Wednesday, December 5, 2018

जानिए श्री राम मंदिर तोड़ने और लाखों हिंदुओ के बलिदान व शौर्य दिवस का इतिहास

5 दिसम्बर 2018

🚩भारत में विधर्मी आक्रमणकारियों ने बड़ी संख्या में हिन्दू मन्दिरों का विध्वंस किया । स्वतन्त्रता के बाद भी सरकार ने मुस्लिम वोटों के लालच में मस्जिदों, मजारों आदि को बना रहने दिया ।

🚩इनमें से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर (अयोध्या), श्रीकृष्ण जन्मभूमि (मथुरा) और काशी (विश्वनाथ मंदिर) के सीने पर बनी मस्जिदें सदा से हिन्दुओं को उद्वेलित करती रही हैं। इनमें से श्रीराम मंदिर के लिए विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल की अध्यक्षता और शिवसेना के बाला साहब की अध्यक्षता में देशव्यापी #आन्दोलन किया गया, जिससे 6 दिसम्बर, 1992 को वह #बाबरी ढाँचा धराशायी हो गया।
Know the breakdown of Sri Ram Mandir and the history
of the sacrifice and sacrifice of lakhs of Hindus

🚩बाबरी मस्जिद विध्वंस का 6 दिसंबर को हर साल #हिन्दू शौर्य दिवस मानते हैं
वीडियो : रामसेवको पर गोलीबारी

🚩श्री राम मंदिर कब तोड़ा?

मुस्लिम शासक आक्रमणकारी बाबर 1527 में फरगना से भारत आया था, बाबर के आदेश से उसके #सेनापति मीर बाकी ने 1528 ई. में श्रीराम मंदिर को गिराकर वहाँ एक मस्जिद बना दी थी । मंदिर तोड़ रहे थे उस समय इस्लामी आक्रमणकारियों से मंदिर को बचाने के लिए रामभक्तों ने 15 दिन तक लगातार संघर्ष किया, जिसके कारण आक्रांता मंदिर पर चढ़ाई न कर सके और अंत में मंदिर को तोपों से उड़ा दिया। इस संघर्ष में 1,36,000 रामभक्तों ने मंदिर रक्षा हेतु अपने जीवन की आहुति दी।

🚩भगवान श्री राम मंदिर टूटने के बाद #हिन्दू समाज एक दिन भी चुप नहीं बैठा। वह लगातार इस स्थान को पाने के लिए #संघर्ष करता रहा । 

🚩1528  से 1949 ईस्वी तक के कालखंड में श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण हेतु 76 बार संघर्ष/युद्ध हुए। इस पवित्र स्थल हेतु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज, महारानी राज कुंवर तथा अन्य कई विभूतियों ने भी संघर्ष किया।

🚩संघर्ष करने के बाद 23 दिसम्बर,1949 को आखिर हिन्दुओं ने वहाँ #रामलला की #मूर्ति स्थापित कर पूजन एवं अखण्ड कीर्तन शुरू कर दिया।

🚩मंदिर पर ताला

कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने ढांचे को आपराधिक दंड संहिता की धारा 145 के तहत रखते हुए प्रिय दत्त राम को रिसीवर नियुक्त किया। सिटी मजिस्ट्रेट ने मंदिर के द्वार पर ताले लगा दिए।

🚩पहली धर्म संसद

अप्रैल, 1984 में विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा विज्ञान भवन (नई दिल्ली) में आयोजित पहली धर्म संसद ने जन्मभूमि के द्वार से ताला खुलवाने हेतु जनजागरण यात्राएं करने का प्रस्ताव पारित किया।

🚩विश्व हिन्दू परिषद्' द्वारा इस विषय को अपने हाथ में लेने से पूर्व तक 76 हमले हिन्दुओं ने किये; जिसमें देश के लाखों हिन्दू नर नारियों का #बलिदान हुआ; पर पूर्ण #सफलता उन्हें कभी नहीं मिल पायी।

 विश्व हिन्दू परिषद ने लोकतान्त्रिक रीति से जनजागृति के लिए #श्रीराम #जन्मभूमि मुक्ति #यज्ञ समिति का गठन कर 1984 में श्री रामजानकी रथयात्रा निकाली, जो सीतामढ़ी से प्रारम्भ होकर #अयोध्या पहुँची।

🚩श्री राम मंदिर के लिए जनता का आक्रोश देखकर #हिन्दू नेताओं ने शासन से कहा कि #श्री रामजन्मभूमि मंदिर पर लगे अवैध ताले को खोला जाए। #न्यायालय के आदेश से 1 फरवरी 1986 को ताला खुल गया। 

अयोध्या में भव्य मंदिर बनाने के लिए 1989 में देश भर से श्रीराम शिलाओं को पूजित कर अयोध्या लाया गया और बड़ी धूमधाम से 9 नवम्बर, 1989 को #श्रीराम मन्दिर का #शिलान्यास कर दिया गया। जनता के दबाव के आगे #प्रदेश और #केन्द्र शासन को झुकना पड़ा। पर #मन्दिर निर्माण तब तक सम्भव नहीं था, जब तक वहाँ खड़ा ढाँचा न हटे। हिन्दू नेताओं ने कहा कि यदि मुसलमानों को इस ढाँचे से मोह है, तो वैज्ञानिक विधि से इसे स्थानान्तरित कर दिया जाए; पर शासन मुस्लिम वोटों के लालच से बँधा था। वह हर बार न्यायालय की दुहाई देता रहा। #विहिप #शिवसेना आदि हिन्दू कार्यकर्ताओं का तर्क था कि आस्था के विषय का निर्णय #न्यायालय नहीं कर सकता आंदोलन और तीव्र कर दिया।

🚩आंदोलन के अन्तर्गत 1990 में वहाँ #कारसेवा का निर्णय किया गया। तब #उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। उन्होंने घोषणा कर दी कि #बाबरी परिसर में एक परिन्दा तक पर नहीं मार सकता । पर हिन्दू युवकों ने #शौर्य दिखाते हुए 29 अक्तूबर को गुम्बदों पर #भगवा फहरा दिया। बौखला कर 2 नवम्बर को #मुलायम सिंह ने गोली चलवा दी, जिसमें कोलकाता के दो सगे भाई #राम और शरद कोठारी सहित सैकड़ों कारसेवकों का #बलिदान हुआ।

🚩कारसेवकों के बलिदान के बाद #प्रदेश में #भाजपा की सरकार बनी। #केन्द्र की #कांग्रेस सरकार के इस आश्वासन पर कि नवंबर में #न्यायालय का निर्णय आ जाएगा एक बार फिर #गीता जयंती के शुभ दिन (6 दिसम्बर, 1992 ) को #कारसेवा की तिथि निश्चित की गयी। परन्तु जानबूझ कर सब सुनवाई पूरी होने के बाद भी निर्णय की तिथि आगे से आगे बढ़ाकर 6 दिसंबर के बाद की कर दी गई ।

🚩विहिप की योजना तो तब भी #केन्द्र शासन पर दबाव बनाने की ही थी । पर #युवक आक्रोशित हो उठे। उन्होंने वहाँ लगी तार बाड़ के खम्भों से प्रहार कर #बाबरी ढाँचे के तीनों गुम्बद गिरा दिये। इसके बाद विधिवत वहाँ श्री रामलला को भी विराजित कर दिया गया।

🚩मंदिर के अवशेष मिले

ध्वस्त ढांचे की दीवारों से 5 फुट लंबी और 2.25  फुट चौड़ी पत्थर की एक शिला मिली। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पर बारहवीं सदी में संस्कृत में लिखीं 20 पंक्तियां उत्कीर्ण थीं। पहली पंक्ति की शुरुआत “ओम नम: शिवाय” से होती है। 15वीं, 17वीं और 19वीं पंक्तियां स्पष्ट तौर पर बताती हैं कि यह मंदिर “दशानन (रावण) के संहारक विष्णु हरि” को समर्पित है। मलबे से करीब ढाई सौ हिन्दू कलाकृतियां भी पाई गईं जो फिलहाल न्यायालय के नियंत्रण में हैं।

🚩पंकज निगम (तत्कालीन विहिप नगर प्रमुख) ” जो की 1992 को कार सेवक थे की आंखो देखी – संक्षिप्त मे : “हम लोग 1992 को बाबरी विध्वंस के दिन ही अयोध्या पहुचे थे, किन्तु जब लोटे तब तक आधे से भी कम बचे थे, 6 दिसम्बर के बाद तिब्बत पुलिस ने सरयू नदी को लाशों से पाट दिया था, जिसमे सभी लाशे कर सेवको की थी, सभी बसे जो भी आजा रही थी सभी लाशों से भरी थी, रात के समय तिब्बत पुलिस फ़ाइरिंग करती थी जो भी उसके बीच मे आगया उसका राम नाम सत्य का मोका भी नही मिलता था, लाशे नदी मे बहा दी जाती थी।
हम लोगो ने गिरफ्तारी दे दी थी, और हमे 18 दिनो तक 1 जेल मे रखा गया, जहा उन 18 दिनो मे हमारे कई साथी भूख और बीमारी से मर गए, क्यू की जेल मे ना तो कुछ खाने को दिया जाता था, ना दिसम्बर की ठंड से बचाने की कोई व्यवस्था थी, 15 दिनो से भूखे होने के बाद भी हम 5 लोग जेल से भागने मे कामयाब हुये, और जंगलो से रास्ते पैदल दिल्ली पहुचे, वह पर हमारे कुछ अन्य लोग थे, उनकी मदद से नागदा पहुचे ।”

 🚩सोचें, श्री राम मन्दिर के पीछे कितने #बलिदान हुए, कितनी #माताओं ने अपने #पुत्र खोये , कितनी #पत्नियों ने अपने #सुहाग खोये! क्या बीती होगी उस #बाप पर, जब उसने अपने दो-दो #बेटों की गोलियों से छलनी हुई लाश को देखा होगा!
ये सब किया तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस और उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने!

🚩रामभक्तों को गोलियो से छलनी कर उनके शरीर में बालू के बोरे बांध कर उनकी लाश #सरयू मे फेंक दी गयी । सोचिए, क्या बीती होगी उस #परिवार पर जब उन्होंने अपनों की सड़ी-गली और जानवरो से खाई हुई लाशें यमुना से कई हफ्तों बाद निकाली होगी !

🚩कारसेवकों को हेलीकाप्टर से चुन चुन कर निशाना बनाया गया और गोली आँख में या सिर में मारी गयी । आखिर क्यों...??? क्योंकि #हिन्दू सहनशील हैं! अयोध्या जो #बाबर की औलादों के चंगुल में थी, लाखों हिन्दू पुरुषों और हजारों #नारियों ने बलिदान देकर उसे मुक्त कराया ।

🚩अमर बलिदानी कारसेवक गोली लगने के बाद मरते-मरते भी “जय श्री राम” बोलते रहें । इस प्रकार वह बाबरी कलंक नष्ट हुआ पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने सारी जमीन अधिग्रहीत कर ली ।

🚩देश मे 98 करोड़ हिन्दू है पर अभीतक बाबर ने तोड़ा हुआ श्री राम मंदिर नही बन पाया वे हिन्दुओ के लिए शर्म की बात है ।

🚩अब मामला #सर्वोच्च #न्यायालय में लंबित है । 100 करोड़ हिन्दुओ का पूर्ण विश्वास है कि हिंदूवादी #वर्तमान #केंद्र #सरकार तथा उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग शीघ्र प्रशस्त करेगी । 🚩जय श्री राम!!

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Tuesday, December 4, 2018

रिपोर्ट : पैसों के लिए अस्पतालों ने किए 9 लाख सिजेरियन डिलीवरी

4 दिसंबर 2018

🚩हमारे देश के डॉक्टर पैसे कमाने के लिए मरीजों को नोच डालते हैं वे ये भी नहीं देखते हैं कि मरीज कितना गरीब है, कितना मजबूर है, कितना असहाय है और इलाज करना जरूरी है कि नहीं । बस कोई मरीज व्यक्ति उनके पास आया नहीं की लूट शुरू कर देते हैं जबरन कई टेस्ट करवाये जाते हैं, उसमें उनका कमीशन होता है, फिर हॉस्पिटल में भर्ती भी कर देते हैं, ये दवाई लो वे दवाई लो ऐसे करके व्यक्ति को पूरा मरीज बना देते हैं और जिंदगी भर दवाई खाने को मजरबुर करे देते हैं, इन डॉक्टरों को लूट मचाने की आदत पड़ गई है उसपर लोग लगनी चाहिए ।
Report: 9 lakh cesarean delivery by hospitals for money

🚩आजकल डॉक्टरों द्वारा जरा-जरा सी बात में ऑपरेशन की सलाह दे दी जाती है । वाहन का मैकेनिक भी अगर कहे कि क्या पता, यह पार्ट बदलने पर भी आपका वाहन ठीक होगा कि नहीं ? तो हम लोग उसके गैरेज में वाहन रिपेयर नहीं करवाते लेकिन आश्चर्य है कि सर्जन-डॉक्टर के द्वारा गारंटी न देने पर भी हम ऑपरेशन करवा लेते हैं ! जबकि उस ऑपरेशन की कोई आवश्यकता भी नहीं होती है डॉक्टरों ने तो बस पैसे कमाने के लिए एक बिजनेस चला दिया है उससे आप सावधान रहना ।

🚩एक ताजा रिपोर्ट ने देश के प्राइवेट अस्पतालों की पोल खोल कर रख दी है । अस्पतालों ने पैसे के लिए धड़ल्ले से नॉर्मल प्रसव को भी सिजेरियन सेक्शन (ऑपरेशन के जरिये) कर डाले । दरअसल, पिछले एक साल के दौरान निजी अस्पतालों में हुए 70 लाख प्रसवों में से 9 लाख प्रसव बगैर पूर्व योजना के सिजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) के जरिए हुए, जिन्हें रोका जा सकता था और ये ऑपरेशन केवल पैसे कमाने के लिए किए गए ।

🚩भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) ने एक अध्ययन में यह कहा है । रिपोर्ट की मानें तो शिशुओं के चिकित्सीय रूप से अनुचित ऐसे जन्म से ना केवल लोगों की जेब पर बोझ पड़ता बल्कि इससे स्तनपान कराने में देरी हुई, शिशु का वजन कम हुआ, सांस लेने में तकलीफ हुई ।

🚩इसके अलावा नवजातों को अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ा । आईआईएम-ए के फैकल्टी सदस्य अंबरीश डोंगरे और छात्र मितुल सुराना ने यह अध्ययन किया । अध्ययन में पाया गया कि जो महिलाएं प्रसव के लिए निजी अस्पतालों का चयन करती हैं, उनमें सरकारी अस्पतालों के मुकाबले बगैर पूर्व योजना के सी-सेक्शन से बच्चे को जन्म देने की आशंका 13.5 से 14 फीसदी अधिक होती है ।

🚩ये आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 2015-16 में हुए चौथे चरण पर आधारित हैं जिसमें पाया गया कि भारत में निजी अस्पतालों में 40.9 फीसदी प्रसव सी-सेक्शन के जरिए हुए जबकि सरकारी अस्पतालों में यह दर 11.9 प्रतिशत रही ।

🚩अध्ययन में कहा गया है कि सी-सेक्शन के जरिए नवजातों का जन्म कराने के पीछे मुख्य वजह वित्तीय लाभ कमाना रहा । एनएफएचएस का हवाला देते हुए आईआईएम-ए के अध्ययन में कहा गया है कि किसी निजी अस्पताल में प्राकृतिक तरीके से प्रसव पर औसत खर्च 10,814 रुपये होता है जबकि सी-सेक्शन से खर्च 23,978 रुपये होता है ।

🚩अध्ययन में कहा गया है, 'चिकित्सीय तौर पर स्पष्ट किया जाए तो सी-सेक्शन से प्रसव से मातृ और शिशु मृत्यु दर और बीमारी से बचाव होता है । लेकिन जब जरूरत ना हो तब सी-सेक्शन से प्रसव कराया जाए तो इससे मां और बच्चे दोनों पर काफी बोझ पड़ता है जो कि जेब पर पड़ने वाले बोझ से भी अधिक होता है ।

🚩इसमें कहा गया है कि सी-सेक्शन से प्रसव की संख्या कम करने के लिए सरकार को ना केवल उपकरणों और कर्मचारियों के लिहाज से बल्कि अस्पताल के समय, सेवा प्रदाताओं की अनुपस्थिति और बर्ताव के लिहाज से भी सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं को मजबूत करना होगा । स्त्रोत : आजतक

🚩गर्भवती महिला को प्रसव नहीं हो रहा है तो 10 ग्राम देशी गाय के ताजा गोबर का रस पिला दीजिये तुरंत प्रसव हो जाएगा, डॉक्टरों के पास जाने की जरूरत नही पड़ेगी।

अस्पतालों में डॉक्टरों खुल्लेआम लूट चला रहे हैं पैसे कमाने के लिए व्यक्ति का बिनजरूरी अनेक टेस्ट करवा देते हैं फिर भर्ती करवाते हैं और ऑपरेशन करके हमेशा के लिए मरीज बना देते हैं । सभी को ध्यान रखना चाहिए ऐसे लुटरे डॉक्टरों के चक्कर में न आएं ।

🚩अंग्रेजी दवाइयों की गुलामी कब तक ?

सच्चा स्वास्थ्य यदि दवाइयों से मिलता तो कोई भी डॉक्टर, कैमिस्ट या उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता । स्वास्थ्य खरीदने से मिलता तो संसार में कोई भी धनवान रोगी नहीं रहता । स्वास्थ्य इंजेक्शनों, यंत्रों, चिकित्सालयों के विशाल भवनों और डॉक्टर की डिग्रियों से नहीं मिलता अपितु स्वास्थ्य के नियमों का पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से मिलता है ।

🚩अशुद्ध और अखाद्य भोजन, अनियमित रहन-सहन, संकुचित विचार तथा छल-कपट से भरा व्यवहार – ये विविध रोगों के स्रोत हैं । कोई भी दवाई इन बीमारियों का स्थायी इलाज नहीं कर सकती । थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर, कुछ ही समय में दूसरा रोग उभार देती है । अतः अगर सर्वसाधारण जन इन दवाइयों की गुलामी से बचकर, अपना आहार शुद्ध, रहन-सहन नियमित, विचार उदार तथा व्यवहार प्रेममय बनायें रखें तो वे सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट एवं प्रसन्न बने रहेंगे । आदर्श आहार-विहार और विचार-व्यवहार ये चहुँमुखी सुख-समृद्धि की कुंजियाँ हैं ।

🚩सर्दी-गर्मी सहन करने की शक्ति, काम एवं क्रोध को नियंत्रण में रखने की शक्ति, कठिन परिश्रम करने की योग्यता, स्फूर्ति, सहनशीलता, हँसमुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहरी नींद – ये सच्चे स्वास्थ्य के प्रमुख लक्षण हैं ।

🚩डॉक्टरी इलाज के जन्मदाता हेपोक्रेटस ने स्वस्थ जीवन के संबंध में एक सुन्दर बात कही है :-
पेट नरम, पैर गरम, सिर को रखो ठण्डा।
घर में आये रोग तो मारो उसको डण्डा।।

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Monday, December 3, 2018

संस्कृत में पढ़ाई करके छात्र बन सकेंगे इंजीनियर और डॉक्टर, पाठ्यक्रम तैयार

3 दिसंबर 2018

🚩देववाणी संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है । यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है । संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा और वैज्ञानिक भाषा भी है । इसके सकारात्मक तरंगों के कारण ही ज्यादातर श्लोक संस्कृत में हैं । आज दुनिया मे जितनी भाषाएँ है संस्कृत से ही उनका उद्गम हुआ है ।

🚩संस्कृत की सर्वोत्तम शब्द-विन्यास युक्ति के, गणित के, कंप्यूटर आदि के स्तर पर नासा व अन्य वैज्ञानिक व भाषाविद संस्थाओं ने भी इस भाषा को एकमात्र वैज्ञानिक भाषा मानते हुए इसका अध्ययन आरंभ कराया है और भविष्य में भाषा-क्रांति के माध्यम से आने वाला समय संस्कृत का बताया है । अतः अंग्रेजी बोलने में बड़ा गौरव अनुभव करने वाले, अंग्रेजी में गिटपिट करके गुब्बारे की तरह फूल जाने वाले कुछ महाशय जो संस्कृत में दोष गिनाते हैं उन्हें कुँए से निकलकर संस्कृत की वैज्ञानिकता का एवं संस्कृत के विषय में विश्व के सभी विद्वानों का मत जानना चाहिए ।
Engineer and doctor will be able to become a student by studying in Sanskrit

🚩आपको बता दें कि संस्कृत के छात्र अब दुनिया से कदमताल करेंगे । उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में पढ़ाई का ढर्रा बदलेगा । पुरोहित-शिक्षक ही नहीं यहां के विद्यार्थी इंजीनियर व डॉक्टर भी बन सकेंगे । माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने नया पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है ।

🚩जनवरी में गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने संस्कृत बोर्ड के छात्रों का नया पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है । इसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा । इंटर की पढ़ाई तीन वर्गो में विभाजित कर दी गई है। उत्तर मध्यमा प्रथम (कक्षा 11) व उत्तर मध्यमा द्वितीय (कक्षा 12) में कला, विज्ञान व वाणिज्य वर्ग का गठन होगा । वर्तमान पाठ्यक्रम में संस्कृत के साथ गणित, विज्ञान वैकल्पिक विषय के तौर पर शामिल हैं । ऐसे में संस्कृत बोर्ड के छात्र भी विज्ञान वर्ग से पढ़ाई कर इंजीनियरिंग व मेडिकल के क्षेत्र में जा सकेंगे ।

🚩उप निरीक्षक लखनऊ मंडल की पाठ्यक्रम समिति व अतिरिक्त सदस्य रेनू वर्मा का कहना है कि नया पाठ्यक्रम बन गया है । अब शासन से अनुमोदन शेष है । नए सत्र से नए पैटर्न पर पढ़ाई होगी । संस्कृत बोर्ड के छात्रों को भी अब इंजीनियर-डॉक्टर बनने का मौका मिलेगा ।

🚩वर्तमान पाठ्यक्रम में कक्षा 11 में तीन अनिवार्य विषय, 51 वैकल्पिक विषय हैं । ऐसे ही कक्षा 12 में भी तीन अनिवार्य व 51 वैकल्पिक विषय हैं । कक्षा छह से आठ तक तीन अनिवार्य विषय व 20 वैकल्पिक विषय हैं । वहीं कक्षा नौ में तीन अनिवार्य व 37 वैकल्पिक विषय हैं । कक्षा 10 में भी तीन अनिवार्य व 37 वैकल्पिक विषय हैं । ऐसे में कुल 15 अनिवार्य व 196 के करीब वैकल्पिक विषय हैं । वहीं नए पाठ्यक्रम में विषयों की सूची सौ के अंदर होगी । कारण, इसमें कई विषयों को हटा दिया गया, वहीं कई को एक कर दिया गया । मसलन, संस्कृत गद्य व और संस्कृत पद्य काव्य को एक विषय कर दिया गया ।

🚩बता दें कि देववाणी संस्कृत मनुष्य की आत्मचेतना को जागृत करने वाली, सात्विकता में वृद्धि , बुद्धि व आत्मबलप्रदान करने वाली सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है । अन्य सभी भाषाओ में त्रुटि होती है पर इस भाषा में कोई त्रुटि नहीं है । इसके उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि सहस्त्र वर्षों से लेकर आज तक वैदिक मन्त्रों की ध्वनियों व मात्राओं में कोई पाठभेद नहीं हुआ और ऐसा सिर्फ हम ही नहीं कह रहे बल्कि विश्व के आधुनिक विद्वानों और भाषाविदों ने भी एक स्वर में संस्कृत को पूर्णवैज्ञानिक एवं सर्वश्रेष्ठ माना है । 

🚩संस्कृत भाषा ही एक मात्र साधन हैं, जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं ।  इसका अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है । वैदिक ग्रंथों की बात छोड़ भी दी जाए तो भी संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरंतर होती आ रही है । संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, अपितु एक विचार भी है । संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम की भावना भी है ।

🚩केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को सभी स्कूलों, कॉलेजों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चों की बुद्धिशक्ति का विकास के साथ साथ बच्चे सुसंस्कारी बने ।

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Sunday, December 2, 2018

ईसाई मिशनरियों का जिहाद बढ़ता ही जा रहा है, जनता पर बरसा रहे हैं कहर

2 दिसंबर 2018

🚩भारत सहिष्णु देश है उसका फायदा राष्ट्रविरोधी ताकतें जमकर उठा रही हैं । आज भारत मे ईसाई मिशनरियों का जिहाद बढ़ता ही जा रहा है, कभी लालच देकर या जबरन धर्मपरिवर्तन करवाना, पादरियों द्वारा बलात्कार करना, मानव-तस्करी करना, कॉन्वेंट स्कूलों में हिन्दू त्यौहारों पर बेन लगाना, तिलक, मेहंदी नहीं लगाने देना आदि अनेक काले कारनामे कर रहे हैं पर मीडिया, सरकार या न्यायालय किसी का भी उस तरफ ध्यान ही नहीं जा रहा है ।

🚩अभी हाल ही में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसे पढ़कर आपको भी इन ईसाई मिशनरियों से नफरत होने लगेगी ।

🚩(1)50 लड़कियों का छुटकारा:-
Jihad of Christian missionaries continues to grow, people are ravaging the public

तमिलनाडु के तिरुवन्नमलाई के जिला कलेक्टर के. एस. कंदसामी को सूचित किया गया था कि उनके अधिकार क्षेत्र में मर्सी अदिकलपुरम मिशनरी होम सरकारी नियमों का उल्लंघन कर रहा था । इसके तुरंत बाद, उन्होंने होम को जाँच के लिए बंद कर दिया और उन्होंने जो देखा वह उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था ।

🚩सबसे पहले, होम का बुनियादी ढांचा एक अपमानजनक स्थिति में था । फिर, उन्होंने देखा कि 5 से 22 साल की उम्र के बीच लगभग 50 लड़कियां वहां रहती थीं और फिर भी एक पुरुष सुरक्षा गार्ड द्वारा पर्यवेक्षित की गई थी । जब कंदसामी ने पाया कि घर के निदेशक 65 वर्षीय लुबान कुमार भी अपने परिवार के साथ एक ही इमारत में रहते थे तो उन्हें संदेह हो गया और उन्होंने जांच शुरू की ।

🚩टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, आईएएस अधिकारी ने कहा "लुबान कुमार ने जानबूझकर उन सभी बाथरूम  के दरवाजे हटा दिए ," उन्होंने कहा कि उनका कमरा इस बाथरूम से जुड़ा हुआ था और वह लड़कियों को स्नान करते देखने के लिए एक खिड़की खोल देता । इसके अलावा, उसने हॉल में एक सीसीटीवी कैमरा स्थापित किया था जिससे वो अपने कमरे से लड़कियों को कपड़े बदलते देखता था । "

🚩रिपोर्ट के मुताबिक, जब एक लड़की ने लुबान की पत्नी मर्सी को इस दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया तो उसने लड़कियों को मारने के लिए लुबान के भाई को भेजा और उन्हें मुँह बंद रखने के लिए कहा गया ।

🚩‌यह सुनकर कंदसामी ने सभी लड़कियों को सरकारी होम में स्थानांतरित कर दिया । जब वे एक सुरक्षित स्थान पर होने के बारे में आश्वस्त हुईं तो उन्होंने आईएएस अधिकारी के सामने मर्सी मिशनरी होम का पर्दा फाश किया । अन्य चीजों के अलावा, लुबान कुमार लड़कियों को रात में अपने कमरे में आने आकर मालिश करने के लिए कहता ।

🚩कलेक्टर ने तुरंत जूवेनाइल जस्टिस एक्ट व प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सशुअल ऑफन्सेस एक्ट के तहत तिरुवनमलाई में एक पुलिस स्टेशन में लुबान कुमार, मर्सी और लुबान के भाई के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई । इसके बाद, मिशनरी होम भी सील कर दिया गया था।

🚩(2) रांची में धर्मांतरण मामला:-

रांची : रांची अदालत ने मंगलवार को पुलिस को शिक्षक द्वारा दर्ज शिकायत के बाद 'जबरन धर्मांतरण" के आरोप में कारमेल स्कूल के प्रिंसिपल और तीन अन्य कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया ।

🚩शिक्षक नलिनी नायक ने दावा किया कि उन्हें ईसाई धर्म अपनाने से इंकार करने के बाद सेवा से निकाल दिया गया था ।

नलिनी ने आरोप लगाया कि उसे धर्म परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया जा रहा था और जब उसने मना कर दिया तो उसे प्रिंसिपल द्वारा सेवा से निकाल दिया गया।

🚩नायक के वकील अवीश रंजन मिश्रा ने बताया कि छेड़छाड़ के साथ आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए गए हैं ।

अदालत ने पुलिस को इस मामले में एक कार्यवाही की  रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया, उन्होंने कहा, "नायक को आरोपी द्वारा मानसिक रूप से यातना दी जा रही थी और यहां तक ​​कि उनके द्वारा भी पीटा भी गया था।"

🚩शिकायतकर्ता ने कहा कि वह 6 अप्रैल, 2013 को स्कूल में जोईन हो गई थी और 1 अप्रैल, 2016 को उनकी सेवा में इस शर्त पर पुष्टि की गई थी कि वह ईसाई धर्म अपनाएगी । नौकरी में पुष्टि होने के तुरंत बाद, प्रिंसिपल, सिस्टर डेलिया और स्टाफर्स सिस्टर एम रेनिशा, सिस्टर टेरेसिटा मारी और सिस्टर मारी टेरेसा ने देर रात स्कूल परिसर में चर्च सेवा और धार्मिक कार्यों में भाग लेने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया ।

"27 सितंबर को, प्रिंसिपल ने मुझे अपने कक्ष में बुलाया और धमकी दी कि अगर मैं ईसाई धर्म में परिवर्तित होने से इंकार कर दूं तो मुझे मार दिया जा सकता है । 1 अक्टूबर को, मुझे सेवा से निकाल दिया गया । सौजन्य: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस

🚩इन खबरों से पता चलता है कि मिशनरियों का अत्याचार एक चरम सीमा तक पहुँच गया है तो अब इसपर रोक लगानी चाहिए, सरकार न्यायालय को संज्ञान लेना चाहिए ।

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