December 6, 2017 www.azaadbharat.org
अंतर-धार्मिक विवाहों पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सचेत किया है । उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने एक अंतर-धार्मिक विवाह के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि, सरकार फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट बनाए जिसे मध्य प्रदेश और हिमाचल की सरकारें पहले
ही बना चुकी हैं । उच्च न्यायालय ने कहा कि समाज के हित में यह आवश्यक है ।
Government should stop conversion by making laws: High Court |
न्यायालय ने कहा है कि, केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन का ढोंग रचने की प्रवृत्ति ठीक नहीं, इसमें समाज का हित नहीं है । न्यायालय ने सोमवार को रुद्रपुर के एक अंतर धार्मिक विवाह मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की । रुद्रपुर जिला ऊधमसिंह नगर निवासी गिरीश कुमार शर्मा ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि, उसकी पुत्री को हुसैन अंसारी उर्फ अतुल शर्मा ने विवाह के बहाने छिपा रखा है ।
उसकी पुत्री को न्यायालय में हाजिर किया जाए । याचिका पर न्यायालय के आदेश के बाद युवती को न्यायालय में पेश किया गया । पूर्व में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया था कि, वह (गिरीश शर्मा की पुत्री) दबाव में है । इसके बाद न्यायालय ने युवती को रुद्रपुर छात्रावास भेज दिया ।
आपको बता दें कि वर्तमान में लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फ़साने की अनेक घटनाएं सामने आई हैं, बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती है क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है, धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, उसकी अनेक पत्नियां होती हैं, गौ मास खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चें पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भजेने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।
लव जिहाद होने की नोबत तब आती है जब अपनी बेटियों को धर्म की शिक्षा नही दी जाती है और उनको सनातन संस्कृति की महानता नही बताई जाती है उस अनुसार उनको कार्य करने को प्रेरित नही करने के कारण आज हिन्दू बेटियां लव जिहाद में फंस रही है उसके लिए मुख्य जिम्मेदार उनके माता-पिता ही हैं ।
बचपन से ही बेटी को धर्म शिक्षा देकर सुसंस्कारित करें ! :
1. बचपन से ही बेटी पर हिन्दू धर्म के पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नीतिमूल्यों का संस्कार करें !
2. हिन्दू वंश और हिन्दुस्थान में जन्म होने का अभिमान बेटी में जागृत करें !
3. हिन्दू सभ्यता को शोभा देनेवाली वेशभूषा करने का संस्कार बेटी पर करें !
4. धर्मसत्संग, राष्ट्रपुरुषों से संबंधित कार्यक्रम आदि कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए बेटी को प्रोत्साहित करें !
5. हिन्दू संस्कृति, हिन्दू धर्मके ग्रंथ, हिन्दू धर्म का इतिहास, हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता आदि का महत्त्व बेटी को बताएं !
6. बेटी को हिन्दू धर्म का तत्त्वज्ञान और आध्यात्मिक परंपरा की शिक्षा, अर्थात् धर्मशिक्षा दीजिए और उसके अनुसार आचरण करने हेतु प्रेरित करें !
हिन्दू युवतियां, सावधान! झूठे प्रेम की बलि चढकर आत्मघात न करो !
जिहादी युवकों को एक साथ 4 महिलाओं से विवाह करने की अनुमति इस्लाम देता है । अतः हिन्दू युवतियों से वे क्या एकनिष्ठ रहेंगे। जिहादी युवकों ने 2-3 विवाह होकर भी हिन्दू युवतियों को ‘मैं अविवाहित हूं’, ऐसा बताकर ठगने की सैकडों घटनाएं हुई हैं । जिहादी हिन्दू युवतियों को एक उपभोग्य वस्तु समझते हैं, इसलिए वे उनकी प्रेमभावनाओं का यत्किंचित भी विचार नहीं करते ।
शील से अधिक मूल्यवान कोई वस्तु नहीं !!
जिहादीयों द्वारा एक बार शील भ्रष्ट हुआ, तो वह पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता एवं स्त्री के जीवन में शील से अधिक मूल्यवान वस्तु कोई नहीं । अपने शील की रक्षा करने के लिए अपना संपूर्ण शरीर अग्नि की भेंट चढानेवाली राजपूत स्त्रियां हमारी आदर्श हैं ।
धर्म-परिवर्तन से होनेवाली हानि ध्यान में रखें
‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।’ श्रीमद्भगवद्गीताके इस वचन के अनुसार ‘स्वधर्म ही श्रेष्ठ है । परधर्ममें जाना, अत्यंत भयानक (नरकसमान) होता है ।’ हिन्दू परिवार में जन्म लेकर इस्लाम धर्म में जानेवाली युवतियों के मन पर हिन्दू धर्म का संस्कार होता है । इसलिए उन्हें इस्लाम धर्मानुसार आचरण करना अत्यंत कठिन होता है ।
हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ध्यानमें रखें !
विश्व में हिन्दू धर्म महान है एवं यह ईश्वरप्राप्ति करवानेवाला एकमात्र धर्म है । तात्कालिक सुख पाने के लोभ में पडकर परधर्म में जाना, अपने पारलौकिक जीवन की अधोगति का अंत करने समान है ।
धर्मद्रोह का पाप अपने माथे पर न लें
धर्म को समाप्त करने का स्वप्न देखनेवालों का साथ देना धर्मद्रोह है तथा इस द्रोह का पाप भोगना ही पडता है ।
हिन्दू युवतियों, सबला बनो !
जिहादीयों के बलप्रयोग करने पर अनेक हिन्दू युवतियां ‘लव जिहाद’की बलि चढती हैं । स्वा. सावरकर ने ‘मेरा मृत्युपत्र’ में अपनी भाभी को लिखे पत्र में कहा था, ‘भारतीय नारीनका बल तेज अभी समाप्त नहीं हुआ है । वह निश्चित ही जागृत होगा ।’
बल एवं तेज जागृत करनेनके लिए हिन्दू युवतियो, सबला बनो !
हिन्दुओं अपनी महिलाओं की रक्षा करें
जिस समाज में महिलाएं सुरक्षित ऐसा समाज ही सुरक्षित होता है’, यह ध्यान में रख हिंदू युवतियों की रक्षा करें !
लव जिहाद’ यह हिंदू धर्म पर वांशिक आक्रमण होने के कारण अपने क्षेत्र से ‘लव जिहाद’का षड्यंत्र ध्वस्त करने हेतु आगे बढकर संगठित प्रयास करें !
‘हिंदुओ, यह प्रतिज्ञा करो, ‘किसी भी हिंदू परिचित युवती को मैं ‘लव जिहाद’की बलि नहीं चढने दूंगा !’
लव जिहाद’के संकट के विषय में विद्यालय, महाविद्यालय, महिला मंडल, जातिसंस्थाएं, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, धार्मिक कार्यक्रम आदि में प्रवचन करना आवश्यक है ।
इजराइल में ज्यू और मुसलमानों के विवाहनपर वैधानिक प्रतिबंध है । हिंदुस्थान में भी ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए इजराइल समान विधान बनाने की आवश्यकता है । हिंदुओ, इसके लिए अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को संगठितरूप से निवेदन देकर लव जिहाद के विरुद्ध विधान बनाने की मांग करें ।
लव जिहाद’ पर स्वा. सावरकर हिंदुओं से कहते हैं, ‘अपनी स्त्रियों को शत्रु भगा ले जाकर मुसलमान बनाते हैं, तो उनसे उत्पन्न लडके आगे चलकर हमारे शत्रु बनते हैं । इसलिए उन स्त्रियों को छुडाकर पुनः अपने धर्म में लाएं ।’ अपनी बेटियों को परधर्म में न जाने देने के लिए सदैव सावधान रहना, यह जैसे ‘लव जिहाद’को रोकने का एक मार्ग है, तो दूसरा मार्ग है – सावरकर के विचारों के अनुसार ‘लव जिहाद’की बलि चढी युवतियों को छुडाकर, शुद्ध कर, पुनः स्वधर्म में सम्मिलित कर लेना । ‘लव जिहाद’को रोकने के लिए इस दूसरे मार्ग का तुरंत अवलंबन भी हिंदू समाज को करना चाहिए !
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