13 दिसंबर 2018
पुरे विश्व में एकमात्र भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जहाँ हिन्दुओं की बहुलता है, इसे ध्यान में रखा जाए तो भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए । यदि इसका दूसरा पक्ष देखें तो अब से 71 साल पहले 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तो साथ ही उसका विभाजन भी किया गया था और एक नया देश पाकिस्तान बनाया गया; चूँकि पाकिस्तान मुस्लिमों की मांग के कारण बनाया गया था इसलिए इसे तुरंत ही इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया, लेकिन भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित न कर उसे धर्म निरपेक्ष ही बना रहने दिया गया ।
दुनिया मे ईसाईयों के 157 देश है और मुसलानों के 52 देश है जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दू ही सनातन धर्म है जबसे सृष्टि का उदगम हुआ तब से है फिर भी एक भी हिन्दू देश नही है।
India announces Hindu nation, protects from being Islamic country - High Court |
भारत की धर्म निरपेक्षता उसके लिए ही गले की फांस का काम करेगी ये किसे मालूम था ? आज भारत में अल्पसंख्यकों के नाम पर मुसलमानों को तथा अन्य समुदायों को तो खूब सारी सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन अपने ही देश में हिन्दू बेगाना हो गया है । हिन्दू बाहुल्य राष्ट्र हिंदुस्तान में ही हिन्दू शोषित है । आज के परिवेश में एक बात तो सुनिश्चित है कि यदि हिन्दुओं की रक्षा करनी है तो निश्चित रूप से भारत को एक हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए ।
पहले इस बात को सिर्फ हिन्दू संगठन ही कहा करते थे लेकिन आज बड़े-बड़े पदों पर आसीन बुद्धिजीवी भी इस बात का समर्थन करते हैं । अभी हाल ही में मेघालय उच्च न्यायलय के न्यायधीश श्री एस.आर. सेन ने हिन्दुओं तथा गैर मुस्लिम समुदाय की गंभीर हालत को देखते हुए भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की अपील केंद्र सरकार से की है ।
आपको बता दें कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हिन्दू, पारसी, सिख आदि समुदायों को भारत की नागरिकता पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है । भारत एक ऐसा देश है जहाँ गैर हिन्दू या हिंदुस्तान को गालियां देने वाले और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले लोग तो काफी ऐशो आराम की ज़िन्दगी जीते हैं, लेकिन जिनका ये राष्ट्र है ऐसे हिन्दू, सिख तथा अन्य गैर मुस्लिम लोगों को अपने ही देश में रहने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
प्रधानमंत्री कानून बनाए
मेघालय हाईकोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व संसद से ऐसा कानून लाने की सिफारिश की है जिससे पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी, जयंतिया, खासी व गारो लोगों को बिना किसी सवाल या दस्तावेज के भारत की नागरिकता मिल सके । कोर्ट ने फैसले में यह भी लिखा है कि विभाजन के समय भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन हम धर्मनिरपेक्ष देश बने रहे ।
दरअसल हुआ ये कि अमन राणा नामक एक व्यक्ति ने एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें निवास प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया गया था । इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला दिया । कोर्ट के फैसले में जस्टिस एसआर सेन ने कहा कि उक्त तीनों पड़ोसी देशों में उपरोक्त लोग आज भी प्रताड़ित हो रहे हैं और उन्हें सामाजिक सम्मान भी प्राप्त नहीं हो रहा है । कोर्ट ने कहा कि इन लोगों को कभी भी देश में आने की अनुमति दी जाए । सरकार इन्हें पुनर्वासित कर सकती है और भारत का नागरिक घोषित कर सकती है ।
भारतीय इतिहास का किया उल्लेख :-
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भारतीय इतिहास को उल्लेखित करते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश था । पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान का कोई वजूद नहीं था । ये सब देश एक थे और इनपर हिंदू साम्राज्य का शासन था । कोर्ट ने कहा कि मुगल जब यहां आए तो उन्होंने भारत के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया । इसी दौरान बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन हुए । इसके बाद अंग्रेज यहां आए और शासन करने लगे ।
भारत-पाक विभाजन के इतिहास के बारे में कोर्ट ने फैसले में लिखा कि यह एक अविवादित तथ्य है कि विभाजन के वक्त लाखों की संख्या में हिंदू व सिख मारे गए थे । उन्हें प्रताड़ित किया गया था और महिलाओं का यौन शोषण किया गया था । कोर्ट ने लिखा कि भारत का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था । पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया था । ऐसे में भारत को भी हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था लेकिन, इसे धर्मनिरपेक्ष बनाए रखा गया । जिसका खामियाजा हमें आजतक भुगतना पड़ रहा है ।
पीएम मोदी पर जताया भरोसा :-
इतना कहने के पश्चात जज सेन ने मोदी सरकार को लेकर कहा कि वह भारत को मुस्लिम राष्ट्र नहीं बनने देंगे । उन्होंने लिखा कि किसी भी व्यक्ति को भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए । जज ने उच्च न्यायालय में केंद्र की सहायक सॉलिसीटर जनरल ए. पॉल को फैसले की प्रति प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह व विधि मंत्री को मंगलवार तक अवलोकन के लिए सौंपने व समुदायों के हितों की रक्षा की खातिर कानून लाने को लेकर जरूरी कदम उठाने की बात कही है ।
बता दें कि केंद्र के नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग छह साल भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता के हकदार हैं, लेकिन अदालत के आदेश में इस विधेयक का जिक्र नहीं किया गया है । इसके बजाय अन्य देश के हिन्दू, सिख आदि धर्म के लोगों के अधिकार को ध्यान रखते हुए उन्होंने ये कहा कि बिना किसी दस्तावेज के तुरंत ही उन्हें भारत की नागरिकता दी जाए ।
न्यायाधीश एस.आर. सेन की बात से यह तो साफ़ हो ही गया कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना कितना आवश्यक है, लेकिन जैसे ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की बात कुछ मुस्लिम नेताओं के कानों में पड़ी तो वे सम्माननीय उच्च न्यायलय के बारे में भी टिप्पणी करने से पीछे नहीं हटे ।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को मेघालय उच्च न्यायालय के उस फैसले को अस्वीकार्य करते हुए ये कहा कि न्यायपालिका व सरकार को इस फैसले पर ध्यान देना चाहिए । घृणा फैलाने की कोशिश की जा रही है ।
ओवैसी न्यायमूर्ति एस.आर.सेन द्वारा सोमवार को दिए गए फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे । न्यायमूर्ति सेन सेना भर्ती में निवास प्रमाण पत्र के अस्वीकार किए जाने से जुड़ी एक याचिका के निपटारे के दौरान यह फैसला दिया । एआईएमआईएम द्वारा बुधवार देर रात आयोजित एक सार्वजनिक सभा में ओवैसी ने कहा कि न्यायाधीश जिसने भारतीय संविधान की शपथ ली है, वह इस तरह का गलत निर्णय नहीं दे सकता ।
ओवैसी ने न्यायमूर्ति सेन की टिप्पणी पर कहा, भारत इस्लामिक देश नहीं बनेगा । भारत एक बहुलता वादी व धर्म निरपेक्ष देश बना रहेगा । ओवैसी ने कहा, यह किस प्रकार का निर्णय है? क्या न्यायपालिका और सरकार इसका नोटिस लेंगी। ओवैसी ने न्यायमूर्ति सेन को संविधान की व्याख्या करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नहीं झुकने की सलाह दी ।
भारत एक हिन्दू बाहुल्य देश है, एक हिन्दू कभी किसी अन्य धर्म के लोगों के लिए खतरे का विषय नहीं बन सकता है और ना ही हिन्दुओं से किसी अन्य धर्म के लोगों को कोई खतरा ही हो सकता है, किन्तु यदि भारत को हिन्दू राष्ट्र न घोषित किया गया तो इससे हिन्दुओं को जरुर खतरा हो सकता है ।
सदैव हिन्दुओं के विरुद्ध खड़े रहने वाले ओवैसी की ऐसी प्रतिक्रिया तो आनी ही थी । ओवैसी की टिप्पणी ठीक उसी प्रकार थी मानो कोई हमारे ही घर में आकर, हमारे घर पार अधिकार जताए । न्यायमूर्ति एस.आर. सेन जी की बात विचारणीय है । यदि हिन्दू बाहुल्य देश में हिन्दुओं का भरोसा जीतना हो तो मोदी सरकार को शीघ्र ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए ।
हिन्दू राष्ट्र ही सर्व समस्याआें का उत्तर है । जिन्हें इस देश में हिन्दू राष्ट्र नहीं चाहिए, वे पाकिस्तान जा सकते हैं । देश के सर्व हिन्दुआें को एकत्रित कर देशरक्षा और हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एकत्र करना होगा ।
हिंदुस्तान का अर्थ ही है ऐसा स्थान जहाँ हिन्दुओं का निवास हो तो कायदे से देखा जाए तो हिंदुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिन्दू ही है फिर इस देश में हिन्दू राष्ट्र घोषित करने में इतनी देर क्यों ? हम माननीय श्री नरेद्र मोदी जी से अपील करते हैं कि अल्पसंख्यकों के हक में तो बहुत फैसले ले लिए अब कुछ फैसले हिन्दुओं के हक में भी ले लीजिये ताकि 2019 में आपको वापस हम सब प्रधानमंत्री के पद पर देख पाएं ।
देश, धर्म और संस्कृति बचाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है ।
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