Saturday, November 11, 2023

दिपावली विशेष : सत्य सनातन धर्म जैसा आज कोई भी धर्म नहीं है, जिसमें इतने सारे उत्सव वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ हों.

12 November 2023

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🚩हमारी सनातन संस्कृति में व्रत, त्यौहार और उत्सव का अपना विशेष महत्व है। सनातन धर्म में पर्व और त्यौहारों का इतना बाहुल्य है कि यहाँ के लोगों में ‘सात वार नौ त्यौहार’ की कहावत प्रचलित हो गयी। इन पर्वों तथा त्यौहारों के रूप में हमारे ऋषियों ने जीवन को स्वस्थ, सुंदर, सरस और उल्लासपूर्ण बनाने की सुन्दर व्यवस्था की है। प्रत्येक पर्व और त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व है, जो विशेष विचार तथा उद्देश्य को सामने रखकर निश्चित किया गया है।

ये पर्व और त्यौहार चाहे किसी भी श्रेणी के हों तथा उनका बाह्य रूप भले भिन्न-भिन्न हो, परन्तु उन्हें स्थापित करने के पीछे हमारे ऋषियों का उद्देश्य था – समाज को स्वस्थ, सम्मानीय जीवन जीते हुए भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर ले जाना।


🚩उत्तरायण, शिवरात्रि, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्रि, दशहरा आदि त्यौहारों को मनाते - मनाते आ जाती है, पर्वों की पुंज दीपावली। पर्वों के इस पुंज में 5 दिन मुख्य हैं- धनतेरस, काली चौदस, दीपावली, नूतन वर्ष और भाईदूज। धनतेरस से लेकर भाईदूज तक के ये 5 दिन आनंद उत्सव मनाने के दिन हैं।


🚩घर की साफ सफाई करना, शरीर को रगड़-रगड़ कर स्नान करना, नए वस्त्र पहनना, मिठाइयाँ खाना खिलाना, नूतन वर्षाभिनंदन का आदान प्रदान करना। भाईयों के लिए बहनों में प्रेम और बहनों के प्रति भाइयों द्वारा अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करना – ऐसे मनाए जाने वाले 5 दिनों के उत्सवों के नाम है ‘दीपावली पर्व' ।


🚩दीपों के त्यौहार दीपावली की रात्रि को भगवान गणपति, माता लक्ष्मी एवं माता सरस्वती का पूजन किया जाता है।


🚩जिसके जीवन में उत्सव नहीं है, उसके जीवन में विकास भी नहीं है। जिसके जीवन में उत्सव नहीं, उसके जीवन में नवीनता भी नहीं है और वह आत्मा के सानिध्य में भी नहीं है।


🚩भारतीय संस्कृति के निर्माता ऋषिजन कितनी दूरदृष्टिवाले रहे होंगे ! महीने में अथवा वर्ष में एक - दो दिन आदेश देकर कोई काम मनुष्य द्वारा करवाया जाये तो उससे मनुष्य का सम्पूर्ण विकास संभव नहीं है। परंतु मनुष्य यदा कदा अपना विवेक जगाकर उल्लास, आनंद, प्रसन्नता, स्वास्थ्य और स्नेह का सदगुण विकसित करे तो उसका जीवन विकसित हो सकता है।


🚩अभी कोई भी ऐसा धर्म नहीं है, जिसमें इतने सारे उत्सव हों, एक साथ इतने सारे लोग ध्यानमग्न हो जाते हों, भाव विभोर, समाधिस्थ हो जाते हों, कीर्तन में झूम उठते हों। जैसे स्तंभ के बगैर पंडाल नहीं टिक सकता वैसे ही उत्सव के बिना धर्म विकसित नहीं हो सकता। जिस धर्म में ज्ञान विज्ञानयुक्त अच्छे उत्सव हैं, वह धर्म है सनातन धर्म। सनातन धर्म के बालकों को अपनी सनातन वस्तु प्राप्त हो, उसके लिए उदार चरित्र बनाने का जो काम है वह पर्वों, उत्सवों और सत्संगों के आयोजन द्वारा हो रहा है।


🚩पाँच पर्वों के पुंज इस दीपावली महोत्सव को लौकिक रूप से मनाने के साथ साथ हम उसके अलौकिक आध्यात्मिक महत्त्व को भी समझें, यही लक्ष्य हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों का रहा है।

इस पर्वपुंज के निमित्त ही सही, अपने भगवान, ऋषि-मुनियों के, संतों के दिव्य ज्ञान के आलोक में हम अपना अज्ञानांधकार मिटाने के मार्ग पर शीघ्रता से अग्रसर हों – यही इस दीपमालाओं के पर्व दीपावली का संदेश है।


🚩( स्तोत्र : संत श्री आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य “पर्वो का पुंज दीपावली” से )


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Friday, November 10, 2023

आइए जानें दीपावली कब से शुरू हुई और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए करें ये उपाय....

11  November 2023

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🚩दीपावली हिन्दू समाज में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। दीपावली को मनाने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति के उस प्राचीन सत्य का आदर करना है, जिसकी महक से आज भी लाखों लोग अपने जीवन को सुवासित कर रहे हैं। दिवाली का उत्सव पर्वों का पुंज है। भारत में इस उत्सव को मनाने की परंपरा कब से चली, इस विषय में बहुत सारे अनुमान किये जाते हैं। 


🚩बताया जाता है कि भगवान श्रीराम इसी दिन 14 वर्षों के वनवास के बाद लौट कर अयोध्या जी वापस आए थे...तो अयोध्या वासियों ने उत्सव में दीप जलाये गये थे, घर-बाजार सजाये गये थे, गलियाँ साफ-सुथरी की गयी थीं, मिठाइयाँ बाँटी गयीं थीं, तबसे दिवाली मनायी जा रही है।


🚩यह भी बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण करके राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि माँग ली और विराट रूप लेकर तीनों लोक ले लिए तथा सुतल का राज्य बलि को प्रदान किया। सुतल का राज्य जब बलि को मिला और उत्सव हुआ, तबसे दिवाली चली आ रही है।


🚩कही ये भी बताया जाता है कि सागर मंथन के समय क्षीरसागर से महालक्ष्मी उत्पन्न हुईं तथा भगवान नारायण और लक्ष्मी जी का विवाह-प्रसंग था, तबसे यह दिवाली मनायी जा रही है।


🚩यह भी पुराणों में आता है कि श्रीकृष्ण ने नारक चदस के दिन आसुरी वृत्ति के नरकासुर का वध कर 16000 कन्याओं को उसकी कैद से छुड़ाया था और जनता को भोगवृत्ति, अनाचार एवं दुष्टप्रवृत्ति से मुक्त किया एवं दैवी विचार देकर सुखी किया तबसे ‘दीपावली’ मनाई जाती है।


🚩सिखों का कहना है कि गुरु गोविन्दसिंह इस दिन से विजययात्रा पर निकले थे। तबसे सिक्खों ने इस उत्सव को अपना मानकर प्रेम से मनाना शुरू किया।


🚩जैनी बताते है कि 'महावीर ने अंदर का अँधेरा मिटाकर उजाला किया था। उसकी स्मृति में दिवाली के दिन बाहर दीये जलाते हैं। महावीर ने अपने जीवन में तीर्थंकरत्व को पाया था, अतः उनके आत्म उजाले की स्मृति कराने वाला यह त्यौहार हमारे लिए विशेष आदरणीय है।


🚩इस प्रकार पौराणिक काल में जो भिन्न-भिन्न प्रथाएँ थीं, वे प्रथाएँ देवताओं के साथ जुड़ गयीं और दिवाली का उत्सव बन गया।


🚩यह उत्सव कब से मनाया जा रहा है, इसका कोई ठोस दावा नहीं कर सकता, लेकिन है यह रंग-बिरंगे उत्सवों का गुच्छा..... यह केवल सामाजिक, आर्थिक और नैतिक उत्सव ही नहीं वरन् आत्मप्रकाश की ओर जाने का संकेत करने वाला, आत्मोन्नति कराने वाला उत्सव है।


🚩किसी अंग्रेज ने आज से 900 वर्ष पहले भारत की दिवाली देखकर अपनी यात्रा-संस्मरणों में इसका बड़ा सुन्दर वर्णन किया है तो स्पष्ट है कि दिवाली उसके पहले भी होगी।


🚩संसार की सभी जातियाँ अपने-अपने उत्सव मनाती हैं। प्रत्येक समाज के अपने उत्सव होते हैं जो अन्य समाजों से भिन्न होते हैं, परंतु हिंदू पर्वों और उत्सवों में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं, जो किसी अन्य जाति के उत्सवों में नहीं हैं। हम लोग वर्षभर उत्सव मनाते रहते हैं। एक त्यौहार मनाते ही अगला त्यौहार सामने दिखाई देता है। इस प्रकार पूरा वर्ष आनन्द से बीतता है।


 🚩दीपावली टिप्स


🚩1. दिवाली की रात कुबेर भगवान ने लक्ष्मी जी की आराधना की थी जिससे वे धनाढ्यपतियों के भी धनाढ्य कुबेर भंडारी के नाम से प्रसिद्ध हुए , ऐसा इस काल का महत्व है ।


🚩दीपावली की रात का लाख गुना फलदायी होता है । ये सिद्ध रात्रियाँ कहलाती हैं व भाग्य की रेखा बदलने वाली रात्रियाँ हैं । अधिक से अधिक जप करके इन रात्रियों का लाभ उठाना चाहिए ।


🚩दीपावली की रात्रि जप करने योग्य लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र "रात्रि को दीया जलाकर इस सरल मंत्र का यथाशक्ति जप करें : ' ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"


🚩2. घर के बाहर हल्दी और चावल के मिश्रण या केवल हल्दी से स्वस्तिक अथवा ॐकार बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । द्वार पर अशोक और नीम के पत्तों का तोरण ( बंदनवार ) बाँध दें | उससे पसार होनेवाले की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी ।



🚩3. लक्ष्मी प्रात्ति हेतु दीपावली की संध्या को तुलसी जी के निकट दीया जलाएँ , इससे लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है ।


🚩4. लक्ष्मी प्राप्ति की साधना :- दीपावली के दिनघर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें । हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख - सम्पति की वृद्धि होगी ।


🚩5. लक्ष्मी प्राप्ति हेतु अपने गुरुदेव के श्रीचित्र पर विशेष तिलक :- दीपावली के दिन लौंग और इलायची को जलाकर राख कर दें और उससे भगवान अथवा गुरुदेव के (श्रीचित्र) को तिलक करें । ऐसा करने से लक्ष्मी प्राप्ति में मदद मिलती है और काम - धंधे में बरकत आती है ।


🚩6. आनंद व प्रसन्नतावर्धक नारियल - खीर प्रयोग :- दीपावली के रात्रि को थोड़ी खीर को कटोरी में डालकर और नारियल लेकर घूमना और मन में 'लक्ष्मी-नारायण' जप करना ; फिर खीर ऐसी जगह रखना जहाँ किसी का पैर ना पड़े और गाय, कौए आदि खा जाएँ ।


🚩नारियल अपने घर के मुख्य दरवाजे पर फोड़ देना और उसकी प्रसादी बांटना । इससे घर में आनंद और सुख-शांति रहेगी ।


🚩7. परिवार की तीनों तापों से रक्षा के लिए-कपूर आरती  :- 

दीपावली के दिन चाँदी की कटोरी में कपूर को जलाएँ, तो परिवार की तीनों तापों से रक्षा होती है ।


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Thursday, November 9, 2023

धनतेरस का त्योहार क्यों मनाया जाता हैं ? काली चौदस का इतिहास क्या हैं ? जानिए..

10 November 2023

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🚩दिवाली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन घर और आस-पास की जगहों को दीपों से रोशन किया जाता है। दिवाली एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, जो धनतेरस से लेकर भाई दूज तक चलता है। पांच दिन का ये पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इन सभी दिनों का विशेष महत्व है। साथ ही इससे जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं। इस साल 10 नवंबर 2023 को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। इस खास दिन पर लोग सोना, चांदी व बर्तन की खरीदारी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि, धनतेरस के दिन आप जो भी सामान खरीदेंगे उसके दोगुना वृद्धि होने की संभावना होती है।


🚩कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इसे धनतेरस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि, धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं, इस दिन किसकी पूजा की जाती है, सभी के बारे में विस्तार से जानते हैं।


🚩क्यों मनाया जाता है धनतेरस ? 


🚩शास्त्रों के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि हाथों में कलश लिए समुद्र से प्रकट हुए थे। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का ही अंश माना जाता है। इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया था। इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 


🚩धनतेरस में किसकी पूजा होती है?


🚩धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। साथ ही माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की भी पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि, धनतेरस पर माता लक्ष्मी की विधि अनुसार पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है। साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।


🚩कौन हैं भगवान धन्वंतरि?


🚩लगभग सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए हैं। विष्णु जी ने धन्वंतरि रूप में भी अवतार लिया था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि वैद्यों में शिरोमणि हैं। इसलिए स्वास्थ्य लाभ के लिए भी भगवान धन्वंतरि की पूजा करना शुभ माना जाता है।भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से हाथों में अदरक का पौधा और अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।


🚩क्यों खरीदे जाते हैं धनतेरस में बर्तन?

धनतेरस के शुभ दिन पर बर्तन खरीदने की मान्यता है क्योंकि, कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि जन्म के समय अमृत कलश लिए हुए थे। इसी कारण इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।


🚩काली चौदस


🚩धनतेरस के पश्चात आती है 'नरक चतुर्दशी (काली चौदस)'। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को क्रूर कर्म करने से रोका। उन्होंने 16 हजार कन्याओं को उस दुष्ट की कैद से छुड़ाकर अपनी शरण दी और नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया। नरकासुर प्रतीक है – वासनाओं के समूह और अहंकार का। जैसे, श्रीकृष्ण ने उन कन्याओं को अपनी शरण देकर नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया, वैसे ही आप भी अपने चित्त में विद्यमान नरकासुररूपी अहंकार और वासनाओं के समूह को श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दो, ताकि आपका अहं यमपुरी पहुँच जाय और आपकी असंख्य वृत्तियाँ श्री कृष्ण के अधीन हो जायें। ऐसा स्मरण कराता हुआ पर्व है नरक चतुर्दशी।


🚩इस दिन रात के अंधकार में उजाला किया जाता है। जो संदेश देता है कि , हे मनुष्य ! तेरे जीवन में चाहे जितना अंधकार दिखता हो, चाहे जितना नरकासुर अर्थात् वासना और अहं का प्रभाव दिखता हो, तू अपने आत्मकृष्ण को पुकारना। श्रीकृष्ण रुक्मिणी को आगेवानी देकर अर्थात् अपनी ब्रह्मविद्या को आगे करके नरकासुर को ठिकाने लगा देंगे।


🚩काली चौदस के सुबह में तिल के तेल से मालिश करके सप्तधान्य उबटन लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने का भी विधान है । काली चौदस की रात्रि में मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध होता है।


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Wednesday, November 8, 2023

इस दीपावली पर इन बातों का रखें खास ध्यान...

9 November 2023

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🚩उल्लास, आनंद, प्रसन्नता बढ़ाने वाले हमारे पर्वों में , पांच पर्वों का पुंज दीपावली अग्रणी स्थान पर है। भारतीय संस्कृति के ऋषि-मुनियों, संतों की यह दूरदृष्टि रही है, जो ऐसे पर्वों के माध्यम से वे समाज को वास्तविक आत्मिक आनंद, शाश्वत सुख के मार्ग पर ले जाते थे।


🚩दीपावली पर हम खुश होते हैं व खुशियां बाँटते हैं, दीपावली पर हम घर में नया सामान, पटाखें, मिठाई आदि की खरीदारी करते है। यह सामान खरीदने में एक सावधानी जरूर रखें ।


🚩दीपावली त्योहार हिंदुओ का है , इसलिए हिंदुओं की दुकानों से ही सामान खरीदें। अर्थात जो लोग खुद दीपावली मनाते है , जो इसके महत्व और महानता को समझते हैं ,जो सनातनधर्म और संस्कृति की महिमा और गरिमा को जानते हैं और इसका सम्मान करते हैं , उन्हीं भाइयों की दुकानों से अर्थात हिंदुओं की दुकान से ही सामान खरीदें । विधर्मियों की दुकानों से पूजा व त्योहार का सामान क्या लेना !

चाइनीज अथवा अन्य विदेशी कंपनियों का भी सामान नहीं खरीदें , क्योंकि भारतवासियों के पैसे से ही चीन समृद्ध हो रहा है और भारत के खिलाफ ही साजिशें करता रहता है।


🚩विदेशी कंपनियों की हिन्दू धर्म के प्रति कोई आस्था नहीं होती , इसलिए हिन्दुओं के सबसे बड़े त्योहार पर सिर्फ देश के बने हुए सामान और वो भी दिपावली मनाने वालों से ही खरीदने का संकल्प लें।


🚩चीनी सामानों का पुरज़ोर बहिष्कार करना चाहिए , इससे हम उससे बिना लड़े जीत सकते हैं। बिजली का सामान हो या सजावटी सामान हो, या फिर अन्य सामान, राष्ट्र निर्मित ही होना चाहिए।

ऐसा निर्णय देशहित में होगा।


🚩इस वर्ष की दीपावली देश में निर्मित सामान से ही मनानी है यही सच्ची दिवाली होगी। देश का पैसा देश के कार्यों में लगे ऐसा शुभ संकल्प होना चाहिए। ये दीपावली आपकी आध्यात्मिक दीपावली होगी। स्वदेशी सामान ही खरीदें।


🚩दूसरी बात की दीपावली में कुछ लोग देवी-देवताओं के छायाचित्र वाले पटाखें फोडते हैं । देवता का छायाचित्र प्रत्यक्ष देवता ही हैं। जिस समय हम पटाखें फोडते हैं, उस समय उस छायाचित्र के टुकडे होते हैं, अर्थात हम उस देवता का अनादर ही करते हैं। श्रीलक्ष्मी के छायाचित्र वाले, साथ ही राष्ट्रभक्तों के छायाचित्र वाले पटाखें फोडना, इससे हमें पाप लगता है ।


🚩तो आइए संकल्प ले॔ कि , इस दीपावली पर हम ऐसे पटाखें खरीदेंगे ही नहीं। साथ ही ऐसे पटाखे खरीदने वालों को भी ऐसा करने से रोकेंगे और उन्हें वास्तविकता समझाने का प्रयास करेंगे। यह भी देवी देवताओ की भक्ति हो जाएगी । ऐसा करने से निस्संदेह हम पर भगवान प्रसन्नहोंगे ही। 


🚩बच्चों को समझाएं कि,

बच्चो ! क्या हमारे माता-पिता के छायाचित्र वाले पटाखे हम फोडेंगे ? नहीं न ? तो फिर देवी-देवता , भगवान जो सभी के मात-पिता हैं ,हम सभी की रक्षा करते हैं , हमें शक्ति एवं बुदि्ध प्रदान करते हैं , तो हम दीपावली पर उनका अनादर क्यों करें...!? क्या हमें ऐसा करना चाहिए...!?

आओ, हम यह अनादर रोकने का निश्चय करें !


🚩तीसरी बात यह है कि दीपावली पर मिठाई तो खरीदते ही है तो क्यो न इस बार देशी गाय के दूध से बनी मिठाई खरीदे अथवा देशी गाय का दूध मंगवाकर घर में ही मिठाई बनाएं, जिससे हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। गौशालाओं में आमदनी भी अच्छी होगी और गौरक्षा भी होगी इसलिए इस बार जितना हो सके देशी गाय के दूध की मिठाई को खरीदें, खाएं एवं बांटे।



🚩ध्यान रखें कि चॉकलेट से स्वास्थ्य की हानि होती है और चॉकलेट अधिकतर विदेशी कंपनियां बनाती है, इसलिए चॉकलेट खाने से बचें। या तो गाय के दूध से बनी मिठाइयाँ या फिर अन्य मिठाइयां देशी , शुद्ध शाकाहारी हिन्दू भाइयों से खरीदने का आग्रह रखें।


🚩चौथी बात है, कि आपके आस-पास कोई गरीब परिवार हों, तो आसपास के सभी हिंदू मिलकर उसकी सहायता जरुर करें जिससे वे भी अपनी दीपावली अच्छे से मना सकें।


🚩विश्वास कीजिए इस तरह से दिवाली मनाकर आपको खुद भी बहुत अच्छा लगेगा । 💐🙏 दीपावली की अग्रिम बधाइयां , शुभ दीपावली !!




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आप एक ऐसी माँं को नही जानते होंगे, जिन्होंने दिया विश्व को अनमोल रत्न,जिन्होंने कर दिया करोड़ों का कल्याण.....

08 November 2023

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🚩स्वभाव से शांत, नम्र एवं निष्कामता की मूर्ति माँ महँगीबाजी ने अपना पूरा जीवन एक धर्मपरायणा समाजसेविका के रूप में बिताया। अपने लिए कम-से-कम खर्च करके गरीब, असहाय लोगों की सेवा करना, अपने संकल्प के प्रति दृढ़ निश्चय रखना और विश्व के प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का दर्शन करना, यह उनका सहज स्वभाव था। श्री श्री माँ महँगीबाजी ने अहमदाबाद में महिला उत्थान केन्द्र की स्थापना करवाकर महिलाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।


🚩लोगों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक उत्थान का भी वे बहुत ध्यान रखती थीं। जिन्हें उनका सान्निध्य-लाभ लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और जो उनके इस प्रेरक जीवन-चरित्र को पढ़ने-सुनने का सौभाग्य पा रहे हैं, उनके लिये माँ महँगीबाजी का जीवन एक मार्गदर्शक बन चुका है।


🚩समग्र विश्व को ज्ञानामृत का पान कराने वाले संत श्री आशारामजी बापू की मातुश्री श्री माँ महँगीबाजी के महानिर्वाण के समाचार को पाकर हजारों-हजारों नर-नारियों के अलावा केन्द्रीय गृहमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी, मानव संसाधन मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी, शिक्षा राज्यमंत्री श्री जयसिंह राव गायकवाड़ पाटिल, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री जयसिंह राव गायकवाड़ पाटिल, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री कुशाभाई ठाकरे, विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की थी।


🚩उसकी प्रसिद्धि का प्रसार किसी समय करते हुए देखने को नहीं मिला। दाहिना हाथ सेवा करे और बायें हाथ को पता भी नहीं चलता। इसी कारण सेवाक्षेत्र में माता महँगीबाजी एक अप्रकट सितारा थीं। अखबार-टेलिविजन के माध्यम से उनकी प्रसिद्धि हो, उनमें ऐसी रूचि ही नहीं थी। इसलिए विश्व को इस महान आत्मा की निरंतर चल रही मूक सेवा-प्रवृत्ति का परिचय नहीं मिल पाया।"


🚩संत श्री लाल जी महाराज ने बताया कि हम पहले भी जिनके आशीर्वाद के पात्र बन चुके हैं वे थीं माता देवहूति। उन माता ने समाज को भगवान कपिल के रूप में एक अमूल्य रत्न दिया था। ऐसे ही माँ महँगीबा जी ने भी भारत को संतशिरोमणि श्री आशारामजी महाराज के रूप में एक अनुपम भेंट देकर हम सबका कल्याण किया है। उन्होंने अपने पूरे कुटुम्बसहित सबके कल्याण के लिए सेवाकार्य कर दीर्घायु की प्राप्ति की।


🚩जैसे दीपक स्वयं प्रकाशित होकर औरों को भी प्रकाश पहुँचाता है, वैसे ही माता महँगीबाजी के लाल संत श्री आशारामजी बापू ने स्वयं ज्ञान प्राप्त करके अगणित आत्माओं का भगवान से संबंध जोड़ने के लिए असीम पुरुषार्थ किया है। भारत की जनता को ईश्वरोन्मुख बनाने का इतना बड़ा पुरुषार्थ ! हम संक्षेप में इतना ही कह सकते हैं कि कलियुग में ऋषि मुनियों की परंपरा में भगवान स्वयं पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के रूप में अवतरित हुए हैं।


🚩आशा के पाश में सभी लोग बँधे हुए हैं। इस आशा के पाश से मुक्त करने के लिए सदुगुरू श्रीलीलाशाहजी महाराज ने ʹआशाʹ के साथ ʹरामʹ जोड़कर हमें संत श्री आशारामजी के रूप में साक्षात राम ही दिये हैं। जैसे प्रभात के समय सूर्योदय होने पर अंधकार को हटाने के लिए कोई प्रयत्न नहीं करना पड़ता, सूर्य की उपस्थितिमात्र से अंधकार स्वयं दूर हो जाता है, उसी प्रकार संत श्री की उपस्थितिमात्र से अज्ञानरूपी अंधकार स्वयं दूर होने लगता है। पूज्य बापू जी का सत्संग ऐसा है कि भारत में ज्ञान का दिव्य प्रकाश फैल गया है।


🚩संवत् 2021 के श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या को मातुश्री महँगीबाजी मणिनगर से मोटी कोरल स्थित पंचकुबेरेश्वर महादेव के मंदिर में पधारी थीं और उन्होंने ये शब्द कहे थेः "मेरा लाड़ला लाल, छोटा पुत्र आसुमल कहे बिना ही घर से चला गया है। वह कहाँ होगा, कोई पता नहीं है। लाल जी महाराज ! आप उससे मुलाकात करवा दो, तभी मैं अन्न-जल लूँगी।"


🚩उसी माँ के आशीर्वाद का यह फल है कि करोड़ों-करोड़ों लोगों को इस घोर कलियुग में भी भगवदशांति की झलकें मिल रही हैं। जनता उसका अनुभव करे और उसे पचाये, यह बहुत जरूरी है।


🚩राम की प्राप्ति तो राम के द्वारा ही होती है। इसीलिए आज आशारामजी बापू ने जनता के समक्ष परम कल्याण का मार्ग प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में रखा है। यह कृपावर्षा दिन-प्रतिदिन उसी भाव से बढ़ती रहे, हम ऐसी प्रार्थना करें।


🚩संतशिरोमणि, करोड़ों-करोड़ों के सदगुरु, ब्रह्मनिष्ठ पूज्य संत श्री आशारामजी बापू को इस धरा पर अवतरित कर उनको सदगुरुरूप में मान के स्वयं को ब्रह्मज्ञान में प्रतिष्ठित कर मातुश्री माँ महँगीबा जी ने अपना और करोड़ों-करोड़ों का जीवन सार्थक कर दिया। कितना दुर्लभ सौभाग्य ! माता देवहूति ने अपने ही पुत्र कपिल मुनि में भगवदबुद्धि, गुरुबुद्धि करके ईश्वरप्राप्ति की और अपना जीवन सार्थक किया था, उसी इतिहास का पुनरावर्तन करने का गौरव प्राप्त करने वाली पुण्यशीला माँ महँगीबा जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि प्रणाम।


🚩उनके विराट व्यक्तित्व के लिए तो जगज्जननी की उपमा भी नन्हीं पड़ जाती है। माँ की तुलना किससे की जा सकती है। वात्सल्य की साक्षात मूर्ति... प्रेम का अथाह सागर.... करूणा की अविरत सरिता बहाते नेत्र.... प्रेममय वरदहस्त... कंठ अवरूद्ध हो जाता है उनके स्नेहमय संस्मरणों से ! उनके विराट व्यक्तित्व को पहचानने में बुद्धि स्वयं को कुंठित अनुभव करती है ! हम तो उनके होकर उनके लिए प्रेमपूर्ण सम्बोधन से केवल इतना ही कह सकते हैं कि ʹअम्माजी तो बस हम सबकी अम्माजी ही थीं !ʹ पूज्यनीया माँ महँगीबा की जीवनलीलाओं की ओर दृष्टि करते हैं तो मस्तक उनके श्रीचरणों में झुक जाता है। उनके सान्निध्य में आयी बहनों का उन्होंने जीवन-निर्माण किया। शिष्टाचार, गुरु के प्रति भक्ति और प्रेम, गुरु आज्ञा-पालन की सम्पूर्ण सहर्ष तैयारी, निष्कामता, निरभिमानिता, धैर्य, सहनशीलता आदि अनेक दैवी सदगुण उनके जीवन में देखने को मिले। आज जीवन-मूल्यों के ह्रास की ओर जा रहा समाज ऐसे उच्चकोटि के संतों की आज्ञा तथा प्रेरणा के अनुसार अपने जीवन का निर्माण करे तो वह निश्चित ही उन्नत हो सकता है।


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Monday, November 6, 2023

हाईकोर्ट में मामला : ताजमहल को शाहजहाँ ने नहीं बनवाया, ताजमहल हिंदू राजा मान सिंह का महल था.....

7 November 2023

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🚩दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार ( 3 अक्टूबर 2023 ) को अपने एक फैसले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ताजमहल के ‘सही इतिहास’ को प्रकाशित करने वाले आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया। अपनी जनहित याचिका में हिन्दू सेना ने कहा कि ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहाँ ने नहीं, बल्कि राजपूताना (वर्तमान राजस्थान) के कच्छावा वंश के क्षत्रिय राजा मान सिंह ने बनवाया था।


🚩इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मामले में ASI को निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले भी इस तरह की प्रार्थनाओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने तब संगठन से ASI के समक्ष एक आवेदन दाखिल करने को कहा था।


🚩शुक्रवार को उच्च न्यायालय को याचिकाकर्ता ने बताया कि ASI ने अभी तक उनके प्रत्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया है। इसलिए, बेंच ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से उस अभ्यावेदन पर गौर करने के लिए कहा है। हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दायर याचिका में कहा है कि ताजमहल मूल रूप से राजा मान सिंह का महल था और बाद में शाहजहाँ द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया था।


🚩यादव ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से आग्रह किया कि इतिहास की किताबों से ताजमहल के निर्माण से संबंधित ‘ऐतिहासिक रूप से गलत तथ्यों’ को हटाने के लिए ASI, केंद्र सरकार, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दें। याचिका में ASI से ताजमहल की उम्र और राजा मान सिंह के महल के अस्तित्व के बारे में जाँच करने के निर्देश देने की भी माँग की गई है।


🚩याचिकाकर्ता सुरजीत यादव का कहना है कि उन्होंने ताजमहल के बारे में ‘गहरा अध्ययन और शोध’ किया है। इसलिए इतिहास के तथ्यों को सुधारना और लोगों को ताजमहल के बारे में सही जानकारी देना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने जेड.ए. देसाई द्वारा लिखित ‘ताज संग्रहालय’ नामक पुस्तक का भी उल्लेख किया, जिसमें मुमताज महल को दफनाने के लिए एक ‘ऊँची और सुंदर’ जगह का चयन किया गया था।


🚩इस पुस्तक का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी याचिका में आगे कहा कि यह ऊँची और सुंदर जगह राजा मान सिंह की हवेली थी, जो उस समय उनके पोते राजा जय सिंह के कब्जे में थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस हवेली को कभी ध्वस्त नहीं किया गया था। यादव का कहना है कि ताजमहल की वर्तमान संरचना राजा मान सिंह की हवेली का एक संशोधन और नवीनीकरण भर है, जो पहले से मौजूद थी।


🚩सुरजीत यादव ने कहा है, “ताज संग्रहालय नामक पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि मुमताज महल का मृत शरीर राजा जय सिंह के भूमि परिसर के भीतर एक अस्थायी गुंबददार संरचना के तहत दफनाया गया था। यह उल्लेख करना उचित है कि ऐसा कोई विवरण नहीं है, जो बताता हो कि राजा मान सिंह की हवेली को ताजमहल के निर्माण के लिए ध्वस्त किया गया था।”


🚩याचिकाकर्ता ने कहा है कि उन्होंने ताजमहल पर कई किताबों की जाँच की और एक किताब में कहा गया है कि शाहजहाँ की पत्नी आलिया बेगम थीं। मुमताज महल का कहीं कोई जिक्र नहीं है। ASI की वेबसाइट पर विरोधाभासी जानाकारी देने का आरोप लगाते हुए याचिका में कहा गया है कि ASI ने बेवसाइट पर कहा है कि 1631 में मुमताज महल की मृत्यु के 6 महीने बाद शव को ताजमहल के मुख्य मकबरे के तहखाने में दफनाने के लिए आगरा लाया गया था।


🚩याचिका में कहा गया है कि ASI की उसी वेब पेज पर उल्टा जानकारी दी गई है, जहाँ कहा गया है कि 1648 में ताजमहल का निर्माण पूरा होने में लगभग 17 साल लगे थे। याचिका में कहा गया है कि जब ताजमहल को पूरा होने में 17 साल लगे और वह 1648 में बनकर तैयार हुआ तो मुमताज महल का शव 1631 ईस्वी में दफनाने के लिए आगरा कैसे लाया गया। यह विरोधाभासी और भ्रामक है।


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Sunday, November 5, 2023

हिंदुत्व की रक्षा के लिए हिंदू एकजुट होकर बोलें...

6 November 2023

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🚩सनातन हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। यह एक धर्म ही नहीं, बल्कि प्रकृति के अनुकूल एक जीवन शैली है। प्रकृति में मौसमी बदलाव के दुष्प्रभावों से रक्षा और अच्छे प्रभाव को ग्रहण कर मजबूत बनाने वाली संस्कृति है सनातन हिन्दू संस्कृति। हिंदू धर्म अपने प्राचीन मूल्यों और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यह धर्म शांति, सद्भाव और प्रेम का संदेश देता है।


🚩आज, हिंदू धर्म को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों में धर्मांतरण, विदेशी आक्रमण और आतंकवाद शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, हिंदुओं को एकजुट होकर कार्य करने की जरूरत है।


🚩हिंदू एकजुट होकर अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा कर सकते हैं। वे धर्मांतरण और विदेशी आक्रमण का विरोध कर सकते हैं। वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ सकते हैं।


🚩हिंदू एकजुट होकर, अपने हक के लिए आवाज़ उठाकर, अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। वे सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता के लिए लड़ सकते हैं। वे अपने देश में शांति और सद्भाव को बढ़ावा दे सकते हैं।


🚩हिंदू एकजुट होकर बोलकर एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। वे एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां सभी लोग समान हों। वे एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां सभी लोग भाईचारा, प्रेम, शांति, सौहार्द और सद्भाव से रह सकें।


🚩हिंदू एकजुट होकर बोलने के लिए क्या कर सकते हैं❓


🚩हिंदू एकजुट होकर बोलने के लिए कई चीजें कर सकते हैं। वे इनमें से कुछ चीजें कर सकते हैं:


🚩हिंदू धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाएं। हिंदू धर्म के बारे में लोगों को शिक्षित करके, हिंदू धर्म के मूल्यों और परंपराओं को बचाया जा सकता है।


🚩धर्मांतरण और विदेशी आक्रमण का विरोध करें। हिंदू धर्म के खिलाफ होने वाले धर्मांतरण और विदेशी आक्रमण का विरोध करके, हिंदू धर्म की रक्षा की जा सकती है।


🚩आतंकवाद के खिलाफ लड़ें। आतंकवाद मानवता एवं हिंदू धर्म के खिलाफ एक बड़ा खतरा है। हिंदू आतंकवाद के खिलाफ लड़कर, इंसानियत एवं हिंदू धर्म दोनो की रक्षा कर सकते हैं।


🚩अपने अधिकारों के लिए लड़ें। हिंदू अपने अधिकारों के लिए लड़कर, हिंदू धर्म की रक्षा कर सकते हैं। 


🚩सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों में से हैं। इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए लड़कर, हिंदू धर्म की रक्षा की जा सकती है।


🚩अपने देश में शांति और सद्भाव को बढ़ावा दें। हिंदू धर्म शांति और सद्भाव का संदेश देता है। अपने देश में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देकर, हिंदू धर्म की रक्षा की जा सकती है।


🚩हिंदू एकजुट होकर बोलने की आवश्यकता कई कारणों से है👇


🚩आज सनातन हिंदू धर्म को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, हिंदुओं को संगठित होकर आवाज़ उठाने की जरूरत है।


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