Wednesday, August 15, 2018

इस पीड़ा के साथ कैसे जश्न मनायें आज़ादी का ?

15 August 2018

🚩हमारे देश का आज 72 वां स्वतंत्रता दिवस है, पर अयोध्या में करोड़ों के आराध्य भगवान श्रीरामचंद्र अभी भी टाट में हैं और देश नेता ठाठ में हैं | लाखों लोगो ने राम जन्मभूमि पर राममंदिर बनाने की सांस्कृतिक क्रांति में अपने प्राणों की आहुति दी है, पर अभी तक अयोध्या में करोड़ों के आराध्य भगवान श्रीराम मंदिर बनाने की कोई हलचल नजर नहीं आती ।

🚩दूसरा आज़ाद भारत में हजारों कत्लखाने हैं, एक दिन में ही हजारों-लाखों गौमाता कट रही है । करोड़ों हिन्दू होते हुए भी अभीतक गौरक्षा के लिए कानुन नहीं बन सका ।
How to celebrate this pain with freedom?

🚩तीसरा आज भी अंग्रेजों के बनाये ही कानून चल रहे हैं । स्वतंत्र भारतीय न्यायव्यवस्था अभी तक बन नहीं पाई ।

🚩चौथा अपने ही देश में लाखों कश्मीरी पंडित शरणार्थी की तरह रह रहे हैं, अभी तक 370 खत्म करके उनको वापस कश्मीर में बसा नहीं सके ।

🚩पांचवा आज भी सरकारीतंत्र, न्यायालय, मीडिया, आदि में भयंकर भ्रष्टाचार व्याप्त है ।

🚩छट्ठा कृषि प्रधान देश में आज भी किसान की बुरी हालत है, जिससे तंग आकर आत्महत्या कर रहा है । 

🚩सातवां राष्ट्र, संस्कृति, समाज और गौमाता की सेवा करनेवाले, धर्मांतरण को रोकने वाले, विदेशी कम्पनियों से लोहा लेने वाले, विदेशों में भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले लोकप्रिय संतों को निर्दोष होते हुए भी जेल में भेजा जाता है, भयंकर यातनाएं दी जाती है ।

🚩साध्वी प्रज्ञासिंह और स्वामी असीमानंदजी  - हिंदु आतंकवाद के नाम पर इन्हें कई वर्षो तक जेल में रखा, प्रताड़ित किया, आखिर में निर्दोष साबित हुए | 

🚩शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वतीजी  - 2004 में खून केस के आरोप में दिवाली के दिन जयललिता सरकार ने इनको जेल में डाल दिया, काफी साल बाद निर्दोष साबित हुए | 

🚩जगद्गुरु कृपालु महाराज, स्वामी नित्यानंद, स्वामी केशवानंद - यौन शोषण के आरोपों में इन संतों को पहले तो दोषी माना गया और काफी समय बाद न्यायालय ने उनको बाइज्जत बरी किया | 

🚩अब बारी आई है धर्मान्तरण रोकने वाले, करोड़ों लोगों को सन्मार्ग दिखाने वाले व देश-विदेश में भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले निर्दोष संत आशाराम बापू और उनके परिवार की,  सच्चाई जानने के लिए ये 

🚩वीडियो जरुर देखिए:https://youtu.be/ph80RJD3kZQ

🚩सवाल ये है कि षड्यंत्र सिर्फ हिंदु संतो के साथ ही हो रहे हैं और  देश में भ्रष्ट जज दोहरा मापदंड रखते है, या किसी के दबाव में काम करते हों ऐसा लगता है।

🚩आप भी जरा सोचिए...
🚩अभिनेता सलमान को दोनों केस में राहत और संजय दत्त और लालू यादव को बार-बार पेरोल कौन दिलवाता है ?

🚩ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी अरबों-खरबों लूटकर फ़रार कैसे हुए ?

🚩इन अपराधी नेता, अभिनेता और उद्योगपतिओं को अदालत से तुरंत राहत मिल जाती है, या फरार हो जाते हैं,  पर निर्दोष संतों को जमानत तक नहीं मिलती | 

🚩गौरतलब है कि जब पवित्र साधु-संतों पर आरोप लगते हैं तो घंटों तक Media trial होता है, पर जब ये संत निर्दोष साबित होते है तो एक मिनिट का भी कवरेज नहीं देते | उधर #Media420 दोषी नेता और अभिनेताओं को मसीहा बताते थकती नहीं, क्यों?

🚩मीडिया में अन्य धर्म के धर्मगुरुओं के लिए कभी कुछ सुनने को नहीं मिलता, क्या वो सब दूध के धुले हैं क्या ? कहीं ये सनातन हिंदु धर्म को मिटाने की साजिश तो नहीं ?

🚩ये सूची पढ़ने के बाद आप भी मानने लगोगे कि देश में न्याय एक समान नहीं हो रहा है, अपितु बड़े केसों में जज पर दबाव बनाकर मनचाहा फैसला दिया जाता है | 

🚩देश का ये हाल देख के आप ही बताइए कि ये कैसी आज़ादी है ? जहाँ बहुमति की आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम का मंदिर नहीं बन सकता और संतों को न्याय नहीं मिल सकता और गौहत्या पर रोक नहीं लग सकती है ।

🚩सेकुलरिज्म की चद्दर ओढ़ के सोने वाले मित्रों, अब तो जागो ! भाईचारा ऐसा नहीं होता जिसमें छोटा भाई बड़े भाई को ख़त्म कर दे ... इसलिए अपनी आँखें खोलो वर्ना आपको बचाने वाला भी कोई नहीं होगा ।

🚩15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की बाह्य गुलामी तो दूर हुई, लेकिन अंग्रेजी भाषा की, उनके विचारों की गुलामी तो हमारे दिल-दिमाग में घुसी हुई है । अतः अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये, लाभ लेना चाहिए । अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है । संयमी, सदाचारी और साहसी भारतीय संस्कृति के सपूतों को अपनी मिली हुई आजादी को सावधानी से सँभाले रखना चाहिये । 

🚩याद रखिए, एसा ज्ञान हमें शंकरचार्य जी , आसाराम बापू जैसे संत-महात्मा ही देते हैं, जिनके साथ अभी अन्याय हो रहा है इसलिए... जागो भारतवासी जागो, षड्यंत्रों को पहचानो ।

🚩भारतवासियों पृथ्वी जल रही है । मानव-समाज में जीवन के आदर्शों का अवमूल्यन हो रहा है । अधर्म बढ़ रहा है, दीन-दु:खियों को सताया जा रहा है, सत्य को दबाया जा रहा है । यह सब कुछ हो रहा है फिर भी तुम सो रहे हो ? उठकर खड़े हो जाओ । समाज की भलाई के लिए अपने हाथों में वेदरूपी अमृत कलश उठाकर लोगों की पीड़ाओं को शांत करो, अपने देश और संस्कृति की रक्षा के लिए अन्याय, अत्याचार एवं शोषण को सहो मत । उनसे बुद्धिपूर्वक लोहा लो । सज्जन लोग संगठित हों । लगातार आगे बढ़ते रहो... आगे बढ़ते रहो । विजय हमारी ही होगी ।

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Tuesday, August 14, 2018

क्या स्वतंत्रता सेनानियों ने इसी आजाद भारत का सपना देखा था ?

14 August 2018
http://azaadbharat.org
🚩 15 अगस्त 1947 को भारत गुलामी की बेडि़यों से आजाद हो गया । सबका त्याग, तपस्या, लगन और आजादी से साँस लेने की ललक ने, वह तूफान खड़ा किया, जिनके समक्ष #अंग्रेजी_शासन का #झंडा हिल गया और #देश आजाद हो गया ।
🚩लोगों ने सोचा अब शोषक #सरकार (#विदेशी_सरकार) चली गयी तो अब हमलोग सुखी होंगे, बेकारी मिटेगी, गरीबी हटेगी, भेदभाव की खाईं पटेगी, समानता आयेगी, सामाजिक समानता मिलेगी । लेकिन 70 साल बाद भी जो सपने आजादीके दिवानों ने देखे थे वह साकार हुए क्या ?
Did freedom fighters dream of this independent India?
🚩#आजादी के समय जहाँ एक
रुपए के बराबएक #डॉलर होता था, आज एक डॉलर की कीमत लगभग 70 रुपए है।
🚩15 अगस्त 1947 को भारत न सिर्फ #विदेशी कर्जों से मुक्त था,बल्कि उल्टे #ब्रिटेन पर भारत का 16.62 करोड़रुपए का कर्ज था। आज देश पर 480.2 अरब डॉलर (करीब 317 खरब रुपये)  से भी ज्यादा  विदेशी कर्ज है। भारत में किसी नवजात के पैदा होते ही उस पर अप्रत्यक्ष रूप से करीब तीन हजार रुपये का विदेशी कर्ज चढ़ जाता है। भारत का #स्विस_बैंकों में जमा विदेशी धन करीब 8,392 करोड़ रुपये है ।
🚩1947 से 2016 तक कई #घोटाले हो चुके हैं जिससे देश को लगभग 91,06,03,23,43,00,000 यानि इक्यानबे सौ #खरब का नुकसान हुआ है । देश में घोटाले की बीज आजादी के बाद ही बो दी गई थी । इसकी शुरुआत जीप घोटाले से हुई थी । 1947 से अबतक हुए घोटाले की एक लंम्बी सूची है - जीप खरीद घोटाला (1948), साइकिल आयात घोटाला (1951), बीएचयू फंड घोटाला (1956), हरिदास मुंध्रा स्कैंडल (1958), तेजा लोन स्कैम (1960), प्रताप सिंह कैरों स्कैम (1963), पटनायक 'कलिंग ट्यूब्स' मामला (1965), मारुति घोटाला (1974), कुआँ ऑयल डील (1976), अंतुले ट्रस्ट प्रकरण (1981), एचडीडब्ल्यू दलाली मामला (1987), बोफोर्स घोटाला (1987),सेंट किट्स मामला (1989), हर्षद मेहता स्कैम (1992), इंडियन बैंक (1992), चारा घोटाला (1996), लक्खू भाई पाठक स्कैल, टेलीकॉम स्कैम, यूरिया घोटाला, हवाला #घोटाला,झारखंड मुक्ति मोर्चा मामला (1993), चीनी घोटाला (1994), जूता घोटाला (1995),तहलका कांड, मैच फिक्सिंग (2000), बराक मिसाइल रक्षा सौदे, यूटीआई घोटाला, तेल के बदले अनाज, ताज कॉरिडोर, मनी लांडरिंग,आदर्श घोटाला, ताबूत घोटाला (1999), केतन पारेख स्टॉक मार्केट घोटाला, आईपीएल घोटाला, सत्यम घोटाला, स्टांप घोटाले, हसन अली टैस्क चोरी मामला, कोयला घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, नेशनल हैराल्ड, अगस्ता आदि कितने घोटाले हुए है। यदि जनता नहीं जागी तो और पता नहीं कितने होंगे । प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान खुद इस बात को स्वीकार किया था कि केन्द्र से भेजे गए एक रुपये में से 15 पैसा ही अंतिम व्यक्ति यानि भारत तक पहुंचता है। स्पष्ट है कि सारा धन भ्रष्टाचार के नाले में जाता हैं।
🚩 यह है #स्वतंत्र_भारत की आर्थिक स्थिति । #अरबों-खरबों के घोटाले के अलावा देश क्षेत्रीयता, जातिवाद और कट्टरपंथी धार्मिक #राजनीतिक के हथकंडे, सांप्रदायिक दंगे, दलित उत्पीड़न, #आतंकवाद के हिंसा से जूझ रहा है । गरीब और गरीब हो रहा है और अमीर और भी अमीर। आज 99 प्रतिशत के पास मात्र 30 प्रतिशत संपत्ति है और यह संपत्ति भी साल-दर-साल अमीरों के पास एकत्रित होती जा रही है ।
🚩श्रम और #रोजगार #मंत्रालय की रिपोर्ट (2011) उठाकर देखें तो लगभग 12 करोड़ बच्चों का बचपन होटलों, उद्योगों और सड़कों पर बीत रहा  है । 33 फीसदी वयस्क और तीन वर्ष से कम उम्र के 46 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं ।
🚩देश में हर 35 मिनट पर एक #किसान #खुदकुशी कर रहा है । एक रिपोर्ट के अनुसार 10.8 करोड़ नवयुवक आज भी बेरोजगार है । विदेशी #कम्पनियाँ #व्यापार के नाम पर 20 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष विदेश धन ले जा रहा है । आजादी का झंडा बुलंद करनेवाले #राजनेताओं की बातों पर भरोसा करें तो विदेशी पूँजी निवेश के बिना न तो देश का विकास संभव है और न ही देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। सच्चाई यह है कि यह एक प्रायोजित झूठ है। हकीकत यह है कि देश की पूँजी, अगर #भ्रष्टाचार में बर्बाद नहीं हो तो देश का एक भी व्यक्ति बेरोजगार नहीं रहेगा और यदि बेईमान लोगों के पास पूँजी जमा न होकर जब देश के ढाँचागत विकास एवं व्यवसाय में लगे तो देश में इतनी समृद्धि आ जाएगी कि हम दूसरे देशों को पैसा ब्याज पर देने की स्थिति में होंगे। लेकिन हम सुधरना नहीं चाहते है ।
🚩लगता है हमें गुलामी ही भा रहा है । क्या आजाद भारत वास्तव में आजाद हो गया है ? अंग्रेजों के चले जाने से हमें सिर्फ #संवैधानिक आजादी मिली है । लेकिन क्या हम #सांस्कृतिक, #सामाजिक और #राजनीतिक दृष्टि से आजाद हुए हैं? संविधान कहता है कि ‘हां’ आजाद हैं, लेकिन वास्तविकता क्या कहती है? वास्तविकता यह है कि हम गुलाम हैं। आज भी संसद में काम ब्रिटेन की भाषा में होता है । संसद के कई महत्वपूर्ण भाषण और कानून ऐसी भाषा में होते हैं, जिसे आम जनता द्वारा नहीं समझा जा सकता।
🚩#गांधीजी ने कहा था कि संसद में जो अंग्रेजी बोलेगा, उसे मैं गिरफ्तार करवा दूँगा। लेकिन आज अंग्रेजी बोलनेवाले को सम्मानित किया जाता है मातृभाषा में बोलनेवाले को लोग निम्न दृष्टि से देखते है ?
🚩सारे #कानून #अंग्रेजी भाषा में बनते हैं। अदालत में वकील क्या बहस कर रहा है और #न्यायाधीश क्या फैसला दे रहा है, यह बेचारे मुवक्किल को सीधे पता भी नहीं चलता । क्या यह न्याय का मजाक नहीं ? वकील और न्यायाधीश काला कोट और चोगा पहनकर अंग्रेजों के पुराने घिसे-पिटे कानूनों के आधार पर ही फैसला कर रहे हैं । आजादी के 70 साल, न्याय व्यवस्था भी बेहाल है अदालत में 2.18 करोड़ केस लंबित है । उन करोड़ों लोगों के लिए इस आजादी के कोई मायने नहीं जो सालों से न्याय मांगने केलिए अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं । एक कहावत हैः देर से मिला न्याय भी अपने आप में अन्याय है ।
🚩पढ़े-लिखे गुलाम मानसिकतावाले लोग दीक्षांत समारोह के अवसर पर चोगा और टोपा पहनते हैं, माँ-बाप बच्चों को गले में टाई का फंदा लटका देते हैं, जन्मदिन पर केक काटते हैं, हस्ताक्षर अपनी भाषा में नहीं करते । बच्चे भी अपनी मां को ‘मम्मी’ और पिता को ‘डैडी’ कहते हैं,‘वेलेंटाइन डे’ मनाते हैं।
🚩अंग्रेजों को भारत छोड़े तकरीबन 69 साल हो गए लेकिन आज भी अमरावती से मुर्तजापुर का  रेलवे ट्रैक ब्रिटेन के कब्जे में है। इंडियन रेलवे हर साल एक करोड़ 20 लाख की रॉयल्टी ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी को देता है ।
🚩यह #देश का दुर्भाग्य है कि
अभी तक हमलोग गुलामी की जंजीरों को विरासत के रूप में संजोकर रखे हुए है । पता नहीं देश में इसके खिलाफ जागरुकता कब आयेगी ? अंग्रेजों के उत्तराधिकारी से देश को मुक्ति कब मिलेगी ? मानसिक गुलामी और नकल से हमलोग कब आजाद होंगे? इसकी पहल तो जागरुक जनता को ही करनी होगी । यदि जनता दृढ़ संकल्प करें तो कार्यपालिका, विधायिका और #न्यायपालिका सभी गुलामी के जंजीर से मुक्त हो सकते हैं । तो आइये हम सब मिलकर भगवान व संत-महापुरुषों के आशीर्वाद को शिरोधार्य कर देश को मानसिक गुलामी से मुक्त करने का संकल्प करें ।
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Monday, August 13, 2018

रिपोर्ट : छात्रवृत्ति के नाम पर हजारों-करोड़ों का घोटाला

12 August 2018

🚩स्वतंत्र भारत में अबतक लाखों-करोड़ों के घोटाले हो चुके हैं, आज आम व्यक्ति किसी काम के लिए कोई सरकारी ऑफिस में चला जाए तो अधिकतर जगहों पर कुछ न कुछ तो रिश्वत देनी ही पड़ती है, तभी काम होता है | नेताओं से लेकर चपरासी तक सभी जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है | इसकी वजह से आज भी हजरों करोड़ो का घोटाले होते रहते है । सरकार आम जनता, किसानों या छात्रों के लिए जो बजट सहायता के लिए भेजती है, उसे ऊपर से लेकर नीचे तक सभी मिलकर हड़प लेते हैं, जिसके नाम से भेजा गया है उसको तो मिलता ही नहीं है  ।
🚩अभी हाल ही में देश में अनुसूचित जाति के छात्रों की पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है । उतर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक में कैग की ऑडिट के दौरान इस खेल का खुलासा हुआ । पिछले पांच सालों में आंख मूंदकर इन राज्यों में, 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति बंटी | न नियमों का ख्याल किया गया, न उपभोग प्रमाणपत्र लिए गए, न ही किसी तरह की जांच हुई | चौंकानेवाली बात तो यह रही कि एक ही रोल नंबर, एक ही जाति प्रमाणपत्र पर हजारों छात्रों को धनराशि जारी कर दी गई | इससे सिस्टम में शिक्षा माफिया से लेकर अफसरों की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े होते हैं | 187581 छात्रों के खाते में तो निर्धारित से 4967.19 लाख रुपए ज्यादा भेज दिए गए |

🚩केवल नमूना जांच में इतनी गड़बड़ियां सामने आई हैं, बताया जा रहा है कि अगर ओ.बी.सी. से लेकर जनरल आदि वर्गों की सभी छात्रवृत्ति वितरण की जांच हो तो यह देश के बड़े घोटालों में से एक होगा | वर्ष 2018 की रिपोर्ट नंबर 12 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने देश में दलित छात्रों की छात्रवृत्ति लूट की पोल खोलकर रख दी है | कैग ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराकर दोषी अफसरों पर कार्यवाही की संस्तुति की है। साथ ही छात्रवृत्ति वितरण की मौजूदा व्यवस्था बदलकर फुलप्रूफ व्यवस्था लागू करने की सिफारिश भी की है। दरअसल पोस्टमैट्रिक स्कॉलरशिप को दशमोत्तर छात्रवृति कहते हैं, जो दसवीं से ऊपर की कक्षाओं के छात्रों को मिलती है ।

🚩खेल ऐसा कि चौंक जाएंगे आप : कैग ने 2012 से लेकर 2017 तक की ऑडिट के दौरान केवल उत्तर-प्रदेश में कुल 1.76 लाख ऐसे मामले पकड़े गए, जिसमें एक ही क्रमांक के जाति प्रमाणपत्र पर 233.55 करोड़ रुपए बांटने का खुलासा हुआ । इसी तरह 34652 केस ऐसे मिले, जिसमें अभ्यार्थियों के आवेदन में एक ही क्रमांक यानी सेम हाईस्कूल की सर्टिफिकेट लगी रही । ऐसे आवेदनों पर 59.79 करोड़ रु जारी हुए | इसी तरह 13303 ऐसे मामले रहे, जिसमें एक ही बोर्ड रोल नंबर और एक ही जाति प्रमाण पत्र से 27.48 करोड़ का खेल हुआ |

🚩हैरानी की बात यह रही कि ऑनलाइन साफ्टवेयर ने जब यह खेल पकड़ा तो भी संदिग्ध डेटा को विभागीय जिम्मेदारों ने करेक्ट कर दिया | यानी इन गड़बड़ियों को दुरुस्त कर खाते में धनराशि भेज दी । दरअसल ऐसी दो या तीन बार आवेदन कर कोई पैसा न हासिल कर ले या फिर एक ही प्रमाणपत्र पर कई छात्रों को छात्रवृत्ति न मिले, इसके लिए सक्षम पोर्टल पर अभ्यार्थियों का डेटा अपलोड होता है । यह पोर्टल एक ही सीरियल नंबर के दो या दो से अधिक सर्टिफिकेट मिलने पर संबंधित आवेदन को इनकरेक्ट श्रेणी में डाल देता है । मगर जिम्मेदारों ने इस इनकरेक्ट डेटा को करेक्ट कर फ्रॉड किया | इससे इस छात्रवृत्ति वितरण घोटाले में कॉलेज से लेकर ऊपरी स्तर तक मिलीभगत के संकेत मिलते हैं |

🚩कैग ने जांच में पाया कि 2016-17 के 1566 छात्रों के डेटा को करेक्ट कर दिया गया । जबकि सक्षम पोर्टल ने एक ही प्रमाणपत्र, रोल नंबर के चलते इन छात्रों को फेल कर दिया था । उत्तर प्रदेश में 57 मामले पकड़े गए, जहां ज्यादा इनकमवाले सर्टिफिकेट पर भी धनराशि जारी कर दी गई | जबकि दो लाख से ज्यादा सालाना वार्षिक आय होने पर लाभ नहीं मिलना था । पांच राज्यों में 187581 छात्रों को 4967.19 लाख रुपए का अधिक भुगतान हुआ | बी.ए., बी.एस.सी., बी.कॉम. जैसे कोर्स के लिए अधिकतम फीस 5000 रुपए निर्धारित थी, मगर इससे ज्यादा पैसा लुटाया गया |

🚩कैग ने की इतने जिलों की नमूना जांच : देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के 75 में से केवल दस जिलों के सौ कॉलेजों की जांच कर ही बड़ी गड़बड़ी पकड़ी | इसी तरह कर्नाटक के 30 में से आठ, महाराष्ट्र के 36 में से नौ, पंजाब के 22 में से छह, तमिलनाडु के 32 में से आठ जिलों के कुल 12900 में से 410 संस्थानों को जांच में शामिल किया । इन संस्थानों में रजिस्टर्ड 337700 में से 8200 अभ्यार्थियों के आवेदनों की जांच की गई, तब जाकर भारी पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ | उतर प्रदेश के कॉलेजों में नमूना जांच सत्र 2016-17 में हुई । उतर प्रदेश में छात्रृवत्ति घोटाले की कई बार शिकायतें कर चुके पूर्वांचल विश्वविद्यालय से जुडे शिक्षक नेता अनुराग मिश्रा कहते हैं – यह तो नमूना है, अगर उतर प्रदेश में शुरुआत से लेकर अब तक सभी वर्गों की छात्रवृत्ति वितरण की जांच हो तो केवल एन.आर.एच.एम. घोटाले से कई गुना बडा घोटाला निकलेगा | अनुराग कई बार उतर प्रदेश सरकार को जांच के लिए पत्र लिखते रहे, मगर जांचपत्र कूड़ेदान में फेंक दी जाती रही |

🚩कैग ने कैसी-कैसी गडबडियां पकड़ीं : कैग ने जांच के दौरान पाया कि छात्रवृत्ति को लेकर उत्तरदायी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने कोई एक्शन प्लान ही नहीं बनाया | न ही मंत्रालय ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी किया, जिससे 2012-17 तक की अवधि में छात्रवृत्ति के लिए, छात्रों की पात्रता का समुचित मूल्यांकन हो सके । योग्य छात्रों का डेटाबेस ही नहीं उपलब्ध मिला । जांच में पता चला कि छात्रवृत्ति वितरण में 1986 में गठित कमेटी की संस्तुतियों के अनुसार टाइमलाइन का भी पालन नहीं हुआ | अखबारों में हर साल छात्रवृत्ति के बारे में सूचना भी नहीं प्रचारित हुई |

🚩कैग ने कहा है कि, अनुसूचित छात्रों को छात्रवृत्ति देने का मकसद था कि वे बिना किसी आर्थिक बाधा के उच्च शिक्षा हासिल कर सकें | मगर पांचों राज्य आंकडा ही नहीं उपलब्ध करा सके कि कितने छात्रों ने छात्रवृत्ति के जरिए अपना कोर्स कंप्लीट किया । मॉनीटरिंग फ्रेमवर्क का अभाव रहा । कैग की ऑडिट में पता चला कि केंद्र और राज्यांश मिलाकर उतर प्रदेश में कुल 1580 करोड़ की धनराशि उपलब्ध रही, मगर इसमें से 7332.72 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति ही बंटी | इतना ही नहीं उतर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में 375.30 करोड़ रुपए बैंक खाते या नाम के मिसमैच करने से बंट नहीं सका |

🚩उपभोग प्रमाणपत्र ही नहीं दिए – नियम के अनुसार किसी योजना के तहत मिली धनराशि का कितना इस्तेमाल हुआ इसका उपभोग प्रमाणपत्र संबंधित संस्थाओं को धनराशि जारी करनेवाले विभाग या मंत्रालय को देना पड़ता है । मगर नमूना जांच में शामिल राज्यों में पैसे का उपभोग प्रमाणपत्र भी नहीं दिया गया । इससे बड़े पैमाने पर धनराशि के दुरुपयोग का अंदेशा होता है | महाराष्ट्र में जांच के दौरान पता चला कि नौ में से छह जिलों के समाज कल्याण आयुक्त ने संस्थाओं से न उपभोग प्रमाणपत्र मांगा और न ही दिया । तमिलनाडु में 2012-13 और 2013-14 के दौरान क्रमशः 377.49 और 899.49 करोड़ की धनराशि का समय से उपभोग प्रमाणपत्र नहीं जमा मिला । 
स्त्रोत : जनसत्ता

🚩भ्रष्टाचार को लेकर लोगों में फैले आक्रोश के कारण बीते चार सालों में #केंद्र और #दिल्लींसरकार बदल गई, लेकिन #सरकारीक्षेत्रों में अभी भी #भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो पाया है । सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार की जड़ कितनी गहरी फैली हुई है इसका पता केंद्रीय सतर्कता आयोग (#सीवीसी) द्वारा प्राप्त रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाता है । #देशभर में भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों में भारी वृद्धि हुई है । केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की वार्षिक रिपोर्ट में साल 2014 में भ्रष्टाचार से जुड़ी 64,490 शिकायतें आने की बात कही गई है। #संसद में हाल ही में पेश रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 की तुलना में 2014 में भ्रष्टाचार की शिकायतों में 82.29 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई । वर्ष 2013 में ऐसी 35,332 शिकायतें मिली थीं ।

🚩भ्रष्टाचार से तंग जनता ने भले ही #सरकार बदल दी हो, लेकिन हालात नहीं बदले हैं । #दुनियाभर में #विशेषज्ञों की राय के आधार पर #ट्रांसपेरेंसीइंटरनेशनल की करप्श न #परसेप्शरन्सभइंडेक्सर (#सीपीआई) में देशों के सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार का अनुमान लगाया जाता है । #सीपीआई द्वारा 2015 में जारी रिपोर्ट के अनुसार 168 देशों की सूची में #भारत का स्थान 76वाँ है ।

🚩निजी या #सार्वजनिक #जीवन के किसी भी स्थापित और स्वीकार्य मानक का चोरी-छिपे उल्लंघन भ्रष्टाचार है । भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है । इसके अलावा #न्यायपालिका, #मीडिया, #सेना, #पुलिस आदि में भी #भ्रष्टाचार व्याप्त है ।

🚩सभी को मिलकर इस  भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होना होगा नहीं तो ये लोग तो देश को भी अपने स्वार्थ के लिए बेच सकते है ।

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