29 जनवरी 2019
हिन्दू बहुसंख्यक देश में हिन्दुओं का इस प्रकार से खुलेआम धर्मांतरित होना, यह अभीतक के शासनकर्ताओं द्वारा हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न देने का ही गंभीर परिणाम है ! यह अबतक के शासनकर्ताओं के लिए लज्जाप्रद है ! इस स्थिति को बदलने के लिए अब हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ।
जिस सिंधी समुदाय ने अखंड हिन्दुस्तान के विभाजन के समय हिन्दू धर्म जीवित रहे; इसके लिए पाकिस्तान में स्थित अपनी भूमि, संपत्ति और सबकुछ त्याग दिया, वही सिंधी समुदाय अब ईसाईयों के लालच की बलि चढ़ रहा है और उच्चवर्गीय सिंधीवर्ग अब मिशनरियों का प्रचार कर रहा है, यह दुर्भाग्यजनक स्थिति बन गई है ।
उल्हासनगर में धर्मांतरण की घटनाओं को रोकना अब स्थानीय हिन्दुओं के नियंत्रण के बाहर जा चुका है । यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही, तो आनेवाले कुछ वर्षों में यहां के सिंधी अर्थात हिन्दू नष्ट होकर उल्हासनगर को महाराष्ट्र के पहले ईसाई नगर के रूप में घोषित होने में समय नहीं लगेगा ।
मुंबई : ठाणे जनपद का उल्हासनगर अब ईसाई मिशनरियों के लिए धर्मांतरण का अड्डा बन गया है । विगत 5-6 वर्षों से षड्यंत्र के अंतर्गत यहां के लाखों हिन्दुओं का धर्मांतरण किया गया है । स्थानीय सिंधी संगठन और प्रतिनिधियों ने यह चौंका देनेवाली जानकारी दी है कि मिशनरियों ने यहां के बहुसंख्यक सिंधी समुदाय को अपना लक्ष्य बनाया है और विगत 5-6 वर्षों में यहां के 28 हजार परिवारों के डेढ़ लाख से भी अधिक सिंधी लोगों का धर्मांतरण किया गया है । यहां के सिंधी समुदाय के इस धर्मांतरण को अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र कहा जा रहा है ।
स्थानीय लोगों ने यह जानकारी दी कि, उल्हासनगर में जमीन के भाव बहुत अधिक होते हुए भी इस परिसर में 18 बड़े चर्चों का निर्माण किया गया है । नगर में ईसाई मिशनरियों ने अपना इतना बड़ा जाल बनाया है कि इस क्षेत्र में कुल 25 से भी अधिक छोटे-बड़े चर्च और 100 से भी अधिक प्रार्थनास्थल बनाए गए हैं । वास्तव में गूगल पर खोजनेपर इस परिसर के 17 चर्चों के नाम उपलब्ध हुए हैं । वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय, इसके लिए सिंधी समुदाय भारत में आ गया । ईसाई मिशनरियों द्वारा विगत कुछ वर्षों से सिंधी समुदाय का अत्यंत नियोजनतापूर्वक तथा गुप्त पद्धति से धर्मांतरण किया जा रहा है । इस विषय में यहां के पत्रकार और सूचना अधिकार कार्यकर्ता श्री. सत्यम पुरी ने यहां की भयावह वास्तविकता बताते हुए कहा कि, उल्हासनगर के अधिकांश परिवार का न्यूनतम एक तो व्यक्ति ईसाई बन ही गया है ।
*ईसाईयों द्वारा बांटी गई पत्रिकाएं-*
1. यहां के अनेक लोगों ने यह बताया कि ये धर्मांतरित सिंधी लोग अपने समुदाय के अन्य लोगों को भी धर्मांतरित होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं । यहां के जो व्यापारी और उनके परिवार ईसाई बन गए हैं, वे ईसाई पंथ के प्रचार हेतु अपने प्लैट, जमीन, साथ ही अपनी गाड़ियाँ भी ईसाई मिशनरियों को उपलब्ध करा रहे हैं ।
2. धर्मांतरित सिंधी व्यापारी वर्ग और उच्चस्तर के सिंधी लोग अपने परिजन और समुदाय के अन्य लोगों को भी धर्मांतरण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ।
3. स्थानीय हिन्दू इन धर्मांतरण की घटनाओं के विरुद्ध वैधानिक पद्धति से संघर्ष कर रहे हैं; परंतु उनके प्रयास कम पड़ रहे हैं ।
*धर्मांतरित सिंधी स्वयं का नाम न बदलकर सिंधी लड़कियों से विवाह कर उनसे कर रहे हैं धोखाधड़ी-*
श्री. सत्यम पुरी ने बताया कि सिंधी समुदाय में लड़कियों की संख्या लड़कों की संख्या की अपेक्षा कम है । ये लड़कियां इन धर्मांतरित सिंधी लड़कों के साथ विवाह करने राजी नहीं होती; इसलिए ईसाई प्रिस्ट इन धर्मांतरित सिंधी युवकों को अपना पहले का ही नाम चालू रखने के लिए कहते हैं । उसके कारण उनसे विवाह करनेवाली लड़कियों को विवाह के पश्चात उसके पति द्वारा ईसाई पंथ का स्वीकार करने की बात ज्ञात होती है । तत्पश्चात ये धर्मांतरित युवक अपनी पत्नी पर धर्मांतरण के लिए दबाव बनाते हैं । इस प्रकार की घटनाएं आज घर-घर में हो रही हैं ।
*झूठे चमत्कार बताकर किया जाता है धर्मांतरण-*
उल्हासनगर के निकट ही ताबोर आश्रम नामक एक ईसाई संस्था की स्थापना की गई है । यह तथाकथित आश्रम धर्मांतरण का बड़ा केंद्र बन गया है । साथ ही, नगर के विविध स्थानोंपर अंधविश्वास फैलानेवाले कार्यक्रम निरंतर चालू रहते हैं । ऐसे कार्यक्रमों के प्रचार के अंतर्गत विविध स्थानों पर ‘अपाहिज व्यक्ति चल सकेगा, अंधा देख पाएगा और इसके लिए ईसा मसीह के शरण में आएं’, ऐसे वाक्य छपे हुए पोस्टर्स लगाए हुए दिखाई देते हैं । (क्या महाराष्ट्र की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति को यह अंधश्रद्धा नहीं दिखाई देती ? या उन्हें ईसाईयों के विरुद्ध कुछ बोलना नहीं है ? – संपादक) ऐसा होते हुए भी प्रशासन की ओर से ऐसे अंधविश्वास फैलानेवाले कार्यक्रमों के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही होते हुए नहीं दिखाई देती । विविध चैनलों से इन कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण भी किया जाता है ।
*धर्मांतरित धनवान लोगों द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण का मिशनरियों का षड्यंत्र-*
मिशनरियों द्वारा धनवान सिंधी लोगों का धर्मांतरण कर उन्हें आसपास के गांवों में वहां के आदिवासी और निर्धन लोगों के धर्मांतरण के लिए भेजा जाता है । उल्हासनगर के धनवान लोगों द्वारा किए गए धर्मांतरण का उदाहरण प्रस्तुत कर ये धर्मांतरित सिंधी लोग निर्धन लोगों का धर्मांतरण करते हैं ।
*धर्मांतरण का विरोध करनेवालों को झूठे अपराधों के प्रकरणों में फंसाया जा रहा है-*
जानकारी के लिए बता दें कि यहां के एक बस्ती में जब धर्मान्तरण चल रहा था, तब वहां के स्थानीय हिन्दुओं ने उसका वैधानिक पद्धति से विरोध किया । तब ईसाई लोगों ने पुलिस थाने में हिन्दुओं के विरुद्ध उनका कार्यक्रम बिखेर देने का तथा हिन्दुओं द्वारा गालीगलोच किए जाने का झूठा परिवाद प्रविष्ट कर हिन्दुओं पर दबाव बनाने का प्रयास किया ।
विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन यहां के धर्मांतरण की इन गंभीर घटनाओं का वैधानिक पद्धति से विरोध कर रहे हैं । स्थानीय हिन्दुत्वनिष्ठ धर्मांतरण के कार्यक्रम के विषय में पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट करना, जिस स्थानपर ये कार्यक्रम किए जाते हैं, उस स्थान के मालिकों का उद्बोधन करना जैसे प्रयास कर रहे हैं; परंतु उसकी अनदेखी कर धर्मांतरण की घटनाएं चल ही रही हैं । आज इस समस्या ने अत्यंत गंभीर रूप धारण किया है ।
सरकार का इसपर ध्यान न देना मतलब खुद का भी वोट बैंक कम करना हुआ, ईसाई बन जायेंगे तो हिंदू पार्टी को ही वोट कम जाएंगे।
स्वामी विवेकानंद कहते थे कि एक हिंदू अगर धर्मान्तरित होता है तो एक हिंदू कम हुआ नही बल्कि हिंदू समाज का एक दुश्मन बढ़ा इसलिए सरकार इस पर सख्त कमद उठाना चाहिये और ईसाई मिशनरियों का गोरखधंधा बंद करवा देना चाहिए ।
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