10 September 2018
देशहित में जो भी व्यक्ति काम करते हैं उसको कैसे षड्यंत्र में फंसाया जाता है उसका उदाहरण देखना है तो गुजरात के पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा जी को देख लीजिए ।
वंजारा जी के सरकारी कार्यकाल के समय गुजरात में काफी डॉन बढ़ गए थे और गुजरात के लोगों में दहशत फैला रहे थे, अपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ती जा रही थी, आतंकवाद का भय मंडरा रहा था उस समय जांबाज पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा जी ने अनेक आतंकवादियों का एनकाउंटर कर दिया, गुजरात में जो डॉन थे उनको अच्छी तरह ठीक कर दिया, अपराधियों को सजा दिलवाई, अपराधिक प्रवृत्तियां रुक गईं और गुजरात में सुख-शांति हो गई ।
DG Vanzara acquitted in Sohrabuddin case, 8 years in prison |
जांबाज अधिकारी डीजी वंजारा जी को इस कार्य के बदले में अवार्ड मिलना चाहिए था, लेकिन भारत के अंदर ही कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों का हथकंडे बने हुए थे उनको ये सब रास नहीं आया । उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार से मिलकर षड्यंत्र रचा और झूठे मामलों में जेल भिजवा दिया गया इससे ज्यादा देश मे दुर्भाग्य क्या हो सकता है ?
उनको 8 साल तक बिना सबूत जेल में रहना पड़ा, उनका जो समय देश हित में लगना चाहिए था वो समय बर्बाद हुआ, पैसे की बर्बादी हुई, परिवार दुविधा में पड़ गया, लेकिन बोलते हैं न कि सत्य परेशान होता है पर पराजित नहीं होता है, वही आज यहाँ हुआ ।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने देश के चर्चित सोहराबुद्दीन मुठभेड़ में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए, पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा समेत अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपों से बरी कर दिया है । बता दें कि निचली अदालत ने इस मामले में गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन, गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा, गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन, राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोपमुक्त कर दिया था ।
इसके बाद सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन और सीबीआई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मामले में पांच पुनर्निरीक्षण याचिका दायर की थी । सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा समेत पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी ठहराया था । सीबीआई ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार दिया था, जबकि पुलिस का कहना था कि सोहराबुद्दीन के संबंध आतंकियों से जुड़े थे ।
सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, गुजरात के एक संदिग्ध गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात एटीएस और राजस्थान पुलिस के अधिकारियों ने हैदराबाद के पास से अगवा कर लिया था और उन्हें नवंबर 2005 में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था।
गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि उसका आतंकवादी संगठन लश्कर से संबंध था । इस मामले में अप्रैल, 2007 में आरोपी बनाए गए गुजरात के पूर्व डीआईजी #डीजी वंजारा और #दिनेश एमएन के अलावा #राजकुमार पंडियन को #गिरफ्तार किया गया था । बाद में अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद पंडियन को रिहा कर दिया था । #2014 में वंजारा जी को भी #जमानत मिल गई थी ।
डीजी वंजारा निर्दोष तो बरी हो गए, लेकिन उनको 8 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया, वो उनका कीमती समय क्या कानून लौटा पाएगा ??? उनके पैसों की बर्बादी हुई उसे कौन लौटाएगा ?
मीडिया ने भी उस समय उनकी खूब बदनामी की, लेकिन जैसे ही उन्हें निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी किसी #हिंदुत्वनिष्ठ पर #आरोप लगता है तो #मीडिया उनकी समाज में इतनी #बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हों, पर जब वही निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है ।
विचार कीजिए, क्या सिर्फ #हिन्दुत्वनिष्ठों को #बदनाम करने का #मीडिया का #एजेंडा है..???
कछुआ छाप चलने वाली हमारी #न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर #हिन्दुत्वनिष्ठों को जल्दी न्याय नहीं दे पाती है । और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय नही मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या #देरी से #न्याय मिलना #अन्याय नहीं है ???
गौरतलब है कि हिंदुनिष्ठ श्री #नारायण साईं, #धनंजय देसाई आदि को फंसाने के पीछे कई सबूत मिल चुके हैं। सालों से जेल में है, लेकिन उनको भी अभीतक जमानत मिल नहीं पाई है ।
क्या उनको इसलिए जेल में रखा गया है कि वो कट्टर हिंदुत्ववादी हैं..???
अब देखना ये है कि #हिन्दुत्वादी कहलाने वाली वर्तमान सरकार #कब तक इन #हिन्दूनिष्ठों को भी #न्याय दिलवाती है..???
कांग्रेस सरकार ने तो षडयंत्र करके हिन्दू सन्तों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को जेल भेज दिया था, पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली #BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है, ये देखना है ।
सरकार को हिंदुनिष्ठ लोगों की जल्द से जल्द सह-सम्मान रिहाई करवानी चाहिए, इसी पर सभी हिंदुस्तानियों की निगाहें टिकी है ।
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