Tuesday, January 30, 2018

महान हिन्दू संत रविदास का जानिए इतिहास, सिंकदर को भी मांगनी पड़ी थी माफी

January 30, 2018

संत रविदास जयंती 31 जनवरी 

वर्तमान में देश की स्थिति नाजुक होती जा रही है क्योंकि भारत में कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों के इशारे पर असामाजिक तत्वों द्वारा दलित समाज को उकसाया जा रहा है कि तुम हिन्दू नही हो तुम बुद्धिष्ठ हो और हमारे संत रविदास थे वो भी हिन्दू नही थे, मुसलमान और दलित भाई-भाई है और हिन्दू हमारे दुश्मन हैं, इस तरीके से भारत को टुकड़े-टुकड़े करने का भयंकर षड्यंत्र चल रहा है ।

आज जो दलितों को हिन्दू समाज से तोड़ रहे हैं वो बड़े भयंकर पाप के भागीदार हो रहे हैं, उनको महान हिन्दू संत रविदास का इतिहास ठीक से पढ़कर दलित समाज को उनका मूल धर्म हिन्दू धर्म से दूर न करें ।
Know the Great Hindu Saint Ravidas, History, Sinkar had to ask for forgiveness

भारत के महान संत रविदास (रैदास) का जन्म वि.सं. १४३३ (१३७६ ई.) में माघ की पूर्णिमा को हुआ था ।

गुरू रविदास जी का जन्म काशी में चर्मकार (चमार) कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम संतो़ख दास (रग्घु) और माता का नाम कलसा देवी बताया जाता है। जिस दिन उनका जन्म हुआ उस दिन रविवार था इस कारण उन्हें रविदास कहा गया। भारत की विभिन्न प्रांतीय भाषाओं में उन्हें रोईदास, रैदास व रहदास आदि नामों से भी जाना जाता है। 


रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। जूते बनाने का काम उनका पैतृक व्यवसाय था और उन्होंने इसे सहर्ष अपनाया। वे अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।

उनकी समयानुपालन की प्रवृति तथा मधुर व्यवहार के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले लोग भी बहुत प्रसन्न रहते थे।

प्रारम्भ से ही रविदास जी बहुत परोपकारी तथा दयालु थे और दूसरों की सहायता करना उनका स्वभाव बन गया था। साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष आनन्द मिलता था। वे उन्हें प्राय: मूल्य लिये बिना जूते भेंट कर दिया करते थे।

नौ वर्ष की नन्ही उम्र में ही परमात्मा की भक्ति का इतना गहरा रंग चढ गया कि उनके माता-पिता भी चिंतित हो उठे । उन्होंने उनका मन संसार की ओर आकृष्ट करने के लिए उनकी शादी करा दी और उन्हें बिना कुछ धन दिये ही परिवार से अलग कर दिया फिर भी रविदासजी अपने पथ से विचलित नहीं हुए ।

संत रविदास जी पड़ोस में ही अपने लिए एक अलग झोपड़ी बनाकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे।

संत रविदास जी ने अपनी वाणी के माध्यम से आध्यात्मिक, बौद्धिक व सामाजिक क्रांति का सफल नेतृत्व किया। उनकी वाणी में निर्गुण तत्व का मौलिक व प्रभावशाली निरूपण मिलता है।

उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब भारत में मुगलों का शासन था चारों ओर गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था। 

युग प्रवर्तक स्वामी रामानंद उस काल में काशी में पंच गंगाघाट में रहते थे। वे सभी को अपना शिष्य बनाते थे। रविदास ने उन्हीं को अपना गुरू बना लिया। स्वामी रामानंद ने उन्हें रामभजन की आज्ञा दी व गुरूमंत्र दिया “रं रामाय नमः“। गुरूजी के सान्निध्य में ही उन्होनें योग साधना और ईश्वरीय साक्षात्कार प्राप्त किया। उन्होनें वेद, पुराण आदि का समस्त ज्ञान प्राप्त कर लिया। 

कहा जाता है कि भक्त रविदास का उद्धार करने के लिये भगवान स्वयं साधु वेश में उनकी झोपड़ी में आये। लेकिन उन्होनें उनके द्वारा दिये गये पारस पत्थर को स्वीकार नहीं किया।

एक बार एक पर्व के अवसर पर पड़ोस के लोग गंगा-स्नान के लिए जा रहे थे। रैदास (संत रविदास) के शिष्यों में से एक ने उनसे भी चलने का आग्रह किया तो वे बोले, गंगा-स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किन्तु एक व्यक्ति को जूते बनाकर आज ही देने का मैंने वचन दे रखा है। यदि मैं उसे आज जूते नहीं दे सका तो वचन भंग होगा। गंगा स्नान के लिए जाने पर मन यहाँ लगा रहेगा तो पुण्य कैसे प्राप्त होगा ? मन जो काम करने के लिए अन्त:करण से तैयार हो वही काम करना उचित है। मन सही है तो इसे कठौते के जल में ही गंगास्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। कहा जाता है कि इस प्रकार के व्यवहार के बाद से ही कहावत प्रचलित हो गयी कि - मन चंगा तो कठौती में गंगा।

संत रविदास जी की महानता और भक्ति भावना की शक्ति के प्रमाण इनके जीवन के अनेक घटनाओ में मिलती है है जिसके कारण उस समय का सबसे शक्तिशाली राजा मुगल साम्राज्य बाबर भी संत रविदास जी के नतमस्तक था और जब वह संत रविदास जी से मिलता है तो संत रविदास जी बाबर को दण्डित कर देते है जिसके कारण बाबर का हृदय परिवर्तन हो जाता है और फिर सामाजिक कार्यो में लग जाता था ।

उस समय मुस्लिम शासकों द्वारा प्रयास किया जाता था कि येन केन प्रकारेण हिंदुओं को मुस्लिम बनाया जाये। संत रविदास की ख्याति लगातार बढ़ रही थी, उनके लाखों भक्त थे जिनमें हर जाति के लोग शामिल थे। ये देखते हुए उस समय का परिद्ध मुस्लिम 'सदना पीर' उनको मुसलमान बनाने आया था, उसका सोचना था कि संत रैदास को मुस्लिम बनाने से उनके लाखो भक्त भी मुस्लिम हो जायेंगे ऐसा सोचकर उनपर अनेक प्रकार के दबाव बनाये जाते थे। किन्तु संत रविदास की श्रद्धा और निष्ठा हिन्दू धर्म के प्रति अटूट रहती है।

सदना पीर ने शास्त्रार्थ करके हिंदू धर्म की निंदा की और मुसलमान धर्म की प्रशंसा की। संत रविदासने उनकी बातों को ध्यान से सुना और फिर उत्तर दिया और उन्होनें इस्लाम धर्म के दोष बताते हुआ कहा कि वेद धरम है पूरन धरमा

वेद अतिरिक्त और सब भरमा।

वेद वाक्य उत्तम धरम, निर्मल वाका ग्यान

यह सच्चा मत छोड़कर, मैँ क्योँ पढूँ कुरान

स्त्रुति-सास्त्र-स्मृति गाई, प्राण जाय पर धरम न जाई।।

आगे कहते हैँ कि मुझे कुरानी बहिश्त की हूरे नहीँ चाहिए क्योँकि ये व्यर्थ

बकवाद है।

कुरान बहिश्त न चाहिए मुझको हूर हजार|

वेद धरम त्यागूँ नहीँ जो गल चलै कटार||

वेद धरम है पूरन धरमा|

करि कल्याण मिटावे भरमा||

सत्य सनातन वेद हैँ, ज्ञान धर्म मर्याद|

जो ना जाने वेद को वृथा करे बकवाद||

संत रविदास के तर्को के आगे सदना पीर टिक न सका । सदना पीर आया तो था संत रविदास को मुसलमान बनाने के लिये लेकिन वह स्वयं हिंदू बन बैठा। रामदास नाम से इनका शिष्य बन गया। यानि स्वंय इस्लाम छोड़ दिया। 

दिल्ली में उस समय सिकंदर लोदी का शासन था। उसने रविदास के विषय में काफी सुन रखा था। सिकंदर लोदी ने संत रविदास को मुसलमन बनाने के लिये दिल्ली बुलाया और उन्हें मुसलमान बनने के लिये बहुत सारे प्रलोभन दिये। संत रविदास ने काफी निर्भीक शब्दों में निंदा की।

सुल्तान सिकन्दर लोदी को जवाब देते हुए रविदासजी ने वैदिक हिन्दू धर्म को पवित्र गंगा के समान कहते हुए इस्लाम की तुलना तालाब से की है-

मैँ नहीँ दब्बू बाल गंवारा

गंग त्याग गहूँ ताल किनारा

प्राण तजूँ पर धर्म न देऊँ

तुमसे शाह सत्य कह देऊँ

चोटी शिखा कबहुँ तहिँ त्यागूँ

वस्त्र समेत देह भल त्यागूँ

कंठ कृपाण का करौ प्रहारा
चाहे डुबाओ सिँधु मंझारा

संत रविदास की बातो से चिढ़कर सिकंदर लोदी संत रविदास को जेल में डाल दिया। सिकंदर लोदी ने कहा कि यदि वे मुसलमान नहीं बनेंगे तो उन्हें कठोर दंड दिया जायेगा।  जेल में भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिये और कहा कि धर्मनिष्ठ सेवक ही आपकी रक्षा करेंगे। अगले दिन जब सुल्तान सिकंदर नमाज पढ़ने गया तो सामने रविदास को खड़ा पाया। उसे चारो दिशाओं में संत रविदास के ही दर्शन हुये। यह चमत्कार देखकर सिकंदर लोदी घबरा गया। लोदी ने तत्काल संत रविदास को रिहा कर दिया और माफी मांग ली। 

संत रविदास के जीवन मेें ऐसी बहुत सारी चमत्कारिक घटनाएं घटी ।

भारतीय संतों ने सदा अहिंसा वृति का ही पोषण किया है। संत रविदास जाति से चर्मकार थे। लेकिन उन्होनें कभी भी जन्मजाति के कारण अपने आप को हीन नहीं माना। उन्होनें परमार्थ साधना के लिये सत्संगति का महत्व भी स्वीकारा है। वे सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उनके आगमन से घर पवित्र हो जाता है।उन्होने श्रम व कार्य के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की तथा कहा कि अपने जीविका कर्म के प्रति हीनता का भाव मन में नहीं लाना चाहिये। उनके अनुसार श्रम ईश्वर के समान ही पूजनीय है। 

संत रविदास ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भारत भ्रमण किया करके समाज को उत्थान की नयी दिशा दी। संत रविदास साम्प्रदायिकता पर भी चोट करते हैं। उनका मत है कि सारा मानव वंश एक ही प्राण तत्व से जीवंत है। वे सामाजिक समरसता के प्रतीक महान संत थे। वे मदिरापान तथा नशे आदि के भी घोर विरोधी थेे तथा इस पर उपदेश भी दिये हैं।

चित्तौड़ के राणा सांगा की पत्नी झाली रानी उनकी शिष्या बनीं वहीं चित्तौड़ में संत रविदास की छतरी बनी हुई है। मान्यता है कि वे वहीं से स्वर्गारोहण कर गये। समाज में सभी स्तर पर उन्हें सम्मान मिला। वे महान संत कबीर के गुरूभाई तथा मीरा के गुरू थे। 

श्री गुरुग्रंथ साहिब में उनके पदों का समायोजन किया गया है। आज के सामाजिक वातावरण में समरसता का संदेश देने के लिये संत रविदास का जीवन आज भी प्रेरक हैं । 

एक बार गंगातट पर संत रविदासजी ‘राम-नाम’ द्वारा भवसागर से पार हो जाने का उपदेश दे रहे थे । कुछ ईर्ष्यालु व्यक्तियोें ने उनका अपमान करने हेतु बीच में टोककर कहा : ‘‘महाराज ! भवसागर से पार होने की बात तो दूर रही, इससे जरा एक पत्थर को तो नदी में तैराकर दिखाओ, आपकी बात की सच्चाई हम तभी मानेंगें ।’’ रविदासजी ने एक पत्थर की शिला उठाई और उस पर ‘राम’ लिखकर उसे नदी में छोड़ दिया । लोगों ने आश्चर्यचकित होकर देखा कि सचमुच ही शिला जल के ऊपर तैर रही थी ।

परमात्म-तत्त्व में सदा एकरूप रहनेवाले सत्पुरुष चमत्कार करते नहीं, बल्कि उनके द्वारा घटित हो जाते हैं । उनके लिए तो यह सब खेलमात्र है । संत कबीरदासजी ने उन्हें ध्रुव, प्रह्लाद तथा शुकदेव जैसे उच्चकोटि के भक्तों में गिनाते हुए उन्हींकी भाँति प्रभु-प्रेम सुधारस का पान करनेवाला बताया है ।
आज भी ऐसे महापुरुष इस धन्य धरा पर हैं । धनभागी हैं वे लोग जो उनके सत्संग-सान्निध्य का लाभ लेते हैं ।

राष्ट्र को तोड़ने के लिए हिन्दू समाज से दलित समाज को अलग करने के लिए राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा उकसाया जा रहा है, उनके लिए संत रविदास का प्रसंग प्रेरणास्रोत है, सभी हिन्दू सावधान रहें है कोई भी जाति-पाति में तोड़ता हो तो उसको संत रविदास का जीवन चरित्र देकर समझा दे जिससे भारत की अखंडता बनी रहेगी ।

Monday, January 29, 2018

वर्तमान में हिन्दू भयंकर षडयंत्र का शिकार, अपने ही देश में हो गया पराया

January 28, 2018

भारत को हिंदुस्तान के नाम से भी जाना चाहता है क्योंकि यहाँ हिंदुओं का बाहुल्य है । लेकिन आज की वर्तमान स्थिति देखकर लगता है कि हिन्दू अपने ही देश में पराया हो गया है।
At present, the victim of a very intriguing conspiracy of Hindus has happened in his own country.

बांग्लादेश और पाकिस्तान में तो हिन्दू इंसान की संज्ञा में भी नहीं आता, जहाँ भी हिन्दू अल्पसंख्यक हुआ वहां वो कीड़ा मकौड़ा हो जाता है, और उसका शिकार किया जाता है, बांग्लादेश हो या पाकिस्तान हिन्दुओ की बेटियों की कोई इज़्ज़त नहीं, पूरा कानून प्रशासन मिलकर उनका बलात्कार/धर्मांतरण करता है ।

पर बांग्लादेश और पाकिस्तान को तो छोड़िये भारत में हिन्दू की क्या स्थिति है, उसपर भी जरा गौर कीजिये, क्यूंकि भले ही हिन्दू भारत में कथिततौर पर बहुसंख्यक हो, पर जातिवाद के कारण पहले तो वो हिन्दू है ही नहीं वो बंटा हुआ है और इसी कारण हर मोड़ पर, हर राज्य में, हर शहर में हिन्दू नफरत का शिकार होता है

कश्मीर केरल बंगाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी पूर्वी बिहार जैसे इलाकों को तो छोड़ ही दीजिये, यहाँ हिन्दू की स्थिति बांग्लादेश जैसी हो गयी है, पर बाकि भारत में चाहे वो गुजरात हो, महाराष्ट्र हो, राजस्थान हो, भारत का कोई भी शहर हो उसपर गौर कीजिये ।

हिन्दू का बच्चा कहीं कान्वेंट स्कूल में जाता है जो शहर शहर में है, तो सबसे पहले उसे खुद से ही नफरत सिखाई जाती है, हिन्दू गन्दा है, जीजस भगवान् है, मर्सी का मतलब जीजस होता है, हर शहर की यही कहानी है, और एक बात आप समझ लीजिये ये जितने भी भारत में पत्रकार सरीके सेक्युलर और वामपंथी घूम रहे है, इनका प्रोफाइल उठाकर देखिये, कान्वेंट स्कूल इन सभी में एक कॉमन चीज है, हिन्दुओं के बच्चों को स्कूल में ही ईसाई बना दिया जाता है, वो स्कूल में आते तो हिन्दू के रूप में है, पर स्कूल से निकलने के बाद वो वामपंथी हो जाते हैं, क्रिप्टो क्रिस्चियन हो जाते हैं, जिनका एकमात्र लक्ष्य हो जाता है हिन्दू का नाश करना ।

आज हर शहर में हिन्दू माता पिता इस बात से घबराने लगा है कि उसकी बेटी का कोई लव जिहादी शिकार न बना ले, बहुत से हिन्दू माता पिता इस बात से अभी अज्ञान है, पर बहुतों के मन में डर बैठ गया है, आये दिन हिन्दू की बेटियों का शिकार किया जाता है, रोजाना क़त्ल, बलात्कार, धर्मांतरण की खबर आती है, रोजाना और ये पूरे भारत का हाल है ।

आये दिन देश के वामपंथी, कथित दलित नेता जो असल में या तो ईसाई या मुस्लिम होते हैं, वो हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलते हैं, कहीं हिन्दू के धर्मग्रन्थ जलाये जाते है, कहीं गाय को काटकर हिन्दू की भावना को कुचला जाता है, कहीं हिन्दू देवी देवता की तस्वीरें जलाई जाती है, तो कहीं हिन्दुओं को 15 मिनट में काटकर फेंक देने की धमकियाँ दी जाती है

हिन्दू की स्थिति ये है कि वो अपने ही देश में एक मंदिर के लिए लगभग 30 सालों से कोर्ट की राह देख रहा है, एक राम मंदिर तक देश में हिन्दू नहीं बना पाता है, कहीं दुर्गा पूजा पर रोक, कहीं सरस्वती पूजा पर रोक, मध्य प्रदेश में भोजशाला मंदिर में हिन्दुओ की पूजा पर रोक, बंगाल में तो ऐसे इलाके भी है जहाँ पर हिन्दू अपने शवों को जला भी नहीं सकता, पूजा करने के लिए जिहादियों से इज़ाज़त लेनी पड़ती है, आज भी कई इलाकों में जजिया टैक्स लगाया जाता है

इस देश की स्थिति ये है कि हिन्दुओं के मंदिरों पर टैक्स लगाया जाता है और ये टैक्स सभी धार्मिक स्थलों पर लगता है ऐसा बिलकुल भी नहीं है, टैक्स सिर्फ हिन्दुओ के मंदिरों पर लगाया जाता है, और कर्णाटक राज्य का उदाहरण देखिये, हिन्दू मंदिरों पर टैक्स लगाकर उस पैसे से मदरसों और मस्जिदों का रख रखाव किया गया, हिन्दू मंदिर पर लगे टैक्स का पैसा मदरसे पर खर्च कर दिया गया ।

हर शहर में चाहे वो दिल्ली हो या मुंबई, जयपुर हो या लखनऊ, कानपुर हो या पटना, जम्मू हो या बंगलौर, हैदराबाद हो या चेन्नई, रायपुर हो या भोपाल, हर शहर में मिनी पाकिस्तान बने हुए है, जहाँ पर हिन्दुओ के खिलाफ कैसे कैसे अत्याचार होते है इनको मीडिया कभी बताता भी नहीं, दिल्ली के ही कई इलाके ऐसे है जहाँ पर हिन्दुओं को पूजा नहीं करने दिया जाता, कुछ दिन पहले रामपुर में ही आपने देखा कि किस प्रकार से 2 हिन्दू लड़कियों के साथ 14-15 जिहादियों ने बर्बरता की, ये हर जिहादी बहुल इलाके की हकीकत है, अभी कसगंज में त्रिरंगा यात्रा निकाली और भारत माता की जय बोली तो चन्दन एवं राहुल हिन्दू भाइयों की हत्या कर दी ।

हिन्दू को टीवी के माध्यम से, सिनेमा के माध्यम से भी लज्जित किया जाता है, राधा को नचवाया जाता है, कृष्ण को अपमानित किया जाता है, शिव को टॉयलेट में भगाया जाता है, हिन्दू साधु-संतों को को बदनाम करवाया जाता है, ऐसा सिर्फ हिन्दुओ के साथ ही किया जाता है, हिन्दुओ को मीडिया में भी जलील किया जाता है और राजनितिक दल जो हमेशा ये डायलॉग मारते है कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता, वो अचानक ये भी कहने लगते है कि हिन्दू आतंकवादी होता है ।

पाकिस्तान बांग्लादेश ही नहीं भारत में भी एक हिन्दू के रूप में जीना बहुत मुश्किल है, हर जगह पर हिन्दू को अपमानित किया जाता है, उसके त्यौहार पर कोर्ट द्वारा तरह तरह के रोक लगाए जाते है, एक कॉमन चीज देखिये, पाकिस्तान में भी हिन्दू घट रहा है, ख़त्म होने के कगार पर है, बांग्लादेश में भी ख़त्म होने के कगार पर है, और हां भारत में भी हिन्दू अब 75% से भी नीचे पहुँच गया है, हिन्दू शिकार है आज वर्तमान में !!

आज जिस तरह से मुस्लिम समुदाय द्वारा देश में लव जिहाद चल रहा है, ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण किया जा रहा है, कोंग्रेस और वामपंथियों द्वारा हिन्दुओं को जातियों में तोड़ा जा रहा है, साधु-संतों को जेल में भिजवाया जा रहा है, फिल्मों द्वारा हिन्दू धर्म को नीचा दिखाया जा रहा है, कॉन्वेंट स्कूलों में मानसिक धर्मांतरण किया जा रहा है, मीडिया द्वारा हिन्दू संस्कृति के खिलाफ कैम्पियन चलाया जा रहा है, कानून द्वारा हिन्दू धर्म का दमन किया जा रहा, नशे द्वारा युवाओं का निस्तेज किया जा रहा है, विदेशी त्यौहारों द्वारा पतन किया जा रहा है, सेक्युलर नेताओं द्वारा हिन्दू आतंकी बताया जा रहा है, सत्ताधारी हिंदूनिष्ठ नेताओं द्वारा मौन साधा जा रहा है इससे तो साफ पता चल रहा है कि हिन्दू खत्म होने की कगार पर जा रहा है ।

देश में आज हिन्दू सजग नही हुआ और इन षड़यंत्रों के खिलाफ आवाज नही उठाई तो आगे की पीढ़ी को बहुत कुछ सहन करना पड़ेगा । अतः हर हिन्दू का कर्तव्य है कि एक होकर इन षड़यंत्रों के खिलाफ आवाज उठाये और उसको नष्ट करने के लिए प्रत्यनशील हो।

Sunday, January 28, 2018

पाठ्यक्रम में पढाई जा रही क्रूर आक्रमणकारी ‘अलाउद्दीन खिलजी’ की वीरता की दास्तां

January 27, 2018

भारत देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था ।  इसलिए भारत देश शुरू से ही विदेशी आक्रांताओं के निशाने पर रहा । सन 187 ईस.पू. में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय इतिहास की राजनीतिक एकता बिखर गई । इस खंडित एकता के चलते देश के उत्तर-पश्चिमी मार्गों से कई विदेशी आक्रांताओं ने आकर अनेक भागों में एक ओर जहां लूटपाट की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए । इन आक्रांताओं और लुटेरों में से कुछ तो महाक्रूर और बर्बर हत्यारे थे जिन्होंने भारतीय जनता को बेरहमी से कुचला । महिलाआें पर अत्याचार किए । उसी में से एक था ‘क्रूर आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी’ आैर इसी के वीरता के पाठ मध्यप्रदेश के बच्चों को पढाए जा रहे हैं। परंतु अलाउद्दीन खिलजी के हाथ लगकर अपना शील भ्रष्ट न हो इसलिए जिस रानी पद्मावती ने हजारों महिलाआें के साथ जाैहर किया उस महान रानी के विषय में कुछ भी पढाया नही गया है । इस तरह आक्रमणकारियों का उदात्तीकरण कर देश के महान महाराजा तथा रानियों के इतिहास की आेर अनदेखा कर आखिर प्रशासन क्या साबित करना चाहता है ?

मध्य प्रदेश : पद्मावती फिल्म का नाम बदलकर पद्मावत होने के बावजूद बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है । देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की आंच से मध्य प्रदेश भी झुलस रहा है । तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच एक सच्चाई यह भी है कि , आज भी मध्य प्रदेश के बच्चे रानी पद्मावती के इतिहास के बजाए अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य के बारे में ही पढ रहे हैं ।
Courageous 'Alauddin Khilji' heroic tales of studying in the course

पद्मावती को राष्ट्रमाता घोषित करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब राज्य सरकार की याचिका उच्चतम न्यायालय द्वारा बरखास्त किए जाने के बाद विवरण दे रहे है कि, यह कानून व्यवस्था से ज्यादा जनभावना का मुद्दा है । परंतु हैरानी की बात ये है कि, मध्य प्रदेश की पाठशालाओं मे पढाई जाने वाली सामाजिक विज्ञान की किताबों में 6वीं से 10वीं तक रानी पद्मावती का उल्लेख तक नहीं है ।

नवंबर 2017 में मामला सामने आने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने पाठ्यक्रम में बदलाव की घोषणा की थी, परंतु सच्चाई यह है कि, दो महीने के बाद भी सरकार की आेर से अब तक इस बारे में कोई प्रस्ताव भी भेजा नहीं गया है ।

पाठशाला-संबंधी किताबों में अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य के बारे में बताया गया है परंतु रानी पद्मावती की वीरता और पद्मावती के जौहर के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है ।

उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में चलने वाली 12वीं कक्षा के इतिहास की किताब में मध्य प्रदेश के बच्चे पहली बार रानी पद्मावती के बारे में पढते हैं । किताब में वर्ष 1303 में अलाउद्दीन खिलजी की चितौड़ की विजय पर पूरा एक परिच्छेद है । मेवाड की राजधानी चित्तौड पर हमले के बारे में लिखा है कि, “कहा जाता है कि चित्तौड पर आक्रमण का उद्देश्य राणा रतनसिंह की अत्यन्त सुंदर स्त्री पद्मिनी को पाना था । चित्तौड के राजपूतों ने वीरता के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया । परंतु विजय आखिर अलाउद्दीन को मिली और उसने चित्तौड के किले पर नियंत्रण कर लिया । रानी पद्मिनी और दूसरी राजपूत महिलाओं ने जौहर कर लिया । इसके बाद अलाउद्दीन ने गुस्से में हजारों राजपूतों को मौत के घाट उतार दिया । चित्तौड का नाम बदलकर खिज्राबाद रख दिया ।” स्त्रोत : हिन्दुजागृति

देश आजाद तो हुआ उसका जश्न जनता ने मनाया लेकिन भारत में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम से आज़ादी नही मिल पाई, हमारे देश में कितने महान राजा हुए है जो पूरे दुनिया में एकछत्र सम्राट थे लेकिन उनका इतिहास कहीं नही पढ़ाया जाता ।

क्रूर आक्रमणकारी मुगल जिन्होंने भारत के मंदिर तोड़ दिए, भारतवासियों का खुल्लेआम कत्लेआम कर दिया, बहु-बेटियों की इज्जत लूटी, बलात्कार किये, भारत की संपत्ति लूट गये, भारतीय संस्कृति को तहस नहस कर दिया, भारत को 800 साल गुलाम रखा उन क्रूर मुगलों का इतिहास पढ़ाया जाता है ।

दूसरा अंग्रेजो का भी यही है जिन अंग्रेजो ने भारत को 200 साल तक गुलाम रखा, भारत को लूटकर ले गये, भारतीय इतिहास को मिटाने का पूर्ण प्रयास किया, वैदिक शिक्षा पद्धति को मिटा दिया आज उनका इतिहास में महिमा मंडन किया जा रहा है।

भारत के जिन वीरों ने इनको भागने पर मजबूर कर दिया, देश के खातिर प्राणों की आहुति दे दी आज उनका नाम इतिहास से मिटा दिया गया है जिसके कारण आज की नई पीढ़ी समझ ही नही पा रही है कि वास्तव में हमारे प्रेरणा स्त्रोत कौन हैं !
 आज जो शिक्षा पद्धति गलत पढ़ाई जा रही है उसके कारण ही आज गरीबी, भ्रष्टाचार, दंगेबाजी, हो रही है, अगर ऐसा गलत इतिहास नहीं पढ़ाया जाये तो सब दंगे बन्द हो जायेगा और देश में सुख शांति और समृद्धि बढ़ेगी ।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस पर अति ध्यान देना चाहिए,  इतिहास को सुधारना जरूरी है इतिहास सुधरेंगा तो देश की जनता सुधरेगी और देश में भ्रष्टाचार, गरीबी मिट जाएगी और देशवासी भी सुसंस्कारित होंगे ।

Saturday, January 27, 2018

शोध में सामने आयी भयंकर जानकारी, एनर्जी ड्रिंक का होता है खतरनाक असर

January 27, 2018

आज कल बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर व्यक्ति फास्ट फुड, जंक फुड, कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक जैसे आधुनिक आहार के आदी हो चुके हैं। एेसे लोगों की आंखे खोलनेवाला यह शाेध महत्त्वपूर्ण है ।
आजकल यंग जेनरेशन को एनर्जी ड्रिंक पीना बहुत भाता है, उनका मानना है इसे पीने से बॉडी को इंटेन्‍ट एनर्जी मिलती है और वह पढ़ाई या पार्टी बिना थके कर लेते हैं लेकिन ये बात गलत है क्योंकि एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, रक्तचाप, मोटापा और गुर्दे की क्षति समेत कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है।
Dangerous effect of energy drinks, energy drinks in the research

लंदन : अगर आप भी एनर्जी ड्रिंक पीते हैं, तो सावधान हो जाइए ! दरअसल, एक नए शोध से पता चलता है कि एनर्जी ड्रिंक से युवाओं में नकारात्मक दुष्प्रभाव हो सकते हैं । कनाडा के ओंटारियो में वाटरलू विश्वविद्यालय में किए गए शोध में कहा गया है कि ऐसे ड्रिंक्स की बिक्री 16 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 12 से 24 वर्ष के 55 प्रतिशत बच्चों को एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या मिली थी। इनमें हार्ट रेट तेज होने के साथ ही दिल के दौरे शामिल थे। शोधकर्ताओं ने 2,000 से अधिक युवाओं से पूछा कि वे रेड बुल या मॉन्सटर जैसे एनर्जी ड्रिंक को कितनी बार पीते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि अन्य कैफीनयुक्त पेय की तुलना में जिस तरह से एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया जाता है, उसे देखते हुए एनर्जी ड्रिंक अधिक खतरनाक हो सकते हैं। शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया था उनमें से 24.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि उनके दिल की धडकन तेज हो गई थी ।

वहीं, 24.1प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसे पीने के बाद उन्हें नींद नहीं आ रही थी। इसके अलावा, 18.3 प्रतिशत लोगों ने सिरदर्द, 5.1  प्रतिशत मितली, उल्टी या दस्त और 3.6 प्रतिशत लोगों ने छाती के दर्द का अनुभव किया। हालांकि, शोधकर्ताओं के बीच चिंता का कारण यह था कि इन युवाओं ने एक या दो एनर्जी ड्रिंक ही लिए थे फिर भी उन्हें ऐसे प्रतिकूल प्रभावों का अनुभव हो रहा था ।

अध्ययन के बारे में प्रोफेसर डेविड हैमोंड ने कहा कि फिलहाल ऊर्जा पेय खरीदनेवाले बच्चों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। किराने की दुकानों में बिक्री के साथ ही बच्चों को टार्गेट करते हुए इसके विज्ञापन बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि इन उत्पादों के स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी बढ़ाने की जरूरत है ! स्त्रोत : नई दुनिया

एक ताजा अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन में यह जानकारी निकलकर सामने आई है कि अक्सर एनर्जी ड्रिंक्स को शराब के साथ लिया जा रहा है। अधिकांश एनर्जी ड्रिंक्स के अवयवों में पानी, चीनी, कैफीन, कुछ विटामिन, खनिज और गैर-पोषक उत्तेजक पदार्थ जैसे गुआरना, टॉरिन तथा जिन्सेंग आदि शामिल रहते हैं।

एनर्जी ड्रिंक्स में लगभग 100 मिलीग्राम कैफीन प्रति तरल औंस होता है, जो नियमित कॉफी की तुलना में आठ गुना अधिक होता है। कॉफी में 12 मिलीग्राम कैफीन प्रति तरल औंस होता है। एनर्जी ड्रिंक्स में उपरोक्त सभी स्वास्थ्य जोखिम इसमें मौजूद चीनी और कैफीन की उच्च मात्रा के कारण होता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्म श्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, एनर्जी ड्रिंक्स शरीर के लिए नुकसानदेह हैं। उनमें कैफीन की अधिक मात्रा होने से युवाओं एवं बूढ़े लोगों में हृदय ताल, रक्त प्रवाह और रक्तचाप की समस्याएं हो सकती हैं। इन पेय पदार्थो में तौरीन नामक एक तत्व होता है, जो कैफीन के प्रभाव को बढ़ाता है। इसके अलावा, जो लोग शराब के साथ एनर्जी ड्रिंक्स पीते हैं, वे इसके प्रभाव में अधिक शराब पी जाते हैं। एनर्जी ड्रिंक्स लेने से शराब पीने का पता नहीं लग पाता, जिस कारण से लोग अधिक पीने के लिए प्रेरित होते हैं।

18 वर्ष से कम उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं, कैफीन के प्रति संवेदनशील लोगों, एडीएचडी के लिए निर्धारित दवा जैसे एडर आदि लेने वालों के लिए एनर्जी ड्रिंक्स खास तौर पर अधिक नुकसानदेह होते हैं।

अमेरिका में हुए एनर्जी ड्रिंक से संबंधित एक सर्वेक्षण के अनुसार कैफीन लेने से दौरा पड़ने और सनक की समस्‍या होती है व कई बार तो मौत भी हो जाती है। अगर इसे आप सॉफ्ट ड्रिंक मानते हैं तो ये गलत है। एनर्जी ड्रिंक में मिली कैफीन सीधे दिमाग पर असर करती है, ऐसे में बच्चों का इसे पीने पर पाबंदी होनी चाहिए।

एनर्जी ड्रिंक में 640 मिग्रा कैफीन

विशेषज्ञों के अनुसार, हाई एनर्जी ड्रिंक के एक कैन में अमूमन 13 चम्‍मच चीनी और दो कप कॉफी के बराबर की कैफीन होती है। इस मात्रा से आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि एक बर में इतनी सारी कैलोरी और कैफीन मानव शरीर और दिमाग के लिए खतरा पैदा करने के लिए काफी है। जबकि कई बार तो युवा एक दिन में 3-4 कैन एनर्जी ड्रिंक पी लेते हैं। इसमें लगभग 640 मिग्रा कैफीन की मात्रा होती है, जबकि एक वयस्‍क भी एक दिन में केवल 400 मिग्रा कैफीन ही ऑब्जर्व कर सकता है।

एनर्जी ड्रिंक के दुष्‍प्रभावों को जानना जरूरी है। 

1) कैफीन पर निर्भरता : यह बात सामान्‍य है कि कैफीन की मात्रा, एनर्जी ड्रिंक में मिली हुई होती है। एनर्जी ड्रिंक को पीने से पता नहीं चलता है कि हमारे शरीर में कैफीन की कितनी मात्रा पहुंचती है। एक बार अगर शरीर को कैफीन की लत लग गई तो अन्‍य समस्‍याएं भी खड़ी हो सकती है। इसलिए इसे न पीना ही बेहतर विकल्‍प है।

2) नींद न आना : एनर्जी ड्रिंक को पीने से ज्‍यादा एनर्जी आने के कारण रात में भी नींद न आने की समस्‍या पैदा हो सकती है। शरीर और दिमाग थक जाते है लेकिन नींद नहीं आती है जिसके चलते उलझन होती है। जो लोग प्रतिदिन एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते है, उन्हें ऐसी समस्‍या का सामना अक्‍सर झेलना पड़ता है। 

3) मूड पर प्रभाव : अध्‍ययनों से यह बात स्‍पष्‍ट हो चुकी है कि एनर्जी ड्रिंक पीने से व्‍यक्ति के मूड पर प्रभाव पड़ता है और उसका मूड स्‍वींग होता रहता है। इसके सेवन से शरीर में फील गुड कराने वाना सेरोटोनिन घट जाता है जिससे व्‍यक्ति को अवसाद हो जाता है या उसका मूड उखड़ा-उखड़ा रहता है। 

4) शुगर बढ़ना : एनर्जी ड्रिंक में भरपूर मात्रा में शुगर मिली होती है। एक ड्रिंक में लगभग 13 चम्‍मच चीनी होती है जो शरीर में शुगर लेवल को बढा देती है जिससे कई प्रकार की गंभीर समस्‍याएं होने का खतरा रहता है। इसके सेवन से डिहाईड्रेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव, खराब दांत आदि पर भी असर पड़ता है। 

5) अंगो पर तनाव : एनर्जी ड्रिंक के सेवन से शरीर के सभी अंगो पर स्‍ट्रेस पड़ता है क्‍योंकि वह थक जाते हैं और उन्‍हे आराम नहीं मिल पाता है। अगर आप शरीर को स्‍वस्‍थ और खुशहाल बनाना चाहते हैं तो एनर्जी ड्रिंक का सेवन न करें। 

एनर्जी ड्रिंक को हेल्‍दी ड्रिंक का विकल्‍प कभी न बनायें और न ही इसे अपनी आदत बनायें। इसकी जगह ताजे फल और फलों का जूस पीने से अधिक एनर्जी बढ़ती है और शरीर स्वस्थ्य रहता है।

आज कल टीवी अखबारों, चलचित्रों, फिल्मों द्वारा पश्चिमी संस्कृति का महिमामंडन हो रहा है जिसके कारण आज बचपन से ही उनसे प्रभावित हो जाते है और अपने जीवन को निस्तेज कर देते हैं अतः आप ऐसी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण नही करें । ताजा फलों का रस, देशी गाय का दूध, घी, गौझरन आदि का उपयोग करके स्वस्थ्य सुखी और सम्मानित जीवन जीये ।

Friday, January 26, 2018

राजस्थान निवाई में बापू आसारामजी की गौशाला को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया, मिला ईनाम

January 26, 2018

इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया केवल जनता को गुमराह करती है, जो खबरें वास्तविक खबरें होती हैं उनको समाज के सामने न रखकर खबरों को तोड़-मरोड़ कर पेश करती हैं । 
Bau Asaramji's Gaushala declared Best in Rajasthan Niwai, got Prize

मीडिया ट्रायल विदेशी ताकतों का भारी षड्यंत्र है जो अच्छे व्यक्ति को बुरा और बुरे व्यक्तियों को अच्छा बनाकर समाज के सामने प्रस्तुत कर देता है । जैसे अभी करनी सेना को गुंडा बताया जा रहा है और देशविरोधी नारे लगाने वालों को हीरो दिखाया जा रहा है, ऐसे मीडिया ट्रायल के शिकार हुए हैं हिन्दू संत आसाराम बापू । जिनकी छवि को इतना धूमिल किया गया कि कुछ लोग तो उनको अपराधी ही मान बैठे हैं । उनके द्वारा हुए समाजहित के अतुलनीय कार्यों को कभी मीडिया कवरेज नहीं मिला ।

हिन्दू संत आसाराम बापू की देशभर में कई गौशालायें हैं, हजारों कत्लखाने जाती गायों को बचाकर गौशाला में पालते हैं, जिसमें अधिकतर तो दूध नही देती ऐसी गायों भी हैं जिसका अच्छी तरह भरण-पोषण किया जा रहा है ।

शुक्रवार 69 गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजस्थान पशुपालन विभाग की ओर से संत श्री आशारामजी गौशाला निवाई को जिले की सर्वश्रेष्ठ गौशाला घोषित कर सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। 

गौरतलब है कि बापू आशारामजी गौशाला में अनेक सेवाकार्य भी होते हैं जिससे गरीबों को रोजी रोटी मिलती है और वातावरण में शुद्धि होती है ।
गौशाला में गोबर गैस से लाइट का निर्माण किया जाता है, केचुआ खाद से खेती की जाती है, 
गोबर की सैलरी से जैविक खेती की जाती है, और
गौ-संवर्धन किया जाता है ।

आपको बता दें कि बापू आसारामजी गौशालाओं के आस-पास ट्रकों में भरकर कत्लखाने जाती गायों को पुलिस प्रशासन बचाकर संत आशारामजी गौशाला में भेज देते हैं क्योंकि यहाँ पर गाय सुरक्षित होने के साथ-साथ उनकी अच्छी तरह से देखभाल भी की जाती है ।

कुछ समय पहले  निवाई (राजस्थान) के पास  पुलिस ने गोवंश से भरे दो ट्रक जब्त किए । सभी गायों को निवाई स्थित संत आशारामजी बापू गौशाला में भेज दिया गया ।

देश में एक तरफ गौ-माता के कत्लखाने, दूसरी ओर संत आसारामजी गौशालाओं में कत्ल करने के लिए जा रही हजारों गायों को बचाकर गौशालाओ में रखा है । उन गायों की भी वहां अच्छे से देखभाल की जाती है जो दूध भी नही देती । कई गायें तो बीमार भी रहती हैं उनकी भी वहाँ मौसम अनुसार अच्छी देखभाल की जाती है ।

 जोधपुर जेल से ही बापू आसारामजी ने कुछ समय पहले एक पत्र लिखा, उस पत्र में लिखा था कि गोझरण अर्क बनानेवाली संस्थाएँ एवं जो लोग गोमूत्र से फिनायल व खेतों के लिए जंतुनाशक दवाइयाँ बनाते हैं, वे 8 रुपये प्रति लीटर के मूल्य से गोमूत्र ले जाते हैं । गाय 24 घंटे में 7 लीटर मूत्र देती है तो 56 रुपये होते हैं । उसके मूत्र से ही उसका खर्चा आराम से चल सकता है । गाय के गोबर, दूध और उसकी उपस्थिति का फायदा देशवासियों को मिलेगा ही ।

पुनः गोमूत्र, गोबर से निर्मित खाद एवं गौ-उपस्थिति का खेतों में सदुपयोग हो । भारत को भूकम्प की आपदाओं से बचाने के लिए मददगार है गौसेवा ।

बापू आशारामजी ने आगे लिखा कि लोग कहते हैं कि ‘आप 8000 गायों का पालन-पोषण करते हैं !’ तो मैं तुरंत कहता हूँ कि ‘वे हमारा पालन-पोषण करती हैं । उन्होंने हमसे नहीं कहा कि हमारा पालन-पोषण करो, हमें सँभालो । हमारी गरज से हम उनकी सेवा करते हैं, सान्निध्य लेते हैं ।’

 बापू आसारामजी के अनुयायियों द्वारा गौ माता को बचाने के लिए ट्वीटर के जरिये भी वे लोग कई बार भारत में टॉप ट्रेंड में रहे हैं ।

गौ माताओं के लिए इतना उत्तम सेवाकार्य किया जा रहा है संत आसारामजी बापू द्वारा लेकिन मीडिया इसको न दिखाकर केवल उनकी छवि धूमिल करने में प्रयासरत है । आखिर क्यों मीडिया हिन्दू संतों की छवि को मीडिया धूमिल करने में प्रयासरत है ???

गौरतलब है कि आज बापू आसारामजी चार साल चार महीने से बिना सबूत जेल में हैं । पर उनका केस पढ़ने के बाद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, सुदर्शन न्यूज चैनल के सुरेश चव्हाण के, स्वर्गीय अशोक सिंघल तथा अन्य कई जानी-मानी हस्तियों ने कहा है कि उनको अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में भेजा गया है लेकिन फिर भी उनके द्वारा बताये गए सेवाकार्यों में उनके शिष्य हमेशा आगे ही रहते हैं ।

आपको बता दें कि न्यायालय में अधिवक्ता सुराणाजी ने हिन्दू संत आसारामजी बापू केस में कई सनसनीखेज़ खुलासे भी किये है ।
जैसे -
- FIR घटना के 5 दिन बाद की गई ।
- FIR की वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई ।
- FIR और उसकी कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया ।
- रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ें गए ।
- FIR 2 दिन बाद न्यायालय में पेश की गई ।
- अलग-अलग दस्तावेज में लड़की की अलग-अलग उम्र पाई गई ।
- मेडिकल में नहीं मिला एक खरोंच का भी निशान ।

क्या ये कहीं न कहीं उनको फंसाने की साजिश नहीं..??


मीडिया ने ये सब कभी नही बताया और न ही कभी बताएंगी । पर हर समझदार और बुद्धिजीवी अब इस बात को समझ चुका है कि निर्दोष हिन्दू संत आसारामजी बापू को फंसाने में राष्ट्र विरोधी ताकतें काम कर रही हैं ।

Thursday, January 25, 2018

जानिए इतिहास क्यों मनाते है 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस

January 25, 2018
🚩 गणतन्त्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था।
🚩 #26जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय दिवस हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है।
🚩हमारी #मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटिश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटिश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे, भारतीय #स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा लंबे संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली।

Know how history celebrates January 26 Republic Day

🚩सन 1929 के दिसंबर में #लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ उसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश(डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा।

🚩26 जनवरी 1930 तक जब #अंग्रेज #सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय #आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947  में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26  जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया।
🚩26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना #संविधान लागू किया और खुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित किया। लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया। खुद को संप्रभु, #लोकतांत्रिक, #गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी "गणतंत्र दिवस" के रुप में मनाया जाने लगा।
🚩देश को गौरवशाली गणतंत्र #राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी दिन याद किया जाता और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है।
🚩गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य:
🚩1- पूर्ण #स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था।
🚩2- 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था।
🚩3- गणतंत्र दिवस की पहली #परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी।
🚩4- भारतीय संविधान की दो प्रत्तियां जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई।
🚩5- भारतीय संविधान की #हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं।
🚩6- भारत के पहले #राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमैंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।
🚩7- गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं ।
🚩8-  26 जनवरी को हर साल 21 #तोपों की सलामी दी जाती है।
🚩9- 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं। यह दिन #गणतंत्र दिवस के समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगीत का सम्मान करें !
🚩 राष्ट्रप्रतीकों का सम्मान करें, राष्ट्राभिमान बढाएं !
1. राष्ट्रध्वज को ऊंचे स्थान पर फहराएं ।
2. प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का उपयोग न करें ।
3. ध्यान रखें कि राष्ट्रध्वज नीचे अथवा कूडे में न गिरे ।
4. राष्ट्रध्वज का उपयोग शोभावस्तु के रूप में अथवा पताका एवं खिलौने के रूप में न करें ।
5. जिन वस्त्रों पर राष्ट्रध्वज छपा हुआ है, ऐसे वस्त्र न पहनें अथवा अपने मुख पर भी ध्वज चित्रित न करवाएं ।
6. राष्ट्रगीत के समय बातें न करें, सावधान मुद्रा में खडे रहें ।
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Wednesday, January 24, 2018

ऐतिहासिक पहल : जेलों में कैदियों को सुधारने के लिए दी जाएगी 'काऊ-थैरेपी'

January 24, 2018

गौ-सेवा से धन-सम्‍पत्ति, आरोग्‍य आदि मनुष्‍य-जीवन को सुखकर बनाने वाले सम्‍पूर्ण साधन सहज ही प्राप्‍त हो जाते हैं । मानव गौ की महिमा को समझकर उससे प्राप्त दूध, दही आदि पंचगव्यों का लाभ ले तथा अपने जीवन को स्वस्थ, सुखी बनाये, इस उद्देश्य से हमारे परम करुणावान ऋषियों-महापुरुषों ने गौ को माता का दर्जा दिया ।
गौधन बचाओ,गौ-रक्षा करो ऐसी बातें करने वाले तो बहुत लोग है पर हरियाण सरकार ने एक अनोखी पहल की । जिससे गौमाता तो बचेगी और साथ में कैदियों का भी उद्धार हो जायेगा ।
Historical Initiatives: 'Cau-Therapy' will be given to imprisoned prisoners

हरियाणा की छह जेलों में बंद कैदियों को अब काऊ थेरेपी दी जाएगी। इसके तहत कैदी गाय की सेवा करेंगे, गाय का शुद्ध दूध पीयेंगे। सरकार का दावा है कि गाय में जादुई शक्ति होती है, जिसके संपर्क में आकर कैदियों में सुधार आएगा। राज्य की जेलों में कैदियों की मानसिक और शारीरिक सेहत दुरुस्त रखने के लिए रीहैबिलिटेशन प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। काऊ थेरेपी इसी का हिस्सा है। 
6 जेलों के लिए 600 गाय मंगाई जाएंगी। गायों के लिए खलिहानों का निर्माण भी किया जाएगा। ये काम अगले महीने से शुरू होगा। पूरे कार्यक्रम के लिए 1 करोड़ 5 लाख रुपए का बजट भी तय किया गया है। 
हरियाणा के गौ सेवा आयोग के चैयरमैन भनी राम मंगला का कहना है कि- ‘गाए हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनमें एक जादुई शक्ति होती है, जिसके कई लाभ होते हैं। काऊ थेरेपी की मदद से कैदियों को अपराध की दुनिया से दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही गाय के लिए भी ये योजना फायदेमंद हो सकती है।’ 
जेल प्रशासन का दावा है कि- जेल में पाली जाने वाली गायों के शुद्ध दूध से कैदी शुद्ध हो जाएंगे। उनकी मानसिक स्थिति भी सकारात्मक होगी। गाय की सेवा करने से कैदियों को गाय की जादुई और सकारात्मक शक्ति के संपर्क में रहने का भी अवसर मिलेगा। साथ ही गाय के गोबर और गौमूत्र को लोकल मार्केट में बेचने का भी प्रबंध किया जाएगा। 
गौमूत्र में अस्थमा, डायबिटीज, आर्थराइटिस और हडि्डयों की कई और बीमारियों से बचाने का गुण होता है। इसके अलावा जेल परिसर में ही गायों के खाने के लिए चारा भी उगाया जाएगा। बायोगैस प्लांट लगाने का भी प्लान है। बहरहाल ये अपनी तरह का पहला प्रोग्राम है, जिसमें जेल के कैदियों द्वारा गायों के रखरखाव का ध्यान रखा जा रहा है। 
काऊ थेरेपी देने वाली पहली गौशाला करनाल जेल में बनाए जाने की योजना है। इसके बाद अंबाला, जींद, भिवानी, सोनीपत और रोहतक जेल में भी ऐसे ही प्रयोग किए जाएंगे। यूपी की भी आगरा और इलाहाबाद की जेलों में गौशाला बनाई जा सकती है। 
गौमाता परमोपयोगी
देशी गाय के दर्शन एवं स्पर्श से पवित्रता आती है, पापों का नाश होता है । गोधूलि (गाय की चरणरज) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं । ‘स्कंद पुराण’ में गौ-माता में सर्व तीर्थों और सभी देवताओं का निवास बताया गया है ।
गायों को घास देनेवाले का कल्याण होता है । स्वकल्याण चाहनेवाले गृहस्थों को गौ-सेवा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि गौ-सेवा में लगे हुए पुरुष को धन-सम्पत्ति, आरोग्य, संतान तथा मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं । 
विश्व के लिए वरदानरूप : गोपालन
देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं । दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है । घी ओज-तेज प्रदान करता है । इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है । गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है । जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते । पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है । ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं । गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है ।
सभी भारतवासी गौ-माता का पालन करें औरों को भी प्रेरित करें क्योंकि गौ-माता स्वास्थ्य के साथ करोड़ों का रोजगार भी देने वाली है जिससे देश में स्वास्थ्य-सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी ।