Wednesday, October 3, 2018

सुप्रीम कोर्ट ने जिन महिलाओं को समान हक देने को कहा, वही उतरी विरोध में..

03 October 2018

🚩भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है, उसमे जो भी नियम बनाये हैं वे सभी मनुष्य के उत्थान के लिए बनाया गया है, भारतीय संस्कृति के नियम पालन करके हर व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी, सम्मानित जीवन जी सकता है, लेकिन जब उन नियमो का उल्लंघन करता है तो रोगी, दुःखी, अपमानित होता रहता है ।

🚩अभी हाल ही में केरल के पथानमथिट्टा जिले में स्थित सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य में हजारों महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं । जिन महिलाओं का हक बताकर सुप्रीम ने निर्णय दिया, लेकिन हिन्दू धर्म की महिला समझदार हैं वे जानती हैं कि हिन्दू धर्म के नियम पालने से कितने फायदे होते हैं, जिससे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है ।
The women who were asked by the Supreme Court
 to give equal rights, in the same opposition.

🚩रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलावार को 4000 से अधिक महिलाओं को विरोध के दौरान हिरासत में लिया गया है । बता दें कि यह महिलाएं मांग कर रही हैं कि केरल सरकार सर्वोच्च न्यायालय के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करें ।

🚩बता दें कि 7 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी । सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले से सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग के बीच की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने की पुरानी प्रथा को तोड़ दिया था ।

🚩इस विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने नारे लगाते हुए राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की समीक्षा करनी चाहिए । महिलाओं का कहना है कि यह फैसला 800 वर्ष पुरानी परंपरा पर विश्वास रखनेवालों के खिलाफ था इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए । हम लोकतांत्रिक व्यवस्था से हमारी बात सुनने के लिए कह रहे हैं । वहीं इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन ने सोमवार को एक बैठक आयोजित की थी जिसमें मंदिर की ओर जानेवाले मार्ग के साथ सुविधाओं को बढ़ाने के लिए आवश्यकता पर चर्चा की गई ।

🚩इस बीच, सीपीआई-एम, भाजपा राज्य इकाई के साथ-साथ पांडलम रॉयल फैमिली समेत कई राजनीतिक दलों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ निराशा व्यक्त की है । भाजपा राज्य इकाई ने कहा है कि सरकार मंदिर की परंपरा में विश्वास रखनेवाले समर्थकों की भावनाओं पर विचार नहीं कर रही थी । गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले में अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से चार ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था, वहीं पीठ में शामिल एकमात्र महिला न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा ने अपनी अलग राय रखी थी । स्त्रोत : अमर उजाला

🚩भारतीय संस्कृति की महिमा हिन्दू महिला समझ रही है , भले सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को हक़ देने की बात कहकर सेमेथ्तिक बटोर रही ही हो लेकिन महिलाएं इस कानून के खिलाफ हैं और अब सड़कों पर भी उतर गई हैं ।

🚩सबरीमाला मन्दिर के भगवान अयप्पा ने शादी नहीं की थी, उनके मंदिर में जाने से पहले 41 दिन का ब्रह्मचर्य पालन करना होता है । महिलाओं के लिए ये कभी संभव न भी हो पाए और महिलाएं मासिक धर्म के कारण भी प्रवेश नहीं कर सकतीं हैं, बाकी करीब हर मन्दिर में महिलाओं को प्रवेश होता ही है ।

🚩सुप्रीम कोर्ट के कानून केवल हिन्दू धर्म के लिए ही बनते है ऐसा जनता को लग रहा है क्योंकि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश नहीं दिया जाता है उसके लिए कोई कुछ नहीं बोलता है । दूसरा ईसाई धर्म मे महिला नन बन सकती है पर धर्मगुरु पादरी, फादर आदि नहीं बन सकती है, लेकिन हिन्दू धर्म मे महिला मन्दिर भी जा सकती है, बड़ी धर्मगुरु भी बन सकती है, हिन्दू धर्म ने महिलाओं को जितनी छूट है, उतनी किसी धर्म मे नहीं है, लेकिन किसी एक-दो मंदिर के अपने नियम है उसके लिए पाबन्दी है तो उसमे सुप्रीम द्वारा हस्तक्षेप हिन्दू महिलाओं को स्वीकार्य नहीं है इसलिए सड़को पर आ गई है ।

🚩भारत मे जबसे अंग्रेज आए हैं तबसे केवल हिन्दुओं के खिलाफ ही कानून बने जा रहे हैं ऐसा लग रहा है, इससे साफ होता है कि विदेशी ताकतों द्वारा भारतीय संस्कृति को मिटाने का षड्यंत्र चल रहा है । अंग्रेजों ने तो भगवद्गीता पढ़ने पर बेन लगा दी थी । वर्तमान में भी दहीहांडी हो या जलीकट्टू हो या दीपावली पर पटाखे फोड़ने का हो सभी पर बेन लगाई जाती है, पर हिंसा वाला त्यौहार मोहर्रम पर कोई कानून नही बनता है, बकरी ईद पर करोड़ों पशुओं की हत्या रोकने पर कोई कानून नहीं बन पा रहा है, क्रिसमस पर ध्वनि प्रदूषण, करोड़ों की शराब की बिक्री व पटाखों द्वारा प्रदुषण पर कोई कानुन नहीं बनाता है, लेकिन भारत में केवल बहुसंख्यक हिंदुओ की आस्था पर ही चोट की जा रही है इससे हमें जगरुक होना पड़ेगा नहीं तो एक के बाद एक ऐसे कानून आएंगे कि बिना पुलिस परमिशन मंदिर नहीं जा सकेंगे और ना ही  शास्त्र पढ़ पाएंगे ।

🚩हिंदुओं को जागरूक होना पड़ेगा, ऐसे कानूनों का विरोध करना चाहिए ताकि भारतीय संस्कृति की अस्मिता बनी रहे, और सभी मनुष्य इसका लाभ उठाकर अपना कल्याण कर सके ।

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Tuesday, October 2, 2018

धारा 497 हटाना सिर्फ पुरुषों के लिए ही नही, महिलाओं के लिए भी मुसीबत, कर दी आत्महत्या.

02 October 2018
http://azaadbharat.org
🚩सितंबर 27 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी चतुराई और सुनियोजित ढंग से एक के बाद एक फैसले दिए, जिसमे पहला फैसला था धारा 497 को खत्म करना अर्थात अब विवाह के बाद पर पुरुष गमन/ परस्त्री गमन साधारण भाषा मे कहें तो पति के अलावा गैर मर्दों से शारीरिक सम्बन्ध बनाना कानूनन अपराध नहीं है ।
🚩इसके तुरंत बाद कोर्ट ने #राम_मंदिर से जुड़ा #मस्जिद के मुद्दे पर भी फैसला सुनाया ताकि लोगों का ध्यान राम मंदिर पर उलझाकर पिछले दरवाजे से व्याभिचार को वैध कर, उससे जनता के  ध्यान को हटाया जा सके और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया ने भी #राम के नाम पर इस समाचार को छोटा कर दिया और जितना दिखाया वो बस महिलाओं के अधिकार के नाम पर इसको वैध कर दिया ।
Removal of Section 497 is not only for men
, but for women also, trouble has committed suicide.

🚩सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं का पक्ष लेते हुए कहा कि पति महिला का गुलाम नहीं है, पर इस कानून के हटने से केवल पुरुषों को ही पीड़ा है ऐसी बात नहीं है महिलाओं को भी है क्योंकि कोई भी पतिव्रता महिला नहीं चाहेगी कि उसका पति अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाए । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण इस खबर से देख लीजिए, जहाँ इस कानून का बुरा प्रभाव साफ देखने को मिला और पत्नी ने आत्महत्या तक कर ली ।
🚩विवाहेत्तर संबंध को अपराध से बाहर करने के बाद पहली आत्महत्या:-
इस आत्महत्या के लिए अब किसे जिम्मेदार ठहराना चाहिए, इसका उत्तर काैन देगा ?
🚩चेन्नई में एक 24 वर्षी शादीशुदा लड़की पुष्पलता ने छत से कूदकर जान दे दी । उसने दो वर्ष पहले जॉन पॉल फ्रैंकलिन नामक एक सिक्योरिटी गार्ड से शादी की थी । लड़की अच्छे परिवार की थी । उसके परिवार ने इस शादी का विरोध भी किया था, किंतु उसने परिवार से विद्रोह करके प्रेम विवाह कर लिया । फ्रैंकलिन का किसी अन्य लड़की से इस बीच संबंध बन गया या पहले से ही था, पता नहीं । पुष्पलता को बाद में इसका पता चला । इस बीच पुष्पलता को टी.बी. हो गया । हालांकि टी.बी. का आजकल इलाज सामान्य है । इससे कोई समस्या होनी नहीं चाहिए । 
🚩किंतु फ्रैंकलिन जो कि एक सिक्योरिटी गार्ड है, दूसरी लड़की के साथ कुछ ज्यादा घुलने मिलने लगा । पुष्पलता उसे ऐसा करने से रोकती रही । अपने प्रेम का हवाला दिया । जाहिर है, उसने काफी समझाया होगा, लड़ाई भी हुई होगी । विद्रोह करके शादी करने के बाद तो पुष्पलता के पास अपने परिवार या रिश्तेदारों से बात करने या उनकी सहायता लेने का विकल्प था नहीं इसलिए वह अपने दम पर पति को दूसरी लड़की से संबंध बनाने से रोकती रही । वह माना नहीं, उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद फ्रैंकलिन ने साफ कह दिया कि, अब तुम मुझे कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि अब तो न्यायालय ने कह दिया है कि विवाहेत्तर यौन संबंध अपराध नहीं है । तुम मेरे पर केस भी दर्ज नहीं करा सकती ।
🚩पुष्पलता ने अपने आत्महत्या नोट में ये सारी बातें लिखीं हैं । हालांकि धारा 497 में भी विवाहेत्तर सम्बंध रखने वाले पति पर उसकी पत्नी केस नहीं कर सकती थी, किंतु इतनी विस्तृत जानकारी तो सबको नहीं होती । फ्रैंकलिन को लगा कि अब वह कुछ भी करने को आजाद है । पत्नी इसे सहन नहीं कर पाई, क्योंकि उसे लगा कि अब तो पुलिस और कोर्ट भी उसकी मदद नहीं कर सकता । अब यहां उच्चतम न्यायालय का फैसला लागू होगा । इसमें यह मान लिया है कि पहले की तरह आत्महत्या करने पर यदि यही कारण हुआ तो पति पर इसके लिए उकसाने का मामला चलेगा । तो चलाइए आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला । एक 24 वर्षीय लडकी को अपना जीवन समाप्त कर देना पड़ा । स्त्रोत : स्पेशल कवरेज
🚩धारा 497 हटाने के बाद यह पहला मामला सामने आया है लेकिन अभीतक न जाने कितने मामले देश में हो गए होंगे और आगे होते रहेंगे, उसको न मीडिया कवरेज करेगी और न न्यायालय या सरकार सुनेगी ।
🚩अमेरिका जैसे विकसित देश समेत दुनिया भर के कई देशों में व्यभिचार को अब भी अपराध माना जाता है ।
इन देशों में व्यभिचार पर है कड़ी सजा
अधिकतर इस्लामिक देशों में व्यभिचार एक अपराध है और इसकी कड़ी सजा है ।
अमेरिका के भी 20 राज्यों में व्यभिचार एक अपराध है, हालांकि वहां इसे लेकर मामले कम ही दिखते हैं ।
सऊदी अरब में व्यभिचार पर मौत की सजा का प्रावधान है ।
🚩जब विदेशो में भी व्यभिचार को लेकर कड़े कानून हैं तो फिर भारत में वर्तमान में जो कानून बनाए जा रहे हैं, उसे भारतीय संस्कृति कभी भी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि हमारे शास्त्रों में लिखा है कि अपनी पत्नी के अलावा किसी से संबंध बनाना पाप है और उसे नर्क में जाना पड़ता है ।
🚩ऐसे कानून भारत में नहीं बल्कि विदेशों में चलते हैं वे लोग पशु जैसा जीवन जीते हैं, पशु की नाई कुछ भी खा लिया, कहीं भी किसी से भी शारीरिक संबंध बना लिया, ये सब भारतीय संस्कृति में नहीं है । भारतीय संस्कृति सभ्य संस्कृति है जो मानव से महेश्वर की तरफ ले जाती है और पाश्चात्य संस्कृति मनुष्यता से पशुता की तरफ ले जाती है ।
🚩भारत में आज जो ऐसे कानून बन रहे हैं इससे तो साफ पता चलता है कि भारतीय संस्कृति को तोड़ने का एक घिनौना षड्यंत्र चल रहा है, विदेशी शक्तियों द्वारा कानून के जरिए पश्चिमी संस्कृति लाने का प्रयास चल रहा है, इससे विदेशी कम्पनियों को अरबों-खबरों का फायदा होगा क्योंकि व्यभिचार करेंगे तो गर्भनिरोधक दवाइयों की बहुत बिक्री होगी एवं लोग ज्यादा बीमार पड़ेंगे, जिससे उनके व्यापार में बहुत फायदा होगा ।
🚩दूसरा धर्मान्तरण वालों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि लोग व्यभिचारी हो जाएंगे तो अपने धर्म को नहीं मानेंगे, जिससे उनको अपने ईसाई धर्म में ले जाने में आसानी होगी, जिससे उनकी वोटबैंक बढ़ेगी और वे फिर से भारत में राज कर सकेंगे ।
भारत मे ऐसे कानूनो को खत्म कर देना चाहिए, नहीं तो आगे जाकर भयंकर नुकसान होगा ।
🚩भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों पर चलनेवाले हजारों योगासिद्ध महापुरुष इस देश में हुए हैं, अभी भी हैं और आगे भी होते रहेंगे, जबकि पश्चिमी संस्कृति के मार्ग पर चलकर कोई योगसिद्ध महापुरुष हुआ हो ऐसा हमने तो नहीं सुना, बल्कि दुर्बल हुए, रोगी हुए, एड्स के शिकार हुए, अकाल मृत्यु के शिकार हुए, खिन्न मानस हुए, अशांत हुए । उस मार्ग पर चलनेवाले पागल हुए हैं, ऐसे कई नमूने हमने देखे हैं ।
🚩अतः पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करके ऐसे कानून नहीं बनाएं जिससे व्यक्ति, समाज, देश और धर्म को नुकसान हो । कानून ऐसे हों कि सभी की उन्नति हो और देश आगे बढ़े ।
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Monday, October 1, 2018

जानिए कब्र पूजा मुसलमानों की मुर्खता अथवा अंधविश्वास ?

01 October 2018

🚩दैनिक समाचार पत्रों में सदा यह खबर छपती रहती है कि बॉलीवुड का कोई प्रसिद्द अभिनेता, अभिनेत्री अथवा क्रिकेट के खिलाड़ी अथवा राजनेता अजमेर की दरगाह पर चादर चढ़ाकर अपनी फिल्म को सुपर हिट करने की अथवा आने वाले मैच में जीत की अथवा आने वाले चुनावो में जीत की दुआ मांगता रहा है ।

🚩भारत की नामी गिरामी हस्तियों के दुआ मांगने से साधारण जनमानस में एक भेड़चाल सी आरंभ हो गयी है कि अजमेर में दुआ मांगने से जीवन बरकत हो जाएगी, किसी की नौकरी लग जाएगी, किसी के यहाँ पर लड़का पैदा हो जाएगा, किसी का कारोबार नहीं चल रहा हो तो वह चल जाएगा, किसी का विवाह नहीं हो रहा हो तो वह हो जाएगा ।
Know that the grave worship is the foolishness or superstition of Muslims?

🚩कुछ सवाल हमें अपने दिमाग पर जोर डालने को मजबूर कर रहे हैं जैसे कि आखिर यह गरीब नवाज़ कौन थे ? कहाँ से आये थे ? इन्होने हिंदुस्तान में क्या किया और इनकी कब्र पर चादर चढ़ाने से हमे सफलता कैसे प्राप्त होती है ?

🚩गरीब नवाज़ भारत में लूटपाट करने वाले, हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करने वाले, भारत के अंतिम हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान को हराने वाले व जबरदस्ती इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने वाले मुहम्मद गौरी के साथ भारत में शांति का पैगाम लेकर आए थे । 
पहले वे दिल्ली के पास आकर रुके फिर अजमेर जाते हुए उन्होंने करीब 700 हिन्दुओं को इस्लाम में दीक्षित किया और अजमेर में वे जिस स्थान पर रुके उस स्थान पर तत्कालीन हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान का राज्य था । 

🚩ख्वाजा के बारे में चमत्कारों की अनेकों कहानियां प्रसिद्ध हैं कि जब राजा पृथ्वीराज के सैनिकों ने ख्वाजा के वहां पर रुकने का विरोध किया क्योंकि वह स्थान राज्य सेना के ऊँटो को रखने का था तो पहले तो ख्वाजा ने मना कर दिया फिर क्रोधित होकर शाप दे दिया कि जाओ तुम्हारा कोई भी ऊंट वापिस उठ नहीं सकेगा । जब राजा के कर्मचारियों ने देखा की वास्तव में ऊंट उठ नहीं पा रहे है तो वे ख्वाजा से माफ़ी मांगने आए और फिर कहीं जाकर ख्वाजा ने ऊँटो को दुरुस्त कर दिया ।

🚩दूसरी कहानी अजमेर स्थित आनासागर झील की है । ख्वाजा अपने खादिमों के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने एक गाय को मारकर उसका कबाब बनाकर खाया । कुछ खादिम पनसिला झील पर चले गए कुछ आनासागर झील पर ही रह गए । उस समय दोनों झीलों के किनारे करीब 1000 हिन्दू मंदिर थे, हिन्दू ब्राह्मणों ने मुसलमानो के वहां पर आने का विरोध किया और ख्वाजा से शिकायत कर दी ।

ख्वाजा ने तब एक खादिम को सुराही भरकर पानी लाने को बोला । जैसे ही सुराही को पानी में डाला तभी दोनों झीलों का सारा पानी सुख गया। ख्वाजा फिर झील के पास गए और वहां स्थित मूर्ति को सजीव कर उससे कलमा पढवाया और उसका नाम सादी रख दिया । 

🚩ख्वाजा के इस चमत्कार की सारे नगर में चर्चा फैल गई । पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधान मंत्री जयपाल को ख्वाजा को काबू करने के लिए भेजा । मंत्री जयपाल ने अपनी सारी कोशिश कर डाली पर असफल रहा और ख्वाजा नें उसकी सारी शक्तिओं को खत्म कर दिया । राजा पृथ्वीराज चौहान सहित सभी लोग ख्वाजा से क्षमा मांगने आए । काफी लोगो नें इस्लाम कबूल किया पर पृथ्वीराज चौहान ने इस्लाम कबूलने इंकार कर दिया । तब ख्वाजा नें भविष्यवाणी की कि पृथ्वीराज को जल्द ही बंदी बना कर इस्लामिक सेना के हवाले कर दिया जाएगा । निजामुद्दीन औलिया (जिसकी दरगाह दिल्ली में स्थित है) ने भी ख्वाजा का स्मरण करते हुए कुछ ऐसा ही लिखा है ।

🚩बुद्धिमान पाठकगण स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि इस प्रकार के करिश्मों को सुनकर कोई मुर्ख ही इन बातों पर विश्वास कर सकता है । भारत में जगह-जगह पर स्थित कब्रें उन मुसलमानों की हैं, जो भारत पर आक्रमण करने आए थे और हमारे वीर हिन्दू पूर्वजों ने उन्हें अपनी तलवारों से परलोक पंहुचा दिया था । ऐसी ही एक कब्र बहरीच गोरखपुर के निकट स्थित है । यह कब्र गाज़ी मियां की है । गाज़ी मियां का असली नाम सालार गाज़ी मियां था एवं उनका जन्म अजमेर में हुआ था । इस्लाम में गाज़ी की उपाधि किसी काफ़िर यानि गैर मुसलमान को क़त्ल करने पर मिलती थी । 

🚩गाज़ी मियां के मामा मुहम्मद गजनी ने ही भारत पर आक्रमण करके गुजरात स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का विध्वंश किया था । कालांतर में गाज़ी मियां अपने मामा के यहाँ पर रहने के लिए गजनी चला गया । कुछ काल के बाद अपने वज़ीर के कहने पर गाज़ी मियां को मुहम्मद गजनी ने नाराज होकर देश निकाला दे दिया । उसे इस्लामिक आक्रमण का नाम देकर गाज़ी मियां ने भारत पर हमला कर दिया । हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करते हुए, हजारों हिन्दुओं का क़त्ल अथवा उन्हें गुलाम बनाते हुए, नारी जाति पर अमानवीय कहर बरपाते हुए गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारो तरफ अपनी फौजें भेजी । 

🚩कौन कहता है कि हिन्दू राजा कभी मिलकर नहीं रहे ?

मानिकपुर, बहराइच आदि के 24 हिन्दू राजाओं ने राजा सोहेल देव पासी के नेतृत्व में जून की भरी गर्मी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और उसकी सेना का संहार कर दिया । राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खींच कर एक तीर मारा जिससे की वह परलोक पहुँच गया । उसकी लाश को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया गया । हिन्दुओं ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था, बल्कि अगले 200 सालों तक किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी का भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं हुआ ।

🚩कालांतर में फ़िरोज़ शाह तुगलक ने अपनी माँ के कहने पर बहरीच स्थित सूर्य कुण्ड नामक तालाब को भरकर उस पर एक दरगाह और कब्र गाज़ी मियां के नाम से बनवा दी जिस पर हर जून के महीने में सालाना उर्स लगने लगा । मेले में एक कुण्ड में कुछ बेहरुपिए बैठ जाते हैं और कुछ समय के बाद लाइलाज बीमारियों को ठीक होने का ढोंग रचते हैं । पूरे मेले में चारों तरफ गाज़ी मियां के चमत्कारों का शोर मच जाता है और उसकी जय-जयकार होने लग जाती है । हजारों की संख्या में मुर्ख हिन्दू, औलाद की, दुरुस्ती की, नौकरी की, व्यापार में लाभ की दुआ गाज़ी मियां से मांगते हैं, शरबत बांटते है , चादर चढ़ाते हैं और गाज़ी मियां की याद में कव्वाली गाते है ।

🚩कुछ सामान्य से 10 प्रश्न हम पाठको से पूछना चाहेंगे?

1 .क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि है वो किसी की मनोकामनापूरी कर सकती है?

🚩2. सभी कब्र उन मुसलमानों की है जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं है, जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दिए थे ?

🚩3. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा 33 कोटि देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें है, जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक है ?

4. जब गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती है तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा ?

🚩5. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरों की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता है तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते है ?

6. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता है ?

🚩7. हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रही है, जिसका वर्णन पहले से ही हमारे वेदों- उपनिषदों आदि में नहीं है ?

8. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओं को अँधेरे में रखना नहीं तो ओर क्या है ?

🚩9. इतिहास की पुस्तकों में गौरी – गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओं की सदा पराजय हुई थी, ऐसी मानसिकता को बना कर उनमें आत्मविश्वास और स्वाभिमान की भावना को कम करने के समान नहीं है ?

🚩10. क्या हिन्दू फिर एक बार 24 हिन्दू राजाओं की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आए संकट जैसे कि आंतकवाद, जबरन धर्म परिवर्तन, नक्सलवाद,लव जिहाद, बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपैठ आदि का मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते ?

🚩आशा है इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा । अगर आप भगवान राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दें और अन्य हिन्दुओं को भी इस बारे में प्रकाशित करें ।

🚩बुतों को समझा खुदा किसी ने, तो संग-ए असवद किसी ने चूमा। 
जबां पर तौहीद के हैं किस्से, पर अमल सब का है काफिराना।।
इन झूठे मजहबों ने झूठे किस्सों, को भी हकीकत बना दिया है। 
प्रभु के सत रूप को भुलाया, बनाया इसको है इक फसाना।।
बुतों, मजारों को पूजने का, बनाया मजहबों ने आशियाना। 
धर्म से गुमराह हुए हैं सब ही,मजहब का गाते हैं जो तराना।। लेखक : डॉ. विवेक

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