December 12, 2017
जोधपुर: चार साल चार महीने से जोधपुर जेल में बंद हिन्दू धर्मगुरु आसारामजी बापू प्रकरण की सुनवाई न्यायालय में अब अंतिम चरण पर पहुंच चुकी है। सभी गवाह के बयान पूरे हो चुके हैं, अब दोनों पक्षों के बीच अंतिम बहस शुरू हो चुकी है।
अनुसूचित जाति जनजाति के विशिष्ट न्यायालय के न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा की अदालत में बचाव पक्ष की ओर से एक से एक ऐसे खुलासे हो रहे जिससे लगता है कि बापू आसारामजी को षडयंत्र के तहस फंसाया गया है।
big disclosure case of Bapu Asaramji in the court, Pocso act was wrong
अदालत में अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अंतिम बहस के दौरान खुलासा किया कि जांच अधिकारी चंचल मिश्रा ने कई मुख्य बयानों को छुपा दिया, सही बयानों को न्यायालय में पेश ही नही किया गया, जिससे साफ पता चलता है कि जांच अधिकारी की नीयत साफ नही है।
लड़की की उम्र सर्टिफिकेट अलग-अलग
अधिवक्ता सुराणा ने बहस के दौरान सर्वोच्च न्यायालय व राजस्थान उच्च न्यायलय के कई दृष्टांत देकर दलील दी कि जीवन बीमा सर्टिफकेट किसी भी व्यक्ति की उम्र से सम्बन्धित विवाद में पर्याप्त कानूनी मजबूत सबूत है।
सुराणाजी ने बताया कि तथाकथित आरोप लगाने वाली लड़की की माता की ओर से पूर्व में करवाए गए लड़की के जीवन बीमा बांड में जन्म दिनांक एक जुलाई 1994 दर्ज है। इस लिहाज से तथाकथित घटना के दिन 15 अगस्त 2013 को लड़की की उम्र बीस साल के करीब थी। ऐसे में बापू आसारामजी के खिलाफ लगाए गए पॉक्सो एक्ट का कोई वजूद नहीं रह जाता।
उन्होंने दलील दी कि उम्र के सम्बन्ध में विवाद होने पर लड़की के अभिभावक के भी बयान होने चाहिए, परंतु अभियोजन ने बयान नहीं करवाए । शैक्षणिक सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज में आयु में फर्क हो तो भी सक्षम अधिकारी से जांच करवानी चाहिए। अभियोजन ने यह जांच भी नहीं करवाई।
आपको बता दें कि बापू आसारामजी के खिलाफ शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की एक लड़की ने छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है और उसकी उम्र 18 साल से कम बताकर बापू आशारामजी पर पॉक्सो एक्ट लगाया गया है ।
पॉक्सो एक्ट क्या है?
18 साल से कम उम्र की किसी लड़की ने अगर किसी पुरुष के खिलाफ पुलिस में FIR करा दी कि मेरे साथ छेड़खानी की है या घूर के देख रहा था या स्पर्श किया है तो पुलिस उस पुरूष को बिना कोई भी पूछताछ किये गिरफ्तार कर लेगी । उसके बाद उसको जमानत भी नही मिल सकती और अब उस लड़की को कुछ नही करना उस पुरुष को साबित करना है कि वो निर्दोष है और अगर पुरूष अपनी निर्दोषता साबित नही कर पाये तो उसको सजा सुना दी जायेगी ।
कानून का भयंकर दुरुपयोग
जबसे एक तरफा कानून बना है केवल महिलाओं की सुरक्षा के लिए तबसे पुरुषों की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं ।
कुछ संस्कारहीन मनचली लड़कियाँ महिला सुरक्षा कानून का धुरन्धर दुरूपयोग कर रही हैं ।
किसी भी पुरुष के साथ बदला लेने की भावना, पैसा निकलवाने अथवा पुरुष को बदनाम करने के लिए पुरुष पर झूठा आरोप लगा देती हैं ।
अभी हाल ही में न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं। जिसमे 90 प्रतिशत झूठे मामले होते हैं ।
गौरतलब है कि हिन्दू संत आसारामजी बापू केस में अदालत में अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने और भी किये कई सनसनीखेज़ खुलासे किये है।
1- FIR करवाई गई घटना के 5 दिन बाद ।
2- रजिस्टर के कई पन्ने संदिग्घ तरीके से फाड़ें गए ।
3- FIR 2 दिन बाद न्यायालय में पेश की गई ।
4- अलग-अलग सर्टिफिकेट में पाई गई लड़की की अलग-अलग उम्र ।
5- FIR लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई ।
6- FIR और FIR की कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया ।
7- मेडिकल में नहीं मिला एक खरोंच का भी निशान, मेडिकल में क्लीनचिट मिल चुकी है।
8- कॉल डिटल्स से पता चला है कि जिस समय घटना बता रही है उस समय तो वे अपने मित्र से बात कर रही थी और पूरी रात उस लड़के से मैसेज से बात कर रही थी ।
9 - लड़की की माँ दिल्ली में ही गिरफ्तार करवाना चाहती थी।
10- लड़की और उसके मां-बाप ने जो भूत-प्रेत की छाया बताने की घटना बताई है वो कल्पना करके झूठी बनाई गई है।
अधिवक्ता सुराणा ने और भी कई खुलासे किये है जिससे साफ पता चलता है कि बापू आशारामजी को षडयंत्र के तहत फंसाया गया है।
Now truth is coming out.
ReplyDeleteHope justice to Asaram Bapu Ji will be delivered very soon.....