19 Apirl 2023
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अपने ही देश में हिन्दू दूसरे दर्जे का नागरिक बन कर रह गया...
क्या खूब प्रगति पर है हिन्दू-राष्ट्र का निर्माण...जहाँ हिन्दू को अपनी सुरक्षा की माँग करने का भी अधिकार नहीं...!!
🚩सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा की माँग हेतु दाखिल याचिका को किया खारिज !!
🚩भारत हिन्दू बाहुल्य देश है, लेकीन अपने ही देश में हिन्दू दूसरे दर्जे का नागरिक हो गया है, हिन्दू टैक्स देता है फिर भी उसको सरकारी योजनाओं में इतना लाभ नही मिलता है, जितना अल्पसंख्यक समुदाय को मिलता है। हिन्दू अपनी धर्मिक पुस्तक स्कूल में नहीं पढ़ सकता। उसे तो अपने मंदिरों के दान पर भी टैक्स देना पड़ता है। अपने त्योहार मनाता है, तो पत्थर सहने पड़ते है और जब हिन्दू पर अत्याचार होता है , तब मिडिया, सेक्युलर और अन्य बुद्धिजीवीवर्ग को सांप सूघ जाता है।
🚩आज देश के हालात ऐसे बन गए हैं ,कि अगर हिन्दू अत्याचार के विरुद्ध या सुरक्षा पाने की आस में न्यायालय का दरवाजा खट- खटाता है, तब भी उसको न्याय नहीं मिलता । आखिर हिंदु जाए तो कहा जाए ?
🚩और उस पर भी विडंबना यह , कि राष्ट्र उत्थान, संस्कृति रक्षा और हिन्दू जागृति और सनातन धर्म के रक्षार्थ कार्य करने वाले पवित्र साधु संतों की भी हत्या कर दी जाती है या सालों तक उनको जेल में रख कर प्रताड़ित किया जाता है ।
🚩प्रश्न गंभीर है , कि क्या अपने ही देश में हिन्दुओं की पुकार सुनने वाला कोई नही है !?
🚩सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा की माँग हेतु दाखिल याचिका को खारिज किया !!
🚩सुप्रीम कोर्ट ने रामनवमी पर देशभर में श्रद्धालुओं के खिलाफ हुई हिंसा के मामलों की जाँच का आदेश देने से इनकार कर दिया है। ये याचिका ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक ट्रस्ट द्वारा दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 अप्रैल, 2023) को ख़ारिज कर दिया। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस याचिका में कहा था , कि कट्टरपंथी ग़ैर-हिन्दू समुदाय के लोगों ने देशभर में हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया और हिन्दू श्रद्धालु इसका शिकार बने।
🚩याचिका में जानकारी दी गई थी कि हर साल रामनवमी के दौरान इस तरह की हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता से कहा , कि वो पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, झारखंड और तेलंगाना में स्थित हाईकोर्ट्स में याचिका दायर करें।
🚩ग़ौरतलब है , कि महाराष्ट्र से भी इस तरह की घटनाएँ सामने आई हैं। पश्चिम बंगाल में इसका सबसे ज़्यादा असर देखने को मिला। और शर्मसार करने वाली बात यह कि , वहाँ की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान से भी कट्टरपंथी गुंडों और दंगाइयों को सहयोग मिला।
🚩इस याचिका में हिन्दू संस्था ने माँग की थी , कि
हिन्दुओं की शोभा यात्राओं और हिन्दू पर्वों व त्योहारों पर गैर-हिन्दू समुदाय के कट्टरपंथियों द्वारा किए जाने वाले हिंसक हमलों से हिन्दुओं के जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ।
🚩इस याचिका की गम्भीरता पर प्रकाश डालते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष की ओर से बताया गया , कि ये हिंसक घटनाएं कोई अचानक नहीं होती बल्कि पूरी साजिश के तहत इस तरह के हमले किए जाते हैं। याचिका में माँग की गई कि जिन-जिन राज्यों में ऐसी हिंसा हुई है, वहाँ के मुख्य सचिवों से रिपोर्ट तलब की जाए। ऐसी हिंसक वारदातों की निष्पक्ष और त्वरित जाँच की जाए
🚩साथ ही राज्य सरकारों को ये आदेश जारी करने का निवेदन भी किया गया था कि हिंसा की इन वारदातों के कारण हुए घायलों और पीड़ितों के नुकसान की भरपाई की जाए ।
🚩पश्चिम बंगाल के हावड़ा, बिहार के नालंदा, तेलंगाना के हैदराबाद, महाराष्ट्र के औरंगाबाद, गुजरात के वरोदड़ा और झारखंड के जमशेदपुर में इस साल हुई ऐसी घटनाओं का जिक्र किया गया।
🚩पश्चिम बंगाल में तो माननीय मुख्य मंत्री द्वारा किसी इलाके को मुस्लिम बहुल क्षेत्र कह कर शोभा यात्रा न निकालने के आदेश तक दिए जाते हैं ।इसके विरोध में सरकारों को निर्देश देने की माँग भी याचिका में की गई थी।
🚩हिन्दू अपने ही देश में अपना त्यौहार भी खुलकर नही मना सकते...!! क्यों...!?
क्योंकि अन्य धर्मावलंबी ( तथाकथित डरे हुए अल्पसंख्यक ) पथराव करते हैं ।
अब ऐसे में यदि सर्वोच्च न्यायालय से भी न्याय नहीं मिलेगा , तो आख़िर आम आदमी कहां गुहार लगाए !?
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