15 August 2018
हमारे देश का आज 72 वां स्वतंत्रता दिवस है, पर अयोध्या में करोड़ों के आराध्य भगवान श्रीरामचंद्र अभी भी टाट में हैं और देश नेता ठाठ में हैं | लाखों लोगो ने राम जन्मभूमि पर राममंदिर बनाने की सांस्कृतिक क्रांति में अपने प्राणों की आहुति दी है, पर अभी तक अयोध्या में करोड़ों के आराध्य भगवान श्रीराम मंदिर बनाने की कोई हलचल नजर नहीं आती ।
दूसरा आज़ाद भारत में हजारों कत्लखाने हैं, एक दिन में ही हजारों-लाखों गौमाता कट रही है । करोड़ों हिन्दू होते हुए भी अभीतक गौरक्षा के लिए कानुन नहीं बन सका ।
How to celebrate this pain with freedom? |
तीसरा आज भी अंग्रेजों के बनाये ही कानून चल रहे हैं । स्वतंत्र भारतीय न्यायव्यवस्था अभी तक बन नहीं पाई ।
चौथा अपने ही देश में लाखों कश्मीरी पंडित शरणार्थी की तरह रह रहे हैं, अभी तक 370 खत्म करके उनको वापस कश्मीर में बसा नहीं सके ।
पांचवा आज भी सरकारीतंत्र, न्यायालय, मीडिया, आदि में भयंकर भ्रष्टाचार व्याप्त है ।
छट्ठा कृषि प्रधान देश में आज भी किसान की बुरी हालत है, जिससे तंग आकर आत्महत्या कर रहा है ।
सातवां राष्ट्र, संस्कृति, समाज और गौमाता की सेवा करनेवाले, धर्मांतरण को रोकने वाले, विदेशी कम्पनियों से लोहा लेने वाले, विदेशों में भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले लोकप्रिय संतों को निर्दोष होते हुए भी जेल में भेजा जाता है, भयंकर यातनाएं दी जाती है ।
साध्वी प्रज्ञासिंह और स्वामी असीमानंदजी - हिंदु आतंकवाद के नाम पर इन्हें कई वर्षो तक जेल में रखा, प्रताड़ित किया, आखिर में निर्दोष साबित हुए |
शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वतीजी - 2004 में खून केस के आरोप में दिवाली के दिन जयललिता सरकार ने इनको जेल में डाल दिया, काफी साल बाद निर्दोष साबित हुए |
जगद्गुरु कृपालु महाराज, स्वामी नित्यानंद, स्वामी केशवानंद - यौन शोषण के आरोपों में इन संतों को पहले तो दोषी माना गया और काफी समय बाद न्यायालय ने उनको बाइज्जत बरी किया |
अब बारी आई है धर्मान्तरण रोकने वाले, करोड़ों लोगों को सन्मार्ग दिखाने वाले व देश-विदेश में भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले निर्दोष संत आशाराम बापू और उनके परिवार की, सच्चाई जानने के लिए ये
वीडियो जरुर देखिए:https://youtu.be/ ph80RJD3kZQ
सवाल ये है कि षड्यंत्र सिर्फ हिंदु संतो के साथ ही हो रहे हैं और देश में भ्रष्ट जज दोहरा मापदंड रखते है, या किसी के दबाव में काम करते हों ऐसा लगता है।
आप भी जरा सोचिए...
अभिनेता सलमान को दोनों केस में राहत और संजय दत्त और लालू यादव को बार-बार पेरोल कौन दिलवाता है ?
ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी अरबों-खरबों लूटकर फ़रार कैसे हुए ?
इन अपराधी नेता, अभिनेता और उद्योगपतिओं को अदालत से तुरंत राहत मिल जाती है, या फरार हो जाते हैं, पर निर्दोष संतों को जमानत तक नहीं मिलती |
गौरतलब है कि जब पवित्र साधु-संतों पर आरोप लगते हैं तो घंटों तक Media trial होता है, पर जब ये संत निर्दोष साबित होते है तो एक मिनिट का भी कवरेज नहीं देते | उधर #Media420 दोषी नेता और अभिनेताओं को मसीहा बताते थकती नहीं, क्यों?
मीडिया में अन्य धर्म के धर्मगुरुओं के लिए कभी कुछ सुनने को नहीं मिलता, क्या वो सब दूध के धुले हैं क्या ? कहीं ये सनातन हिंदु धर्म को मिटाने की साजिश तो नहीं ?
ये सूची पढ़ने के बाद आप भी मानने लगोगे कि देश में न्याय एक समान नहीं हो रहा है, अपितु बड़े केसों में जज पर दबाव बनाकर मनचाहा फैसला दिया जाता है |
देश का ये हाल देख के आप ही बताइए कि ये कैसी आज़ादी है ? जहाँ बहुमति की आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम का मंदिर नहीं बन सकता और संतों को न्याय नहीं मिल सकता और गौहत्या पर रोक नहीं लग सकती है ।
सेकुलरिज्म की चद्दर ओढ़ के सोने वाले मित्रों, अब तो जागो ! भाईचारा ऐसा नहीं होता जिसमें छोटा भाई बड़े भाई को ख़त्म कर दे ... इसलिए अपनी आँखें खोलो वर्ना आपको बचाने वाला भी कोई नहीं होगा ।
15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की बाह्य गुलामी तो दूर हुई, लेकिन अंग्रेजी भाषा की, उनके विचारों की गुलामी तो हमारे दिल-दिमाग में घुसी हुई है । अतः अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये, लाभ लेना चाहिए । अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है । संयमी, सदाचारी और साहसी भारतीय संस्कृति के सपूतों को अपनी मिली हुई आजादी को सावधानी से सँभाले रखना चाहिये ।
याद रखिए, एसा ज्ञान हमें शंकरचार्य जी , आसाराम बापू जैसे संत-महात्मा ही देते हैं, जिनके साथ अभी अन्याय हो रहा है इसलिए... जागो भारतवासी जागो, षड्यंत्रों को पहचानो ।
भारतवासियों पृथ्वी जल रही है । मानव-समाज में जीवन के आदर्शों का अवमूल्यन हो रहा है । अधर्म बढ़ रहा है, दीन-दु:खियों को सताया जा रहा है, सत्य को दबाया जा रहा है । यह सब कुछ हो रहा है फिर भी तुम सो रहे हो ? उठकर खड़े हो जाओ । समाज की भलाई के लिए अपने हाथों में वेदरूपी अमृत कलश उठाकर लोगों की पीड़ाओं को शांत करो, अपने देश और संस्कृति की रक्षा के लिए अन्याय, अत्याचार एवं शोषण को सहो मत । उनसे बुद्धिपूर्वक लोहा लो । सज्जन लोग संगठित हों । लगातार आगे बढ़ते रहो... आगे बढ़ते रहो । विजय हमारी ही होगी ।
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