10 Sep 2017
स्वामी# विवेकानंद #ने अमरीका के शिकागो में 11# सितंबर #1893 को आयोजित #विश्व धर्म परिषद #में जो भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी।
स्वामी# विवेकानंद #ने अमरीका के शिकागो में 11# सितंबर #1893 को आयोजित #विश्व धर्म परिषद #में जो भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी।
हिन्दू संस्कृति का परचम लहराने #वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट #(विश्व धर्मपरिषद) शिकागो में भारत का नेतृत्व 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानंदजी ने और ठीक उसके 100 #साल बाद 4 सितम्बर 1993 #संत# आसारामजी बापू ने किया था ।
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लेकिन दुर्भाग्य है कि जिन संतो को #"भारत रत्न" #की उपाधि से #अलंकृत #करना चाहिए उन्हें ईसाई मिशनरियों के इशारे पर राजनीति के तहत झूठे आरोपों द्वारा #जेल #में भेजा जाता है और विदेशी# फण्ड #से चलने वाली भारतीय मीडिया द्वारा उन्हें बदनाम कराया जाता है ।
शिकागो की #धर्म सभा के दाैरान पादरियों द्वारा यह कहा गया कि भारत भिखारियों का देश है वहाँ पर #धर्म प्रचार #करने की आवश्यकता है।
जब स्वामी #विवेकानंद जी #तक यह बात पहुंची तो वे तिलमिला उठे और गर्जना भरे शब्दों में पादरियों की सभा में बोले कि तुम कहते हो भारत भिखारियों का देश है तो इस भ्रम को निकाल दो, #भारत भिखारियों का नहीं बल्कि भिक्षुकों का #देश है।
भिखारी वो होते हैं जो #धन के अभाव #में किसी से याचना करते हैं ,
पर तुम नहीं जानते हो तो सुनो !
भारत में ऐसे राजा हुए जो सोने के महल में रहते व चांदी के थाल में भोजन करते थे।
लेकिन जब उन्हें सनातन ज्ञान का मार्गदर्शन मिला तो वे वैराग्य को धारण करके सत्य की खोज के लिए सब कुछ त्याग कर #भिक्षुक बन गए , जंगलों में गुरु की सेवा करते और रोटी का टुकड़ा भिक्षा में माँग कर खाते।
राजा भर्तृहरि, परीक्षित, सिद्धार्थ, महावीर, भरत जैसे महात्मा राजा इसका #प्रयत्क्ष# उदाहरण हैं ।
और उन्होंने उस परमानन्द की प्राप्ति की जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो ।
देखो तुम आनंद से इतने नीरस हो गए हो कि धन और डंडे के भय से #धर्म प्रचार कर रहे हो।
लेकिन #उन महापुरुषों के रहने मात्र से पशु पक्षी भी शांति का अनुभव करते हैं इसलिए भारत भिक्षुकों का #देश #है।
तुम थोड़ा सा भी भारत का प्रसाद पाओगे तो कृतार्थ हो जाओगे।
स्वामी जी के इस उपदेश से कितने #ईसाई सुधरे, कितने जल भून गए पर स्वामी जी बिना किसी की परवाह किये सनातन #धर्म का डंका बजाते रहे।
स्वामी जी के हयाती #काल में उन्हें इतना परेशान# किया गया ,उनका इतना #कुप्रचार किया गया कि उनके गुरूजी की समाधि के लिये #एक गज जमीन तक# उन्हें नहीं मिली थी । पर अब पूरी दुनिया स्वामी #विवेकानंद जी व उनके गुरूजी का जय-जयकार करती है ।
जब वे धरती से चले गए, अर्थात् #इतिहास के पन्नों पर जब उनकी महिमा आयी तब लोग उनको इतना आदर - सम्मान देते हैं पर उनकी# हयातीकाल में उनके साथ दुष्टों ने कैसा #व्यवहार किया...!!
सावधान!!
क्या हम भी ऐसा #व्यवहार हयात संतों के साथ तो नहीं कर रहें..??
वर्त्तमान समय में भी ऐसे #महान संत इस धरती पर# विराजमान हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू संस्कृति के# उत्थान में लगा दिया ।
अभी भी #जिन साधु -संतो को #ईसाई मिशनरियों के इशारे पर #मीडिया द्वारा बदनाम किया जा रहा है उनका भी आगे जयकारा दुनिया बोलेगी ।
#ईसाई मिशनरियां स्वामी विवेकानंदजी के समय से संतो के #विरुद्ध षड़यंत्र कर #रही हैं क्योंकि हिन्दू संत इनके आँखों की किकरी बन गए हैं ये हमारे संतों के सामने #धर्मान्तरण में विफल #हो रही हैं ।
इसका #प्रयत्क्ष उदाहरण संत आसारामजी बापू हैं जिनका #जीवन चरित्र पढ़ने से पता चलता है कि उन्होंने संस्कृति उत्थान के लिए अतुलनीय कार्य किये हैं।
आज मल्टी #नेशनल कंपनियों को भारी घाटा होने के कारण ही वे #षड़यंत्र के तहत फंसाये गए हैं । क्योंकि उनके 6 करोड़ भक्त बीड़ी, सिगरेट, दारू, चाय, कॉफी, सॉफ्ट कोल्ड्रिंक आदि नही पीते हैं । वेलेंटाइन डे आदि नहीं मनाते जिससे विदेशी कपनियों को अरबो-खबरों का घाटा हो रहा था और उन्होंने लाखों हिन्दुओं की घर वापिस कराई इसलिए ईसाई मिशनरियों ने और विदेशी कंपनियों ने मिलकर मीडिया में बदमाम करवाया और राजनीति से मीकलर झूठे केस में फंसाया और कुछ गंजेड़ी-भंगेड़ी साधु का चोला पहने हुए उनको संत बोलने से इंकार करते है कितनी नादान बुद्धि है ।
संत नारसिंह मेहता जी को भी ब्राह्मणों ने बहिष्कार किया था तो क्या वे संत नही थे? आज भी वे करोड़ो के हृदय में बसे है ।
वो समाज अभागा है जो सच्चे संतों की महिमा नहीं समझ रहा !!
उनके साथ हो रहे अन्याय को नहीं समझ रहा !!
संत तो संत होते हैं कोई उन्हें माने या न माने, इससे उनकी आंतरिक स्थिति पर कोई अन्तर नहीं पड़ता पर जो समाज उनकी हयाती में उनसे फायदा नहीं उठा पाया तो ये उस समाज का दुर्भाग्य है ।
स्वामी विवेकानंद को लोगों ने नहीं पहचाना तो इसे विवेकानंद का क्या बिगड़ा..??
स्वामी रामतीर्थ को लोग नहीं समझ पाये तो इसे रामतीर्थ क्या बिगड़ा..??
महात्मा बुद्ध के साथ घिनौने षड़यंत्र किये गए तो इसे बुद्ध का क्या बिगड़ा..??
कबीर जी को बदनाम किया गया इसे कबीर जी का क्या बिगड़ा..??
#गुरुनानक के लिए लोग उल्टा-सीधा बोलते थे तो इसे नानक जी का क्या बिगड़ा..??
#समर्थ रामदास,एकनाथ महाराज,तुकाराम,ज्ञानेश्वर जी आदि आदि...
कितने संतों के नाम बताये जिनके हयातीकाल में उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया कि आज जब हम इतिहास पढ़ते हैं तो नजरें शर्म से झुक जाती हैं ।
पर उन #महापुरुषों का क्या बिगड़ा...???
बिगड़ा तो उस समाज का बिगड़ा जो ऐसे महापुरुषों की हयाती में उनका लाभ नहीं उठा पाये ।
अपने अंदर झांककर देखे कि आज हम भी कहीं वही गलती तो नहीं दोहरा रहे..??
सोचे,समझे और हकीकत तक पहुँचने का प्रयास करें !!
मीडिया की बातों में आकर किसी भी संत पर ऊँगली उठाने से पहले सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास करना ये आज हर हिन्दू का कर्त्तव्य बनता है ।
अगर सच तक पहुचने की कोशिश करेंगे तो आपको जो दिखाई दे रहा है उसे विपरीत कुछ और ही सच्चाई देखने को मिलेगी ।
उठे, किसी की बातों में न आकर स्वयं सच्चाई तक पहुँचे !!
जय हिन्द !!
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