Thursday, February 22, 2018

बाबा रामदेव की खुल गई पोल, अपने को अवतार सिद्ध करने के लिए बनाई झूठी सीरियल

February 22, 2018

🚩बाबा रामदेव की अभी हाल ही में टीवी सीरियल रिलीज हुई है लेकिन हिन्दू संगठन, ब्राह्मण, अहीर, यादव उनसे काफी नाराज होकर तरह तरह का विरोध कर रहे हैं, यहाँ तक बोल दिया है कि स्वदेशी के नाम पर बाबा रामदेव विदेशी शक्तियों से मिलकर हिन्दुओं को जाति में बांटने के लिये यह सीरियल बनाई गई है यहाँ कई हिंदुओं ने तो प्रण लिया है कि जब तक सीरियल बेन नही होगी तब तक हम पतंजलि का सामान नही खरीदेंगे । 

Baba Ramdev's open pole, false serial made to prove his avatar

🚩रामदेव एक पाखंड कथा

🚩रामदेव (राम किशन )के जीवन पर बनी एक टीवी सीरियल रामदेव एक संघर्ष झूठ का पुलिंदा है जिसमें सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए रामदेव ने न सिर्फ ब्राह्मणों पर निशाना साधा है बल्कि यादवों के कुल को भी कलंकित किया है। रामदेव के गांव में दौरा करके डॉ ईश्वर सिंह यादव ने सच्चाई जानने की कोशिश तो आश्चर्यजनक सत्य सामने आया कि सीरियल में रामदेव सिर्फ झूठ बोल रहे हैं और पाखंड कर रहे हैं, जबकि सच्चाई कुछ और है।

🚩दिनांक 18 फरवरी 2018 के दिन इस षडयंत्र की सत्यता जानने के लिए अहीरवाल के भाईचारे के हिमाती व समाजसेवियों का एक दल रामदेव की जन्मभूमि व पैतृक गाँव “अली सैदपुर” गया और लोगों से मिलकर सच्चाई जानने हेतु तफ्तीश की। इस दल में आर्य समाज के सन्यासी 88 वर्षीय स्वामी हरीश मुनि जी खवासपुर , प्रख्यात समाजसेवी राधेश्याम गोमला जी, फौजी रामफूल राव जी बास पदम का, नौजवान पियूष अहीर जी बुडीन शामिल थे। जो हैरतअंगेज सच्चाई सामने आई वो आप के समक्ष पेश है —

🚩1. सबसे पहले गाँव का निरिक्षण किया और पाया कि गाँव खुशहाल है, हाँ गाँव में खेती-लायक पानी की जरुर कमी है। गाँव अहीरवाल क्षेत्र यानि अहीर बाहुल्य क्षेत्र का हिस्सा है। रामदेव के दादा पूसा जी गाँव में “बोहरा जी” यानी “धनाढ्य” कहलाते थे और उनके बुजुर्ग किसी दौर में गाँव की कुल खेतिहर ज़मीन के करीब चौथाई हिस्से के मालिक थे। यानि रामदेव का परिवार पैतृक रूप से बड़े बिस्वेदार/जमींदार थे और इनके परिवार का बहुत सम्मान था।





🚩2. गाँव में रामदेव के परिवार के ही बुजुर्ग जगदीश आर्य जी ने अपने पिता राव उमराव सिंह जी की याद में एक बहुत ही शानदार धर्मशाला सन 1972 में बनवाई थी जिससे रामदेव के परिवार की खुशहाली का पता चलता है।

🚩3. एक ग्रामीण के मुताबिक किसी दौर में इनका कुटुम्ब इतना बड़ा था कि परिवार में घर के बाहर जूती ही जूतियाँ दिखाई देती थी , यानी इस परिवार के पास बहुत बड़ा संख्या बल था और ऐसे बड़े और धनाढ्य परिवार को गाँव में कोई दबा नहीं सकता।

🚩4. रामदेव ने 8वी. कक्षा तक पढाई यहीं रहकर करी और फिर इनके बड़े जगदीश जी आर्य ने इनका दाखिला गुरुकुल खानपुर(अहीरवाल) में करवा दिया जहाँ इनके गुरु थे आचार्य प्रद्युम्न ,जखराना वाले, जो समस्त हिन्द में संस्कृत व्याकरण के सबसे बड़े विद्वान् थे और जाति से राव साहब यानि यादव थे और आचार्य जी आज भी पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में ही रहते हैं । तो इसका मतलब गुरुकुल में भी इनके साथ कभी कोई भेदभाव नहीं हुआ।

🚩5. खानपुर गुरुकुल के बाद रामदेव की शिक्षा कालवा गुरुकुल में हुई जहाँ शिक्षक आचार्य बलदेवजी थे जो खुद एक पिछड़े कृषक समुदाय से आते थे ,इसलिए कालवा गुरुकुल में भी रामदेव पर किसी भी प्रकार के भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं थी।

🚩6. शिक्षा के बाद इनके मुख्य रूप से दो साथी थे, आचार्य बालकृष्ण जो ब्राह्मण हैं और आजतक इनके साथ हैं तथा दूसरे आचार्य कर्मवीर।

🚩7. गाँव में इनके अग्रज देवदत्त जी मिले जो CRPF से रिटायर्ड हैं और इनका मकान गाँव का सबसे आलिशान महलनुमा मकान है और खेती के लिए इनके पास एक ट्यूबवेल भी है , यानि हर तरह से सम्पन्न। जब उनसे चर्चा हुई तो वे बोले कि सीरियल में काफी बातें सत्य से परे हैं।

🚩8. गाँव में कभी एक मंगतू ब्राह्मण का परिवार था जिसकों यहाँ यादवों ने करीब 30 बीघा ज़मीन दान देकर बसाया था जिसके एक पुत्र हुआ मांगू ब्राह्मण जिसके सिर्फ एक पुत्री थी जिसके पति निरंजनलाल को यहाँ बसाया गया ,जिसकी संतानें आज भी गाँव में हैं और बड़े सरल स्वभाव का परिवार है। ब्राह्मणों में कोई भी “गोरधन महाराज” नाम का व्यक्ति कभी पैदा ही नहीं हुआ ,यानी सारा टीवी सीरियल सिर्फ एक कपोल-गाथा है। कभी जिस ब्राह्मण परिवार को अहीरों ने बसाया हो वो कैसे अपने सहारा देने वालों पर कोई भेदभाव/ज़ुल्म कर सकता है या जो यादवों पर कभी आश्रित रहा हो वो कभी इतनी हिमाकत कर सकता है?

🚩9. गाँव के कई यादव बुजुर्गों जिनकी आयु 80-90 वर्ष रही होगी उनसे मिले , उन्होंने बताया कि उनके जीवन-काल में कभी भी गाँव में कृष्ण-लीला/रामलीला आदि का मंचन नहीं हुआ। रामदेव का जन्म तो 1973 में हुआ ,फिर टीवी सीरियल में ये कृष्ण-लीला का मंचन एक कोरा झूठ साबित होता है।

🚩10. गाँव के बुजुर्गों और रामदेव के भाई व् कुटुम्ब के लोगों ने बताया कि रामदेव का परिवार तो इतना सबल था कि किसकी हिम्मत थी कि उनको गाँव से बाहर निकालते ? टीवी सीरियल के इस झूठ का भी पर्दाफाश हुआ।

🚩11. रामदेव के बड़े भाई देवदत्त ने खुद बताया कि उनको कभी पंचायत के सामने बाँध कर कोई भी किसी तरह की सामाजिक सज़ा नहीं दी गयी और न ही उनके माँ-बाप को।

🚩12. जब हमने रामदेव के बड़े भाई देवदत्त से पूछा कि रामदेव ने टीवी सीरियल में झूठ क्यों दर्शाया तो वो बोले कि “बिना तडके वाली दाल” कौन खायेगा ? इसमें “तड़का” नहीं होगा तो फिर कौन देखेगा ? यानी सिर्फ टीवी सीरियल की पब्लिसिटी के लिए झूठ का सहारा लिया जाएगा और यादवों के स्वाभिमान से खिलवाड़ किया गया। गाँव के कुछ लोग ये बोले कि इस सीरियल से गाँव और समाज की बदनामी हुई है और अब कौन यादव हमारे गाँव में अपने बच्चों का रिश्ता करेगा ?

🚩13. गाँव में आज करीब 300 घरों की बस्ती है और 40 साल पहले शायद इससे भी कम घर होंगे। बुजुर्गों ने बताया कि उनके जीवन-काल में कभी भी गाँव में कोई हाट-बाज़ार नहीं लगा। आज भी बस एक-आध ही छोटी सी कोई दुकान हैं। फिर टीवी सीरियल में ये दिखाया गया कि रामदेव और उनकी माता का दुकानदारों ने सामान देने से इंकार कर दिया और कृष्ण-मुकुट नहीं खरीदने दिया ,ये कौन से युग में हुआ ? इस कोरे झूठ का भी पर्दाफाश हुआ।

🚩14. आज गाँव में गिनती के ट्यूबवेल हैं और एक रामदेव के बड़े भाई के पास है। अखबार में छपी ये खबर भी गलत साबित हुई कि अगर उनके मटके से पानी ज़मीन पर छलक जाता था तो पहले उस रस्ते को धोया जाता था। खुद उनके भाई और परिवार ने इस झूठ का खंडन किया। जिस गाँव में करीब 80-90 % यादव परिवार हों और खेडा भी यादवों का ही बसाया गया हो ,तो गाँव के सब रास्तों पर यादवों की ही सबसे ज्यादा आवाजाही रहती है ,फिर ऐसा कैसे हो सकता था ? इस झूठ का भी ग्रामीणों ने पर्दाफाश किया।

🚩15. गाँव में ग्रामीणों और इनके कुटम्ब के लोगों से मिलने पर ये सच्चाई ज्ञात हुई —
🚩(i) गाँव में कोई कृष्ण-मूर्ति या मंदिर नहीं है अपितु एक ठाकुर द्वारा हैं जहाँ गाँव की समस्त जातियाँ बड़े प्रेम से पूजा-अर्चना करती हैं।

🚩(ii) गाँव में किसी भी तरह की जातिगत दुर्भावना नहीं है बल्कि सब जातियां बड़ी समरसता से रहती हैं।

🚩(iii) गाँव बिछवालिया गोत्र के राव साहबों का ठिकाना है यहाँ के ब्राह्मण/कुम्हारों/स्वामी आदि जातियों में बहुत भाईचारा है और ब्याह-शादी आदि पर्वों को सब आपस में एक दूसरे के साथ मनाते हैं । यहाँ के यादव सरदार इतने दानवीर हैं कि अभी हाल ही में एक गरीब कुम्हार की बेटी की शादी में समस्त ग्रामीणों ने खूब दान दिया और गाँव की बेटी को बड़े प्रेम और ठाट-बाट से विदा किया। यानी गाँव खुशहाल है और भाईचारे की मिसाल है। ये ही हाल आस-पास के यादवों के गांवों का है क्योंकि ये अहीरवाल यानी अहीर बाहुल्य क्षेत्र का ही हिस्सा है

🚩अहीरवाल पर यादव राजवंश का राज रहा है। सामंत/ज़मींदार भी यादव थे और आज भी ये यादव राजकुल मौजूद है। अहीरवाल क्षेत्र का बहुत ऐतिहासिक क्षत्रिय इतिहास रहा है। यहाँ के लोग देश व राष्ट्र-रक्षा के लिए तैमुर के खिलाफ लड़े, नादिरशाह के खिलाफ लड़े, अंग्रेजों के खिलाफ नसीबपुर में एक बहुत ही बहादुराना लडाई लड़ी। आधुनिक इतिहास में रेजांगला में वीरता की सबसे बड़ी शौर्यगाथा लिखी, हाजीपीर, जैसलमेर मोर्चा, टाइगर हिल आदि हर लडाई में यहाँ के यदुवंशी मौजूद थे। यहाँ घर-घर में फौजी हैं और ये यादवों का पुश्तैनी कार्य भी रहा है। सैद अलीपुर गाँव में भी बहुत फौजी है, खुद रामदेव के परिवार के कप्तान रोहताश सिंह साहब भी सेना में थे। यानी जिस कौम का इतना शानदार जंगी-इतिहास रहा हो उस पर कोई कैसे ज़ुल्म कर सकता है?

🚩इस टीवी सीरियल के ज़रिये अहीरवाल के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने की कोशिश है और सिर्फ व्यवसायिक फायदे के लिए विभिन्न वर्गों में विष फ़ैलाने की कोशिश है। रामदेव का परिवार बड़ा बिस्वेदार और धनाढ्य रहा है ,लेकिन झूठी सहानभूति के लिए कपोल-गाथा गढ़ी गयी। जिस परिवार ने गाँव में 1972 में बड़ी धर्मशाला का निर्माण किया, बड़ी ज़मीनों के मालिक हैं वो परिवार कभी तिरस्कार का कैसे भागी रहा होगा ? जिस यादव कौम का शानदार जंगी-इतिहास रहा हो, जिसने अहीरवाल पर राज़ किया हो वो कैसे इस कपोल-गाथा का हिस्सा हो सकती है?

🚩आज रामदेव के पास इज्ज़त, पैसा,नाम,सम्मान आदि सब कुछ है, फिर ये कैसे झूठ का भागीदार हो गया ? सन्यासी का पहला धर्म है कि सत्य की स्थापना करे और असत्य का खण्डन , फिर ये सन्यास-धर्म से कैसे विमुख हो गया ? खुद को एक अवतार घोषित करने के लोभ में रामदेव ने यादव जैसी मर्द कौम की गरिमा को ही दाँव पर लगा दिया है जिसका हर यदुवंशी को पुरजोर विरोध करना चाहिए। - डॉक्टर ईश्वर सिंह यादव 

🚩जनता ने बताया कि बाबा रामदेव से अनुरोध है समय रहते चेत जाएं। नहीं तो जहर उगलती काल्पनिक व मार्मिक कहानियां बनानी हमें भी आती हैं।

🚩अब इतने विरोध के बाद देखते हैं कि स्वदेशी के नाम से प्रोडक्ट बेचकर जातिवाद पर हिन्दुओं को विभाजित करने वाली टीवी सीरियल पर बेन लगती है या नही।

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Wednesday, February 21, 2018

होली पर केमिकल रंगों से खेलने से होगी भयंकर हानि, जानिए अपने घर में कैसे बनायें प्राकृतिक रंग

February 21, 2018

🚩 होली का त्यौहार पूरे देश में बड़े #उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व मूल में बड़ा ही स्वास्थ्यप्रद एवं मन की प्रसन्नता बढ़ाने वाला है लेकिन दुःख के साथ कहना पड़ता है कि इस पवित्र उत्सव में नशा, वीभत्स गालियाँ और केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग करके कुछ लोगों ने ऋषियों की हितभावना, समाज की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और प्राकृतिक उन्नति की भावनाओं का लाभ लेने से समाज को वंचित कर दिया है । 
Playing with the colors of Holi will be a terrible loss,
 know how to make a natural color in your home

🚩 मीडिया सूखे रंगों से होली खेलने की सलाह देती है लेकिन सूखे #केमिकल #रंगों से होली खेलने की सलाह देनेवाले लोग वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ हैं । क्योंकि #डॉक्टरों का कहना है कि सूखे रासायनिक रंगों से होली खेलने से शुष्कता, एलर्जी एवं #रोमकूपों में #रसायन अधिक समय तक पड़े रहने से भयंकर त्वचा रोगों का सामना करना पड़ता है ।

🚩 प्राकृतिक रंगों से होली खेले बिना जो लोग ग्रीष्म ऋतु बिताते हैं, उन्हें गर्मीजन्य उत्तेजना, चिड़चिड़ापन, खिन्नता, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन), तनाव, अनिद्रा इत्यादि तकलीफों का सामना करना पड़ता है ।

🚩 आइये आपको बताते है प्राकृतिक रंग कैसे बनायें ?

🚩1- केसरिया रंग : #पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस #केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर, उसे ठंडा करके #होली का आनंद उठायें । 

🚩लाल रंग : #पान पर लगाया जानेवाला एक चुटकी चूना और दो चम्मच हल्दी को आधा प्याला पानी में मिला लें । कम-से-कम 10 लीटर पानी में घोलने के बाद ही उपयोग करें ।

🚩सूखा पीला रंग : 4 चम्मच बेसन में 2 चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें । सुगंधयुक्त कस्तूरी #हल्दी का भी उपयोग किया जा सकता है और बेसन की जगह गेहूँ का आटा, चावल का आटा, आरारोट का चूर्ण, मुलतानी मिट्टी आदि उपयोग में ले सकते हैं ।

🚩गीला पीला रंग : (1) एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़नेवाले रंग जो खाने के काम में आते हैं, उसका भी उपयोग कर सकते हैं। (2) अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह उबालें।

🚩 पलाश के फूलों का रंग बनायें । पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।

🚩रासायनिक रंगों से होने वाली हानि...

🚩1 - काले #रंग
में लेड ऑक्साइड
पड़ता है जो
गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी
करता है ।

🚩2 - हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है जो आँखों में जलन, सूजन, अस्थायी अंधत्व
लाता है ।

🚩3 - सिल्वर रंग में #एल्यूमीनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर करता है ।

🚩4- नीले रंग में प्रूशियन ब्ल (कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस) से भयंकर #त्वचारोग
होता है ।

🚩5 - लाल रंग जिसमें मरक्युरी सल्फाइड
होता है जिससे त्वचा का #कैंसर होता है ।

🚩6- बैंगनी रंग में  क्रोमियम आयोडाइड
 होता है जिससे दमा, #एलर्जी
होती है । (यह लेख #संत #आसारामजी आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद से लिया गया है)

🚩त्वचा विशेषज्ञ #डॉ. आनंद कृष्णा कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सारा साल हम जो त्वचा और बालों का ध्यान रखते हैं वह होली के अवसर पर भूल जाते हैं और केमिकल रंगों से इनको भारी नुकसान पहुँचाते हैं । 

🚩दैनिक भास्कर की तो मुर्खानी की हद हो गई जो कई सालों से केवल तिलक होली खेलने का प्रचलन कर रहा है । 

🚩भास्कर को पता नही है कि जिन #ऋषि मुनियों ने #होली #त्यौहार बनाया है वो हमारे उत्तम स्वास्थ्य और शरीर में छुपे हुए रोगों को मिटाने के लिए बनाया है ।

🚩केमिकल रंगों से होली खेलने के बाद भी बहुत अधिक पानी खर्च करना पडता है । एक-दो बार खूब पानी से नहाना पड़ता है क्योंकि रासायनिक रंग जल्दी नहीं धुलते । प्राकृतिक रंग जल्दी ही धुल जाते हैं ।

🚩प्राकृतिक रंगो से होली खेलने से पानी की अधिक खपत का प्रलाप करने वाली #मीडिया को #शराब, #कोल्डड्रिंक्स, #गौहत्या के लिए हररोज बरबाद किया जा रहा #करोड़ों #लीटर पानी क्यों नही दिखता...???

🚩महाराष्ट्र के नेता विनोद तावडे ने सबूतों के साथ पानी के आँकड़े पेश किये जिसमें #शराब बनाने वाली #कम्पनियां #अरबो लीटर #पानी की #बर्बादी करती हैं ।

🚩‘डीएनए न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार 1 लीटर कोल्डड्रिंक बनाने में 55 लीटर पानी बरबाद होता है ।

🚩कत्लखाने में 1 किलो #गोमांस के लिए #15,000 लीटर पानी बरबाद होता है । #कोल्डड्रिंक्स और शराब के कारखानों में मशीनरी और बोतलें धोने में तथा बनाने की प्रक्रिया में #करोड़ों लीटर पानी बरबाद होता है ।

🚩बड़े-बड़े #होटलों में आलीशान #स्विमिंग टैंक्स के लिए लाखों लीटर पानी की सप्लाई बेहिचक की जाती है।

🚩हकीकत यह होते हुए भी मीडिया द्वारा कभी इसका विरोध नही किया गया ।

🚩'प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ के अनुसार #रासायनिक रंगों से होली खेलना अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है ।

🚩डॉ. #फ्रांसिन पिंटो के अनुसार रासायनिक रंगों से होली खेलने के बाद उन्हें धोने के लिए प्रति व्यक्ति 35 से 500 लीटर तक पानी खर्च करता है ।

🚩यह केमिकल युक्त पानी पर्यावरण के लिए घातक है । #घर भी रंगों से खराब हो जाते हैं । उन्हें धोने में कम-से-कम 100 लीटर पानी बरबाद हो जाता है ।

🚩 अतः आप इस बार वैदिक होली मनाकर स्वयं को स्वस्थ रखें। प्राकृतिक रंगों से होली खेले, केमिकल रंगों से बचे । ऋषि-मुनियों द्वारा बनाया गया यह त्यौहार जरूर मनायें, जिससे आपका स्वास्थ्य भी बढ़िया रहे और गर्मी में आने वाले रोगों से भी रक्षा हो ।

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Tuesday, February 20, 2018

संयुक्त अरब में बनेगा हिन्दू मन्दिर, ऑस्ट्रेलिया में भी सबसे तेजी से बढ़ रहा है हिन्दुत्व

February 20, 2018

ईसाई धर्म की स्थापना यीशु ने 2017 साल पहले की, मुस्लिम धर्म की स्थापना 1450 साल पहले मोहम्मद पैंगम्बर ने की लेकिन हिन्दू धर्म की किसी ने स्थापना नही की है बल्कि जबसे सृष्टि का उद्द्गम हुआ तबसे हिन्दू (सनातन ) धर्म है, सनातन धर्म में ही भगवान श्री राम, श्री कृष्ण और ऋषि-मुनियों का अवतार हुआ और उन्होंने धर्म का प्रचार प्रसार करके मनुष्य को इतना उन्नत करने की कला बताई कि वो स्वयं नई सृष्टि बना सकता है।

दुनिया का सबसे प्राचीन हिन्दू धर्म अपनी उदारता, व्यापकता और सहिष्णुता की वजह से पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान खींच रहा है। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देश में तो सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है।
Hindu temple will be built in the United Arab world,
 Australia is also fastest growing Hindutva

ऑस्ट्रेलिया में हिन्दुत्व के सबसे तेजी से बढते धर्म के उभरने के साथ ही विक्टोरिया सरकार ने यहां श्री शिव विष्णु मंदिर के उन्नयन के लिए शुक्रवार को 160,000 डॉलर की धनराशि देने की घोषणा की । कल्चर एंड हेरिटेज सेंटर को श्री शिव विष्णु मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है । इसे वर्ष 1994 में मंदिर का दर्जा दिया गया था । इसे दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बडा हिन्दू मंदिर भी माना जाता है । विक्टोरिया में बहुसंस्कृति मामलों के मंत्री रोबिन स्कॉट ने शुक्रवार (16 फरवरी) को मंदिर की यात्रा करते हुए कहा कि सरकार हिन्दू सोसाइटी ऑफ विक्टोरिया को 160,000 डॉलर से ज्यादा की धनराशि कल्चरल एंड हैरिटेज सेंटर के उन्नयन के लिए देगी ।

स्कॉट ने कहा कि श्री शिव विष्णु मंदिर के उन्नयन से हमारे हिन्दू समुदाय को करुणा, निस्वार्थता, सद्भाव, सहिष्णुता और सम्मान के मूल्यों को स्थापित करने तथा साझा करने में मदद मिलेगी ।

आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू धर्म सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म है। 2011 की जनगणना में हिंदू धर्म सर्वाधिक तेजी से फैलने वाला धर्म पाया गया था। 2016 की जनगणना में 2.7 फीसद हिंदू आबादी का अनुमान है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में आधुनिकता की दौड़, भागमभाग, तनाव में लिपटी जीवनचर्या को हिंदू धर्म में ही सुकून मिल रहा है।

दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों में आस्था बढ़ रही है। हिन्दू धर्म अपनाने वाले एक ऑस्ट्रेलियाई के अनुसार हिंदू धर्म में जीवन जीने का तरीका, शाकाहार, कर्म, आध्यात्मिकता ऐसे तत्व हैं जो और कहीं नहीं हैं।

ऑस्ट्रेलिया के #मेलबर्न जैसे बड़े शहर में #रथयात्रा और #जन्माष्टमी जैसे #त्यौहारों के मौकों पर मंदिरों में और अन्य आयोजनों में उमड़ती हजारों लोगों की भीड़ से #हिंदुत्व के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों की #आस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।

मेलबर्न में इस्कॉन मंदिर के अलावा भी कई मंदिर हैं जो आस्था का केंद्र बने हुए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पूरे #ऑस्ट्रेलिया में भगवान #गणेश, #श्रीकृष्ण, #माता दुर्गा, #हनुमान जी  के 51 #हिंदू मंदिर हैं। इनमें से 19 मंदिर विक्टोरिया में हैं। मेलबर्न के कैरम डाउन इलाके में शिव-विष्णु मंदिर ऑस्ट्रेलिया का सबसे पुराना और बड़ा मंदिर है। इसकी बुनियाद 1988 में रखी गई थी। ये मंदिर करीब 6 एकड़ में फैला है और यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। 

इन मंदिरों में हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी, नामकरण संस्कार और पूजा-अर्चना के अलावा होली-दीवाली जैसे मौकों पर खास आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बच्चे के जन्म, नए घर में प्रवेश या कार खरीदने पर भी यहां पूजा के लिए आते हैं। 

इसाई देश आयरलैंड में बढ़ रहे है हिन्दू

आयरलैंड देश मुख्य रूप से ईसाई धर्म का पालन करने वाला देश है। लेकिन आयरलैंड
में भी हिन्दू धर्म का तेजी से विकास हो रहा है। आयरलैंड की जनगणना के अनुसार पिछले 5 सालों में हिन्दुओं की आबादी में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जनगणना 2016 के अप्रैल महीने में की गयी थी। 

संयुक्त अरब में बनेगा भव्य हिन्दू मंदिर

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते रविवार (11 फरवरी) को वीडियो लिंकिंग के जरिए  हिन्दू मंदिर की आधारशिला रखी थी । अबू धाबी में भारतीय मूल के तीस लाख से ज्यादा लोग रहते हैं । मंदिर समिति के सदस्यों ने मंदिर से जुडा साहित्य प्रधानमंत्री मोदी को शनिवार (10 फरवरी) रात यहां पहुंचने पर दिया । दुबई-अबू धाबी राजमार्ग पर बनने वाला यह अबू धाबी का पहले पत्थर से निर्मित मंदिर होगा । अबू धाबी में प्रथम हिन्दू मंदिर 55,000 वर्ग मीटर भूमि पर बनेगा । 

एक तरफ विदेशी भी हिन्दू धर्म की महिमा जानकर हिन्दू धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे है, दूसरी ओर हिन्दू बाहुल देश भारत में ही ईसाई मिशनरियां और कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू धर्म को मिटाकर अपना धर्म बढ़ाना चाहते हैं इसलिए लालच देकर एवं जबरन धर्मान्तरण,  लव जिहाद आदि करके हिन्दू धर्म को तोड़ रहे हैं ।

हिन्दू धर्म में रहने वाले भी कुछ लोग हिन्दू धर्म की महिमा समझते नही हैं और बोलते हैं कि सर्व धर्म समान । सकरव धर्म सम्मान तो हो सकता है पर सर्व धर्म समान नहीं हो सकते ।  महान सनातन हिन्दू धर्म को किसी धर्म के साथ जोड़ना मूर्खता ही है।

हिन्दू संस्कृति की आदर्श #आचार #संहिता ने समस्त वसुधा को #आध्यात्मिक एवं #भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।

हिन्दू धर्म का यह पूरा वर्णन नही हैं इससे भी कई गुणा ज्यादा महिमा है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसके बारे में संसार की कोई कलम पूरा वर्णन नही कर सकती । आखिर में हिन्दू धर्म का श्लोक लिखकर विराम देते हैं ।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः

Monday, February 19, 2018

हिन्दुओं, सावधान! मीडिया आपके खिलाफ चलाने वाली है कैम्पियन, आप क्या कर सकते है पढ़े

February 19, 2018

सभी जानते हैं कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके त्यौहारों के खिलाफ है, हिन्दुओं के खिलाफ मतलब केवल एक हिन्दू के खिलाफ नही बल्कि उनकी जहां-जहां आस्था है उसी केंद्र बिंदु को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रही है ।

विदेशी फंडेड मीडिया हाउस का टारगेट मुख्यरूप से हिन्दू देवी-देवता, हिन्दू त्यौहार, हिन्दू साधु-संत, वैदिक गुरुकुलों, मन्दिर, आश्रम आदि आदि हैं ।
Hindus, be careful! The media is going to run against you,
the champion, what you can read

आपको बता दें कि अभी होली आने वाली है हर बार की तरह इस बार भी मीडिया में 24 घंटे डिबेट चलने की संभावना है कि होली दहन लकड़ियों से करने पर वातावरण प्रदूषित होगा, धुलेंडी खेलने पर पानी का बिगाड़ होगा आदि ।

 हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी त्यौहार बनाये उनके पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य छुपे मिले । 

होली दहन के पीछे का वैज्ञानिक कारण :  होली के दिनों में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है जिसके कारण अनेक बीमारियां होती है उससे बचने के लिए होली दहन की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है जिसके कारण अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है ।

प्राचीनकाल में होली का दहन गाय के गोबर के कण्डों से किया जाता था जिसमें से ऑक्सीजन निकलता था और धुलेंडी पलाश (केसूड़े) के फूलों के रंग से खेली जाती थी जिससे आने वाले दिनों में गर्मी के कारण होने वाले रोगों से बचाव हो जाता था ।

आजकल जिन लकड़ियों से होली दहन किया जाता है वैसे नही करना चाहिए उसके बदले गाय के गोबर के कण्डों से करना चाहिए ।

गोबर से कण्डों से होली जलाने के फायदे

एक गाय करीब रोज 10 किलो गोबर देती है। 10..
 किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं।

एक कंडे की कीमत 10 रुपए रख सकते हैं। इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है । यदि किसी एक शहर में होली पर 20 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 2 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 13 लाख रुपए तक आ जाएंगे। लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे। 

केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि गाय के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते है तो एक टन ऑक्सीजन बनता है ।

गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहेगा ।

पलाश रंग से धुलेंडी खेलने के फायदे

पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है। 

रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है । 

इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले #आदिवासियों को #रोजी-रोटी मिल जाती है ।
पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है । 

तो आओ मनाएं ऐसा त्यौहार जिससे महके घर आंगन और स्वस्थ रहे परिवार..