हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने व मुस्लिम व ईसाई धर्म को अच्छा दिखाने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं । अधिकतर फिल्मों में अगर देखा जाए तो लड़की हिन्दू होती है और लकड़ा हीरो मुसलमान ही होगा जिससे लव जिहाद को बढ़ावा मिल सके और सेकुलर लड़कियां इस लव जिहाद में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं, फिर न ही वो अपने धर्म को अपना सकती हैं और न ही दूसरे धर्म को ।
अभी हाल ही में एक ऐसी ही फ़िल्म आने वाली है जिसमें हिन्दू धर्म का अपनाम करके मुस्लिम धर्म को बढ़ावा दिया गया है, कुछ हिन्दू तो जागरूक हुए हैं और इस फ़िल्म का विरोध कर रहे हैं, लेकिन जबतक प्रत्येक हिन्दू का इसका विरोध नहीं करेगा तब तक मूवी बैन नहीं होगी ।
Ban on "Love Jihad" enhancing film 'Kedarnath' ban - Janajagruti Samiti
बता दें कि आगामी हिन्दी फिल्म ‘केदारनाथ’ का नाम, ‘पोस्टर’, ‘ट्रेलर’ और ‘टीजर’ से ही यह स्पष्ट है कि यह फिल्म हिन्दूद्रोही है । इस फिल्म में एक नई खोज की गई है कि श्रीक्षेत्र केदारनाथ में वर्ष 2013 में आए जलप्रलय की सत्य घटना इस फिल्म की नायक-नायिका के कथित प्रेमप्रकरण का विरोध करने के कारण घटी है ।
इस फिल्म के ‘पोस्टर्स’ पर ‘लव इज ए पिलग्रिमेज’ अर्थात ‘प्रेम तीर्थयात्रा है’, ऐसी टैगलाइन देते हुए हिन्दुआें की तीर्थयात्राआें के उद्देश्य का ही साफ तौर पर मजाक उड़ाया गया है । सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि इस फिल्म में हिन्दुआें के तीर्थस्थल पर एक घोड़ेवाले मुसलमान युवक का और अमीर परिवार की हिन्दू युवती का प्रेमप्रकरण दिखाया गया है । वर्तमान में देशभर में ‘लव जिहाद’ की समस्या ने कोहराम मचाया हुआ है । इस फ़िल्म के माध्यम से एक प्रकार से ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा दिया गया है । यह अत्यंत निंदनीय और आपत्तिजनक है ।
हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रश्न किया है कि ऐसी ही कथा मुसलमानों के प्रार्थनास्थल मक्का-मदीना पर मुसलमान युवती और हिन्दू युवक की प्रेमकथा दिखाने का साहस क्या निर्माता ने किया होता ? इस फिल्म का हिन्दू जनजागृति समिति ने तीव्र विरोध किया है । हिन्दू जनजागृति समिति सहित समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने मांग की है कि यह फिल्म प्रदर्शित न की जाए तथा इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए ।
धार्मिक भावनाएं आहत होने के कारण श्रीक्षेत्र केदारनाथ के पुजारी और श्रद्धालुआें ने भी इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है । विवाद उत्पन्न कर प्रसिद्धि प्राप्त करना और फिल्म से कमाई करनेवाले स्वार्थी और समाजघाती उद्देश्य इस फिल्म में दिखाई देते हैं । इस विषय में पुणे शहर के तिलक चौक पर फिल्म ‘केदारनाथ’ के विरोध में आंदोलन किया गया । इस समय हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित विविध नारे लगाकर तीव्र निषेध व्यक्त किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति के प्रतिनिधि मंडल की ओर से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन मंडल के मुख्य कार्यालय में एक निवेदन दिया गया । निवेदन में मांग की गई है कि इस फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जाए ।
धर्माभिमानी हिन्दू निम्न पते पर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं :
कैथोलिक चर्च तथा उसके मिशनरी लगातार एशिया विशेषकर भारत में ईसाईयत फैलाने तथा धर्म-परिवर्तन करने का प्रयास करते रहे हैं । पोप जॉन पॉल ने तो अपने लोगों से कहा था कि ‘‘एशिया में जाओ और इस महाद्वीप को जीसस (ईसा) के लिए जीतकर लाओ ।’’ मदर टेरेसा ने एक इंटरव्यू में माना था कि ‘‘मैं समाज-सेविका नहीं हूँ, मैं जीसस की सेवा में हूँ और मेरा काम ईसाईयत को दुनिया में बढ़ाना और दुनिया को इसके घेरे में लाना है ।’’
भारत में ईसाई मिशनरियों का एक ही मिशन है पूरे देश से हिन्दू धर्म मिटाकर इसाई धर्म फैलाकर
भारत को ईसाई राष्ट्र घोषित करने का, इससे उन्हें ये फायदा होगा कि जब इतने बड़े देश में ईसाई धर्म फैल जाएगा तो खुद की सरकार खड़ी कर सकेंगे और आसानी से देश को लूट सकेंगे, दूसरा फायदा ये होगा कि विदेशी कंपनियां अपने प्रोडक्ट खुलेआम बेच सकेंगी तथा मूल निवासी भारतीयों का अपने पास कोई अधिकार नही रह जाएगा ।
Hindus were making greed for 3 lakh rupees, Christian arrested
गुजरात के बारडोली शहर में ईसाई धर्म के प्रचारक पुरूष व महिलाएं जाकर अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे और भोले-भाले हिन्दुओ को 3 लाख की लालच देकर ईसाई धर्म मे आने को बोल रहे थे, उसी समय कुछ जागरूक लोगों ने हिन्दू सगठनों को बता दिया और ईसाई धर्म के प्रचारकों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया, पुलिस ने केस दर्ज कर दिया है आगे की कार्यवाही उन पर की जाएगी ।
धर्मपरिवर्तन कराना कानून के खिलाफ है फिर भी खुल्लेआम ईसाई मिशनरियां धर्मपरिवर्तन करवा रही हैं लेकिन अभीतक उनपर कोई भी कड़ी कार्यवाही नहीं की जा रही है । यहाँ तक की मीडिया में भी इसकी कोई चर्चा नही दिखती है, कहीं कोने में छोटी से न्यूज आ गई तो आ गई नहीं तो कुछ पता ही नहीं चलता है ।
बता दें कि कुछ समय पहले सामना अखबार में खबर आई थी कि मुंबई में लाखों सिंधियों को ईसाई बना दिया गया है और राजस्थान में अभी हाल ही में 3 लाख हिन्दुओं को जबरन ईसाई बना दिया गया ।
बता दें कि इस धर्मपरिवर्तन के आड़े कोई भी हिंदुनिष्ठ या साधू-संत आते हैं तो या तो उनकी हत्या करवा दी जाती है या झूठे केस बनाकर मीडिया में बदनाम करवाकर जेल भिजवाया जाता है जैसे उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानंद जी की हत्या करवा दी और हिन्दू संत आसाराम बापू को जेल भिजवा दिया ।
भारत सरकार मिशनरियों पर कोई ठोस कार्यवाही करते दिखाई नहीं दे रही है, जबकि चीन सरकार ने राजधानी बीजिंग सहित तमाम बड़े मौजूद गिरिजाघरों और चर्चों को बंद कराने, ढहाने का आदेश दे दिया है । स्थिति ये हो गयी है कि हेनान प्रांत में रोमन कैथोलिकों समुदाय के पास प्रार्थना करने के लिए कोई जगह नहीं बची है ।
इसका उदाहरण मध्य चीन के कैथोलिक चर्च के बाहर लगे एक सरकारी साइन बोर्ड में देखा जा सकता है । जिसमें बच्चों को प्रार्थना में नहीं शामिल होने की चेतावनी दी गई है । साथ ही चीन में बड़े पैमाने पर “अवैध” चर्च गिराए जा रहे हैं । चीन सरकार ने चर्च के शीर्ष पर से क्रॉस हटाने का आदेश दिया है । इसके अलावा सरकार ने चर्च से मुद्रित धार्मिक सामग्रियों और पवित्र चीजों को जब्त कर लिया गया है, और चर्च द्वारा चलाए जाने वाले केजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक प्रतिमाओं को हटाने को भी कहा गया है ।
जब चीन की सरकार इतनी सख्त कार्यवाही कर सकती है तो भारत सरकार क्यों नहीं कर पा रही है ?
सनातन संस्था के द्वारा आयोजित किए गए हिन्दू अधिवेशन में दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने बताया कि भारत में हिन्दू विरोधी व्यवस्था के कारण हिन्दूओं पर अत्याचार किया जा रहा है ।
आइये आपको बताते हैं क्या कहा कपिल मिश्रा जी ने....
Know how the Indian system has made
the Hindu second-class citizen
दुनिया में अभी 2-3 तरीके के राज्य हैं एक तो खुद बोलते हैं, हम क्रिश्चियन हैं । ईसाई धर्म पर आधारित राज्य हैं, बाइबल को मानते हैं, हाथ में बाइबल लेकर शपथ ली जाती है राज्य व्यवस्था उसके आधार पर की जाती है । अपना एक स्टेंडर्ड कंटूटिशन भी होता है । दूसरे इस्लामिक राज्य हैं, तीसरे कुछ कम्युनिस्ट राज्य हैं । लेकिन दुनिया में एक अकेला राज्य भारत ऐसा है जो किसीके पक्ष में है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन हिंदुओं के विरोध में पूरी व्यवस्था है ।
हमारा कोई सेक्युलर राज्य नहीं है हिन्दू राज्य बनाने की बात लोग करते हैं, लेकिन अभी जो हमारी राज्य व्यवस्था है कि हिन्दू विरोधी राज्य व्यवस्था है ये राज्य व्यवस्था आपको मोटिवेट करती है कि आप हिन्दू धर्म को छोड़े, ये राज्य व्यवस्था आपको इस प्रकार का रोज सुबह उठने के साथ सोने तक ये एहसास कराती है कि आप इस देश में सेकंड क्लास है डिवीजन है, दूसरे दर्जे के नागरिक हैं । आप देश के अन्य नागरिकों के बराबर नहीं है । आपका बच्चा अगर पैदा होगा तो उसके अधिकार किसी अन्य धर्म में पैदा होने वाले बच्चों से कम होंगे । किसी अन्य धर्म में पैदा होता है तो सरकार उसे पैसा देगी, पढ़ने जाएगा तो सरकार उसे बस्ता देगी, किताब देगी, स्कॉलरशिप देगी, रिजर्वेशन देगी, नौकरी केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, व्रोटेशन, मोटिवेशन केवल और केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, प्रोक्शन, संगठन , मोटिवेशन इस देश की राज्य व्यवस्था दे रही है । उसमें भी शब्द यूज़ करते है कि minority अल्पसंख्यक। मेरे को लगता है पूरे ब्रह्मांड में 25 करोड़ वाला अल्पसंख्यक केवल भारत में ही बैठा हुआ है । और वो इतना अल्पसंख्यक है कि उसके हर बच्चे के 7-8 बच्चे पैदा हो रहे हैं । जब ये कहा गया कि मुसलमानों की तरक्की के लिए योजना लाओ तो मुझे लगता है कि नसबन्दी की योजना सबसे बड़ी योजना है जिससे मुसलमानों की तरक्की हो सकती है ।
एक ही योजना ऐसी है जिससे तरक्की हो सकती है। लेकिन उनका विश्वास नहीं है उनका विश्वास है कि पॉपुलेशन देहात में । मैं अपना व्यक्तिगत तौर पे ये उदाहरण देता हूँ कि विधायक होने के नाते मैं अपने दफ्तर में बैठा था सरकार विधवा महिलाओं को पेंशन देती है। तो मेरे पास एक 24 वर्ष की एक महिला आई जो विधवा थी और विधवा की बेटी थी, शादी के लिए भी सरकार सहायता देती है । तो वो मुझसे ये कहने आई कि मेरी बेटी की शादी में सरकार सहायता देगी क्या? तो मैंने कहा आपकी बेटी की उम्र कितनी है? तो उसने कहा 12 साल है शादी की बात चल रही है मैने कहा 18 साल से पहले शादी गैरकानूनी है । करना भी मत कोई कानूनी कार्यवाही हो जाएगी और सरकारी सुविधा कुछ मिल ही नहीं सकती क्योंकि कागज पे सर्टिफिकेट होना चाहिए कि 18 से ज्यादा उम्र है। फिर मैंने उससे पूछा कि 12 साल की बेटी की शादी की बात कर रही हो तुम्हारे और कितने बच्चे है? 24 साल में विधवा हो चुकी उस बहन के 8 बच्चे हैं । और जिसकी वो 12 साल में शादी की बात कर रही है उसके भी 24 की होते होते 8 बच्चे हो जाएंगे ।
तो इतने में हमारे बच्चे कॉलेज पास करके सोचते हैं कि आगे जिंदगी में क्या करना है उसमें इनके 8×8=64 बच्चे उनके घर में खेलते होते हैं । और उन 64 बच्चों के पैदा होने पर भारत की सरकार पैसा देती है । स्कूल जाएंगे तो पैसा देगी, नौकरी करेंगे तो लोन भारत की सरकार देगी रिजर्वेशन देगी और सिंदे साहब की बात पर अगर कोई ज्यादा पढ़ना लिखना शुरू कर दे तो उसकी उच्च शिक्षा में या नौकरी में इतिहास में भारत की आज़ादी के बाद upsc में सबसे ज्यादा मुस्लिम हाईएस्ट अधिकारियों का चयन हुआ है ।
ये कोई सहयोग नहीं है प्रॉपर योजना बना के प्लानिंग से ट्रेनिंग देकर उनके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क आवास, निःशुल्क प्रशिक्षण देकर उत्साहित किया जाता है कि हर साल ज्यादा से ज्यादा लोग IAS बने और ये भारत की सरकार की नीति है । ये कोई धर्म की अपनी संस्था की नीति नहीं है भारत की सरकार की नीति है । तो धर्म आधारित भेदभाव इस हद तक हो चुका है कि साउथ के आफ्रीका में काले और गोरे का भेद, हमें ये बात कहनी होगी, हम ये बात कहने में झिझकते हैं हिंदुओं की मेजोरिटी है कि काले और गोरे बीच में किया गया था अधिकार का साउथ अफ्रीका में, वो भेद हिंदुओं में और अन्य धर्म के अंदर आज भी किया जा रहा है । दूसरे दर्जे की नागरिकता दे दी गई है ।
हमारे मंदिरों के बारे में कोई भी निर्णय ले सकता है हमारी परंपराओं के बारे में कोई भी निर्णय ले सकता है । ये कोई मजाक नहीं है आपका इतिहास ही आपको नहीं बताया जा रहा है । आपका इतिहास आपसे छुपाया जा रहा है आपका वर्तमान अटकाया जा रहा है राज्यव्यवस्था है । क्यों रामकृष्ण समाज मजबूर हो गया कोर्ट जाने के लिए ? कि हमें अल्पसंख्यक घोषित करो । क्यों आई ये स्थिति क्योंकि अल्पसंख्यक कराके वो अपनी परंपरा बना सकता है वो अपना एक मिशन चला सकता है । लेकिन वो अल्पसंख्यक नहीं है तो वो अपने ही बच्चों को अपने ही धर्म के बारे में ज्ञान नहीं दे सकता । अपनी परंपरा का संगठन नहीं कर सकता ।
सबरीमाला पर न्यायालय बोला महिला जाएगी ये महिलाओं के अधिकारों की बात है कल को कोर्ट बोलेगा नवरात्रि में दुर्गा पूजा में लड़कों का भी पूजन करो कन्या पूजा क्यों करते हो? ये भी समानता की बात है कि अपने हमारे धर्म को नहीं मानो, आस्था को नहीं मानो, परंपरा को नहीं मानो । और मंदिर के अंदर बैठे देवता के प्राणप्रतिष्ठा की ये मानने से आपने इनकार कर दिया क्योंकि वो देवता जीवित है प्राण की प्रतिष्ठा की हुई है, उसकी मर्जी से किसीसे मिलेगा नहीं मिलेगा और आपने ये मान लिया कि देवता के प्राण के प्राण ही नहीं है वो एक निर्जीव है तो उसमें आपने पब्लिक से emporiums secular spare is public spare ये कोर्ट बोल रहा है। भाई जाके कोर्ट में याचिका डाल दी मुझे तो ठंड लगती है नंगे पैर जूता पहन के जाऊंगा तो कोर्ट बोलेगा नंगे पैर जूता पहन के जा क्योंकि पब्लिक स्पेयर है ।
इस प्रकार के वातावरण तक हम पहुंच चुके हैं हमारी संस्कृति की न्यायपालिका चुप है क्योंकि वोट बैंक सबसे बड़ी कमजोरी है क्योंकि वोट बैंक कहाँ बढ़ाया जा रहा है रणनीति के तहत दिल्ली में एक डेमोग्राफिक है जिसमें अगले दस साल के बाद दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से 48 विधानसभाओं में वही व्यक्ति चुनाव जीत पाएंगे जिनको मुस्लिम समाज समर्थन देंगे । 70 में से 48 ये दिल्ली के अंदर होगा अगले 10 सालो में इसप्रकार से डेमिग्राफिक चेंज हो रही है । हो सकता है पूरे भारत में भी ये स्थिति आ सकती है धीरे धीरे 5 साल, 10 साल, 15 साल या 20 साल इस देश की ऐसी ही कोई लोकसभा या विधानसभा की सीट बचेगी जिसमें धर्म के आधार पर चुनाव और धर्म के नाम पर 15-20 साल के बाद ऐसी कोई सरकार आती है तो केवल मुस्लिम वोट के आधार पर आती है इसको एक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है ।
हिन्दू चार्टर की जब हम बात करते हैं तो ये एक इस देश में हिंदुओं की मांग तो रखी जाए बोला तो जाए। अगर हम कहते हैं हिंदुओं को मुसलमान के समान अधिकार दिया जाए तो कहेंगे सम्प्रदायी हो । भड़काऊ बातें करते हो तुम्हारी बातों से दंगा फैल सकता है । तुम आतंकवादी हो केवल समान अधिकार मांगने पर इतनी बात बोल दी जाती है, लेकिन बचपन में एक बात सीखा दी गई थी कि बिना रोये माँ भी दूध नहीं देती तो अपनी बात कहने का, अपनी बात मांगने का बार-बार कहने का की हमें सेकंड क्लास के डिवीजन मत बनाओ बराबरी का अधिकार दो ।
ये ये अधिकार दो इलीगल है ये कोई आज सार्वजनिक मंच पर आकर देश का राजनेता बोल ही नहीं रहा मिनोरटी कमीशन इलीगल है, मिनोरटी को दिये जाने वाली सारी सुविधाएं इलीगल है, गैरसंवैधानिक है, उनप्रोसेक्यूशन है । हमारा संविधान बनाने वालों को मेरा ये मानना है, ये मन में आस्था अभी भी है कि जिन्होंने संविधान बनाया शायद उनकी नियत नहीं थी ऐसा करने की वो तो शायद ये सोचते थे कि हिंदुओं को तो अधिकार मिल ही जायेगा । हिन्दू राष्ट्रमंत्री, हिन्दु सरकार हिंदुओं को तो मिल ही जाएगा बाकियों के लिए लिख दो उनकी नियत तो शायद ऐसी होगी, लेकिन उसके बाद जो व्याख्या की गई इस संविधान की वो ये कह दी गई कि हिंदुओं को ही नहीं दिया जाएगा बाकी सबको दे दो।
और इस प्रकार से ये देश चलाया गया संविधान में सब्सिडी डाल दिये गए जो ना हमारी परंपरा में आते हैं ना धार्मिक परंपरा में आते हैं, ना आध्यात्मिक, न सामाजिक देश की संस्कृति में ही नहीं आते । ये संविधान उनको हमारे संविधान में डाल दिया गया और उसके आधार पर ये सारे कमिश्नर रिपोर्ट को बार बार कहना, हक से कहना और मांगना और ये सुरक्षित करना कि इस देश के जितने भी लोग सरकारों पर पदों पर बैठे हैं, जिस चीज पर बैठे हैं उनको पता लगे, भारतीय जन मानस को पता लगे कि उसके साथ अन्याय हुआ है । लोग अन्याय देख रहें है अन्याय के प्रत्यक्ष भी गवाह है विटनेस हैं । ये अगर बार बार बोलेंगे तो इसका एक दबाव जरूर बनेगा ।
ईसाई पादरी खुद की वासना पूर्ति करने के लिए तहर-तरह के बयान देते है, भगवान तक को नहीं छोड़ते हैं, पादरी को भगवान शब्द की महिमा का भी पता नहीं होता है और दुष्कर्म करने के लिए ईश्वर के नाम का दुरुपयोग करते है । पहले भी एक बड़े फादर ने बयान दिया था कि बच्चों का यौनशोषण करना पादरियों का अधिकार है । इन बयानों से ऐसा लगता है कि ये लोग चर्च के नाम से सेक्स का अड्डा चला रहे हैं और धर्म के नाम पर जनता को ग़ुमराह कर रहे हैं ।
ईसाई पादरी यीशु को भगवान मानते हैं और उनका आदेश बताकर लोगो का धर्मपरिवर्तन करवाते हैं, यदि लोग धर्मपरिवर्तन न करें तो उन्हें प्रलोभन दिया जाता है या जबरदस्ती करके भी अपने ईसाई धर्म मे लाने का कार्य करते हैं पर इनके खुद के कर्म देखें जाएं तो ये पादरी ईश्वर का नाम लेने के भी लायक नहीं है ये बस वासना के अंधे हैं धर्म के नाम पर दुष्कर्म करके अपना धंधा चला रहे हैं ।
Christian pastor raped 8 women, said God ordered, sent prison
आपको बता दें कि दक्षिण कोरिया में रेप के आरोप में पादरी को 15 साल जेल की सजा सुनाई गई है । पादरी ने 8 महिलाओं के साथ बलात्कार किया था । सभी पीड़ित महिलाएं उसके मेगाचर्च की अनुयायी थीं । रिपोर्ट्स के अनुसार ली-जे रॉक नाम का 75 वर्षीय पादरी महिलाओं का यह कहकर रेप करता था कि ईश्वर का आदेश है, जिसका वह पालन कर रहा है । पीड़ित महिलाओं ने भी अपने बयान में कहा है कि पादरी कहता था कि उसके पास दैवीय शक्ति है ।
महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पादरी की बात को इसलिए माना क्योंकि वह कहता था कि वह खुद भगवान है । इस चर्च की स्थापना पादरी ने 12 फॉलोअर्स के साथ 1982 में की थी । हालांकि अब यह मेगाचर्च का रूप ले चुकी है । फिलहाल दुनिया भऱ में इसकी 10,000 शाखाएं और बहुत से चर्च इससे जुड़े हुए हैं ।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित महिलाएं पादरी के आदेश को इसलिए मान रही थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इसके पालन से उन्हें स्वर्ग की राह मिलेगी । वे बचपन से ही उसके चर्च में आती थीं । अदालत ने कहा कि पादरी ने इस बात का फायदा उठाया कि महिलाएं कमजोर थीं और उसके आदेश का पालन करने से इंकार नहीं कर सकती थीं । स्त्रोत : नवभारत टाईम्स
आपको बता दें कि पश्चिम में चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ सी आ गयी है ऐसा लगता है । ऐसे हजारों मामले अब दुनिया के सामने आ रहे हैं । न्यूयॉर्क टाइम्स ने पिछले महीने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि अमेरिका में पेनसिलवेनिया में पिछले 70 वर्षों में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।
बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’
अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है । अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त रहा है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे ।
नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें से सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।
हर महाद्वीप - एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया ।
जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।
चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है । पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली भारतीय मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?