December 31, 2017
हिंदू समाज अपनी संस्कृति और परम्पराओं से दिनोदिन दूर होता जा रहा है। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण हिन्दू इतने आधुनिक बनते जा रहे हैं कि न उन्हें गीता का ज्ञान है और न हिंदू रीति रिवाजों का मान । वेद और ग्रंथों के अध्ययन से तो वे लाखो कोष दूर हैं। समय-समय पर हिन्दू धर्म रक्षक हिदुओं को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जगाते रहे हैं ।
Why the British, New Year's Poets, Priests, Leaders and Hindu organizations are protesting? |
तेलंगाना चिलकुर बालाजी मंदिर के पुजारी रंगराजन ने नए साल पर जश्न मनाने को हिंदुत्व के खिलाफ बताया है।
उन्होंने अपने सभी भक्तों और हिदुओं से अपील की है कि वे नए साल में एक दूसरे को शुभकामनाएं न दे। यदि किसी भक्त ने उन्हें शुभकामनाएं दी तो वे उनसे उठक-बैठक लगवाएँगे।
पुजारी रंगराजन ने कहा कि हम हिंदू संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। हम खुद अपनी संस्कृति को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसे हमे बचाने की सख्त जरूरत है। 'उगादि' हमारा नया नया साल है, न कि 1 जनवरी ।
गन्दगी है नए साल का जश्न, फौरन हो बंद
मध्य प्रदेश के उज्जैन दक्षिण में बीजेपी के विधायक मोहन यादव ने कहा कि न्यू ईयर को मनाने के लिए होने वाली शराब पार्टी और देर रात तक होने वाली फुहड़ता हमारी संस्कृति खिलाफ है। ऐसी पार्टियां बंद होनी चाहिए। इंग्लिश न्यू ईयर हमने तब नहीं मनाया जब अंग्रेजों का शासन था तो अब क्यों मनाये?अंग्रेजी न्यू ईयर के स्थान पर गुड़ी पड़वा मनाना चाहिए जो हिंदू नववर्ष है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में भी इंग्लिश न्यू ईयर सेलिब्रेशन का विरोध किया जा रहा है। आगरा में तमाम हिंदूवादी संगठन नव वर्ष मनाने के तौर-तरीके का विरोध कर रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि विदेशी सभ्यता को हम अपनी संस्कृति पर हावी नहीं होने देंगे ।
उन्होंने कहा कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन के नाम पर होटलों में अश्लीलता होती है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिंदू संगठनों द्वारा न्यू ईयर सेलिब्रेशन के विरोध को बीजेपी सांसद प्रमोद गुप्ता का भी साथ मिला है।
कवि रामधारी सिंह ने नूतन वर्ष पर लिखी कविता :
यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है,अपना यह त्यौहार नहीं है ।
अपनी यह तो रीत नहीं है, अपना यह व्यवहार नहीं है ।।
धरा ठिठुरती है सर्दी से, आकाश में कोहरा गहरा है ।
बाग बाजारों की सरहद पर,सर्द हवा का पहरा है ।।
सूना है प्रकृति का आँगन,कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं ।
हर कोई है घर में दुबका हुआ,नव वर्ष का यह कोई ढंग नहीं ।।
चंद मास इंतजार करो,निज मन में तनिक विचार करो ।
नये साल नया कुछ हो तो सही,क्यों नकल में सारी अक्ल बही ।।
उल्लास मंद है जन-मन का,आयी है अभी बहार नहीं ।
यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,है अपना यह त्यौहार नहीं ।।
यह धुंध कुहासा छंटने दो,रातों का राज्य सिमटने दो ।
प्रकृति का रूप निखरने दो,फागुन का रंग बिखरने दो ।।
प्रकृति दुल्हन का रूप धार,जब स्नेह-सुधा बरसायेगी ।
शस्य-श्यामला धरती माता,घर-घर खुशहाली लायेगी ।।
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि,नव वर्ष मनाया जायेगा ।
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर,जय गान सुनाया जायेगा ।।
युक्ति-प्रमाण से स्वयंसिद्ध,नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध ।
आर्यों की कीर्ति सदा-सदा,नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ।।
अनमोल विरासत के धनिकों को,चाहिये कोई उधार नहीं ।
यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है,अपना यह त्यौहार नहीं है ।।
अपनी यह तो रीत नहीं है, अपना यह त्यौहार नहीं।
एक आर्य की कलम से नया साल के बारे में...
भगत सिंह, बिस्मिल , खुदीराम ,मंगल पांडेय के गले को रस्सी से घोंट कर मार डालने वालों
अकेले घिरे चंद्रशेखर आजाद को मरने के लिए मजबूर कर देने वालों
भारत माता को 200 साल तक दासी बना कर नोचने और लूटने वालों
अखंड राष्ट्र के 3 टुकडे करने वालों
19 साल की रानी लक्ष्मीबाई को दौडा कर मार डालने वालों
आसाम , नागालैंड में गरीब हिंदू आदिवासियों को पैसा देकर मत परिवर्तन कराने वालों
भारत पाकिस्तान युद्ध में हर बार पाकिस्तान का साथ देने वालों
वैदिक भारत मे ब्लू फ़िल्म , समलेंगिक विवाह , झप्पी किस आफ लव ,लिव इन रिलेशनशिप संस्कृति चलाने वालों
"ईसाइयों " तुम्हे आज क्रिसमस की और कुछ दिन बाद 'न्यू ईयर' की बधाई देने वाला #हिंदू वैसे ही अभागा और तुच्छ है ,मानो जिसने अपने शरीर से अपने पूर्वजों का पवित्र रक्त फेंक कर अपनी नसों में अश्लीलता और अनैतिकता मिली हुई अंग्रेजी शराब भर ली हो....
धिक्कार है ऐसे सेक्युलर हिन्दुओं को,जिन्हें शायद पता नहीं कि हम अब भी अपने सारे त्यौहार होली,दीपावली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, निर्जला एकादशी,श्रीरामनवमी,दशहरा ऒर रक्षा-बँधन आदि हिन्दू-पँचाग (हिन्दू केलेण्डर) देखकर ही मनाते हैं, न कि ईसाईयत वाला अँग्रेजी केलेण्डर देखकर !!
भारतीय नव वर्ष और नव केलेण्डर शुरू होता हैं, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से,जो विश्व के महानतम सम्राट राजा विक्रमादित्य के विक्रम सम्वत् के नाम से जानी जाती है। जब ईसा-मूसा का कहीं अता-पता भी नहीं था।।ॐ।।
कवि ने आगे लिखा है कि मंगल, शेखर, लक्ष्मी , भगत, बिस्मिल हम शर्मिंदा हैं ,
लार्ड मैकाले की नाजायज औलादें अब भी भारत में जिन्दा हैं ...
जब भारत और भारतीयों पर यह अंग्रेज अत्याचार कर रहे थे तब इनके ईसा मसीह की दया कौन से चारागाह में चरने चली गई थी?
यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, क्योंकि है अपना यह त्यौहार नहीं ।।
जय हिंद !!
जय भारत !!