Saturday, March 25, 2017

भारतीय चैत्री नूतनवर्ष की विशेषताएं - 28 मार्च

🚩भारतीय चैत्री नूतनवर्ष की विशेषताएं - 28 मार्च 

🚩 #चैत्र मास की #शुक्ल #प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है।
इस दिन #हिन्दू #नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ '#विजय #पताका' होता है।

🚩 #इतिहास में इस प्रकार वर्णित है #चैत्री #वर्ष #प्रतिपदा...
nootan warsh vikram samwat - naya saal

 1- #ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की सृजन...

2- मर्यादा #पुरुषोत्तम #श्रीराम का राज्‍याभिषेक...

3- #माँ दुर्गा के #नवरात्र व्रत का शुभारम्भ...

4 प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..

5 उज्जैनी सम्राट #विक्रमादित्‍य द्वारा #विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..

6 शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग)महर्षि #दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..

7 भगवान #झूलेलाल का अवतरण दिन..

8 #मत्स्यावतार दिवस..

9 - गुरु अंगद देव अवतरण दिवस..

10 - डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन ।


🚩#नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है...!!!

🚩इसी दिन #ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है। 

🚩चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।

🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन #चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है।

🚩महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से #सूर्यास्त तक...दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘#पंचांग ‘ की रचना की थी ।

🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में #गुड़ीपड़वा की गिनती होती है।  इसी दिन भगवान #राम ने बाली के अत्याचारी शासन से  प्रजा को मुक्ति दिलाई थी।

🚩#नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों...???

🚩#भारतीय #नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से #ग्रहों, #वारों, #मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है।

🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है। इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है।

🚩#विक्रमी संवत किसी संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है। हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं। यह संवत्सर किसी #देवी, #देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है।

🚩हमारी गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थो में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है।

🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की। यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम #चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं।

🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं। यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है।  प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है। मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है।

🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से #उज्जैनी #नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की। उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा।

🚩महाराज विक्रमादित्य ने आज से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की। साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई। उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी ।

🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की। सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया। इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक अथवा रोहण के रूप में मनाया गया।

🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है। इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया।

🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है। हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं।

🚩कैसे मनाये नूतन वर्ष...???

🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी  मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फेराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  ।

🚩तो देखा आपने कितनी महान है हमारी भारतीय संस्कृति...!!!

🚩तो अब से सभी भारतीय संकल्प ले कि अंग्रेजो द्वारा चलाया गया एक जनवरी को नववर्ष न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष मनायेंगें।

Thursday, March 23, 2017

गंगा-यमुना को मानव का दर्जा ,प्रदूषित किया तो होगी जेल : उच्च न्यायालय

गंगा-यमुना को मानव का  दर्जा ,प्रदूषित किया तो होगी जेल : उच्च न्यायालय 

भारत का हर बारहवां व्यक्ति गंगा के किनारे रहता है।  20 लाख लोग औसतन प्रति दिन गंगा स्नान करते हैं, #त्योहारों पर यह संख्या करोड़ों हो जाती है । लेकिन उसमे कत्ल खानें का पानी एवं गंदे नाले का पानी और कचरा फैंकने के कारण इतनी गंदगी हो गई है कि सफाई करने के नाम पर सरकार करोड़ो रूपये आवंटित करती है लेकिन भ्रष्ट तंत्र के कारण माँ गंगा में अभी तक सफाई नही हो पाई है ।
Ganga Yamuna

#नैनीताल उच्च #न्यायालय ने #ऐतिहासिक निर्णय लिया है, सोमवार को गंगा और यमुना नदी को सजीव मानव का दर्जा दिया। न्यायालय ने कहा, इन दोनों नदियों को क्षति पहुंचाना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने जैसा माना जाएगा। ऐसे में आईपीसी के तहत मुकदमा चलेगा और व्यक्ति को जेल भी हो सकती है।

न्यायमूर्ती राजीव शर्मा और #न्यायमूर्ति आलोक सिंह कि खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कि परिसंपत्तियों के बंटवारे से संबंधित जनहित याचिका पर निर्देश जारी किए है।

गंगा नदी से निकलने वाली नहरों आदि सम्पति का बंटवारा आठ सप्ताह में करने के आदेश भी हाईकोट ने पारित किए हैं। 

गंगा-यमुना को मानव दर्जा देने के अलावा #देहरादून के जिलाधिकारी को 72 घंटे के भीतर शक्ति नहर ढकरानी को अतिक्रमण मुक्त करने के सख्त निर्देश दिए हैं।


हाईकोर्ट में यह मामला 2013 से चल रहा था।
यह याचिका देहरादून निवासी मोहम्मद सलीम ने दायर की थी। #गंगा-यमुना को दिए गए अधिकार का उपयोग तीन सदस्यीय समिति करेगी। यानी यह समिति इन नदियों को क्षति पहुंचाए जाने से संबंधित सभी मुकदमों की पैरवी करेगी। इसमें #उत्तराखंड के मुख्य सचिव, नैनीताल उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता और नमामी गंगे प्राधिकरण के महानिदेशक शामिल किए गए हैं।


मोहम्मद सलीम कि ओर से वरिष्ठ वकील एम.सी पंत ने गंगा-यमुना की खराब दशा बताते हुए #न्यूजीलैंड में नजीर नदी  को जीवित प्राणी का दर्जा देने का भी हवाला दिया। उनकी दलील पर न्यायालय ने गंगा-यमुना को भी जीवित प्राणी का दर्जा देने के निर्देश दिए। पंत ने बताया कि न्यायालय के पास किसी को भी वैधानिक व्यक्ति का दर्जा देने का अधिकार है। इसी आधार पर गंगा-यमुना को यह दर्जा दिया गया है।

वरिष्ठ #अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि अभी तक गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए वाटर प्रोटेक्शन एंड #कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट के तहत कार्रवाई होती थी। इसके अलावा अब गंगा-यमुना पर भी मुकदमा दर्ज किया जा सकेगा।

#इतिहासकार और पहाड़ी संस्कृति और भूगोल के जानकार #शेखर पाठक कहते हैं कि "मज़ेदार बात यह है कि निर्णय दिखाता है कि हमारी कार्यपालिका या ये कहें कि जो हमारी सरकारें और प्रशासन हैं, वे एक तरह से जो चीज़ें सामान्य रूप से कि जा सकती हैं उनमें भी वे कितने गैरज़िम्मेदार हैं । इस पर भी एक तरह से अपना गुस्सा न्यायालय ने अभिव्यक्त किया है ।

#गंगा, भारत की सबसे लंबी नदी है लेकिन दुनिया की सबसे गंदी नदियों में भी एक बताई जाती है ।

#गंगा के #प्रदूषण और गंदगी से निपटने के लिए दशकों से योजनाएं बनाई जा रही हैं । नमामि गंगे नाम से एक विराट सफाई अभियान मौजूदा केंद्र सरकार ने शुरू किया है ।

पिछले ही महीने केंद्र ने 1900 #करोड़ रुपए की परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई है लेकिन मोक्षदायिनी गंगा को अभीतक गंदकी से मुक्ति नही मिल पा रही है ।



माँ गंगा की महिमा

#वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले #बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं ।ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं ।


डॉ. #नौटियाल बताते हैं, “#गंगा के पानी में ऐसा कुछ है जो कि बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है । उसको नियंत्रित करता है ।”

डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से #आक्सीजन सोखने की #अद्भुत क्षमता है ।  दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली #गंदगी को #हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है ।

वे कहते हैं कि दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक #किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है ।

वेद , #पुराण , #रामायण, #महाभारत सब #धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है ।http://goo.gl/RHaHL7


अब इतनी भारी महिमा से भरी माँ गंगे की कब पूर्ण होगी सफाई यह एक बढ़ा सवाल है?

Wednesday, March 22, 2017

शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव बलिदान दिवस 23 मार्च

शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव बलिदान दिवस 23 मार्च

जानिए पूरा इतिहास....

भारतीय #स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव का नाम आदरपूर्वक लिया जाता है जो अंतिम सांस तक आजादी के लिए अंग्रेजों से टक्कर लेते रहे। 23 मार्च, 1931 के दिन भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव को लाहौर सैंट्रल जेल में फांसी के तख्ते पर झुलाया गया तो पूरे देश में अंग्रेजों के प्रति रोष की लहर दौड़ गई। फांसी के तख्ते पर चढ़ कर प्रथम तो तीनों ने फांसी के फंदे को चूमा और फिर अपने ही हाथों से उस फंदे को सहर्ष गले में डाल लिया। यह देखकर जेल के वार्डन ने कहा था, ‘‘इन युवकों के दिमाग बिगड़े हुए हैं, ये #पागल हैं।’’ तब सुखदेव ने उसे यह गीत सुनाया।
शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव

‘‘इन बिगड़े दिमागों में घनी खुशबू के लच्छे हैं।
हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।’’

इसी के साथ तीनों क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूल गए। ये तीनों अद्भुत क्रांतिकारी विचारधारा के अनुयायी थे। तभी तो फांसी लगने से कुछ क्षण पहले तक भगत सिंह एक मार्कसवादी पुस्तक पढ़ रहे थे, सुखदेव कुछ गीत गुनगुना रहे थे एवं राजगुरु वेद मंत्रों का गान कर रहे थे। जीवन की मस्ती इन्हें डी.ए.वी. कालेज लाहौर में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के स्नातक जयचंद विद्यालंकार के विचारों से प्राप्त हुई थी। ये तीनों नौजवान भारत सभा के सक्रिय सदस्य तथा हिन्दुस्तान समाजवादी रिपब्लिकन आर्मी के अनोखे वीर थे।

तीनों की मित्रता इसलिए भी सुदृढ़ और मजबूत थी क्योंकि उनकी विचारधारा एक थी। राजगुरु ने #वाराणसी में #विद्याध्ययन करने के साथ-साथ संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। वहीं रहते हुए जहां धर्मग्रंथों तथा वेदों का अध्ययन किया तथा साथ-साथ लघुसिद्धांत ‘कौमुदी’ जैसे क्लिष्ट ग्रंथ का अध्ययन किया। ‘कौमुदी’ इन्हें पूर्ण रूप से कंठस्थ थी और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध शैली के बहुत प्रशंसक थे। 

इसी प्रकार सुखदेव को खतरों से खेलने की आदत हो गई थी। उनकी स्मरणशक्ति अद्भुत थी। 

भगत सिंह जन्म से ही स्वतंत्र विचारधारा के व्यक्ति थे। अपने पिता सरदार किशन सिंह तथा चाचा अजीत सिंह के स्वतंत्र विचार उनकी रग-रग में समाए हुए थे। उनकी पांच साल की उम्र रही होगी, वह अपने पिता के साथ जब खेत में गए तो वहां कुछ तिनके चुनकर जमीन में गाडऩे लगे।

पिता ने हंस कर पूछा, ‘‘पुत्र क्या कर रहे हो?’’ 

भगत सिंह ने उत्तर दिया, ‘‘मैं बंदूकें बो रहा हूं, इनसे बहुत सारी बंदूकें बन जाएंगी और इनका प्रयोग अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ किया जाएगा।’’

क्यों हुई थी सजा !!


अंग्रेज़ सरकार #दिल्ली की असेंबली में 'पब्लिक #सेफ्टी बिल' और 'ट्रेड #डिस्प्यूट्स बिल' लाने की तैयारी में थी। ये बहुत ही दमनकारी कानून थे और सरकार इन्हें पास करने का फैसला कर चुकी थी।

शासकों का इस बिल को कानून बनाने के पीछे उद्देश्य था कि जनता में क्रांति का जो बीज पनप रहा है, उसे अंकुरित होने से पहले ही समाप्त कर दिया जाए। 


तीनों ही साथियों ने साइमन कमीशन का जम कर विरोध किया। #पुलिस की बर्बरता से लाला #लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए तथा 17 नवम्बर, 1928 को उनका देहांत हो गया। भगत सिंह, राजगुरु, #सुखदेव और उनके साथियों ने लाला जी की मौत का बदला लेने की योजना बनाई। चंद्रशेखर आजाद और राजगुरु ने साथ मिलकर पुलिस अधीक्षक सांडर्स को 17 दिसम्बर, 1928 को गोली से उड़ा दिया।

इस घटना के तुरन्त बाद भगत सिंह भेस बदल कर कलकत्ता के लिए प्रस्थान कर गए। वहीं रहते हुए भगत सिंह ने बम बनाने की विधि सीखी। भगत सिंह, #राजगुरु और सुखदेव का यह दृढ़ विश्वास था कि पराधीन भारत की बेड़ियां अहिंसा की नीतियों से नहीं काटी जा सकती। इसी कारण गंभीर विचार-विमर्श के पश्चात भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को सैंट्रल असैम्बली के अंदर बम फैंका।

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त बम फेंकने के बाद वहाँ से भागे नहीं, बल्कि विजिटर्स गैलरी में खड़े होकर शांतिपूर्वक पर्चे बांटते रहे जिन पर उन्होंने अपना उद्देश्य भारत माता की पूर्ण आजादी लिखा हुआ था तथा ‘#इंकलाब #जिन्दाबाद’ के नारे भी लगाते रहे। उद्देश्य किसी की हत्या नहीं था बल्कि देश की जनता में जागृति उत्पन्न करना था। बम फैंकने के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।

7 अक्टूबर, 1930 को फैसला सुनाया गया, जिसके अनुसार राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को फांसी की सजा दी गई। बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसका सर्वत्र विरोध होने के बावजूद 23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में भारत माता के तीनों सपूतों को फांसी दे दी ।

सिर्फ फांसी नहीं थी, जानिए भगत सिंह की #मौत का सच!

यह 24 मार्च 1931 की सुबह थी और लोगों में एक अजीब सी बेचैनी थी। एक खबर लोग आसपास से सुन रहे थे और उसका सच जानने के लिए यहां-वहां भागे जा रहे थे और अखबार तलाश रहे थे।

यह खबर थी सरदार भगत सिंह और उनके दो साथी सुखदेव और राजुगुरु की #फांसी की। उस सुबह जिन लोगों को अखबार मिला उन्होंने काली पट्टी वाली हेडिंग के साथ यह खबर पढ़ी कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर सेंट्रल जेल में पिछली शाम 7:33 पर फांसी दे दी गई। वह सोमवार का दिन था।

ऐसा कहा जाता है कि उस शाम जेल में पंद्रह मिनट तक इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे।

केंद्रीय #असेम्बली में #बम फेंकने के जिस मामले में भगत सिंह को फांसी की सजा हुई थी उसकी तारीख 24 मार्च तय की गई थी। लेकिन उस समय के पूरे भारत में इस फांसी को लेकर जिस तरह से प्रदर्शन और विरोध जारी था उससे सरकार डरी हुई थी। और उसी का नतीजा रहा कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को चुपचाप तरीके से तय तारीख से एक दिन पहले ही फांसी दे दी गई।

फांसी के समय जो कुछ आधिकारिक लोग शामिल थे उनमें एक थे यूरोप के डिप्टी कमिश्नर, जितेंदर सान्याल की लिखी किताब 'भगत सिंह' के अनुसार ठीक फांसी पर चढ़ने के पहले के वक्त भगत सिंह ने उनसे कहा, 'मिस्टर #मजिस्ट्रेट आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपको यह देखने को मिल रहा है कि भारत के क्रांतिकारी किस तरह अपने आदर्शों के लिए फांसी पर भी झूल जाते हैं।'

ये भगत सिंह के आखिरी वाक्य थे। लेकिन भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू की मौत के बारे में सिर्फ इतना जानना कि उन्हें फांसी हुई थी, या तय तारीख से एक दिन पहले हुई थी काफी नहीं होगा। आगे पढ़िए कि 23 मार्च की उस शाम हुआ क्या था।

फांसी के दिन क्या हुआ ??

जिस वक्त भगत सिंह #जेल में थे उन्होंने कई किताबें पढ़ी। 23 मार्च 1931 को शाम करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा इनके दो साथी सुखदेव व राजगुरु को फांसी दे दी गई।

फांसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी ही पढ़ रहे थे।

जेल के अधिकारियों ने जब उन्हें यह सूचना दी कि उनकी फांसी का वक्त आ गया है तो उन्होंने कहा था- "ठहरिये! पहले एक क्रान्तिकारी दूसरे से मिल तो ले।" फिर एक मिनट बाद किताब छत की ओर उछाल कर बोले - "ठीक है अब चलो।"

फांसी पर जाते समय भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू तीनों मस्ती से गा रहे थे -
मेरा रंग दे बसन्ती चोला, मेरा रंग दे;
मेरा रंग दे बसन्ती चोला। माय रंग दे बसन्ती चोला।।

#फांसी के बाद कहीं कोई आन्दोलन न भड़क जाये इसके डर से अंग्रेजों ने पहले इनके मृत शरीर के टुकड़े किये फिर इसे बोरियों में भरकर फिरोजपुर की ओर ले गये जहां मिट्टी का तेल डालकर इनको जलाया जाने लगा।

गांव के लोगों ने आग जलती देखी तो करीब आये। इससे डरकर अंग्रेजों ने इनकी लाश के अधजले टुकड़ों को सतलुज नदी में फेंका और भाग गये। जब गांव वाले पास आये तब उन्होंने इनके मृत शरीर के टुकड़ो कों एकत्रित कर विधिवत दाह संस्कार किया।


शहादत के बाद भड़की चिंगारी !!

#भगत सिंह, #सुखदेव और #राजगुरु की #शहादत की खबर को #मीडिया ने काफी प्रमुखता से छापा। ये खबर पूरे देश में जंगल की आग तरह फैल गई। हजारों #युवाओं ने #महात्मा_गांधी को काले #झंडे दिखाए। सच पूछें तो देश की आजादी के लिए आंदोलन को यहीं से नई दिशा मिली, क्योंकि इससे पहले तक आजादी के लिए कोई आंदोलन चल ही नहीं रहा था। उस वक्त तो महात्मा गांधी समेत अन्य नेता अधिकारों के लिए लड़ रहे थे, लेकिन भगत सिंह पूर्ण स्वराज की बात करते थे ।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के असीम देश प्रेम एवं बलिदान से नवयुवकों तथा क्रांतिकारियों में राष्ट्रीय चेतना का तीव्रता से संचार हुआ। इन वीरों ने क्रांतिकारी कार्यों और अपने बलिदान से #अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ों को मूल रूप से हिलाने का वह काम किया जिससे कुछ ही समय उपरांत अंग्रेजों का विशाल साम्राज्य भूमिसात होता चला गया। 


यह #देश का दुर्भाग्य है कि आज हमें चॉक्लेट डे, वेलेंटाइन डे, फ्रेंडशिप डे जैसे विदेशी दिवस तो याद रहते हैं लेकिन जिन #देशभक्तों ने अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरो से बंधे देश को छुड़ाने के लिए बलिदान दिया वो किसी को याद नही ।


जरा विचार कीजिये कि देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देनेवाले इन #वीर शहीदों के सपने को हम कहाँ तक साकार कर सके हैं..???


हमने उनके बलिदानों का कितना आदर किया है...???


वास्तव में, हमने उन अमर शहीदों के बलिदानों का कोई सम्मान ही नहीं दिया है । तभी तो स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारा देश पश्चिमी संस्कृति की गुलामी में जकड़ा हुआ है।


इन महापुरुषों की सच्ची #पुण्यतिथि तो तभी मनाई जाएगी, जब प्रत्येक #भारतवासी उनके जीवन को अपना आदर्श बनायेंगे, उनके सपनों को साकार करेंगे तथा जैसे भारत का निर्माण वे महापुरुष करना चाहते थे, वैसा ही हम करके दिखायें । 

यही उनका #बलिदान दिवस मनाना है ।

Tuesday, March 21, 2017

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर वैश्विक मीडिया में क्यों मची बौखलाहट?



🚩योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर वैश्विक मीडिया में क्यों मची बौखलाहट?

🚩जानिए सच...

🚩आपने देखा होगा कि जबसे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी का नाम #मुख्यमंत्री के लिए सामने आया तबसे लेकर आज तक योगी जी पर विपरीत खबरें चलायी जा रही हैं..

🚩भारत की #प्रिंट और #इलेक्ट्रॉनिक #मीडिया में 24 घण्टें खबरें, डिबेट प्रसारित होने लगी कि योगी जी मुस्लिम विरोधी हैं, ईसाई विरोधी हैं, कट्टर हिन्दू हैं, योगी जी को मुख्यमंत्री पद का अनुभव नही है, बूचड़खाने के बन्द होने से करोड़ो का नुकसान होगा आदि आदि...।
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🚩आइये जानते है विदेशी मीडिया क्या कह रही है...

🚩अमेरिका के ‘#न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने योगी की छवि को मुस्लिम विरोधी बताया ।

🚩जर्मनी की प्रसिद्ध रेडियो सेवा ‘दाइचे वेले’ ने अपनी #वेबसाइट पर इस खबर को सबसे बड़ी खबर के तौर पर प्रस्तुत किया और कहा कि एक गेरुआ वस्त्रधारी अब भारत के ऐसे राज्य की कमान संभालेगा जहां से होकर सत्ता का रास्ता केंद्र की तरफ जाता है। योगी जी को मुख्यमंत्री बनाना 2019 के चुनावों की तैयारी है। 

🚩नेपाल के प्रसिद्ध अखबार ‘#दि हिमालयन टाइम्स’ ने कहा कि एक महंत का सीएम के तौर पर आना, यह संकेत देता है कि मोदी भारत को हिंदुत्व की और ले जाने वाले हैं।

🚩‘#ऑस्ट्रेलियन ऑनलाइन’ ने योगी के मुख्यमंत्री बनने की खबर को ,मुख्य पृष्ठ पर स्थान देते हुए कहा है कि, अब विकास की बागडोर एक संत के हाथ में आ गई है। 

🚩पाकिस्तान ने योगी को #हिंदू कट्टरपंथी और मुस्लिम विरोधी नेता बताते हुए योगी के मुख्यमंत्री बनने की खबर को मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया है। 

🚩करांची से प्रकाशित प्रसिद्ध अखबार ‘#डॉन’ ने कहा है कि , भारत की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में एक हिंदू कट्टरपंथी मुख्यमंत्री के शपथ लेने से भारत-पाक संबंधों में अड़चनें बढ़ेंगी ।

🚩इस्लामाबाद के ‘#द न्यूज’ ने भी यूपी के सीएम योगी को मुसलमानों के खिलाफ बयान देने वाला एक कट्टरपंथी महंत बताया है। 

🚩लाहौर से प्रकाशित अखबार ‘#डेली टाइम्स’ और बलूचिस्तान के ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने भी योगी को मुस्लिम विरोधी बताया।

🚩इस तरीके से देश-विदेश की #मीडिया योगी आदित्यनाथ के लिए #दिन-रात विपरीत खबरें बना रही है।

🚩आखिर ऐसा है क्या योगी आदित्यनाथ में जो इतनी ज्यादा विपरीत खबरें चलायी जा रही हैं?

🚩योगी आदित्यनाथ पहले से ही धर्मान्तरण विरोधी हैं, भ्रष्टाचार विरोधी हैं, लव जिहाद विरोधी हैं , #पशु हत्या विरोधी हैं , इस्लाम आतंक विरोधी हैं , विदेशी कंपनियों के विरोधी हैं, नक्सली व माओवादी हिंसा विहैकैं, अब योगी जी के मुख्यमंत्री बनने पर इन सब कृत्यों पर रोक लगेगी, इसलिए राष्ट्र विरोधी ताकतें मीडिया को फंडिग कर रही हैं, जिससे #मीडिया द्वारा योगी जी की छवि को धूमिल किया जाये, जिससे जनता उनका विरोध करे और उनको सत्ता से गिराया जाये जिससे राष्ट्र में सौहार्द बने ही नही और सनातन संस्कृति को आसानी से नष्ट करके देश को फिर से गुलाम बनाया जाये ।

🚩जाने योगी आदित्यनाथ की जीवनी

🚩ऐसा पहली बार नही है कि जब योगी जी के आने से  मीडिया में भूचाल आया हो, पहले भी जब भी कोई कट्टर #राष्ट्रभक्त देश की रक्षा के लिए विशेष पद पर आये हैं, उस समय राष्ट्र विरोधी ताकतें मीडिया से मिलकर उनका विरोध शुरू कर देती हैं, जैसे कि #लाल बहादुर शास्त्री की हत्या का आजतक पता ही नही चला, #मोरार जी देसाई की सरकार गिराई गयी , #अटल जी की सरकार गिराई गयी और अटल जी को #हॉस्पिटल में भर्ती करवाकर ऐसा कुछ खिला दिया गया कि आजतक उनकी स्मृति नही लौटी ।

🚩सत्ता में आने पर ही उनको  टारगेट किया जाता है ऐसा नही है जो भी देश की रक्षा की सेवा के लिये आगे आया है उनकी हत्या करवा दी जाती है या तो उनको कुछ खिलाकर पागल कर किया जाता है या तो उनको #मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर जेल भेज दिया जाता है जैसे कि श्री राजीव दीक्षित की मृत्यु का आज तक पता नही चला, ओडिशा राज्य में धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले लक्ष्मणानंद की हत्या करवा दी गई, #जयन्द्रे स्वस्वती, स्वामी नित्यानंद, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद, संत आसारामजी बापू, श्री नारायण साईं, धनंजय देसाई आदि कई हिन्दू #संस्कृति की रक्षा के लिये कार्य करने वाले व्यक्तित्व को जेल भेजा दिया गया  और कई #मंदिरों के पुजारी, विश्व हिंदू परिषद, आर.आर.एस के कार्यकर्ताओं की हत्यायें करवा दी गई हैं ।

🚩कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि जो भी #भारतीय #संस्कृति की रक्षा करने और पाश्चत्य संस्कृति का विरोध करता है उनको नष्ट करने का षड्यंत्र होता है इसलिए #हिंदुस्तानी सावधान रहें ।

🚩योगी जी के बारे में जो भी खबरें दिखाई जाती हैं वे सत्य नही हैं, योगी जी #मुसलमान विरोधी नही हैं गोरखपुर में मुलमान आज भी उनको चाहते है , योगी इस्लामिक आतंक के विरोधी हैं, बूचड़खाने बन्द होने से नुकसान नही होगा बल्कि पशु हत्या रोकने पर उनके दूध, गोबर आदि से और अधिक कमाई होगी ।

🚩योगी जी कुशल #कार्यकर्ता  हैं, वे उत्तर प्रदेश को अवश्य उत्तम प्रदेश बनाएंगे और राज्य में सौहार्द और समृद्धि आएगी।

🚩जरूरत सिर्फ इतनी है कि हम #राष्ट्र विरोधी ताकतों के षड्यंत्र और उनके द्वारा संचालित मीडिया से सावधान रहें ।

जय हिंद !!


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Monday, March 20, 2017

🚩मौलाना मसूद मदनी ने किया महिला से दुष्‍कर्म, हुआ गिरफ्तार, मीडिया ने क्यों साधी चुप्पी?

🚩मौलाना मसूद मदनी ने किया महिला से दुष्‍कर्म, हुआ गिरफ्तार, मीडिया ने क्यों साधी चुप्पी?

🚩सहारनपुर : निसंतान महिलाओं को बच्चे पैदा करने के नाम पर उनके साथ दुष्‍कर्म करने के आरोपी #मसूद_मदनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मसूद मदनी जमीयत #उलमा-ए-हिन्द के #महासचिव #मौलाना #महमूद मदनी का सगा भाई है। जो #उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी की सरकार में राज्य मंत्री रह चुका है।
Maulana-Masood-Madani

🚩हरियाणा जींद की रहने वाली दूसरे समुदाय की एक महिला ने मसूद मदनी के खिलाफ #देवबंद कोतवाली में एक दिन पूर्व शुक्रवार शाम को दुष्‍कर्म का मुकदमा दर्ज करवाया। महिला का आरोप है कि वह #नि:संतान है और काफी समय पहले पिरान कलियर गयी, जहां उसकी मुलाकात किसी ने मसूद मदनी से कराई ।

🚩मसूद मदनी ने #महिला से बातचीत के दौरान यह भरोसा दिलाया कि वह दवाई से उसकी मनचाही इच्छा पूरी करा देगा।

🚩मदनी उसे #झांसा देकर देवबंद लाया और उसके साथ कई बार #दुष्‍कर्म किया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर महिला का मेडिकल परीक्षण कराया और शुक्रवार देर रात मसूद मदनी को #गिरफ्तार कर लिया।

🚩मदनी को जेल भेज दिया गया है। देवबंद में मामले की गंभीरता को देखते हुए सतर्कता बढ़ा दी गई है। #पुलिस के एक आला अफसर ने भी इस मामले की पुष्टि की है।  -नई दुनिया

🚩इतना बड़ा मामला होते हुए भी #मीडिया हॉउस में इस खबर को लेकर सन्नाटा है, लेकिन यही मामला किसी हिन्दू साधु संत का होता तो मीडिया 24 घण्टें खबरें दिखाती, डिबेट बिठाती और #साधु-संतों को बदनाम करने के लिए नई-नई स्टोरियां बनाती लेकिन अब मौलाना का मामला है तो मीडिया ने चुप्पी साध ली है।

🚩ऐसे ही कुछ दिन पहले #केरल के कोच्चि में एक केथोलिक दुष्कर्म आरोपी #ईसाई #पादरी को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामलें में गिरफ्तार किया गया है । दुष्कर्म आरोपी 48 वर्षीय रोबिन वडक्‍कनचेरिल कन्‍नूर जिले के कोटियूर में सेंटर सेबेस्टियन चर्च में पादरी है ।

🚩लेकिन पादरी के मामले में भी मीडिया ने चुप्पी साध ली थी ऐसे तो कई ईसाई पादरियों और मौलानो के दुष्कर्म सामने आये हैं, उन्हें न्यायालय ने सजा भी मुकम्मल की है ,लेकिन #इलेक्ट्रॉनिक या #प्रिंट मीडिया ने कभी भी जनता को #सच्चाई नही दिखाई है ।

🚩इससे विपरीत जब भी कोई हिन्दू साधु-संत पर आरोप लगता है तो मीडिया दिन-रात झूठी खबरें चलाती है, लेकिन जब वे #निर्दोष बरी हो जाते हैं, तब मीडिया वर्ग इस खबर पर #कवरेज नही देती।

🚩जैसा कि शंकराचार्य #जयेन्द्र स्वरस्वती, स्वामी #नित्यानंद, साध्वी #प्रज्ञा, स्वामी #असीमानंद को खूब बदनाम किया गया लेकिन जैसे ही वे निर्दोष बरी हुये तो उनकी #निर्दोषता पर एक भी खबर नही दिखाई गई । अभी संत #आसारामजी बापू के खिलाफ खूब मीडिया ट्रायल चल रहा है उसमें उनको फंसाने और उनके खिलाफ झूठी खबरें दिखाने के लिए निजी न्यूज चैनलों को पैसा दिया गया है, उसके कई खुलासे भी हुए हैं लेकिन मामले दबाए जा रहे हैं और जब वो #निर्दोष बरी हो जाएंगे तब एक भी चैनल खबर नही दिखायेगा ।

🚩इससे स्पष्ट होता है कि जो भी हिन्दू साधु-संत सनातन संस्कृति के उत्थान के लिये काम करते हैं, धर्मान्तरण में बाधा बनते हैं, #विदेशी #कंपनियों की उत्पाद बन्द करवाकर स्वदेशी लाते हैं, #गौ रक्षा के लिये कदम उठाते हैं, लोगों में भारतीय #संस्कृति के ज्ञान का प्रचार प्रसार करते हैं और #पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभावों का विरोध करते हैं, जिससे #राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा को देश को #गुलाम बनाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए हिन्दू साधु-संतों को #षड्यंत्र के तहस #फँसातें है और विदेशी फंड से चलने वाली भारतीय मीडिया द्वारा उनको बदनाम करवाते हैं तथा #सेक्युलर नेताओं की मिली -भगत से उनको जेल करवाते हैं।

🚩#हिन्दुस्तानी, राष्ट्रविरोधी ताकतों के षड़यंत्र को समझें, मीडिया तथा हिन्दू विरोधी ताकतों द्वारा भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का जो षड़यंत्र देश में चल रहा है उसको भापने का प्रयास अवश्य करें ।