11-APRIL-2023
इंडोनेशिया में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग का चमत्कार जिसका पानी आज तक नहीं सुखा लोग इसे अमृत बता रहे
मुस्लिम देश इंडोनेशिया में हुआ शिवजी का चमत्कार से आस्था का सैलाब उमड़ा
इंडोनेशिया में चमत्कार हुआ है लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं.(चमत्कारिक शिवलिंग)
चमत्कार हमारी आस्था और विश्वास का आधार हैं साथ ही ईश्वर में हमारी श्रद्धा को भी बढ़ाते हैं. इंडोनेशिया मे सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग मिला है. इस शिवलिंग की ख़ास बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है. ये कोई चमत्कार है या नहीं, ये कोई नहीं जानता लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं।
मुस्लिम प्रधान देश इंडोनेशिया में क्रिस्टल का ऐसा शिवलिंग मिला है जिसे लेकर दुनियाभर के शिव भक्तों के मन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. अगर इतिहास की बात करें तो 13वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इंडोनेशिया में हिन्दू धर्म का लंबा इतिहास रहा है. वहां पर अभी भी पूरे देश में इससे जुड़े ढेरों उदाहरण हैं. इन उदाहरणों में बहुत सारे मंदिर भी शामिल हैं. लेकिन इस्लाम के बढ़ते प्रभाव के बाद वहां मंदिरों का बनना कम हो गया था.
पर यहा के मुस्लिम में एक गुण है इनको जबर्दस्ती इस्लाम वनाया तो गया पर वे अपने अतीत नही भुल पाए। वे मानते है के उनके पूर्वज हिन्दू थे। इसलिए यहा हर मुसलमान छोटे उम्र से हइस्लाम यहा भी अपने जिहाद का झंडा फैलाये। इसके साथ ही मध्य इस्लामिक काल में कई मंदिर क्षतिग्रस्त भी हो गए. इन्हीं मंदिरों में से एक है कंडी सुकोह, जिसका काफी हिस्सा ध्वस्त हो चुका है. यह मंदिर मुख्य जावा आइलैंड के बीच में स्थित है. ये इस्लाम के प्रभाव से पूर्व बना अंतिम मंदिर है. इसमें भगवान शिव और महाभारत काल से जुड़ी कई कलाकृतियां मौजूद हैं. भीम, अर्जुन और शिव की पूजा करती श्रीगणेश की कलाकृतियां होने के कारण ये मंदिर काफी महत्वपूर्ण है.यहां मौजूद अधिकतर बेसकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है, इनमें से एक 1.82 मीटर ऊँचा शिवलिंग भी है. यहां की सरकार ने सभी कलाकृतियों के संरक्षण और पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराने के आदेश दिए, जिसके बाद कुछ नई कलाकृतियां दुनिया के सामने आईं. इनमें से एक है ये बेहद ही सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था. अचरज की बात ये है कि इस बर्तन में जो पानी भरा हुआ था, वो इतनी सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है ।जिस बर्तन में ये शिवलिंग पाया गया है, वो उन कई जारों में से एक है, जो मंदिर के अंदर बने एक स्मारक के नीचे छुपाकर रखे गए थे.इस बर्तन में न सूखने वाले पानी के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अमृत है. कुछ भी हो, लेकिन इस प्राचीन शिवलिंग ने फिर एक चमत्कार किया है और लोगों की ईश्वर पर आस्था और बढ़ा दी है
न तत्र सूर्यो भाति न चन्द्रतारकं नेमा विद्युतो भान्ति कुतोयमग्निः।
तमेव भान्तमनुभाति सर्वं तस्य भासा सर्वमिदं विभाति॥
व्यक्तिगत आत्मा या आत्मा और कुछ नहीं बल्कि स्वयं शिव हैं। लेकिन उस सर्वव्यापी सर्वोच्च चेतना प्रकाश रूपी शिव को उनके वास्तविक स्वरूप को उनकी अपनी ही शक्ति माया शक्ति द्वारा एक पर्दे के रूप में छुपाया गया है।
समझने के लिए इसे ऐसे समझिए कि माया शक्ति की तुलना सूर्य को ढकने वाले काले बादलों से की जा सकती है और प्रकाश शिव की तुलना उज्ज्वल सूर्य से की जा सकती है। जब सूर्य के चारों ओर काले बादल हट जाते हैं, तो सूर्य का वास्तविक स्वरूप प्रकट हो जाता है।
इसी तरह, जब साधना (मंत्र जप ध्यान) के माध्यम से माया का अंधेरा दूर हो जाता है, तो प्रकाशमय शिव स्वयं को प्रकट करते हैं। यही दिव्य अवस्था ही आत्म-साक्षात्कार है ।आज से शिवमास श्रावण मास का शुभारंभ है , बस हर एक क्षण स्वयं (मन, बुद्धि, वासना, अहंकार, अंधकार) को प्रेममय शिव भक्ति की तरफ प्रेरित करते रहे । निश्चित ही मिलन होगा आपका अपने ही विराट अस्तित्व से ! ऐसी मेरी शुभेच्छा है ।
स्मरण रहे की प्रेम में बहुत बल है, यह प्रेम तत्व अविनाशी है, प्रेम तत्व ही शक्ति रहस्य है, बिना शक्ति के सानिध्य के शिव से पुनर्मिलन, आत्म-साक्षात्कार असंभव है । प्रेममय भक्ति में ही समस्त शक्तियां मातृत्व और वात्सल्य से भर उठती हैं ।
बहुत ही सहज है शिवमय हो जाना, क्योंकि आप सब शिव ही हैं बस संकुचित हो स्वयं के अस्तित्व को भूल बैठे हैं ।
विक्रांत भैरव इच्छा से बहुत ही सीमित शब्दों में मैंने बहुत कुछ प्रकट कर दिया है । हर एक जीवात्मा में शिवत्व (धर्म) के जागरण में ही इस अस्तित्व का उद्धार अंतर्निहित है ।
इंडोनेशिया में आज भी अनेक हिन्दू मंदिर ऐसे हैं, जिनका रहस्य दुनिया को नहीं पता है। ऐसे ही सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में हाल में कुछ विस्मयकारी अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिसमें शताब्दियों पुराना एक शिवलिंग मिला है। यह मंदिर इस देश के जावा द्वीप में स्थित है।
सदियों बाद भी सूखा नहीं है द्रव...
यह शिवलिंग स्फटिक (क्रिस्टल) से बना है, जिसमें पानी की तरह का कोई तरल पदार्थ भरा हुआ है। घोर आश्चर्य की बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ यह तरल सदियां बीत जाने पर भी सूखा नहीं है।
क्या पवित्र दैवी द्रव है यह तरल पदार्थ...
कंडी सुकुह नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में प्राप्त शिवलिंग के इस तरल पदार्थ को लेकर इंडोनेशिया के जावा द्वीप के स्थानीय लोगों की मानना है कि यह तरल पदार्थ एक पवित्र दैवी द्रव है। जबकि पुरातत्वशास्त्रियों का मानना है इस शिवलिंग में न सूखने वाले इस तरल या पानी के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक कारण हो सकता है, जो अभी ज्ञात नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोग बता रहे हैं इसे अमृत...
लेकिन यहां के स्थानीय लोग पुरातत्वविदों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यह तरल कुछ और नहीं बल्कि अमृत है, कई लोग इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।
ऐसे चला पता इस शिवलिंग का...
इस शिवलिंग का पता तब चला जब इस मंदिर के उत्खनन से प्राप्त बेशकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित किया जा रहा था। जिसमें से एक यह बेहद सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था, प्राप्त हुआ। आश्चर्यजनक यह कि इस बर्तन में जो द्रव भरा हुआ था, वो कई सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है।
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