Tuesday, December 12, 2023

जापान ने गाय के गोबर से चलाया रॉकेट इंजन, अब अन्तरिक्ष कार्यक्रम की तैयारी...

13 December 2023

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🚩भगवान ने जिस देश में गौ माता की सेवा की है और जिस देश में सबसे अधिक गाय दी,जहां गाय को माता कहते हैं,वो देश आज गाय का मांस बिकवा रहा है और पड़ोसी देश जापान गाय के गोबर से रॉकेट और गाडियाँ चला रहा है !

सोचिए  अगर भारत सरकार भी गौ हत्या रुकवाकर गौ सेवा को बढ़ावा देकर , गौ उत्पादों से लाभ लेना शुरू करे तो शारीरिक , मानसिक रूप से देश की जनता और आर्थिक रूप से देश कितना सुदृढ़ हो सकता है।

जापान की विधि भी यदि हम  अपनाएं तो अरबों रुपए का जो कच्चा तेल हर वर्ष आयात करना पड़ता वो बच जाएगा और वातावरण भी शुद्ध रहेगा।


🚩आपको बता दे कि जापान की एक कम्पनी ने गाय के गोबर से बने ईंधन से रॉकेट इंजन को चलाने में सफलता पाई है। गोबर से बने ईंधन से चलाया जा रहा रॉकेट टेस्टिंग के दौरान ना केवल चालू हुआ बल्कि इसने जमीन के समानांतर लगभग 15 मीटर की दूरी तक आग की लपटें भी फेंकी। अब इसे विकसित करने वाली कम्पनी और भी बड़ा रॉकेट बनाने जा रही है।


🚩एक वेबसाईट बैरन के अनुसार, जापान के एक अन्तरिक्ष स्टार्टअप इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज़ (Interstellar Technologies) कम्पनी ने यह रॉकेट बनाया है। इसकी प्रायोगिक टेस्टिंग जापान के ताईकी शहर में की गई। इस दौरान रॉकेट के इंजन से तेज नीली-नारंगी आग निकली। आग की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जमीन के समानांतर लगभग 10-15 मीटर (30 से 50 फीट) की दूरी तक इसकी लपटें निकलीं।


🚩रॉकेट की प्रायोगिक टेस्टिंग में जो ईंधन इसमें डाला गया था, वह बायोमीथेन था। इसे पूरी तरह से गाय के गोबर से बनाया गया था। इस गोबर को स्थानीय गायपालकों के पास से खरीदा गया था और फिर उस से गैस बनाई गई, जिससे यह ईंधन विकसित किया गया।


🚩इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज़ के सीईओ ताकाहिरो इनागावा ने इस विषय पर कहा,

“हम यह मात्र इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि यह पर्यावरण को फायदा पहुँचाता है।बल्कि इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर बनाया जा सकता है और सस्ता है साथ शुद्ध है , साफ़ है। हम यह तो नहीं कह सकते कि यह विधि पूरी दुनिया में बड़े स्तर पर अपनाई जाएगी लेकिन हम पहली ऐसी निजी कम्पनी हैं, जो इस ईंधन का उपयोग कर रहे हैं।”


🚩इंटरस्टेलर ने एक अन्य कम्पनी एयरवाटर के साथ एक समझौता किया है। एयरवाटर कम्पनी उन किसानों से बायोगैस एकत्रित करती है, जिनके पास डेयरी फ़ार्म हैं और वह इनमें पाली हुई गायों के गोबर से बायोगैस बनाती है।


🚩इस प्रयोग से जुड़े एक इंजिनियर तोमोहीरो निशिकावा ने कहा, “संसाधन के मामले में कमजोर जापान को पानी और ऊर्जा जरूरतों के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादित कार्बन न्यूट्रल ईंधन अपनाने होंगे। इस क्षेत्र की गायों में काफी पोटेंशियल है। जापान के पास एक ईंधन स्रोत ऐसा होना चाहिए, जिसके लिए वह बाहर के देशों पर निर्भर ना हो।”


🚩रॉकेट तकनीक में गोबर का उपयोग होने से वहाँ के किसान भी प्रसन्न हैं, जिनके पशुफ़ार्म से यह गोबर गैस बनाने हेतु ली गई थी। उनका कहना है कि उनसे ली गई गोबर गैस से रॉकेट को उड़ता देखना सुखद होगा। उन्होंने जापान सरकार से इस विषय में कदम उठाने की अपील की है।


🚩भारत सरकार को भी इस जापानी कम्पनी से प्रेरणा लेकर भारत में गौ हत्या रुकवाकर, गौ माता के  दूध, घी , मूत्र और गोबर का उपयोग करके देश और देशवासियों का भला कर सकती है।


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Monday, December 11, 2023

जिस देश में आज भी राजाओं को ‘राम’ की उपाधि दी जाती है, वहाँ भी बसी है एक ‘अयोध्या’

12 December 2023

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🚩भारत की अयोध्या से करीब 3500 किलोमीटर दूर है, अयुथ्या (Ayutthaya)। इसे थाईलैंड की अयोध्या कहते हैं। थाईलैंड वह देश है, जिसके राजा आज भी ‘राम’ की उपाधि धारण करते हैं।


🚩अयुथ्या थाइलैंड के स्वर्णभूमि एयरपोर्ट से करीब 93 किमी दूर है। इस एयरपोर्ट पर समुद्र मंथन की प्रतिकृति बनी है। इससे ही सटा एक और शहर है, लोकमुरी। यह शहर राम भक्त हनुमान को समर्पित है। यहाँ वानरों की पूजा की जाती है। थाईलैंड की 95 फीसदी जनसंख्या बौद्ध है। और ये लोग विष्णु, गणेश, त्रिदेव और इंद्र को पूजते हैं। इस देश की भाषा का भी संस्कृत से गहरा रिश्ता है।


🚩कहानी ‘अयुथ्या’ की


🚩अयुथ्या शहर सियामी साम्राज्य की दूसरी राजधानी थी। इस साम्राज्य की पहली राजधानी सुखोताई थी। इस ऐतिहासिक शहर को 1350 में बसाया गया था। ये साम्राज्य 14वीं से 18वीं शताब्दी तक फला-फूला, क्योंकि ये एक ऐसे द्वीप पर बना हुआ था जिसके चारों तरफ तीन नदियाँ चाऊफ्रेया, पासक और लोकमुरी थी। ये समुद्र को सीधे इस शहर से जोड़ती थीं। इस तरह की भौगोलिक स्थिति के चलते ये दुश्मन के हमले और बाढ़ के खतरे सुरक्षित था।


🚩इस दौरान रणनीतिक नजरिए से बेहद सुरक्षित यह शहर दुनिया का सबसे बड़ा महानगरीय शहर क्षेत्र होने के साथ ही वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का केंद्र बन गया। आज भी अयुथ्या ऐतिहासिक पार्क में इस पुराने शहर के खंडहर हो चुके हिस्से इसकी भव्यता की गाथा कहते नजर आते है। इसकी स्थापना राजा रामतिबोदी प्रथम ने की थी।


🚩1350 में सिंहासन पर बैठने से पहले उन्हें प्रिंस यूथोंग (गोल्डन क्रैडल) के तौर पर जाना जाता था। यूथोंग के बारे में कई बातें कही जाती हैं। इसमें उनके मंगराई का वंशज होना भी शामिल है। एक प्रसिद्ध किंवदंती में कहा गया है कि रामतिबोदी एक चीनी थे जो चीन से आए थे। कई ऐतिहासिक दस्तावेज उन्हें कंबोडिया के ख्मेर वंश का मानते हैं। ख्मेर कंबुज कंबोडिया का ही प्राचीन नाम है।


🚩थाइलैंड पर ख्मेर वंश ने सन 850 में कब्जा कर लिया था, लेकिन 1767 में बर्मा की सेना ने इसे तबाह कर यहाँ के निवासियों को शहर छोड़ने को मजबूर कर दिया था। बर्मीज ने यहाँ 100 साल तक राज किया। इसका असर अब भी शहर पर दिखता है। हालाँकि इस शहर का पुनर्निर्माण उसी जगह पर कभी नहीं किया गया और इसलिए ये आज भी पुरातात्विक स्थल के तौर पर जाना जाता है।


🚩1976 में इसके ऐतिहासिक पार्क होने का ऐलान किया गया। इसके एक हिस्से को 1991 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया। इसका क्षेत्रफल 289 हेक्टेयर है। मौजूदा वक्त में ये शहर फ्रा नखोन सी अयुथ्या जिले के फ्रा नखोन सी अयुथ्या प्रांत में है।


🚩खंडहर देते हैं भव्यता की गवाही


🚩कभी वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा अयुथ्या, अब एक पुरातात्विक खंडहर है। इसकी खासियत ऊँचे प्रांग (अवशेष टावर) और विशाल बौद्ध मठों के अवशेष हैं। जो इस शहर के अतीत के आकार और इसकी वास्तुकला की भव्यता का अंदाजा देते हैं। अयुथ्या को बेहद व्यवस्थित तरीके से बनाया गया था। इसकी सभी प्रमुख संरचनाओं के आसपास सड़कें, नहरें और खाई शामिल थीं।


🚩नदियों का अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए जल प्रबंधन के लिए एक हाइड्रोलिक प्रणाली थी जो तकनीकी तौर से बेहद उन्नत और दुनिया में अद्वितीय थी। यह शहर सियाम की खाड़ी की ऊँचाई पर था, जो भारत और चीन के बीच समान दूरी पर था और नदी के ठीक ऊपर अरब और यूरोपीय शक्तियों से सुरक्षित था।


🚩आर्थिक गतिविधियों का था केंद्र


🚩कभी अयुथ्या क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अर्थशास्त्र और व्यापार का केंद्र था। वह पूर्व और पश्चिम के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु के तौर पर जाना गया। इससे शाही दरबार ने दूर-दूर तक राजदूतों की अदला-बदली की। इसमें वर्साय के फ्राँसीसी दरबार, दिल्ली के मुगल दरबार के साथ-साथ जापान और चीन के शाही दरबार भी शामिल थे। अयुथ्या में विदेशियों ने सरकारी नौकरियाँ की और शहर में निजी तौर पर भी रहे।


🚩अयुथ्या के रॉयल पैलेस से नीचे की तरफ विदेशी व्यापारियों और मिशनरियों के एन्क्लेव थे। हर इमारत अपनी ही अनूठी स्थापत्य शैली में थी। शहर में विदेशी असर बहुत अधिक था और वो अभी भी जीवित कला और स्थापत्य खंडहरों में देखा जा सकता है। अयुथ्या का स्कूल ऑफ आर्ट वहाँ सभ्यता की सरलता और रचनात्मकता के साथ-साथ कई विदेशी प्रभावों को जज्ब करने की काबिलियत दिखाता है।


🚩यहाँ बने बड़े महल और बौद्ध मठ उदाहरण के लिए वाट महथत और वाट फ्रा सी सेनफेट उनके बनाने वालों की आर्थिक संपन्नता और तकनीकी कौशल के साथ-साथ उनकी अपनाई गई बौद्धिक परंपरा के भी प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। सभी इमारतों को उच्चतम गुणवत्ता के शिल्प और भित्ति चित्रों से सजाया गया था। इसमें सुखोताई की पारंपरिक शैलियों का असर था। ये अंगकोर से विरासत में मिला था जो जापान, चीन, भारत और फारस की 17 वीं और 18 वीं शताब्दी की कला शैलियों से उधार लिया गया था।


🚩वाट फरा में विराजते हैं श्रीराम

यूट्यूबर/पत्रकार मुकेश तिवारी ने कुछ महीनों पहले अयोध्या से अयुथ्या तक की यात्रा की थी। उन्होंने ट्रैवल जुनून नाम के यूट्यूब चैनल पर 18 अप्रैल 2023 को एक वीडियो अपलोड कर इस यात्रा के बारे में बताया है।


🚩वीडियो में मुकेश ने बताया है, कि यहाँ का वाट फरा राम मंदिर हिंदू देवता मर्यादा पुरोषत्तम श्री राम को समर्पित है, जो बताता है कि यहाँ पुराने वक्त से उनका अस्तिव रहा है। इसे अयुथ्या के पहले "राजा रमाथी बोधी" प्रथम के अंत्येष्टि की जगह पर तैयार किया गया था। "राजा बोधी प्रथम" हिंदू और बौद्ध धर्म में बराबर आस्था रखते थे।


🚩उनका धर्म तो बौद्ध था, लेकिन हिंदू धर्म और प्रभु श्रीराम में गहरी आस्था की वजह से ही उनकी अंत्येष्टि की जगह पर ये मंदिर बनाया गया। इसे बनाने की इजाजत उनके बेटे ने दी थी। ये भी कहा जाता है कि "रमाथी बोधी प्रथम" की मौत के बाद बनाया गया ये पहला मंदिर था। इस मंदिर में बड़ा खजाना था, जिसे लंबे वक्त तक लूटा गया।

ये भगवान श्रीराम और हिंदू धर्म से बहुत प्राचीन समय से चला आ रहा थाईलैंड का रिश्ता ही है जो इस देश की राजधनी बैंकॉक में तीसरे वर्ल्ड हिंदू कॉन्ग्रेस में 61 देशों के सैकड़ों हिंदू जुटे थे।


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Sunday, December 10, 2023

25 दिसम्बर की अभी से तुलसी पूजन की तैयारी क्यों शुरू हो गई हैं ? आप ने किया ?

10  December 2023

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🚩हमारा भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर भारतीय दिव्य संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति को थोपना चाहा, लेकिन भारत में आज भी कई साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं । https://youtu.be/aTT-MIBPhoE

 

🚩ईसाई धर्म का त्यौहार 25  दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में मनाया जाता है, जिसमें Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, पशुओं की हत्या करके उसका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना यह सब किया जाता हैं जो कि भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है । ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा नहीं देता है ।

 

🚩रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक


🚩14 से 19 वर्ष के बच्चें शराब का जमकर सेवन करते हैं ।

🚩शराब की खपत कई गुना बढ़ जाती है ।

🚩70% तक के किशोर इन पार्टियों में शराब का जमकर सेवन करते हैं ।

🚩आत्महत्याएं काफी बढ़ जाती हैं।

 

🚩इन सबसे बचने का और संस्कृति व राष्ट्र को बचाने का अचूक उपाय निकाला है हिन्दू संत आशारामजी बापू ने !

 

🚩देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने वर्ष 2014 से  25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक (7 दिवसीय) “विश्वगुरु भारत कार्यक्रम” का आयोजन चालू करवाया है उसमें तुलसी पूजन, जप-माला पूजन एवं हवन, गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, राष्ट्र जागृति संकीर्तन यात्रा, व्यसनमुक्ति अभियान, योग प्रशिक्षण शिविर, विद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, सत्संग आदि कार्यक्रमों का आयोजन उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में किया जाता है ।

 

🚩संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से 25 दिसम्बर 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व की लोकप्रियता आज विश्वस्तर पर देखने को मिल रही है ।

 

🚩पिछले साल भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा 25 दिसंबर को देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से तुलसी पूजन मनाया गया था । जिसमें कई हिन्दू संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था ।

 

🚩ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर “तुलसी पूजन दिवस” निमित्त घर-घर तुलसी पूजन व वितरण किया जा रहा है ।

 

🚩हिन्दू संत आशारामजी बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।

 

🚩उनका कहना है कि तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । तुलसी को माता कहा गया है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं ।

 

🚩विदेशों में भी होता है तुलसी पूजन..!!

 

🚩मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थी।

 

🚩विज्ञान भी नतमस्तक..!!

 

🚩आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है । आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में रोग के कीटाणुओं को नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से तुलसी महा औषधि है, अमृत है ।’

 

🚩तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा-

 

🚩अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों व्याख्यान हैं । भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल’ के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।

 

🚩हिन्दू संत आशारामजी बापू के अनुसार अंग्रेजी नूतन वर्ष को मनाने हेतु शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार में गर्क होने से अपने देशवासी बच जाएं इस उद्देश्य से राष्ट्र जागृति लाने के लिए तथा विधर्मियों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों के प्रति देशवासियों को जागरूक कर भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए व्यसनमुक्ति अभियान तथा राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, जागृति संकीर्तन यात्राओं का आयोजन करें तथा देश के संत-महापुरुष एवं गौ, गीता, गंगा की महत्ता के बारे में जागृति लाएं ।

 

🚩आपको बता दें कि हिन्दू संत आशारामजी बापू जोधपुर जेल में बंद हैं फिर भी उनके बताए अनुसार उनके करोड़ों अनुयायी आज भी समाज उत्थान के सेवाकार्य सुचार रूप से कर रहे हैं ।

 

🚩हिंदुस्तानी संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाना है । विदेशी कचरा हटाना है । सुसंस्कारों का सिंचन कराना है । भारतीय संस्कृति को अपनाकर, भारत को विश्वगुरू के पद पर आसीन करना है ।


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Saturday, December 9, 2023

21 वि सदी में सबसे ज्यादा मानव अधिकार का हनन किसका हुआ हैं ?

10 December 2023

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🚩विश्व मानव अधिकार दिवस पर मानव अधिकार के सबसे ज्यादा हनन की बात करें तो 21वीं सदी में 85 वर्षीय हिन्दू संत आशाराम बापू का हुआ हैं। जिसपर किसी मानवाधिकार संगठन का ध्यान नहीं है। निर्दोष होने कई प्रमाण होते हुए भी उन्हें 11 साल से जेल में रखा गया है।


🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए। बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और कई देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई, कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सही दिशा मिली। बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए उन्हें देश और समाज से दूर किया। https://youtu.be/j1cCIdlT50c


🚩डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीटर पर लिखा था कि आसारामजी बापू को जमानत से निरंतर न्यायिक इंकार करना 21वीं सदी में भारतीय न्याय की सबसे बड़ी निष्फलता है! आशाराम बापू का मामला फर्जी है! https://twitter.com/Swamy39/status/766258483054321664?s=08)


🚩आज भी आधुनिकता की अंधी दौड़ में भारत में अगर स्थिरता बनी हुई है तो उसका सिर्फ एकमात्र कारण है- वंदनीय साधु-संतों की उपस्थिति, इनके लोक-मांगल्य के कार्य और सांस्कृतिक आयोजन जिनकी वजह से ही भारत में भारत की नींव “सनातन-संस्कृति और परोपकार” जीवित है। https://youtu.be/3r4Qn7NJwHY


🚩21वीं सदी के हिन्दू संत आसारामजी बापू का नाम सुनते ही करोड़ों लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और आंखों में नमी आ जाती है। प्यार से देश-विदेश के वासी इन्हें बापू कहते हैं। भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य इन्होंने किया है उतना शायद कोई सोच भी नहीं सकता। देश-विदेश के लोगों को हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी ओत-प्रोत किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया। https://youtu.be/wmswegtRqus


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जानेवाले बापू आसारामजी का हृदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है। जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर भारत-वासियों को मिली सही राह।


🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस और 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अंग्रेजी न्यू-ईयर की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान आयोजित किया। कई आदिवासी क्षेत्र, जिन तक सरकार भी नहीं पहुंच पाती है उन्हें समय-समय पर सहारा दिया और धर्म परिवर्तन से बचाया। हिंदुओं के पर्व पर विदेशी असर न हो इसलिए होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया।https://youtu.be/xo1H7M3mkq8


🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया है बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा के लिए, लोक-हित के लिए, अपने मूल मंत्र “सबका मंगल, सबका भला” के साथ।


🚩14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे मनाकर जहां देश की युवा पीढ़ी अपना संयम और सदाचार खो रही थी और दुर्बल बन रही थी, अब वही युवा मना रहे हैं सच्चा और पवित्र-प्रेम दिवस अपने माता-पिता के साथ “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के रूप में। इससे युवानों को मिला उनके बड़े-बुजुर्गों के स्नेह के साथ-साथ संयम और सदाचार पालन करने का आशीष। साथ ही आधुनिकता की आड़ में बिखर रहे परिवार के लोगों को मिला एक-दूसरे का साथ। कई परिवारों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया था उन्होंने भी इस आयोजन से प्रभावित हो अपनी गलती सुधारी। युवानों का संयम और परिवार का साथ देश के लिए बहुत जरूरी है- ये बात सिर्फ बापू आसारामजी ने आगे लाई। https://youtu.be/LrMcg10aWuk


🚩25 दिसंबर को जो लोग क्रिसमस मनाते हुए शराब पीकर रात्रि को हानिकारक धुनों पर थिरकते थे और न खाने योग्य पदार्थों का सेवन कर पतन-कारक वातावरण में अपनी हानि करते थे ऐसे लोगों को जब बापू आसारामजी के सत्संगों से मार्गदर्शन मिला तो सभी क्रिसमस की जगह “तुलसी पूजन दिवस” मनाने लगे।

अगर कोई पौधा सबसे ज्यादा पूजनीय है इस धरा पर तो वो हैं हमारी तुलसी माँ, तो क्यों न इस दिन तुलसी माँ का ही श्रृंगार कर उनका पूजन करें। आखिर तुलसी जी को माँ यूँ ही नहीं कहा जाता, उनमें रोगप्रतिकारक शक्ति है। जैसे एक माँ अपने बच्चों को सभी हानियों से बचाती है वैसे ही माँ तुलसी हमारी रक्षक और पोषक हैं- ये बात वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुकी है। इस दिन बापू आसारामजी के कारण विश्व को मिला एक और उन्नति-कारक पर्व! https://youtu.be/fLyjdDWm7E0


🚩भारत का स्वर्णिम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना। हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं। इतिहास के पन्नों में भारत को विश्व गुरु यानि कि विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि, संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान तथा अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे। अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वितीय अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा।


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Friday, December 8, 2023

अगला चुनाव से पहले मोदी जी के नाम खुला पत्र

09 December 2023

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🚩तीन राज्यों के चुनाव परिणाम में बीजेपी को विजय मिली हैं। अब अगला चुनाव 2024 का सबसे बड़ा चुनाव होगा। पिछले 10 वर्षों से देश की जनता जिसमें हिन्दू समाज ने ही बीजेपी को चुना हैं। बहुमत से चुनी गई सरकार ने अनेक कार्य किये हैं परन्तु हिन्दू समाज के हितों में अनेक कार्य अभी नहीं हुए हैं। जिनका होना अति आवश्यक हैं। क्यूंकि यह हिन्दुओं के जन्म मरण का प्रश्न हैं ? ये कार्य हैं-


🚩1. ईसाई धर्मान्तरण पर रोक कब लगेगी? यह किसी से छुपा नहीं हैं की ईसाई समाज लालच, धन,प्रलोभन से हिन्दुओं को पतित करता हैं। विदेश से धन एवं स्थानीय धन से संख्या में हिन्दुओं को पतित किया जा रहा हैं। इस पर रोक कब लगेगी? जितने हिन्दू घटेंगे उतना देश विभाजन की ओर जायेगा। धर्मान्तरण का अर्थ हैं राष्ट्रांतरण। 


🚩2. लव जिहाद पर रोक कब लगेगी। बॉलीवुड के कारण हमारे घरों की बच्चियों को बहका फुसलाकर पतित किया जा रहा हैं। जिनकी कोख से शिवाजी और प्रताप पैदा होने थे। उनकी कोख से गौरी और गजनी पैदा होंगे। इस सुनियोजित षड़यंत्र पर कब रोक लगेगी?


🚩3. हिंदू संतों की रिहाई कब होगी? समाज, राष्ट्र, संस्कृती और धर्म के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले संतों को साजीस के तहत सालों से जेल में रखा गया है । जिसके कारण हिंदू समाज को काफी नुकसान हो रहा है। उनके जेल जाने के बाद धर्मपरिवर्तन जोरो से चल रहा है, लव जिहाद में बेटियां फस रही है, लोग अपना धर्म से विमुख हो रहे है इसलिए आशाराम बापू, फलहारी बाबा जैसे कई निर्दोष साधु - संतों की रिहाई करवाना अति आवश्यक है।


🚩4. सेक्युलर के नाम पर अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण किया गया। इसी नीति के चलते मौलवियों को मासिक भत्ता दिया जा रहा हैं। बीजेपी के अंतर्गत जिन प्रदेश सरकारों में यह भत्ता दिया जा रहा हैं जैसे की हरियाणा। वहां भत्ता बंद करने की बजाय उसे बढ़ा दिया गया हैं। क्या मंदिरों , गुरुकुलों, संस्कृत विद्यालयों , गुरुद्वारों के पंडितों, शास्त्रियों, आचार्यों , ग्रंथियों को ऐसे भत्ता दिया जाता हैं? नहीं / तो फिर यह तुष्टिकरण क्यों?


🚩5. खाने पीने से लेकर दैनिक उपभोक्ता के समान पर हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर अरबों रुपये के गोरखधंधे पर पूरे देश में लगाम कब लगेगी? यह आपकी नाक के नीचे पिछले 10 वर्षों से हो रहा हैं। यह अंधेरगर्दी नहीं तो क्या हैं?


🚩6. बांग्लादेशी-रोहिंग्या अवैध शरणार्थियों को देश से कब निकाला लाएगा? यह हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा हैं? यह आपसे बेहतर कौन जानता हैं। फिर भी पिछले 10 वर्षों में क्या ठोस कार्यवाही हुई हैं। यह खतरा हमारे सर पर मंडरा रहा हैं। पर हमारी इसे रोकने के लिए क्या तैयारी हैं। 


🚩7. वक्फ बोर्ड का कला कानून 2005 में लागु हुआ। जिसके अंतर्गत वक्फ बोर्ड किसी भी सम्पति पर अपना हाथ रख दे। उसकी हो जाएगी। जो उसका मालिकाना हक़ लिए हुए व्यक्ति अथवा संस्था हैं। वह अब संकट में हैं। ऐसा प्रावधान आपने पिछले 10 वर्षों में निरस्त क्यों नहीं किया? यह सरासर प्रॉपर्टी माफिया नहीं तो क्या हैं?


🚩8. जनसंख्या नियंत्रण कानून। आपने लाल किले से यह घोषणा की थी कि जनसंख्या नियंत्रण कानून को पारित किया जायेगा। हमारे देश के संसाधन सीमित हैं। इसलिए उनके बेहतर प्रयोग और विभाजन के लिए जनसँख्या भी सीमित होनी चाहिए। जब तक यह कानून नहीं बनेगा। तब तक हिन्दुओं के अस्तित्व को सदा के लिए खतरा बना रहेगा। 


🚩9. गौरक्षा कानून। 10 वर्षोंसे आप सत्ता में हैं यह कानून अभी तक नहीं बना हैं। हिन्दुओं की पूज्य गौ माता को आप कब तक कसाइयों से कटते देखते रहेंगे? 


🚩10. पाठयक्रम का भारतीयकरण। हमारा पाठयक्रम पूर्ण रूप से विदेशी हैं। इसके भारतीयकरण की आवश्यकता हैं। 10 वर्ष बहुत समय होता हैं। आप इसका भारतीयकरण नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां देशभक्त और धार्मिक नहीं बनेगी। 


🚩11. राम मंदिर ट्रस्ट के अंतर्गत राम मंदिर बन रहा हैं। जिसका उदघाटन 2024 में होगा। मंदिर निर्माण में 1000 करोड़ रुपया लगना था। हिन्दुओं ने दिल खोलकर 4000 करोड़ रुपया दान किया। राम मंदिर ट्रस्ट के श्री चम्पत राय जी का कहना है कि मंदिर इतना मजबूत बनाया जा रहा हैं कि अगले 1000 वर्ष तक यह नहीं टूटेगा। आपने मंदिर की सुरक्षा पर ध्यान दिया हैं परन्तु यह मंदिर दोबारा से मस्जिद न बनें। उसके लिए क्या तैयारी हैं? हिन्दू समाज के अभिन्न सदस्य विभिन्न कारणों से दिनों दिन विधर्मी बन रहे हैं। उनकी घर वापसी या परावर्तन या शुद्धि के लिए हमारा क्या प्रयास हैं? 3000 करोड़ की बैंक में रखी राशि और भविष्य में राम मंदिर पर चढ़ने वाले दान से वृहद् स्तर पर योजना बनाकर हिन्दुओं की घर वापसी करवाई जाये। निर्धन हिन्दुओं को कला कौशल और शिक्षा देकर सबल बनाया जाएँ। तभी तक यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में भी राम मंदिर कभी मस्जिद नहीं बनेगा अन्यथा गैर हिन्दुओं की जनसँख्या बढ़ने और उनका शासन आने पर सबसे पहले मंदिर को मस्जिद में बदल दिया जायेगा। भविष्य में गैर बीजेपी सरकार आते ही राम मंदिर का अधिग्रहण कर इस दान से प्राप्त धन को मस्जिदों और चर्चों को अनुदान में बाँट देगी। इसे रोकने का क्या प्रावधान हैं?


🚩12. समान नागरिकता संहिता कब लागू होगी?

हिंदुओं को दूसरों के समान संवैधानिक अधिकार दिलाने की लड़ाई जरूरी है। इसमें दूसरे का कुछ नहीं छिनेगा। केवल हिंदुओं को भी वह मिलेगा, जो मुसलमानों, ईसाइयों को हासिल है। “संविधान दिवस” मनाने की अपील तो ठीक है, लेकिन यह समझा जाना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 को देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू करना आवश्यक है। यह न केवल संविधान की मूल भावना के अनुरूप, बल्कि सहज न्याय है। हिंदुओं के हित की कुंजी अन्य धर्मावलंबियों जैसे समान अधिकार में है। स्वतंत्र भारत में हिंदू समाज का मान-सम्मान, क्षेत्र संकुचित होता गया है और यह प्रक्रिया चालू है।


🚩हम आशा करते हैं कि आप इन जवलंत मुद्दों पर ध्यान देकर उन्हें अतिशीघ्र कार्यान्वित करेंगे।


🚩धन्यवाद 

आपको वोट देने वाले राष्ट्रहितैषी हिन्दू।


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Thursday, December 7, 2023

मीडिया ने इस खबर को दिखाया ??? मस्जिद में मासूम बच्ची से बलात्कार, खून से लथपथ पहुँची घर

08 December 2023

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🚩जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर साजिस के तहत झूठा आरोप भी लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया इस तरह खबर चलाती है कि जैसे न्यायालय में अपराध सिद्ध हो गया हो, सेक्युलर भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करने लगते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है अनेक झूठी कहानियां बन जाती है। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन से हिन्दू साधु-संत पर कौन सा इल्जाम लगने वाला है? और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलाना है? क्या लगता है यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा?


🚩वहीं दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं।कोई मीडिया दिखाती है तो थोड़ी बहुत दिखाकर चुप हो जाते है और कुछ मीडिया तो मौलवी अथवा पादरी रेप करता है तो उसकी जगह हिंदू साधु संत का कार्टून बनाया जाता हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।


🚩मौलवी ने किया मासूम बच्ची का बलात्कार


🚩उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक मस्जिद में 11 साल की बच्ची के साथ बलात्कार के आरोप में पुलिस ने मौलवी मुंतजिर आलम को गिरफ्तार किया है। 30 साल का आलम मस्जिद में बच्चों को उर्दू की तालीम देता था। घटना कुरारा थाना क्षेत्र की है।


🚩हमीरपुर सदर के सीओ राजेश कमल ने बताया है कि बुधवार (29 नवंबर 2023) को एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार की घटना सामने आई थी। कुरारा पुलिस ने उपयुक्त धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। उससे पूछताछ की जा रही है। प्रभारी निरीक्षक श्रीप्रकाश यादव के मुताबिक आरोपित मौलाना पर बलात्कार के साथ ही पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।


🚩पीड़ित बच्ची के चाचा ने इस संबंध में कुरारा थाने में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के मुताबिक बुधवार सुबह 7 बजे 11 साल की बच्ची अपने छोटे भाई के साथ घर से मस्जिद में ऊर्दू पढ़ने के लिए गई थी। जब बच्ची मस्जिद में पढ़ने के लिए पहुँची तो आरोपित मौलाना ने बच्ची के भाई को टॉफी देकर बाहर पढ़ने बैठा दिया। इसके बाद मौलवी बच्ची को मस्जिद में बने एक कमरे के अंदर ले गया। वहाँ जाते ही मौलवी ने दरवाजा बंद कर बच्ची के साथ दरिंदगी की।


🚩बच्ची के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुन मस्जिद में पढ़ने आए अन्य बच्चों ने बाहर से दरवाजा पीटना शुरू किया। उसके बाद आरोपित मौलवी ने बच्ची को छोड़ा। पीड़ित बच्ची खून से लथपथ होकर घर पहुँची तो परिवार वालों के होश उड़ गए। उसने अपनी माँ को खुद के साथ हुई दरिंदगी के बारे में बताया। इसके बाद परिवार थाने पहुँचा।


🚩जानकारी के मुताबिक आरोपित मौलवी मुंतजिर आलम बिहार के पूर्णिया जिले के कोचगढ़ का रहने वाला है। वह करीब 4-5 साल पहले हमीरपुर आया था। मुस्लिम समाज की रजामंदी से उसे मस्जिद में समाज के बच्चों को ऊर्दू पढ़ाने के लिए रखा गया था।


🚩आपको बता दे की इससे विपरीत रेप की झूठी खबर किसी भी हिन्दू धर्म गुरु से जुड़ी होती तो मीडिया में इतनी खबरें दिखाई जाती कि भारत के अलावा अन्य देशों में भी पता चल जाता । मौलवियों के ऐसा एक मामला सामने नहीं आया है ऐसे तो सैंकड़ो मामले हैं । इसी तरह चर्च के ईसाई पादरियों के खिलाफ भी अनेक दुष्कर्म के मामले समय-समय पर सामने आए हैं पर इस पर मीडिया नहीं दिखाती है। क्या मीडिया को पवित्र हिन्द साधु-संतों को बदनाम करने और ईसाई पादरियों एवं मौलवियों के दुष्कर्म की खबर छुपाने के लिए फंडिग मिलती होगी?


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Wednesday, December 6, 2023

डॉ.अम्बेडकर ने दलित-मुस्लिम एकता के बारे में क्या कहा था ?

7 December 2023

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🚩आज बड़ी संख्या में दलित चिंतक हो गए हैं जिन्हें न तो दलित संस्कृति के बारे में जानकारी है न ही उनकी परंपरा का ज्ञान, एक मेधावी चिंतक विचारक महाराष्ट्र में डॉ भीमराव रामजी पैदा हुए वे इतने मेधावी थे कि उनके गुरु ने अपना गोत्र नाम दे दिया वे डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर हो गए ।इतने प्रतिभा संपन्न थे कि उनकी शिक्षा लन्दन में हो, बड़ोदरा राजा ने उन्हें क्षात्रवृति दिया और वे अपने गुरु के आशीर्वाद और वड़ोदरा राज़ की सहायता से भारत ही नहीं विश्व के ख्याति नाम चिंतक हो गए, वे विचारक थे भारत के दबे कुचले समाज के बारे में करुणा थी, उन्होंने कहा कि वैदिक काल में छुवा -छूत, भेद -भाव नहीं था ये इस्लामिक काल की देंन है, फिर क्या था वे बढ़ते गए संत कबीर के तरफ,

वे बढ़ते गए संत रविदास की ओर, वे बढ़ते गए एतरेय ब्रह्मण के प्रवक्ता महिदास एतरेय की ओर , वे बढ़ते गए महर्षि बाल्मीकि की ओर, वे बढ़ते गए वैदिक ऋषि मामतेय दीर्घतमा, वैदिक ऋषि कवष ऐलूष की ओर, उनके अंदर हीन भावना  छू तक नहीं गयी थी ।


🚩डॉ. अम्बेडकर ने कहा “हम मुसलमानों के साथ नहीं जा सकते क्योंकि मुसलमानों का भाई चारा केवल मुसलमानों के लिए है न की अन्य समाज के लिए” वे हमारे सीधे- साधे समाज को निगल जायेंगे हमारी परंपरा संस्कृति समाप्त हो जाएगी, हमारे वैदिक वांग्मय में छुवा छूत, भेद-भाव नहीं था ये इस्लामिक काल की देंन है हम इसी समाज में रहकर इसे दूर करेंगे उन्होंने कहा वेदों में जिन शुद्र का वर्णन है वे आज के शुद्र नहीं आज के शुद्र इस्लाम की देन है, भारतीय दर्शन की ही देन है कि दलित समाज में जाग्रति आयी है वे चौतरफा उन्नति कर रहे हैं वे उन सभी सुख सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं जिसे तथा कथित सवर्ण समाज कर रहा है हिन्दू समाज में भेद- भाव लगभग समाप्त सा हो गया है हाँ अभी गांव इससे उबर नहीं पा रहे हैं लेकिन उन्होंने राह पकड़ ली है हाँ कुछ राजनैतिक दल इसमे वाधा आज भी बने हुए हैं जिन्होंने 60-65 वर्षों तक शासन किया है वे इसके लिए जिम्मेदार हैं, जो दलितों के बारे में अधिक सहानुभूति दिखाते हैं जैसे वामपंथी दल और कोंग्रेस आदि जो केवल बोलते है इनके लिए कुछ करते नहीं, क्या इन लोगो ने दलितों की उन्नति और विकास के लिए कुछ किया तो इसका उत्तर एक ही है कि कुछ भी नहीं–? कहीं दलित मुस्लिम एकता के नाम पर इन्हे देश विरोधी ताकतों के साथ जोड़ने का प्रयास तो नहीं ! भारत तेरे टुकड़े होंगे “इंशा अल्ला- इंशा अल्ला” का नारा लगाने वाले इस्लामवादी और वामपंथी दलित मुद्दों को हाईजैक कर कुछ दूसरा ही जामा पहनाने का प्रयत्न कर रहे हैं कई अतिवादी संगठन दलितों को हिन्दूवाद से बचाने के नाम पर भारत के खिलाफ जंग को भी न्यायसंगत बताने लगे हैं, इसी तरह ‘चर्च तत्व’ दलितों के खिलाफ होने वाले भेद-भाव के नाम पर भारत पर प्रतिबन्ध लगाने की पश्चिमी देशों मे मांग करते हैं इनसे सावधान रहने और इन्हे पहचानने की जरूरत है।


🚩इसके उलटा जिसे दलित विरोधी सिद्ध किया जा रहा है (आरएसएस) इन्ही दलित, जन जातियों के बीच एक लाख से अधिक सेवा कार्य करता है जिसमे शिक्षा, संस्कार और स्वस्थ द्वारा उनके उन्नति व बराबरी का मार्ग प्रसस्त होता दिख रहा है, इस कारण केवल भाषण नहीं तो व्यवहार के द्वारा होना चाहिए, जहां देश के विकाश मे दलितों की सहभागिता है वहीं समाज मे समरसता हेतु लंबे संघर्ष का इतिहास भी है, आखिर वैदिक ऋषि दीर्घतमा, कवश एलुष, महर्षि वाल्मीकि, महिदास एतरेय, संत रविदास, संत कबीर दास और डा अंबेडकर, बाबु जगजीवन राम ने संघर्ष कर समाज मे उच्च स्थान प्राप्त किया उसका सिद्धान्त क्या था ? क्या ये इस्लाम मे हो सकता था या ईसाईयत मे संभव है तो नहीं —–!

 

🚩“एकंसदविप्रा बहुधावदन्ती”


🚩यह ऋग्वेद का मंत्र है जिसमे बहुदेव उपासना एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर को समर्पित होती है यहाँ भगवान ने हमे एक समान आगे बढ़ने प्रगति करने शास्त्रार्थ करने का अवसर दे लोकमत का भाव पैदा किया, देवता बहुत हो सकते हैं उसकी शक्तियाँ विविध हो सकती हैं किन्तु वे एक ही परमशक्ति के अधीन है यही एकम है, इसी को भगवान कृष्ण ने गीता मे कहा तुम किसी प्रकार से किसी की पूजा करते हो वह हमे प्राप्त होता है, इसी आधार पर हिन्दू धर्म मे मत, पंथ, संप्रदाय, दर्शन तथा विचार विकसित हुए, वे सभी इसी ऋग्वेद, गीता से प्रेरित हैं, मौलिक सिद्धान्त “एक विराट पुरुष” की संकल्पना जो सदैव जोड़ने तथा गंगाजी के समान शुद्ध रहने की प्रक्रिया, इसी कड़ी को हमारे चिंतकों ने आगे बढ़ाते हुए कहा –

सर्वेभवन्तु सुखिना सर्वेसन्तु नीरामया।

सर्वेभद्राणी पश्यंतु माकश्चित दुख भागभवेत॥


🚩महर्षि दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि यह कोई कामना नहीं है वरन ईश्वर का निर्देश है कि सबसे सुखी वही व्यक्ति होगा जो अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों को सुखी देखने मे लगा देता है, यही हिन्दू धर्म की सर्वमान्य, सर्व कल्याणकारी भावना है इसी का अनेक प्रकार से भारत के सभी दर्शन व सभी धार्मिक ग्रन्थों मे प्रतिपादित किया गया है।

http://www.dirghtama.in/2016/09/blog-post.html?m=1


🚩गीता मे भगवान कहते हैं –

“ते प्राप्नुवंति मामेव सर्वभूतहिते रताः” ॥ (गीता 12-4)

अर्थात “सभी की भलाई मे जो रत हैं वे मुझको ही प्राप्त होते हैं”, इसी भाव को वेदब्यास ने भी अपने शब्दों मे व्यक्त किया है “परोपकारा पुण्याय पापाय परपीडनम” दूसरों पर उपकार करना ही पुण्य तथा दूसरे को दुख देना ही पाप है, स्वामी विवेकानंद कहते हैं सब जग सुखी रहे ऐसी दृढ़ इच्छा शक्ति रखने से हम सुखी होते हैं, गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं “परहित सरिस धर्म नहिं भाई”, यही हिन्दू धर्म है इससे विकसित स्वरूप को हिन्दू संस्कृति कहते हैं।


🚩कहीं कोई भेद नहिं –

ईशा वास्यमिद सर्व यत्किंचित जगत्यान जगत।

तेन तक्तेन भूञ्जिथामा गृधह कस्य स्विद्धनम ॥


🚩अर्थात सम्पूर्ण जगत मे ईश्वर व्याप्त है ईश्वर को साथ रखते हुए त्याग पूर्ण इसका उपयोग करो इसमे आसक्त मत होवों भारतीय दर्शन के इस मंत्र की प्रथम पंक्ति ने ही मानवीय समाज रचना के ताने-बाने की आधार शिला रख दी। ऋषि यज्ञवल्क्य इसी विचार को “एष त आत्मा सर्वातरा” (बृहदारण्यकों उपनिषद 3-4-2) अर्थात जो आत्मा मेरे अंदर है वही सभी के अंदर है “सम सर्वेषु तिश्ठंत परमेश्वरम” (गीता 13-27) अर्थात सभी के अंदर ईश्वर संभव से विराजमान है इसी सत्य को बारंबार ग्रन्थों मे ऋषियों ने कहा है ।

“ते अज्येष्ठा अकनिष्ठास उद्भिदों मध्यमासों महसा वि वावृधु”॥ (ऋग्वेद 5-59-6)


🚩अर्थात पृथ्वी पुत्रों मे उनमे -हममे कोई श्रेष्ठ नहीं कोई कनिष्ठ नहीं वे हम समान हैं मिलकर अपनी अपनी उन्नति करते हैं एक कदम और आगे चलकर ऋषि कहते हैं हम सभी भाई रूप मे एक दूसरे को आगे बढ़ाते हैं, इसी मानवता व स्वतन्त्र विचार को लेकर आदि काल से हिन्दू समाज को बिना किसी विकृति के आगे बढ़ता रहा और बीच के काल मे जब बौद्ध विचार बढा तो सभी ग्रन्थों का लोप प्राय हो गया प्रतिकृया मे ऋषि विचार को भ्रमित करने का प्रयास किया गया परिणाम देश गुलामी के आगोश मे आ गया, इस्लामिक काल मे जो धर्म रक्षक थे उन्हे ही पद्दलित करने का प्रयास किया गया।

एकता की विचित्र बातें


🚩“दलित मुस्लिम भाई-भाई हिन्दू जाती कहाँ से आयी”- “इस्लाम जिंदावाद, अंबेडकर जिंदवाद” के पोस्टर लगाने वाले संगठन क्या इस्लाम और मुस्लिम राजनीति को लेकर अंबेडकर की लेखनी पर अपना विचार स्पष्ट करेंगे–! अगर दलित संगठन यह मानते हैं कि अंबेडकर द्वारा दिखाये गए “धम्म मार्ग” भारत के लिए उचित है तो वे कभी इसे लेकर मुस्लिम समाज मे क्यों नहीं गए ? अंबेडकर ने स्पष्ट लिखा है कि इस्लाम ने ही भारत वर्ष से “बौद्ध धर्म” का सम्पूर्ण विनाश किया था मध्य काल मे इस्लामी हमलों ने बड़े पैमाने पर “बौद्ध मठों” और “विहारों” का विध्वंश किया और बौद्ध जनता का जबरन धर्मांतरण भी, क्या उनकी ओर से यह बताया जायेगा कि भारत के विभाजन पर अंबेडकर, सरकार और आरएसएस के विचारों मे कितना अंतर है—–?


🚩दरअसल दलित-मुस्लिम एकता की पुरी राजनीति ही अंबेडकर के “प्रबुद्ध भारत” की कल्पना के विरुद्ध है इसमे विदेशी और चर्च का षडयंत्र दिखाई देता है, ऐसे विचार डॉ अंबेडकर के विचारों का हनन भी है, क्या किसी पठान, शेख और सैयद के दरवाजे पर कोई छोटी जाती का मुसलमान बैठने को पाता है–! शिया को सुन्नी की मस्जिद मे जाने नहीं देता, तो बहाई को किसी शिया मस्जिद मे, इतना ही नहीं किसी भी पठान की मस्जिद मे कोई जुलाहा, धुनिया व अन्य मुसलमान जा सकता है क्या-? गया के अंदर एक ह्वाइट हाउस मस्जिद है जहां जो भूमिहार से मुसलमान हुए हैं वही जा सकते हैं, यह केवल ऊपर से दिखाई देने वाली बात है आज असली मुसलमान होने का युद्ध जारी है सभी असली खलीफा बनने के लिए आतंकवाद मे विश्व को झोकने को तैयार हैं वे दलितों के साथ क्या न्याय करेंगे-?


🚩क्या दलित मुस्लिम एकता संभव है?


🚩वास्तविकता यह है की ये दलित नहीं ये तो धर्म रक्षकों की संताने हैं यही बात बार-बार डा आबेड़कर ने कही है क्या उसे नजरंदाज किया जा सकता है–! कहीं ऐसा तो नहीं– “एक बार महात्मा गांधी ने अली वंधुओं से पूछा की हिन्दू मुस्लिम एकता कैसे हो सकती है तो आली वंधुओं ने उत्तर दिया जिस दिन सभी हिन्दू इस्लाम स्वीकार कर लेंगे उसी दिन हिन्दू मुस्लिम एकता हो जाएगी”, ये सेकुलर प्रतिकृया वादी नेता कहीं दलित-मुस्लिम एकता के नाम पर उन्हे अपने पूर्वजों व अपनी संस्कृति से दूर तो नहीं करने चाहते, इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है, आज नए-नए दलित चिंतक पैदा हो गए हैं जिनहे अपनी संस्कृति का ज्ञान नहीं है वे केवल प्रतिकृया मे हैं आज भूमंडलीकरण के दौर मे वह अपने मानवीय सम्मान के प्रति सजग और सचेत है किसी भी जातीय श्रेष्ठता को अस्वीकार करता है मध्यम मार्ग पर चलकर सभी मे मानवीय (हिन्दुत्व) संवेदना का आलंगन करने को आतुर है।


🚩धर्म रक्षकों की सन्तानें-


🚩हम सभी को ज्ञान होना चाहिए कि वैदिक कल मे ही नहीं बल्कि महाभारत काल मे ये जातियाँ नहीं थी उन शास्त्रों मे वंश का वर्णन मिलता है इस्लामिक हमले मे जो जातियाँ धर्म रक्षक थी वही काल के गाल मे समा गईं मंदिरों की रक्षा व पूजा का भार क्षत्रियों व पुरोहितों का था वे पराजित हुए उन्हे या तो “इस्लाम स्वीकार करो या मैला उठाओ” उन्होने धर्म बचाया वे मुस्लिम दरबार मे काम करते थे लेकिन उनका छुवा पानी भी नहीं पीते थे धीरे-धीरे वे अछूत हो गए उनका मान भंग हुआ भंगी कहलाए, संत रविदास “चमरशेन वंश” के राज़ा थे स्वामी रामानन्द के शिष्य सन्यासी थे दिल्ली शासक सिकंदर लोदी से संघर्ष मे पराजित लेकिन भारत मे सर्वमान्य साधू सर्वाधिक शिष्य थे इनके पास, सिकंदर लोदी ने सदन कसाई को रविदास के पास मुसलमान बनाने हेतु भेजा वे इस्लाम नहीं स्वीकार करने की सज़ा चांडाल घोषित उनके शिष्यों ने भी स्वयं को चांडाल घोषित कर लिया “चांडाल” का अपभ्रंश “चमार” हो गया धीरे-धीरे वे अछूत हो गए लेकिन धर्म नहीं छोड़ा, बिहार मे पासवान जाती के लोग हैं वे गहलोत क्षत्रिय हैं गयाजी के “विष्णुपाद मंदिर” की सुरक्षा हेतु ‘राणा लाखा’ के नेतृत्व मे आए थे यहीं बस गए मुसलमानों से सुरक्षित हेतु ‘सुअर’ पालना शुरू कर दिया लड़की की विदाई के समय मुगलों के डर डोली मे छौना रखते वे धीरे धीरे पददलित हो गए और गहलौत से वे ‘दुसाद’ कहलाए, अछूत होना स्वीकार किया धर्म नहीं छोड़ा, वैदिक काल मे ऋषि दीर्घतमा, कवष एलुष, एतरेय महिदास आगे आए तो जहां त्रेतायुग (रामायण काल) मे महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखकर हिंदुधर्म की रक्षा की, वहीं द्वापर- कलयुग के संधि काल (महाभारत काल) मे वेदव्यास ने महाभारत एवं पुराणों को लिख धर्म की रक्षा की, इसी परंपरा की रक्षा करते हुए संत रविदास तथा संत कबीरदास समाज को जागृत कर खड़ा किया।


🚩स्वामी दयानन्द सरस्वती की राह को आसान करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक विकृतियों को दूर करते देश के राष्ट्रिय चरित्र को उजागर किया, उन्होने कहा ”मै ईसाई और इस्लाम मत नहीं स्वीकार करुगा नहीं तो हमारी निष्ठा भारत के प्रति न होकर मक्का, मदीना और योरूशलम हो जाएगी इस कारण मै अपने भारतीय धर्म को स्वीकार करता हूँ”, दलित मुस्लिम एकता की बात करने वालों को सबसे अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम को पढ़ना समझना चाहिए, “बंगाल मे एक दलित नेता हो गये योगेंद्र नाथ मण्डल जिन्हे डॉ अंबेडकर की वह बात समझ मे नहीं आई जिसमे उन्होने कहा था कि मुसलमानों का भाई चारा केवल आपस यानि मुसलमानों के लिए ही है न कि अन्य समाज के लिए, प्रतिक्रीया मे उन्होने (योगेंद्र मण्डल) ने दलित मुस्लिम एकता कि बात कि और बहुत सारे दलित पिछडी जतियों के लोगो को पाकिस्तान मे रहने का आवाहन किया परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या मे (25%) आज के बंगलादेश मे रह गये उन्होने इस्लाम कि प्रकृति को नहीं समझा जिन्ना ने उन्हे पाकिस्तान का प्रथम कानून मंत्री होने का सौभाग्य प्रदान किया पाकिस्तान बनाते ही परिणाम क्या हुआ-? दलित पिछड़े गरीब हिंदुओं पर हमले शुरू हो गया उनकी बहन- बेटियाँ उठाई जाने लगीं ‘योगेंद्र मण्डल’ चिल्लाते रहे कोई सुनने वाला नहीं उनके कारण आज भी विश्व का सबसे दुखी मनुष्य बंगलादेशी हिन्दू है आखिर क्या हुआ-? योगेंद्र मण्डल का तीन वर्ष भी वे पाकिस्तान मे टिक नहीं पाये उन्होने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री “लियाकत अली” को एक बहुत भाउक पत्र लिखा और प बंगाल के एक गाँव मे जीवन भर पश्चाताप हेतु अनाम जिंदगी बिताई, लेकिन उनके कारण आज लाखों दलित हिन्दू बंगलादेश मे अपनी बहन- बेटियों की इज्जत और जिंदगी बचाने की भीख मांग रहा है”, इस विषय पर दलित चिंतकों को विचार करना चाहिए कि ये दीर्घतमा, कवष एलुष, वाल्मीकि, संत रविदास, संत कबीरदास, भीमराव अंबेडकर और बाबू जगजीवन राम की सन्तानें है जो अपने पूर्वजों को कलंकित नहीं होने देंगे, देश के तोड़क नहीं रक्षक साबित होंगे ॥


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