलते देना, वह भी हिंसा के बल पर, सब से बड़ी भूल रही है।


🚩अत: इस पूरे वैचारिक-मजहबी ताने-बाने को खुली चुनौती देना, इसे गलत बताना, इस युद्ध को जीतने का पहला हथियार है। इस से संकोच करने से ही नए-नए मामले जिहाद के सामने आ जाते हैं। इसे उनकी अपनी गवाहियां शीशे की तरह साफ-साफ दिखाती रही हैं। इस्लामी विचारधारा बड़ी कमजोर है और आसानी से टूट सकती है, इसका रहस्य बात-बात में आने वाली धमकियों में है। किसी सत्य के टूटने का भय, इसलिए हिंसा की जरूरत भी नहीं होती। यह युद्ध के दोनों पक्षों को समझने की जरूरत है।


       - लेखक : डॉ० शंकर शरण


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, October 22, 2023

क्या करने से विघ्न चले जाएंगे

 दशहरे का इतिहास क्या हैं ?जानिए......

23 October 2023

http://azaadbharat.org

🚩सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है, किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है। दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आएगा, लेकिन सर्वांगीण विकास का श्रीगणेश कराता है दशहरा। इस साल दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।


🚩दशहरा दस पापों को हरनेवाला, दस शक्तियों को विकसित करनेवाला, दसों दिशाओं में मंगल करनेवाला और दस प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ भी कहते हैं।


🚩यह अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है।


🚩दशहरे का इतिहास!!


🚩1. भगवान श्री राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया। सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे। वहां कौत्स नामक एक ब्राह्मण पुत्र आया। उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है तब राजा रघु स्वर्ण मुद्राएं लेने के लिए कुबेर पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए। डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की। उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली। जो स्वर्णमुद्राएं कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक/शमी के पत्ते देते हैं।


🚩2. त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था। श्री रामचंद्र ने रावण पर विजयप्राप्ति की, रावण का वध किया। इसलिए इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ। तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा।


 🚩3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी विजयादशमी का दिन था।


🚩4. दशहरे के दिन इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है।


🚩इस प्रथा का भी ऐतिहासिक महत्त्व है। मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे। जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती फिर परदेश से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे। घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर उनका आशीर्वाद लेते थे। वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है।


🚩5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है। आरंभ में यह एक कृषि संबंधी लोकोत्सव था, वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे।


🚩नवरात्रि में घटस्थापना के दिन कलश के स्थंडिल (वेदी) पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढ़ाते हैं। अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उन्हें बंदनवार के समान बांधते हैं। यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है। आगे इसी त्यौहार को धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ।


🚩इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीनकाल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।


🚩दशहरा अर्थात विजयादशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए। अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टेे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था। दशहरे के दिन कोई भी वीरतापूर्ण काम करनेवाला सफल होता है।


🚩दशहरा हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है।


🚩दशहरे का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।


🚩देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता है।


🚩दशहरे की शाम को क्या करें ? जानिए:-


🚩दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है।


🚩उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ। इस विजयकाल में थोड़ी देर “राम रामाय नम:” मंत्र के नाम का जप करें।


🚩फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान! सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए “ॐ अपराजितायै नमः” मंत्र का जप कर रहे हैं। इस मंत्र की एक- दो माला जप करें।


🚩अब श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें- “पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।”


🚩दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।


🚩दशहरा पर्व व्यक्ति में क्षात्रभाव का संवर्धन करता है। शस्त्रों का पूजन क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है। इस दिन शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है।


🚩इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है। किसान एवं कारीगर अपने उपकरणोें एवं शस्त्रों की पूजा करते हैं। लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं। इस पूजन का उद्देश्य यही है- उन विषय-वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाने अर्थात ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ