12- April-2023
🚩हमारे हिन्दू धर्म में पृथ्वी को माता की उपाधि दी गई है तथा उनको धरती माता के रूप में पूजा जाता है। पुराणों में पृथ्वी को मंगल ग्रह माता बतलाया गया है जिसके संबंध में एक कथा दी गई है. जब हिरण्याकश्यप ने पृथ्वी को उसके स्थान से हटाकर समुद्र के गहरे तल में पहुंचा दिया था, तब भगवान विष्णु ने पृथ्वी को मुक्त करने के लिए वराह अवतार लिया।
🚩 समुद्र में जाकर वराह रूपी भगवान विष्णु ने दुष्ट हिरण्याकश्यप का वध किया तथा माता पृथ्वी को उस असुर के कैद से मुक्त किया। इसके बाद वराह भगवान ने पृथ्वी को ऐसे स्थान पर स्थापित किया, जहा पर पृथ्वी में जीवन का विकास हो सके। पृथ्वी के अनुरोध पर वराह भगवान ने कुछ वर्षो तक पृथ्वी के साथ समय बिताया तथा पृथ्वी को वराह भगवान से एक पुत्र की प्राप्ति हुई जो आगे चलकर मंगल ग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुए।
🚩मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र और अन्य धार्मिक गर्थो में बहुत ही क्रोधी तथा विनाशकारी ग्रह बताया गया है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मंगल ग्रह का क्रोधी स्वभाव ही पृथ्वी में भूकम्प और अन्य आपदाओं का कारण है यानि जब वे गुस्से में होते है तो भूकम्प, सुनामी व भूस्खलन आदि जैसी आपदाओं का पृथ्वी को सामना करना पड़ता है।
🚩वही पुराणों में बताई गई एक अन्य कथा के अनुसार पृथ्वी में भूकम्प आने का कारण मंगल ग्रह नहीं बल्कि शेषनाग है ।
🚩शेषनाग समस्त नागो के राजा है तथा भगवान विष्णु उनको अपनी शैया बनाकर उनके ऊपर आराम करते है। धार्मिक कथाओ के अनुसार शेषनाग ने पूरी पृथ्वी का भार अपने ऊपर उठाया हुआ है यानि पृथ्वी शेषनाग के सर पर टिकी हुई है। जब कभी भी शेष नाग करवट लेने के लिए हिलते है तो उनके हिलने के कारण ही पृथ्वी में भूकम्प आता है।
🚩जब पृथ्वी पर अत्यधिक पाप होने लगता है तो पृथ्वी में से पाप का बोझ कम करने के लिए व लोगो को चेतावनी देने के लिए शेषनाग को करवट लेना पड़ता है ताकि लोग अधर्म का मार्ग छोड़ कर धर्म का मार्ग चुने।
🚩शास्त्रों की मानें तो निरीह पशुओं पर होने वाले अत्याचार के कारण भी भूकंप आते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार गायों,भैंसों के कत्ल के समय उनकी आहें निकलती हैं। जो विशेष फ्रीक्वेंसी की होती हैं जिनके द्वारा जमीन के अंदर के टैक्टोनिक प्लेट्स पर प्रभाव पड़ता है और भूकम आते हैं।
🚩उदाहरण : नेपाल में 5000 मवशियों की बलि दिगयी गई और उस साल नेपाल दी गई। जवाब में नेपाल को भूकंप की त्रासदी झलनी पड़ी।
🚩वास्तु शास्त्र के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग और भगवान विष्णु के कश्यप अवतार (कछुआ रूप) के ऊपर टिका हुआ है। यही कारण है की जब नए घर का निर्माण किया जाता है तो उसके नीव रखने के समय कछुआ या शेषनाग चांदी की आकृति जमीन में रखी जाती है ताकि घर लम्बे समय तक अडिग रह सके। चीन में भी भूकम्प को लेकर एक अलग ही मान्यता है परन्तु ये भी हिन्दू धर्म से कुछ मिलती-जुलती है।
🚩चीन में भूकम्प को लेकर यह मान्यता है की पृथ्वी को एक बहुत ही विशाल मकड़े ने अपने पीठ के ऊपर उठाया हुआ है। जब यह मकड़ा हिलता है तो पृथ्वी में भूकम्प आ जाता है. इसी प्रकार जपान में भूकम्प को लेकर यह मान्यता है की धरती में जमीन के नीचे एक नामुज नाम की मछली रहती है. जब कभी नामुज कशिमा नाम के देवता पर हमला करती तो पृथ्वी में भूकम्प आता हैं।
🚩चीन में भूकंप की मान्यता हिन्दू धर्म की मान्यताओं से अलग है लेकिन काफी मायनों में यह मिलता जुलता है। चीन के लोग यह मानते हैं कि पृथ्वी को एक बड़े से मकड़े ने अपनी पीठ पर संभलकर रखा हुआ है।
🚩जब यह मकड़ा अपनी पीठ हिलाता है तो पृथ्वी हिल जाती है और भूकंप आ जाता है। जापान में भी भूकंप को लेकर अजब सी मान्यता है। यहां ऐसी धारण है कि जमीन के नीचे नामजू नाम की एक मछली रहती है। जब कभी नामजू काशिमा नाम के देवता पर हमला करती है तो भूकंप आ जाता है।
🚩यूनान में भूकंप की मान्यता कुछ कुछ काशी विश्वनाथ से मिलती जुलती है। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि काशी शिव जी के त्रिशूल पर टिका हुआ है उसी प्रकार यूनान में यह माना जाता है कि पोजेडन नाम के देवता हैं जो समुद्र के स्वामी हैं। इनके हाथों में त्रिशूल है यह जब क्रोधित होते हैं तब अपना त्रिशूल जमीन पर मारते हैं इसकी चोट से धरती हिलने लगती है।
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