Thursday, July 4, 2024
शपथ के लिए खालिस्तानी अमृतपाल और अब्दुल राशिद को पैरोल, संत 12 साल से जेल में
शपथ के लिए खालिस्तानी अमृतपाल और अब्दुल राशिद को पैरोल, संत 12 साल से जेल में
5 July 2024
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🚩खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को लोकसभा सांसद पद की शपथ लेने के लिए के लिए पैरोल मिल गई है। वह 5 जुलाई, 2024 को लोकसभा सांसद पद की शपथ लेगा। अमृतपाल को पंजाब के खडूर साहिब से सांसद चुना गया है। उसके पैरोल की जानकारी दूसरे खालिस्तान समर्थक सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने दी है।
🚩बताया गया है कि अमृतपाल सिंह को 4 दिन के लिए पैरोल दी गई है। अभी अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है। इस बात की संभावना है कि उसे डिब्रूगढ़ से सीधे हेलीकॉप्टर के माध्यम से दिल्ली लाया जाएगा, जहाँ उसे सांसद के तौर पर शपथ दिलाई जाएगी। अमृतपाल सिंह की पैरोल को लेकर पंजाब सरकार ने स्पीकर ओम बिरला को आवेदन भेजा था।
🚩अमृतपाल सिंह को UAPA मामले में डिब्रूगढ़ जेल में बंद किया गया है, वह बीते वर्ष से ही यहाँ बंद है। उसके नेतृत्व में मोहाली में एक थाने पर हमला हुआ था, इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उस पर कार्रवाई की थी। उसके कई साथी भी गिरफ्तार किए गए थे।
🚩अमृतपाल सिंह से पहले जम्मू कश्मीर के बारामुला से सांसद चुने गए निर्दलीय अलगाववादी नेता राशिद को भी शपथ लेने की अनुमति मिली थी। इंजीनियर राशिद को भी 5 जुलाई, 2024 को शपथ दिलाई जानी है। उसे के कोर्ट ने 2 घंटे की पैरोल दी है।
🚩2019 से जेल में हैं राशिद
🚩शेख अब्दुल्ल राशिद, साल 2019 से जेल में है, जब एनआईए ने उस पर आतंकी फंडिंग मामले में कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप लगाया था। मौजूदा वक्त में वो तिहाड़ जेल में बंद हैं।
🚩पूर्व विधायक का नाम कश्मीरी बिजनेसमेन जहूर वटाली की जांच के दौरान सामने आया था, जिनको एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को कथित रूप से वित्त पोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
🚩देश को खंड खंड करने की विचारधारा रखने वाले को पैरोल मिल रही है लेकिन भारत का अखंड करने के लिए तन मन धन से प्रयास करने वाले हिंदू संत आशाराम बापू आज भी झूठे केस में जेल में बंद है।
🚩आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व हिंदू संत आसाराम बापू ने किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ों लोगों को व्यसनमुक्त किया, करोड़ो लोगों में सनातन धर्म की लो जगाई, धर्मान्तरण पर रोक लगाई, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य तन मन धन से किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं और उन्हें जमानत हासिल नहीं हो पा रही है।
🚩जनता की मांग है की हिंदू संत आशाराम बापू निर्दोष है, उनको रिहा करना चाहिए।
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Wednesday, July 3, 2024
हिन्दुओं को हिंसक बताने वाले राहुल गाँधी, शिवजी का त्रिशूल अंधकासुर जैसों को गाड़ने के लिए भी है
हिन्दुओं को हिंसक बताने वाले राहुल गाँधी, शिवजी का त्रिशूल अंधकासुर जैसों को गाड़ने के लिए भी है
4 July 2024
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🚩संसद सत्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने एक बार फिर से पूरे हिन्दू समाज को निशाना बनाया है। उन्होंने एक तरह से हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोगों को हिंसक बता दिया। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की इस कारस्तानी ने प्रधानमंत्री ने खुद उठ कर जवाब दिया। हिन्दू धर्म को लेकर राहुल गाँधी की घृणा अब छिपी हुई बात नहीं है। उन्होंने इससे पहले कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं वो लड़कियाँ छेड़ते हैं।
🚩आज उन्हीं राहुल गाँधी ने एक बार फिर से हिन्दू धर्म के प्रति अपनी घृणा का प्रदर्शन करते हुए संसद के नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ा दीं। उन्होंने संपूर्ण हिन्दू समाज को कलंकित करने के लिए भगवान शिव की तस्वीर का भी सहारा लिया। राहुल गाँधी ने आपत्तियों के बावजूद अपने कहे पर माफ़ी नहीं माँगी और इसे सही ठहराने के लिए भाजपा-RSS का नाम लेकर इन्हें भी हिंसक बताने लगे। साथ ही ‘अभय मुद्रा’ का भी मजाक बनाया।
🚩भगवान शिव ने त्रिशूल सिर्फ दिखाने के लिए नहीं रखा है
🚩राहुल गाँधी ने इस दौरान बड़ा झूठ बोला कि भगवान शिव अपने त्रिशूल का इस्तेमाल नहीं करते। जब शिव योग में लीन होते है, साधना में तन्मय होते हैं और ध्यानमग्न होते हैं – तब स्पष्ट है कि वो त्रिशूल का उपयोग नहीं करेंगे और वो एक तरफ रखा रहेगा। लेकिन, जब सृष्टि के लिए खतरा बनने वाले राक्षसों के संहार की बात आती है, तब वो अवश्य ही त्रिशूल का इस्तेमाल करते हैं। महादेव का त्रिशूल तो सृष्टि के प्रादुर्भाव, पोषण और संहार का प्रतीक है, सत्व, राजस और तमोगुण का प्रतीक है, भूत, वर्तमान और भविष्य का, भू, स्वर्ग और पाताल लोक का प्रतीक है।
🚩जिस तरह राहुल गाँधी एक बार झूठ बोलते हैं, फिर कॉन्ग्रेस के सारे नेता इस झूठ को बार-बार दोहराते हैं और प्रोपेगंडा फैलाते हैं, ऐसे में हमें अंधक-असुर की कथा जाननी चाहिए। अंधक-असुर मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा सप्तशती में वर्णित रक्तबीज के समान ही था। अंधकासुर के रक्त की एक बूँद जमीन पर गिरती थी तो उससे एक और अंधकासुर पैदा हो जाता था। तब शिव ने उसके वध के लिए अपने त्रिशूल का उपयोग किया था और उसके रक्त से पैदा होने वाला अंधकासुरों का भक्षण करने के लिए कई मातृकाओं का निर्माण किया – मस्त्य पुराण में ऐसी कथा है।
🚩बहुत कम लोगों को ये पता होगा, लेकिन भगवान शिव ने त्रिशूल से भी अधिक अपने धनुष का उपयोग किया है। जब संपूर्ण सृष्टि पर त्रिपुरासुर नामक राक्षस कहर बरपा रहा था, तब महादेव ने धनुष से पशुपति-अस्त्र संधान कर उसका वध किया था। शिव के धनुष का नाम ‘पिनाक’ है, इसीलिए उन्हें ‘पिनाकी’ भी कहा गया। जब राक्षसों का आतंक होता है, तब युद्ध आवश्यक हो जाता है। बिना युद्ध के वो लोग शांत नहीं होते, जो राक्षस प्रवृत्ति के हैं।
🚩और सिर्फ भगवान शिव ही क्यों, हनुमान जी के पास गदा है, श्रीहरि के पास सुदर्शन चक्र है, देवराज इंद्र के पास वज्र है, श्रीराम के पास धनुष है, माँ दुर्गा के पास तो सारे अस्त्र-शस्त्र हैं। शास्त्र की रक्षा भी तभी हो पाती है, जब आपके पास शस्त्र हों। वन में ऋषि-मुनियों की यज्ञ-तपस्या में विघ्न डालने वाले राक्षसों के सफाए के लिए विश्वामित्र श्रीराम को लेकर गए थे। पुण्यात्माओं की रक्षा के लिए शस्त्रधारियों का अस्तित्व आवश्यक है। शिव का त्रिशूल उनके बदल में नहीं रहेगा तो उनकी साधना में विघ्न डालने वाले भी वहाँ पहुँच जाएँगे।
🚩हिंसा-हिंसा-हिंसा… फिर हिन्दू धर्म की गलत व्याख्या कर रहे राहुल गाँधी
🚩राहुल गाँधी कहते है कि हिंसा हिन्दुओं का स्वभाव है। दूसरी बात वो ये कहते हैं कि हिन्दू धर्म में हिंसा के लिए मना किया गया है। वो दोनों ही मामलों में गलत हैं। हिन्दू धर्म में नियम-कानून तभी हैं, जब सामने वाला भी उन पर चल रहा हो। अब जो सीमा पर हमारे जवान खड़े हैं, उन पर पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी होगी तो हम अपने जवानों को अहिंसा का सन्देश नहीं देंगे। आतंकी गोलीबारी करते हुए घुसपैठ करेंगे तो उन्हें रोकने के लिए सेना को शस्त्र का इस्तेमाल करना होगा।
🚩ये देश तभी सुरक्षित है, जब 50 लाख से भी अधिक भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के जवान अपने हाथों में शस्त्र लेकर तैनात हैं। तभी राहुल गाँधी भी बकैती कर पा रहे हैं और अहिंसा का सन्देश दे रहे हैं। जब किसी द्रौपदी को भरी सभा में अपमानित किया जाता है, तब महाभारत होता है। जब किसी सीता का बलात् अपहरण होता है, तब राम-रावण युद्ध होता है, जब पाकिस्तान घुसपैठ करता है तब कारगिल होता है, जब नक्सली नरसंहार करते हैं तब सुरक्षा बलों को लगाया जाता है।
🚩यही हिन्दू धर्म है, अहिंसा के पालन के लिए आपको हिंसा के छत्र की ज़रूरत होती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को ही ले लीजिए, क्या आप सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह या फिर चंद्रशेखर आज़ाद को हिंसक कहेंगे? कतई नहीं। क्या आप भारतीय सेना के जवानों को हिंसक कहेंगे? नहीं ना। क्या आप राम-कृष्ण को हिंसक कहेंगे – बिलकुल नहीं। राहुल गाँधी तो सिर्फ इन्हें ही नहीं, बल्कि संपूर्ण हिन्दू समाज को हिंसक बता रहे हैं। हिन्दू धर्म से उनकी कैसी घृणा है?
🚩ये वही कॉन्ग्रेस है, जिसने UPA काल में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दिया था कि श्रीराम काल्पनिक हैं। राहुल गाँधी ने इसी तरह लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार अभियान के दौरान माँ दुर्गा का अपमान किया था। उन्होंने ‘शक्ति का विनाश करने’ की बात की थी। यही सपना महिषासुर, चण्ड-मुण्ड और रक्तबीज ने भी देखा था। 2022 में राहुल गाँधी को तमिलनाडु में एक पादरी से ज्ञान लेते हुए भी देखा गया था, जिसमें उसने शक्ति सहित अन्य हिन्दू देवी-देवताओं को नकारते हुए जीसस क्राइस्ट को एकमात्र भगवान बताया था।
🚩राहुल गाँधी के सोशल मीडिया हैंडलों से जब भी किसी हिन्दू पर्व-त्योहार की शुभकामना दी जाती है तो किसी भी देवी-देवता की तस्वीर नहीं लगाई जाती है। जैसे, रामनवमी पर तीर-धनुष और जन्माष्टमी पर बाँसुरी की तस्वीर डाल कर इतिश्री कर ली जाती है। आखिर इस घृणा का कारण क्या है? इतनी घृणा है तो वो चुनाव के समय मंदिरों का दौरा क्यों करते हैं? कॉन्ग्रेस की साथी पार्टी DMK के उदयनिधि स्टालिन कहते हैं कि सनातन धर्म डेंगू-मलेरिया है, इसे खत्म करना होगा। सोचिए, इस तरह के लोग केंद्र की सत्ता में आ जाएँगे तो क्या होगा।
🚩हिन्दू धर्म कट्टर नहीं है, ‘अभय मुद्रा’ के लिए शस्त्र आवश्यक है
राहुल गाँधी को ये समझना चाहिए कि हिन्दू धर्म में अहिंसा या हिंसा का कोई कट्टर सिद्धांत नहीं है। रामायण में कथा है कि कैसे जब श्रीराम भी 3 दिन तक समुद्र से अनुनय-विनय कर रास्ता माँगते रहे लेकिन वो टस से मस नहीं हुआ। फिर उन्होंने धनुष पर बाण का संधान किया और इस तरह समुद्र तुरंत त्राहि-त्राहि कर प्रकट हुआ। आपके पास शक्ति नहीं है, शस्त्र नहीं है तो आप पुण्यकारी कार्यों में भी असमर्थ होंगे। ”राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की इन पंक्तियों को देखिए:
सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की।
सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है।
🚩यानी, आपके अहिंसा वाले सिद्धांतों को कोई नहीं पूछेगा अगर उसके पीछे कोई शक्ति न हो, आपने अनुनय-विनय पर कोई नहीं पसीजेगा अगर आपमें जीत की शक्ति न हो। खासकर सामने राक्षस प्रवृत्ति के लोग हों तो ये सब मायने नहीं रखता। हम हिन्दुओं का प्राचीनतम ग्रन्थ ऋग्वेद है। उसमें भी मारुतों से प्रार्थना की गई है कि वो यज्ञ में बाधा बनने वाले राक्षसों को पीस डाले, इंद्र से निवेदन किया गया है कि वो वज्र से राक्षसों को नष्ट करें। क्या राहुल गाँधी अब ऋग्वेद का भी पुनर्लेखन कराएँगे वामपंथी इतिहासकारों द्वारा? आइए, राहुल गाँधी को उदाहरण भी दे देते हैं:
🚩ए॒त उ॒ त्ये प॑तयन्ति॒ श्वया॑तव॒ इन्द्रं॑ दिप्सन्ति दि॒प्सवोऽदा॑भ्यम् ।
शिशी॑ते श॒क्रः पिशु॑नेभ्यो व॒धं नू॒नं सृ॑जद॒शनिं॑ यातु॒मद्भ्य॑: ॥ (ऋग्वेद 7.104.20)
इसका अर्थ है – “जो राक्षस कुत्तों के समान झपटते हैं एवं जो अहिंसनीय इंद्र की हिंसा करना चाहते हैं, इंद्र उन कपटियों को मारने के लिए अपना वज्र तेज करते हैं। इंद्र उन राक्षसों के ऊपर अपना वज्र शीघ्र फेंकें।” यानी, ऋग्वेद भी सन्देश देता है कि न्यायशील जनों की रक्षा के लिए वज्र आवश्यक है। ऋग्वेद ‘र॒क्षस॒: सं पि॑नष्टन‘ का संदेश देता है, यानी राक्षसों के सर्वनाश का। अतः, राहुल गाँधी को समझना चाहिए कि त्रिशूल सिर्फ जमीन में गाड़ने के लिए नहीं है, अंधकासुर जैसों के वध के लिए भी है। लेखक:
अनुपम कुमार सिंह
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Tuesday, July 2, 2024
इन्दौर में 30+ मुस्लिम गौ मूत्र से स्नान कर मंदिर पहुँचे, हवन कर बन गए हिंदू
इन्दौर में 30+ मुस्लिम गौ मूत्र से स्नान कर मंदिर पहुँचे, हवन कर बन गए हिंदू
3 July 2024
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🚩ये बिल्कुल सत्य है कि सनातन धर्म आज के दिन विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो बिना प्रचार प्रसार के ही फैल रहा है, जिसे विश्व के लोग प्रेम से अपना रहे है।
🚩हिन्दू धर्म को अपनाने का मुख्य कारण है इसका वैदिक ज्ञान जो “वसुधैव कुटुम्बकम्”, “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की बात करता है, इसके धर्मग्रंथों यथा वेद और श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान जो निष्काम कर्म और आत्मा परमात्मा का ज्ञान प्रदान करता है, इसकी परंपराएं जो वैज्ञानिक सिद्ध हो चुकी है।
🚩डॉ. एनी बेसेन्ट ने कहा था कि उन्होंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बडे धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है।
🚩आपको बता दे कि मध्य प्रदेश के इंदौर में 30 लोगों ने इस्लाम छोड़ सनातन में घर वापसी कर ली। इन्होने इसी के साथ अपने इस्लामी नाम छोड़ कर हिन्दू नाम अपना लिए हैं। इनकी हिन्दू धर्म में घर वापसी के लिए विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इन सभी ने कानूनी रूप से भी धर्म छोड़ने का आवेदन दे दिया है।
🚩घर वापसी के अनुष्ठान का यह आयोजन इंदौर के खजराना मंदिर में किया गया। यहाँ यज्ञ भी किया गया। इसमें हिन्दू धर्म में प्रवेश करने वाले सभी लोग शामिल हुए। इससे पहले इन्हें गंगाजल-गोमूत्र समेत देश की 10 विभिन्न नदियों से जल से स्नान भी करवाया गया।
🚩हिन्दू धर्म में घर वापसी करने वालों में कई महिलाएँ भी शामिल हैं। इन लोगों ने अपने धर्म परिवर्तन को कानूनी रूप देने के लिए भी इंदौर के कलेक्टर को आवेदन दिया है। इससे आगे पहचान पत्रों में भी इनकी पहचान बदली जा सकेगी। हिन्दू धर्म में घर वापसी करने वालों ने नाम भी बदले हैं।
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🚩घर वापसी करने वालों में निलोफर शेख से निकिता, अख्शा शेख से आकांक्षा, रज्जाक से रोहित, अबरार से अभिषेक, मुबारिक से मनीष और रुकैय्या से रुकमनी समेत सभी लोगों ने अपने नाम बदले हैं। इनकी घर वापसी विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं की संरक्षा में हुई है। इन्होंने कहा है कि सनातन से श्रेष्ठ कुछ नहीं है।
🚩विश्व हिन्दू परिषद के मालवा प्रांत प्रमुख संतोष शर्मा ने इस विषय में ऑपइंडिया को बताया, “यह सभी लोग स्वेच्छा से हिन्दू धर्म में घर वापसी कर रहे हैं। इन लोगों ने हमसे कुछ समय पहले हिन्दू धर्म में शामिल होने के लिए सम्पर्क साधा था। इसके बाद इनके लिए इंतजाम करवाए गए। यह सभी जन्म से ही मुस्लिम थे और अब हिन्दू बन रहे हैं।”
🚩संतोष शर्मा ने बताया कि वह पहले भी हिन्दू धर्म में प्रवेश लेने वालों की सहायता करते आए हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी उनके सम्पर्क में काफी ऐसे लोग हैं जो हिन्दू धर्म में शामिल होना चाहते हैं, उनकी भी घर वापसी जल्द ही करवाई जाएगी।
🚩अप्रैल में भी हुई थी घर वापसी
इससे पहले अप्रैल माह में भी खजराना मंदिर में 8 मुस्लिमों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की थी। घर वापसी करने वाले 8 लोगों में 3 महिलाएँ भी शामिल थीं। हिन्दू धर्म में घर वापसी करने वाले लोगों ने अपने नाम भी बदले थे।
🚩इन आठ लोगों में हैदर शेख भी शामिल थे। उन्होंने हरि नारायण नाम अपनाया था। इसके बाद उन्हें फ़ोन पर लगातार धमकियाँ मिल रहीं थी। कुछ बदमाशों ने हरि नारायण के घर पर हमला भी कर दिया था। उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई थी।
🚩हरि नारायण ने अब इस मामले में थाने में शिकायत दी थी। इस शिकायत में हरि नारायण ने कहा था कि धर्म परिवर्तन करने की वजह से मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने उनको धमकी दी गई और उनके घर पर पत्थर से हमला किया गया।
🚩इतने लोग घर वापसी कर रहे है इससे साफ होता है की अन्य मजहब में जो नही है वो केवल सनातन धर्म मिलता है इसलिए भ्रमित हो गए थे वे लोग फिर से घर वापसी कर रहे हैं।
🚩जिन्होंने परतंत्रता काल में आत्मरक्षा के लिये इस्लाम स्वीकार कर लिया था, अपने हिन्दू रीति रिवाज नहीं छोड़े थे और निरन्तर अपने पूर्वजों के धर्म में लौटने के लिए प्रयत्नशील थे। वे आज फिर से सनातन धर्म में वापसी कर रहे हैं।
🚩एक तरफ जहाँ इस्लाम धर्म को फैलाने के लिए मुस्लिम जिहाद, लव जिहाद जैसे अमानवीय कृत्य कर रहे हैं, ईसाई मिशनरियां पैसे, छल, बल द्वारा गरीबों,आदिवासियों, मजबूरों का धर्म परिवर्तन कर रही है वहीं दूसरी और अपनी महान, वैदिक और वैज्ञानिक परम्पराओं की वजह से हिन्दू धर्म को लोग बिना प्रचार प्रसार के ही अपना रहे हैं। जहां रोगों को चमत्कार से दूर करने की बात करने वाले सैकड़ों पादरी और मौलवी कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण मर गए वहीं हिन्दू संतों द्वारा खोजा गया योग, प्राणयाम, जप और संतों द्वारा शाकाहार जीवनशैली की शिक्षा और दूसरी सनातन परम्पराएं पूरे विश्व की कोरोना वायरस से रक्षा की हैं। ये
🚩गर्व की बात है कि हमारा जन्म भारत में हुआ।
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Monday, July 1, 2024
मुगलों का नही भारत के इन महान राजाओं का इतिहास हिंदुओं को पढना चाहिए
मुगलों का नही भारत के इन महान राजाओं का
इतिहास हिंदुओं को पढना चाहिए
2 July 2024
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🚩भारत के इतिहास में छेड़छाड़ करके केवल क्रुर लुटेरे बलात्कारी मुगलों और अंग्रेजों को ही पढ़ाया गया, भारत के महान वीर राजाओं को गायब कर दिया जिन्होने मुगलों और अंग्रेजों को धूल चटाई थी, अपने पूर्वज उन महान राजाओं के बारे में सुनकर आप भी गौरविंत महसूस करेंगे ।
🚩1. बप्पा रावल - अरबो, तुर्को को कई हराया ओर हिन्दू धरम रक्षक की उपाधि धारण की
🚩2. भीम देव सोलंकी द्वितीय - मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे बंधी बनाये रखा
🚩3. पृथ्वीराज चौहान - गौरी को 16 बार हराया और और गोरी बार बार कुरान की कसम खा कर छूट जाता ...17वी बार पृथ्वीराज चौहान हारे
🚩4. हम्मीरदेव (रणथम्बोर) - खिलजी को 1296 मे अल्लाउदीन ख़िलजी के 20000 की सेना में से 8000 की सेना को काटा और अंत में सभी 3000 राजपूत बलिदान हुए राजपूतनियो ने जोहर कर के इज्जत बचायी .. हिंदुओं की ताकत का लोहा मनवाया
🚩5. कान्हड देव सोनिगरा – 1308 जालोर मे अलाउदिन खिलजी से युद्ध किया और सोमनाथ गुजरात से लूटा शिवलिगं वापिस राजपूतो के कब्जे में लिया और युद्ध के दौरान गुप्त रूप से विश्वनीय राजपूतो , चरणो और पुरोहितो द्वारा गुजरात भेजवाया तथा विधि विधान सहित सोमनाथ में स्थापित करवाया
🚩6. राणा सागां - बाबर को भिख दी और धोका मिला ओर युद्ध । राणा सांगा के शरीर पर छोटे-बड़े 80 घाव थे, युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नही था एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी उन्होंने अपने जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े थे।
🚩7. राणा कुम्भा - अपनी जिदगीँ मे 17 युद्ध लडे एक भी नही हारे।
🚩8. जयमाल मेड़तिया - ने एक ही झटके में हाथी का सिर काट डाला था। चित्तोड़ में अकबर से हुए युद्ध में जयमाल राठौड़ पैर जख्मी होने कि वजह से कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़े थे, ये देखकर सभी युद्ध-रत साथियों को चतुर्भुज भगवान की याद आयी थी, जंग में दोनों के सिर काटने के बाद भी धड़ लड़ते रहे और 8000 राजपूतो की फौज ने 48000 दुश्मन को मार गिराया ! अंत में अकबर ने उनकी वीरता से प्रभावित हो कर जयमाल मेड़तिया और पत्ता जी की मुर्तिया आगरा के किलें में लगवायी थी.
🚩9. मानसिहं तोमर - महाराजा मान सिंह तोमर ने ही ग्वालियर किले का पुनरूद्धार कराया और 1510 में सिकंदर लोदी और इब्राहीमलोदी को धूल चटाई
🚩10. रानी दुर्गावती - चंदेल राजवंश में जन्मी रानी दुर्गावती राजपूत राजा कीरत राय की बेटी थी। गोंडवाना की महारानी दुर्गावती ने अकबर की गुलामी करने के बजाय उससे युद्ध लड़ा 24 जून 1564 को युद्ध में रानी दुर्गावती ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद अपने आपको मुगलों के हाथों अपमान से बचाने के लिए खंजर घोंपकर आत्महत्या कर ली।
🚩11. महाराणा प्रताप - इनके बारे में तो सभी जानते ही होंगे ... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो था और कवच, भाला, ढाल, और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो था।
🚩12. जय सिंह जी - जयपुर महाराजा ने जय सिंह जी ने अपनी सूझबूझ से छत्रपति शिवजी को औरंगज़ेब की कैद से निकलवाया बाद में औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उनकी हत्या विष देकर करवा डाली
🚩13. छत्रपति शिवाजी - मराठा वीर वंशज छत्रपति शिवाजी ने औरंगज़ेब को हराया तुर्को और मुगलो को कई बार हराया
🚩14. रायमलोत कल्ला जी का धड़ शीश कटने के बाद लड़ता- लड़ता घोड़े पर पत्नी रानी के पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ उसके बाद रानी पति कि चिता पर बैठकर सती हो गयी थी।
🚩15. सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह चुण्डावत जी ने युद्ध जाते समय मोह-वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी मांगी तो रानी ने सोचा ठाकुर युद्ध में मेरे मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर
पैर अपना सर काट के दे दिया था, अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए शहीद हो गये थे।
🚩16. औरंगज़ेब के नायक तहव्वर खान से गायो को बचाने के लिए पुष्कर में युद्ध हुआ उस युद्ध में 700 मेड़तिया राजपूत वीरगति प्राप्त हुए और 1700 मुग़ल मरे गए पर एक भी गाय कटने न दी उनकी याद में पुष्कर में गौ घाट बना हुआ है।
🚩17. एक राजपूत वीर जुंझार जो मुगलो से लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटो लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है, जहा छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान में है।
🚩18. जोधपुर के यशवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथो से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था।
🚩19. करौली के जादोन राजा अपने सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे।
🚩20. हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 राजपूत सैनिक थे और अकबर की और से 85000 सैनिक थे फिर भी अकबर की मुगल सेना पर हिंदू भारी पड़े।
🚩21. राजस्थान पाली में आउवा के ठाकुर खुशाल सिंह 1857 में अजमेर जा कर अंग्रेज अफसर का सर काट कर ले आये थे और उसका सर अपने किले के बाहर लटकाया था तब से आज दिन तक उनकी याद में मेला लगता है।
🚩इसके अतरिक्त बहुत से हिन्दू योद्धा हुए है इस धरती पर जिनका नाम यहाँ नहीं किन्तु इससे उनका भारत को दिया योगदान कम नहीं होगा।
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Sunday, June 30, 2024
4 साल की दक्षा का दावा : ‘ये मेरा पुनर्जन्म है, कच्छ के भूकम्प में मैं मर गई थी।
4 साल की दक्षा का दावा : ‘ये मेरा पुनर्जन्म है, कच्छ के भूकम्प में मैं मर गई थी।
1 July 2024
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🚩हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है। हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी पुनर्जन्म की बात की गई है। हाल-फिलहाल में भी कई ऐसे उदारहण सामने आए हैं, जहाँ लोगों ने खुद के पुनर्जन्म का दावा किया है। ऐसा ही एक मामला गुजरात के बनासकांठा से सामने आया है। बनासकांठा के एक अनपढ़ गुजराती परिवार में जन्मी बच्ची जन्म से ही हिंदी बोलती है, उसने अपने पुनर्जन्म का दावा भी किया है।
🚩इस बच्ची का दावा है कि यह उसका पुनर्जन्म है और वह इससे 24 साल पहले कच्छ जिले के अंजार में रहती थी। बच्ची का दावा है कि भूकंप में उसकी और उसके परिवार की मौत हो गई थी। बनासकांठा की इस बच्ची का मामला अब सोशल मीडिया में छाया हुआ है। उसका वीडियो वायरल होने के बाद ऑपइंडिया सच्चाई जानने के लिए बनासकांठा के खासा गाँव तक पहुँच गया। ऑपइंडिया ने बच्ची के पिता जेताजी ठाकोर और बच्ची दक्षा से भी बात की। बातचीत के दौरान बच्ची ने कई हैरान करने वाली बातें बताईं। उसे पुनर्जन्म की कहानियाँ भी याद थीं।
🚩बच्ची के पिता- दक्षा हमेशा हिंदी में करती है बात
ऑपइंडिया ने सबसे पहले खासा गाँव के सरपंच से संपर्क किया। उन्होंने भी इस घटना के बारे में कुछ जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “प्रकृति हमें कभी-कभी वाकई हैरान कर देती है। जिस लड़की के पुनर्जन्म का दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वह हमारे परिवार की ही है। बच्ची ने जो कहा है, वह काफी हद तक सच भी है।”
🚩ऑपइंडिया सरपंच के ज़रिए बच्ची के परिवार तक पहुँचा। लड़की के पिता जेताजी ठाकोर ने हमें दक्षा के बचपन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वे खासा गाँव के वलजीभाई पटेल के खेत में मज़दूरी करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं। उनका एक बेटा और दो बेटियाँ हैं।
🚩बच्ची के पिता जेठाजी ठाकोर ने बताया कि जबसे उनकी छोटी बेटी दक्षा ने जब से बोलना सीखा है, तब से वह हिंदी में ही बात करती है। वह अपनी बहनों से भी हिंदी में ही बात करती है। उसे गुजराती भाषा बोलने में दिक्कत होती है। उसे कुछ कहना भी होता तो वह हिंदी में ही बोलती है। जैसे, “मां मुझे पानी दे”। दक्षा के के माता-पिता अनपढ़ हैं। उनकी माँ गीताबेन को भी हिंदी का कोई ज्ञान नहीं है।
🚩शुरू में दक्षा हिंदी बोलती थी, लेकिन परिवार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। जब दक्षा डेढ़ साल की हुई तो वह हिंदी में बात करने लगी, ”मेरी मम्मी कहाँ है… मेरा बिस्तर कहाँ है… मेरे पापा कहाँ है।” दक्षा के माता पिता को पहले उन्हें लगा कि लड़की कुछ शरारत कर रही है। दक्षा को बिना स्कूल गए, बिना किसी तरह के मोबाइल-टीवी, सिनेमा या सोशल मीडिया देखे हिंदी अच्छी तरह से आती है।
🚩ऑपइंडिया ने जब दक्षा के पिता से घटना की शुरुआत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि शुरू में परिवार ने दक्षा पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन समय के साथ वह समझदार और बड़े लोगों की तरह की तरह बात करने लगी। 6 महीने पहले उसने अचानक अपने पिता को बताया कि यह उसका दूसरा जन्म है।
🚩उसने अपने पिता को बताया कि पिछले जन्म में वह अंजार में रहती थी और उसका नाम प्रिंजल था। उसके माता-पिता भी अंजार में ही रहते थे। उसने अपने पिता को बताया कि भूकंप के दौरान छत गिरने से उसकी मौत हो गई। यह बताने के बाद उसके पिता और परिवार समेत गाँव के लोग हैरान रह गए।
🚩दक्षा का परिवार
लड़की के पिता ने बताया, “चार साल की बच्ची को अंजार के बारे में क्या मालूम? उसे तो अपने खुद के जिले के बारे में भी नहीं पता। फिर भी वह अंजार और भूकंप के बारे में बात कर रही है। उसे यह भी पता है कि 24 साल पहले कच्छ में भूकंप आया था और उसमें ही उसकी मौत हो गई थी।”
🚩दक्षा ने कहा- मैं वापस अंजार नहीं जाना चाहती
ऑपइंडिया ने 4 साल की बच्ची दक्षा से भी बात की। दक्षा से जब भूकंप की घटना के बारे में पूछा गया तो उसने बताया, “मैं बालमंदिर में पढ़ने जाती थी। वहाँ से मैं अपनी बहनों के साथ खेलती हुई घर आ रही थी। तभी अचानक जमीन फटने लगी और ऊपर से छत मेरे सिर पर गिर गई और मेरी मौत हो गई।”
🚩दक्षा ने साथ ही में यह भी बताया कि इस भूकंप में उसके माता-पिता की भी मौत हो गई थी। वह अपने परिवार के सदस्यों का नाम नहीं बता पाई, लेकिन उसने बताया कि जब वह अंजार में रहती थी तो उसका नाम प्रिंजल था। बच्ची ने अंजार के परिवार के बारे में भी बताया।
🚩बच्ची दक्षा
बच्ची ने बताया कि अंजार में उसके पिता केक बनाने वाली फैक्ट्री यानी बेकरी में काम करते थे और वे लाल कपड़े पहनते थे। उसकी माँ फूलों वाली साड़ी पहनती थीं और कभी-कभी वे ड्रेस भी पहनती थीं। अंजार में उनका एक बड़ा घर था। उसके माता-पिता उनसे बहुत प्यार करते थे। बच्ची ने बताया वह तीन भाई बहन थे। इनमें सबसे बड़ा भाई था, उसके बाद एक बेटी और दक्ष (प्रिंजल) सबसे छोटी थी। हालाँकि,
दक्षा अब दोबारा अंजार नहीं जाना चाहती। वह अपने भाई-बहनों और माता-पिता के साथ यहीं रहना चाहती है।
🚩भगवान ने भेजा है मुझे- दक्षा
ऑपइंडिया से बात करते हुए दक्षा ने बताया कि अब वह दोबारा अंजार नहीं जाना चाहती। उसने बताया, ”मुझे अंजार में डर लगता है। भगवान श्रीराम ने मुझे मना कर दिया है। श्रीराम ने कहा है कि अगर तुम वापस आओगी तो मैं तुम्हें दोबारा जन्म नहीं दूंगा। इसलिए अब मैं अंजार नहीं जाऊँगी। अगर फिर से भूकंप आया तो भगवान मुझे वापस नहीं भेजेंगे। भगवान ने मुझे यहाँ भेजा है और अब उन्होंने कहा है कि वे दोबारा जन्म नहीं देंगे।”
🚩दक्षा की उम्र 4 साल है, वह अशिक्षित परिवार से है, बिना स्कूल गए, बिना किसी तरह का मोबाइल-टीवी सिनेमा या सोशल मीडिया मीडिया देखे, बच्ची का हिंदी बोलना और सभी पुनर्जन्मों के बारे में बात करना अब एक पहेली है। लेकिन बच्ची जिस तरह से बात कर रही है, वह विज्ञान के लिए भी एक पहेली हो सकती है।
🚩फिलहाल दक्षा अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई कर रही है और उसका सपना सेना में भर्ती होकर दुश्मनों से लड़ना है। ऑपइंडिया से बात करते हुए दक्षा ने कहा कि वह अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त करना चाहती है और दुश्मनों को खत्म करने के लिए सैनिक बनना चाहती है। उसके पिता ने भी बच्ची के भविष्य के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि बच्ची अपनी उम्र से ज्यादा समझदार और परिपक्व है। इसलिए उसे पढाएंगे और उसके सपने को पूरा करने की कोशिश करेंगे। - स्त्रोत ओप इंडिया
🚩क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
पुनर्जन्म संभव है या नहीं, इस पर पहले भी कई बार बहस उठ चुकी है और इसके आगे भविष्य में जारी रहने की भी उम्मीद है। चूंकि हिंदू धर्म विज्ञान पर आधारित है, हमारा दर्शन वैदिक विज्ञान और गणित पर आधारित है, इसलिए पुनर्जन्म के विषय को सिरे से नकारना एक भूल होगी।
🚩लड़की से बात करने के बाद ऑपइंडिया ने भावनगर के मनोचिकित्सक डॉ हितेश पटेलिया से बात की। मनोचिकित्सक ने हमें बताया,”पुनर्जन्म का सिद्धांत गलत और निरर्थक नहीं है। इस लड़की के आसपास कोई हिंदी भाषी माहौल नहीं है, कोई टीवी या मोबाइल नहीं है फिर भी वह हिंदी बोलती है, यह पुनर्जन्म का संकेत है। इसलिए बनासकांठा के मजदूर परिवार के बच्चे के पुनर्जन्म का दावा सही भी हो सकता है।”
🚩उन्होंने आगे कहा, “डॉ. ब्रेन वाइज का जन्म 1944 में अमेरिका में हुआ था। उन्होंने पुनर्जन्म पर कई शोध भी किए हैं और उसमें सफलता भी पाई है। इसलिए पुनर्जन्म को मनोविज्ञान में भी माना जाता है। पुनर्जन्म की कुछ घटनाएँ अचेतन मन में जीवित हो सकती हैं, जो कभी-कभी याद आती हैं। इस लड़की के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। भगवद गीता में भी पुनर्जन्म को अकाट्य सिद्धांत माना गया है। इसलिए यह पुनर्जन्म का मामला हो सकता है।”
🚩गौरतलब है कि 26 जनवरी, 2001 को कच्छ में भयानक भूकंप आया था। इस भूकंप ने गुजरात समेत पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे। चली गई थी। पूरे के पूरे गाँव जमीन में समा जाने की खबरें आई थीं। यह इतनी भयानक घटना थी कि आज भी गुजरात उस घाव को भर नहीं पाया है।
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Saturday, June 29, 2024
लिबरल गिरोह द्वारा चोर औरंगजेब की पिटाई पर हल्ला, दलित नकुल को चाकू घोंपने पर चुप
लिबरल गिरोह द्वारा चोर औरंगजेब की पिटाई पर हल्ला, दलित नकुल को चाकू घोंपने पर चुप
30 June 2024
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🚩उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में मंगलवार (18 जून 2024) को चोरी के शक में मोहम्मद फरीद उर्फ़ औरंगज़ेब की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोप में कुल 10 नामजदों सहित कई अन्य अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज हुई है जिसमें से आधे दर्जन आरोपितों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य दलों ने औरंगज़ेब के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा और एक सरकारी नौकरी तक देने की माँग उठाई है। इसी दिन अलीगढ़ शहर में ही एक दलित युवक को भी मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने चाकू घोंपा था जिसका गंभीर हालत में इलाज चल रहा है। अब दलित युवक के परिजन सामने आए हैं और कथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं द्वारा सिर्फ औरंगज़ेब के लिए सक्रियता और अपने लिए ख़ामोशी पर सवाल खड़े किए हैं।
🚩पीड़ित दलित युवक का नाम नकुल जाटव है। नकुल के पिता दिनेश ने 18 जून को ही थाना सासनी गेट में तहरीर दी थी। इसी थानाक्षेत्र में मृतक औरंगजेब का भी घर है। दिनेश भारती ने अपनी तहरीर में बताया है कि मंगलवार की शाम लगभग 7 बजे उनका बेटा किसी काम से शहर के ही पठान मोहल्ले में गया था। रास्ते में नौशाद का बेटा शहजाद नकुल को रोक कर गंदी-गंदी गालियाँ देने लगा। नकुल ने विरोध किया तो शहजाद भड़क कर बोला, “तेरी इतनी हिम्मत। तू हमसे जुबान लड़ाएगा?”
🚩आरोप है कि इसके बाद शहजाद ने अपने पास छिपा एक चाकू निकाला। उसने ताबड़तोड़ नकुल पर कई वार कर दिए। काफी खून बहने की वजह से नकुल जमीन में गिर कर बेहोश हो गया। मामले की जानकारी मिलते ही नकुल के पिता दिनेश जाटव पुलिस के साथ घटनास्थल पर पहुँचे। उन्होंने पुलिस की मदद से नकुल को अस्पताल में भर्ती करवाया। होश आने पर नकुल ने सारी आपबीती पुलिस को बताई। हालात गंभीर देखते हुए नकुल को जे एन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है।
🚩दिनेश जाटव ने पुलिस से आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। इस तहरीर पर पुलिस ने शहजाद को नामजद करते हुए FIR कर ली है। शहजाद के खिलाफ IPC की धारा 504, 506 और 307 के अलावा SC/ST एक्ट के सेक्शन 3(2)(va) के तहत कार्रवाई की गई है। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है। पुलिस ने शहजाद को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में जाँच व अन्य जरूरी कार्रवाई की जा रही है। घायल नकुल का इलाज अस्पताल में चल रहा है। उसकी सर्जरी कराई गई है।
🚩अस्पताल में कराहते हुए सामने आया वीडियो
ऑपइंडिया को नकुल का एक वीडियो मिला है। वीडियो में पीड़ित अस्पताल के बेड पर लेट कर जोर-जोर से रो रहा है। उनके एक हाथ में पट्टियाँ बंधी हैं जबकि दूसरे में ग्लूकोज आदि चढ़ाया जाना है। नकुल की माँ अपने बेटे को चुप करवाने की कोशिश कर रही हैं। दर्द से नकुल अपने पैरों को बिस्तर पर पटक रहा है।
🚩‘चोर के लिए बोल रही मीडिया मेरे लिए चुप क्यों’
नकुल के भाई पंकज ने ऑपइंडिया को बताया कि जिस दिन चोर की पिटाई हुई थी उसी दिन उनके भाई को भी चाकू लगी थी। उन्होंने बताया कि घाव की वजह से नकुल के हाथों की कई नसें कट गई हैं और काफी खून बह चुका है। नकुल के भाई ने मीडिया से सवाल किया कि वो औरंगज़ेब की आवाज तो इतने जोर-शोर से उठा रहे हैं लेकिन उनके भाई के लिए चुप क्यों हैं जबकि घटना एक ही दिन और एक ही शहर की है ?
🚩‘मैं हिन्दू होना ही मेरा दोष है?’
🚩पंकज जाटव ने ऑपइंडिया को भेजे अपने वीडियो में आगे कहा, “क्या मैं हिन्दू हूँ यही मेरा दोष है?” पंकज ने नेताओं को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि उनके घर कोई झाँकने तक नहीं आया। खुद को पंकज जाटव ने न्याय की लड़ाई में अकेला बताया। उन्होंने कहा, “वर्ग विशेष समुदाय के साथ सब नेता वहाँ चले गए। मेरे साथ कोई नहीं आया। उसके लिए तो सब नेता कर रहे हैं। उन्होंने पथराव भी किया लेकिन हमने नहीं। सारा दुःख उन्हीं को है क्या? हमें कोई दुःख और परेशानी नहीं है क्या?”
🚩‘उनके लिए मुआवजा, हम इलाज करा कर कर्जदार’
कथित चोर औरंगज़ेब के लिए उठ रही मुआवजे की माँग को भी घायल नकुल के भाई ने एकतरफा बताया है। उन्होंने दावा किया कि वो अपने भाई के इलाज में लगभग 40-50 हजार रुपए लगा चुके हैं। पंकज 3 भाई है जिसमें से 2 ही कमा कर घर का खर्च चला रहे हैं। नकुल के पिता दिनेश जाटव पैरों से दिव्यांग हैं। इन पर माँ और एक बहन के भी भरण-पोषण की जिम्मेदारी है। एक बेहद से छोटे से घर में यह पूरा परिवार जैसे-तैसे रहता है। बकौल पंकज शहजाद के परिवार घायल नकुल का इलाज करवाते हुए कर्जदार हो गया है। पीड़ित परिवार को इस कर्ज को चुकाने का रास्ता भी नहीं सूझ रहा है।
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Friday, June 28, 2024
बच्चों के नजर उतारने 10 पारंपरिक उपाय..
🚩बच्चों के नजर उतारने 10 पारंपरिक उपाय..
29 June 2024
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🚩अक्सर कुछ बातें अंधविश्वास मान लिए जाने पर भी उनका असर दिखाई पड़ता है। जैसे नजर लगना मानसिक भ्रम और अंधविश्वास कहा जाता है लेकिन जब बहुत छोटे बच्चे अचानक से इससे पीडित होते हैं तो विश्वास करना पड़ता है कि छोटे बच्चों को दृष्टि बैठती है। बच्चों को नजर इसलिए ज्यादा लगती है क्योंकि वे आकर्षक, सरल-सहज और कोमल होते हैं।
🚩आइए जानें बच्चों की नजर उतारने के 10 पारंपरिक उपाय....
🚩1. बच्चे नाजुक होते हैं इसलिए उनकी नजर भी भगवान पर चढ़े नाजुक फूल,शक्कर या दूध से उतारी जाती है। एक तांबे के लोटे में पानी और ताजा फूल लेकर बच्चे पर से 11 बार उतारें। इसे किसी भी गमले में डाल दें। नजर का प्रभाव कम होगा। ऐसे ही दोनों हाथों में शक्कर से नजर उतारी जाती है। मुट्ठी में शक्कर लेकर सिर से पैर तक दोनों हाथों से गोल घुमाते हुए नजर उतारें और उसे तुरंत वॉश बेसिन में पानी की तेज धार में गला दें। इससे बच्चों को लगी मीठी नजर गलती है। दूध में मिश्री डालकर 7 बार उतारें और शिव जी के मंदिर में रख आएं।
🚩2. नमक, राई, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को बच्चे के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है। लेकिन यह उपाय सावधानी मांगता है
🚩3. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर उनके कंधे पर से सिंदूर लाकर नजर पीडित बच्चे के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव कम होता है।
🚩4. स्तनपान करते हुए बच्चे को नजर लग जाती है। ऐसे समय इमली की तीन छोटी डालियों को लेकर आग में जलाकर नजर लगे बच्चे के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी में बुझा देते हैं।
🚩5. भोजन पर लगी नजर किसी विशेष सामग्री के प्रति बच्चों में अरूचि पैदा कर देती है। तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बच्चे को खाना खिलाएं। नजर उतर जाएगी।
🚩6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्टी के एक छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएं। फिर उसकी धूप नजर लगे बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी।
🚩7. बुरी नजर से बचने के लिए प्रति शनिवार बच्चे के ऊपर से झाड़ू या उसी के बाएं पैर की चप्पल या जूता लेकर 7 बार उल्टे क्रम से उतारें और दरवाजे की दहलीज पर तीन बार झाड़ कर अंदर आ जाए। यह भी नजर उतारने का बहुत पुराना पारंपरिक तरीका है।
🚩8. बच्चे को नजर लग गई है और हर वक्त परेशान व बीमार रहता है तो लाल साबुत मिर्च को बच्चे के ऊपर से तीन बार वार कर जलती आग में डालने से नजर उतर जाएगी।
🚩9. बच्चा दूध पीने में आनाकानी करें तो शनिवार के दिन कच्चा दूध उसके ऊपर से सात बार वारकर कुत्ते को पिला देने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।
🚩10. यदि कोई बच्चा नजर दोष से बीमार रहता है और उसका समस्त विकास रुक गया है तो फिटकरी एवं सरसों को बच्चे पर से सात बार वारकर चूल्हे पर झोंक देने से नजर उतर जाती है। यदि यह सुबह, दोपहर एवं शाम तीनों समय करें तो एक ही दिन में नजर दोष दूर हो जाता है।
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