सितम्बर 8, 2017
भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहंगिया को देशवासियों की सुरक्षा को देखते हुए वापस भेजने का फैसला लिया गया तो मानवाधिकारी केन्द्र के इस फैसले को अत्याचार कह कर विरोध कर रहे हैं और कुछ वकील तो सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत में बिना सोचे समझे याचिका भी दायर कर रहे हैं । शायद ये बुद्धिजीवी इंडोनेशिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान की घटनाओं से वाकिफ नहीं हैं । भारत की तरह इंडोनेशिया भी हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन अब वहाँ हिन्दुओं की तादाद न के बराबर रह गयी है। वजह है अवैध तरीके से वहाँ बसे लोग जिन्होंने अपनी तादाद बढ़ाने के लिए हिंदुत्ववादियों को मारना शुरू कर दिया और अगर बात करें खुद भारत की तो जहां-जहां से भारत की सीमा बांग्लादेश से लगती है अब वहां जातीय गणित गड़बड़ा रहा है। वहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक और मुसलमान बहुसंख्यक हो गये हैं । बांग्लादेश की ओर से घुसपैठ जारी है जिसके चलते असम में हालात बिगड़ रहे हैं ।
Extinction of Hindus In Indonesia |
आपको बता दें कि जब पाकिस्तान का जबरन हिस्सा बन गए बंगालियों ने विद्रोह छेड़ दिया तो इसे कुचलने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए हिन्दुओं को चुन-चुनकर मारना शुरू कर दिया। जिसमें लाखों बंगालियों की मौत हुई। हजारों बंगाली औरतों का बलात्कार हुआ।
आकड़ो के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का युद्ध की आड़ में कत्ल कर दिया गया। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिन्दुओं पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार के आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया तो भारतीय सेना ने अपना खून बहाकर सन् 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराया । इस खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लगभग 1 करोड़ मुसलमान भारत के पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य में आ गये । जिनकी संख्या 1 करोड़ से बढ़कर 3.50 करोड़ के आसपास हो गई है।
जहां-जहां से भारत की सीमा बांग्लादेश से लगती है वहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक और मुसलमान बहुसंख्यक हो गये हैं ।
आपको बता दें कि 2011 में बांग्लादेशी सरकार द्वारा जारी किए गए धार्मिक जनगणना के डाटा अनुसार इस समय बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या महज 8.6 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर कई उत्पीड़न के मामले भी सामने आये हैं जिसमें हिन्दुओं की संपत्ति को लूटा गया, घरों को जला दिया गया तथा मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया ।
वही इंडोनेशिया में बाली द्वीप प्रांत पर ही हिन्दू बचे हैं। कभी हिन्दू राष्ट्र रहे इंडोनेशिया में आज भी हिन्दू काल के कई प्रचीन और विशालकाय मंदिर मौजूद हैं जो उस देश की पहचान हैं। वहाँ के मुस्लिमों को कभी हिन्दुओं से तकलीफ नहीं रही है क्यूंकि वे जानते हैं कि उनके पूर्वज हिन्दू थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वहां बाहरी लोगों ने आकर कट्टरवाद को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में यहां पर अल कायदा और आईस के सक्रिय होने से देश की सरकार चिंता में है और वहाँ के हिन्दू नागरिकों पर भी खतरा मंडरा रहा है ।
पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। #स्कूलों में #इस्लाम की #शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। #हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ #दुष्कर्म, #अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें #इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन #धर्मतांरण का दबाव डाला जाता है। गरीब हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर है। हिंसक हमले भी किये जाते है । अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के थार जिले में एक नाबालिग हिन्दू लड़की का कथित तौर पर अपहरण करके उसको धर्मान्तरित करा दिया गया।
अब जानिए भारत क्यों रोहिंग्याओं को वापस भेजना चाहता है…
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि UNHCR का पेपर होने के बावजूद रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में नहीं रहने दिया जा सकता। भारत रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। इसके पीछे के कुछ कारण ये हैं…
भारत में 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू, हैदराबाद, देहली-एनसीआर, हरियाणा, यूपी और राजस्थान में शरण लिए हुए हैं। इनमें 17,000 के पास UNHCR के कागजात हैं।
1. शरणार्थियों के आतंकी संगठनों से संबंध है !
2. रोहिंग्या शरणार्थी न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहे हैं अपितु सुरक्षा के लिए भी चुनौती हैं !
3. रोहिंग्या शरणार्थियों के कारण सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समस्याएं खड़ी हो सकती हैं !
4. इसके पीछे की एक सोच यह भी है कि, भारत के जनसांख्यिकीय स्वरूप सुरक्षित रखा जाए !
मुद्दे की बात यह है कि जिस तरह से घुसपेठियों ने देश में आकर देश की जनता को मजहब के नाम पर और खुद की संख्या ज्यादा करने के लिए मारना शरू किया है उससे देश में आतंक फैल सकता है जिससे खून खराबे हो सकते हैं जो कि किसी भी देश के लिए सही बात नहीं है । इसलिए इस पर काबू पाना अनिवार्य बन गया है। जिसपर केंद्र ने फैसला भी लिया लेकिन कुछ बुद्धिजीव इस बात को समझ नहीं रहे हैं ।
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