16 नवम्बर 2018
न्यायपालिका में इतना भ्रष्टाचार व्याप्त हो चुका है कि आम आदमी को न्याय मिल ही नहीं पाता है, अगर मिलता भी है तो इतने देर से मिलता है कि न्याय भी अन्याय ही हो जाता है । जब कानून के रखवाले ही है भ्रष्टाचार में लिप्त रहेंगे तो न्याय नहीं सिर्फ एकतरफा फैसले सुनाये जाते हैं । भारत की न्याय प्रणाली में मजबूत हो चुकी भ्रष्टाचार की जड़ों को नष्ट करना अत्यंत जरुरी है अन्यथा देश तथा देशवासियों का अत्यधिक नुकसान हो जाएगा ।
जिस प्रकार आए दिन कोर्ट के जज से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक भ्रष्टाचार के लपेटे में आने लगे हैं इससे अब इस मांग को बल मिलने लगा है कि न्यायिक व्यवस्था में अब व्यापक सुधार की आवश्यकता है । हैदराबाद की जिला अदालत में 14वें अतिरिक्त जज वैद्य वारा प्रसाद को पुलिस ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया है ।
बता दे कि एंटी करप्शन ब्यूरो की छापेमारी में नकद 3 करोड़ रुपये मिलने के कारण जज की गिरफ्तारी हुई है ।
Judge arrested in bribe case, sent to jail |
पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया । कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपी जज को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है । यह कार्रवाई एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा उनके ठिकानों पर छापा मार कर तीन करोड़ रुपये बरामद करने के बाद की गई है । मालूम हो कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी । इस छापेमारी से उनके पास से नकद तीन करोड़ रुपये मिले थे। भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है ।
आपको बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं है जिसमें रिश्वत लेते जज पकड़ा गया हो, 2012 में आंध्र प्रदेश के एक कोर्ट के न्यायधीश जनार्दन रेड्डी को जमानत देने के लिए 100 करोड़ की रिश्वत लेते पकड़ा गया था ।
ऐसे ही दिल्ली तीस हजारी कोर्ट में सीनियर सिविल महिला जज रचना तिवारी के घर पर छापेमारी की गयी जहाँ करीब 94 लाख रुपये कैश मिले थे ।
महिला जज रचना तिवारी ने अपनी कोर्ट में लगे एक सिविल केस में विवादित प्रॉपर्टी मामले में शिकायतकर्ता से उसके पक्ष में फैसले के लिए 20 लाख रुपये की रिश्वत माँगी थी । जिसके कारण महिला जज को जेल भेजा गया था ।
हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर न्यायालय में कार्यरत सीनियर जज भी रिश्वत लेते पकड़े गए थे और उनको भी हिरासत में भेजा गया था ।
ये तो चार-पांच जज रिश्वत लेते पकड़े गए इसलिए उसको गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन ऐसे मामले तो कई हैं । देश के जजों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि अपराधियों को सजा और निर्दोषों को न्याय मिलना ही मुश्किल हो गया है ।
इसकी पुष्टि भी कई जज कर चुके हैं :
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश काटजू ने कहा था कि भारतीय न्याय प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट हैं ।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े भी सवाल उठा चुके हैं कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं । गरीबों के लिए कोई न्याय की व्यवस्था नहीं है ।
कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस के एल मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं ।
इसलिये आज न्याय प्रणाली से देश की जनता का भरोसा उठ गया है ।
देश में 2.78 लाख विचाराधीन कैदी है । इनमें से कई ऐसे हैं जो उस अपराध के लिए मुकर्रर सजा से ज्यादा समय जेलों में बिता चुके हैं ।
देश की न्यायालयों में करीब 3 करोड़ मामले लंबित हैं ।
आरोप साबित होने पर भी कई बड़ी हस्तियाँ बाहर घूम रही है और अभी तक जिन पर आरोप साबित नही हुआ है वो जेल में है ।
क्योंकि या तो न्याय पाने वाले गरीब है या तो कट्टर हिंदूवादी है इसलिए उनको न्याय नहीं मिल पाता है ।
लालू, तरुण तेजपाल, कन्हैया, सलमान खान,बाबू लाल नागर आदि कई हैं जिनके विरुद्ध पुख्ता सबूत होने पर भी आज बड़े मजे से बाहर घूम रहे हैं ।
लेकिन आज भी कई हिन्दूनिष्ठ, साधु-संत व गरीब आम आदमी जेल में बंद हैं ।
इनका क्या अपराध है कि कोर्ट जमानत तक नहीं दे पा रही है ???
आखिर क्यों बार-बार इन लोगों की जमानत खारिज की जा रही है..???
क्या ये हिन्दू संत और गरीब हैं इसलिए..???
क्या इन्होंने रिश्वत नहीं दी इसलिए..???
जनता के मन में ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं इसलिए #न्यायप्रणाली को भ्रष्टचार से मुक्त होकर निर्णय लेना होगा जिससे निर्दोष बेवजह सजा भुगतने को मजबूर न हो ।
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