28 सितंबर 2019
*नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है । माँ दुर्गा के नौ रूपों की अराधना का पावन पर्व शुरू हो रहा है । इस साल 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक नवरात्र मनाया जाएगा ।*
*नवरात्रि एक बड़ा हिंदू पर्व है । नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें' । इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति (देवी) के नौ रूपों की पूजा की जाती है । दसवां दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है ।*
*नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है । पौष, चैत्र, आषाढ़,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है । नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं । इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति (देवी) के नौ रूपों की पूजा की जाती है । दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है । नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्यौहार है जिसे पूरे भारत और अन्य देशों में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है ।*
*आश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक का पर्व शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है । यह व्रत-उपवास व जप-ध्यान का पर्व है ।*
*‘श्रीमद्देवी भागवत’ में आता है कि विद्या, धन व पुत्र के अभिलाषी को नवरात्र-व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए । जिसका राज्य छिन गया हो, ऐसे नरेश को पुनः गद्दी पर बिठाने की क्षमता इस व्रत में है ।*
*नौ देवियाँ है :-*
*शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है ।*
*ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारिणी ।*
*चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली ।*
*कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है ।*
*स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता ।*
*कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि ।*
*कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वाली ।*
*महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली माँ ।*
*सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली ।*
*शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है ।*
*सर्वप्रथम भगवान श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की । तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा ।*
*आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है । माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है । ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं । इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं । नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है ।*
*नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं । भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दश महाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं । दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं । देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है । सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं ।*
*नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है । गुजरात में इस त्यौहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है । गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जान पड़ता है । यह आधी रात तक चलता है । डांडिया का अनुभव बड़ा ही असाधारण है । देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, 'आरती' से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद । पश्चिम #बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है । इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है ।*
*नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (शक्ति) का प्रतिनिधित्व है । वसंत की शुरुआत और #शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है । इन दो समय माँ दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है । त्यौहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं । #नवरात्रि पर्व, #माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है । यह पूजावैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है । ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं ।*
*नवरात्रि के पहले तीन*
*नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी #दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं । यह पूजा ऊर्जा और शक्ति की जाती है । प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है । #त्यौहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है । दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है । तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुँच गयी है उसकि पूजा की जाती है । देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है।*
*देवी की आरती*
*व्यक्ति जब #अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है । नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन #लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है । शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है । ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है । इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रीयों को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता है और एक दीया, देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है ।*
*नवरात्रि का सातवां और आठवां दिन*
*सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, #सरस्वती, की पूजा की है । प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं । आठवे दिन पर एक 'यज्ञ' किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है ।*
*नवरात्रि का नौवां दिन*
*नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है । यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है । इस दिन पर, कन्या पूजन होता है । उसमे नौ #कन्याओं की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है । इन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है । कन्याओं का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। #पूजा के अंत में कन्याओं को उपहार के रूप में नए कपड़े पेश किए जाते हैं ।*
*नवरात्रि के व्रत में इन बातों का रखना चाहिए ख्याल:*
*- नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए । इस #दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है ।*
*- नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए ।*
*- इस दौरान खाने में प्याज, #लहसुन और नॉन वेज बिल्कुल न खाएं ।*
*- नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए ।*
*- व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।*
*- #व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए । खाने में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं ।*
*- #विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, #तम्बाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है ।*
*यदि कोई पूरे नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी - तीन दिन उपवास करके #देवी की #पूजा करने से वह नवरात्र के #उपवास के फल को प्राप्त करता है ।*
*नवरात्र पर जागरण*
*नवरात्र पर उत्तम #जागरण वह है, जिसमें*
*(1) #शास्त्र-अनुसार चर्चा हो ।*
*(2) #दीपक प्रज्वलित हो ।*
*(3) #भक्तिभाव से युक्त माँ का कीर्तन हो ।*
*(4) वाद्य, ताल आदि से युक्त सात्त्विक संगीत हो ।*
*(5) प्रसन्नता हो ।*
*(6) #सात्त्विक नृत्य हो, ऐसा नहीं कि डिस्को या अन्य कोई पाश्चात्य नृत्य किया ।*
*(7) #माँ #जगदम्बा पर नजर हो, ऐसा नहीं कि किसीको गंदी नजर से देखें ।*
*(8) मनोरंजन सात्त्विक हो; रस्साकशी, लाठी-खेंच आदि कार्यक्रम हों ।*
*#नवरात्र का व्रत सभी मनुष्यों को नियमित तौर पर करना ही चाहिए । जिससे घर में सुख, शांति, बरकत व मधुरता आती है । #आध्यात्मिकता का प्रादुर्भाव होता है । घर की बाधाएँ व क्लेश दूर होते हैं । अपने जीवन में व्यक्तित्व और चरित्र के निर्माण होता है । आपसी जीवन में प्रेम और समन्वय बढ़ता है ।*
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